Thursday, February 9, 2017

"क्या भारत में ऐसा कुछ बचा है ,जिसकी इज्जत करते हों लोकतंत्र के ताकतवर लोग"? - पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक)मो.न.+9414657511

भारत में जब मुस्लिम शासकों का राज था तब तो उनकी कही गयी बात ही क़ानून होती थी !अंग्रेजों ने आम जनता पर अपना "शासन"चलाने के लिए क़ानून बनाये , लेकिन उसमें कुछ ऐसे दरवाजे भी जानबूझ कर छोड़े ,जिनसे कोई ताक़तवर आदमी के फंसने पर उसे बाहर निकाला जा सके ! दुसरे शब्दों में उसे "लुपोल"भी कहते हैं !देश के आजाद होने पर जब तथाकथित रूप से भारतीय संविधान बना,जो किसी के नज़र में सही और कइयों की नज़र में आज भी गलत या केवल नक़ल मात्र है !उसमें भी कई तरह के ऐसे "चोर दरवाजे"रख्खे गए जिनसे आजके लोकतांत्रिक रूप से ताक़तवर बने नेता ,रहीस और उनके चमचे पत्रकार आदि बचकर बाहर आ सकें !
             समय जैसे जैसे बीतता गया वैसे वैसे लोकतंत्र से सम्बंधित अन्य संस्थानों के ना केवल नियमों को भी तोडा जाने लगा बल्कि उनके महत्त्व को भी कम किया जाने लगा!और आज हालात ये हो गए हैं कि ना तो किसी भी संवैधानिक कुर्सी पर बैठे व्यक्ति की ना तो कोई इज्जत बची है और ना ही कोई मर्यादा का पालन करता दिखाई पड़ रहा है !ऊपर से हैरान करने वाली बात ये है कि "प्रथाएं"तोड़ने वाली ताक़तें ही पाठ पढ़ाती नज़र आ रही हैं !कल की ही घटना को लेते हैं !कल राज्यसभा में उपसभापति जी ने सदन को ये क्या बता दिया कि आनंद शर्मा जी आप विपक्ष की तरफ से आखिरी वक़्त हो आप के बाद प्रधानमंत्री जी बोलेंगे , राष्ट्रपति जी के अभिभाषण बहस का जवाब देंगे !तभी वित्तमंत्री जी ने उपसभापति जी के पास ये सूचना पहुंचाई कि प्रधानमंत्री जी रास्ते में हैं ,इसलिए उनके आने से पहले मैं चन्द मिनट में अपनी बात कह लूँगा !इसबात का आनंद शर्मा को जैसे ही पता चला तो वो अपना भाषण समाप्त ही नहीं कर रहे थे !माननीय उपसभापति जी ने इन्हें बार बार चेताया की आप 48 मिनट ज्यादा बोल चुके हैं अब आप अपना भाषण बन्द कीजिये तो वो लगातार 5 बार तोके जाने के बावजूद ढाका करते हुए बोलते ही रहे !क्या ये मर्यादा का पालन करना है ?ऊपर से उनकी बात करने का ढंग अगर कोई देख ले तो पता चले की "तानाशाही-रवैया"किसे कहते हैं ?
               कोंग्रेस के मर्द सदस्यों से कहीं आगे तो उनकी महिला सदस्याएं अपना "ज़ोहर" दिखा रहीं थीं !उस पर जब प्रधान मंत्री आये और उन्होंने जैसे ही बोलना शुरू किया तो कोन्ग्रेस्स को अपना मुंह छिपाने की जब कोई जगह ही नहीं मिली तो वो सदन से वाक्-आउट करके ही बचती नज़र आयी ! बाहर आकर अपनी शर्मिंदगी छिपाने हेतु अनर्गल ब्यान देने लगी ,कि प्रधानमंत्री जी माफ़ी मांगें आदि आदि !यानी "एक तो चोरी ऊपर से सीनाजोरी"!
         क्या माननीय प्रधानमंत्री जी ने कोई असंसदीय शब्द बोला ?अगर नहीं तो ये शोरशराबा करके जनता के धन को बर्बाद क्यों किया जाए ?भारत का मीडिया तो उनके दोषों को छिपाने हेतु "गीत-गाना"फ़ौरन चालू कर ही देता है !लेकिन भारत की जनता सच में गलतियां करने वालों को सबक सिखाकर रहेंगी !ये पक्का है !लेकिन मेरा उन लोगों से हाथ जोड़ कर एक अनुरोध है ,जो जानकार लोग हैं वो इस "लोकतंत्र के ऊपर आये कष्ट के समय" में अवश्य बोलें ! अन्यथा उन सबको भी "भीष्मपितामह"की तरह सज़ा मिलेगी !"शर-शैया"आज के "बे-ईमान विद्वान्"लोग झेल नहीं पाएंगे !भारत को बचाने की लड़ाई बहुत लंबी है जी !इसमें सबको कूदना होगा ,देश को बचाने हेतु !जय भारत - जय हिन्द !!आपके विचार हमेशां ही हमारे लिए प्रेरणादायी रहे हैं !इसलिए अवश्य अपनी टिप्पणियां लिखें !  



"5th पिल्लर करप्शन किल्लर", "लेखक-विश्लेषक", पीताम्बर दत्त शर्मा ! वो ब्लॉग जिसे आप रोजाना पढना,शेयर करना और कोमेंट करना चाहेंगे ! link -www.pitamberduttsharma.blogspot.com मोबाईल न. + 9414657511

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