Tuesday, November 29, 2011

" मुझे ठेका दे दो .......पूरे हिन्दुस्तान का " .....! !

सभी ठेकेदार मित्रो , अधिक बनाये हुए फर्जी बिल की तरह ज्यादा प्यार भरा नमस्कार !! दोस्तों वैसे तो मैं एक साधारण सा आदमी हूँ , लेकिन सोचता बड़ा हूँ और लिखता भी बड़ा हूँ !! मेरे एक मित्र ने एक दिन मुझसे पुछा की यार तुम्हारे घर में कभी लड़ने की आवाज़ नहीं आती , हमारे घर तो हर बात पर पत्नी से सर फुतोवल की नौबत बनी रहती है | तो मैंने उस मित्र को बताया की भाई देखो , हमने अपने अपने काम और उसका क्षेत्र बाँट रखे हैं , छोटे - मोटे कामों में मैं दखल नहीं देता और बड़े कामों और फैसलों में मेरी पत्नी नहीं बोलती | मेरे मित्र की  और जिज्ञासा जाग गयी ,वो बोला ..बताओ कौन कौन काम कैसे कैसे बांटे हैं , मैं बोला की जैसे बर्तन किसने धोने हैं , सफाई किसने करनी है और कपडे किसने धोने हैं या रोटी किसने बनानी है ,ऐसे कामों में मैं नहीं बोलता बस मैं चुप - चाप कर देता हूँ और अमेरिका की अर्थ निति कैसे चलेगी , इंग्लॅण्ड का प्रधानमंत्री कौन बनेगा और भारत की तरफ से पाकिस्तान कौन जायेगा आदि बड़े कामों में मेरी पत्नी नहीं बोलती बस मैं ही निर्णय करता हूँ ! तो साहिब ऐसी बातें करते करते मैं सो गया और एक सपना देखा रात को जो मैं आप सब मित्रों में बाँट रहा हूँ , आशा है की आपको भी पसंद आएगा !! हमारे प्रधानमंत्री विदेशी सौदागरों को काम बाँट रहे हैं इसी भावना के तहत मैं भी एक प्रार्थना - पत्र लेकर अपने मनमोहन जी के पास पंहुचा , और बोला की साहिब भारतियों से तो आजकल कोई काम होता नहीं इसलिए आप म्न्रेगा के तहत खाली बिठा कर मजदूरों को १०० रूपये दे रहे हो और वो निठ्ठले हो रहे हैं | आठवीं कक्षा तक बिना पढ़े ही पास कर रहे हो अच्छी दुश्मनी निकल रहे हो, देश का भविष्य कैसे उज्जवल हो पायेगा ?? सरदार जी बोले की देश का भविष्य बनाना किसको है , सोनिया जी का कहना है , सारा माल आपस में बाँट कर खाना है और विदेशियों को एक बार फिर भारत सौंपना है !!?? तो मैं बोला साहिब ! आप मुझे ही ठेका देदो इस देश का , आप लोगों को बोल देना की ये देश को सुधार देगा , सारा मिडिया आपका खरीदा हुआ है इसलिए वो आपकी हाँ में हाँ मिलाएगा ही , और ये N.G.O. किस दिन काम आयेंगे ?? विपक्षी पार्टियों की कमज़ोर नस आपके हाथ में है ही , बस कोई नहीं बोलेगा !! आप जैसे कहोगे मैं वैसे ही कर दूंगा !! ये बुद्धिजीवी थोड़ी देर हो - हल्ला मचाएंगे फिर चुप हो जायेंगे ?? साहिब बोले ठीक है पहले तुम ये बताओ की क्या करोगे ,  मैं बोला साहिब मैं सब से पहले देश और दुनिया को सबोधित करूँगा की मैं देश में पूरे बदलाव लाना चाहता हूँ इस लिए सभी मेरा सहयोग करें , फिर मैं सारे विदेशियों को ६ महीने हेतु देश से बाहर भेज दूंगा , सभी देश वासियों की अलग - अलग लिस्ट बनाऊंगा की कौन बेरोजगार है और वो क्या काम कर सकता है , उनसे वोही काम करवाऊंगा , जोकुछ नहीं जानते उन्हें वो ही सिखाऊंगा जिसकी देश को जरूरत है ! देश में वोही पाठ्यक्रम चलेगा जिसके प्रशिक्षकों की देश को जरूरत होगी | 90% पारदर्शिता लाऊंगा हर सरकारी कार्यक्रम में ! मैं पाकिस्तान , बंगलादेश ,श्रीलंका , नेपाल ,और भुत्तान को सारा भारत दे दूंगा और उस बड़े देश के एक प्रधान मंत्री और ५ उप - प्रधान मंत्री होंगे ! सब के समान अधिकार होंगे ! सेना को और मज़बूत बनाऊंगा ! टेक्स प्रणाली साधारण करूँगा !! किसी भी धर्म का कोई भी प्रदर्शन घर से बाहर नहीं होगा !! केवल अपने घर में ही जो जिसकी चाहे जैसे चाहे वैसे पूजा कर सकेगा और मौजूदा धार्मिक स्थलों आदि को शिक्षा स्थलों या अस्पतालों में बदल दूंगा !! हर व्यक्ति को 8. घंटे काम करना जरूरी होगा ! सबको 58.साल बाद रिटायर्मेंट और पेंशन दूंगा !प्रत्येक सरकारी कार्य को समयावधि में बाँध दूंगा !! किसी विदेशी को स्थायी तोर पर भारत में नहीं रहने दूंगा !! और भारत के सभी नए और पुराने देश भक्तों और शहीदों की जानकारी भारत सहित विदेशों में भी भेजूंगा !!   सरदार मनमोहन सिघ जी बोले अरे वाह !! मुझे पागल कुत्ते ने काटा है की तुम्हे फ्री में ठेका दूंगा ?? तेरे कहने पे देश में तो समस्या ही नहीं रहेगी तो हमें कौन पूछेगा ??? इसलिए चल भाग .....आया था मुझे बेवकूफ बनाने ? मैं बोला सरदार जी , आएगा वो भी समय जब कोई मेरे विचारों वाला इस देश की सत्ता को संभालेगा , और तब ये देश दुबारा " सोने की चिड़िया बनेगा ?? अब तो लोग शरीफ आदमी को ये समझ कर वोट ही नहीं देते की ये कौन सा जीत पायेगा ?? लेकिन जल्द ही देशवासी ऐसे ही दृढ इच्छा शक्ति वालों को ढूंढ कर जिताएंगे और वो लोग एक ही संसद की बैठक में एक साथ ये सारे प्रस्ताव पास करके ही उठेंगे ????  बोलो ...JAI...SRI...RAAM...!!!  

