Monday, April 8, 2013

" भाजपा में बढ़ता व्यक्तिवाद क्या गुल खिलायेगा " ????

" कोंग्रेस की बहन बनती जा रही है-हमारी भाजपा" !
संघ,निष्ठावान- कार्यकर्त्ता और संगठन मंत्री परेशान !
" रीतियाँ - नीतियाँ सब भूले भाजपा के बड़े नेता " !!
 कोई किसी की नहीं सुनता सब अपनी हाँक रहे हैं !!!
 ज़मीन से जुड्ने की बजाये नेता बड़े नेताओं की चाटुकारिता करने में लगे हैं !!!!
 कार्यकर्ताओं को तो ये अपना बंधुआ-मजदूर समझते हैं !!
 संघ से आये कार्यकर्ताओं को , बड़े नेता ओपचारिक रूप से ही अपने पास बिठाते हैं !!
 क्योंकि संघ से जुड़े कार्यकर्त्ता उन्हें कहते हैं कि हम तो उसकी सपोर्ट करेंगे जिसे पार्टी टिकेट देगी !!!!
                  इतना सुनते ही वो नेता " बिगड़ " जाता है !! क्योंकि उसे संगठन और पार्टी का निष्ठावान कार्यकर्त्ता नहीं,अपितु स्वयम का " भक्त " चाहिए होता है !! वो अगर दिन को रात कहे , तो कार्यकर्त्ता भी रात ही कहे !! ऐसे कार्यकर्ताओं को ही वो पार्टी में पदाधिकारी मनोनीत करवाता है !! यही क्रम मंडल से राष्ट्रीय स्तर तक पिछले 15 वर्षों से चल रहा है !!
              निकट भविष्य में कोई सुधार होता नज़र नहीं आता ! बड़े नेता स्वयं की तो मनमुताबिक " सेटिंग " करवा लेते हैं , लेकिन कनिष्ठ कार्यकर्ताओं को चुनाव या राष्ट्रवाद के नाम पे चुप करा दिया जाता है !! 

            इसीलिए आज कार्यकर्त्ता ना केवल " मुखर " हो रहा है बल्कि अपनी पसंद का अपनी पार्टी में " प्रत्याशी " भी ढूंढ रहा है ! जनता को भी जागरूक करने में लगा हुआ है !!
                वो मतदाता को समझा रहा है कि  अबकी बार कोई किसी पार्टी,धर्म,जाति,इलाकावाद और लालच के वशीभूत होकर अपना वोट न दे, बल्कि किसी अनुभवी,देशभक्त,शिक्षित और इमानदार व्यक्ति को ही अपना मत देकर सफल बनायें !!
                           आडवाणी जी और राजनाथ सिंह जी भी अपना दुःख सार्वजनिक रूप से प्रकट कर चुके हैं !! 
                         MAIN NAHI KAHTA ......ZAMANE NE KAHAA HAI YAARO ......!! KI SACH BAAHAR AA HI JATA HAI ...!! SUDHARJAAO !! B.J.P. KE BADE NETAO !! KARYKARTAON KE BAL PAR KOODNE WALO !! HOSH MAIN AAO !!
CURRENT- AFFAIRES WRITER , " 5TH PILLAR CORROUPTION .KILLER" 
क्यों मित्रो !! आपका क्या कहना है ,इस विषय पर...??
प्रिय मित्रो, ! कृपया आप मेरा ये ब्लाग " 5th pillar corrouption killer " रोजाना पढ़ें , इसे अपने अपने मित्रों संग बाँटें , इसे ज्वाइन करें तथा इसपर अपने अनमोल कोमेन्ट भी लिख्खें !! ताकि हमें होसला मिलता रहे ! इसका लिंक है ये :-www.pitamberduttsharma.blogspot.com.

आपका अपना.....पीताम्बर दत्त शर्मा, हेल्प-लाईन-बिग-बाज़ार , आर.सी.पी.रोड , सूरतगढ़ । फोन नंबर - 01509-222768,मोबाईल: 9414657511

Sunday, April 7, 2013

समाजवाद और कांग्रेस के बीच झूलता हमारा जनतंत्र... ब्लॉग बुलेटिन !!!

                " हमारे प्रिय मित्र और प्रसिद्ध लेखक श्री देव झा जी की रचना आपके लिए प्रस्तुत है " !! 


