Wednesday, July 27, 2011

" stifa" kis - kis - ka - loge , par hoga kya ???

स्तीफा चाहने वाले दोस्तों - नमस्कार ! आज कल स्तीफा मांगने वाले लोगों का पेट ही नहीं भर रहा  जी |" चव्हान , कलमाड़ी , राजा आदि आदि आज से पहले न जाने कितने लोग , मीडिया के द्वारा नेतिकता और जनता  का डर दिखाए जाने से डर कर अपना अनमोल पद त्याग चुके हैं | जो बड़े ही प्रयासों से जीवन में एक - दो बार ही मिल पाता है , पद मिलते ही लोग जलने लग जाते हैं | पेट में बल पड़ जाते हैं दोस्तों - रिश्ते दारों के भी , मीडिया को तो और कोई काम है ही नहीं , जंहा हमने दस बीस करोड़ कमाए , बस इनके कान खड़े हो जाते हैं |हमारी मजबूरी तो कोई देखता ही नहीं |कितने साल बाद , पैसों और टाइम  की बर्बादी से एम्.एल.ऐ. के दावेदार  पार्टी में बन पाते हैं | हाई - कमांड की मेहरबानी और पार्टी को भारी चंदा देकर हम टिकट ले पाते हैं | २५ दिनों तक चुनाव क्षेत्र में गधों की तरह घुमते हैं |छोटे से लेकर बड़ों तक की जी हजूरी करते हैं |करोड़ों रूपये खर्च करते हैं ,दारु , पेट्रोल , झंडे , बैंनर और न जाने कैसे - कैसे  खर्चे करने पड़ते हैं | तब तो मीडिया - और जनता बोलती ही नहीं , उल्टा मिडिया तो तब भी हमें ही दोषी ठहराता है, और जनता ये कहती है की एम्. एल.ऐ. या एम्.पी. बनना है तो ये खर्चा तो करना ही पड़ेगा | तो आप ही बताइये की हमारी इसमें कान्हा गलती है जी ???? न्यायालय भी हमारा दुश्मन हो गया है , वो भी टी.वी. देखने लगा है वंहा कुछ खाली टाइप के लोग बैठे रहते है ,और बस बोलते रहते हैं , बोलते रहते हैं ,इस चैनल से उस चैनल , उस चैनल से दुसरे चैनल तक |हमारे भी तो बाल - बच्चे हैं जो हमें देश से ज्यादा " प्यारे " हैं | अभी कल बी.जे.पी. के अध्यक्ष श्री नितिन जी ने कहा कि " येदी. जी ने कहा है कि अगर " रिपोर्ट " में नाम होगा और केंद्रीय नेत्रित्व चाहेगा तो "उनका" त्याग पात्र हो जायेगा | परन्तु " येदी. जी"आज मिडिया को कह रहे हैं कि न मेरा दिल्ली जाने का प्रोग्राम है और न ही त्यागपत्र देने का " मूड " है | शायद " कर्नाटका का पानी " ही ऐसा है | अपने पूर्व पी.एम्. पता नहीं क्या - क्या देवेगोड़ा जी , जितने देर देश के प्रधानमंत्री रहे ऐसे जिद्दी व्यवहार दिखाते ही रहे | आज भी उनके सुपुत्र कर्नाटक में येदी जी का मुकाबला कर रहे हैं , दोनों एक जैसे स्वभाव के हैं | मेरी भविष्य वाणी ये है कि अगले ३६ घंटों में या तो येदी जी का स्तीफा हो जायेगा नहीं तो नितिन जी को स्तीफा देना पड़ेगा ???? नहीं तो मज़ा नहीं आएगा जी | भारत कि जनता भी सिर्फ मजे ही लेती है , करती कुछ नहीं है | अब हमारे विदेश मंत्री श्री कृष्ण जी को ही देख लीजिये , पहले श्री मति हिलेरी जी से हाथ मिला रहे थे , और आज श्रीमती खार जी से हाथ मिला रहे हैं | आप कन्हेगे कि इसमें क्या बुरी बात है ?? देखने वाले कि नियत साफ़ होनी चाहिए तो उत्तर में में ये कन्हुगा कि हाथ मिलाने में कोई बुराई नहीं है , लेकिन कोई बात करने का मुद्दा ही भूल जाये , या असरदार तरीके से नहीं कह पाए , तो यही कहा जायेगा कि " बुढ्ढा " मज़े ले रहा है |  मुझे तो यही कहना है कि पकिस्तान १९८० से पहले पंजाब  में और फिर पुरे देश में आतंक वाद फैला रहा है | नकली नोट छापकर हमारी अर्थव्यवस्था खराब  कर रहा है , और हम कहते हैं कि " बात से बनेगी बात " शेम - शेम ??? क्या हम वास्तव में " बातचीत " के समर्थक हैं या " डरपोक " हैं ??????? आप ही फैसला करें जी | में तो जा रहा हूँ पंजाब , शादी में ...........!!!!  

Monday, July 25, 2011

" BHARAT -- RATAN "------ " HAQDAAR - KOUN - KOUN " ? ? ? ? ? ? ? ?