Sunday, November 27, 2011

" नेता " - किधर - ले - कर - जा रहे हैं , देश को ......? ? ?

प्रिय मित्रो , नमस्कार स्वीकार हो !! भारत में  लोक तंत्र है ! ये लोक तंत्र भी बड़ी कमाल की चीज़ है ! इसमें सब समझते हैं की " पावर " अपने हाथ में है ! लेकिन वास्तव में होती किसी के हाथ में नहीं ?? जैसे , जनता समझती है की हम नेताओं को अपने देश को चलाने के लिए उन्हें संसद में भेजते हैं , और वो हमारे सेवक हैं , जबकि वास्तव में ऐसा है नहीं , कभी किसी ने किसी नेता को ऐसी जगह बतियाते सुना हो जन्हा सारे उस जैसे ही बैठे हों , तब उनकी असली भाषा और मनःस्थिति का पता चलता है ???? सार्वजानिक जगह पर नेता जिसे माई - बाप कहता है , पीठ के पीछे उसे क्या बोलता है अगर मैं यंहा पर बता दूं तो सच बाहर आ जायेगा .....???नेता न्यायालय के आगे बेबस है , न्यायालय अफसरों के आगे बेबस है , अफसर जनता और नेता के आगे बेबस हैं || इनके बीच में धक्के से घुसे मीडिया ने अपनी जगह अब पक्की कर ली है ?? पहले सिर्फ अखबार छपते थे तो इसे लोक तंत्र का " चोथा " खम्भा कहा गया ? अब तो टी .वि . मिडिया , और इन्टरनेट मिडिया ,पांचवां और छठा खम्बा लोक तंत्र का बन गए है ?? न सिर्फ बन गए हैं बल्कि ये भी बड़ी भारी ग़लतफ़हमी का शिकार हैं की इनके कारन ही देश में जो कुछ हो रहा है वही होगा ?? इसी लिए मनमर्जी की विडिओ क्लिप तैयार करते हैं , पहले समझा कर नेताओं के बयान लेते हैं , उकसा कर जनता से प्रदर्शन करवाते हैं और न जाने क्या - क्या ....?भारत के पुराने नेता , महात्मा गांधी , पंडित जवाहर लाल नेहरु , पंडित राजिंदर प्रसाद , सरदार पटेल श्रीमती इंदिरा गांधी जी का पहला शासन काल तक तो सब कुछ सही था , आपसी स्नेह था , जीवन - मूल्यों पर चल रहा था , लेकिन उसके बाद जो गिरावट आई है , हर क्षेत्र में की पूछो मत ....? माननीय कृषि मंत्री जी को चांटा जड़ दिया गया , सारे नेता एक ही भाषा बोलने लगे , साथ चमचागिरी करने वाले लोग और मिडिया देने लगा , तनख्वाह बढवाने और मुसीबत में ये नेता एक हो जाते हैं ?? असली स्थिति की कोई व्याख्या नहीं करता ?? प्रणब जी कहते हैं की " पता नहीं देश किधर जा रहा है " मैं कहता हूँ की वन्ही तो जा रहा है , जिधर आप ले जा रहे हैं ????  ये कान्ग्रेस्सी लोग जब केंद्र में सरकार बनानी होती है तो छोटी पार्टियों के नेताओं की लीला - पोची कर्ट है " साम्प्रदायिकता के नाम पर ?? और जब प्रदेशों में चुनाव होते हैं तो राहुल बाबा जाकर कहते हैं की मुझे बहुत गुस्सा आता है क्या आपको नहीं आता , " लो गुस्सा आ गया " अब वही राहुल बोलते हैं की मैं तो उत्तर प्रदेश हेतु कह रहा था ?? गुस्सा दिल्ली में कैसे आ गया ?? कभी  कहते हैं की यू .पी . के लोग दुसरे प्रदेशों में जाकर भीख मांगते हैं ?? पता नहीं कौन आजकल उनका और भारत सरकार का सलाहकार है ?? जो सब को उग्र भाषा बोलने हेतु उकसा रहा है ?? जनता कहती है मंहगाई बढ़ रही है तो मंत्री बोलते हैं ये तो और बढ़ेगी ? तो जनता क्या करे गी ?? प्रधानमंत्री जी तक ये कहते हैं की जनता की खर्च करनेकी क्षमता बढ़ गयी है , इस लिए मंहगाई बढ़ रही है आदि आदि , ये सब जनता को उकसाने वाले ब्यान हैं जो पता नहीं किसके निर्देशन में दिए जा रहे हैं , और फिर जनता को ही दोषी बताया जा रहा है ??? ये तो वो बात हुई की "थप्पड़ भी मार दिया , और पूछते हैं की रो क्यों रहे हो ???? बोलो --जय --श्री -- राम -- !! 

Thursday, November 24, 2011

"सरदार" ने मारा .." थप्पड़ " " सरदार " के " कृषि मंत्री "को , क्यों निंदनीय है ये " महान कार्य " ?

