Saturday, October 15, 2016

मेरे "वो ट्वीट",जो आप के पढ़ने से "आपके" हो गए !!- पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक)

"5th पिल्लर करप्शन किल्लर" "लेखक-विश्लेषक पीताम्बर दत्त शर्मा "
वो ब्लॉग जिसे आप रोजाना पढना,शेयर करना और कोमेंट करना चाहेंगे ! 
 link -www.pitamberduttsharma.blogspot.com मोबाईल न. + 9414657511


  1. "चूहे" !! अपनी बिल से बाहर निकल आये हैं !जो उनके आकाओं ने उन्हें बताया है वैसा ही बोल रहे हैं !

  2. कसरत,मेहनत और हक की कमाई करके,हमेशां सहायता हेतु दया भावसे तैयार रहनाही भारत की संस्कृति है!मित्रो!लेकिन कोंग्रेसहमें कुछ औरही सिखा रहीथी !
  3. जे.एन.यु.+कोंग्रेस+कोमरेड+एन.जी.ओ.+ईसाई+दुबई के पैसों से पलने वाले मुस्लिम और +डिज़ाईनर पत्रकारों ने मिलकर इस भारत का भठ्ठा बिठाया है !
  4. मुस्लिम समाज और उनके तथाकथित नेताओं को तारिक फ़तेह साहेब के जवाबदेने चाहियें, नाकि उन्हें दुत्कारना चाहिए !हिन्दुस्तानी मुस्लिम अच्छे हैं !
  5. कोंग्रेसने वोटों और पैसोंके लालचमें पिछले60सालों केशासन मेंइतने गैरकानूनी कार्य किये,करवाए और होनेदिए कि अब न्यायसंगत बातकरना अन्यायलगता है!
  6. तीन तलाक में वक्फाहोना आवश्यक है,और उससमय में साथरहने के प्रयास होने चाहियें,अगर 3 बार सफलता हाथ ना लगे तो तलाक होना चाहिए! एकसाथ गलत है !
  7. भारत का मीडिया अगर सही काम करने लगे तो,भारत के अंदर कोई गद्दार,भ्रष्टाचारी और क़ानून को ना मानने वाले नहीं पनप सकेंगे! लेकिन क्या करें....?
  8. "5th पिल्लर करप्शन किल्लर" ब्लॉग जिसे आप रोजाना पढना,शेयरकरना और कोमेंट करना चाहेंगे! link - मोबाईल न. +९४१४६५७५११
  9. विजय-दशमी की आप सब को हार्दिक बधाई हो ! - "5th पिल्लर करप्शन किल्लर" वो ब्लॉग जिसे आप रोजाना पढना,शेयर करना और कोमेंट करना चाहेंगे !
  10. हिन्दू होली ना मनाएं,दिवाली ना मनाएं, मोदी जी दशहरा ना मनाएं,बंगाली दुर्गा पूजा ना मनाएं ! ये क्या हो रहा है सोनिया-ममता जी ?
  11. टीवी चेनेल वालों को भारतीय बंकर,चेक पोस्टें और बोर्डर की जमीन नहीं दिखानी चाहिए ! दुश्मन जान जाएगा कि हमारे सैनिक किस कदर जागरूक हैं !!

Monday, October 10, 2016

"चलो !! "छद्म-सेक्युलरों" के यहां मेहमाँ बनें !! - पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक)मो.न. - +9414657511

