Thursday, October 31, 2013

मोदी को साधने के लिये तीसरा मोर्चा ! !!!!!

                             बीजेपी के पीएम पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी को घेरने के लिये दर्जन भर राजनेताओं की दिल्ली शिरकत ने पहली बार जतला दिया कि मोदी के गुजरात से बाहर कदम रखते ही हर राजनीतिक थ्योरी बदल रही है। और अगर एक साथ खड़े होकर इस राजनीतिक लड़ाई को अंजाम तक नहीं पहुंचाया गया तो फासीवाद और सांप्रदायिकता की जीत हो जायेगी। यानी राजनीतिक तौर पर हर किसी का सूपड़ा साफ हो जायेगा। तो पहली बार पीएम पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी का मतलब ही हिटलरवादी, फासीवादी या सांप्रदायिकता हो चला है। यानी नेताओं का जमघट अतीत के सच को नरेन्द्र मोदी के पीएम पद का उम्मीदवार बनते ही बदल रहा है। 

क्योंकि संघ परिवार या अयोध्याकांड के नायक आडवाणी या स्वयंसेवक वाजपेयी के पीएम बनते ही फासीवाद और सांप्रदायिकता की जिस परिभाषा को सत्ता के लिये जिन नेताओं ने बदला अब नरेन्द्र मोदी के गुजरात से बाहर निकलते ही नयी परिभाषा आज दिल्ली उन्हीं नेताओं ने गढ़ी।

नीतीश के लिये बाबरी कांड करने वाले आडवाणी सांप्रदायिक कभी नहीं रहे। मुलायम की सरकार ने मुजफ्फरनगर दंगों की आग में सियासी गोटियां फेंकी। और इन्होंने सांप्रदायिकता के खिलाफ जमकर आग उगली। बाबूलाल मरांडी तो बीजेपी से ही निकले। और अब उन्हें बीजेपी सांप्रदायिक दिखायी दे रही है। नवीन पटनायक अयोध्या की आग के बाद भी लंबे वक्त तक बीजेपी से गलबहिया डाले रहे। लेकिन सम्मेलन में बीजेडी के नेता ने कहा कि आरएसएस के स्वयंसेवक देश को बांटने की राह पर निकले हुये हैं। जयललिता ने स्वयंसेवक पीएम वाजपेयी से परहेज नहीं की। प्रफुल्ल महंत भी एक वक्त स्वयंसेवक पीएम के दौर में साथ खड़े रहे। लेकिन आज उन्हें भी स्वयसेवक सांप्रदायिक नजर आ रहे थे और चूंकि आज नीतीश कुमार ने फासीवाद के आहट का जिक्र कर इमरजेन्सी की याद सम्मेलन में बैठे मीडियाकर्मियों को दिलायी। तो मंच पर बैठे ए बी वर्धन को जरुर यह याद आया होगा कि इमरजेन्सी के वक्त सीपीआई इंदिरा के साथ खड़ी थी।

अब यह सवाल उठना जायज है कि जिस पार्टी या जिन स्वयंसेवकों के साथ राजनीतिक करने में राजनीति के इन धुरन्धरों को कोई परहेज नहीं रहा और अब उसी बीजेपी और उन्हीं राजनीतिक स्वयंसेवकों ने भी अपना नेता नरेन्द्र मोदी को मान कर मिशन 2014 का संघर्ष शुरु किया है तो फिर उसी पार्टी और उन्हीं स्वयंसेवकों को छोड़ कर कभी साथ खड़े रहे राजनेताओं के नये विचार या नयी परिभाषा को लेकर देश का आम वोटर क्या सोचे। असल में राजनीति की साख इसीलिये डांवाडोल है और इसी डांवाडोल स्थिति का लाभ नरेन्द्र मोदी को लगातार मिल रहा है।

असल में दिल्ली में 14 राजनीतिक दलो के जमावडे में हर नेता की जुबान पर मोदी का नाम किसी ना किसी रुप में जरुर आया। किसी ने संकेत की भाषा का इस्तेमाल किया तो कोई सीधे निशाने पर लेने लगा। और पहला सवाल यही निकला की 2014 के चुनाव में नरेन्द्र मोदी ही मुद्दा है। और ढाई दशक पहले मंडल कंमडल से निकली राजनीति के जरीये जो भी क्षत्रप बने उनकी राजनीति में पहली बार नरेन्द्र मोदी सेंध लगा रहे है। क्योंकि जाति के तौर पर मोदी अति पिछड़ा से आते है। वाम नजरिये से समझे तो मोदी गरीब परिवार से आते हैं। और दूसरा मुद्दा उठा कि मनमोहन सरकार के कामकाज से कांग्रेस का ग्राफ गिर रहा है और अब शरद पवार भी खड़े होने से कतरा रहे हैं। एनसीपी नेता डी पी त्रिपाठी हालाकि लगातार बोलते रहे कि वह यूपीए के साथ है। लेकिन जिस तर्ज पर मौजूदा राजनीति का विकल्प खोजने की कवायद शुरु हुई है, उसमें मौजूदा क्षत्रपों के आपसी टकराव ही सबसे बड़ी रुकावट है। क्योंकि शरद पवार महाराष्ट्र में बिना कांग्रेस रह नहीं सकते और वह जानते है कि कांग्रेस का साथ जहां उन्होंने छोड़ा वहीं एनसीपी के तमाम नेता काग्रेस की राह पकड़ लेंगे। तो बिहार की सियासत में साप्रंदायिकता के सवाल पर नीतीश पर लालू हमेशा से भारी हैं। यूपी के मौजूदा सियासी हालात बताते है कि मुलायम पर मायावती भारी हैं।

बंगाल में लेफ्ट फ्रंट की वाम धारा को ही ममता बनर्जी हड़प चुकी हैं। असम में प्रफुल्ल महंत फुंके हुये कारतूस हैं। पंजाब में पीपीपी के मनप्रित बादल चुके हुये राजनीतिक खिलाड़ी हैं। तो राजनेताओं की दिल्ली में कवायद संख्या बल से तो राजनीति को प्रभावित कर सकती है लेकिन जमीनी राजनीति में बिहार में लालू, बंगाल में ममता,यूपी में मायावती, तमिलनाडु में करुणानिधी और आंध्र प्रदेश में जगन रेड्डी को कैसे खारिज किया जा सकता है। खासकर तब जब सवाल संख्या बल के भरोसे सरकार बनाने के दौर का हो। और बिना गठबंधन कोई सरकार बना नहीं सकता है इसे जब हर कोई जानता हो। ध्यान दें तो मनमोहन के बाजारवाद ने सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ाई को कमजोर कर दिया। और महंगाई भ्रष्टाचार या कालाधन सरीखे मुद्दे आम लोगों के पेट से जुड़ गये जबकि सांप्रदायिकता सियासी मुद्दा भर रह गया। और राजनेताओं ने इस सच को हमेशा पूंछ से पकड़ने की कोशिश की इसीलिये मौजूदा दौर में राजनीति की साख भी कमजोर हुई। इसलिये याद कीजिये तो दो बरस पहले ही अन्ना हजारे के गैर राजनीतिक आंदोलन ने सत्ताधारी राजनीतिक दलो की चूलें हिला दी थीं। असल में राजनीति को लेकर आम लोगों के इसी गुस्से को नरेन्द्र मोदी हर किसी को खारिज कर भुना रहे हैं और तमाम राजनीतिक दल मुद्दा छोड़ मोदी को ही मुद्दा मान मिशन 2014 की दिशा में चल निकले हैं। तो विकल्प का रास्ता निकलेगा कैसे, यह सबसे बड़ा सवाल है।

Wednesday, October 30, 2013

"दोहे-नेता का श्रृंगार" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') ......sabhaar !!