ऐतिहासिक कार्य करने और देखने वाले मित्रो , करारा नमस्कार ! आज देश में एक और ऐतिहासिक घटना घट  गयी | आज एक सरदार ने हमारे देश के प्रधान मंत्री सरदार मनमोहन सिंह जी के कृषि मंत्री श्री मन शरद पवार जी को एक " करारा  थप्पड़ जड़ दिया है | दिखा तो वो ये रहा था की वह सर्कार की नीतियों से पीड़ित हो कर ऐसा कर रहा है लेकिन वास्तव में वो किसी के बहकावे में आकर भावुक हो गया और ये कर बैठा ?? उसी तरह थप्पड़ खाने वाले मंत्री जी अब कह रहे हैं दिखाने  के लिए की " मैंने समझा की किसी पत्रकार का झटका मुझे लगा है , ऐसे झटके तो रोज़ हम जैसे मीडिया से घिरे लोगों को लगते ही रहते हैं "??? और ये भी दिखावे के लिए ही कहा की " इसे सब इतनी गंभीरता से मत लें " | ?? प्रणब डा कह रहे हैं की " पता नहीं देश कान्हा जा रहा है "??? है  भाई वन्ही तो जा रहा है जन्हा आप जैसे नेता ले जा रहे हैं ?? अभी ४दिन पहले हमारे राहुल बाबा ने u.p. में जा कर जनता से पुछा था की भाइयो आपको " गुस्सा " क्यों नहीं आता ???? लो आ गया गुस्सा !! यशवंत सिन्हा जी ने तो कल ही भविष्य वाणी कर दी थी की " संभल जाओ " पता नहीं कान्हा गुस्सा फूट जाये ?? अब कांग्रेस विपक्ष को , और विपक्ष सर्कार को दोषी ठहरा रहे हैं ?? सांप गुज़र गया और लकीर पीट रहे हैं ??? यानि थप्पड़ खाने के बाद भी ससुरे  नेता सही बात पर नहीं आ रहे ??? किसी पर जूते चल गए कोई काबिन में पिट  गया लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ता  ??  मैं कहता हूँ संभल जाओ नेताओं !!  कंही जूतों से सेवा न करदे जनता ???? सब इसको निंदनीय कार्य बात रहे हैं ?? मैं कहता हूँ की क्यों है ये निंदनीय कार्य ............आप ही बातें ....????जब कोई ढीठ पुणे की हद्द ही पार कर जाए तो जनता बेचारी क्या करे ......??

Wednesday, November 23, 2011

माया -- माया -- माया , काम -- काम -- और ... " काम ".. तो कैसे मिले " राम " ? ?

" माया और काम "प्रेमियों राम - राम !! भक्त जनों ! जब सारी दुनिया मोह,माया,काम,क्रोध,और लोभ में फंसी हुई है तो भारत के नेता,अफसर,व्यपारी,कर्मचारी और ठेकेदार इन बन्धनों में फंसे हैं तो कोई क्यों जल - भुन रहा है ? अब सतयुग तो कोई है नहीं जो राम राज्य आ जाए ? बी.जे.पी. वाले तो ऐसे ही शोर मचा रहे हैं !आज श्री मति मृणाल पण्डे जी ने बहुत खुबसूरत लिखा है की " जब मिडिया स्वयं एक व्यपारिक संसथान बन कर रह गया है तो दुसरे से कोई ये आशा क्यों लगाये बैठा है की वो धन के पीछे नहीं भागे , सिर्फ अपना फ़र्ज़ निभाए ?? मंहगाई इतनी हो गयी है की २४ घंटों में १८ घंटे काम करना पड़ता है आदमी को खून पसीने की कमाई से अपना परिवार पालने हेतु ? बिना भ्रष्टाचार या बैमानी से अमीर नहीं बना जा सकता ? ऐसा लगभग सब का मानना है ? इसी लिए चारो और सिर्फ माया ,माया ,माया और माया को पाने हेतु काम , काम और "वो" वाला "काम" !? कभी किसी की सी.डी. और कभी किसीकी , कभी एक ही जाती मैं शादी का रोना तो कभी साधू ४ बच्चों की माता को भगा ले गया ?? रोज़ नए - नए घटना क्रम देखने और सुनने को मिल जाते हैं|ये प्रसंग ही ऐसे हैं की "मियाँ - बीवी राज़ी तो क्या करेगा क़ाज़ी ???? 80%से ज्यादा बलात्कार के केस फर्जी होते हैं | अब प्यार हो गया तो हो गया चाहे वो एक रात का हो या ७ जन्मो का ?? उस से किसी को क्या फर्क पड़ता है ?? जब भारत मैं " गे " कानून बन सकता है , भारत के इतिहास को बिगाड़ा जा सकता है , भारत के रीती रिवाजों को खराब किया जा सकता है , देश भक्तों को भुलाया जा सकता है , जब भारत के कानून को तोडा - मरोड़ा जा सकता है और राजनितिक दल अपने अनुसार देश के फिर से टुकड़े कर सकते हैं तो इस " काम " वाले कानून को व्यस्क स्त्री - पुरषों के स्वयं के विवेक पर क्यों नहीं छोड़ा जा सकता ???चाहे वो स्त्री हो या पुरुष सारे दिन की भाग दोढ के बाद अगर वो चाय और ठन्डे की तरह शारीरिक प्यास मिटानेहेतु किसी के साथ रजामंदी से हम बिस्तर हो चाहता या चाहती है तो किसी को क्यों ऐतराज़ होना चाहिए ?? बदल दो ये कानून वो कानून और सारे कानून ?? और करो सब अपनी मन - मर्ज़ी फैलने दो अराजकता ? आने दो प्रलय को " ससुरी ये दुनिया जितनी जल्दी समाप्त हो जाये उतना ही बढ़िया है " नयी शुरुआत हो,दोबारा से सतयुग आये ,तभी राम आयेंगे  और तभी राम राज्य आएगा !!नहीं तो ये आधुनिक नेता , समाजसेवी ,पत्रकार और tv. फिल्म वाले, भारत को ऐसी गर्त में धकेल कर छोड़ेंगे की मानव जाती अपने आदर्शों को न केवल भूल जाएगी ,बल्कि ऐसे उटपटांग कानून बनाने का समर्थन भी करने लगेगी , जिस तरह से मैंने ऊपर लिखा है | मेरी बात पर मत जाना मैंने तो उधारण दिया है .....??? बोलो जय श्री राम !!  जैसे कोई ग्रहण लग गया हो इस देश को ..????????  