कभी कभी मेरे दिल में ये ख्याल आता है कि हिंदुस्तान में रह रहे छद्म-सेकुलरों से हर रोज़ लड़ने की बजाए हम सब उनके घरों में एक साथ मेहमान बनकर जाएँ और वापिस लौटें नहीं , पहले हम उनके घरों में पड़ी खाद्य सामग्री ,वस्त्र,और नकदी पर उनसे ज्यादा अपना हक़ जमाएं , फिर उनकी सारी सम्पत्ति के मालिक ही बन जाएँ ! तब इनको पता चले कि आज हिंदुस्तानियों के अपने ही घर में कैसे हालात हैं ??
           कुछ ऐसा ही तो हुआ है हमारे साथ पिछले 6 -7 सौ सालों में !पहले "मुग़ल"आये, फिर "फिरंगी"आये ,इन सबने हमें खूब लूटा एवम हमारा शोषण किया ,और फिर इन दोनों की "नाजायज़"ओलादें हम पर ये कहकर और दिखाकर राज करती रहीं कि सबको समान अधिकार और मौके  देंगे !लेकिन इन्होंने ना केवल पक्षपात किया ,बल्कि ये हमारे मालिक बन बैठे !यही वजह है कि जब भारत अपने किसी दुश्मन की "ठुकाई"करता है तो "रोने"ये लगते हैं !
                     ऐसे देशद्रोही लोगों ने अपने घरों को महलों जैसा बना रख्खा है ,हम जैसे लोग तो इनके पहरेदारों से बात तक नहीं कर पाते हैं !इन्होंने देश के क़ानून और सिस्टम को अपनी सुविधानुसार ढाल लिया है !आज इन्होंने पैसे के दम पर हर जगह अपने विशेष "कौए-तोते"बिठा रख्खे हैं , जो समय आने पर इनकी  हालात अनुसार रोते या गाने लगते हैं !जैसे "पुरुस्कार वापसी गैंग,झूठे समाज-सेवी और पत्तरकार "आदि !
                     इसलिए आइये-चलिए !! हम सब "मुलायम,माया,राहुल-सोनिया,ममता" जी एवम उनके प्रवक्ताओं के घर मेहमान बनने चलें ! 

 प्रिय मित्रो , सादर नमस्कार !! आपका इतना प्रेम मुझे मिल रहा है , जिसका मैं शुक्रगुजार हूँ !! आप मेरे ब्लॉग, पेज़ , गूगल+ और फेसबुक पर विजिट करते हो , मेरे द्वारा पोस्ट की गयीं आकर्षक फोटो , मजाकिया लेकिन गंभीर विषयों पर कार्टून , सम-सामायिक विषयों पर लेखों आदि को देखते पढ़ते हो , जो मेरे और मेरे प्रिय मित्रों द्वारा लिखे-भेजे गये होते हैं !! उन पर आप अपने अनमोल कोमेंट्स भी देते हो !! मैं तो गदगद हो जाता हूँ !! आपका बहुत आभारी हूँ की आप मुझे इतना स्नेह प्रदान करते हैं !!नए मित्र सादर आमंत्रित हैं ! the link is - www.pitamberduttsharma.blogspot.com.  , गूगल+,पेज़ और ग्रुप पर भी !!ज्यादा से ज्यादा संख्या में आप हमारे मित्र बने अपनी फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज कर !! आपके जीवन में ढेर सारी खुशियाँ आयें इसी मनोकामना के साथ !! हमेशां जागरूक बने रहें !! बस आपका सहयोग इसी तरह बना रहे !!
मेरा मोबाईल नंबर ये है :- 09414657511. 01509-222768. धन्यवाद !!आपका प्रिय मित्र ,
पीताम्बर दत्त शर्मा,
हेल्प-लाईन-बिग-बाज़ार,

Tuesday, October 4, 2016

राहिल की बिसात पर वजीर से प्यादा हो रहे है नवाज !!??


सत्ता पलट के हालात बन रहे है पाकिस्तान में ?

