Friday, May 29, 2015

"अजी हम थोड़ा बेवफ़ा क्या हुए ? आप तो बदचलन हो गए "? - पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक) मो.-9414657511. लिंक - www.pitamberduttsharma.blogspot.com

जिसे देखो वही आजकल कुछ ऐसा ही कहते नज़र आ रहे हैं ! अर्थ यही निकलता है शब्द कुछ बदले से हो सकते हैं वस्तुस्थति अनुसार !लड़का हो लड़की हो , नेता हो सत्ता पक्ष का चाहे ,  चाहे हो वो विपक्ष का ! सेकुलर हो या कॉम्युनल !महिला आयोग की महिलाएं हों या फिर मानव आयोग के समाजसेवी !कवि लेखक हों या फिर टीवी अखबार वाले पत्रकार या एंकर भाई-बहन लोग ! तरीका एक ही है अपने ऊपर उठी ऊँगली का जवाब देने हेतु !
                           वैसे तो ये टाईटल मैंने तनु वेड्स मनु रिटर्न से लिया है !जो काफी आकर्षक लगा !कसम "सरिता" माता की !राम लाल की माता जी की नहीं भाई लोगो जो महिलाओं की मैगज़ीन आती है उस सरिता माता की कसम खाकर कहता हूँ कि जिन-जिन महिलाओं ने सरिता-गृहशोभा पढ़कर , महिला आयोग और सेकुलर नेताओं के मार्मिक व ज्ञानवर्धक बयान सुनकर अपनी संतानों को जनम दिया था ! आज वो हर क्षेत्र में अपने कमाल दिखा रहे हैं !इसीलिए आजकल लेखकों के लेख व कहानियाँ , गीतकारों के गीत , संगीतकारों का संगीत  और फिल्मकारों की फ़िल्में ऐसा कुछ परोसने लॉगिन हैं कि उसका जादू युवाओं के सर चढ़ कर बोलने लगा है ! इसी का नतीजा ये है कि उत्तर प्रदेश में कल एक लड़की लड़के के घर पे बारात लेकर पंहुच गयी !और एक लड़की फेसबुक के मित्र के घर पंहुच गयी और बोली कि  करो शादी !कोई कहती है कि मेरा 3 साल से शोषण हो रहा था तो कोई कहती है घर में जबरदस्ती घुस आया ! ऐसा नहीं है की हमारे लड़कों ने कोई इतिहास नहीं बनाया है ! वो भी तो " मस्तराम " का साहित्य पढ़ने और वीसीआर में नीली-फिल्म देखकर संतानोत्पत्ति करने वालों के घर पैदा हुए हैं ज्यादातर !तो वो भला कोई काम थोड़े ही गुज़रेंगे ??? ससुरे 5 -7 इकठ्ठे होकर एक ही के साथ " सांस्कृतिक-कार्यक्रम " करने लग जाते हैं ! ऐसा सब क्यों हुआ ?? किसका दोष है ?? जब जनता देश में 60 बरस तक राज करने वाली कांग्रेस के युवा नेता से इसबारे में सवाल पूछने लगती है तो वो भाई-बहन और माता सोनिया जी मोदी जी से एक बरस का हिसाब मांगने लगते हैं ! क्या देश में हो रहे हर गलत काम के लिए मोदी सरकार दोषी है ?? घटना किसी भी प्रदेश में हो तो क्या मोदी जी की सरकार दोषी है ? और जब सरकार की पोलिस जब गुंडागर्दी करने और चक्कु चलाने वाले बदमाशों को सरेआम पीटती है ,जनता को संतोष देने हेतु तो यही बिकाऊ टीवी वाले बोलते हैं जी देखो !! पोलिस ने क्या कर दिया ?? और अगर पोलिस स्टेशन में शराब के नशे में पोलिस वालों को ही डांट - फटकार कर चली जाती हैं तो भी ये टीवी वाले कहते हैं कि देखो जी हमारी पोलिस कुछ भी नहीं कर रही है !आखिर चाहती क्या है हमारे पत्रकार बंधू और मानवीय और महिला आयोग के लोग ??
                  मेरी तो मोदी जी से यही प्रार्थना है कि भगवन के लिए जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी आप देश के संविधान की विस्तृत समीक्षा करवाकर उस में से सभी लू-पोल हटवा दीजिये ताकि हमारा तंत्र और न्यायव्यवस्था तेज़ी से काम करने लग जाएँ ! विपक्षी लोग शोर मचाहते हैं तो मचाने दो !! जनता आपके हर अच्छे कदम में आपके साथ है !जब जनता देखेगी कि आपकी सरकारें अच्छे कदम उठा रही हैं तो वो और ज्यादा आपका समर्थन देगी संसद में भी और विधानसभाओं में भी ! बस !! आप रोजाना एक धांसू निर्णय लेने की खबर सुना दिया करो ! शुभकामनाएं !! सब के लिए ! 
                           

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आपका अपना - पीताम्बर दत्त शर्मा -(लेखक-विश्लेषक), मोबाईल नंबर - 9414657511 , सूरतगढ़,पिनकोड -335804 ,जिला श्री गंगानगर , राजस्थान ,भारत !
                          

Wednesday, May 27, 2015

"आज की प्रोफैशनल होती हुई भाजपा,पुराने विचारधारा-युक्त और निष्ठावान कार्यकर्ताओं को, गंगा जी में तारने जा रही है क्या"?- पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक)

आज सूरतगढ़ में भाजपा के " कार्यकर्त्ता-मिलन "कार्यक्रम जिला-प्रभारी श्रीमान कैलाश मेघवाल , कार्यकर्ताओं से मिलेंगे और मोदी जी एवं वसुंधरा सरकार द्वारा करवाये गए कार्यों की जानकारी देंगे ! तथाकथित संगठन की दृष्टि से वो भाजपा श्रीगंगानगर के एक प्रभावशाली नेता हैं !उनका पार्टी के नेताओं पर काफी दबदबा है ! लेकिन क्या वो कनिष्ठ कार्यकर्ताओं के " मन की बात " जान पाएंगे ? जबकि वास्तविकता ये है कि भाजपा के प्रदेशध्यक्ष श्रीमान अशोक परनामी जी 1 वर्ष बाद माननीया वसुन्धरा जी के "आशीर्वाद "और ईशारा प्राप्त कर अपनी कार्यकारिणी घोषित कर पाये हैं !इसी तरह इशारे पा-पा कर ही जिला कार्यकारिणियां और मंडल कार्यकारिणियां बनायीं जा रही हैं !
                            भाजपा के मूल विचारों से जुड़े हुए पुराने एवं निष्ठावान कार्यकर्ताओं को मालूम है कि  पहले जब भी कोई संगठन का नेता भाजपा की मीटिंग लेता था तो वो सबसे पहले मीटिंग में उपस्थित लोगों की हाज़िरी लेता था ! फिर मीटिंग में जो आये हैं ,वो कौन हैं , उनका परिचय लिया जाता था और अपना दिया जाता था ! तत्पश्चात ये देखा जाता था कि जिनको बुलाया गया था, क्या वो सब आये हैं ? और जो बुलावे के बिना स्वतः ही आ गए हैं उन्हें मीटिंग से बाहर भेज दिया जाता था !उसके बाद पहले कार्यकर्ताओं के विचार जाने जाते थे फिर उनका उद्बोधन हुआ करता था ! 
                                       लेकिन पिछले विधानसभा और फिर लोक सभा चुनावों में हमारी प्रिय पार्टी एक ख़ास प्रकार के लोगों के हाथों में चली गयी ! जिन्हें हम चोर डाकू की बजाये " प्रोफैशनल " कहेंगे !चुनावों के बाद काम करवाकर केंद्र में जैसे माननीय आडवाणी और जोशी जी जैसे धुरंधरों को " फोटो" में तब्दील कर दिया गया जीते जी , वैसे ही कई प्रादेशिक,जिले के और मंडल स्तर के कार्यकर्ताओं को " जीते जी गंगा जी में तार " दिया गया ! इसीलिए आज की इस मीटिंग में ऐसे कई कार्यकर्त्ता नहीं गए क्योंकि उनका स्वाभिमान उन्हें इसकी इज़ाज़त नहीं देता ! 
               इसी कमी को छिपाने हेतु ही नगर मंडल और देहात मंडल की संयुक्त बैठक बुलाई गयी है ताकि आगुन्तक नेता को भारी भीड़ दिखाई जा सके और असंतोष को छिपाया जा सके ! लेकिन देखना ये है कि आगंतुक नेता मेघवाल जी इस भुलावे में आकर बहक जायेंगे ?और क्या केवल मालाएं पहन कर भाषण सुनकर - सुनाकर चले जाएंगे जैसा कि पिछले कई समय से पार्टी में ऐसा ही हो रहा है !जबकि सभी आगुन्तक नेता और कैलाश जी भाई साहिब बड़े जागरूक नेता हैं !और अगर आज के नेताओं के पास समय नहीं है तो वो वार्ड कमेटियों में मीटिंग करने कब जायेंगे ?
                           अब सवाल ये उठता है कि ऐसा सब किसके चाहने से पार्टी में हो रहा है ?? क्या हमारा संगठन भी यही चाहता है ??क्या हमारा संगठन सत्ता का गुलाम बन कर रह गया है ?? ये जांच का विषय है उनके लिए जो पार्टी के शुभचिंतक हैं ! अगर आप भी शुभचिंतक हैं तो अवश्य विचार कीजिये और अपनी ही पार्टी में आवाज़ बुलन्द कीजिये !अन्यथा 2019 में चुनाव नतीजे "प्रोफैशनल नेताओं " के प्रयास के बावजूद अच्छे नहीं आएंगे बोल देता हूँ !
                           