भारत के रत्नों , कीमती प्यार कबूल हो !! जब से ये नया समाचार आया है की अपनी सरकार अब खिलाडियों को भी " भारत - रतन " का पुरूस्कार देगी , तो खिलाडियों में भूचाल आ गया कि " शुरुआत " कंहा से होगी ,गुज़रे खिलाडियों के बच्चों ने अपने बुजुर्गों और महान खिलाडियों के नाम का प्रस्ताव रखा जो उचित भी है | और जो रिटायर जीवन व्यतीत कर रहे हैं ,उन्होंने ने भी अपने नाम कि लोबिंग शुरू करवादी | मौजूदा खिलाडियों में से सबसे ज्यादा नाम " सचिन " का ही आ रहा है , बल्कि ये कहा जाए तो ज्यादा उचित होगा कि सचिन के लिए ही सरकार ने ऐसा करना सोचा है |वैसे तो ये भी विचार सामने आया था कि नए खिलाडी तो ज्यादा धन पाकर  , और अन्य सन्मान पाकर  सन्मानित हो चुके हैं | सिर्फ गुज़रे हुए लोगों को ही ये सन्मान मिलना चाहिए | ताकि सिफारिशों का झन्झट ही ख़तम हो जाए | नए खिलाडी तो पेप्सी भी बेचते हैं , तो क्या पेप्सी बेचने वाला भारत रतन हो सकता है , ये भी सोचने वाली बात है जी | मेरे  पास बैठा मेरा कर्मचारी बोला साहिब खिलाडी ही क्यों सब काम करने वालों को " भारत - रतन " मिलना चाहिए जब बड़े व्यपारी को ये सन्मान मिल सकता है तो पेप्सी बेचने वाले को क्यों नहीं ???? भारत का हर २०० वाँ व्यक्ति भारत रतन का हकदार है | इतना हुनर है अपने " भारत " में जी | और अगर कंही सरकार रूपए लेकर  शहर - रतन , जिला - रतन और प्रांत -रतन और देना शुरू करदे तो सरकार का खज़ाना भी भर जायेगा और हम जैसे लोग भी प्रसन्न हो जायेंगे ???    

Saturday, July 23, 2011

" AMAR SINGH " ------------- " BOL - BABY - BOL-------!!!!!!

दलाल मानसिकता वाले दोस्तों  ! , कमीशन भरा नमस्ते !जी हाँ दोस्तों,ये एक प्रकार की मनसिकता ही होती है कि कोई व्यक्ति सेवा करते - करते अपना मेहनताना लेने लग जाता है या फिर कोई चतुर व्यक्ति अपना हित साधने हेतु उस सेवा भावी को मेहनताना देना शुरू कर देता है , तो उस कमाई से जलने वाले लोग उस " मेहनताने " को दलाली और लेने वाले को दलाल कहने लग जाते हैं . पहले जब श्री - श्री १०८ श्री नरसिम्हा राव जी की सरकार अल्पमत में थी ,तब भी दलाल टाइप के लोगों ने बचाया था , और जब अपने " सरदार शरिफां दा" मन मोहन सिंह दी सरकार खतरे में आ गयी तो भी इन्ही सेवा भावी ,"दलाल टाइप " के अपने "अमर सिंह " ने अपनी फोज से बचाया | पता चल गया , शोर मच गया , लेकिन अपने अमर जी का कुछ नहीं बिगड़ा , क्योंकि वो उस समय समाजवादी पार्टी के सर्वे सर्वा थे ,और सरकार उस पार्टी के समर्थन पर टिकी थी और टिकी है , लेकिन आज अपने अमर जी महा सचिव नहीं हैं | तो हो गया " इशारा " और पुलिस जी ने बुला लिया ,परन्तु वह हमारे समाजसेवी " अमर सिंह " जी ,इसे कहते हैं " मालिक भक्ति " पठ्ठे  ने मुंह नहीं खोला ? " मुझे नहीं पता " की माला जपनी शुरू कर दी , पता है पुलिस तीसरी श्रेणी तो अपनाएगी नहीं ,फिर डर किस बात का , भगवान न करे अगर पुलिस ने तीसरा नेत्र खोलना भी चाहा तो " मानवीय अधिकारों के रक्षक "किस दिन काम आयेंगे जी | अभी तक तो पिछले बैगों का ही पता नहीं चला ,जांच चलती है तो चलती रहे नरसिम्हा राव जी ने तो राज चला लिया न ,? लेने वाले आज भी राज भोग रहे हैं  क्या तकलीफ है भला उनको जी | ऐसे ही अमर जी " अमर " हो जायेंगे ? और वो स्वर्गों में बैठ कर ये गाना गायेंगे कि " जनता की तो टायं - टायं फिस -फिस - फिस " जय राम जी की बोलना पड़ेंगा जी ???????

Thursday, July 21, 2011

' V Y A A P A A R I ---------------- SARKAAR -------- ! ! ! HAIRAANI KIS BAAT KI ????