तो पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल राहिल शरीफ दो महीने बाद 26 नवंबर को रिटायर होंगे और नवाज शरीफ की सत्ता की उम्र अभी पौने दो बरस बची हुई है । और इन दोनों के बीच सेना के पांच अफसर ऐसे हैं, जिनमें से कोई एक नवंबर के बाद पाकिस्तान का जनरल हो जायेगा । लेकिन ये कहानी सच्ची तो है लेकिन अच्छी नही लगती । क्योंकि पाकिस्तान में सत्ता यूं ही बदलती और कोई सामान्य तरीके से कोई रिटायर भी नहीं होता । तो जो कहानी सच्ची नहीं होती वह पाकिस्तान को लेकर अच्ची लगती है । और इस कहानी में असल पेंच आ फंसा है भारत का सर्जिकल आपरेशन । भारत के चार धंटे के इस आपरेशन ने पाकिस्तान के सियासी और सेना के इतिहास को ही उलट पलट दिया है । और पहली बार दोनों शरीफ पाकिस्तान के बीतर ही इस तरह कटघरे में आ खड़े हुये हैं कि अब दोनों को ये तय करना है कि साथ मिलकर चले या फिर एक दूसरे को शह मात देने की बिसात बिछा लें । और पाकिस्तान के हालात शह मात की बिसात में जाने लगे है । क्योंकि कैबिनेट की बैठक में नवाज अपने ही मंत्रियो को ये भरोसा ना दिला पाये कि वह चाहेंगे तो सेना कूच कर जायेगी । और दूसरी तरफ राहिल शरीफ रावलपिंडी में अपने सैनिक अधिकारियों को इस भरोसे मही लेने में लगे रहे कि सेना तभी कूच करती है जब उसे पता हो जाये कि जीत उसकी होगी ।

यानी नवाज शरीफ के कहने पर सेना चल नहीं रही है और नवाज शरीफ की बिसात राहिल शरीफ के रिटायरमेंट के बाद अपनी पसंद के अधिकारी को जनरल के पद पर बैठाने की है । यानी भारत के इस सर्जिकल आपरेशन ने पाकिसातन के भीतर के उस सच को सतह पर ला दिया है जिसे आंतकवाद से लडने ऐऔर कश्मीर के नाम पर अभी तक सत्ता सेना संभाले नवाज और राहिल किसी शरीफ की तरह ही नजर आ रहे थे । यानी नये हालात में तीन सवाल पाकिस्तान में गूंजने लगे है । पहला, राहिल रिटायरमेंट पसंद कर किसी सरकारी कारपोरेशन में सीईओ का पद लेना चाहेंगे । दूसरा, राहिल मुशर्ऱफ की राह पर निकल कर खुद सत्ता संभालने और अपने पसंदीदा को जनरल की कुर्सी पर बैठेंगे । तीसरा, नवाज शरीफ किसी भी हालात में सेना को सियासत से दूर करने के लिये युद्द में झोकना पंसद करेगें । यानी तरकीबी दोनों तरफ से चली जायेगी । और चली जा रही है । नवाज शरीफ के सामने दो बरस का वक्त अभी भी है लेकिन जिस तरह भुट्टो की पीपीपी और इमरान की पार्टी राहिल शरीफ के दंघो पर चढकर अब सत्ता पाने का ख्वाबा देखने लगी है वह नवाज के लिये खतरे की घंटी है क्योंकि नवाज के विरोधी अब पाकिस्तान की अवाम की भावनाओं के साथ सेना या कहे राहिल शरीफ को करीब बता रहे है और भारत के सर्जिकल अटैक के पीछे सेना की असफलता को ना कहकर नवाज की असफलता ही बता रहे है । यानी मोदी से नवाज की यारी भी पाकिसातन में नवाज शरीफ पर खतरे के बादल मंडराने लगी है । और राहिल शरीफ की बिसात पर वजीर नवाज कब प्यादा बना दिये जा सकते है इसका इंतजार सेना-सियासत दोनों करने लगे है । तो क्या पाकिस्तान में हालात ऐसे बन रहे हैं कि सत्ता पलट हो सकता है। ये सवाल इसलिए क्योंकि पाकिस्तान में सत्ता पलट का इतिहास है, और हर बार जब लोकतांत्रिक सरकार कुछ कमजोर होती है या पिर सत्ता पूरी तरह सेना की कारारवाई पर ही आ टिकती है तो सेना सीधे सत्ता संभालने से नहीं कतराती और फिलहाल पाकिसातन का रास्ता इसी दिशा में जा रहा है ।