समाजवाद और कांग्रेस के बीच झूलता हमारा जनतंत्र... ब्लॉग बुलेटिन



सभी मित्रों को देव बाबा की राम राम। कल भारतीय जनता पार्टी तैतीस वर्ष की हो गयी और अहमदाबाद में खूब गरजी। मोदी बोले, राजनाथ बोले और सभी खुल कर सरकार विरोधी स्वर से गरजते हुए गुजरात के मॉडल को देश के विकास के लिए प्रमाणिक मॉडल बनाने की वकालत भी करने लगे। एक दिन पहले राहुल गाँधी सी-आई-आई में अपनी बात कह चुके थे, उनकी स्वयं की योग्यता कितनी है यह सम्पूर्ण देश को पता है लेकिन मीडिया और जनता में कितना भ्रम है की उनकी भी प्रधानमंत्री पद के लिए दावेदारी की बात लोग करते हैं आखिर ऐसा क्यों होता है की हमारा देश हर बार कांग्रेस में ही अपना नेतृत्व खोजता है। क्या हम एक अपरिपक्व लोक तंत्र हैं या फिर हम केवल एक भीड़ हैं। आखिर ऐसा क्या है जो हर बार कांग्रेस देश को लूट लेती है और फिर भी सत्ता में आ जाती है। आइये एक विश्लेषण और आंकड़ो के आधार पर यह समझने की कोशिश करते हैं की हमारे यहाँ कांग्रेसी राज समाप्त क्यों नहीं होता। बिखरे हुए समाजवादियों और देश को लूटनें में एक जुट कांग्रेस में से वह चुनें भी तो किसे? यक्ष-प्रश्न है लेकिन इसका उत्तर तलाशना होगा। 

मित्रों भारत को आज़ादी कैसे मिली? हममे से कितने लोग इस बात को जानते हैं की हमारे लिए आज़ादी के रास्ते कैसे खुले। दुसरे विश्व युद्ध के बाद जब ब्रिटेन की हालत ख़राब होने लगी और उसे समझ में आने लगा था की भारत को गुलाम रखने में उसे नुकसान होने वाला है और यह उपनिवेश उसके किसी ख़ास फायदे का नहीं रहा सो उसने अपने हाथ पीछे खीच लिए और सत्ता कांग्रेस को हस्तांतरित कर दी। यह स्वतंत्रता कोई लड़ कर या अधिकार-पूर्व नहीं मिली वरन यह एक महज़ सत्ता का हस्तांतरण था। गोरे अंग्रेज चले गए और पीछे काले अंग्रेज यानि की कांग्रेसी और तथाकथित देश भक्त कांग्रेस को पावर मिल गयी। नेताजी और शहीदे-आज़म भगत सिंह के विचार पीछे छुट गए और देश कांग्रेस की पकड़ में आ गया। देश के इतिहास को अपने हिसाब से तोडा गया, वामपंथी विचार धारा के इतिहासकारों ने अपने हिसाब से सरकारी फायदे के टटोलते हुए भारत का इतिहास लिखा और उसे ही पाठ्य-क्रम का हिस्सा बनाया गया। हमने वही पढ़ा जो हमें पढाया गया। माता पिता की नैतिक शिक्षा की जगह अंग्रेजी माध्यम ने अपना दबदबा बना लिया और हम अपनी क्षेत्रीय भाषाओँ की जगह अंग्रेजी में तरक्की को ही अपना मानने लगे। देश के विपक्ष बदलते रहे कभी वामपंथियों ने मुख्य विपक्ष की ज़िम्मेदारी निभाई तो कभी समाजवादियों ने, शुरूआती दिनों में जन-संघ एक प्रभावी विकल्प दिखा और लोगो ने सन ७७ में कांग्रेसी राज को ख़त्म कर पहली बार गैर कांग्रेसी सरकार का रास्ता खोल दिया। यह सरकार अपने कार्यकाल पूरा करती उसके पहले ही कांग्रेस ने तोड़ने की राजनीति शुरू कर दी और चरण सिंह को विरोध में खड़ा कर दिया ठीक यही विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार को चंद्रशेखर के रूप में खड़ा कर एक और मिसाल खड़ी कर दी। यह मिसाल एकदम सामान्य थी और देश की जनता ने हकीकत को जानने की जगह कांग्रेस को ही दो तिहाई बहुमत से खड़ा कर दिया। ऐसा कैसे हुआ? कांग्रेस की हकीकत को आखिर लोग समझे क्यों नहीं? दर-असल इसका कारण था हमारे देश की जनता कभी देश हित में सोचती ही नहीं.. जी यह एक सत्य है क्योंकी हिन्दुस्तनी कभी एक हुए ही नहीं। हम हमेशा बंटे हुए रहनें में ही अपनी तरक्की समझते हैं और हमारा यह इतिहास जयचंद के ज़मानें से है। यदि उस जयचंद नें बाहरी आक्रमणकारियों को सहयोग न किया होता और इस लडाई में पृथ्वी राज चौहान के साथ खडा हुआ होता तो आज तस्वीर दूसरी होती। 