Sunday, November 20, 2011

अडवानी जी की " चेतना - यात्रा " से " चेतना " .." जागी -- या --भागी "......? ?

चेतन मित्रो , चेतनता भरा नमस्कार स्वीकार हो !! हमारे आधुनिक " सरदार पटेल ", बुज़ुर्ग होते हुए भी जवान नेता , बेदाग़ छवि वाले , और सच्चे "राष्ट्र भक्त "श्री लाल कृष्ण अडवानी जी वैसे तो अपने राजनितिक जीवन में कई बार यात्राएँ निकाल चुके हैं जिनके फलस्वरूप स्वयं और पार्टी को सत्ता सुख दिला चुके हैं | इसमें कोई शक नहीं है | परन्तु उनकी यात्रा में जगह - जगह जिस प्रकार से खाली कुर्सियों और अजीब से सुने पण का आभास हुआ है वो पहले की यात्राओं में नहीं था ?? इस से कई प्रश्न खाए हो जाते हैं जिनका जवाब ढूंढना बहुत आवश्यक है ??क्यूँ जनता और कर्यकर्ताओं ने सक्रियता नहीं दिखाई ?? कौन ऐसे व्यक्ति या संगठन हैं जो नहीं चाहते थे की ये यात्रा ऐतिहासिक बने ?? विश्व हिन्दू परिषद् जिसने अडवानी जी की पहलेवाली यात्रा से करोड़ों रूपये इकठ्ठे कर लिए जिनका हिसाब कभी नहीं दिया गया , वो इस बार की यात्रा में कंही नज़र नहीं आई ?? आर .एस .एस . के स्वयं सेवक भी खाना - पूर्ती करते नज़र आ रहे थे ?? क्या इस यात्रा को नाकामयाब बनाने में उन्होंने भूमिका निभाई जो श्री नरेंदर मोदी जी को अगला पी . एम् . बनाना चाहते थे ?? कोई तो बड़ा तत्व है जो बी .जे .पी . को अपने बूते आगे नहीं बढ़ने देना चाहता ?? ये वो ही तत्व है जिसने ,श्री कल्याण सिंह , मदन लाल खुराना , साहिब सिंह , जसवंत सिंह और श्री मति वसुंधरा राजे को आगे बढ़ने से रोका ??? और भी बहुत से ऐसे नाम हैं जिन्होंने अपना जीवन पार्टी के लिए लगा दिया , लेकिन उन्हें अचानक " पीठ " में वर करके मार दिया गया ?इनमे डा . महेश शर्मा , सु श्री उमा भारती और माननीय गोविन्दाचार्य जी मुख्य हैं ???बड़े कार्यकर्ताओं का जब ये हाल है तो छोटे कार्यकर्त्ता तो बेचारे किस खेत की मूली हैं ....? छोटे कार्य करता का आधा जीवन तो एम् .एल .ऐ .,एम् पी . , पार्षद और डायरेक्टर जिताने में ही निकल जाता है बाकी का जीवन आरक्षण के तहत नंबर आने की प्रतीक्षा करने में बीत जाता है ?? क्या बी .जे .पी . क्या कांग्रेस कोई भी दल अब मोका परस्तों , दलालों , ठेकेदारों , वकीलों ,और चमचा गिरी करने वालों जैसे लोगों से भरा पड़ा है ??? पार्टी की रीती -- नीतियों से प्रभावित और निष्ठावान कार्यकर्ताओं की कंही भी इज्ज़त नहीं है ?? सिर्फ भाषणों में ही इनका महत्व नज़र आता है ???? या फिर चंदा इकठ्ठा करने , दरियां बिछाने और चुनाव के दिनों में या प्रदर्शन में भीड़ का हिस्सा बनाने हेतु याद किया जाता है ??? कोई बड़ा नेता आ रहा हो या किसी बड़े अफसर को मिलने जाना हो तो अलग क्वालिटी के " नेता "  जाते हैं ??? इसी क्वालिटी के नेताओं से हर पार्टी का कार्यकर्त्ता और भारत की जनता परेशान है ??? जिसकी वजह से ज्यादातर ऐसे कार्यक्रम , प्रदर्शन और रैलियां फेल हो जाती हैं ?? पर वो नेता ही क्या जो असलियत को कबूल करले ....?? बड़ी ही " हरामजदगी " से वो नेता स्टेज पर खड़े हो कर दांत निकालता  है और " बेशर्मी "से अपनी और अपनी पार्टी की असफलता का कोई झूठा बहाना बना देता है ??? इसी लिए मैंने अपने पाठकों से ये पूछा है की " आडवानी जी की चेतना यात्रा से चेतना " .....जागी ......या ...... भागी ...??? बोलो जय श्री राम !! 

Tuesday, November 15, 2011

" सामूहिक स्तीफा "गहलोत सरकार का भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने की कवायद या अपनी कुर्सी बचाने का प्रयास ?