हैरान भारत वासियों , नमस्कार ! , देश का हर नागरिक व्यापारी बन गया है , हर कार्य व्यापारिक दृष्टि से देखा जाने लगा है ,तो अगर सरकारें व्यापार करने लग गयीं हैं तो इसमें  इतने  अचरज की क्या बात है | जब हमारी सरकारें " आयात - निर्यात " कर सकती हैं तो देश वासियों से सस्ती जमीन लेकर मंहगी बेच कर व्यापार क्यों नहीं कर सकतीं ?? ऐतराज़ की बात तो ये है की अफसरों ने बिल्डरों से ज्यादा धन ले लिया और सरकार के खाते मैं कम पैसा डाला , ये गद्दारी है | ऐसे लोगों को " चाइना " की तरह शरेआम " फांसी " दे देनी चाहिए |जंहा तक बात किसानो की है तो किसी को बन्दूक दिखाकर या धमका कर  जमीन कम दामों पर ली गयी है तो निस्संदेह रूप से उन्हें उनकी जमीन वापिस मिलनी ही चाहिए | लेकिन जंहा निर्माण हो चुका है वंहा का भाव दोबारा तय हो जाए  तो कोई बुरी बात नहीं है |पहले भी किसानो को उस समय के मुताबिक कोई ज्यादा कम पैसे नहीं मिले , किसान चाहे किसी प्रदेश कही क्यों न हो ,गरीब हो या अमीर , जानता सब कुछ है | अगर जंहा निर्माण नहीं हुआ वंहा के किसानो को जमीन वापिस देना शुरू करदे , दिए हुए पैसे वापिस लेकर , तो तुरंत सच्चाई बाहर आ जाएगी | शायद ही कोई किसान अपनी जमीन वापिस ले पाए या लेना चाहे ?   क्योंकि माल तो हज़म हो चुका है |टी.वी. चैनल और मिडिया भी तो व्यपारी बन चुके हैं ,चुनाव नजदीक हैं |इस लिए कुछ ज्यादा ही " हो - हल्ला "  मच रहा है  | हीरो - हिरोइन जैसे पब्लिक फिगर हो गए हैं पत्रकार भाई |छोटे पत्रकारों  को बड़े पत्रकार " छुट - पुटिया " बता रहे हैं | सब एक - दुसरे को सिद्धांत बता रहे है | सिद्धांत यानि की " सीधा - अंत | बोलो जय श्री राम !!!!!!!!! कुल मिला कर बात ये है कि दूकान दारी ऐसे लोगों को तो बंद करनी ही पड़ेगी जो सामाजिक सरोकारों का  कार्य  कर रहे हैं |

Wednesday, July 20, 2011

" DARPOK , GULAAM , OR KAMZOR DESH-----" INDIA ".....???????"