मित्रों देश की इस हकीकत को कांग्रेस बखूबी जानती है और उसे मालूम है की अनेको टुकडों में बांटकर ही भारत पर राज किया जा सकता है। भडकाओ, तोडो और राज करो... देश की जनता तो अपने आप में ही इतनी फ़ंसी है की उसे खबर भी न होगी की यह सब कौन कर रहा है। आज़ाद भारत के किसी भी द्रोही को लीजिए.. शिवसेना: मुम्बई में साम्यवादियों को तोडनें के लिए कांग्रेस ने ही शिवसेना को खडा किया और बाद में शिवसेना को कमज़ोर करनें के लिए राज ठाकरे को भी कांग्रेस नें ही खडा किया है। 

हमारी टूट का फ़ायदा हमेशा से ही हमपर राज करनें के लिए लिया गया है। इस बिखराव को रोकना और हमारा एक होना ही हमारे लिए फ़ायदे मंद होगा। देश की जनता को समझना होगा की आखिर लूट मचानें और उसके बाद भी देशभक्ति की बात करनें वाले क्षद्म एजेंटों को बाहर करनें में ही उसका हित है। देश की जनता को असली राह दिखानें में राष्ट्रवादी दल एक एहम भूमिका अदा कर सकते हैं। अलगाववादियों की हकीकत को बयान करके और वोटबैंक की राजनीति को खत्म करके केवल देश की बात सोचनें का समय है। तोडना बन्द कीजिए और जोडना शुरु कीजिए। बहुत हुई राजनीति अब राष्ट्र को एक करनें का समय आ गया है। देश की जनता आज बिखरे हुए विपक्ष और एकजुट कांग्रेस में से किसी एक को चुनते समय एकजुट कांग्रेस को ही चुन लेती है अब इस बात से भी उबरनें का समय है। एकजुट होकर एकीकरण की भावना से जुटिए, हम सब एक रहेंगे तो किसी वोट बैंक की बात न होगी और कोई राजनीति भी न होगी।

जाति समीकरण के पीछे डोलती हुई हमारी जनता कैसे एक परिपक्व लोकतंत्र हो सकती है। यदि जनता की सोच ही राजनीतिक हो चले तो फ़िर यह एक गम्भीर समस्या होगी। समझिए और जानिए हकीकत को और उसी हिसाब से फ़ैसला कीजिए। एक तरफ़ नौ साल से राज कर रही कांग्रेस के प्रतिनिधि राहुल गांधी यह कहते नहीं थकते की हमारी यह समस्या है हमारी वह समस्या है, ऐसा करना चाहिए और वैसा करना चाहिए.. हमारा प्रश्न यह है की भाई आपकी सरकार पिछले नौ साल से कर क्या रही थी? देश तो छोडिए विदेश नीति पर भी थू थू होती है। यह पिस्सु जैसा हमारा पडोसी हमारे सैनिको के सर काट ले जाता है और हम बैठे रह जाते हैं। कश्मीर में जब अलगाववादी बन्दूक लेकर मारने दौडते हैं तो फ़िर सैनिको को गुलेल से सामना करनें को कहा जाता है। आखिर यह सब है क्या? न हम नक्सली समस्या से निपट पाए, न आतंकवाद से, न ही कट्टरवादियों से... ओवैसी जैसे लोगों पर नकेल कसनें की जगह वोट बैंक की राजनीति करनें से बाज़ आओ। कोई भी अलगाववादी देश द्रोही है, और उसकी हकीकत सबके सामनें बताओ और उसे दंडित करो। मिसाले ऐसी होनी चाहिए जिससे सभी को सबक मिले। 

जनता को भी चाहिए की अब वह जाग जाए। कई शतकों की गुलामी के बाद अब तो जागिए और देश के बारे में सोचिए... अब सही माईनें में प्रतिनिधि चुनने का समय आया है और सही तरीके से चुननें का समय आ गया है। जो कोई भी तोडे उसे मुंह तोड जवाब दीजिए चाहे वह किसी भी दल का हो। भीड से एक परिपक्व जनतंत्र की ओर परिवर्तन का समय आ गया है। हर बात पर राजनीति की जगह समाधान तलाशने वाले को चुनिए। 

सोच कर सोचिए लोकतंत्र का असली मतलब क्या है.... 

