Tuesday, August 30, 2011

" SHAALINTA -- SAANSAD -- OR -- SHABAD - GYAAN "

शब्द ज्ञानी दोस्तों , नमस्कार ! अन्ना जी के आन्दोलन में जनता के बीच में श्री मति किरण बेदी और अपने प्रिय अदाकार ओम पुरी जी ने हमारे सांसदों , मंत्रियों और नेताओं को कुछ खरी - खरी नमक - मिर्च लगाकर सुनादी , तो हमारे नेता भड़क गए कहने लगे , कि संसद का अपमान हो गया , वगेरह - वगेरह | दोनों वक्ताओं में से एक तो पंजाबी पुलिस वाली अधिकारी है , तो दूसरा ग्रामीण  पंजाबी संस्कृति का, दोनों भले ही डिग्री धारक हों परन्तु शब्द - ज्ञानी तो बिलकुल नहीं हैं | प्रयाय्वाची तो बिलकुल नहीं जानते | बल्कि दोनों भूतकाल में भारी भरकम " गालियों " के ज्ञाता और वक्ता अवश्य रहे होंगे | उन्होंने जो शब्द प्रयोग किये वो उन लोगों के लिए तो उचित नहीं हैं जो ईमानदारी से अपना कार्य करते हैं , चाहे वो किसी भी दल से क्यों न हो ? लकिन जो शुद्ध भ्रष्टाचारी हैं उनके लिए तो ये शब्द बहुत शालीनता से भरे हुए हैं , क्योंकि आम जनता तो उनसे भी गंदे संबोधनों से पुकारती है ? जो शायद उन नेताओं के कानो में नहीं पंहुचते | अब कोई आपको " कुत्ता , कमीना , चोर बदमाश और हरामी कहना चाहे , आपके कार्यों के कारन और उसे इनके प्रयावाची न पता हो , तो कोई क्या करे ?" एक तो चोरी , ऊपर से सीनाजोरी ? ये चोर सांसद उनको धमका भी रहे हैं की आपने " संसद " का अपमान कर दिया ? वाह ! भाई क्या पैंतरा मारा है ? इस सब के लिए जनता भी कम जिम्मेदार नहीं है ? उसे भी अब नए उमीदवार ढूंढ लेने चाहिए | चुनाव चाहे कोई से भी हों ?" पार्टी , धर्म , जाती और इलाके की बंदिशें तोड़ दो " !!!! सिर्फ " भारत - माता - की जय !! और वन्दे - मातरम !! का ही ध्यान हो !!!!!!! जय हो .............!!!!!!!!! एक पुराने गीत की दो पंक्तियाँ याद आ रही हैं ..... " शरीफों का ज़माने  में , अजी बस हाल ये देखा की शराफत छोड़ दी मैंने ....................????????? कैसा - लगा ?

Saturday, August 27, 2011

" AB - HONE WALE - HAR CHUNAVON MAIN - JAATI - ILAKA - DHARAM - PARTY- LALCH - SABH - CHODHNA - HOGA , OR NAYA - M.P. - MLA. DHOONDHNA - HOGA." .

सरकार और विपक्ष के लटकों - झटकों में फंसे दोस्तों ! नमस्कार !! सभी भारत वासी पिछले १२ दिनों से सरकार - विपक्ष और मिडिया के लटके - झटके देख रहे हैं , समझ रहे हैं | कैसे - कैसे नाटक कर रहे हैं , " लालू, बंसल , प्रणब, राहुल,मायावती,आदि - आदि | जनता समझ भी रही है , और सोच भी रही है कि क्या किय जाए ? नेता चेलेंज कर रहे हैं कि हिम्मत है तो २०१४ में चुनाव लड्लें , अपनी सरकार बनालें और " बिल " पास करवालें ? सरकार संसद में तो ये दिखा रही है कि वो " जन्लोकपाल " के कुछ - कुछ पक्ष में है | विपक्ष दिखा रहा है कि वो " ज्यादातर " पक्ष में है " लेकिन दोनों कि शह पर " माया - लल्लू असली भाषा बोल रहे हैं "| बेशर्मी की हद हो गयी है ? पुराने संसद - सदस्य या मंत्री होने का " दंभ " लगातार बढ़ रहा है | जिसका इलाज आवश्यक है , और इस बीमारी की डाक्टर " जनता " ही है | आज हम सबको ये "प्रण" करना है कि अब चाहे जो भी चुनाव आये , चाहे छोटा हो या बड़ा , तब हमने किसी लालच में नहीं फंसना , जाती , धरम , इलाका और पार्टी के बन्धनों में नहीं फंसना " सिर्फ और सिर्फ " इमानदार " और " सेवा - भावी व्यक्तियों को ही चुनना है | ये मशाल जलती रहनी चाहिए | तभी शुद्ध लोक तंत्र आएगा |