JHUTHE , DOSTO! JHOOTHA NAMASKAAR ! BACHPAN MAIN ADHYAPAK HAMEN BAAR - BAAR KAHTE THE KI " JHOOTH BOL KAR "KISKO " DHOKHA DE RAHE HO " TAB YE BAAT SAMAJH NAHI AATI THI .AAJ JAB HAM THODA SAMAJHDAAR HO GAYE HAIN TO SAMAJH MAIN AAYA HAI KI HAM KANHA - KANHA , KAB - KAB , KIS - KIS KO OR KYON - KYON JHOOTH BOL KAR CHODE HUE JA RAHE HAIN . JIS VYAKTI KI JTNI "OUKAAT " HOTI HAI WO US SE THODA KAM HI JHOOT BOL SAKTA HAI , JYADA BOLEGA TO PAKDA JAYEGA .AB INTERNET KE PATHKON SE CHOTE AADMIYON DWARA BOLE GAYE JHOOTHON KA KYA JIKAR KAREN . " BADE " AADMIYON KE " BADE"  JHOOTON KI HI CHARCHA " LIKHNE OR PADHNE" KA " MAZA " AAYEGA KYON ? PT. JWHAR LAL JI NE 1947 MAIN KANHI NA KNHI JHOOTH BOLA - TABHI TO VE PM. BANE OR PAKISTAAN ,KASHMIR KI SMASYAAON NE JANAM LIYA JISE HAM AAJ TAK BHUGAT RAHE HAIN . SHASTRI JI BECHARE JYADA DER JIVIT HI NAHI RAH PAAE SHAYAD ISI LIYE KI UNHONE JHOOTH NAHI BOLA , PAHLE LOG SIDHANTWADI HOTE THE. MAR JAYENGE LAKIN YE NAHI KARENGE - WO NAHI KARENGE AADI - AADI .VAISE TO JITNA PURANA SHABAD " SACH " HAI UTNA HI PURANA SHABAD " JHOOTH " HAI. AGAR HAM APNI NAZAR SE DEKHI DUNIA MAIN BOLE JA RAHE JOOTH KA LEKHA - JOKHA DEKHEN TO PATA CHALTA HAI KI RAAJNITI MAIN JYAADA JHOOTH SMT. INDIRA GANDHI JI KE DOOSRE SHAASAN KAAL SE SHURUAAT HUI OR AAJ STHITI YE HAI SIRF JHOOTH HI BOLA JATA HAI ," SACH " TO KEWAL KITAABON MAIN HI RAH GAYA HAI . BESHARMI SE HAM SAB DIN MAIN NA JAANE KITNI BAAR AISE AISE " JHOOTH " BOL JATE HAIN KI BAAD MAIN HAM SWYAM HAIRAAN HO JATE HAIN KI, YE HAMNE BOLA THAA? FIR STHITI KO SAMBHALNE HETU KOI NA KOI TARK DHOONDH LETE HAIN, USKI JIMMEDARI KISI OR PAR DAAL DETE HAIN ??JHOOTHON KI EK BAANGI DEKHIYE :-- 1." PAKISTAAN KO SABAK SIKHAYA JAYEGA " -- SH. ATAL JI. 2. " SHAHIDON KI SHAHADAT KO HAMESHAAN YAAD RAKHAA JAYEGA." -- SABHI P.M. 3." MANHGAYI DOOR KI JAYEGI ". SABHI P.M. 4. " KISANO KO UNKI PAIDAWAR KI SAHI KEEMAT DIJAYEGI " SABHI P.M. 5. " AATANK WADIYON KO BAKHSHA NAHI JAYEGA " --ATAL JI . AISE KAI WAKY YAAD KARWAE JA SAKTE HAIN . KISI KA HAATH AAM AADMI KE SATH NAHI DIKHTA. SH. NARSIMHA RAAO OR S. MANMOHAN SINGH JI TO BECHAARE TO BOLNE KE LIYE MAHINO LAGA DETE HAIN . B.J.P. WALE TO BAOLTE HI JYADA HAIN . MAZAA TAB AAYEGA JAB PAKISTAAN , DUBAI , AFGANISTAAN , SRI LANKA , CHAINA , OR NEPAAL KE T.V. CHANLON PAR HONE WALI DISCATIONS KO TRANSLATE KARKE LIVE DIKHAYA JAAI . TAB IN NETAAON KI POL KHULE .  BHAGWAAN SAB KA BHALA KARE !!!!!! CHENALS KE ANCKER BHI BECHARE KYAA KAREN UNHE TO WO HI DIKHANA PADTA HAI , JO UNKE MALIK KAHTE HAIN . ABHI PICHLE DINO HARIYANA KE B.J.P. NETA SH. SURENDER AHLAWAT NE FACE BOOK PAR EK LIST DAALI , JISME YE BATAYA GAYA HAI KI 90% " MEDIA CHAHE WO PRINT HO YA ELECTRONIC " AISE LOGON KE RISHTE DAAR HAIN JO IANDIA MAIN " ISAAIYON OR MUSLIM SAMUDAAYON KO HINDUON SE JYAADA SUVIDHAAIN DILWANA CHAHTE HAIN . YA FIR COMREDON KE SAATH JUDE HUE HAIN JO DESH KA ITIHAAS BADALE MAIN MASTER HAIN . INHI KI WAJAH SE DESH MAIN M.A. PADHA HUA AADMI DESH KE 25 SHAHIDON KE NAAM NAHI BATA SAKTA . ISI LIYE KAI PATRKAAR TO KRODPATI HAIN OR JO INSE NAHI JUDE HUE UNME SE JYADATAR GUZARA HI CHALA RAHE HAIN .YE DESH KE DUSHMAN LOG HI T.V. PAR CHALNE WALI BAHAS MAIN KAHTE HAIN KI ITNE VISHAL DESH KO YE CHOTI SI GHATNA KUCH BIGAAD NAHI PAAYEGI. BALKI MAIN YE KAHTA HOON KI DESH KO " DEEMAK " LAG CHUKI HAI . DESH KHOKHLA HO CHUKA HAI .KOI DESH BHAGAT BACHA HAI TO MIL JAAO OR " GADDARON " KO MAAR KAR DESH KO BACHAAO , NETRITW KARO - AAHWAAN KARO  ! ! ! 

Wednesday, July 13, 2011

" PATRKARITA - ---- KAISI - KAISI --------?????????