अगवाड़ा भी मस्त हैपिछवाड़ा भी मस्त।
अपने नेता ने कियेकीर्तिमान सब ध्वस्त।१

अगवाड़ा भी मस्त है, पिछवाड़ा भी मस्त।
अपने नेता ने किये, कीर्तिमान सब ध्वस्त।१।
--
जोड़-तोड़ के अंक से, चलती है सरकार।
मक्कारी-निर्लज्जता, नेता का श्रृंगार।२।
--
तन-मन में तो काम है, जिह्वा पर हरिनाम।
नैतिकता का शब्द तो, हुआ आज गुमनाम ।३।
--
सपनों की सुन्दर फसल, अरमानों का बीज।
कल्पनाओं पर हो रही, मन में कितनी खीझ।४।
--
किसका तगड़ा कमल है, किसका तगड़ा हाथ।
अपने ढंग से ठेलते, अपनी-अपनी बात।५।
--
अपनी रोटी सेंकते, राजनीति के रंक।
कैसे निर्मल नीर को, दे पायेगी पंक।६।
--
कहता जाओ हाट को, छोड़ो सारे काज।
अब कुछ सस्ती हो गयी, लेकर आओ प्याज।७।
--
मत पाने के वास्ते, होने लगे जुगाड़।
बहलाने फिर आ गये, मुद्दों की ले आड़।८।
--
तन तो बूढ़ा हो गया, मन है अभी जवान।
सत्तर के ही बाद में, मिलता उच्च मचान।९।
--
क्षीण हुआ पौरुष मगर, वाणी हुई बलिष्ठ।
सीधी-सच्ची बात को, समझा नहीं वरिष्ठ।१०।
--
खा-पी करके हो गया, ये तगड़ा मुस्तण्ड।
अब जन-गण को चाहिए, देना इसको दण्ड।११।

Tuesday, October 29, 2013

" क्या सूरतगढ़ भाजपा के नगर व देहात मंडल अध्यक्षों का वसुंधरा " प्रेम " नकली था " ???

प्रिय पाठक मित्रो , आपको याद होगा कि भारतीय जनता पार्टी सूरतगढ़ के नगर मंडल अध्यक्ष , देहात मंडल अध्यक्ष और जिलाध्यक्ष ने एक राय होकर ,एक बार नहीं कई बार श्री मति वसुंधरा राजे को सूरतगढ़ से विधानसभा का अगला चुनाव लड़ने हेतु केवल आमंत्रित किया था बल्कि उन्हें यंहा से हज़ारों वोटों से जीतकर भेजने कि गारन्टी भी दी थी !!
                               आजकल उन्होंने ऐसा कहना छोड़ दिया है या फिर इन उपरोक्त नेताओं में से कोई सवयं चुनाव लड़ने का इच्छुक था !! विश्वसनीय सूत्रों से पता चला है कि सूरतगढ़ देहात मंडल अध्यक्ष श्री नरेन्द्र घिंटाला ने भी अब लिए पार्टी का टिकेट सूरतगढ़ से मांग प्रदेश नेताओं के सामने रख दी है !!
                       नगर मंडल अध्यक्ष स . गुरदर्शन सिंह सोढ़ी और भाजपा जिलाध्यक्ष स . महेंदर सिंह सोढ़ी घिंटाला के इस फैसले से बड़ी "उलझन " में फ़ँसे हुए से लगते हैं ! क्योंकि सूरतगढ़ में श्री राजिन्द्र  भादू , श्री राम प्रताप कासनिया ,सहित कई छोटे बड़े कार्यकर्त्ता भी  टिकेट मांग रहे हैं !! वो भी इन पदाधिकारियों से समर्थन करने का कह रहे हैं , जो कि एक मुश्किल काम है !! एक साथ इतने लोगों को टिकेट दिलाने का आश्वासन उनके मुंह पर तो दिया जा सकता है लेकिन उसे प्रदेश के नेताओं के सामने  कैसे निभाया जाए ????
                                   भाजपा मंडल अध्यक्ष और जिलाध्यक्ष राजनितिक तौर पर श्री नरेंदर घिंटाला के " कर्ज़दार " हैं क्योंकि दोनों के चुनाव के वक्त  घिंटाला जी ने इनकी बड़ी मदद की थी , जिसे ये दोनों नज़रअंदाज़ हरगिज़ नहीं कर सकते !यही वो " कुण्डी " है जो फंस चुकी है !! देखना है कि ऊँट किस करवट बैठता है !!
                              भाजपा के केंद्रीय और  नेताओं ने ऐसे प्रोग्राम बनाये थे जिनसे पार्टी के कार्यकर्ताओं कि भावना का भी पता चल सके ! इस कार्य हेतु उन्होंने अपने बड़े नेताओं को विभिन्न सम्भागों , जिलों और यंहा तलाक कि मंडल स्तर पर भी भेजा , लेकिन अफ़सोस !! वो अपना स्वागत करवाकर , भाषण देकर और " जल-पान " करके चले गये !! कार्यकर्ताओं कि भावना जानने कि बजाये वो " व्यक्तियों के निष्ठावान पदाधिकारियों " कि भावनाओं को जान-पहचान कर विदा हो गये !! परदेश में जाकर उन्होंने भी वोही कुछ बताया जो उन्हें यंहा दिखाया गया !! अलग से कुछ जानने कि कोशिश नहीं की गयी !
                        इसी कारण से राजस्थान के कई विधानसभा क्षेत्रों में कंही तो टिकेट देने-न देने कि समस्या है तो कंही मंडल - देहात मंडल को बदलने हेतु कार्यकर्ताओं द्वारा दबाव बनाया जा रहा है ! बीकानेर मंडल कि कार्यकारिणी को तो प्रदेश भाजपा ने भंग भी कर दिया है !! 


                     सूरतगढ़ की राजनीती भी बड़ी विलक्षण रही है ! यंहा कभी जात जीता है तो कभी अरोड़ा , कभी बिश्नोई जीता है तो कभी पंजाबी ! कोई भी दावे के साथ नहीं कह सकता कि यंहा ये ही जीतेगा !! सारी सम्भावनाएं हमेशां बरकरार रहती हैं ! आजकल तो किसी गैर - जाट , गैर पंजाबी के जीतने कि भी आशा दिखायी दे रही है !! श्री डूंगर राम गेधर भी बड़ी मेहनत से भाग-दौड़ कर रहे हैं और मूल O.B.C.के लोगों के इलावा पिछड़ी जातियों के लोग भी उनके साथ भरी मात्र में जुड़ते नज़र आ रहे हैं ! जो भाजपा और कोंग्रेस दोनों राष्ट्रीय राजनितिक दलों हेतु खतरे कि  घण्टी से कम नहीं है !
                          आने वाले 7 दिन बड़े ही महत्त्व पूर्ण हैं क्योंकि दीपावली के बाद लगभग सभी दलों के प्रत्याशी घोषित हो जायेंगे और चुनावी महाभारत शुरू हो जायेगा .......!!! इन्तज़ार कीजिये !!
                                    आपका मित्र ,
                                     पीताम्बर दत्त शर्मा ,
                  BY :- " 5TH PILLAR CORRUPTION KILLER " THE BLOG . READ,SHARE AND GIVE YOUR VELUABEL COMMENTS DAILY . !!
प्रिय मित्रो , सादर नमस्कार !! आपका इतना प्रेम मुझे मिल रहा है , जिसका मैं शुक्रगुजार हूँ !! आप मेरे ब्लॉग, पेज़ , गूगल+ और फेसबुक पर विजिट करते हो , मेरे द्वारा पोस्ट की गयीं आकर्षक फोटो , मजाकिया लेकिन गंभीर विषयों पर कार्टून , सम-सामायिक विषयों पर लेखों आदि को देखते पढ़ते हो , जो मेरे और मेरे प्रिय मित्रों द्वारा लिखे-भेजे गये होते हैं !! उन पर आप अपने अनमोल कोमेंट्स भी देते हो !! मैं तो गदगद हो जाता हूँ !! आपका बहुत आभारी हूँ की आप मुझे इतना स्नेह प्रदान करते हैं !!नए मित्र सादर आमंत्रित हैं !!HAPPY BIRTH DAY TO YOU !! GOOD WISHES AND GOOD - LUCK !! प्रिय मित्रो , आपका हार्दिक स्वागत है हमारे ब्लॉग पर " 5TH PILLAR CORRUPTION KILLER " the blog . read, share and comment on it daily plz. the link is - www.pitamberduttsharma.blogspot.com., गूगल+,पेज़ और ग्रुप पर भी !!ज्यादा से ज्यादा संख्या में आप हमारे मित्र बने अपनी फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज कर !! आपके जीवन में ढेर सारी खुशियाँ आयें इसी मनोकामना के साथ !! हमेशां जागरूक बने रहें !! बस आपका सहयोग इसी तरह बना रहे !! मेरा इ मेल ये है : - pitamberdutt.sharma@gmail.com. मेरे ब्लॉग और फेसबुक के लिंक ये हैं :- www.facebook.com/pitamberdutt.sharma.7
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आपका प्रिय मित्र ,
पीताम्बर दत्त शर्मा,
हेल्प-लाईन-बिग-बाज़ार,
R.C.P. रोड, सूरतगढ़ !
जिला-श्री गंगानगर।

Posted by PD SHARMA, 09414657511 (EX. . VICE PRESIDENT OF B. J. P. CHUNAV VISHLESHAN and SANKHYKI PRKOSHTH (RAJASTHAN )SOCIAL WORKER,Distt. Organiser of PUNJABI WELFARE SOCIETY,Suratgarh (RAJ.) 