Wednesday, August 24, 2011

" B A D M A S H - NETA , -- GARIB JANTA --, SACHCHA --ANNA "

प्यारे देशवासियों , नमस्कार ! नेताओं ने सर्वदलीय मीटिंग में जो तय हुआ उसका सार ये है की " जन - लोकपाल " पर विचार तो होगा पर " श्रेय " कंही " अन्ना " जी की टीम को नहीं चला जाए , ये नहीं होगा | अब सवाल ये पैदा होता है कि " क्या इन नेताओं को संसदीय प्रणाली की चिंता है ?" या ये जिद है की हमारी चले ? मौजूदा सांसदों का चरित्र जनता को समझ आ गया है चाहे वो किसी भी पार्टी का है ? अभी आखरी बात प्रणब जी के साथ होने वाली है मुझे नहीं लगता कि कोई हल निकलेगा ? फिलहाल " जन्लोकपाल - बिल " विचारार्थ स्वीकार हो जायेगा और अनशन समाप्त हो जायेगा ? लकिन क्या जनता " चुनावों " के समय तक सब भूल जाएगी या ये संघर्ष याद रखेगी ? मेरा तो यही मत है कि जनता को आज ये प्रण कर लेना चाहिए कि अगले चुनावों में न तो कोई "पुराना  सांसद जीतना चाहिए और न ही कोई पुराना विधायक जीतना चाहिए " ? " अन्ना " जी की टीम को अभी से " इमानदार " लोग ढूँढने का कार्य शुरू कर देना चाहिए ? ताकि जनता को निर्णय करने में कोई परेशानी न हो ? जनता को ये भी प्रण करना होगा कि अपनी " पार्टी , धर्म , जाती और इलाका " के नाम पर " वोट " न देकर केवल " इमानदार " प्रतिनिधियों को ही चुनना होगा | अन्यथा अन्याय होता रहेगा | भारत - माता - की - जय !! अन्ना - जी - की - जय !! " ए - कम्पनी - की जय हो !! भारत - की - जनता   - की जय हो !! नेताओं कुछ सीखो " अन्ना " जी से | परमात्मा इन नेताओं को सदबुध्धि दे ?

Monday, August 22, 2011

" AB - PATA - CHALA - KYON NAHI PRINT HOTA NOTON PAR "AZAAD"?"