DOSTO ! NAMASKAAR !  AAJ PATRKARITA KE BARE MAIN HI BAAT KAR LETE HAIN .WO BHI JAMANA THA , JAB HAATH SE SAMACHAR LIKHE JATE THE OR SWAYAM AKHBAAR KA MALIK AKHBAAR GHAR - GHAR BAANT KAR AATA THA.FIR TRAKKI HUI , TO MASHEEN AA GAYI , SAMPADAK,SAMVADDATA,OR NA JANE KYA - KYA POSTAIN BAN GAYI. FOTOGRAFAR BHI JUD GAYE.SAMACHAR PATR RANGEEN HO GAYA , SUNDER HO GAYA.ISKE BAAD KAI TARAH KE AKHBAAR HO GAYE , JAISE- VYAPARIK , FILMI , DHARMIK , JATI VISHESH KE AADI AADI .JAB ITNE PARKAAR HO GAYE OR KARAMCHAARI HO GAYE TO RUPYON KI ZAROORAT PADI , TO VIGYAPAN SHURU HUE.USMAIN BHI SARKAARI , CHUNAAVI, DHARMIK OR VYPARIK AADI - AADI.TO DOSTO JAB SAMACHARON MAIN BHI VYPAAR AA GAYA , AKHBAARON KE PRKAAR MAIN BHI VYPAAR AA GAYA ORVIGYAPNO MAIN BHI VYPAAR AA GAYA TO YE PAVITR - KAARYA BHI " VYPAAR" BAN GAYA .WO EK GEET KEE LINE HAI NA KI  " KAJAL KI KOTHRI MAIN KAISA BHI JATAN KARO KAJAL KA DAAG BHAI LAAGE HI LAAGE " TO PATRKAAR BHAAI BHI IS DAAG SE BACH NAHI SAKE.ABHI KAL HI MASHHOOR PATRKAAR SH. VINODSHARMA JI "NDTV" PAR KAH RAHE THE KI MAIN AISE KAI PATR KARON KO JANTA HOON JO KUCH SAMYA PAHLE TOOTI HUI CHAPPAL PAHNTE THE OR AAJ KROD PATI HAIN .ELECTRONOC MEDIA NE TO BAHUT PAISA BANAYAHI HAI LAKIN AKHBAAR OR MAGJINE WALE BHI KAFI PAISE WALE HO GAYE HAIN .PAISA HONA KOI BURI BAAT NAHI HAI .MEHNAT OR KISMAT SE KAMAYA DHAN BURA NAHI HOTA . LAKIN "PEET " PATRKARITA OR PAID NEWS OR PROGRAM SE ANDHDHUND KAMANA OR WO BHI" SIDHANTON " KO TAAK PAR RAKH KAR , KATAI SAHI NAHI KAHA JA SAKTA ? AAJKAL TO BLACK - MAILING BHI SHURU HO GAYI HAI . YE CHOTE SAMACHAR-PATRON SE LEKAR BADON TAK OR TV.CHENLON PAR BHI HO RAHA HAI .PICHLE DINO SH.KAPIL SIBBAL JI BABA RAM DEV KI CHAVI BIGADNE KE BAAD MEDIA KO KAH RAHE THE KI " CHAVI BANANE MAIN BARSON LAG JATE HAIN LAKIN BIGADNE MAIN EK HI NEWS KAAFI HAI . IS LIYE SOCH SAMAJH KAR HI NEWS DIKHANI CHAHIYE." IS MUDDE PAR BAHUT LAMBI BAHAS HO SAKTI HAI . HAR EK KE PAAS APNE - APNE TARAK HO SAKTE HAIN. SAHI TATHYA , - KATHYA CHAPE HO TO CHOT SE CHOTA AKHBAR BHI DHDALLE SE BIKTA HAI ." OCHCHA"PATRKAAR HIKHABRON KO " CHATPATA" BANANE KI SOCHEGA , OR MADARI KI TARAH SHOR MACHA KAR BECHEGA , CHALO SHURUAAT MAIN TO AISA KARNA SAMAJH MAIN AATA HAI LAKIN LAGATAAR AISA KARNA TOTHEEK NAHI KAHA JA SAKTA .EK HI TARAH KI NEWS CHAPNA BHI PATRKAAR KI SOCH KO SEEMIT BANATA HAI .HAMARE SURATGARH MAIN BHI EK DAINK HIGH - LINE NAAM SE AKHBAAR CHAPTA HAI JIS MAIN SAAR GARBHIT LEKH , VISTRIT SAMACHAR , DHAARMIK SAMGRI OR SAAF SUTHRE VIGYAAPAN CHAPE HUE HOTE HAIN.JISE SRIGANGA NAGAR JILE KI JANTA BADE AKHBARON SE BHI JYADA JAROORI SAMJHTI HAI PADHNA. MAIN TO BHAGWAN SE YAHI PRARTHNA KARTA HOON KI IS JIMMEDAAR KARYA SE JUDE HUE LOGON KO ATI SHIGHR SADBUDHI PARMATMA PRDAAN KARE ! CHAHE WO AKHBAAR WALA HO YA FIR CHENAL WALA .KYONKI IS SAB SE DESH KO FARAK PADTA HAI BHAAI .KUCH TO AAPAS MAIN HI LADNE LAG JATE HAIN WO KAHTA HAI MAIN OR MERA AKHBAAR YA CHENAL BADHIYA HAI, OR DOOSRA KAHTA HAI KI MERA BADHIYA .IS TARAH SE DONO KE KAI DIN AKHBAR BIK JATE HAIN YA CHENALJYADA CHAL JATA HAI . PAR KITNI DER TAK --- " TIKTA TO KEWAL SATYA HAI " ISI LIYE KAHA HAI KI " SATYAM  - SHIVAM - SUNDRAM".