 

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Monday, May 25, 2015

"एक सार्वजनिक प्रार्थना-पत्र , सर्वोच्च न्यायालय के माननीय न्यायाधीश के नाम "- पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक) मो. न.- 94146-57511.

सेवा में,
                        श्रीमान न्यायाधीश महोदय जी,
                               सर्वोच्च-न्यायालय कार्यालय,
                                       नई दिल्ली !
विषय :-           जनहित मुद्दों पर याचिका हेतु !
श्रीमान जी,
                        आपके द्वारा भूतकाल में कई जनहित के विषयों पर अभूतपूर्व निर्णय सुनाये गए हैं ! उन्हीं से प्रेरित होकर ही आज मैं आपके समक्ष निम्नलिखित जनहित के मुद्दे रखना चाहता हूँ ! क्योंकि इन विषयों को हमारे माननीय नेतागण कभी भी अपने राजनितिक स्वार्थों के कारण संसद में उठाएंगे !कोई क़ानून बनने की तो सम्भावना ही नज़र नहीं आती !विषय ये हैं :-
1. हर प्रकार के आरक्षण देने या ना देने के कारणों की विस्तृत समीक्षा करवाई जाये !
2. भारत सरकार के किसी भी फ़ार्म में जाति - धर्म जानने का उल्लेख नहीं होना चाहिए !निजी स्तर पर भी इनको लिखना गैर कानूनी बना दिया जाये !
3. आज के बाद किसी भी धर्म-सम्प्रदाय का कोई नया निर्माण ना हो और कोई भी धार्मिक उत्सव,कार्य और प्रदर्शन सार्वजानिक स्तर पर ना करने दिया जाए ! सभी धार्मिक स्थलों को सरकार अपने कब्जे में ले ले ! केवल पूजा स्थल पर सम्बंधित धर्म का उपासक एक सरकारी कर्मचारी के तौर कार्य करे और वेतन पाये ! बाकी बची जगह और " चढ़ावे "को जन-कल्याण हेतु प्रयोग में लाया जाए !
4. किसी भी राजनितिक दल के नेता को वर्ष में 5 बार से ज्यादा भाषण ना देने दिया जाये !
5. समाचार माध्यमों को जवाबदेह बनाया जाए !आचार-संहिता लागू होनी चाहिए !
6. चुनाव खर्च सरकारी होना चाहिए , और 20% से कम वोट प्राप्त करने वाले नेता को अयोग्य घोषित कर देना चाहिए फिर वो जीवन भर चुनाव ना लड़ सके ! 
7. हर भारतीय विद्यार्थी को फौजी ट्रैनिंग लेना और रोजगार सम्बंधित विषय पढ़ना आवश्यक किया जाए !
8. आज की मंहगाई को देखते हुए 500/- रुपये से कम कमाने वाले व्यक्ति को ही सरकारी सब्सिडी और सुविधाएँ मिलनी चाहियें !
9. भारत में न्यूनतम मजदूरी सब हेतु 400/- रूपये कर देनी चाहिए !
10. सभी प्रकार के धार्मिक संतों के प्रवचन सार्वजानिक तौर पर बंद होने चाहियें ! लाऊड स्पीकर का प्रयोग भी बंद होना चाहिए !
11. राजनीतक,धार्मिक,और जातीय प्रदर्शनों में होने वाले नुक्सान को सम्बंधित पार्टी से वसूला जाना चाहिए !
                       मुझे आशा ही नहीं बल्कि पूर्ण विश्वास है कि आप द्वारा इन विषयों पर अवश्य मनन किया जायेगा ! इसे अक्षरशः नहीं तो समीक्षा करके लागू किया जायेगा !
                              सधन्यवाद !
                                                    आपका अपना ,
                                                पीताम्बर दत्त शर्मा ,
                 "5TH PILLAR CORRUPTION KILLER",नामक ब्लॉग रोज़ाना अवश्य पढ़ें,जिसका लिंक - www.pitamberduttsharma.blogspot.com. है !इसे अपने मित्रों संग शेयर करें और अपने अनमोल विचार भी हमें अवश्य लिख कर भेजें !इसकी सामग्री आपको फेसबुक,गूगल+,पेज और कई ग्रुप्स में भी मिल जाएगी !इसे आप एक समाचार पत्र की तरह से ही पढ़ें !हमारी इ-मेल ईद ये है - pitamberdutt.sharma@gmail.com. f.b.id.-www.facebook.com/pitamberduttsharma.7 . आप का जीवन खुशियों से भरा रहे !इस ख़ुशी के अवसर पर आपको हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !!
आपका अपना - पीताम्बर दत्त शर्मा -(लेखक-विश्लेषक), मोबाईल नंबर - 9414657511 , सूरतगढ़,पिनकोड -335804 ,जिला श्री गंगानगर , राजस्थान ,भारत !

Sunday, May 24, 2015

" और भाई साहिब , क्या हाल हैं आपकी भाजपा के ? मैंने तो छोड़ दी जी राजनीती "!!- पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक) - 94146-57511.