" अन्ना " और " कृष्णा " के रस में डूबे दोस्तों ! ! जय -जय श्री राधे कृषण ..! !कुछ समय पहले कई देश भगतों के भगतों ने ये आवाज़ लगायी थी कि महात्मा गाँधी जी की ही फोटो " नोटों " पर क्यों छापी जाती है ? किसी दूसरे देश भगत की क्यों नहीं नोटों पर फोटो छापी जाती | जैसे :- भगत सिंह , चंदर शेखर आज़ाद , सुभाष चंदर बोस , सरदार उधम सिंह आदि - आदि | आज जब अन्ना जी का आन्दोलन देखा ,तो समझ आया कि शांति दूत , राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी का ही चित्र नोटों पर छापना उचित था | देश की आज़ादी की लड़ाई में उपरोक्त देश भगतों का महत्वपूरण योगदान था जिसे देशवासी हमेशां याद रखेंगे | लेकिन शांतिपूर्वक आन्दोलन चलाने का एक अपना ही महत्व है | आशा है ऐसे सभी देश भगतों के समर्थक भी समझ गए होंगे ? जो किसी और देश भगत का नाम भारतीय नोटों पर छपवाना चाहते हैं | आज हमने देखा " श्री मनीष तिवाड़ी " अपना मुंह छुपाते घूम रहे हैं , सरकार जनान्द्दोलन के आगे झुक गयी है | श्री संजय निरुपम ने अन्ना की " टोपी " पहन ली है |चोर दुबक कर बैठ गए हैं | कोई ऐसा शहर या गॉंव नहीं जंहा से अन्ना को समर्थन नहीं मिला | सब प्रकार के कार्य करने वाले ,बूढ़े , बच्चे , जवान ,औरत और मरद सब अन्ना जी के साथ हैं | कईयों की आँखें खुल गयीं हैं | " भारत माता की जय बोलना पड़ेगा जी | "   

Thursday, August 18, 2011

" 2014 main ek bhi "saansad ya vidhayak " purana chunkar nahi jana chahiye"

अनशन पर बैठे दोस्तों , और समर्थन दे रहे मित्रो !नमस्कार !! देश ने " अन्ना " जी के नेत्रित्व में " अंगडाई  " ले ली है | देश में फैले भ्रस्टाचार और कुव्यवस्था के खिलाफ | सभी वर्ग के लोग न केवल इसमें शामिल हैं बल्कि पक्के इरादे के साथ "खम्बा " गाढ़ दिया है | कल संसद में " निरुपम " जी ने जब ये कहाकि "जनता" हम सबको " बेईमान " समझती है , दर्शकों ने यही कहा होगाकि आप सही हो " निरुपम " जी | आज कोई भी जनप्रतिनिधि बिना " हेराफेरी " के जीत सकता है क्या ??? मैं कहता हूँ की बिलकुल नहीं ! अब लड़ाई " आर - पार " की है | ये  हम सब जानते हैं इसीलिए इतना जन - समर्थन इस अनशन को मिल रहा है | सरकार कहती है कि अन्ना जी "जिद" कर रहे हैं, मैं कहता हूँ कि यही तो " इच्छा - शक्ति " है , जो सरकार में नहीं पाई जाती | " मक्कार " , "ढीठ", " कमीने", " झूठे "और बेईमानो से भरी पड़ी है हमारी संसद और विधानसभाएँ | इसलिए सभी भारत वासियों से निवेदन है कि इस " अनशन " का चाहे जो नतीजा क्यों न निकले परन्तु हमने आज ये "प्रण " करना है कि चाहे जो हो जाए लेकिन सन 2014 में कोई भी " सांसद " पुराना नहीं जीतना चाहिए , और भविष्य में कोई " विधायक " पुराना नहीं जीतना चाहिए | चाहे हम किसी भी पार्टी ,जाती या धर्म के क्यों न हों ?????? क्योंकि हमने अपनी आनेवाली पीढ़ियों को निराश नहीं होने देना है |

Monday, August 15, 2011

" M U R A K H - - - - - - - - J A N T A - - OR -- YE " ULLU - KE - PATHTHE " ?