Monday, July 11, 2011

" H A I - R E - D E S H - KI - K I S M A T "

BURI KISMAT WALE DOSTO , NAMASKAAR , OR BHALA HO AAP KA . JAB DESH KI KUNDLI MAIN GRAH BURE CHAL RAHE HO TO DESHWASIYON KE BHALE GRAH KAISE HO SAKTE HAIN." RAPE,MANHGAAYI,BHRASHTACHAAR,KE BAAD 2 - 2 RAIL DURGHATNAAIN HO GAYIN , OR MAJBOOR PRDHAN MANTRI MANTRI MANDAL KA VIS TAAR KAR RAHE HAIN YA KARWAYA JA RAHA HAI .WAKAT ITNA BURA HAI KI JANTA KO BHI KOI AASHA NAHI HAI . JANTA MAAN KE CHAL RAHI HAI KI BAS " MARNA HAI " . CHANELON KE AKHBAARON KE OR MARE JAISE , BUDHIJIVI BHI NIRASH HO GAYE HAIN .SWAL UTHAAI JA RAHE HAIN ,LAKIN JWAB NAHI MIL RAHA.ISSE BURA SMAYA DESH KE LIYE KYA HO SAKTA HAI ?KOUN HATEGA KOU AAYEGA ISSE KOI FARAK NAHI PADTA HAI SAB SUSRE "EK HI THALI KE CHATTE - BATTE HAIN",LAKIN AAJ EK NAI WARDAAT HUI HAI , PAHLE TO IS DESH MAIN ,MAHAMAHIM RASHTRPATI APNA PRDHAN MANTRI OR MANTRI BANATE THE , AAJ PRDHAAN MANTRI KARYALYA NE SAMVIDHAN KI PARAMPRA KO TODA GAYA HAI .SHAYAD S.C. YANHAAN SANGYAAN LE.? KYONKI WO HI LOK TANTR KA EK STAMBH HAI JO AAJ BHI MAJBOOTI SE KHADA HAI.LAKI NETA APNI DHITHAAI AAJ BHI DIKHA RAHE HAIN. KYONKI KAPIL SIBBAL APNE DONO MANTRALYA  BACHANE MAIN KAMYAB RAHE HAIN .BAIMAANI - JINDABAAD , MAKKARI JINDABAAD , RASHTRPATI JAAI "BHAAD " MAIN .CHORON KA NANGA NACH . HAM TO JO CHAHE WO KARENGE . ISKE LIYE MAIN OR AAP DOSHI HAIN KYONKI " VOTE" DETE SAMYA HAMNE SOCHA NAHI >? KI VOTE KISE DENA HAI. JHALNI PADEGI MAAR OR 3 SALON TAK. " OKHLI ME SIR DE DIYA , TO MUSLON SE AB KYON GHABRAAYEN. MARO - MARO - OR MARO-----?

Friday, July 8, 2011

"BABU - JI - TUM - KYA - KYA - KHRIDOGE - - - - -??????????????

BHARAT KE "KHRIDARO" OR "BIKAAU MAAL" SAB KO MERA FREE MAIN NAMASKAR !DOSTO , JAB SE YE CRUNCY(PAISA) KA CHALAN HUA HAI ,TAB SE DHEERE - DHEERE SAB KUCH BIKAAU HOTA JA RAHA HAI .WASTUON KE ILAWA , TAN MAN BHI BIKAAU HO CHALA HAI .BAS JHAGDA SIRF KIMAT KA HOTA HAI.DELHI KE KROL BAHG MAIN " HANGER " BECHNE WALA SHRI - SHRI RAMESH SHARMA ITNA BADA KHRIDDAR HO GAYA KI NA JANE KITNE M.L.A. OR M.P. KHARID LIYE.DOCTRON KI AATMA,PATRKARON KI WANI, LEKHNI,KISAN KI JAMIN JO MATA KE BROBAR HOTI THI AAJ SAB BIKAAU HAI . PUCH LO CHAHE RAHUL GANDHI SE . BAS KIMAT BADHIYA HONI CHAHIYE.PAHLE ACHCHAAI KE LIYE TARK DIYE JATE THE KI JAISE MAHARAJA HARISH CHANDRA NE SATY KE LIYE SAB KUCH TYAG DIYA THA , LAKIN AAJ BURAAIYON KE PAKSH MAIN TARK DIYE JATE HAIN KI AGAR WO APNA SAB KUCH BECH RAHA HAI TO MAIN KYON NA BECHUN YA BIKUN ?AAJ PAISA DO TO TV.CHANEL WALON SE JO CHAHE DIKHWALO YA KAHALWALO ?JYADATAR TAIYAAR HAIN.SIDHANTON PAR CHALNE WALE AADMI KO BEWAKOOF SABIT KAR DIYA JATA HAI . EK SE SABIT NAHI HOTA TO ANKAR+PATRKAR+CONG.YA CMRED MIL KAR SABIT KAR DETE HAIN .DO TEEN COMREDON NE SACHCHAI KO SAMJHA OR JANA HAI TO WO DO TEEN AADMI SACH KAHNE KI KOSHISH KARTE HAIN TO UNHI KE PURANE SATHI ULTA UNHEN HI PAGAL BATATE HAIN. KYA ANKARON KI KOI MAZBOORI HOTI HAI ? UNKE MALIK LOG UNHEN MAZBOOR KARTE HAIN ? ROZI ROTI KELIYE SHRIR KI MEHNAT KO BECHNA TO AAWSHYAK HAI , PARANTU AIYASHI KE LIYE AATMA OR SIDHANTON KO BECHNA KABHI BHI SAHI NAHI MANA JAYEGA .HAM APNE BACHCHON KO KYA DEKAR JANA CHHTE HAIN ?ISI KA NATIJA HAI KI UNCHI PADHAAI KARNE WALE VIDYARTHI AYAASH DOSTON KO DEKHTE - DEKHTE CHORI - DACAITY TAK KARNE LAGE HAIN OR RAPE TO ROZ KI BAAT HO GAYI HAI ? RADHEEEE--  KRISHANAAAA--- BOLNA PADEGA ---- MUKH SE-----. JAI HOOOO.