जी हाँ मित्रो ! ऐसे ही कुछ वाक्य सुनने को मिले जब मैं बड़े दिनों बाद एक ऐसी मैरिज-पार्टी में गया जहां ज्यादातर सभी राजनितिक दलों के छोटे कार्यकर्त्ता से लेकर बड़े प्रादेशिक नेता तक पधारे हुए थे ! पधारते भी क्यों ना जी हमारे पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष श्रीमान अशोक नागपाल जी के सुपुत्र की शादी की पार्टी जो थी ! वो हैं ही इतने मिलनसार कि उनका निमंत्रण कोई ठुकरा ही नहीं सकता ! आपसी राजनितिक मतभेद अपनी जगह और प्यार अपनी जगह ! इसीलिए क्या कांग्रेस और क्या बीएसपी सभी राजनितिक और सामाजिक संस्थाओं के माननीय पदाधिकारी गण हनुमानगढ़ और श्रीगंगानगर जिलों से पधारे हुए थे ! सबसे मिलने-मिलाने और हाल-चाल जानने में ही डेढ़ घंटा लग गया जी ! और फिर इतने सुन्दर व्यंजन बनाये गए थे कि पूछिए मत आनन्द आ गया ! हमने भी वरवधु को और हमारे मित्र अशोक नागपाल जी को दिल खोलकर बधाइयां दीं !
                          अब आते हैं उस मुद्दे पर जो मुझे अंदर तक झिंझोड़ गया ! जैसे मैंने आपको पहले ही बताया की इस पार्टी में दो जिलों से लोग आये हुए थे नए एवं पुराने कार्यकर्त्ता !सबसे राम-राम करते वक्त साथ में मैंने भी और मिलने वाले ने भी ये जानने की कोशिश करी कि उसके शहर में भाजपा और उसके कार्यकर्त्ता की क्या स्थिति है ?मुझे ऐसा अनुभव हुआ कि जैसे एक दूसरे को सभी टटोल रहे थे और तोल भी रहे थे ! ये जानने की कोशिश हो रही थी कि जिस स्थिति में आज मैं हूँ क्या सामने वाला भी वैसा ही है क्या ??
                   मुझे तीन तरह के भाजपा कार्यकर्त्ता मिले ! कई तो उनमे से "मस्त" थे ! क्योंकि वो लोग इतने बड़े पदों पर रह चुके थे जिसके चलते कैसी भी स्थिति क्यों ना हो ?उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता ! वो राज में भी पूजे जाते हैं और बिना राज के भी उनकी आवभक्त बढ़िया होती है !इनके इलावा वो भी "मस्त" थे जो आजकल सत्ता के सम्पर्क में ज्यादा हैं ! 
                     दूसरे तरह के वो लोग मिले जो " शंकित" थे ये सोच-सोच कर कि हम कार्यकर्ताओं ने इन नेताओं को जितवा तो दिया है ! लेकिन ये नेता आज अपनी जीत का कारन हमें नहीं बल्कि अपनी " खूबियों "को मानते हैं ! शायद इसीलिए इन विजयी नेताओं ने सभी "मुखर" कार्यकर्ताओं को साईड में कर दिया है बड़ी कूटनीति खेलकर ! किसी को बेइज्जत कर के निकाला तो किसी को झगड़वाकर ! अब ये कार्यकर्त्ता जनता के बीच जाएँ तो कैसे ?? उलटे वोटर इनसे पूछते हैं कि " और भाई साहिब , क्या हाल हैं आपकी भाजपा के ? तो ये लोग मजबूरी में ये जवाब देते हैं उनको कि मैंने तो छोड़ दी जी राजनीती "!!ऐसे सब मंडलों के लोग शंकित हैं की भविष्य में " हमारी भाजपा "का क्या होगा ??
                            तीसरे टाइप के मुझे वो लोग मिले जो पिछले कई वर्षों से पार्टी के किसी ना किसी नेता से "त्रस्त" थे ! ऐसे लोग मज़े ले-ले कर यही पूछे जा रहे थे कि " मज़े आ रहे हैं राज के "??मैंने आगे से उन्हें पूछा कि आपको आ रहे हैं क्या ?? तो वो बोले " हम तो तब कर्णधार होते हैं जब पार्टी शासन में नहीं होती " !!और फिर ठहाकों की आवाज़ हवा में गूंजती है ! जिसे सुनकर आस-पास के लोगों के सर भी समर्थन में हिलने लगते हैं !
                               पाठक मित्रो !! मैंने आपको ये सब इसलिए बताया क्योंकि मुझे ये सब सुनकर कुछ चिंता हुई ! लेकिन क्या पार्टी के बड़े "कर्णधारों" को भी इन सब बातों से कोई फर्क पड़ता है ?? आज मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि श्रीगंगानगर जिला " नेतृत्व-विहीन " जिला है ! सभी नेता अपना स्वार्थ तो साधना चाहते हैं लेकिन कोई भी नेता किसी कार्यकर्त्ता के दर्द को उठाना नहीं चाहता !इसीलिए सब वो नेता जो पहले जिले में बड़े नेता माने जाते थे , आज वो अपने घरों तक सिमट कर रह गए हैं ! कोई उनके घर मिलने को भी नहीं जाना चाहता ! सेवा केंद्र भी सूने पड़े रहते हैं आजकल तो !हमारे सभी पार्टियों के बड़े नेता भी ये भली-भाँती जानते हैं !क्या वो भी ऐसी हालत चाहते हैं ?आज कार्यकर्ताओं को सुना नहीं जाता बल्कि " कार्यकर्त्ता-मिलन " के नाम पर लम्बे-लम्बे भाषण पिलाये जाते हैं !पार्टी और संगठन के किसी नेता ने कार्यकर्ताओं से बात नहीं  कि उन्हें क्या चाहिए जनता के लिए !
                                ऐसा लगता है कि अगले चुनावों से पहले इनको कार्यकर्ताओं की कोई आवश्यकता ही नहीं है ! लेकिन मुझे तो लगता है की कार्यकर्ताओं की ये " चुप्पी" एक दिन " लावा " बनकर ज्वालामुखी के रूप में फटेगी और प्रादेशिक और केंद्रीय नेतृत्व भौंचक्का रह जायेगा ये देख कर कि दिल्ली जैसे रिजल्ट कैसे आ गए ?  इसलिए होशियार कर रहा हूँ कि नया नेतृत्व उभारो जो कार्यकर्ताओं को सुने-समझे और जाने !भाषण सुन-सुन कर अब कान पाक गए हैं जी ! आप सब का इस विषय पर क्या कहना है ?? अवश्य बताइयेगा !


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Friday, May 22, 2015

"अमीरों - नेताओं का अदालत,थाने और जेल आना - जाना ऐसा है, जैसे ससुराल गैंदा फूल हो "??-पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक)

जी हाँ !! पाठक मित्रो !!पहली बार जब किसी को पोलिस वाले " आवश्यक - कार्य "हेतु थाने में बुलाते हैं या फिर ससम्मान गाडी भेजकर उठाकर ले जाते हैं तो भगवान कसम उसे बड़ा डर लगता है ! और जिसे नहीं लगता वो "दबंग"कहलाता है ! लेकिन जैसे ही 2 - 4 बार आना-जाना हो जाता है तो फिर थाने-जेल और अदालतें बिलकुल ससुराल जैसे मीठे लगने लगते हैं ! 
                              नहीं अगर विश्वास हो रहा आपको तो , माननीय पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखराम, कैप्टन सतीश शर्मा,सुरेश कलमाड़ी,लालू यादव, बंगारू लक्ष्मण , तहलका मचाने वाले पत्रकार तरुण तेजपाल, सुधीर चौधरी ,सलमान खान , आसाराम बापू आदि-आदि हर क्षेत्र के लाखों महानुभाव अनुभवी लोग हैं !उनसे मिलकर पूछा जा सकता है ! आज जिंदल साहिब पेशी भुगतने अदालत गए हैं तो जयललिता जी वहाँ से बरी होकर दोबारा शपथ ग्रहण करने वाली हैं ! लालू जी स्वयं चुनाव नहीं लड़ सकते तो क्या शातिर दिमाग से किसी भी पार्टी के नेता या उसके काम को नक्कार तो सकते हैं ? 
                                ये सब इसलिए हो रहा है क्योंकि भारत का मीडिया और क़ानून बनाने,लागू कराने वाले एवं न्याय करने वाले अपना फ़र्ज़ भूल चुके हैं !आज हम अक्सर देखते हैं कि टीवी चैनलों पर एंकर लोग कैसे किसी ज्वलंत विषय पर बहस करते हुए अपने और अपने मालिकों का हित साधते हुए , बड़ी चालाकी से ,देशभक्ति  का आभास देते भी दिखाई पड़ते हैं ! जिस विषय या बात को इन्होने कई दिनों तक घसीटना होता है तो ,ये उस बात का उचित जवाब मिलने पर भी  बार-बार कई दिनों तलक पूछते ही रहते हैं ! ऐसा ही बहस में  बुलाये गए " विशेष " मेहमान भी करते हैं !
                           भ्रष्टाचार कम से कम इन क्षेत्रों से तो जल्द मिटाया जाना चाहिए ! जिस नेता या आदमी को जनता नकार दे कम से कम उस आदमी को तो मीडिया और राजनितिक दल महत्त्व देना बंद करें ! तभी तो हर क्षेत्र में अच्छे लोग आ पाएंगे !! तभी तो कोई सिद्धांतों पर चलना आवश्यक मानेगा !!नहीं तो हर कोई बेईमान ही बनना चाहेगा ! और दुर्भाग्य से यही हो रहा है !तभी तो सुधार नहीं हो पा रहा भारत में ???? जय श्रीराम बोलना पडेगा जी यहां तो !