                     

Friday, October 25, 2013

"आकर्षक-समाचार" ( बाड़मेर न्यूज़ ट्रैक से साभार ) .....!!!


नई दिल्ली। एक ओर जहां कांग्रेस के भीतर पार्टी उपाध्यक्ष और युवराज राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाने की मांग हो रही है। तो वहीं दूसरी ओर यूपीए के सबसे बड़े घटक दल और कृषि मंत्री शरद पवार ने राहुल के साथ काम करने से साफ इन्कार कर दिया है। मैं राहुल के साथ काम नहीं कर सकता: पवार
"राहुल अपनी क्षमता साबित करें"

पवार ने कहा है कि राहुल को 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद बड़े रोल में आने से पहले उन्हें अपनी क्षमता साबित करने की जरूरत है। शरद पवार ने साफ शब्दों में कहा कि राहुल को प्रधानमंत्री का उम्मीदवार बनाए जाने के विरोध में नहीं हैं, लेकिन उनके साथ काम नहीं करेंगे। हालांकि उन्होंने साफ कर दिया कि वे कांग्रेस के साथ बने रहेंगे।

गौरतलब है कि पवार एक कार्यक्रम में बयान दे चुके हैं कि राजनीति और सामाजिक कार्य में कोई अछूत नहीं होता है। पवार के इस तरह के रूख को देखते हुए ऎसा लगता है कि वह अपना विकल्प खुला रखना चाहते हैं।

एक न्यूज चैनल से बातचीत में शरद पवार ने राहुल गांधी की अनुभवहीनता का जिक्र करते हुए कहा कि सबको प्रशासनिक कार्य में अपनी क्षमता साबित करनी होती है।

उन्होंने कहा कि राहुल को मनमोहन सिंह कैबिनेट में शामिल होना चाहिए था, लेकिन उन्होंने ऎसा नहीं किया। पवार ने कहा कि राहुल ऎसा करते तो उन्हें फायदा होता।

एनसीपी प्रमुख ने कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव के बाद देश की दोनों बड़ी पार्टियां कांग्रेस और भाजपा बहुमत हासिल नहीं कर पाएंगी। साथ ही उन्होंने कहा कि हो सकता है कि भाजपा की सीटों में कुछ इजाफा हो जाए और कांग्रेस की सीटें घट जाए। पवार ने यह साफ कर दिया कि वह अगला लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे।

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दक्षिण पश्चिम कोलंबिया के छोट से शहर बारबाकाओस में अच्‍छी सड़कों की मांग को लेकर महिलाएं दो साल में दूसरी बार सेक्‍स स्‍ट्राइक पर चली गईं हैं.

इसे 'क्रॉस लेग्‍स मूवमेंट' नाम दिया गया है. कोलंबिया के पत्रकार जॉन ओटिस की खबर के मुताबिक महिलाओं ने यह कहते हुए अपने साथियों के साथ सेक्‍स करने से मना कर दिया है कि जब तक उनके पिछड़े और छोटे शहर की सड़कों को देश के दूसरे हिस्‍सों से नहीं जोड़ा जाएगा वे अपनी हड़ताल जारी रखेंगी.

वैसे महिलाओं का अभियान रंग भी लाया है. खबर है कि एक सड़क की मरम्‍मत का काम शुरू हो गया है. आपको बता दें कि इस सड़क की हालत इतनी खराब है कि पास के अस्‍पताल तक पहुंचने में ही 14 घंटे का समय लग जाता है और कई बार तो जरूरतमंद रास्‍ते में ही दम तोड़ देते हैं.



महिलाओं ने सड़कों की खराब हालत के खिलाफ सबसे साल 2011 में सेक्‍स स्‍ट्राइक की थी. तब एक महिला और उसके अजन्‍मे बच्‍चे की मौत हो गई थी क्‍योंकि एंबुलेंस सड़क में फंस गई और वे समय रहते अस्‍पताल नहीं पहुंच पाए. उस समय जज मैरीबेल सिल्‍वा भी हड़ताल में शामिल हुईं थीं.

तब हड़ताल की नेता रूबी ने कहा था, 'हम ऐसी दुनिया में बच्‍चों को लेकर ही क्‍यों आएं जहां वे सिर्फ इसलिए मर जाते हैं क्‍योंकि उन्‍हें इलाज नहीं मिल पाता और हम उन्‍हें मूलभूत अधिकार तक नहीं दे सकते? हमने फैसला किया है कि जब तक सड़कों की हालत ठीक नहीं होती तब तक ना ही हम सेक्‍स करेंगे और ना ही बच्‍चे पैदा करेंगे.'

हड़ताल के 19 दिन बाद शहर के दो राजनेताओं ने वादा किया सड़कों की हालत ठीक की जाएगी और सरकार कम से कम 35 मील सड़क का निर्माण भी करगी. लेकिन दो साल बीतने के बावजूद कुछ नहीं हुआ. और अब महिलाएं फिर से हड़ताल पर चली गईं हैं.

लेकिन अब ऐसा लगता है कि महिलाओं के आंदोलन को देखते हुए सेना के इंजीनियर बुलडोजर और भारी मशीन लेकर मैदान में उतर आए हैं ताकि वे ये दिखा सकें कि सड़कों की मरम्‍मत की जा रही है.


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झांसी। बीजेपी की तरफ से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी उत्तर प्रदेश के झांसी में रैली को संबोधित कर रहे हैं....बुंदेलखंड के वीर- सपूत,भाईयो और बहनो मुझे आपका आशीर्वाद लेने का मौक मिला है। मैं यहां आंसू बहाने नहीं आया हूं, गरीबों के आंसू पोंछने का संकल्प लेने आया हूं। बुंदेलखंड में दम है, लेकिन लखनऊ और दिल्ली में दम नहीं है।झांसी से मोदी लाइव, कांग्रेस को 60 साल दिए, हमें 60 महीने दे दो
नरेन्द्र मोदी का लाइव संबोधन-

- कांग्रेस को 60 साल का शासन करने का आपने मौका दिया, हमें सिर्फ 60 महीने दे दो, हम आपकी तकदीर बदल देंगे।

- बुंदेलखंड के नाम पर पैकेज आया, लेकिन वो यहां के नेताओं का मुंह बंद करने के लिए आया था।

- बुंदेलखंड के नाम पर पैकेज, यूपी के नेताओं की पॉकेट में है, पैकेज आपके नाम पर आता है, जाता नेताओं के जेब में हैं।

- सपा सरकार जो कर रही है, उससे लोहिया की आत्मा को पीड़ा होती है।
- का

- उत्तरप्रदेश में इतनी ताकत है कि पूरे देश की गरीबी दूर कर सकता है।

- मध्यप्रदेश सरकार ने बुंदेलखंड के पैकेज का पूरा उपयोग किया, सिंचाई के लिए पूरा उपयोग किया।

- दियों की भरमार है, लेकिन बुंदेलखंड प्यासा क्यों है?

- कांग्रेस शासित राज्यों में किसान आत्महत्या क्यों करते हैं?



क्या कहा राजनाथ सिंह ने-

भाजपा के राष्ट्रीय राजनाथ सिंह रैली को संबोधित किया। राजनाथ सिंह ने झांसी को रैली को जनसैलाब नाम देकर ऎतिहासिक बताया और मंच पर उपस्थित कल्याण सिंह को अभूतपूर्व मुख्यमंत्री बताया। लेकिन उमा को मध्यप्रदेश का पूर्व मुख्यमंत्री कहकर संबोधित किया।

राजनाथ ने मोदी की बढ़ाई करते हुए कहा कि कि पूरे देश में मोदी की जय-जय हो रही है। राजनाथ ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए इस पार्टी ने देश के गरीबों का मजाक किया है, आपके स्वाभिमान को ठेस पहुंचाने का काम भी कांग्रेस ने किया है। बुंदेलखंड के लोगों से अपील करते हुए राजनाथ ने कहा कि नरेन्द्र भाई को प्रधानमंत्री बनाने के लिए वोटों से हमारी झोली भर देना। राजनाथ ने कहा कि सपा-बसापा दिल्ली में एक - दूसरे की पीठ सहलाते हैं।

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जिला-श्री गंगानगर।

Posted by PD SHARMA, 09414657511 (EX. . VICE PRESIDENT OF B. J. P. CHUNAV VISHLESHAN and SANKHYKI PRKOSHTH (RAJASTHAN )SOCIAL WORKER,Distt. Organiser of PUNJABI WELFARE SOCIETY,Suratgarh (RAJ.) (4 photos)
                                                             

" नेताओं हेतु योग्यता कब निर्धारित करेगा चुनाव आयोग और सरकार " ? ? ?