क्योकि बीते 48 घंटो में नवाज शरीफ ने राहिल शरीफ के अलावे पाकिसातन में जिन दो अधिकारियों से संपर्क साधा वह दोनो जनरल बनने की रेस में है । और इन्हीं दोनों को रावलपिंडी में राहिल शरीफ ने अफगालनिस्तान की सीमा से भारत की सीमा यानी लाइन आफ कन्ट्रोल की दिशा में भजे जा रहे सैनिकों की निगरानी के निर्देश भी दिये है र बाकि तीन जो जनरल की रेस में है उन्हें भी राहिल शरीफ ने बीतते 48 घंटो में अपनी तीन बैठको में बुलाया । तो पाकिस्तान के भीतर सेना की हलचल बता रही है कि भारत के खिलाफ कोई भी कार्रवाई को वह राहिल शरीफ की बिसात पर करेगी ना कि नवाज शरीफ के सियासी फैसले पर । इसीलिये इकबाल रानाडे की निगरानी में इफगान बार्डर से एलओसी में ट्रांसफर किये जारहे सैनिको की अगुवाई का काम सौपा गया है । इकबाल ट्रिपलएक्सआई कोर्प्स के कमांडर हैं, 2009 में अफगानिस्ता सीमा के पास स्वात घाटी में पाकिस्तानी तालिबानी आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन को लीड किया। वही राहिल का परिवार जिस तरह सेना में रहा है उसमें जुबैर हयात का परिवार भी सेना में रहा है तो उनकी निगरानी में एलओसी की हरकत है । जुबैर हयात न केवल खुद लेफ्टिनेंट जनरल हैं उनके पिता मेजर जनरल असलम हयात नामी शख्सियतों में एक रहे। और राहिल शरीफ के चाचा के साथ सेना में रहे है । महत्वपूर्ण है कि नवाज शरीफ अज अपनी कैबिनटे में हालात को बताते हुये सेना के बारे में सिर्फ यही कह पाये कि संसद के विशेष सत्र में सारी जानकारी हर राजनीतिक दल और देश के सामने रखेंगे । यानी जो मूवमेंट पाकिस्तानी सेना के भीतर हो रहे हैं, उसे नवाज शरीफ या तो बता नहीं पा रहे है या फिर सर्जिकल अटैक के बाद सेना और सत्ता में ये दूरी आ गई है कि अब सफलता के लिये दोनो ही अपनी अपनी बिसात बिछा रहे है । इसीलिये पाकिसातन के कराची और रावलपिंडी के न्यूक्लियर प्लांट पर निगरानी का काम मजहर जामिल देख रहे रहे है । ये वही शख्स है जो करगिल के दौर में पाकिस्तान के न्यूक्किल कॉप्लेक्स देखते थे ।और तब मुशर्रफ के सत्ता पलट के दौर में ये नवाज शरीफ को कोई सूचना देने से पहले सेना हेडक्वार्टर के करीब रहे । तो नया सवाल ये भी है कि पाकिस्तान की सेना अगर एलओसी पर सक्रिय हो रही है तो फिर हमले या किसी कार्रवाई का निर्देश कौन देगा । या किस निर्देश को सेना मानेगी। और पाकिस्तान के भीतर की हलचल भारत में क्या असर डालेगी । ये सारे सवाल उस युद्द की ही दस्तक दे रहे है जिसे दुनिया नहीं चाहती है।

Saturday, October 1, 2016

पानी को लेकर होगा अगला युद्द ?ख़त्म नहीं हुआ है अभी पानी का मसला !