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मुझे आशा है आपको आज का बुलेटिन पसन्द आया होगा। आप भी एक अच्छे नागरिक होनें और देश को एक नए रास्ते पर ले जानें का संकल्प लीजिए। हमनें कमर कस ली है अब किसी भी विरोध फ़ैलानें वाले को नहीं छोडेंगे चाहे वह कोई भी हो। हम सब एक हैं और एक ही रहेंगे... तब जाकर सही माईनें में जय हिन्द होगा।

आपका देव

Saturday, April 6, 2013

'शासक जहां चरित्र विहीन, वहां आपदा नित्य नवीन'...........!!

                   ***************  राहुल गाँधी को मनमोहन सिंह ने " घिस " दिया क्या……? ? ? *************


सोनिया के बाद प्रियंका गांधी संभालेंगी कमान?

चारों तरफ से मुश्किल में घिरी कांग्रेस को अब उम्मीद की एक नई किरण दिखने लगी है। कई कांग्रेसियों को लगता है कि इस वक्त पार्टी की कमान अगर राहुल की जगह प्रियंका गांधी को सौंप दी जाए तो कांग्रेस अपनी खोई हुई जमीन फिर से हासिल कर लेगी। कुछ तो प्रियंका गांधी में इंदिरा गांधी का अक्स देखते हैं और प्रियंका को सोनिया का असली वारिस मानने लगे हैं।

पार्टी के टॉप लीडर भी प्रियंका को लेकर संभावनाएं तलाशने में जुट गए हैं। सोनिया का प्रियंका पर भरोसा बढ़ने लगा है। धीरे-धीरे उन्हें राजनीतिक जिम्मेदारियां दी जा रही हैं। इसी क्रम में मंगलवार को प्रियंका गांधी रायबरेली में अपनी नई जिम्मदेरी संभालने वाली हैं।गौरतलब है कि पिछले साल के विधानसभा चुनाव में रायबरेली की सभी 5 सीटों पर कांग्रेस का सफाया हो गया था। उसके बाद से ही यहां पार्टी की कमान प्रियंका गांधी ने संभाल ली थी।

****************************

भारत मे डेमॉक्रेसी के नाम पर 'डाइनेस्टी' चल रही है, और इसका सारा दोष निकम्मी भारतीय जनता को जाता है ! कल तक यही जनता 'शास्त्री जी' की हत्यारिन को देश सबसे ताकतवर महिला प्रधानमंत्री कहती थी ! दिमाग का इस्तमाल करते नही और अपना सिर् किसी के सामने इसलिये झुका देते हैं क्यूंकि उसका बाप प्रधानमंत्री था और उसकी दादी प्रधानमंत्री थी ! पहले खुद वोट देते हैं और फिर 5 साल तक रोते रहते हैं !


'प्रियंका' मे अगर थोड़ी भी राजनेटिक समझ होती तो जवाब देती अपने पति के घोटालो पर, लेकिन पूरा यह 'फर्ज़ी गाँधी' खानदान ही चोर है, क्या बोलेगी ?आज तो सारे कॉंग्रेसी केन्द्रिय मंत्री ही बिना जनाधार वाले हैं, क्या नैया पार लगाएंगे ये ? किसी के पास बोलने का भी ढंग नही...सबसे हास्यपाद है इन सबका मात्रभाषा हिन्दी का अल्पज्ञान ?

इन सबके नाम से गाँधी हटा दो तो कोई इन्हे पानी भी ना पिलाये ! प्रियंका तो क्या किसी को भी कमान सोप दो कांग्रेस को डूबने से कोई नही बचा सकता ! परिवारवाद के दलदल में फंसी कांग्रेस की अक्ल अब ठिकाने आने वाली है ! प्रियंका का पति राबर्ट वडेरा घोटाले मे पकड़ा गया है ! सबसे अधिक काला धन इसी 'फर्ज़ी गाँधी' परिवार का विदेशो मे जमा बताया जा रहा है , फिर जनता इनको वोट क्यों देती है ? इनकी सी बी आई जांच क्यो नही ?