" योग्यता के बल " पर सफल हुए सभी मित्रों को मेरा नमस्कार !! आज हम उस " सेवा " की बात करेंगे जिसको करने से आदमी बहुत जल्दी करोडपति बन जाता है, उस सेवादार हेतु ,सेवादारों की लम्बी कतार लग जाती है और जिस सेवा हेतु कोई विशेष योग्यता की भी आवश्यकता भारतीय संविधान में नहीं लिखी गयी !! उम्र 25 साल से कम ना हो , भारत का नागरिक हो और बड़ा अपराधी या पागल ना हो ,बस इतना ही !
                                  जी हाँ !! " नेतागिरी " वाली सेवा के बारे में बात करेंगे आज हम - लोग !!  एक चपड़ासी बनने  हेतु जंहा शिक्षित होना आवश्यक है तो नेता बनने  हेतु शिक्षित होना क्यों आवश्यक नहीं ?? शिक्षक अगर किसी ने बनना है तो डिग्री के बाद भी टेस्ट और इंटर - व्यू ,और नेता बनने हेतु किसी नेता के घर में जनम ले लेना ही काफी क्यों ???
                 पिछले 65 सालों में नेताओं ने कुछ इस तरह की व्यवस्था बना दी है कि जो संविधान के अनुसार जो असली राजा है वो तो छोटी-छोटी मांगों में ही उलझा हुआ है और जो " सेवक " था वो आज " राजा " बन " स्वर्गीय " सुख भोग रहा है !???
                       
चुनाव केवल सरकार का ही नहीं होता, बल्कि धार्मिक एवं सामाजिक संस्थाओं के भी चुनाव होते हैं. यह चुनावी युग है क्लबों के अध्यक्षों, गांवों के पंचों, सरपंचों, श्रमिक संघ के प्रधान पदों के लिए तथा राजनैतिक दलों में चुनाव समय-समय पर होते रहते हैं. लोकसभा व राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव ज्यादा महत्व रखते हैं, क्योंकि इसके साथ देश की जनता के हित सीधे जुड़े हुए होते हैं. ये चुनाव मतदान द्वारा राजनैतिक दिशा और व्यवस्था तय करने के साधन होते हैं. मतदाताओं के सामने राजनैतिक पार्टियां विकल्प के रूप में आती हैं उनमें से किसी एक के पक्ष में वोट डालकर फैसला करते हैं. लोकतंत्र में चुनाव का खास महत्व है. विकल्प ही चुनाव को सही मायने में चुनाव बनाते हैं. तानाशाही में भी चुनाव होते हैं परन्तु इसमें कोई विकल्प न होने के कारण इनका महत्व नहीं होता.
                                                            असल में हम अपनी गलतियां और दोष किसी ओर के माथे नहीं मढ़ सकते. जैसे प्रतिनिधि हम चुनकर भेजते हैं अर्थात जैसा बीज बोते हैं फल भी वैसा ही प्राप्त होता है. बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से होय. जब हमने अपनी वोट की ताकत का दुरूपयोग किया या ईवीएम मशीन का बटन दबाते समय धर्म, जाति और भाषा के फेर में पड़कर गलत व्यक्ति का चुनाव कर लिया तो दोष किसका है. माना कि देश में अशिक्षा, अनपढ़ता और गरीबी है. ये ऐसे मूलभूत कारण हैं जो प्रजातंत्र के वास्तविक राजा प्रजा को अपना निर्णय बदलने या चालाक और धूर्त नेताओं का असली चेहरा पहचानने में बड़ी बाधा बनकर खड़े हो जाते हैं. लेकिन आजादी के लंबे समय बाद तो जनता को असली-नकली, अच्छे-बुरे की पहचान हो जानी चाहिए थी.
अगले महीने पांच राज्यों दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और मिजोरम में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं. अगले साल भी कई राज्यों में विधानसभा और लोकसभा के चुनाव होने हैं. लेकिन निर्भया कांड और देश हित से जुड़े दूसरे कई मसलों पर एकत्र होने वाली, कैंडिल मार्च निकालने वाली भीड़ का कहीं अता-पता नहीं है. सरकारी मशीनरी अपने तरीके से काम करती है. उससे ज्यादा अपेक्षा की भी नहीं जा सकती. चुनाव वो वक्त होता है जब हम सरकार और राजनैतिक दलों के रिपोर्ट कार्ड को भली-भांति समझबूझकर अगले पांच सालों के लिए अपने और देशहित में योग्य, ईमानदार और विकास की सोच से ओत-प्रोत प्रतिनिधियों का चुनकर विधानसभा व लोकसभा में भेज सकते हैं. लेकिन पुराने अनुभव इस बात को साबित करते हैं कि जो भीड़ इण्डिया गेट या देश की सड़कों पर नारे, धरने, प्रदर्शन करती हैं वो चुनाव माने लोकतंत्र की परीक्षा के समय मैदान से नदारद दिखती है. शहरी क्षेत्रों में मत प्रतिशत कम ही रहता है. गांवों और कस्बों में जहां जनता अधिक जागरूक और शिक्षित नहीं है वहां मत प्रतिशत हमेशा अधिक रहता है. ऐसे में राजनैतिक दल और नेता ग्रामीण क्षेत्र की आबादी को बरगलाने में हर बार कामयाब हो जाते हैं.
संविधान निर्माताओं ने दुनिया की समस्त शासन प्रणालियों का अध्ययन के बाद प्रजातान्त्रिक प्रणाली को अपने देश के लिये चुना था. लेकिन जिस पाक और सार्थक उद्देश्य के लिए प्रजातांत्रिक प्रणाली का चुनाव किया गया था उसमें वो कामयाब होती दिखाई नहीं दे रही है. प्रजातांत्रिक प्रणाली को राजनैतिक दलों ने क्षेत्रवाद, भाषा और धर्म-जात की कोठरियों में कैद कर दिया है. कहने को तो नेता अपने दलों में प्रजातांत्रिक व्यवस्था की बात करते हैं लेकिन अधिसंख्य दलों में परिवारवाद का बोलबाला है, जब राजनैतिक दलों में ही प्रजातंत्र की बजाय अधिनायकवाद का प्रचलन तेजी से बढ़ रहा हो तो प्रजातांत्रिक व्यवस्था के सफल होने की बात कैसे सोची जा सकती है. संसद और विधानसभाओं में अपराधी बैठे हुये हैं. और यही अपराधी और भ्रष्ट नेता हमारे आपके भविष्य को तय करते हैं. सारी जिम्मेदारियां, कानून और बंदिशें आम आदमी के लिये ही हैं.
इस साल पांच प्रदेशों के विधानसभा चुनाव और अगले साल लोकसभा के साथ कई राज्यों में भी विधानसभा चुनाव होंगे. ऐसे में यही सही वक्त है ये सोचने का कि आखिरकर हमारी दुर्दशा का जिम्मेवार कौन हैं. व्यवस्था, राजनैतिक दल, नेता या स्वयं हम. जो होना था वो हो चुका. बीते वक्त को लौटाया नहीं जा सकता. लेकिन समझदारी इसी में है कि बीती ताहि बिसार दे आगे की सुधि लें की तर्ज पर आने वाले कल के लिये हम सब मिलकर सोचे और धर्म, जाति, भाषा और क्षेत्र के मसलों और झंझटों से ऊपर उठकर देश और समाज के बारे में खुले दिल और दिमाग से सोचे. क्योंकि अगर प्रजातंत्र का असली राजा इस बार भी सोता रह गया तो अगले पांच साल तक हमें निकम्मे, भ्रष्ट, स्वार्थी, सत्तालोलुप, धर्म-जाति-भाषा और क्षेत्रवाद के कीचड़ में सने नेताओं को झेलना पड़ेगा. ऐसे में सरकार और व्यवस्था को कोसने का अधिकार भी हमारे पास नहीं रहेगा क्योंकि जैसा बीज आप आज बोएंगे वैसे ही वृक्ष के फल अगले पांच साल तक सेवन करेंगे. अब फैसला आपके ऊपर है. अपने भीतर सुप्तावस्था में विराजित प्रजातंत्र के राजा को जगाइये और व्यवस्था को कोसने की बजाय व्यवस्था परिवर्तन के भागीदार बनिये.
                                                       BY :- " 5TH PILLAR CORRUPTION KILLER " THE BLOG . READ,SHARE AND GIVE YOUR VELUABEL COMMENTS DAILY . !!
प्रिय मित्रो , सादर नमस्कार !! आपका इतना प्रेम मुझे मिल रहा है , जिसका मैं शुक्रगुजार हूँ !! आप मेरे ब्लॉग, पेज़ , गूगल+ और फेसबुक पर विजिट करते हो , मेरे द्वारा पोस्ट की गयीं आकर्षक फोटो , मजाकिया लेकिन गंभीर विषयों पर कार्टून , सम-सामायिक विषयों पर लेखों आदि को देखते पढ़ते हो , जो मेरे और मेरे प्रिय मित्रों द्वारा लिखे-भेजे गये होते हैं !! उन पर आप अपने अनमोल कोमेंट्स भी देते हो !! मैं तो गदगद हो जाता हूँ !! आपका बहुत आभारी हूँ की आप मुझे इतना स्नेह प्रदान करते हैं !!नए मित्र सादर आमंत्रित हैं !!HAPPY BIRTH DAY TO YOU !! GOOD WISHES AND GOOD - LUCK !! प्रिय मित्रो , आपका हार्दिक स्वागत है हमारे ब्लॉग पर " 5TH PILLAR CORRUPTION KILLER " the blog . read, share and comment on it daily plz. the link is - www.pitamberduttsharma.blogspot.com., गूगल+,पेज़ और ग्रुप पर भी !!ज्यादा से ज्यादा संख्या में आप हमारे मित्र बने अपनी फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज कर !! आपके जीवन में ढेर सारी खुशियाँ आयें इसी मनोकामना के साथ !! हमेशां जागरूक बने रहें !! बस आपका सहयोग इसी तरह बना रहे !! मेरा इ मेल ये है : - pitamberdutt.sharma@gmail.com. मेरे ब्लॉग और फेसबुक के लिंक ये हैं :- www.facebook.com/pitamberdutt.sharma.7
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मेरे ब्लॉग का नाम ये है :- " फिफ्थ पिलर-कोरप्शन किल्लर " !!
मेरा मोबाईल नंबर ये है :- 09414657511. 01509-222768. धन्यवाद !!
आपका प्रिय मित्र ,
पीताम्बर दत्त शर्मा,
हेल्प-लाईन-बिग-बाज़ार,
R.C.P. रोड, सूरतगढ़ !
जिला-श्री गंगानगर।