प्यारे मित्रो , सादर नमस्कार ! भारत के प्रान्त राजस्थान में पिछले कुछ महीनो से श्री मन अशोक गहलोत जी बड़े ही असमंजस में चल रहे थे , उनका कोई मंत्री तो " राजाओं "की तरह अपनी रातें रंगीन कर रहे थे , तो कोई गलत निर्णय ले रहे थे | कई मंत्री ऐसे थे जिन्हें राज - काज चलाना ही नहीं आता था , तो किसी की अफसर ही नहीं सुनते थे ?? हाई - कमांड तक संगठन रोज़ शिकायतें पंहुचा रहा था ? जब " पोल " खुलने लगी तो गहलोत जी ने सब बुरे कार्यों और बुरे मंत्रियों के ऊपर पर्दा डालने का एक असफल प्रयास किया की " सामूहिक स्तीफा ले लिया | और वो ही ६ मंत्री हटाए जो किसी न किसी रूप में आने वाले समय में स्तीफा देते ही देते ?? २ वर्ष से ज्यादा समय अभी पड़ा है देखते हैं अब नए मंत्री क्या गुल - खिलाते हैं ?? अभी - अभी गहलोत जी ने प्रदेश में " सिटिजन - चार्टर " कानून भी लागू किया है उस से पहले सभी अस्पतालों में मुफ्त दवाइयों का वितरण भी शुरू किया गया है जिसकी रिपोर्ट भी कोई संतोष जनक नहीं है |कोई भी योजना शुरू करने से पहले उसकी आवश्यकता कितनी है और स्टाक कितना है ये जांच लेना चाहिए , शुरू से ही अव्यवस्था फैलना तो यही दर्शाता है की अफसर लोग नेताओं को " घुमा " रहे हैं ? अभी तलक प्रदेश और देश में नेताओं को ये नहीं पता की वास्तविक गरीब कौन हैं कितने हैं ?? तो ये योजना कैसे सही बना पाएंगे ?? वास्तविक बेरोजगार कितने और क्यों हैं जब इन्हें यही नहीं पता तो उनके लिए नौकरियां कन्हा से पैदा कर पाएंगे ??एक लतीफा मशहूर है की " एक अँगरेज़ कई दिन भारत मैं गुज़ार कर जब वापिस जाने लगा तो किसी ने उसे पुछा की भारत कैसा लगा ? यो वो बोला की पहले तो मैं नास्तिक था , लकिन अब मैं भारत में रह कर आस्तिक हो गया हूँ | पूछने वाले ने फिर पुछा की क्यों ,कैसे ? तो वो अँगरेज़ बोला की यंहा १०० में से ९९ बे ईमान , और फिर भी ये देश तरक्की कर रहा है , इस लिए मैं आस्तिक हो गया | पूछने वाला तो पता नहीं शर्म सार हुआ या नहीं , लेकिन सच्चे देश वासी अवश्य शर्म सार होते हैं || यंहा तो नेता गुंडा गर्दी ,हेरा फेरी और चोरी में तो माहिर हो ही गए हैं , सीना - जोरी में भी माहिर हैं || गहलोत जी सोनिया जी के सामने " कुछ का कुछ " कहकर इस बार तो अपनी गद्दी बचाने में सफल हो गए हैं लेकिन जनता से बचा पाएंगे या नहीं ये देखना है ?? क्योंकि बकौल अन्ना जी और भारतीय संविधान के असली मालिक तो लोक तंत्र की जनता है || जय श्री राम बोलना पड़ेगा जी तो बोलो सब मिलके ..... जय श्री - राम ....!!  

Sunday, November 13, 2011

" पारसी ,भंवरी के भंवर में फंसे राम व महिपाल ? आनंदित मीडिया और पीड़ित जनता ?? "

 दूसरों को फंसा देख हंसने वाले मित्रो , हँसता हुआ राम - राम !! भाई वाह ! पत्नी हो तो महिपाल जी की श्रीमती लीला देवी जैसी जिन्होंने मुश्किल के वक्त में अपने राजस्थान के मंत्री श्री मन माहि पाल जी का जो सपोर्ट किया है सपोर्ट ही नहीं जिस प्रकार से मीडिया के खिलाफ " युद्ध " की घोषणा की है , वो तारीफ़ के काबिल है | इन मीडिया वालों को भी दूसरों के मामलों में टांग फंसाने की कुछ ज्यादा ही आदत हो गयी थी | उन्होंने अपने समर्थकों को स्पष्ट कह दिया की ये जितना हमें नुकसान पंहुचा सकते थे इन्होने हमें पंहुचा दिया , अब इनको और इनके कैमरों को तोड़ दो !! तो भागते और गुहार लगाते नज़र आये ये आनंदित होते पत्रकार ???एक महिना हो गया भंवरी देवी को लापता हुए लेकिन इन मीडिया वालों ने तब तक मामले को देश की जनता तक नहीं लाये जब तलक इसमें मंत्री जी नहीं आये ?? पारसी देवी की हत्या हुई या वो आतम हत्या थी आज तक पता नहीं लग पाया ?? बस चलादी फिल्म , बढ़ गयी टी .आर . पी . ?? जनता ऐसे कई गुंडा टैप नेताओं से रोज़ परेशान होती है , उनके घरों पर कब्जे हो जाते हैं और रोज़ बहु - बेटियों की इज्जत दाव पर लग जाती है तब ये " दिखाने वाला मीडिया सोया रहता है ?? तब तलक नहीं जागता जब तलक उस घटना - दुर्घटना में मसाला नहीं मिलता ??? बेचारा प्रिंट मीडिया सही काम करता रहता है ...???कई बार तो ये चेनल वाले कई दिनों तक मामला दबाए - छुपाये रहते हैं " मौका " आने पर ही दिखाते हैं ????   अब जरा इन नेताओं की भी खबर ले लें , जन्हा तलक " पर - नारी " से सम्बन्ध रखने की बात है तो हमारा इतिहास बतलाता है की इस मामले में अमीरों के लिए अलग और गरीबों के लिए अलग कानून और धर्म है | राजे - महाराजे जितनी चाहे रानियाँ रख सकते थे और हर रात को रंगीन बनाने हेतु एक रात की दुल्हन की व्यवस्था हो जाती थी और है | तुलसी दास जी भी लिख गए हैं की " समरथ को नहीं दोष गोसाईं " | और गरीब किसी की और आँख उठा कर भी अगर देखले तो सारा समाज उसे दुत्कारने , मारने और समझाने लग जाता है ?? हर आदमी मौका मिले तो गंगा में नहा लेना चाहता है बस बात " मेनेज " करने की है !! ये " दो - बेचारे " तो बस " मेनेज " ही नहीं कर पाए ! इसी लिए सरकार से बाहर हो गए हैं ?? नहीं तो क्या पक्ष और क्या विपक्ष , क्या राजस्थान और क्या देश सब जगह यही चल रहा है की अगर रजामंदी है तो मज़ा करलो !! कौन देखता है ?? जिस प्रकार छोटे चोर पकडे जाते हैं उसी तरह छोटे आशिक मिजाजी पकडे जाते हैं और बड़े छूट जाते हैं ?? जो पकड़ा जाए वो चोर वाली कहावत फिट बैठती है ?? मैं तो कहता हूँकि अब ये पुराने क़ानून वापिस ले कर नए कानून बना देने चाहियें की अगर दो व्यस्क आपसी सहमती से " शारीरिक सम्बन्ध " बनाते हैं तो कोई अपराध नहीं है !! और फिर बलात्कार की सजा " मौत " होनी चाहिए बशर्ते वास्तविक बलात्कार होना चाहिए ?? अपराधियों के अपराध साबित करने और सजा देने का काम न्यायालय का है मीडिया का नहीं एल .ओ . सी . किसी को नहीं लांघनी चाहिए !! श्रीमती लीला वती जी को भी नहीं ?? बोलो जय श्री कृष्ण ....!!! क्योंकि रास और कूटनीति के देवता श्री कृष्ण ही हैं इसलिए सब मिल कर बोलिए .... जय - जय श्री कृष्णा ....!! जय ....श्री कृष्णा ...!!!