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Friday, April 5, 2013

पवार को हजारों करोड़ , जनता को महँगी चीनी......!! ???????



शुक्रवार, 5 अप्रैल 2013

पवार को हजारों करोड़ जनता को महँगी चीनी

मित्रों,यूँ तो वर्तमान केन्द्र सरकार आम आदमी की सरकार है लेकिन यह जब-न-तब तेल का दाम बढ़ाकर जनता का तेल निकालती रहती है। महँगाई से मर रही जनता को महँगाई बढ़ाकर राहत देकर इन दिनों सोनिया-मनमोहन सिंह की सरकार नवीन अर्थशास्त्र का निर्माण कर रही है। इसने पहले पेट्रोल और रासायनिक खाद को नियंत्रण मुक्त किया और अब चीनी को भी उद्योगपतियों के हवाले कर दिया है। वह दिन दूर नहीं जब पूरा-का-पूरा वतन उद्योगपतियों के हवाले करके यह सरकार गीत गाया करेगी कि अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों। आज से ही उद्योगपति बाजार में मांग और आपूर्ति के सिद्धांत के तहत अपने मनमाफिक दाम पर चीनी बेच सकेंगे। ऐसा भी नहीं है कि इससे सरकार पर सब्सिडी का बोझ कम होता हो बल्कि इससे चीनी उद्योग को जरूर 3000 करोड़ रुपये का सीधा लाभ हो जाएगा लेकिन केंद्र सरकार को 2600 करोड़ रुपये की सीधी क्षति ही होगी।
               मित्रों,ऐसा क्यों हुआ कि केंद्र सरकार ने आर्थिक मंदी के संकट काल में खुद घाटा उठाकर चीनी उद्योग को मोटा लाभ देने का निर्णय किया? आर्थिक-दृष्टि से हो या वोट बैंक की दृष्टि से इस निर्णय को किसी भी तरह से बुद्धिमत्तापूर्ण तो नहीं कहा जा सकता है। मैं ठीक-ठीक तो नहीं जानता हूँ कि भारत के कृषि और खाद्य-आपूर्ति मंत्री शरद पवार की खुद की कितनी चीनी मिलें हैं लेकिन इतना जरूर जानता हूँ कि उनका कुछ-न-कुछ आर्थिक हित जरूर सीधे तौर पर चीनी से जुड़ा हुआ है। पवार ने जब नौ साल पहले केंद्रीय कृषि और खाद्य-आपूर्ति मंत्री का पदभार संभाला था तभी से इस बात के कयास लगाए जा रहे थे कि उनके कार्यकाल में ही देर-सबेर चीनी को भी बाजार के हवाले कर दिया जाएगा। केंद्र सरकार में गलत सूचना प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी भरमाते हैं कि इस कदम से आम जनता पर कोई असर नहीं पड़ेगा। मगर उन्होंने यह नहीं बताया है कि कब तक?  कब तक मुनाफाखोर-धनपशु चीनी मालिक सब्र रख सकेंगे? जब चीनी का मूल्य-निर्धारण उनको ही करना है तो फिर वे कब तक और क्यों ज्यादा लाभ के लालच से बचे रहेंगे?
               मित्रों,क्या बिडंबना है कि जिस समय राजनीति के तालाब के नए मरमच्छ राहुल गांधी आम आदमी की समस्याओं के बारे में बातें करके घुटने से आँसू बहा रहा होता है ठीक उसी समय उसकी सरकार आम आदमी से सस्ती चीनी खाने का अधिकार छीन रही होती है?! हमारे देहात में कहावत हे कि बिल्ली को अगर दही की रखवाली का भार दे दिया जाए तो दही भला कब तक बचा रहेगा? फिर चाहे वो दही किसी व्यक्ति का हो या फिर पूरे समाज का। बिल्ली के लिए तो सारे दही एकसमान हैं। यह कितना हास्यास्पद है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पिछले 9 सालों से चीनी उद्योग को एक ऐसे व्यक्ति के हवाले किया हुआ है जो खुद ही इस क्षेत्र का बहुत बड़ा माफिया है। आप ही बताईए कि फिर भारत और सोमालिया मे क्या मौलिक अंतर है जहाँ की सरकार में डाकू भी मंत्री हैं। कल राजा भैया को उत्तर प्रदेश का जेल मंत्री बना दिया गया था,ए. राजा को भारत का दूरसंचार मंत्री बना दिया गया था,आज शरद पवार कृषि और खाद्य-आपूर्ति मंत्री है और उनके साथ-साथ केंद्र और राज्यों की सरकारों में न जाने कितने माफिया मंत्री हैं तो कल को नवीन जिंदल इस्पात मंत्री होंगे,सुरेश कलमाडी खेल मंत्री,कनिष्क सिंह रक्षा मंत्री,मूकेश अंबानी पेट्रोलियम मंत्री और विजय माल्या नागरिक उड्डयन मंत्री। केंद्र और प्रदेशों के गृहमंत्री पद के तो हजारों योग्य खूनी-बलात्कारी उम्मीदवार टकटकी सालों से टकटकी लगाए बैठे हैं। फिर देश और उसके आम आदमी का क्या होगा?
                            मित्रों,वर्ष 1984 में मैंने अमिताभ बच्चन अभिनीत एक फिल्म देखी थी। नाम था इन्कलाब। उसमें भी शराब माफिया खुद को उत्पाद मंत्री,अनाज माफिया खाद्य-आपूर्ति मंत्री,हथियार तस्कर गृह मंत्री,सड़क माफिया सड़क परिवहन मंत्री आदि बनाने की मांग करते हैं। मुझे नहीं पता था कि 20-30 साल के बाद इस फिल्म की कहानी सच साबित हो जाएगी। फिल्म में तो मुख्यमंत्री पद के लिए नवनिर्वाचित अमिताभ बच्चन सारे माफियाओं को मंत्री पद की शपथ लेने से पहले ही गोली मार देते हैं। काश,ऐसा केंद्र और राज्य सरकार में काबिज माफिया मंत्रियों के साथ सचमुच में हो जाता!!