मुर्ख  दोस्तों, सलाम ! लो जी सभी कान्ग्रेस्सी  भाई आज चिल्ला - चिल्ला कर कह रहे हैं कि जनता उस समय मुर्ख बन जाती है जिस समय वोट  पड़ रहे होते हैं | कोई तो उस समय किसी पार्टी का " पक्का " कार्यकर्त्ता बन जाता है,तो कोई किसी जाती विशेष का नेता ? कोई किसी भाषा का प्रेमी बन जाता है तो कोई किसी इलाके का खामखाह अपने आप को समझने लगता है ?ऐसे षड्यंत्र रच कर ये नेता ही हमें मुरख बनाते हैं , और अब यही लोग कह रहे हैं कि जब आपने हमें ५ सालों के लिए चुन लिया तो अब क्यों " रो " रहे हो ? अब तो हम जैसे भी देश चलायें हम नेताओं कि मर्ज़ी ? हम नेताओं को कोई नहीं रोक सकता ? ये " अन्ना " और " राम देव " " किस खेत की मूली हैं " ? कंही पेंशन न मिलने का डर है तो कंही खुद की ही चोरी न पकड़ में आ जाए इसलिए संसद में विपक्ष के सारे नेता चुप हैं ?रशीद मियां तो यह भी कहते हैं कि जनता चुनावों के समय पैसा भी लेती है और शराब भी पीती है ? जो २०% सही है ? अनशन, कैसा , कब , क्यों , कंहाँ और किसलिए होना या नहीं होना चाहिए इसका फैसला तो अब संसद या सुप्रीम - कोर्ट को कर देना चाहिए ? क्योंकि इससे नुकसान अधिक और फायदा कम होता है ? जनता तो मुर्ख बनती आई है , बनती रहेगी ? यंहा तो " कसाई " ही रहम करे ! जनता तो १०० सालों में एकबार जागती है ? तब जो फैंट मे आता है, वो सीधा हो जाता है ? इसलिए हे कांग्रेसी मित्रो जरा अकाल पर हाथ मारो और अपने कियेकी माफ़ी मांगलो ? ये जनता अब भी तुम्हे माफ़ करदेगी ? नहीं तो मेरी बात याद रखना कि ५ साल तो क्या ५० साल तक भी कांग्रेस की सरकार नहीं आ पायेगी | और किस गलतफहमी में हो यारो ? अब भी कोई कांग्रेस की सरकार नहीं है ? अरे तुम्हे तो " एक नितीश - एक मोदी " ही बहुत है ??????????????बोलो जय श्री - राम !

Friday, August 12, 2011

" RAKSHA - BANDHAN - - - - KARE RAKSHA - SWTANTRTA - DIWAS KI "

भाइयो और बहनों एवं प्य्रे दोस्तों , रक्षा - बंधन और स्वतंत्रता - दिवस की हार्दिक बधाई स्वीकार करें ! त्यौहार है इसलिए बधाई तो देनी ही पड़ेगी , लेकिन हालात नहीं है देश के बधाई देने वाले | सोना ,चांदी,हीरे ,मोती,पीतल ,ताम्बा,लोहा,कांच को तो छोड़ो , बाज़ार दाल सब्जी और फल लेने जाना पड़े तो " नानी याद आ जाती है" | इन अफसरों , मंत्रियों और बाबुओं की तनख्वाह इतनी है की इन्हें तो १००/- रूपये कुछ भी नहीं लगते | मध्यम निम्न दर्जे का आदमी जाए तो कंहा जाए | न तो वो बी.पी.एल. बन सकता और न वो अमीर बन सकता | दो पाटन में पिसना ही उसकी किस्मत है | नेता लोग इंग्लिश में आंकड़े सुनाकर जनता को बरगला रहे हैं | पत्रकार बहस कराके अपना पल्ला झाड रहे हैं | विपक्ष शोर मचा रहा है |  सोनिया जी राम जाने कैसी बीमारी से जूझ रही हैं,वो परिवार सहित विदेश चली गयी हैं | भगवान उन्हें जल्दी ठीक करे ,  वैसे " डर " भी एक बीमारी होती है | मंत्री अकड़े पड़े हैं | ऐसे में मुझे भी ये डर सता रहा है कि कंही हमारा देश फिरसे गुलाम न हो जाए ? क्योंकि सरकार की नीतियाँ ही ऐसी हैं | बाबू काबू में नहीं | मुझे तो एक पुराना गाना याद आ रहा है ..." राम चन्द्र कह गए सिया से , ऐसा कलयुग आएगा ...... हंस चुगेगा दाना तिनका कौआ मोती कहेगा ..... हो जी रे .....| तो रक्षा बंधन ही स्वतंत्रता दिवस की रक्षा करे तो करे | या फिर " रक्षा करे तेरी सिया राम ...सियाराम ...!