Posted by PD SHARMA, 09414657511 (EX. . VICE PRESIDENT OF B. J. P. CHUNAV VISHLESHAN and SANKHYKI PRKOSHTH (RAJASTHAN )SOCIAL WORKER,Distt. Organiser of PUNJABI WELFARE SOCIETY,Suratgarh (RAJ.)
                                        

Thursday, October 24, 2013

" प्रजातन्त्र के असली राजा को जागना होगा " ?? परन्तु जगायेगा कौन ??

( मेरे प्रिय मित्र श्री आशीष वशिष्ठ का लेख , आप भी पढ़िए ! साभार !!)
-आशीष वशिष्ठ||

                                                                   प्रजातंत्र का वास्तविक राजा प्रजा होती है लेकिन हमारे देश का दुर्भाग्य है कि राजा सो रहा है. और जिन्हें प्रजातंत्र के राजा ने वोट के अधिकार से निर्वाचित कर विकास, सुरक्षा और कल्याण जैसी कई दूसरी अहम् जिम्मेदारियां सौंपी हैं वो कर्त्तव्यविमुख होकर निज स्वार्थ साधने और कुर्सी पर जमे रहने के की तिकड़मों में मशगूल रहते हैं. आज देश और देशवासियों की जो हालत है उसके लिए व्यवस्था के साथ-साथ प्रजातंत्र का राजा माने हम लोग भी बराबर के भागीदार हैं. अगर हम जाग रहे होते और अपने कर्तव्य का पालन ठीक ढंग से कर रहे होते तो न आज आम आदमी की जो दुर्गति है वो शायद न होती. विकास की किरण और संविधान प्रदत्त अधिकार पंक्ति में खड़े अंतिम आदमी तक पहुंचती जरूर. मगर ऐसा हुआ नहीं. आजादी मिले 66 वर्षों का लंबा वक्त गुजर गया और देश की आबादी का बड़ा हिस्सा सड़क, नाली, खंडजें, बिजली, पानी जैसी मामूली सुविधाओं के ही फेर में ही लट्टू बना घूम रहा है. शायद ही किसी ने कभी ये सोचने की कोशिश की हो कि उसकी ये हालत आखिरकर क्यों हैं. असल में हम दूसरे के सहारे जीने के आदी हो चुके हैं. हमें लगता है कि जब तक सरकार और नेता हमें कोई रास्ता नहीं दिखाएंगे हम तब तक एक भी कदम चल नहीं पाएंगे. नेताओं और राजनैतिक दलों ने धर्म, जाति, भाषा और क्षेत्रवाद के फेर में आम आदमी को ऐसा उलझाया है कि वो ग्लोब की भांति उसी चक्र के इर्द-गिर्द पिछले छह दशकों से घूमे जा रहा है. आंखों पर जाति, धर्म और भाषा का चश्मा इतनी मजबूती से चढ़ा हुआ है कि गुण-दोष अर्थ व भावहीन हो चुके हैं.cartoon
चुनाव, लोकतंत्र की जुड़ें और जनमानस का प्रतिबिम्ब होती है. किसी देश के जनतांत्रिक चरित्र के सही अनुमान की सबसे बड़ी कसौटी है किसी देश की चुनावी प्रणाली. चुनाव में अनुशासन और जनता की भागीदारी, इसी पर लोकतंत्र टिका होता है. महात्मा बुद्ध ने कहा था जब तक गणतंत्र में अनुभवी वृद्धों, नारी अनुशासन, उच्च चरित्र एवं धर्म का सम्मान होगा यह राज्य अजेय रहेगा. चुनाव केवल सरकार का ही नहीं होता, बल्कि धार्मिक एवं सामाजिक संस्थाओं के भी चुनाव होते हैं. यह चुनावी युग है क्लबों के अध्यक्षों, गांवों के पंचों, सरपंचों, श्रमिक संघ के प्रधान पदों के लिए तथा राजनैतिक दलों में चुनाव समय-समय पर होते रहते हैं. लोकसभा व राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव ज्यादा महत्व रखते हैं, क्योंकि इसके साथ देश की जनता के हित सीधे जुड़े हुए होते हैं. ये चुनाव मतदान द्वारा राजनैतिक दिशा और व्यवस्था तय करने के साधन होते हैं. मतदाताओं के सामने राजनैतिक पार्टियां विकल्प के रूप में आती हैं उनमें से किसी एक के पक्ष में वोट डालकर फैसला करते हैं. लोकतंत्र में चुनाव का खास महत्व है. विकल्प ही चुनाव को सही मायने में चुनाव बनाते हैं. तानाशाही में भी चुनाव होते हैं परन्तु इसमें कोई विकल्प न होने के कारण इनका महत्व नहीं होता.
असल में हम अपनी गलतियां और दोष किसी ओर के माथे नहीं मढ़ सकते. जैसे प्रतिनिधि हम चुनकर भेजते हैं अर्थात जैसा बीज बोते हैं फल भी वैसा ही प्राप्त होता है. बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से होय. जब हमने अपनी वोट की ताकत का दुरूपयोग किया या ईवीएम मशीन का बटन दबाते समय धर्म, जाति और भाषा के फेर में पड़कर गलत व्यक्ति का चुनाव कर लिया तो दोष किसका है. माना कि देश में अशिक्षा, अनपढ़ता और गरीबी है. ये ऐसे मूलभूत कारण हैं जो प्रजातंत्र के वास्तविक राजा प्रजा को अपना निर्णय बदलने या चालाक और धूर्त नेताओं का असली चेहरा पहचानने में बड़ी बाधा बनकर खड़े हो जाते हैं. लेकिन आजादी के लंबे समय बाद तो जनता को असली-नकली, अच्छे-बुरे की पहचान हो जानी चाहिए थी.
अगले महीने पांच राज्यों दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और मिजोरम में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं. अगले साल भी कई राज्यों में विधानसभा और लोकसभा के चुनाव होने हैं. लेकिन निर्भया कांड और देश हित से जुड़े दूसरे कई मसलों पर एकत्र होने वाली, कैंडिल मार्च निकालने वाली भीड़ का कहीं अता-पता नहीं है. सरकारी मशीनरी अपने तरीके से काम करती है. उससे ज्यादा अपेक्षा की भी नहीं जा सकती. चुनाव वो वक्त होता है जब हम सरकार और राजनैतिक दलों के रिपोर्ट कार्ड को भली-भांति समझबूझकर अगले पांच सालों के लिए अपने और देशहित में योग्य, ईमानदार और विकास की सोच से ओत-प्रोत प्रतिनिधियों का चुनकर विधानसभा व लोकसभा में भेज सकते हैं. लेकिन पुराने अनुभव इस बात को साबित करते हैं कि जो भीड़ इण्डिया गेट या देश की सड़कों पर नारे, धरने, प्रदर्शन करती हैं वो चुनाव माने लोकतंत्र की परीक्षा के समय मैदान से नदारद दिखती है. शहरी क्षेत्रों में मत प्रतिशत कम ही रहता है. गांवों और कस्बों में जहां जनता अधिक जागरूक और शिक्षित नहीं है वहां मत प्रतिशत हमेशा अधिक रहता है. ऐसे में राजनैतिक दल और नेता ग्रामीण क्षेत्र की आबादी को बरगलाने में हर बार कामयाब हो जाते हैं.
संविधान निर्माताओं ने दुनिया की समस्त शासन प्रणालियों का अध्ययन के बाद प्रजातान्त्रिक प्रणाली को अपने देश के लिये चुना था. लेकिन जिस पाक और सार्थक उद्देश्य के लिए प्रजातांत्रिक प्रणाली का चुनाव किया गया था उसमें वो कामयाब होती दिखाई नहीं दे रही है. प्रजातांत्रिक प्रणाली को राजनैतिक दलों ने क्षेत्रवाद, भाषा और धर्म-जात की कोठरियों में कैद कर दिया है. कहने को तो नेता अपने दलों में प्रजातांत्रिक व्यवस्था की बात करते हैं लेकिन अधिसंख्य दलों में परिवारवाद का बोलबाला है, जब राजनैतिक दलों में ही प्रजातंत्र की बजाय अधिनायकवाद का प्रचलन तेजी से बढ़ रहा हो तो प्रजातांत्रिक व्यवस्था के सफल होने की बात कैसे सोची जा सकती है. संसद और विधानसभाओं में अपराधी बैठे हुये हैं. और यही अपराधी और भ्रष्ट नेता हमारे आपके भविष्य को तय करते हैं. सारी जिम्मेदारियां, कानून और बंदिशें आम आदमी के लिये ही हैं.
इस साल पांच प्रदेशों के विधानसभा चुनाव और अगले साल लोकसभा के साथ कई राज्यों में भी विधानसभा चुनाव होंगे. ऐसे में यही सही वक्त है ये सोचने का कि आखिरकर हमारी दुर्दशा का जिम्मेवार कौन हैं. व्यवस्था, राजनैतिक दल, नेता या स्वयं हम. जो होना था वो हो चुका. बीते वक्त को लौटाया नहीं जा सकता. लेकिन समझदारी इसी में है कि बीती ताहि बिसार दे आगे की सुधि लें की तर्ज पर आने वाले कल के लिये हम सब मिलकर सोचे और धर्म, जाति, भाषा और क्षेत्र के मसलों और झंझटों से ऊपर उठकर देश और समाज के बारे में खुले दिल और दिमाग से सोचे. क्योंकि अगर प्रजातंत्र का असली राजा इस बार भी सोता रह गया तो अगले पांच साल तक हमें निकम्मे, भ्रष्ट, स्वार्थी, सत्तालोलुप, धर्म-जाति-भाषा और क्षेत्रवाद के कीचड़ में सने नेताओं को झेलना पड़ेगा. ऐसे में सरकार और व्यवस्था को कोसने का अधिकार भी हमारे पास नहीं रहेगा क्योंकि जैसा बीज आप आज बोएंगे वैसे ही वृक्ष के फल अगले पांच साल तक सेवन करेंगे. अब फैसला आपके ऊपर है. अपने भीतर सुप्तावस्था में विराजित प्रजातंत्र के राजा को जगाइये और व्यवस्था को कोसने की बजाय व्यवस्था परिवर्तन के भागीदार बनिये.
                                  
