करौंथा में सतलोक आश्रम के संस्थापक संत रामपाल के ख़िलाफ पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने गैर ज़मानती वारंट जारी कर दिया
संतराम पाल की बुधवार को पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में पेशी थी। वो तो पेशी में नहीं पहुंचे लेकिन एक मेडिकल रिपोर्ट ज़रूर पहुंची जिसके बाद हाईकोर्ट ने संतराम पाल के ख़िलाफ कड़ा रुख़ अपनाते हुए DGP को गिरफ्तारी का आदेश दे दिया, संतराम पाल पर मारपीट, हत्या समेत अन्य मामले दर्ज हैं....दरहसल संत राम पाल पर ये सभी मुकदमे उनके आश्रम सतलोक की वजह से हुए हैं...संत ने 1999 में रोहतक के करौंथा गांव में सतलोक नाम का आश्रम बनाया जिसमें 2006 तक सतसंग का कार्य आराम से चल रहा था लेकिन 2006 में करौंथा गांव के आसपास के गांवों के आर्यसमाजियों ने इस आश्रम का विरोध किया जिसके तहत दोनों गुटों में हिंसक झड़प हुई जिसमें 1 शख़्स की मौत हो गई, इसके बाद प्रशासन ने आश्रम पर ताला जड़ दिया, संत रामपाल ने इस बाबत पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती भी दी जिस पर कार्रवाई करते हुए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने आश्रम की चाबी संतराम पाल को सौंपने का फैसला सुनाया, इसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा जहां sc ने भी विपक्ष की याचिका ख़ारिज करते हुए संतराम पाल के हक में फैसला सुनाया, संतराम पाल और उनके अनुयायी आश्रम सतलोक वापस आ गए लेकिन 2013 में फिर से संत रामपाल और आर्यसमाजियों के बीच खूनी झड़प हुई जिसमें 1 महिला समेत 3 लोग मारे गए, जबकि कई पुलिस वाले भी इस झड़प में घायल हो गए...लेकिन ये सब कुछ ऐसे समय और ऐसे इलाके में हुआ जब हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार में थे
10 साल तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी रोहतक से संबंध रखते हैं.. फिर भी इस मामले में सरकार की ओर से कोई मध्यस्ता ना करना अपने आप में कई सवाल खड़े करता है...समय समय पर दोनों गुटों ने इस बाबत हुड्डा सरकार पर सवाल भी उठाए हैं...संत रामपाल समर्थकों का कहना है कि 2013 में हुए हमले से पहले उन्होंने हुड्डा सरकार और खुद तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह और अध्यक्ष सोनिया गांधी को आश्रम में हमले की आशंका की सूचना दी थी लेकिन उनके ज्ञापन के बावजूद भी कोई पुख़्ता कदम नहीं उठाया गया वहीं आर्यसमाज भी इस बाबत प्रदर्शन कर आश्रम को हटाए जाने के लिए प्रशासन को कटघरे में खड़ा करता रहा, हुड्डा की चुप्पी को समझने के लिए इस पूरे प्रकरण को राजनीतिक चश्मे से देखना ज़रूरी है दरहसरल संतराम पाल जाट हैं और आर्य समाज को मानने वालों में भी जाटों की संख्या ज़्यादा है खुद हुड्डा के परिवार का संबंध भी आर्यसमाजियों से रहा हैं हुड्डा के लिए ये स्थिति एक तरफ कुंआ और दूसरी तरफ खाई के समान थी इसलिए हुड्डा सरकार पर ये सवाल खड़े होते हैं कि उन्होंने अपना वोट बैंक बरकरार रखने के लिए मामले पर चुप्पी साधे रखी, उनके नाक के नीचे खूनी झड़पें हुईं, सार्वजनिक सम्पति फूंकी गई लेकिन प्रशासन ने ना ही कोर्ट के आदेशों के पालन में आतुरता दिखाई और ना ही कोर्ट परिसर में संत समर्थकों और आर्यसमाजियों की ओर से किए जाने वाले उपद्रवों को रोकने के लिए कोई मशक्कत की..ऐसे में आज ये आलम हैं कि चंडीगढ़ में संत की पेशी के लिए धारा 144 लगानी पड़ी, हाईकोर्ट परिसर को छावनी में तबदील कर दिया गया... और बेकाबू भीड़ ने प्रशासन को नचाना शुरू कर दिया है. वकील के भेष में उपद्रवी कोर्ट में घूमते रहे.. पूर्व की सरकार की ओर से कारगर कदम ना उठाए जाने का ख़ामियाज़ा आज कोर्ट को कानून के दरवाज़े तक पहुंच गया....अगर पूर्व की सरकार ने समय