Wednesday, August 10, 2011

" KISKI DAADHEE ----------- KISKE HAATH ".........? ? ? ? ? ? ? ? ? ?

दाढ़ी वाले दोस्तों  , साफ़ सुथरा नमस्कार !!संसद मैं कांग्रेस के प्रवक्ता और सांसद मनीष तिवाड़ी ने सभी सांसदों से हाथ जोड़ कर अपील करी कि " कृपया आप अपनी दाढ़ी कोर्ट के हाथ में मत जाने दें | नहीं तो अनर्थ हो जायेगा " ?????? ग्यानी लोग इसका अलग - अलग मतलब निकाल रहे हैं | सभी ने देखा की वो साथ मैं हाथ भी जोड़ रहे थे | ऐसा करते वक्त वो विपक्ष की तरफ बड़ी "आशा भरी " नज़रों से देख रहे थे | मुझे जो लगा वो ये कि वो ये  कहना चाहते थे कि बईमानी तो हम भी कर रहे हैं और मौका मिलने पर आप भी नहीं चूकोगे , तो एक हो जाओ नहीं तो ये "जज" लोग , और ये कमेटियों वाले हमें जीने नहीं देंगे | इस तरह के प्रयास  की जितनी निंदा की जाए , उतनी कम है .क्योंकि ये शरेआम भ्रष्टाचार का नंगा नाच है | मैं तो कहता हूँ कि " लोकतंत्र की यही सबसे बड़ी खूबी है कि यंहा एक की दाढ़ी - दुसरे के हाथ में है " |" विधायिका " की "न्यायपालिका" के हाथ में ," न्यायपालिका " की " राष्ट्रपति " के हाथ में , " राष्ट्रपति " की फिर "प्रधानमंत्री " के हाथ में दाढ़ी होती है   प्रधानमंत्री की दाढ़ी संसद और जनता के हाथ में होती है | यंहा " दाढ़ी" का मतलब अधिकार से है | हमारे सांसदों को चाहिए की ऐसी निराधार अपीलें करने के बजाए इमानदारी से अपना कार्य करें जिससे आम जनता को भी प्रेरणा मिले |चरित्र दिखाकर ही सचरित्र पैदा किया जा  सकता है |






Saturday, August 6, 2011

" D A D A - K I - S A Z A - P O T E - K O - - - " AARAKSHANN "..? ? ? ?