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प्रिय मित्रो , सादर नमस्कार !! आपका इतना प्रेम मुझे मिल रहा है , जिसका मैं शुक्रगुजार हूँ !! आप मेरे ब्लॉग, पेज़ , गूगल+ और फेसबुक पर विजिट करते हो , मेरे द्वारा पोस्ट की गयीं आकर्षक फोटो , मजाकिया लेकिन गंभीर विषयों पर कार्टून , सम-सामायिक विषयों पर लेखों आदि को देखते पढ़ते हो , जो मेरे और मेरे प्रिय मित्रों द्वारा लिखे-भेजे गये होते हैं !! उन पर आप अपने अनमोल कोमेंट्स भी देते हो !! मैं तो गदगद हो जाता हूँ !! आपका बहुत आभारी हूँ की आप मुझे इतना स्नेह प्रदान करते हैं !!नए मित्र सादर आमंत्रित हैं !!HAPPY BIRTH DAY TO YOU !! GOOD WISHES AND GOOD - LUCK !! प्रिय मित्रो , आपका हार्दिक स्वागत है हमारे ब्लॉग पर " 5TH PILLAR CORRUPTION KILLER " the blog . read, share and comment on it daily plz. the link is - www.pitamberduttsharma.blogspot.com., गूगल+,पेज़ और ग्रुप पर भी !!ज्यादा से ज्यादा संख्या में आप हमारे मित्र बने अपनी फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज कर !! आपके जीवन में ढेर सारी खुशियाँ आयें इसी मनोकामना के साथ !! हमेशां जागरूक बने रहें !! बस आपका सहयोग इसी तरह बना रहे !! मेरा इ मेल ये है : - pitamberdutt.sharma@gmail.com. मेरे ब्लॉग और फेसबुक के लिंक ये हैं :- www.facebook.com/pitamberdutt.sharma.7
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मेरा मोबाईल नंबर ये है :- 09414657511. 01509-222768. धन्यवाद !!
आपका प्रिय मित्र ,
पीताम्बर दत्त शर्मा,
हेल्प-लाईन-बिग-बाज़ार,
R.C.P. रोड, सूरतगढ़ !
जिला-श्री गंगानगर।

Posted by PD SHARMA, 09414657511 (EX. . VICE PRESIDENT OF B. J. P. CHUNAV VISHLESHAN and SANKHYKI PRKOSHTH (RAJASTHAN )SOCIAL WORKER,Distt. Organiser of PUNJABI WELFARE SOCIETY,Suratgarh (RAJ.)

Wednesday, October 23, 2013

" सूरतगढ़ में कौन नेता लायक है जो विधानसभा में प्रतिनिधित्व कर सके हमारा " ? ?

" काटन सिटी " के नाम से सुविख्यात हमारा ये शहर सूरतगढ़ !! जिसका राजनितिक इतिहास विलक्षण है !! यंहा से श्री गुरशन छाबड़ा , श्री हंसराज मिढा , श्री अमर चन्द मिढा , श्री अशोक नागपाल और अब श्री गंगाजल मील विधानसभा में नेत्रित्व कर चुके हैं ! अब आगामी दिसंबर माह में नए विधायक चुने जाने हेतु जनमत माँगा जायेगा ! छाबड़ा जी जंहा कोलेज खुलवाने , हंसराज जी टिब्बा क्षेत्र में पानी पंहुचाने हेतु मशहूर रहे , वन्ही मौजूदा विधायक श्री गंगाजल मील ने पार्क बनवाने , पुल शुरू करवाने ,स्कूल बनवाने और सीवर सिस्टम की शुरुआत करने जैसे कई काम अपने नाम के साथ जोड़ने में सफलता पाई है !! केवल श्री अशोक नागपाल ही ऐसे विधायक हैं जो अपने नाम के साथ कोई विशेष काम अपने पांच साल के कार्यकाल में भी नहीं जोड़ पाए !!