 मित्रो !!  जय श्री राम ! आपसे मित्रता करके मुझे अत्यंत प्रसन्नता हो रही है ! आपके जनम दिन की आपको हार्दिक बधाई और शुभ कामनाएं !! कृपया स्वीकार करें ! आपका जीवन सदा खुशियों से भरा रहे !!मित्रो !! मैं अपने ब्लॉग , फेसबुक , पेज़,ग्रुप और गुगल+ को एक समाचार-पत्र की तरह से देखता हूँ !! आप भी मेरे ओर मेरे मित्रों की सभी पोस्टों को एक समाचार क़ी तरह से ही पढ़ा ओर देखा कीजिये !!
आपका हार्दिक स्वागत है हमारे ब्लॉग ( समाचार-पत्र ) पर, जिसका नाम है - " 5TH PILLAR CORRUPTIONKILLER " कृपया इसे एक समाचार-पत्र की तरह ही पढ़ें - देखें और अपने सभी मित्रों को भी शेयर करें ! इसमें मेरे लेखों के इलावा मेरे प्रिय लेखक मित्रों के लेख भी प्रकाशित किये जाते हैं ! जो बड़े ही ज्ञान वर्धक और ज्वलंत - विषयों पर आधारित होते हैं ! इसमें चित्र भी ऐसे होते हैं जो आपको बेहद पसंद आएंगे ! इसमें सभी प्रकार के विषयों को शामिल किया जाता है जैसे - शेयरों-शायरी , मनोरंजक घटनाएँ आदि-आदि !! इसका लिंक ये है -www.pitamberduttsharma.blogspot.com.,ये समाचार पत्र आपको टविटर , गूगल+,पेज़ और ग्रुप पर भी मिल जाएगा ! ! अतः ज्यादा से ज्यादा संख्या में आप हमारे मित्र बने अपनी फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज कर इसे सब पढ़ें !! आपके जीवन में ढेर सारी खुशियाँ आयें इसी मनोकामना के साथ !! हमेशां जागरूक बने रहें !! बस आपका सहयोग इसी तरह बना रहे !! मेरा इ मेल ये है : - pitamberdutt.sharma@gmail.com. मेरे ब्लॉग और फेसबुक के लिंक ये हैं :-www.facebook.com/pitamberdutt.sharma.7. मेरा ई मेल पता ये है -: pitamberdutt.sharma@gmail.com.
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आशा है आपका प्यार मुझे इसी तरह से मिलता रहेगा !!आपका क्या कहना है मित्रो ??अपने विचार अवश्य हमारे ब्लॉग पर लिखियेगा !!
सधन्यवाद !!
आपका प्रिय मित्र,
पीताम्बर दत्त शर्मा,
हेल्प-लाईन-बिग-बाज़ार,
R.C.P. रोड, सूरतगढ़ !
जिला-श्री गंगानगर।
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BY :- " 5TH PILLAR CORRUPTION KILLER " THE BLOG . READ,SHARE AND GIVE YOUR VELUABEL COMMENTS DAILY . !!Posted by PD SHARMA, 09414657511 (EX. . VICE PRESIDENT OF B. J. P. CHUNAV VISHLESHAN and SANKHYKI PRKOSHTH (RAJASTHAN )SOCIAL WORKER,Distt. Organiser of PUNJABI WELFARE SOCIETY,Suratgarh. (raj)INDIA.


Wednesday, May 20, 2015

"उमा" कहे ये अनुभव अपना ...."..!!-पीताम्बर दत्त शर्मा ( लेखक-विश्लेषक)

बिलकुल नहीं जी , मैं भोले शंकर जी वाली उमा माता की बात नहीं कर रहा , मैं तो अपनी भाजपा नेता पूजनीया संत , सांसद और मंत्री सुश्री उमा भारती जी की बात आपको बताना चाह रहा हूँ ! आजकल वो बड़ी चतुर राजनीतिज्ञ हो गयीं हैं ! "सत-संग" से जो ज्ञान और भोलापन यानी कोमलता उनमे आई थी , वो सभी अब होशियारियों में तब्दील हो चुकी हैं !
                            हुआ यूूँ कि आज एक इंटरव्यू देखने को मिला जिसमे उन्होंने प्रश्न करता के शरारत भरे सवालों के उत्तर भी बड़ी सहजता से और मुस्कुराते हुए दिए ! उन्होंने ये माना कि भारत के नेताओं , मीडिया वालों ,अफसरों और जनता को नियमों पर चलने की आदत नहीं है ! मेरे ख्याल से ऐसा उन्होंने इसलिए कहा क्योंकि महात्मा गांधी जी ने भारतवासियों को ये  कर दिया था कि " अंग्रेजों  खिलाफ असहयोग आंदोलन " शुरू कर दो !! लेकिन वो इस आदेश को वापिस लेना भूल गए ! शायद इसीलिए आज भी आज की सरकार के बनाये नियमों का पालन करना हम अपनी हेठी मानते हैं ! उमा जी ने कहा की अब ऐसा नहीं होगा ! क्योंकि मोदी जी स्वयं भी ज्यादा से ज्यादा काम भी करेंगे और नियम पर भी चलेंगे तो बाकी सबको भी ऐसा करने का विचार मन में आएगा !
                          राम मंदिर भी अब जबरदस्ती या क़ानून बनाकर नहीं बल्कि आपसी सहमति से बनाकर विश्व के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत किया जाएगा !भारत की बड़ी नदियों को पवित्र किया जायेगा और उन्हें आपस में जोड़ दिया जाएगा ! ताकि लोग सड़क और रेल मार्ग के इलावा देश में जल-मार्ग का भी उपयोग कर सकें !
                           मीडिया के बारे में रोचकता के साथ प्रहार करते हुए वे बोलीं कि मीडिया आजकल मेहनत नहीं करना चाहता है केवल नेताओं के मुख से कुछ गलत बुलवा कर फिर उसे दिनभर ब्रेकिंग-न्यूज़ बनाकर चलाना चाहता है !किसी भी समाचार की वो पहले दिखने के चक्कर में जाँच नहीं करता ! ताज़ा उदाहरण दिल्ली के " मनीष वशिष्ठ-एनकाउंटर"का है ! पहले तो मीडिया ने उसे बदमाश बताकर पोलीस को हीरो बना दिया , फिर दूसरे दिन मीडिया ने ही उसे सिर्फ जालसाज बताकर पोलीस के एनकाउंटर पर सवाल खड़े कर दिए ! जनता द्वारा नकारे जा चुके नेताओं को दोबारा स्थापित करने में मीडिया लगा है ! केजरीवाल जैसी मीडिया की संताने मीडिया पर ही बैन लगाने और पब्लिक - ट्रायल की बात करते हैं !मोदी जी ने सबको नियमानुसार चलने की प्रेरणा दी है !
                     उमा जी ने " अटल-आडवाणी-जोशी "जी की " तिकड़ी "का मुकाबला आज की " मोदी-अमित-जेटली "तिकड़ी से ना करने की सलाह भी दी ! कुल मिलाकर सार ये है जी बदलाव आ रहा है लेकिन असर अभी कुछ वर्ष बाद ही दिखाई देने लगेगा !आप और हम भी नियमों का पालन करना सीख जाएँ तो ही कुछ बेहतर नतीजे आएंगे ! नहीं ..........क्या ???क्यों.....??? संभव नहीं लग रहा !! तो बोलिए !! जय श्रीराम !!