" आरक्षण का प्रसाद पाए , या मार खाए दोस्तों " !!नमस्कार !!! इस देश दुनिया में बहुत से मानवाधिकार आयोग बने हुए हैं , और न जा ने कितनी एन.जी.ओ. संस्थाएं हैं जो ये दावा करती हैं की वो मानव जाति के मूल अधिकारों हेतु लड़ रही हैं | लेकिन फिर भी देश - दुनिया में अन्याय होता ही जा रहा है | जिसमे से एक है " आरक्षण " | १९४७ में जब देश आज़ाद हुआ तब ये महसूस किया गया कि भूतकाल में छोटे " काम " करने वाली कई जातियां इस वजह से पिछड़  गयी हैं | इसलिए इन्हें कुछ समय हेतु "आरक्षण " दिया जाए , ताकि ये बड़ी जातियों के बराबर आ सकें | लेकिन वो " कुछ देर " आज तक ख़तम नहीं हुई |क्योंकि बीच में " राजनीती " जो आ गयी | नतीजा ये हुआ कि " जो पाप दादा - पड़दादा  ने किया या नहीं किया पता नहीं " लेकिन उस कि सजा उसके " पोतों - पड़पोतो " को दी जा रही है | न कोई न्यायालय बोल रहा है , और नाही कोई " मानवाधिकार आयोग " | सारे एन.जी .ओ. भी चुप है , और " साले "सारी , सारे नेता तो वोट बैंक बना रहे हैं | कोई क़त्ल भी कर देता है तो उसकी सज़ा उसके बच्चों को कभी न ही मिलती | लेकिन यंहा तो आज कि सारी स्वर्ण जातियों के बच्चों के भविष्य के साथ खेला जा रहा है | उन्हें ऐसे अपराध कि सजा दी  जा रही है जो उन्हों ने तो निश्चित रूप से न ही किया , उनके दादा - पड़दादा ने भी किया है या न ही किया पता नही ? लेकिन क्योंकि वो स्वरण जाती के बच्चे हैं इस लिए उन्हें ये " आरक्षण " का दंड भोगना ही पड़ेगा | किसी जाति विशेष में पैदा होना क्या किसी के बस कि बात है | अगर नही तो उसे ये " आरक्षण " का दंड क्यों ????? क्या कोई बताएगा ????६५ साल से हम " आरक्षण " के द्वारा एक " गढ्ढा " भरने कि नाकाम कोशिश किये जा रहे हैं ,लेकिन जो पास में जो दूसरा "स्वर्ण जातिका गढ्ढा " हो रहा है उसे कौन भरेगा ??????? है किसी के पास इसका जवाब ??? या स्वर्ण जाति के युवाओं कि "लाशों " से भरोगे इसे ????"उस " क्रांति से हुए नुकसान का कौन जिम्मेदार होगा ??? इसी लिए में कहता हूँ संभल जाओ देश के कर्णधारो !!!!!!! ये " आरक्षण " आतंकवाद से भी बड़ा " बोम्ब " है | ये फटेगा तो प्रलय आ जाएगी ??? यही समस्या है हमारी " जब कोई समस्या गर्भ में पल रही होती है " तब हम उसकी और ध्यान ही नही देते | और जब वो बड़ी हो कर एक कैंसर के रूप में फट पड़ती है तो हम कहते है कि ये कंहा से आ गयी ????? अब चाहे वो "आतंकवाद हो या नक्सलवाद " " असम समस्या हो या चीन समस्या " सब हमारे सोते रहने कि वजह से ही पैदा हुई हैं | ? ? ? ? ? ? ? पुराने नेता तो पुराणी प्रकीर्ति के ही हैं और रहेंगे | कृपया सभी आतंकवादी संगठनों से प्रार्थना है कि वो एक बार फिर हमारी संसद पर हमला करें , और सारे पुराने नेताओं से हमारा "पिंड " छुड़ा देवें | और हम देश हित में " नए - नेताओं " का चुनाव कर सकें ? हमें तो इस " व्यवस्था " ने " नपुंसक " जो बना दिया है | ? ? ?  " बोलो - जय - श्री - राम !!!  ------- हो गया ----- काम ??////????????///////???????//////??????

Friday, August 5, 2011

" kya manmohan sarkaar ne " vipaksh ko black - mail " kiya hai ...? ? ?