Thursday, November 10, 2011

" भारत -- के -- भस्मासुर " ये -- " कान्ग्रेस्सी "...? ?

भारत प्रेमी मित्रो , प्यारा सा नमस्कार !! कल हमारे अर्थ - शास्त्री प्रधान - मंत्री जी ने पता नहीं कौन सा "अर्थ " निकालते हुए पकिस्तान के खूबसूरत प्रधान - मंत्री जी को " शांतिदूत " की उपाधि से नवाज़ दिया ?? सारे देश वासी हैरान - परेशान हो गये और लगे एक दुसरे से पूछने की ये क्या बात हुई ? कौन सा ऐसा काम पाकिस्तान के प्रधान - मंत्री जी ने कर दिया , कोई तो बताओ ??सरकार के चमचे पत्रकार और नेता लगे बचाव करने ऊटपटांग ब्यान देकर !! पर जनता को ये सब हज़म नहीं हो रहा है !! सब से ज्यादा दुखी तो हमारे सेन्य अधिकारी थे ,उनका कहना था की पहले नेहरु जी ने कश्मीर का मामला बीच में रखवा दिया , फिर इंदिरा जी ने शिमला समझोते में जीता हुआ इलाका वापिस करवा दिया और अब " सरदार " जी ने दुश्मन को शांति दूत घोषित कर दिया ?? मरते तो युद्ध में भारत वासी हैं और ये नेता सब " घोल - मोल " कर देते हैं !! पता नहीं किस से डरते हैं ये राजनेता ??? लड़ाई से या अमेरिका से ?? जनता जानना चाहती है !! जनता इन नेताओं को चुन कर संसद में भेजती है , जहां इन्हें बेमिसाल अधिकार मिलते हैं जिनका उपयोग ये नेता अपने फायदे और जनता के ही नुकसान हेतु उपयोग करने लग जाते हैं ??? चाहे वो मंहगाई हो या भ्रष्टाचार , देश की तरक्की की योजनाएँ हो या विदेश निति सब जगह भस्मासुर की तरह शक्तियां प्रदान करने वाली जनता को ही नुकसान पंहुचने वाले कृत्य करते हैं ये " कांग्रेसी "?? जनता इनको हर चुनावों में भगाने का प्रयास करती है लकिन ये चुनावों के बाद " साम्प्रदायिकता का ऐसा राग गाते हैं की मोका परस्त छोटी पार्टियों के नेता अपनी जीभ लप - लापाते आ जाते हैं और इनकी सरकार बना देते हैं !! और जब ४ साल बीत जाते हैं तो वोही छोटी पार्टियों वाले नेता इन्हें गालियाँ निकाल कर फिर जीत जाते हैं ???? जनता फिर अपने आपको  ठगा हुआ सा महसूस करती है !! भगवान् करे तीन - चार सो " भंवरी - देवियाँ " और पैदा हो जाएँ और एक " महिपाल " की तरह बाकी नेता भी जनता के सामने नंगे हो जाएँ , जैसा की राजस्थान में हुआ है !! भस्मासुर को भी तो भगवन ने मोहिनी का रूप धर कर ही मारा था !! इन भ्रष्ट नेताओं से भी ऐसे ही हमें मुक्ति मिलेगी !! क्या ये नेता चाहते हैं की यंहा भी पकिस्तान की तरह सेना सत्ता संभल ले जनता के समर्थन से !! हर चीज़ की कोई " हद्द " होती है ???/ न जाने कब अकल आएगी इन " कर्ण - धारों " को ?? जय शंकर की बोलना पड़ेगा जी , क्योंकि भस्मासुर को शक्तियां उन्होंने ही दी थी और मुक्त विष्णु जी ने करवाया था इसलिए सब बड़े ही प्रेम से बोलिए जय -- शंकर KI....!! और जय लक्ष्मी - नारायण ....!!

Tuesday, November 8, 2011

जेल में......." नेता "........ " बिग - बॉस में ....." स्वामी "...? ? ?