                                   मित्रो !!  जय श्री राम ! आपसे मित्रता करके मुझे अत्यंत प्रसन्नता हो रही है ! आपके जनम दिन की आपको हार्दिक बधाई और शुभ कामनाएं !! कृपया स्वीकार करें ! आपका जीवन सदा खुशियों से भरा रहे !!मित्रो !! मैं अपने ब्लॉग , फेसबुक , पेज़,ग्रुप और गुगल+ को एक समाचार-पत्र की तरह से देखता हूँ !! आप भी मेरे ओर मेरे मित्रों की सभी पोस्टों को एक समाचार क़ी तरह से ही पढ़ा ओर देखा कीजिये !!
आपका हार्दिक स्वागत है हमारे ब्लॉग ( समाचार-पत्र ) पर, जिसका नाम है - " 5TH PILLAR CORRUPTIONKILLER " कृपया इसे एक समाचार-पत्र की तरह ही पढ़ें - देखें और अपने सभी मित्रों को भी शेयर करें ! इसमें मेरे लेखों के इलावा मेरे प्रिय लेखक मित्रों के लेख भी प्रकाशित किये जाते हैं ! जो बड़े ही ज्ञान वर्धक और ज्वलंत - विषयों पर आधारित होते हैं ! इसमें चित्र भी ऐसे होते हैं जो आपको बेहद पसंद आएंगे ! इसमें सभी प्रकार के विषयों को शामिल किया जाता है जैसे - शेयरों-शायरी , मनोरंजक घटनाएँ आदि-आदि !! इसका लिंक ये है -www.pitamberduttsharma.blogspot.com.,ये समाचार पत्र आपको टविटर , गूगल+,पेज़ और ग्रुप पर भी मिल जाएगा ! ! अतः ज्यादा से ज्यादा संख्या में आप हमारे मित्र बने अपनी फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज कर इसे सब पढ़ें !! आपके जीवन में ढेर सारी खुशियाँ आयें इसी मनोकामना के साथ !! हमेशां जागरूक बने रहें !! बस आपका सहयोग इसी तरह बना रहे !! मेरा इ मेल ये है : - pitamberdutt.sharma@gmail.com. मेरे ब्लॉग और फेसबुक के लिंक ये हैं :-www.facebook.com/pitamberdutt.sharma.7. मेरा ई मेल पता ये है -: pitamberdutt.sharma@gmail.com.
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आशा है आपका प्यार मुझे इसी तरह से मिलता रहेगा !!आपका क्या कहना है मित्रो ??अपने विचार अवश्य हमारे ब्लॉग पर लिखियेगा !!
सधन्यवाद !!
आपका प्रिय मित्र,
पीताम्बर दत्त शर्मा,
हेल्प-लाईन-बिग-बाज़ार,
R.C.P. रोड, सूरतगढ़ !
जिला-श्री गंगानगर।
मोबाईल नंबर-09414657511
" आकर्षक - समाचार ,लुभावने समाचार " आप भी पढ़िए और मित्रों को भी पढ़ाइये .....!!!
BY :- " 5TH PILLAR CORRUPTION KILLER " THE BLOG . READ,SHARE AND GIVE YOUR VELUABEL COMMENTS DAILY . !!Posted by PD SHARMA, 09414657511 (EX. . VICE PRESIDENT OF B. J. P. CHUNAV VISHLESHAN and SANKHYKI PRKOSHTH (RAJASTHAN )SOCIAL WORKER,Distt. Organiser of PUNJABI WELFARE SOCIETY,Suratgarh. (raj)INDIA.

       

Monday, May 18, 2015

" जो नेता अपने संसदीय क्षेत्र में ही असफल साबित हो चुके हैं , उन्हें हमलोग और मीडिया देश की बागडोर सम्भलवाने हेतु क्यों आजमाना चाहते हैं "?- पीताम्बर दत्त शर्मा ( लेखक-विश्लेषक)

हमारे घर में अगर कोई नालायक पैदा हो जाता है , और वो परिपक्वता की उम्र तलक आने पर भी  समझदार नहीं बन पाता तो उसे घर से बाहर  जाने का रास्ता दिखा दिया जाता है या फिर बोलचाल बंद कर दिया जाता है !तो देश के निर्णय लेने वाले इन असफल नेताओं के प्रति हम इतने संवेदनहीन कैसे हो सकते हैं ??
                         1947 से लेकर आज तक हम कितने नेताओं को कितनी बार संसद भेज चुके हैं ये तो हिसाब हमें मिल जाएगा , लेकिन ये हिसाब गहरी खोजबीन से भी पूरा नहीं मिल पायेगा कि उस नेता ने सचमुच में जनहित में कौनसे और कितने काम करवाये ! वो काम उचित देशवासी तलक पंहुचे भी हैं या नहीं ! ये देखना तो उसी तरह से होगा जैसे मिटटी के बड़े ढेर से " सुई " को खोजने का काम होता है !~ 
                      ये असफल  नेता लोग कभी परदे के पीछे बुरे लोगों से मिल जाते हैं कभी जनता के सामने जनता के हित की बातें करके , अपने हित साधने हेतु "गठबन्धन"कर लेते हैं ! जब इनके हित सधने बंद हो जाते हैं तो ये फिर अलग हो जाते हैं !मज़े की बात ये है कि कुछ वर्ष बीत जाने के बाद ये फिर नए नाम से इकठ्ठे हो जाते हैं !! जैसे "जनता परिवार" इनका नया उदहारण हमारे सामने है !  ये वही मुलायम जी हैं जिन्होंने देवीलाल जी को प्रधानमंत्री नहीं बनने दिया था ! ऐसे ही माननीय देवेगौड़ा,चरण सिंह,चंद्रशेखर,गुजराल जी और नरसिम्हाराव जी आपस में भिड़ते रहते थे !माननीय कॉमरेडों और कोंग्रेसी नेताओं का इस दौरान विशेष योगदान रहा , इन सबको नाकामयाब रखने में !!
                         एक हमारे देश का मीडिया है ! उसका काम तो आजकल सिर्फ इतना ही है कि जो उसको " बोटी" दिखाता है वो उसकी " स्तुति" गान करने लग जाता है ! फिर चाहे  वो कोई देश का अंदुरनी-बाहरी दुश्मन ही क्यों ना हो इसे कोई फर्क नहीं पड़ता ! ये भाई लोग कोई ना कोई तरीका मदद का निकाल ही लेते हैं ! जिसका ताज़ा उदहारण ndtv का वो कार्यक्रम है जिसमें वो isis का स्वागत करने की बात करते दिखाई पड़ रहे हैं !डूब मारना चाहिए ऐसे मीडिया को ! या फिर देश की सरकार को उसे फांसी दे देनी चाहिए !
                          देश के नेताओं को भी ज्यादा " जवाबदेही" बनाना चाहिए मोदी जी को ! आपका क्या विचार हैं  बताइयेगा ! कॉमेंट अवश्य लिखियेगा ! धन्यवाद !
                         


                             मित्रो !! मैं अपने ब्लॉग , फेसबुक , पेज़,ग्रुप और गुगल+ को एक समाचार-पत्र की तरह से देखता हूँ !! आप भी मेरे ओर मेरे मित्रों की सभी पोस्टों को एक समाचार क़ी तरह से ही पढ़ा ओर देखा कीजिये !!
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Thursday, May 14, 2015

"हो के मजबूर मुझे , उसने भुलाया होगा !ज़हर भी दवा जान के खाया होगा "! हिंदी-चीनी भाई-भाई !!-पीताम्बर दत्त शर्मा ( लेखक-विश्लेषक )

 1963 में बनी ये "हक़ीक़त"नाम की फिल्म में भारत - चीन के मध्य हुए भयंकर युद्ध का दर्द बयान किया गया था ! इस फिल्म में भारत की माली हालत , देश के जांबाज सिपाहियों की शहादत की दास्ताँ,और देश-वासियों के समर्पण की भावना को बड़े ही सुन्दर -मार्मिक तरीके से दिखाया गया था ! 
                         उस समय के घाव तब हरे हो जाते हैं जब चाइना के जनप्रतिनिधि पाकिस्तान जाकर " योजनाएं " बनाते हैं ! बॉर्डर के अंदर घुसकर गलत काम करके चले जाते हैं !और हमारे देश के नक़्शे को कम दिखाते रहते हैं आदि-आदि ! अब क्योंकि हम शांति-प्रिय लोग हैं और समय भी बड़ी मरहम का काम करता है ! एक उम्मीद भी हमारे मन में जागती रहती है चाहे दुश्मन के मन में जागे ना जागे !
                  कांग्रेस आजकल एक ही लाईन ज्यादा बोलती दिखाई दे रही है कि " मोदी जी के विदेशी दोरों से और देश में कुछ भी निर्णय लेने से अगर कोई अच्छा होता है तो उसमे उनके नेताओं के निर्णय  हाथ है ! " लेकिन कंही कोई गड़बड़ हो जाए तो वहाँ चाहे मोदी जी का दूर-दूर तलक कोई वास्ता भी ना हो , तो भी उन्हें ये कोंग्रेसी घसीट ही लेते हैं !कॉमरेड प्रोफेसरों से पढ़े हुए पत्रकार इस काम में उनकी भरपूर मदद भी करते हैं ! इसके लिए कोई उन्हें कितनी भी गालियां क्यों ना निकाले , उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता !
                           मोदी जी और जिनपिंग के समक्ष 25 समझोते हुए हैं ! जिनमे शिक्षा ,व्यापार, खनन और रेलवे प्रमुख हैं ! सीमाओं और सुरक्षा मामलों पर भी बातचीत हुई है ! ये जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस में पता चला !हमारा मीडिया पहले तो आशंकाएं प्रकट करता रहता है बाद में जब पता चलता है की सब विषयों पर बात हो गयी है तो असरकारक कितनी होगी इस पर वहां खड़े करने लग जाता है !सही खबर बनाना ही शायद भूल गए हैं मीडिया वाले ! बहस करते समय तो उन्हें पता ही नहीं चलता कि कौन सा प्रवक्ता बदमाशी कर गया ! या वो स्वयं किसी का पक्ष कब बन गए ?? या सब जानबूझ कर किया जाता है ! इसीलिए लोगों को मीडिया के बिकाऊ होने का वहां होता है जी !
                         इसीलिए तब के शहीदों को मरते समय ,ये गीत भी गाना पड़ा कि - " कर चले , जानेतन साथियो ! अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो !! अब तुम चाहे " व्यापार " करो या सुरक्षित रहने के उपाय करो !!  