Tuesday, April 2, 2013

" ये क्या हो रहा है - भाई - ये क्या हो रहा है " ? ?

           भारत के सभी नागरिकों और विश्व के सभी पाठकों को मेरा हार्दिक नमस्कार !!
             आज तीन चौंकाने वाले समाचार मिले हैं जो आपके साथ बांटना चाहता हूँ ! मुलाहिज़ा फ़रमाइए………… 
                               " आपणी मुम्बई " की महिला कार्पोरेटरों ने सरकार से ये मांग की है कि बाज़ार में महिला पुतलों को अधोवस्त्र पहनाकर ना टांगा जाए ! क्योंकि  उन्हें शर्म आती है और राह चलते आवारा लोग इस कारण से महिलाओं पर फब्तियां कसते हैं !
               महिलाओं की ये विरोधाभासी बातें
समझनी ज़रा मुश्किल लगती हैं !! स्वयं तो वे जैसे चाहें वस्त्र पहनकर बाहर निकलना चाहती हैं और पुतलों को मर्यादित वस्त्र पहनाकर टांगने या खड़ा करने का कहती हैं……। भई वाह !! 
               दूसरा समाचार दिल्ली में हुए बसपा नेता " भारद्वाज-हत्याकांड " की जांच से बाहर आया है कि " स्वामी प्रतिमानंद ने दो करोड़ की सुपारी दी थी " !!?? जिनका हरिद्वार के कनखल में आश्रम है और वो हरियाणा में ज़मीन खरीदना चाहता था !! जय हो भारतीय बाबाओं की !! इस घटना को सुनते ही मुझे मेरे पिता जी का एक कथन याद आ गया कि " बनारस के ठगों और हरिद्वार के बाबाओं " से हमेशां चौकस रहना !! ??? मैं भी आपको यही सलाह दूंगा !!

                      और तीसरा चौंकाने वाला समाचार ये है…………… स्कूल चले हम ….!
सरकार का बच्चों को स्कूल भेजने के नारे के पीछे कितने लोगों का पेट पलता है, इसका नमूना गली- गली में खुले स्कूलों और इन स्कूलों में चलनेवाली ड्रेस, कापियां, किताबें, बेचने वाली संस्थाओं से पूछिये. यकीन मानिये, इस धंधे में इतना मुनाफा है की चंद दिनों की कमाई में यह दूकानदार महीनों चैन से खा-पी सकते हैं . ऐसी कई किताबें इन दिनों आपको खरीदनी होगीं जो शायद आप फ्री में भी न लें. स्कूलों का आतंक इतना है की अपने बच्चों को यहाँ पढ़ना है तो उनकी सुनना ही होगा.