नमस्कार दोस्तों ! संसद के मान सून सत्र से पहले पी.एम्. ने एक ब्यान दिया कि " विपक्ष के भेद भी खोले जायेंगे " जिसे सुन कर सभी हैरान हो गए कि इसका क्या मतलब है ? सब ने यही सोचा कि चलो पी. एम्.ने सदन में विपक्ष कंही ज्यादा हल्ला न मचाये इसलिए बोल दिया होगा ?लेकिन बाद में जब बी.जे.पी. ने समझोता किया और लालू , मुलायम,मायावती,जैसी अन्य सारी पार्टियां चुप्पी साध गयीं , और कामरेडों ने वाकाउट किया उससे जनता में ये शक घर कर गया है कि अबकी बार संसद में सांसदों को समर्थन के लिए पैसा नहीं दिया गया है बल्कि पार्टियों को " ब्लैकमेल "किया गया है ?" खोजी पत्रकारों " को  इस विषय पर काम शुरू कर देना चाहिए | क्योंकि जिस प्रकार से विशेषकर कांग्रेसी सांसदों कि भाषा बदली हुई है ,वो भी ध्यान देने योग्य है | वो कह रहे हैं हम चुन कर आये हैं इसलिए हम जो कानून बनायें वो ही सही है ,जनता कि तरफ से नातो कोई समाज सेवी बोले और नाही कोई पत्रकार बोले | आप को बिल बनाना है तो पहले चुनाव जीत कर आइये | आज स्थिति ये हो गयी है कि लगभग सभी पार्टियों के ज्यादातर नेता "ढीठ ", " चोर " लुटेरे " और " ब्लेकमेलर " हो गए हैं ? इसका एक मात्र कारन है चुनावों में होने वाला " खर्च " " सच्चा " आदमी तो "रोटी - कपडा और मकान " में ही उलझा रहता है , बेचारा चुनाव लड़ने कि सोच ही नाही सकता | अगर कोई सोच भी ले तो जनता उसको जिताती नही | क्योंकि " जनता " तो चुनावों के समय में " जातिवाद , भाषावाद , क्षेत्रवाद , और नेताओं द्वारा दिए जा रहे अन्य प्रलोभनों में फंसी होती है , नतीजा ये कि ऐसे होनहार संसद सदस्य बन जाते हैं कि बाद में वो देश को दोनों हाथों से लूटने का कोई अवसर हाथ से जाने नही देते | कई नेता आजकल बोल ही नही रहे जैसे " अडवानी जी " जसवंत सिंह जी " आदि आदि | क्या सभी ब्लैकमेल हो रहे हैं | जागरूक नागरिकों को इसबारे में भी सोचना होगा | क्योंकि अगर कुछ सोचा नही गया तो आने वाली पीढियां हमें माफ़ नही करेंगी ? देश या तो दोबारा गुलाम हो जायेगा  या फिर ये भूखे " कुत्ते " देश को नोच - नोच कर खा जायेंगे ? संसद की कार्यवाही को ही इन गद्दारों ने मिलकर " तमाशा " बना कर रख दिया है ?यु.पी.ऐ.२ सरकार गुमान से भरी पड़ी है | "हे - राम " बोलना पड़ेगा ! जैसा मरते वक्त " महात्मा गाँधी  बोले थे ! ! ! " हे - राम ? 

Tuesday, August 2, 2011

" RISHTEDARIYAAN ---- MIDEA ----- KI ------ KAISI ------ KAISI-----???????"