जय श्री राम !

 आपसे मित्रता करके मुझे अत्यंत प्रसन्नता हो रही है ! आपके जनम दिन की आपको हार्दिक बधाई और शुभ कामनाएं !! कृपया स्वीकार करें ! आपका जीवन सदा खुशियों से भरा रहे !!
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"सियोल के रक्षामंत्री को एक गुप्त रक्षा कार्यक्रम में सोने और तानाशाह से बहसने के आरोप में तोप से उड़ा दिया ",क्या ऐसी न्याय व्यवस्था भारत में होने पर हम सुधरेंगे ??- पीताम्बर दत्त शर्मा ( लेखक-विश्लेषक )

  सतयुग से भारत वासियों को सुधारने हेतु भगवान अवतार लेते-लेते , सन्त -गुरुजन शिक्षा देते-देते थक गए , लेकिन हम भारतवासी सुधरने का नाम ही नहीं लेते हैं ! हमारे भारत में भी कई लोगों को कड़ी से कड़ी सजाएँ दी गयी हैं लेकिन उन सब सजाओं को हमने मानवता की दोहाई देकर छोड़ चुके हैं ! यानी हम कोमल-हृदयी हो गए हैं !
                                   इसका असर बुरे काम करने वालों के साथ अच्छे लोगों पर भी पड़ा है !न्याय मिलने में हो रही देरी और बुरे कार्य करने वाले बदमाशों ,नेता एवं अमीर लोगों को 2 - 4 महीने जेल में रहने के बाद बेल मिलती दिखाई देने  के कारण बुरे काम करने में ही अपना भविष्य सुरक्षित दिखाई दे रहा है ! क्योंकि फिल्म जगत और मीडिया अपराध जगत को महिमामंडित करता रहता है !इसी कारण से हम सब अच्छे व बुरे लोग देश के क़ानून सरकारी तंत्र को अपने " ठेंगे " पर रखने के आदि हो गए हैं !
                               अब हमारी हालत ये हो गयी है की जो आदमी सिद्धान्तों -सच्चाई की बात भी करता है तो वो हमें मुर्ख नज़र आता है !इसीलिए मैं थोड़ी देर तक देश में किसी तानाशाह का शासन चाहता हूँ जो सख्ती करके हमें फिर से सही दिशा में वहां तलक धकेल दे जहाँ से हम सब एक बार फिर से अच्छाई के रास्ते पर चल पड़ें !
                                अब आते हैं आज के उस समाचार पर जो मुझे भी झकझोर गया अंदर तक , और मैं सोचने पर मजबूर हो गया कि वास्तव में लेख लिखने , भाषण देने में हम जैसे लोगों को क्या ज़ोर आता है ! जब प्रैक्टिकली वो हमारे सामने होने लगता है तो हमें उस " क्रूरता " का आभास होता है जिसे देख व सुनकर सहम जाते हैं ! फिर सोचने लग जायते हैं कि कितना अच्छा हो अगर हम विचारों के आदान-प्रदान से ही सुधर जाएँ !
                    उतरी कोरिया के तानाशाह किम-जोंग ने अपने ही रक्षा-मंत्री ह्यान को केवल इतनी सी बात पर विमान-भेदी तोप से उड़वा दिया क्योंकि एक गुप्त रक्षा मामलों पर चल रहे कार्यक्रम में झपकी लेते पकडे गए और ताना शाह को प्रत्युत्तर में कुछ बोल दिया !बस इतनी सी बात पर केवल 10 मिनट में फौजी अदालत ने बंद कमरे में अपना फैसला सुना दिया और 3 दिन बाद उन्हें एक विमान भेदी तोप के 300 मीटर आगे खड़ा करके गोले दाग दिए जो 26000 फ़ीट दूर मार करती है ! सियोल के रक्षामंत्री के चीथड़े उड़ गए ! 66 वर्षीया ह्यां मौजूदा और पिछले शासक के बहुत करीबी माने जाते थे !
                                 अब आप ही बताइये कैसी होनी चाहिए हमारी सोच और हमारी न्याय व्यवस्था ??

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Monday, May 11, 2015

" आज का पत्रकार क्या करना चाहता है ? जागृत समाज की रचना या बुराइयों में सहयोग ??- पीताम्बर दत्त शर्मा ( लेखक-विश्लेषक )

केजरीवाल सरकार द्वारा जारी किये गए सर्कुलर से डरा हुआ मीडिया बड़ी चालाकी से सभी राजनितिक दलों को डराने की नाकाम कोशिश कर रहा है !लोकतंत्र में जब सभी स्तम्भ जवाबदेह हैं तो मीडिया क्यों नहीं ? स्वयं मीडिया के अनुसार उनके द्वारा स्थापित अनुशासन समितियां मीडिया पर नकेल डालने में बुरी तरह फेल हो चुकी हैं तो अगर सरकार एक ऐसी कमिटी बनादे जिनमे समाचारों का उपयुक्त व्यक्तियों द्वारा जाँच लिए जाएँ तो क्या हर्ज़ है जी ??
                               आखिर मीडिया अपने ऊपर कोई नियंत्रण क्यों नहीं चाहता है ? जबकि आजके पत्रकारों में निम्नलिखित अवगुण पाये जाते हैं !-:
1. आज भी छोटे पत्रकार अफसरों-नेताओं और आम जनता को डराते - धमकाते एवं ब्लैकमेल करते दिखाई दे जाते हैं ! 
2. दबाव से विज्ञापन लेना भी आम बात है !नहीं देने पर खिलाफ में समाचार लगाना भी प्रचलन में है !
3. बड़े अखबार मालिक तो राजयसभा के सदस्य बनने हेतु भी अपने अखबार का " सदुपयोग " करते हैं !
4. टीवी चेनेल के रिपोर्टर तो नेताओं से शादियां भी करवा लेते हैं ! राजनितिक दलों के सलाहकार बन जाते हैं !मदद करने या विरोध करने हेतु अपने चेनेल पर प्रोग्राम बनाकर दिखाते हैं ! और तो और रिपोर्टर लोग घटनाक्रम को घटनास्थल पर जाकर अपने विचारानुसार ढाल लेते हैं जी !हर प्रदर्शन करने वालों और धरना देने वालों को " ज्ञान " भी बाँट देते हैं !
                       क्या इतने दोष कम हैं मीडिया में ??
  आज का मीडिया अपना मूल कार्य भूल चुका है ! बकौल अभय दुबे - आज का मीडिया अपने हितेषी विपक्षी प्रवक्ताओं को अकाट्य-तर्क भी सुलभ करवाता है !उनको किसी मुकदद्मे से कोई दर नहीं लगता ! तो क्यों नहीं मीडिया का पब्लिकली ट्रायल होना चाहिए !जब नेताओं को जूते पद सकते हैं , केजरीवाल थप्पड़ खा सकते हैं और स्याही से मुंह काल करवा सकते हैं तो मीडिया को इन " इनामों " से दूर क्यों रख्खा जाए जी ! 
               शाब्बाश !! केजरीवाल जी !! इस मुद्दे पर मैं केजरीवाल जी के साथ हूँ ! सभी राज्यों और केंद्र सरकार को भी ऐसा ही सर्कुलर जारी कर देना चाहिए ! लेकिन ये नेता भी ऐसा करेंगे नहीं क्योंकि ये सब " वोट-बैंक ", आरक्षित-जातियों " और इन मीडिया वालों से डरते हैं ! ये एक दुसरे के भेदी हैं ! आम जनता तो सब कुछ होता हुआ देखती रहती है चाहे अच्छा काम हो या बुरा !! उसे तो " निर्णय " सुनना है चाहे वो सरकार का हो , मीडिया का हो या फिर अदालतों का हो ! कबूल है कबूल है कबूल है ही कहना है ! और हर 5 वर्षों बाद कोई छोटा " चोर " चुनना है ! यही नियति है जी हमारी तो !आप क्या कहेंगे ???