संतराम पाल की बुधवार को पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में पेशी थी। वो तो पेशी में नहीं पहुंचे लेकिन एक मेडिकल रिपोर्ट ज़रूर पहुंची जिसके बाद हाईकोर्ट ने संतराम पाल के ख़िलाफ कड़ा रुख़ अपनाते हुए DGP को गिरफ्तारी का आदेश दे दिया, संतराम पाल पर मारपीट, हत्या समेत अन्य मामले दर्ज हैं....दरहसल संत राम पाल पर ये सभी मुकदमे उनके आश्रम सतलोक की वजह से हुए हैं...संत ने 1999 में रोहतक के करौंथा गांव में सतलोक नाम का आश्रम बनाया जिसमें 2006 तक सतसंग का कार्य आराम से चल रहा था लेकिन 2006 में करौंथा गांव के आसपास के गांवों के आर्यसमाजियों ने इस आश्रम का विरोध किया जिसके तहत दोनों गुटों में हिंसक झड़प हुई जिसमें 1 शख़्स की मौत हो गई, इसके बाद प्रशासन ने आश्रम पर ताला जड़ दिया, संत रामपाल ने इस बाबत पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती भी दी जिस पर कार्रवाई करते हुए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने आश्रम की चाबी संतराम पाल को सौंपने का फैसला सुनाया, इसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा जहां sc ने भी विपक्ष की याचिका ख़ारिज करते हुए संतराम पाल के हक में फैसला सुनाया, संतराम पाल और उनके अनुयायी आश्रम सतलोक वापस आ गए लेकिन 2013 में फिर से संत रामपाल और आर्यसमाजियों के बीच खूनी झड़प हुई जिसमें 1 महिला समेत 3 लोग मारे गए, जबकि कई पुलिस वाले भी इस झड़प में घायल हो गए...लेकिन ये सब कुछ ऐसे समय और ऐसे इलाके में हुआ जब हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार में थे
10 साल तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी रोहतक से संबंध रखते हैं.. फिर भी इस मामले में सरकार की ओर से कोई मध्यस्ता ना करना अपने आप में कई सवाल खड़े करता है...समय समय पर दोनों गुटों ने इस बाबत हुड्डा सरकार पर सवाल भी उठाए हैं...संत रामपाल समर्थकों का कहना है कि 2013 में हुए हमले से पहले उन्होंने हुड्डा सरकार और खुद तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह और अध्यक्ष सोनिया गांधी को आश्रम में हमले की आशंका की सूचना दी थी लेकिन उनके ज्ञापन के बावजूद भी कोई पुख़्ता कदम नहीं उठाया गया वहीं आर्यसमाज भी इस बाबत प्रदर्शन कर आश्रम को हटाए जाने के लिए प्रशासन को कटघरे में खड़ा करता रहा, हुड्डा की चुप्पी को समझने के लिए इस पूरे प्रकरण को राजनीतिक चश्मे से देखना ज़रूरी है दरहसरल संतराम पाल जाट हैं और आर्य समाज को मानने वालों में भी जाटों की संख्या ज़्यादा है खुद हुड्डा के परिवार का संबंध भी आर्यसमाजियों से रहा हैं हुड्डा के लिए ये स्थिति एक तरफ कुंआ और दूसरी तरफ खाई के समान थी इसलिए हुड्डा सरकार पर ये सवाल खड़े होते हैं कि उन्होंने अपना वोट बैंक बरकरार रखने के लिए मामले पर चुप्पी साधे रखी, उनके नाक के नीचे खूनी झड़पें हुईं, सार्वजनिक सम्पति फूंकी गई लेकिन प्रशासन ने ना ही कोर्ट के आदेशों के पालन में आतुरता दिखाई और ना ही कोर्ट परिसर में संत समर्थकों और आर्यसमाजियों की ओर से किए जाने वाले उपद्रवों को रोकने के लिए कोई मशक्कत की..ऐसे में आज ये आलम हैं कि चंडीगढ़ में संत की पेशी के लिए धारा 144 लगानी पड़ी, हाईकोर्ट परिसर को छावनी में तबदील कर दिया गया... और बेकाबू भीड़ ने प्रशासन को नचाना शुरू कर दिया है. वकील के भेष में उपद्रवी कोर्ट में घूमते रहे.. पूर्व की सरकार की ओर से कारगर कदम ना उठाए जाने का ख़ामियाज़ा आज कोर्ट को कानून के दरवाज़े तक पहुंच गया....अगर पूर्व की सरकार ने समय
रहते इस मामले में उचित कार्रवाई की होती और कोर्ट के आदेशों की पालना करवाई होती तो आज हालात इतने ना बिगड़ते...नई चुनी गई बीजेपी सरकार से उम्मीद की जा सकती है खट्टर ने कोर्ट के फैसले को मानने की बात कही है.. वहीं बीजेपी को समर्थन करने वाले बाबा रामदेव आर्यसमाजियों के हक में पहले ही उतर चुके हैं....ऐसे में अब देखना ये होगा कि खट्टर सरकार का ये दावा कहीं दबाव में बदल ना जाए....
सुक़ति शर्मा
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पीताम्बर दत्त शर्मा,
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Posted by PD SHARMA, 09414657511 (EX. . VICE PRESIDENT OF B. J. P. CHUNAV VISHLESHAN and SANKHYKI PRKOSHTH (RAJASTHAN )SOCIAL WORKER,Distt. Organiser of PUNJABI WELFARE SOCIETY,Suratgarh. (raj)INDIA.
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