सिंधु नदी का इलाका करीब 11 लाख 20 हजार किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसका 86 फिसदी हिस्सा भारत पाकिस्तान में बंटा हुआ है। पाकिस्तान में 47 फिसदी और भारत में 39 फिसदी हिस्से के अलावे सिंधु नदी का 8 फिसदी हिस्सी चीन में 6 फिसदी हिस्सा अफगानिस्तान में भी आता है। और इस क्षेत्र के आसपास के इलाको में करीब 30 करोड़ लोग रहते हैं,लेकिन 1947 में भारत विभाजन पर मुहर लगते ही पंजाब और सिंध प्रात में पानी को लेकर संघर्ष की शुरुआत हो गई । 1947 में भारत और पाकिसातन के इंजीनियरों की मुलाकात ने विभाजन से पहले के हालात 31 मार्च 1948 तक बरकरार रखने पर सहमति बनायी। यानी तय हुआ देश बंटे है लेकिन पानी नहीं बंटेगा। और 31 मार्च 1948 तक पानी की धारा किसी ने रोकी नहीं। लेकिन 1 अप्रैल 1948 को जैसे ही समझौते की तारीख खत्म हुई और पाकिसातन ने कश्मीर में दखल देना शुरु किया तब पहली बार भारत ने पाकिस्तान पर दबाब बनाने के लिये दो प्रमुख नहरों का पानी रोक दिया जिससे पाकिस्तानी पंजाब की 17 लाख एकड़ ज़मीन सूखे की चपेट में आ गया। यानी आज जो सवाल कश्मीर में पाकिस्तानी दखल को लेकर है भारत के सामने है वैसा ही सवाल 1948 में भी सामने आया था। हालांकि 1948 से लेकर 1960 तक सिंधू नदी को लेकर कोई ठोस समझौता तो नहीं हुआ लेकिन उस दौर में पानी रोका भी नहीं गया । लेकिन 1951 में नेहरु के

कहने पर टेनसी वैली अथॉरेटी के पूर्व प्रमुख डेविड लिलियंथल ने इस पूरे इलाके का अध्ययन कर जब रिपोर्ट तैयार की तो वर्लड बैक ने भी इसका अध्ययन किया और 19 सितंबर 1960 को कराची में सिंधु नदी समझौते पर हस्ताक्षर हुए.समझौते हुआ तो सिंधु नदी की सहायक नदियो को पूर्वी और पश्चिमी नदियों में बांटा गया । सतलज, ब्यास और रावी नदियों को पूर्वी नदी मानते हुये भारत को इस्तेमाल का हक मिला ।

तो झेलम, चेनाब और सिंधु को पश्चिमी नदी मानते हुये पाकिसातन को इस्तेमाल का हक मिला ।लेकिन नदियो में एक दूसरे देश के लिये विजली बनाने , खेती के लिय पानी उपयोग के लिये आपसी सहमति के आधार पर पानी देने की भी व्यवस्था हुई । लेकिन कोई उलझन होने पर सिंधु आयोग बना । जिसमे भारत-पाक के कमिश्नर नियुक्त हुये। दोनों देशों की सरकारों को विवाद सुलझाने का हक मिला। कोर्ट आफ आर्ब्रिट्रेशन में जाने का भी रास्ता सुझाया गया । लेकिन पाकिस्तान ने जिस तरह कश्मीर में आतंक को हवा दी और अंतराष्ट्रीय मंच पर जाकर आंतकवाद को स्टेट प़ोलेसी के तहत रखा उसने सिंधू ,समझौते के 56 बरस के इतिहास में पहली बार भारत के लिये ये सवाल तो पैदा कर ही दिया है कि सीमा पर खून बहे और खून बहाने वालो को पानी दें तो क्यों दे । और आज पीएम की बुलाई बैठक में 1948 वाले हालात की तर्ज पर पानी बंद करने की स्थिति पर चर्चा तो हुई । लेकिन ये कैसे और कबतक संभव है नजरे अब इसी पर होंगी।  तो सवाल है कि क्या वाकई पानी को लेकर हालात और बिगड सकते है । और अगर ऐसा होता है तो चीन क्या करेगा । जो लगातार पाकिस्तान के पीछे खड़ा है । याद कीजिये तो न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप में भारत की सदस्यता पाकिस्तान नहीं चाहता था,तो चीन ने अडंगा लगाकर सदस्यता नहीं मिलने दी। दक्षिण चीन सागर पर भारत के रुख से चीन राज है। बलूचिस्तान का जिक्र मोदी के करने पर चीन खफा है,क्योंकि चीन का आर्थिक कॉरोडोर शिनजियांग प्रांत को रेल,सड़क और पाइपलाइन के जरिए बलूचिस्तान के ग्वादर पोर्ट से जोड़ेगा, जिस पर चीन 46 अरब डॉलर से ज्यादा खर्च कर रहा है । इसलिये आतंक के सवाल पर भी चीन ने ही पाकिस्तान व  के आतंकी संगठन जैश के मुखिया समूद अजहर को यूएन में ही आतंकवादी नहीं माना और वीटो जारी कर दिया ।