                         यंहा की भाजपा फिर पूरे जोश में दिखाई पड़ रही है , ना जाने क्यों ??? भारत में आजकल नरेंद्र मोदी के नाम की लहर चल रही है , तो इसका मतलब ये हरगिज़ नहीं निकाला जाना चाहिए कि विधानसभा के चुनावों में भी जनता भाजपा को ही जिताएगी ! भाजपा के कार्यकर्त्ता और नेता बहुत जल्दी " जोश " में आ जाते हैं !! शायद इसी लिए सूरतगढ़ विधानसभा हेतु अकेले भाजपा से 14 नेता टिकट मांग रहे थे ! कुछ दिन पहले 9 दावेदारों का जोश " झाग " की तरह से बैठ भी गया ! इन्होने जयपुर जाकर अपने आकाओं से ये बोल दिया कि " हम में से चाहे किसीको टिकेट दे दो , लेकिन राजेन्द्र भादू को टिकेट मत देना " !! प्रादेशिक नेत्रित्व को भी आभास हो गया कि इन 9 दावेदारों में से 8 तो फ़र्ज़ी टिकटार्थी हैं ????
                    " निष्ठावान " का प्रश्न पैदा किया जा रहा है भाजपा में !! जबकि प्रदेश से लेकर मण्डल तक किसी व्यक्ति विशेष के तो निष्ठावान बहुत मिल जायेंगे , लेकिन संगठन और सिद्धांतों के निष्ठावान भाजपा से जैसे गुम ही हो गये हैं !! पिछले 2 बार के  संगठन चुनावों में  संगठन की निष्ठा के नाम पर ऐसे-ऐसे नेताओं को जिलों और मंडलों के पदों पर " मनोनीत " किया गया जिनके इतिहास दलबदल और बगावत से भरे पड़े हैं !! वोही नेता आज दुःख दे रहे हैं !! श्री मति वसुन्धरा राजे की यही बड़ी मजबूरी है कि  वो उन्हें चाहते हुए भी बदल नहीं सकतीं क्योंकि चुनाव सर पर हैं और केंद्रीय नेत्रित्व भी कोई बदलाव नहीं चाहता !! इसलिए अबकी बार बगावत होने के बड़े आसार दिखाई पड़ रहे हैं !! टिकेट चाहे किसी को मिले बगावत अवश्यम्भावी है !! क्योंकि पिछले चुनावों में भी कई भाजपा नेताओं ने अपने संगठन के आकाओं के कहने पर अपनी पार्टी के साथ " भीतरघात " किया था !! जिसकी " प्रतिक्रिया " अब देखने को अवश्य मिलेगी !! अतः कहा जा सकता है कि भाजपा को सूरतगढ़ सीट से जीत पाना बड़ा ही कठिन है !
                          कोंग्रेस में भी श्री गंगाजल जी द्वारा करवाए गए निर्माण कार्य,उनको बचा नहीं पाएंगे क्योंकि एक तो यंहा के चैयरमैन सारा क्रेडिट खुद लेना चाह रहे हैं , दुसरे यंहा से कोंग्रेस की द्वितीय लाईन के नेता भी अपनी दावेदारी विधानसभा टिकेट पर पूरे दम-ख़म के साथ ठोक रहे हैं ! तीसरा सूरतगढ़ में " कब्ज़े ",भ्रष्टाचार ", क़ानून व्यवस्था "और गुंडा-गर्दी " अपनी चरम सीमा पर है !! चौथा कोंग्रेस की राष्ट्रीय स्तर की छवि भी बड़ी धूमिल है ! मंहगाई से तो जनता त्रस्त है ही लेकिन राष्ट्रीय शिक्षानीति, विदेश निति और देश का सुरक्षा तंत्र पूरी तरह से छिन्न-भिन्न हो गयी है !!
                       आरक्षण एवं सरकारी योजनाओं के अधीन आने वाले B.P.L.लाभार्थी और करोड़ पतियों के घर पैदा हुए लोग ही सुखी हैं , बीच वाले स्वर्ण जाती के I.P.L. कार्ड धारक और निम्न-मध्यम परिवारों में जन्मे अभागे आज " हाथ-पसारने " को मजबूर हैं , वो भला कोंग्रेस को क्यों अपना वोट देने लगे ??? इस लिए कोंग्रेस के लिए भी दिल्ली दूर है !! लेकिन कोंग्रेस के सभी नेता ये  जानते-समझते हैं ! उनको पता है कि जो हमसे दुखी हैं वो " गिनती " में कम हैं ! इसीलिए सरकारें ऐसी योजनायें बना रही हैं जिनसे गरीब तबके और आरक्षित तबके को ज्यादा फायदा पंहुचे ताकि उनके वोट उन्हें ही मिलें !!
                  लेकिन क्या जो कोंग्रेस के नेता जो सोच रहे हैं वास्तव में वैसा ही होगा ??? यही वो " यक्ष " प्रश्न है जिसका उत्तर हमें आने वाले विधानसभा चुनावों  में और अगले वर्ष होने वाले लोक सभा चुनावों में मिलेगा !!
                     जंहा तक सूरतगढ़ विधानसभा में नेत्रित्व का प्रश्न है तो सूरतगढ़ की जनता को किसी ऐसे जनप्रतिनिधि को इसबार चुनना होगा जो जानता हो की विधानसभा में कैसे अपने क्षेत्र की जनता के हितों और सपनों को साकार कराया जा सकता है !! सच्चा नेत्रित्व वोही नेता कर सकता है जो क़ानून का और प्रशासनिक कार्यवाहियों का भी जानकार हो !! इमानदार मिलनसार होना भी आवश्यक है !! सूरतगढ़ की जनता को किसी पार्टी , जाति , धर्म , लालच और क्षेत्रवाद के भुलावे में भी नहीं आना चाहिए !! सोच - समझ कर अपना वोट अवश्य पोल करना चाहिए !! फिर इस देश का और हमारा सबका भाग्य उदय हो जायेगा !!
                 इसी आशा के साथ आपका हितैषी ,
                   पीतांबर दत्त शर्मा , ( समाजसेवी ),
                      सूरतगढ़। (9414657511 )
                        

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Tuesday, October 22, 2013

भाई पर अपहरण के आरोप पर बोले रामदेव, गांधी खानदान मुझे सेक्स रैकेट में भी फंसवा सकता है ! ! !! ? ? ?



                                                           अपने भाई पर अपहरण के आरोप में दर्ज मामले से भड़के योग गुरु बाबा रामदेव ने कहा है कि गांधी खानदान के कहने पर पुलिस उन्हें और उनके परिवार को अपराधी साबित करने पर तुली है. बाबा बोले कि जिसके अपहरण की बात हो रही है, वह चोर था और योगपीठ की पूछताछ के बाद उसे पुलिस के हवाले किया गया. बाबा ने यह भी कहा कि यह सरकार और खानदार कल को मुझे ड्रग और सेक्स रैकेट में भी फंसा सकता है.प्रेस कॉन्फ्रेंस में बाबा रामदेव
बाबा रामदेव ने मंगलवार सुबह इंदौर में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर केंद्र सरकार को खरी खरी सुनाइए. पढ़िए उनके बोल वचन...
‘ये सरकार और भी नीच हरकत कर सकती है. इनकी साजिश है कि योग पीठ में कहीं भी प्रफेशनल लोगों से ड्रग रखवा दो. फिर देखते हैं बाबा को बचाने कौन आता है.बाबा की छवि खंडित करो. जो सेक्स रैकेट चलाने वाले लोग हैं, उन्हें भी पतंजलि योग पीठ में घुसाओ. गिरफ्तार करो और फिर कहो कि बाबा सेक्स रैकेट चलाता है. लोकतंत्र का मजाक बना दिया. एक खानदान का बंधक बन गया, जो वो चाहेंगे, वही होगा.’

जो पकड़ा गया वो चोर था

अपरहण के आरोप पर ये है बाबा की सफाई. ‘कल का मामला बस इतना है कि एक व्यक्ति 25-30 लाख की चोरी करता है, दोबारा चोरी करता पकड़ा जाता है, उसके बाद उसको पूछताछ के लिए पीठ की सुरक्षा में लगे लोग बात करते हैं और पतंजलि योगपीठ के बाहर पुलिस उसको गिरफ्तार करती है. आरोप ये लगाया जाता है कि उसका अपहरण कर लिया, वो भी स्वामी रामदेव के भाई ने. ये इतनी बेशर्मी, इतनी बौखलाहट, इतनी नीचता. और मैं कहूंगा कि गिरने की भी एक हद होती है.
भाई मैं तो किसी आकाश से पैदा नहीं हुआ. परिवार में पैदा हुआ. मेरे परिवार के लोगों का उसके साथ नाम जोड़ दिया. पुलिस के एसएसपी कह रहे हैं कि पतंजलि योग पीठ के बाहर से गिरफ्तार किया, तो अपहरण कैसे हुआ.लेकिन नहीं पूरे देश में सनसनी फैला दी कि बाबा रामदेव अपराधी है, उसका खानदान अपराधी है.