रिश्तेदार बनने वाले दोस्तों ! नमस्कार ! दोस्त और रिश्तेदार बनने तथा दोस्ती और रिश्तेदारी निभाना कोई गलत कार्य नहीं है |लेकिन अगर चोर - पोलिस आपस में दोस्त या रिश्तेदार बन जाए  तो अचम्भा होता है ? जब से यह  देश आज़ाद हुआ है तभी से इसे कमज़ोर करने हेतु सभी तरीकों से  वार देश के दुश्मनों द्वारा  किये जा रहे हैं |विदेशी ताकतों ( मुस्लिम,इसाई व अन्य संगठन और विदेशी दुश्मन सरकारें ) ने भारत के हर क्षेत्र में इतनी गहरी पैठ बना ली है कि पता ही नहीं चलता कि किस रूप में दुश्मन हम पर वार कर जाए ? "वार" होने के बाद हम ढूंढते हैं कि दुश्मन किस भेष में बैठा था | वो मिल जाता है तो लाखों उसकी रक्षा करने,केस लड़ने,और इलाज करने में लग जाता है | हमारी सुरक्षा एजेंसियां पता नहीं कंहाँ सो रही हैं ? पकिस्तान को गलत लिस्ट दे देती है उग्रवादियों कि ,जिस से किरकिरी हो जाती है देश की | देश की पढ़ी - लिखी जनता देश के हालात " मिडिया  " से ही जान पाती है | हम सब यही समझते थे कि "मिडिया " सब कुछ सही बताता है | जब कि ऐसा है नहीं | पिछले कुछ वर्षों से ये देखने में आ रहा है कि "मिडिया " भी अपने "व्यापारिक स्वार्थ " पूरे करने में लगा है ,इतना ही नहीं वो जाने - अनजाने देश के दुश्मनों के हाथों में भी समय - समय पर खेल जाता है |आज कल तो घोटालों में भी "मिडिया" के लोगों का नाम आ रहा है ? अभी नेट पर एक लिस्ट प्रकाशित हुई है ,जिसमे मिडिया कि किस - किस के साथ ,कैसी कैसी रिश्तेदारियां हैं ये बताया गया है | ये भी बताया गया है कि वो किन - किन दुश्मन संगठनों से जुड़े हुए हैं ? जरा एक नज़र देखिये :- अरुंधती राय , प्रणव राय (नेहरु दय्नेस्ती टीवी - एन .डी.टी .वी.)की भांजी है | प्रणब राय " काउन्सिल आन फोरेन रिलेशंस " के सदस्य हैं | इसी बोर्ड के एक अन्य सदस्य हैं मुकेश अम्बानी | प्रणव राय की पत्नी हैं राधिका राय | राधिका राय, वृंदा करात की बहन है | वृंदा करात, प्रकाश करात (सी.पी.आई.) की पत्नी हैं |प्रकाश करात चैन्नई के "डिबेटिंग क्लब " के सदस्य थे |एन राम,पी.चिदम्बरम और मैथली शिवरामन भी इस ग्रुप के सदस्य थे | इस ग्रुप ने एक पत्रिका शुरू की थी " रेडिकल रिव्यू "|सी.पी.आई,(एम्) के सीता राम येचुरी की पत्नी हैं सीमा चिश्ती | सीमा चिश्ती "इन्डियन एक्सप्रेस " की रेजिडेंट एडिटर हैं | बरखा दत्त की माता हैं श्री मति प्रभा दत्त | प्रभा दत्त " हिन्दुस्तान टाइम्स" की मुख्य रिपोर्टर थीं | राजदीप सरदेसाई पहले एन.डी.टी.वी.में थे ,अब सी.एन.एन.-आई.बी.एन.के हैं , (दोनों ही मुस्लिम चैनल ) हैं |राजदीप सरदेसाई की पत्नी हैं सागरिका घोष | इनके पिता हैं डी.डी. के पूर्व महानिदेशक , भास्कर घोष |सागरिका घोष की आंटी है रुमा पाल | जो सुप्रीम कौर्ट की जज रह चुकी हैं |सागरिका घोष की दूसरी आंटी है आरुन्ध्ती घोष जो संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थाई प्रतिनिधि हैं | सी.एन.एन.-आई .बी.एन.का " ग्लोबल बिजनेस नेटवर्क " ( जी.बी.एन.) से व्यवसायिक  समझोता है |जी .बी.एन.टर्नर इंटरनैशनल और नेटवर्क -१८ की एक कम्पनी है |एन.डी.टी.वी.भारत का एक मात्र चैनल है जो पाकिस्तान में मंजूरी से दिखाया जाता है |इस तरह से ये लिस्ट बहुत लम्बी है | जिस से ये पता चलता है की किस प्रकार से एक जाल सा बुना गया है | इनकी गतिविधियाँ भी कई बार संदिग्ध  हो जाती हैं | लेकिन सुरक्षा एजेंसियां शांत हैं ???? सरकार को अपने ही देश में छिपे हुए दुश्मनों को जल्द से जल्द ढूंढ कर देश के सामने लाना चाहिए | चाहे वो नेता बना बैठा हो या पत्रकार , कोई अफसर बना बैठा हो या फोजी ,कोई मिस्त्री  बना बैठा हो या इंजिनियर आदि - आदि | छांट- छांट कर ढूंढो और मारो | देश - वासियों को भी प्रण लेना होगा कि हम चोक्क्न्ने रहेंगे और अपने आस-पास रहने वाले लोगों पर नज़र रखेंगे ताकि अगर कोई दुश्मन हमारे बीच में छुपा हो तो हमें दिख जाए | तभी देश का कुछ भला हो सकता है और हमारा भी |   

"निराशा से आशा की ओर चल अब मन " ! पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक)

प्रिय पाठक मित्रो !                               सादर प्यार भरा नमस्कार !! ये 2020 का साल हमारे लिए बड़ा ही निराशाजनक और कष्टदायक साबित ह...