Monday, February 6, 2017

"पहले आप - पहले आप "सुधरो ! - पीताम्बर दत्त शर्मा (स्वतन्त्र टिप्पणीकार)मो.न. 9414657511

"लखनऊ के दो नवाबों की गाडी जैसे पहले आप - पहले आप करते निकल गयी थी"!वैसे ही हम भारत वासियों का हाल है ! सभी किसी ना किसी दुसरे की ओर इशारा करके कहता नज़र आता है कि पहले वो सुधरे तो फिर मैं सुधरुंगा या मुझे सुधरने हेतु कहा जाए जी !नेता लोग सरकारी तन्त्र को लेकर रोता है ,तो सरकारी तन्त्र जनता की बढ़ती अपेक्षाओं को लेकर बहाने बनाता नज़र आता है !जनता एक दुसरे को ही दोषी बताने में लग जाती है !तो फिर बड़ा प्रश्न ये पैदा होता है कि देश में सुधार हो तो कैसे हो ??
                           आज हालात इस प्रकार के हो गए हैं देश में कि जैसे इंसान को एक चींटी काट खाये तो वो उसे हटा सकता है , अगर दो-चार चींटियां एक साथ काट लें तो भी वो उसे सघन प्रयासों से हटाकर राहत महसूस कर सकता है , लेकिन अगर हज़ारों चींटियां एक साथ आकर इंसान के शरीर पर काटने लगें तो मित्रो चाहे कितना भी ताकतवर इंसान चाहे क्यों ना हो , वो बच नहीं सकता जब तलक कोई बाहरी ताक़त उसकी मदद ना करे !या कोई "जहरी छिड़काव"ना किया जाए !
                        आज देश चिंतित है कि देश के विभिन्न हिस्सों में जिस प्रकार देश-द्रोही"मानसिकता वाले नेता काबिज़ होते जा रहे हैं ,उनके समर्थक भी बढ़ते जा रहे हैं ,उनको कैसे धराशायी किया जाए !क्योंकि वो भारतीय संविधान के मुताबिक ही ये काम कर रहे हैं !लेकिन उनकी विचारधारा और सोच इस देश की संस्कृति और परम्पराओं के लिए बेहद घातक ही नहीं बल्कि जैसे जैसे उनकी ताक़त बढ़ती जायेगी वैसे वैसे वो लोग हमारी परम्पराओं को समाप्त भी कर सकते हैं !कोंग्रेस के राज में ऐसे लोग पैदा हुए बल्कि इनको "प्रोटीन"भी मिलता रहा !
                  मोदी जी जब से आये हैं ,तभी से वो इस काम में लगे हुए हैं !उन्होंने ऐसी ताकतों को मिलने वाले धन के स्रोतों को बन्द करने का काम किया है !कई विदेशी "तथाकथत समाजसेवी संगठनों" के लाइसेंस रद्द किये हैं जो ऐसी ताक़तों को खाद-पानी देने का काम करते आ रहे थे !लेकिन ये पर्याप्त नहीं है ,क्योंकि आज "हर शाख पर उल्लू बैठे हुए" हैं !!जो "साम्प्रदायिक ताक़तों को रोकने"का शोर मचाकर बौद्धिक लोगों का ध्यान भटकाते रहते हैं !देश के ज्यादातर "प्रबुद्धजन"तो उनकी विचारधारा के समर्थक ही हैं !उन्होंने तो "बौद्धिक-आतंकवाद"ही इस देश में फैला रख्खा है !आज के समय में उनकी ताक़त इतनी ज्यादा है की जब तलक दोनों सदनों में मोदी जी को भरपूर बहुमत नहीं मिल जाता , ऐसे लोगों को रोकना बड़ा ही मुश्किल काम है !आज आम आदमी कुछ समय हेतु तो मोदी जी को समर्थन देता है उनके कार्यों की सराहना भी करता है लेकिन थोड़े दिनों बाद ही वो इन लोगों के बहकावे में आकर ये तलक भी बोल जाता है कि "मोदी जी की नोट बन्दी से अच्छा तो पहले का शासन था !कोई फायदा ही नहीं हुआ ,वो भी खाते थे और हमें भी खाने देते थे "!!
                         पाठक मित्रो ! आप ही बताओ !इस तरह के हालात अगर हम भारतियों के होंगे तो कैसे इस देश का सुधार हो सकता है ? यारो अगर हम इस देश के लिए अपनी जान नहीं दे सकते तो कम से कम मोदी जी को अपना समर्थन और वोट तो दे ही सकते हैं !जो हमें एकबार नहीं बार-बार हर स्तर पर देना होगा ,फिर चाहे जिसको हम अपना वोट दे रहे हैं वो हमारी पसन्द का हो या नाहो !आपका क्या कहना है जी इस विषय पर ?कृपया हमारे ब्लॉग पर आकर अपने अनमोल कॉमेंट्स अवश्य लिख कर जाएँ जी !बाकि राम भली करेंगे और "अच्छे दिन अवश्य आएंगे"!! राम-राम !!जय हिन्द !!



5th पिल्लर करप्शन किल्लर" "लेखक-विश्लेषक पीताम्बर दत्त शर्मा " वो ब्लॉग जिसे आप रोजाना पढना,शेयर करना और कोमेंट करना चाहेंगे ! link -www.pitamberduttsharma.blogspot.com मोबाईल न. + 9414657511

3 comments:

  1. भ्रष्टाचार अब एक स्वीकृत रूप में हमारे सामने खड़ा है. जनता को मिला मतदान का नागरिक अधिकार जब तक बाह्य कारणों से प्रभावित होता रहेगा तब तक लोग दोषारोपण के कीचड़ की होली खेलते रहेंगे और समय के साथ परिस्थितियाँ और विकराल हो जायेंगी अतः लोग अपने दिल और दिमांग से मतदान का फैसला लें न कि भावावेश में आकर जाति,धर्म, सम्प्रदाय के खाँचों में समा जाएं. बधाई.

    ReplyDelete
  2. आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है .. http://rakeshkirachanay.blogspot.in/2017/02/6.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!

    ReplyDelete
  3. 'मोदीनामा', 'मोदी चालीसा', 'नोटबंदी-स्तुति' 'अच्छे दिन' 'मन की बात' सुनते-देखते-पढ़ते हम पहले ही पक चुके हैं, अब शर्माजी हम को वैसी ही बातें कर के और क्यूँ पका रहे हैं?

    ReplyDelete

"निराशा से आशा की ओर चल अब मन " ! पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक)

प्रिय पाठक मित्रो !                               सादर प्यार भरा नमस्कार !! ये 2020 का साल हमारे लिए बड़ा ही निराशाजनक और कष्टदायक साबित ह...