पालकों के लिए यह समय दुविधा भरा है. स्कूलों के खुलने के साथ ही उनकी जेबें हलकी होने का सिलसिला शुरू हो जाता है जो पूरे सालभर चलता है. कॉपी, किताबों से लेकर फीस में अच्छों की हालत खराब हो रही है. बड़ी क्लासों की बात छोड़ दें तो छोटी क्लास की किताबें दो से ढाई हजार में मिल रही है. केवल बुक्स. इसके अलावा बच्चों को लुभाने वाटर बेग, पेंसिल, कोवेर्रोल वगेरा का खर्च अलग.

स्कूल प्रबंधन भी आपसे ही चलेगा, सो अनुदान की व्यवस्था पालकों के जिम्मे होती है. यहाँ सर देख कर टोपी पहना दी जाती है. सामान्य तोर पर ४ से ६ हजार मामूली बात है. स्कूल के हिसाब से दाम देने पढ़ते हैं. हां, ये जान लें की इन पर किसी का अंकुश नहीं है.न प्रशासन का, न शासन का….. शासन तो कई स्कूलों के मालिक चलातें है. सो इन्हें पूरी छुट है लूटने की. यह तर्क दे सकतें हैं की स्कूल की व्यवस्था, आदि में बहुत खर्च होता है जिसे हम पालकों से नहीं तो फिर किससे वसूल करेंगे?

यही वजह है की स्कूल छुतियों का पैसा भी पालकों से वसूल रहे है. वो भी एक महीने स्कूल की आड़ में तीन महीने की फीस ली जा रही है. यानि अवकाश में भी कमाई.

आरटीआई का मजाक बन गया. किसी का ध्यान नहीं है.मार्च में ही कई स्कूलों में प्रवेश फुल के बोर्ड लगा दिए थे. मिशनरी स्कूल तो किसी से नहीं डरते. ऐसे में ‘स्कूल कैसे चलें हम’ कहना बेहतर लगता है.

CURRENT- AFFAIRES WRITER , " 5TH PILLAR CORROUPTION .KILLER" 09414657511, FAX :- 01509 - 222768 , ADD. :- HELP - LINE BIG BAZAAR , SURATGARH , (335804 )प्रिय मित्रो, ! कृपया आप मेरा ये ब्लाग " 5th pillar corrouption killer " रोजाना पढ़ें , इसे अपने अपने मित्रों संग बाँटें , इसे ज्वाइन करें तथा इसपर अपने अनमोल कोमेन्ट भी लिख्खें !! ताकि हमें होसला मिलता रहे ! इसका लिंक है ये :-www.pitamberduttsharma.blogspot.com.

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विज्ञापन हमें क्या सिखाते हैं ?

     क्यों भरोसा हो जाता है ……     हमें इतनी जल्दी इनपर ??

1) Tata की चाय पीयोगे तो देश बदल जाएगा l

2) पानी की जगह कोका कोला और पेप्सी पीयें l

3) लाइफबॉय और डेटोल 99.9% कीटाणु मारते है पर 0.1% पुनः प्रजनन के लिए छोड़ देते हैं l...

4) महिलाओं को बचाने और बटन खुले होने की चेतावनी देने का ठेका अक्षय कुमार ने लिया है l

5) अब से आपके दिन की शुरुआत दीपिका पादुकोन शंकर एहसान और लोय करेंगे l

6) सलमान खान को स्केटिंग करने के लिए स्कीस नहीं रेलाक्सो चप्पल चाहिए l

7) सैफ अली खान और करीना ने शादी एक दुसरे के सर का डैंड्रफ देख कर की है l

8) यदि किसी के टूथपेस्ट में नमक है तो यह पूछने के लिए आप किसी के भी घर का बाथरूम तोड़ सकते हैं l

9) सैमसंग S3 फोन के अलावा बाकी सभी फोन बंदरों के लिए बने हैं l

10) माउन्टेन ड्यू पीकर पहाड़ से कूद जाइये, कुछ नहीं होगा l

11) संधि सुधा तेल के बिना सभी बेकार बैठे अभिनेता भूखे मर जायेंगे l

12) कैडबरी डेरी मिल्क सिल्क चोकलेट खाएं कम और मुंह पर ज्यादा लगायें l

13) हैप्पीडेंट चबाइए और बिजली का कनेक्शन कटवा लीजिये l

14) आपके इंशोरेंस एजेंट्स को अपने बाप से ज्यादा आपकी फ़िक्र रहती हैं l

15) फलमंडी से ज्यादा फल आपके शैम्पू में होते हैं l



16) अपने घर का संडास सदा साफ़ रखें अन्यथा एक गोरा सा लोंडा हार्पिक और कैमरा लेकर आपके संडास की सफाई का सीधा प्रसारण करने लगेगा l