                      जय श्री राम !!!! 

                                                                           आपसे मित्रता करके मुझे अत्यंत प्रसन्नता हो रही है ! आपके जनम दिन की आपको हार्दिक बधाई और शुभ कामनाएं !! कृपया स्वीकार करें ! आपका जीवन सदा खुशियों से भरा रहे !! मेरा फेसबुक,गूगल+,ब्लॉग,पेज और विभिन्न ग्रुपों की सदस्य्ता ग्रहण करने का एक ख़ास उद्देश्य है ! मैं एक लेखक-विश्लेषक और एक समीक्षक हूँ ! राष्ट्रीय-अंतराष्ट्रीय ज्वलंत विषयों पर लिखना -पढ़ना मेरा शौक है ! मैं एक साधारण पढ़ालिखा और साफ़ स्वभाव का आदमी हूँ ! भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म से प्यार करता हूँ ! भारत देश के लिए अगर मेरे प्राण काम आ सकें तो मैं इसे अपना सौभाग्य मानूंगा !परन्तु किसी संत-राजनितिक दल और नेता हेतु नहीं !मैं एक बिन्दास स्वभाव का आदमी हूँ ! मेरी मित्र मण्डली में मेरे बच्चे और रिश्तेदार भी शामिल हैं ! तो भी मैं सभी विषयों पर अपने खुले विचार रखता हूँ !! आप सब का हार्दिक स्वागत है मेरे जीवन में !! मैं आपकी यादों - बातों को संभल कर रखूँगा !!


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Sunday, May 10, 2015

"साठ महीनों में से बारह महीने गुज़र गए मोदी जी " !!- पुण्य प्रसुन वाजपेयी जी से साभार !