दुनिया  भर के व्यस्क मित्रो , "  प्यार " भरा नमस्कार !! आज  का मेरा लेख केवल वयस्कों हेतु है कृपया इसे रात्री दस बजे के बाद ही पढ़ें ! क्योंकि आजका विषय ही ऐसा है !" जेल में नेता,बिग -बॉस में स्वामी और भाड़ में जनता चली गयी है ???? और पत्रकार ख़बरें छाप,पढ़  और सुना रहे हैं !! पत्रकारों कभी कई खेमे बने हुए हैं | कभी कभी तो ऐसा लगता है की सब कुछ जैसे " कॉर्पोरेट - जगत " के वश में हो गया है|| क्या राजनितिक दल , क्या सरकारी योजनाएँ, क्या एन.जी.ओ. और क्या मीडिया सब इनके चंगुल  में फंसे हुए हैं या मौज कर रहे हैं ||  किसी को भी अपना फ़र्ज़ ,देश और धर्म याद नहीं आ रहा .....!! कोई हिम्मत करके अन्ना जी जैसा अपनी टीम बना कर इन्हें चेताने की कोशिश करता है तो राक्षसी वृति से उसे रोक दिया जाता है !! यही प्रकिरिया हर छोटे - बड़े स्तर पर होती देखी जा सकती है !! शायद यही परमात्मा की भी मर्ज़ी है क्योंकि अगर ये सब नहीं होगा तो प्रलय कैसे और कब आएगी ....???? नेता जी जेलों में क्यों हैं ये तो शायद अब किसी से भी छुपा हुआ नहीं रह गया है !! और न ही मीडिया पक्षपाती क्यों है ,ये किसी से छिपा है !!नया काम तो सरकारी स्वमी और द्विग्विज्य सिंह के सगे भाई अग्निवेश ने किया है, वो " आर्यसमाज " के पवित्र - मन्त्र उन बालाओं को सुना कर सुधारना चाहते हैं जिन्हें उनके माँ-बाप और गुरु जन नहीं सुधार पाए ....???? जिन्हें पैसा ही उल-जलूल हरकतें करने का मिला है ??? कल एन.डी.टी.वी.की बहस में एक महिला बहस करती हुई यंहा तक कह गयीं की इनका बस चले तो पैसे वाले या बिग - बॉस वाले बाथरूम   में भी केमरे लगवा देवें !! विश्व के कई देशों में रात को ब्लू - फिलम भी चलती है ...वो भी चलवा दो ...?? कईयों को तो ये भी सभावना नज़र आती है कि स्वामी जी सच मुच उन लड़कियों को सुधार ही देंगे ?? इतना आशा वादी होना भी ठीक नहीं है ||  सरकार के पास हर प्रकार के पुर्जे उपलब्ध हैं जिनका वो समय - समय पर उपयोग करती है , उन में से ये " स्वामी अग्निवेश " भी एक है !!  अब तो जय राम जी की बोलना ही पड़ेगा ....बोलो ....जय ....श्री  ....राम ...!!!  

Friday, November 4, 2011

" खेल में जेल " .... ये है खेल क्रिकेट का..? " इंसाफ जिंदा है !

क्रिकेट प्रेमी मित्रो , नमस्कार स्वीकार करें !! कल क्रिकेट के तीन खिलाडियों को आखिर कार जेल हो ही गयी ! ये देखना जरूरी नहीं है कि किस देश के खिलाडी हैं बल्कि देखने वाली बात ये है कि भगवान के घर देर है अंधेर नहीं है ...? आई.सी.सी. हो या बी.सी.सी. या पी.सी.सी. या कोई और सब ने पिछले २० सालों से लूट सी मचा रखी है ...? क्या खिलाडी ,क्या कोच  ,क्या सलेक्टर सब हमाम में नंगे थे लेकिन सबूत नहीं थे || पहली बार सबूत मिले ,चोर पकडे भी गए और सज़ा भी हुई ??? परमात्मा भी कभी - कभी मनवा देता है कि मैं हूँ ?? हजारों करोड़ रूपये का " सट्टा " हर बाल पर लगता है जिसका हिस्सा पुलिस,नेता,और प्रबंधकों तक जाता है ?? कोई भी बोर्ड अपने देश के प्रति जवाबदेह नहीं है और सहूलियतें सारी लेते हैं ?? भारत के खेल मंत्री इन्ही बातों  को  लेकर एक " बिल " संसद के शीतकालीन सत्र में पास कराना चाहते थे , लेकिन उन्हें डांट कर बिठा दिया गया ...??? अब जब पी.एम्. में हिम्मत नहीं बोलने कि तो भला खेल मंत्री की क्या औकात की वो "चूँ" भी कर जाय.....??? ऐसा बिलकुल भी नहीं है कि मैच - फिक्सिंग सिर्फ पाकिस्तानी ही करते है कम,ज्यादा सभी देशों के खिलाडी ऐसा कर चुके हैं ...? समय आ गया है कि सभी देश सख्त कानून बनाएं , भरपूर टेक्स वसूल करें और खिलाडियों के लिए नियम बनाये जाएँ...!! सब काम पार दर्शी होना चाहिए || क्योंकि आखिर आम जनता का धन और समय बर्बाद हो रहा है .....??? मुझे तो यंहा तक शक है कि राजनितिक दलों  के खर्चे भी इसी पर निर्भर हैं ......राम.......जाने.....???????? क्या...होगा....आगे...??? 

" पार्टियों " के - " वर्कर.".... या -- " बंधुआ -- मजदूर "......???