Tuesday, July 5, 2011

ACHCHA , BURA, KALA , SAFED , DHARMIK OR GADDARI KA - -" DHAN" "

धनवान दोस्तों को नमस्कार !आजकल जहाँ देखो वन्ही धन की बातें हो रही हैं | कोई विदेशों में पड़े काले धन की बात करता है तो कोई रिश्वत के बुरे धन की ,कोई मंदिरों में पड़े अच्छे धन की बात करता है तो कोई जासूसी से मिले गद्दारी के धन की |हर तरफ धन यानि पैसे की बात हो रही है |यहाँ तक की हीरे मोतियों की बात भी हो रही है | ऐसा लग रहा है कि जैसे देश में कोई " गरीब " है ही नहीं  | बस हर तरफ पैसा ही पैसा है | मैं भी यह मानता हूँ कि देश में हमेशां से धन कि कोई कमी कभी भी नहीं रही | लेकिन कब कितना  धन किसके यंहां पड़ा है उससे फरक पड़ता है |दुश्मन देश असली धन हमारे देश से बाहर चोरी से भिजवा देवें और नकली नोट चाप कर हमारे देश में चला दें तो हमारा देश आर्थिक रूप से कमज़ोर हो जायेगा , बल्कि हो गया है | देश में बैठे गद्दार भारत माता को नोच - नोच कर खा रहे हैं | " नेता - अफसर -माफिया "का " त्रिफला " चूरन सा बन गया है |हजारों के लाखों , लाखों से करोड़ दिनों में बन रहे हैं |कर्मचारियों की पगार भी हजारों से लाखों में हो गयी है | खाने - पीने और सब्जियां दालें ५०\- से १००\- रूपये किलो हो गयी हैं | उपरोक्त लोगों को तो ये भी सस्ती लगती हैं | परन्तु निचले - और मध्यम श्रेणी का "आम आदमी " कंहा जाये | उसे तो आज भी ५०\- से ५००\- रूपये कमाने में उतना ही समय लगता है ,जितना आज से ४० साल पहले लगता था ???????? जन्हा तक देश में जगह जगह पड़े धन के भंडार की बात है , तो ये तो सब जानते हैं कि हिन्दू मंदिरों में ही नहीं बल्कि सभी धर्मो ,गुरुओं , चर्चों ,गुरुद्वारों और मस्जिदों में धन का भण्डार सुरक्षित है | भगवन न करे कभी कोई देश पर संकट आया तो यही धन देश को वापिस उठाएगा | परन्तु आजकल ऐसा क्या हो गया कि केवल मंदिरों में पड़े धन की हीबात हो रही है | कंही इसके पीछे भी बाबा रामदेव के आन्दोलन का सरकार को लग रहा डर तो नहीं | बाबा रामदेव की तो जीत हो ही गयी है | सुप्रीम कोर्ट ने सरकार पर एस.आई.टी. बना ही दी है | मैं तो कहता हूँ कि सरकार अगर रिश्वत खोरों , भ्रष्ट नेताओं और अफसरों के साथ - साथ माफियाओं के लोकर खोल ले तथा छापे मारे तो भी देश में इतना धन हो जायेगा कि किसी की ओर देखने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी | बाकि रही देश के गद्दारों और उग्रवादियों की बात तो पहले देश में बैठे इन हरामजादों को तो मार लो , इनके संपर्क तो ख़तम कर लो बाद में पडोसी देशों में बैठे अपराधी मांग लेना ?अमेरिका के "चमचो " इस काम के लिए तो अमेरिका से कोई इज़ाज़त नहीं लेनी पड़ेगी ????? इससे बड़ी शर्म की बात और क्या होगी कि अफ्ज़ल्गुरु कि फाइल अभी तक राष्ट्रपति के पास नहीं पंहुची |

Friday, July 1, 2011

" CHATUR - NETAAON - KA - DO - DHARI - "HATHIYAR"----" VOTE" ---? ? "