और अब जब भारत  सिंधू पानी समझौता तोड़़ने का जिक्र कर रहा है तो चीन का मीडिया भारत को चेता रहा है। यानी हालात सिर्फ सिंधु नदी के क्षेत्र तक नहीं सिमटेगे बल्कि तिब्बत और ब्रह्मपुत्र भी इसकी जद में आयेगा । यानी इधर सिधु नदी । उधर बह्मपुत्र नदी । इधर पाकिसातन । उधर चीन । तो सवाल ये भी है कि क्या पानी को लेकर संघर्ष के हालात पैदा हुये तो चीन भी पाकिस्तान के साथ खडा होकर बह्रमपुत्र का पानी रोक सकता है । ये सवाल इसलिये क्योकि चीन अरसे से तिबब्त में बांध बनाकर बह्रमपुत्र के पानी को पीली नदी में डालने की योजना बनाने में लगा है । चीन की बांध बनाने की योजना अरुणाचल और तिबब्त की सीमा पर ग्रेट बैड पर है । जहा ब्रह्मपुत्र यू टर्न लेती है । और ब्रह्मपुत्र कही ना कही बांग्लादेश के लिये भी जीवनदायनी है । यानी भारत पाकिस्तान टकराव की जद में समूचा एशिया आयेगा इससे इंकार किया नहीं जा सकता । तो क्या वाकई पानी को लेकर दुनिया के केन्द्र में भारत पाकिस्तान हो सकता है । क्योंकि ये पहली बार हो रहा है ऐसा भी नहीं है । नील नदी को लेकर मिस्र , इथोपिया , सूडान आपस में भिडे । तो जार्डन नदी को लेकर इजरायल, जार्डन, लेबनान , फिलस्तीन और अराल सी [ नदी ] पर तुर्कमेनिस्तान, कजाकिस्तान , उजबेकिस्तान , किर्जिकिस्तान के बीच झगडा जग जाहिर है । यानी पानी एक ऐसे हथियार के तौर पर किसी भी देश के लिये सहायक हो सकता है जब उसे अपने दुश्मन देश पर दबाब बनाना हो या फिर दुश्मन देश की सत्ता के खिलाफ उसके अपने देश में राष्ट्रीय भावना को उसी के खिलाफ करना हो । और असर इसी का है कि पानी का संघर्ष चाहे गाजा पट्टी मेंदिखायी दे या फिर मिस्र , सूडान और इथोपिया के बीच । आखिर में दुनिया के दबाब में रास्ता पानी समझौते का ही निकाला गया । और पानी को लेकर बीते 50 बरस में 150 संधिया हुईं । 37 संधियों में हिंसा हुई । तो नया सवाल ये भी है आतंकवाद का नया नजरिया पानी को ही हथियार या ढाल बनाकर भी शुरु हो सकता है । क्योंकि सीरिया और यमन में अगर आईएसआईएस का आतंक आज दस्तक दे चुका है तो उसके अतीत का सच ये भी है कि सीरिया और यमन में गृह युद्द के हालात पानी की वजह से ही बने । जह वहा के गवर्नर ने अपने लिये पानी अलग से जमा कर कब्जा कर लिया । और लोगो ने विरोध किया । असंतोष के हालात में तेल के साथ साथ पानी पर भी आईएस ने कब्जा कर लिया । फिर यूनाइटेड नेशन के जेनरल सेकेट्री रहे कोफी अन्नान से लेकर मौजूदा बान की मून तक ने माना कि 21 वी सदी में तेल को लेकर नहीं पानी को लेकर युद्द होगा । बंदूकें पानी के लिये खरीदी जायेगी ।साभार - श्री पूण्य प्रसुन वाजपेयी जी !

"निराशा से आशा की ओर चल अब मन " ! पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक)

प्रिय पाठक मित्रो !                               सादर प्यार भरा नमस्कार !! ये 2020 का साल हमारे लिए बड़ा ही निराशाजनक और कष्टदायक साबित ह...