राजनितिक दलों हेतु, जिंदाबाद - मुर्दाबाद करने वाले प्रिय मित्रो , प्रदर्शनी नमस्कार !! आज समाचार आया कि  राजस्थान प्रदेश कोंग्रेस अध्यक्ष श्री चंद्रभान जी के समक्ष पार्टी कार्यकर्ताओं ने अपना " दुखड़ा " सुनाया कि किस तरीके से कार्यकर्त्ता " अपनी " जान - पहचान ,मेहनत और  लगन "से नेताओं को चुनाव जिताकर  विधान- सभा व लोक - सभा में भेजता है ??  वो  ये नहीं देखता कि प्रत्याशी किस धर्म,जाती और इलाके का है ?? कार्यकर्त्ता ये भी नहीं देखता कि पार्टी ने इस प्रत्याशी को टिकट उसके गुंणों को देखते हुए दी है या प्रत्याशी ने पार्टी से " मोल " खरीदी है ????  "निष्ठा" से बंधा कार्यकर्त्ता यो  अपना फ़र्ज़ निभाता है और उसे जिताने का प्रयास करता है || लेकिन सत्ता में आने के बाद "  मेहनती और निष्ठावान " कार्यकर्त्ता  जब जनहित कार्यों की बात भी करते हैं तो न सत्ता और न  ही संगठन उनकी बातों पर ध्यान देते हैं  ||  कार्यकर्ताओं की राजनितिक नियुक्तियों में भी " देर - अंधेर " दोनों जानबूझ कर की जाती है || " चमचे,चाटुकार, ठग , चोर और वाक्चातुर्य के धनि लोग इस तरह से उस नेता के आस-पास मंडराने लगते हैं की जैसे उनसे बढ़िया कोई पार्टी वर्कर ही नहीं है ??? एम्.पी.और एम्.एल.ऐ. को दिखना  सुनना बंद हो जाता है ??? इसका दूरगामी असर जनता के विरोध के रूप में सामने आता है ??? " चोर,व्यापारी,नेता और अफसर " का आजकल देश में ऐसा गिरोह बना है की हर पार्टी इस रोग से पीड़ित है ??? चाहे वो बी.जे.पी. हो या समाजवादी , कामरेड हो या कोई और सब पार्टियों में गुंडे नेता शरीफ नेताओं से धमकाकर अपनी बात मनवा लेते हैं ...??? और ये रोजाना हो रहा है ...??? ये प्रथा पहले देश में " मुस्लिम शासकों फिर फ्रिन्गियों और बाद में कांग्रेस ने चलाई || अब तो सभी दलों में ऐसे लोगों की ही भरमार है ??? कार्य कर्ताओं को न्याय मिले भी तो कैसे और कंहा से ???? ग्रुप बाज़ी भी एक लाइलाज बीमारी है ??? आज जो कार्यकर्त्ता किसी भी राजनितिक दल से उसकी " रीतियों -  नीतियों के कारन से जुडा है वो ज्यादा परेशान और चिंतित है ??? सभी राजनितिक दलों को इस विषय पर गहन चिंतन करना चाहिए और जो विचार माननीय चंद्रभान  जी ने दिया है वो  भी विचारनीय है की" सिटिजन चार्टर " की तरह राजनितिक दलों का चार्टर भी बनना चाहिए !!!! सारे नेता "चोर " हैं ये भावना गलत है और इसके अंत के लिए सभी दलों को गहनता से सोचना ही होगा ....क्योंकि सभी नेता चोर नहीं हैं....... जय श्री राम बोलना पड़ेगा ...!! बोलो जय ....श्री .....राम.....!! 

Tuesday, November 1, 2011

" प्यार "....... अन्ना और कांग्रेस.......... का ..... ? ?

प्यार करने वाले सभी प्यारे मित्रो , प्यार भरा नमस्कार !! मधुर गीत  गाने वाले आशा ताई और  रफ़ी साहिब का एक गीत था " करले प्यार करले झूठा ही सही , और दिन है यही "....!! टीम अन्ना के कार्यकर्त्ता और कांग्रेस के प्रवक्ता भी आज -कल बिलकुल ऐसे ही लड़ रहे हैं ? जो " रंग - मंच " पर दिखाई दे रहा है पिछले ४ महीनो से ऐसा लगता है की इसके इलावा भी देश मैं कुछ घट रहा है , जिसे आम जनता से छिपाया जा रहा है ?? अनर्गल बातों को तूल दिया जा  रहा है ,और महत्वपूर्ण मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाया  जा रहा है ....क्यों ??? नए - नए चेहरे ,चेनलों पर रोज़ आकर ऐसी - ऐसी बातें कर जाते हैं , कि दर्शक हैरान परेशान हो जाता है की देखो न जाने कौन ये नाहक ही बात का बतंगड़ बना रहा  है और बाकी सब भी उसकी बातों को महत्त्व दिए जा रहे हैं ! कांग्रेस दरअसल  "जन - लोकपाल " नामक बिल पास नहीं करना चाहती वो ऐसा बिल पास करना चाहती है अन्ना टीम की कोई लाइन ही न हो ?? ये बात टीम  अन्ना  भी जानती  है और मिडिया भी , इसी  लिए कल फिर अन्ना जी ने पी.एम्. जी को  पत्र  लिखा है की अगर शीत-कालीन सत्र समाप्त होने तक जन-लोकपाल बिल पास नहीं हुआ तो फिर अनशन होगा .......??? कांग्रेस अन्ना टीम को उलझा कर रखना चाहती है तो अन्ना कांग्रेस को दोनों एक दुसरे को अच्छे तरीके से समझ रहे हैं ...??? मिडिया अपनी " रोटियाँ  "सेंक रहा है  ,  विपक्ष चुनाव जीतने की सोच रहा है और जनता.........रोटी ,पानी का  इंतजाम कैसे हो  यही सोच रही है ..................????लोक - तंत्र के सभी खम्भे आपस में मिलकर कभी प्यार करते हैं तो कभी प्यार भरी तकरार  करते हैं ...लेकिन जनता की फिकर किसी को भी नहीं है ....?जय --- शंकर ----की बोलना पड़ेगा ....... आप कहोगे कि  पहले  तो हमेशां जय  श्री राम बुलाता है और आज शंकर कि जय क्यों ....???? वो इसलिये मित्रो , क्योंकि सत्य के देवता शंकर  ही हैं  ....!! इसलिए बोलिए .....जय --- शंकर .....की !! 

"निराशा से आशा की ओर चल अब मन " ! पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक)

प्रिय पाठक मित्रो !                               सादर प्यार भरा नमस्कार !! ये 2020 का साल हमारे लिए बड़ा ही निराशाजनक और कष्टदायक साबित ह...