आपको नौकरी मिली। नहीं मिली। किसानों को खून पसीने की कमाई मिली। नहीं मिली। जवानों के कटते गर्दन का जवाब सरकार ने कभी दिया। नहीं दिया। महंगाई से निजात मिली। नहीं मिली। बिना घूस के काम होता है। नहीं होता है। घोटालो की सरकार को बदलना है। बदलना है। स्विस बैंक से कालाधन लायेंगे। हां लायेंगे। आपने उन्हें साठ साल दिये। हमे सिर्फ साठ महीने देंगे। हां देंगे। और अब साठ महीनो में से बचे है अडतालीस महीने। तो क्या चुनाव से एन पहले नारे और नारों के साथ जनता की गूंज ने पहले बारह महीनों में देश को एक ऐसे मुहाने पर ला खड़ा किया, जहां नारों से सुर मिलाती जनता को लगने लगा कि सत्ता उसे घोखा दे रही है या फिर अच्छे दिन लाने के वादे के बीच उसी व्यवस्था के मोदी भी शिकार हो गये, जिसने 1991 के आर्थिक सुधार के बाद देश के हर सरकार को दबोचा चाहे वह यूपीए हो या एनडीए या फिर यूनाइटेड फ्रंट। किसानों के मुद्दा आर्थिक सुधार होने नहीं देगा। जवानों का मुद्दा अंतरराष्ट्रीय कूटनीति चलने नहीं देगा। कालेधन पर नकेल आवारा पूंजी पर टिके विकास की रीढ़ को तोड़ देगा। महंगाई पर रोक बिचौलियों की राजनीतिक साठगांठ को खत्म कर देगा । तो क्या मोदी सरकार के पास विकास का कोई ऐसा माडल है ही नहीं जिसके आसरे देश में एक आर्थिक सोशल इंडेक्स खड़ा किया जा सका। समाज की विषमता को थामा जा सके। यकीनन पहले बरस के बीतते बीतते यही सवाल हर किसी के सामने मुंह बाये खड़ा है कि अगर मनमोहन डिजाइन की अर्थव्यवस्था ही मोदी के विकास के नारे में फिट करनी है तो फिर जो काम मनमोहन सिंह राजनीतिक मजबूरी की वजह से कर नहीं पाये वह काम आसानी से मोदी पूरा तो कर सकते हैं।
                                   लेकिन हाशिये पर पड़े भारत के जिस बहुसंख्यक समाज को मुख्यधारा में लाने के सियासी तानेबाने बुने गये, उन्हें ही हाशिये पर ढकेलना पहले बारह महीनो में मोदी की फितरत बन गई। लेकिन पहली बार किसी सरकार की उपलब्धि कामकाज से ज्यादा चुनावी जीत पर जा टिकी यह भी मोदी के दौर का नायाब सच है। महाराष्ट्र, झारखंड और जम्मू कश्मीर में बीजेपी से ज्यादा केन्द्र सरकार की जीत और मोदी की जीत को ही जिस तरह देश के सामने रखा गया उसने पहली बार यह भी संकेत दिये की चुनाव जीतना और किसी भी तरह सरकार बना लेना ही सबसे महत्वपूर्ण है। क्योंकि सरकार अगर काम ना करे तो वह चुनाव हार जाती है। लेकिन कोई सरकार चुनाव जीतते चले तो फिर वह काम कर रही है यह बोलने और दिखाने की जरुरत नहीं है । शायद इसीलिये मोदी सरकार की उपलब्धियो के खाके में फिरौती लेने वाली पार्टी शिवसेना को करार देने के बाद भी साथ मिलकर सरकार बनाने में कोई हिचक नहीं दिखायी दी । बाप-बेटी की पार्टी और पाकिस्तान परस्त राजनीति करने वालो की कतार में मुफ्ती सईद की पार्टी को चुनाव प्रचार में करार देने के बाद भी सरकार साथ मिलकर बनायी । झारखंड में आदिवासियों का सवाल उठाकर गैर आदिवासियो के भ्रष्टाचार की अनकही कहानी चुनाव प्रचार में कही गई लेकिन झारखंड के सीएम के तौर पर गैर आदिवासी को चुना गया। दरअसल मोदी सरकार के पहले बारह महीने चुनावी संघर्ष और मनमोहन की नीतियो को खारिज करने में ज्यादा बीता । सरकार चलाने के लिये सत्ता की ताकत पीएमओ में कैसे केन्द्रित हो इसमें ज्यादा बीता। नौकरशाही और कारपोरेट के बीच मंत्रियो को नीतियां लागू कराने के लिये फाइलो पर चिडिया बैठाने की सोच के आगे कैसे ले जाया जा सकता है इस मशक्कत में ज्यादा बीता। यानी मोदी गुजरात से चलकर ही दिल्ली नहीं पहुंचे बल्कि दिल्ली को हराकर पीएम बने तो उसकी झलक दिखाने में पहले बारह महीने लगे इससे कार नहीं किया जा सकता है। तो अगला सवाल होगा कि
                              क्या पहले बारह महीनो में मोदी सरकार ने सिस्टम की ओवर हाइलिंग भर की है । यानी काम अगले 48 महीनो में होना है। तो सवाल ओवरहाइलिंग का नहीं बल्कि अपनी दिशा को बताने या अपने सियासी अंतर्विरोध को छुपाते हुये आगे बढा कैसा जाये इसपर मशक्कत का ही रहा। मोदी सरकार के लिये पहले बारह
                महीनो में जो सवाल सबसे बडा बना वह मोदी के विकास की अवधारणा की मान्यता का ही रहा। क्योंकि विकास के लिये जिस तरह खुले तौर पर विदेशी निवेश की जरुरत बतायी गई। विदेशी निवेश के लिये भारत के श्रमिक कानूनों में बदलाव लाने की बात सोची गई। उसने मोदी के सामने संघ परिवार की उसी विचारधारा
को सामने ला खड़ा किया जो अभी तक स्वदेशी का राग अपना रही थी । विदेशी निवेश की जगह देसी पूंजी को महत्व देना चाह रही थी। मजदूरों के हितों के लिये संघर्ष करने पर उतारु थी। यानी विकास को लेकर टकराव राजनीतिक विरोधियों से नहीं बल्कि अपनो को ही सहेजना ज्यादा रहा। भारतीय मजदूर संघ
और स्वदेशी जागरण मंच को संभाला गया। तो अगला सवाल विदेशी निवेश के लिये देश में उस वातावरण का आकर खड़ा हो गया जो टिका तो सामाजिक-आर्थिक विसंगतियों के लेकर आजादी के बाद से सरकारों के नजरिये पर था। लेकिन उसे कही भ्रटाचार तो कही लाल फीताशाही से जोड़ा गया। कानूनों में बदलाव लाकर
विदेशी निवेश के लिये सियासी जमीन बनाने की मशक्कत शुरु हुई । लेकिन आखिरी सवाल उस जमीन का आकर खडा हो गया जिसके बगैर कोई योजना देश में लागू हो ही नहीं सकती। तो भूमि अधिग्रहण के सवाल ने किसानो के उस हालात को मोदी सरकार के सामने ला खड़ा किया जिसपर हर सरकार ने ना सिर्फ आखे मूंदी बल्कि आर्थिक सुधार के बाद से तमाम राजनीतिक दलो ने जिस सर्वसम्मती से इस बात पर मुहर लगा दी थी कि खेती अपनी मौत खुद मरेगी । जीडीपी में खेती का योगदान संभव नहीं है । तो खेती को उघोग का दर्जा देना भी बेमतलब होगा । यानी जिस तेजी से किसान किसानी छोड़ रहा है । जिस तेजी से देश में सस्ते
मजदूरो की तादाद बढ रही है।जिस तेजी से खेती के लिये इस्तेमाल हर वस्तु पर बडी कंपनियो ने कब्जा कर लिया है । और जिस तेजी से किसान आहत होकर खुदकुशी कर रहा है उसमें खेती की जमीन पर सिचाई का इन्फ्रास्ट्रक्चर खड़ा करने से बेहतर है, खेती की जमीन पर उद्योग लगा दिये जाये। बड़ी बड़ी योजनाओं को अमली जामा पहना कर विकास की चकाचौंध को विदेशी पूंजी के जरीये देश में ले या जाये। यानी जो सोच 1991 में वित्त मंत्री रहते हुये मनमोहन सिंह ने ड्राफ्ट की उसी सोच को 24 बरस बाद अमली जामा पहनाने में किसी सरकार को बहुमत मिला तो वह मोदी सरकार है। लेकिन पहले ही बरस मोदी इस सच को भूल गये कि आजादी के बाद किसी सरकार को सबसे कम वोट फिसदी के आधार पर सबसे ज्यादा सीटे मिली है। सिर्फ 31 फिसदी और 281 सीट । यानी देश उस दौर में भी बीजेपी को लेकर बंटा हुआ था जब मनमोहन सिंह सरकार के प्रति उसमें गुस्सा था । मनमोहन की आर्थिक नीतियो को उपभोक्ता समाज के लिये माना गया । काग्रेस में दो सत्ता ध्रूव को मनमोहन सरकार के लिये मौत का गीत माना गया । यानी 2014 में जाती हुई सरकार की एवज में जिसे चुना गया उसके पास बहुमत की ताकत तो है लेकिन जनता का वह साथ नहीं है जो अच्छे दिन के नारो में खोने को तैयार हो जाये । असर इसी का है जिस विकास को लेकर राजनीति चुनावी जीत को आधार बनाया गया उसमें बीजेपी को चुनावी जीत तो जनता लगातार यह सोच कर देती चली गई कि न्यूनतम जरुरतो को तो कोई सराकर पूरा करेगी । दूसरी तरफ बीजेपी ने मोदी के आसरे चुनावी जीत के लिये जो रास्ते बनाये वह भी भारतीय समाज को समझे बगैर क्यो पूरे नहीं हो सकते है इसे मोदी सरकार
पहले बरस समझ पायी यह कहना मुश्किल है । क्योकि विकास के लिये जो भी रास्ते बनाये गये उसमें संयोग से दिल्ली मुबई इंडस्ट्री कारीडोर को पूरा करने में राजनीतिक तौर पर तो कोई मुश्किल मोदी सरकार के सामने नहीं है । क्योकि जमीन जिन पांच राज्यो की ली जानी है उनमें बीजेपी की सरकार है । हरियाणा,राजस्थान,मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात । सभी जगह बीजेपी की सत्ता । लेकिन इसके बावजूद जमीन कैसे विकास के नाम पर लें ले यह नैतिक साहस राज्य सरकारो के पास है ही नहीं । और इसकी सबसे बडी वजह है विकास की तमाम नीतिया उपभोक्ताओ को ही ध्यान में रखकर बनायाजा रहा है । यानी देश
के नागरिको को लेकर विकास का कोई ब्लू प्रिट मोदी सरकार के पास है नहीं और इससे पहले की सरकारो के पास भी नहीं था । इसलिये जब वित्त मंत्री संसद के भीतर यह कहते है कि मोदी जी की विसाक की सोच से विकास दर आठ फिसदी पहुंच जायेगी । पूंजी ज्यादा आयेगी । तो फिर सिचाई में भी पैसा लगाया जासकेगा । और किसानो का भला होगा । यानी मोदी सरकार की भी वहीं सोच है जो मनमोहन सिंह के दौर में थी कि कारपोरेट/उघोघिक विकास से पूंजी कमायेगें और बचे हुये पैसे को मनरेगा या दूसरे सामाजिक कल्याण के पैकेज से बांटेगे ।मुश्किल उस वक्त भी थी । मुश्किल इस वक्त भी है । लेकिन पहले बरस कीमोदी की सत्ता ने राजनीतिक तौर पर यह पारदर्शिता तो देश के सामने रख दी कि जो सत्ता में होगा उसकी समझ विपक्ष की राजनीति से बिलकुल जुदा होगी । क्योकि मेक न इंडिया का नारा लगाकर दुनिया भर मेंबारत को एक नायाब बाजार के तौर पर रखने वाले प्रधानमंत्री मोदी संसद में ही राहुल गांधी के इससवाल का जबाब नहीं दे पाते है कि किसान क्या मेक न इंडिया नहीं कर रहा है । और राजनीति जिस तरह जनता को लगातार ठग रही है उसमें कोई राहुल गांधी से भी नहीं पूछ पाता है कि जब बीते साठ बरस से किसान मेक इन इंडिया कर रहा है तो फिर मनमोहन सरकार ही नहीं बल्कि काग्रेस की तमाम सरकारो के वक्तकिसानो को लेकर बजट से लेकर हर नीति में कोई ऐसा इन्फ्रस्ट्रक्चर पैदा क्यो नहीं किया गया जिससे किसान के लिये सरकार हो । और किसान को भी लगे कि उसका वित् मंत्री या प्रधानमंत्री इन्द्र भगवान नहीं बल्कि चुनी हुई सरकार ही है ।
यानी जिन सवालो को लेकर देश का हर नागरिक अपने अपने दायरेमें जुझ रहा है पहली बार किसी सरकार के अंतर्विरोध ने उसे ना सिर्फ सतह पर ला दिया है बल्कि यह सवाल भी खडा कर दिया है कि बहुमत के साथ चुनावी जीत के बाद भी अगर कोई वैकल्पिक इक्नामिक माडल किसी सरकार के पास नहीं है तो फिर देश की राजनीति उसी दिशा में जायेगी जिसके खिलाफ खडे होकरनरेन्द्र मोदी ने चुनाव प्रचार में उम्मीद की आवाज दी ।  और देश भी मोदी के साथ चलने को इसलिये तैयार हो गया क्योकि हर पार्टी का कांग्रेसीकरण हो चला था। यहां तक की दिल्ली में बैठे बीजेपी के नेता भी कांग्रेस की नीतियों से इतर सोच नहीं पा रहे थे। इसलिये गुजरात से निकलकर लुटियन्स की दिल्लीको बदलने के ख्वाब मोदी ने जगाया । लेकिन पहले बारह महीने तो यह लगते हैं कि मोदी भी लुटियन्स की दिल्ली के रंगो में खो रहे हैं। मनाइये कि बाकि बचे 48 महीनो में अच्छे दिन की आस बरकरार रहे।

"निराशा से आशा की ओर चल अब मन " ! पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक)

प्रिय पाठक मित्रो !                               सादर प्यार भरा नमस्कार !! ये 2020 का साल हमारे लिए बड़ा ही निराशाजनक और कष्टदायक साबित ह...