17) अपनी सारी संपत्ति अपने बेटे की बजाये 7 साल की गारंटी वाले एशियन पेंट्स के नाम कर दें l

18) मेक्वीटीस के अलावा कोई बिस्कुट ना खाएं, वो कभी भी फट सकता है l

19) यदि बीवी को शादी में नाचने लायक बनाना है तो उसे कैलोग्स कॉर्नफ्लेक्स खिलाएं l

20) बोर्नवीटा ना पीने वाले बच्चे मंदबुद्धि हो जाते
 क्यों मित्रो !! आपका क्या कहना है ,इस विषय पर...??
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Monday, April 1, 2013

नरेंद्र मोदी ने की अपनी पत्नी से सुलह.....!!! 1st.APRIL 2013 !!


नई दिल्ली. नरेंद्र मोदी के समर्थकों के लिए दोहरी खुशखबरी है। एक तरफ तो मोदी के लिए बीजेपी संसदीय बोर्ड में जगह के जरिए दिल्ली का दरवाजा खुलता दिख रहा है। वहीं, दूसरी तरफ मोदी ने निजी जिंदगी में भी बड़ी पहल की है। मोदी ने अपनी पत्नी से गुप्त मुलाकात कर उनसे सुलह कर ली है। दोनों के बीच यह मुलाकात मुख्यमंत्री निवास में आधी रात को हुई। लेकिन पार्टी और सरकार इस मुलाकात को लेकर औपचारिक चुप्पी साधे हुए हैं। गुजरात सरकार से जुड़े सूत्रों ने इस खबर की पुष्टि की है।नरेंद्र मोदी ने की अपनी पत्नी से सुलह!
खबरों के मुताबिक मोदी के साथ उनकी पत्नी जशोदा बेन अब मुख्यमंत्री निवास में ही रहेंगी। मोदी ने अपनी मां से भी साथ रहने के लिए आग्रह किया है। इस घटनाक्रम को मोदी की बड़ी कामयाबी के तौर पर देखा जा रहा है क्योंकि कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह और रेणुका चौधरी इस मुद्दे पर गुजरात के मुख्यमंत्री की खिंचाई कर चुके हैं। दिग्विजय सिंह ने पिछले साल नवंबर में कहा था, 'दूसरे की पत्नियों पर अपमानजनक टिप्पणियां करने वाले नरेंद्र मोदी अपनी पत्नी के बारे में क्यों चुप हैं? यू-ट्यूब पर नरेंद्र मोदी की पत्नी का नाम और शादी के साक्ष्य मौजूद हैं।' लेकिन दिग्विजय ने मोदी से सवाल किया था कि सभी सांसदों और विधायकों को चुने जाने के बाद अपनी शादीशुदा होने या कुंवारे होने के बारे में बताना होता है, लेकिन मोदी के मामले में मेरिटल स्टेटस का कॉलम आज तक ब्लैंक है। आखिर क्यों? उन्होंने कहा था कि पत्नी हमेशा से अनमोल होती है और उसका प्यार भी। लेकिन यह वही जान सकता है जिसने कभी किसी से प्यार किया हो। वहीं, कांग्रेस प्रवक्ता रेणुका चौधरी ने कहा था, 'मोदी महिला विरोधी हैं। उन्होंने अपनी पत्नी की ही गरिमा नहीं रखी औरों की क्या बात की जाए।'

लेकिन मोदी ने अपनी पत्नी जशोदा बेन से सुलह कर इस मामले में लंबे समय से चल रहे विवाद को खत्म कर दिया है। बताया जाता है कि नरेंद्र मोदी की शादी जशोदा बेन से 1968 में हुई थी। जशोदा बेन के बारे में बताया जाता है कि वह एक टीचर हैं और गुजरात के एक गांव में अकेली रहती हैं। मोदी ने आधिकारिक तौर पर इस बारे में कभी कुछ भी नहीं कहा है। गुजरात विधानसभा चुनावों के दौरान विरोधियों की तरफ से यह बात बार-बार उठाई गई थी, लेकिन मोदी इसका न तो खंडन करते हैं और न पुष्टि। मीडिया में इस बारे में छपी रिपोर्ट पर भी मोदी ने कभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी।
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