जिस दिन गलत होऊंगा, हाथ नहीं जोड़ूंगा

इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में बाबा बोले कि ‘जन्म से लेकर आज तक साथ बैठा हूं. कह रहा हूं, जिस दिन गलत साबित होऊं, कोई साथ न दे. कभी हाथ नहीं जोड़ूंगा कि मेरा साथ दीजिए, सही हूं.मगर सरकार तो सही को गलत साबित करने पर तुली है.कभी लंदन के हीथ्रो एयरपोर्ट पर रेड अलर्ट बता गिरफ्तार किया जाता है. पूरी दुनिया में छवि बिगाड़ने की कोशिश की जाती है. खबर आती है. बाबा रामदेव का भाई फरार, पुलिस कर रही गिरफ्तार, उसने कर लिया अपहरण. अरे चोर को पकड़ने के बजाय जिस संस्थान में चोरी की, उसे ही अपराधी बना दिया जाए. ये कौन सा न्याय है, कौन सा लोकतंत्र है.’

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पीताम्बर दत्त शर्मा,
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Saturday, October 19, 2013

" प्यारे दोस्तो !! सादर नमस्कार " !! कुशलता के आदान-प्रदान पश्चात समाचार ये है कि कई दिनों बाद मेरे ब्लॉग का ट्रांसलेटर अब कंही जाकर सही हुआ है !! अभी भी फोटो डाऊनलोड करने की सुविधा ठीक नहीं हुई है , चलो आपसे हिंदी में लिख कर संवाद तो कायम रख ही सकता हूँ !!
                      कई विषयों पर मेरे विचार मेरे दिमाग में ही रुके हुए हैं और कई रोमांच से भरी बातें , हंसी से भरी यादें आपके साथ बांटनी हैं , जिसका सिलसिला सोमवार से शुरू कर पाऊंगा !!
                      आपकी तरफ से जो मुझे प्यार मिलता है उस से उत्साहित होकर ही मैं कुछ लिख पाता हूँ !! मेरे ब्लॉग के पाठकों की संख्या 30,000 के पास पंहुचने वाली है ! मेरे फेसबुक , गूगल +, पेज़ और ग्रुप " फिफ्थ पिल्लर करप्शन किल्लर " पर भी आपका आशीर्वाद सैंकड़ों की संख्या में रोजाना  कोमेंट्स और लाईक के ज़रिये मुझे मिलता रहता है !


                मेरे प्रिय लेखक मित्रों की सुन्दर रचनाओं को भी मेरे ब्लॉग आदि पर जगह मिलती रहती है उसे भी जो प्यार आप लोग देते हो उसके लिए मेरा आप सब पाठकों को नमन है !! उन अच्छे लेखकों की वजह से मेरे विचार भी आप तलक पन्हुच जाते हैं, जो लोग मेरे लेखों को शेयर करते हैं उनको भी मेरा बहुत बहुत धन्यवाद !! भगवान हमारी मित्रता ऐसे ही बनाये रख्खे !!
                                      आपका हितैषी मित्र ,
                                        पीताम्बर दत्त शर्मा ,
                                       MOB.9414657511.

Friday, October 18, 2013

" मेरे प्रिय मित्र श्री सूबेदार जी की सुन्दर रचना , आप भी पढ़िए..." भारत को बचाने फिर कब आओगे श्याम --------?

शुक्रवार, 27 सितम्बर 2013
                      जब-जब धर्म की हानी होती है मै आता हु ऐसा गीता मे भगवान श्रीक़ृष्ण ने कहा ऐसा प्रकट भी हुआ, समय- समय पर या तो वे स्वयं आए अथवा अपने अंश को भेजा जिसके द्वारा धरती का उद्धार हुआ जब हम पृथबी की कल्पना करते हैं तो उसका अर्थ आर्यावर्त, भारतवर्ष अथवा हिंदुस्तान ही होगा क्यों की जब धर्म की बात होगी तो केवल भारत मे ही होगी क्यों की वे यहीं आए चाहे वामन के रूप मे या कच्छप अथवा श्रीराम, श्रीक़ृष्ण के रूप मे और यहीं से धरती का उद्धार किया इसका अर्थ भी हमे समझना पड़ेगा मानव, मानवता क्या है ? उसकी भी ब्याख्या होनी चाहिए, जो भगवान मनु की संतान अपने-आप को मानते हैं वास्तव मे मनुष्य वही हैं, इस धरती पर कुछ लोग मोमिन अथवा खृष्ट हैं वे मनुष्य नहीं उनके ग्रन्थों मे मानवता का वर्णन भी नहीं है एक मे कुरान, मोमिन व उनके पैगंबर का वर्णन है दूसरे मे भी इशू, चर्च व बाइबिल का ही वर्णन है  इनकी मानवता जो इंनका अनुयाई है जिसका विसवास इनकी पूजा पद्धति मे वही मानव है
जो अपने संप्रदाय तक ही सीमित है।

          भारत का अर्थ क्या है यह हमें समझने की आवश्यकता है भारत की अपनी संस्कृति है वह गावों में बसती है जिसे हमारे महापुरुषों ने हजारों -लाखों वर्षों की तपस्या पश्चात् यह मानव-मानव, पशु-पक्षी, पेड़-पौधों बनास्पतियों सभी में जीव है सभी मानव उपयोगी है जिसका चिंतन हमारे पुर्बजों ने की, किसी में कोई भेद न करने वाली संस्कृति इसी को हम हिन्दू संस्कृति भी कहते हैं वर्तमान परिदृश्य कैसा है--? क्या भारत भारत बच सकेगा ? सेकुलर नेता हिन्दू बिरोधी निति अपनाकर राष्ट्रद्रोह पर उतारू हैं वे सेकुलर के नाम पर हिन्दू बहन बेटियों का सौदा करने में कोई संकोच नहीं करते वे हिन्दुओ की आराध्य गौ माता को बध शालाओं में विदेशी मुद्रा की लालच में ले जा रहे है खुले आम मुस्लिम मुहल्लों में गाय काटी जा रही है, लव जेहाद को माध्यम बना देश में लाखों हिन्दू लड़कियों को जेहादी बनाया जा रहा है वर्तमान भारत के कई प्रान्तों में हिन्दू अल्पमत  में आ गया है उन स्थानों पर हिन्दू बहन-बेटियों का जीना दूभर हो गया है कश्मीर जैसे हालत असम में भी पैदा करने का प्रयास हो रहा है.
         मंदिरों का धन हज यात्रियों, चर्चों व अन्य कार्यों में लगाने की आदत सी हो गयी है भारत सरकार की निगाहे हिन्दू मंदिरों में रखे सोना पर लगी है ये देश द्रोही नेता क्या करना चाहते हैं ---? हे भगवान अब तुम ही भारत को बचा सकते हो गीता में आपने कहा था की ''यदा-यदाहि धर्मस्य-----'' जब जब भारत में धर्म की हानी होगी मै आउगा, आप आये भी शंकर के रूप में सुदूर दक्षिण केरल के कालड़ीग्राम में, आप आये रामानंद स्वामी के रूप में, आप आये महाराणा, शिवाजी के रूप में, आप आये दयानंद, विवेकानंद के रूप में, आप को आना होगा फिर किसी के रूप में नहीं तो मानवता को कौन बचाएगा--? कौन बचाएगा इस पवित्र हिन्दू धर्म को--? कौन बचाएगा भारतमाता की अस्मिताता को--? अयोध्या, मथुरा, काशी, कांची, अवंतिका को कौन बचाएगा ---? गंगा, कावेरी के पवित्र जल को कौन बचाएगा ? इसलिए अब आपको आना ही होगा नहीं तो आपकी पूजा, श्रधा कैसे होगी---? हे श्रीकृष्ण जिस पवित्र यमुना जी तट पर खेलते थे जिसको पवित्र करने हेतु कालियानाग को भगाया उसकी दुर्दसा आपसे कैसे देखी जाती है, भगवान श्रीराम जिस पवित्र सरयू के किनारे खेले वह तुम्हे बुला रही है, गंगाजी अपना आक्रोस केदारनाथ में प्रकट कर चुकी हैं आपको यह सब कैसे देखा जाता है क्या इन सब की करुण पुकार आपको सुनाई नहीं देती---!
              इसलिए हे भगवान कृष्णा इस देश को बचने फिर कब आओगे----? 
         सूबेदार जी  

SWAGAT MITRO !! NAMASKAR !!
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आपका प्रिय मित्र ,
पीताम्बर दत्त शर्मा,
हेल्प-लाईन-बिग-बाज़ार,
R.C.P. रोड, सूरतगढ़ !
जिला-श्री गंगानगर।

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"निराशा से आशा की ओर चल अब मन " ! पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक)

प्रिय पाठक मित्रो !                               सादर प्यार भरा नमस्कार !! ये 2020 का साल हमारे लिए बड़ा ही निराशाजनक और कष्टदायक साबित ह...