भोले  - भाले दोस्तों , नमस्कार ! इस देश में हर वक्त कोई देश में कानून व्यवस्था ठीक नहीं होने के कारन "रो" रहा है ,कोई विधायिका ठीक नहीं होने का रोना रो रहा है ,तो कोई प्रशासन व्यवस्था ठीक नहीं होने का ? कंही भ्रष्टाचार है तो कंही अत्याचार ? कोई आदर्शों का रोना रो रहा है तो कोई नियमों का ? सब बेबस नज़र आ रहे हैं !" सिविल सोसाइटी " और बाबा राम देव सर्कार की मार खाए चुप हुए और इज्जत बचाए बैठे हैं ? सर्कार उनकी भी जाँच करवा रही है ?कौन जनता का हितेषी है और कौन दुश्मन पता ही नहीं चल रहा ??देश की अस्मत तक को खतरा हो गया है ?? हर आदमी परेशां सा है | " नानक दुखिया सब संसार " लगता है जैसे भारी कलयूग आ गया है ? बस अब प्रलय आने वाली है ?? कुछ भी सूझता नहीं है | न हमें सरकार के मंत्रियों पर भरोसा है ?न हमें विपक्ष पर और न ही प्रशासन तथा मिडिया पर ? केवल न्यायव्यवस्था ही एक रौशनी की किरण दिखाई पड़ती है |वो भी धुंधली सी ? क्या सचमुच सारे रास्ते बंद हो गए हैं ?क्या ऐसा ही चलता रहेगा ? बुधिजन ,पंडित लोग किस मर्ज़ की दवा हैं ? भगवान श्री कृषण ने गीता में कहा है कि " यदा - यदा ही धर्मस्य ग्लानिर भवती भारत ,अभुथान्मधर्मस्य तदात्म्नम सृजीयम्य्हम " |अर्थात  जब कभी भी भारत में धर्म कि हानी होती या ग्लानी होती है , तब - तब परमात्मा किसी ऐसी आत्मा कि संरचना करता है जो उस समय के पापियों   का संहार करता है | अब यहाँ कई सवाल पैदा हो जाते हैं ,१.क्या अब तक भारत में इतने पाप नहीं हुए जितने परमात्मा के अवतार हेतु वांछित हैं | या फिर पापी ज्यादा हो गए हैं भगवान से इतने पापी मारे नहीं जायेंगे ??? इस्ल्ये ऊपर वाला सोच रहा होगा कि पहले इन्हें आपस में लड़ - लड़ के मर लेने दो , जब गिनती कम हो जाये गी तब अवतार ले लेंगे ?? जल्दी क्या है ? तो क्या करे जनता , कंहाँ जाये ?? -------!!!!!!! तो लीजिये मेहरबान - कदरदान ,कर लो इधर ध्यान !!!! आज में आपको बताने वाला हूँ एक ऐसा तरीका, जिस से न खून बहेगा न ही लड़ाई मर कुटाई होगी ?? आप कि सारी समस्याओं का हल ,संवेधानिक तरीके से निकलेगा ??? केवल पांच बातों का ध्यान करना होगा | १. अपने मोहल्ले,कसबे और जिले में ऐसे आदमियों को ढूंढें जो निहायत इमानदार हों | चाहे वो गरीब हों ,लकिन ज्ञानवान हों | २.फिर सब मिलकर उन्हें विश्वास दिलाएं कि हम सब उनके साथ हैं | ३. फिर स्वयं प्राण लें कि हम किसी लालच में नहीं आयेंगे, जाती और पार्टियों के पीछे नहीं भागेंगे | ४.जो पहले से राजनीती में है उसके पास भी नहीं फटकेंगे |५.और अंत में उन भाले मानुषों ,ज्ञानी और शरीफ लोगों को " वोट " दे कर , डायरेक्टर ,पञ्च,सरपंच ,जिला प्रमुख,पार्षद ,नगर पालिका अध्यक्ष , विधायक,और संसद सदस्य बनायेंगे | ऐसा बीस साल तक करना पड़ेगा ? तब कंही जाकर  देश में कुछ - कुछ सुधार होना शुरू होगा |इसके सिवाय और कोई रास्ता शांति पूर्वक तो है नहीं , एक रास्ता क्रांति वाला है ? जिसमे खून बहेगा लेकिन लम्बे समय तक फिर बुराई नहीं दिखेगी | यानि "आपरेशन " अब कौन सा रास्ता चुनना है ये फैसला जनता को करना है | अब तक हम चतुर नेताओं के बहकावे में आकर " वोट " नामक हथियार को अपने ऊपर ही चला लेते हैं और स्वयं जनता ही दुःख प् रही है |नेता लोग चुनावों के समय पर ऐसे - ऐसे नाटक रचते हैं कि हम धोखे में आ जाते हैं | उनकी माया फ़ैलाने में "प्रिंट और इलेक्ट्रोनिक मिडिया "महत्वपूरण भूमिका निभाते हैं ??? पैसा हर आदमी के सर चढ़ कर बोलने लगता है | लालच हमारी सोच को ख़तम कर देता है | इसलिए ------ जागो ------जागो ---------जागो -------- जागो ---------जा--------------गो------!!!!!!!!!!!!!!

"निराशा से आशा की ओर चल अब मन " ! पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक)

प्रिय पाठक मित्रो !                               सादर प्यार भरा नमस्कार !! ये 2020 का साल हमारे लिए बड़ा ही निराशाजनक और कष्टदायक साबित ह...