Thursday, April 6, 2017

"शराब से परेशान महिलाएं ,अपनाएं मेरा फार्मूला"!! - पीताम्बर दत्त शर्मा (स्वतन्त्र टिप्पणीकार) मो.न.+9414657511

'शराब-सोमरस मृत संजीवनी सुरा और दारु ,ना जाने कितने नाम हैं इस "राक्षसी" के?ना जाने कितनी प्रकार की होती है ये ज़हर !कब ये शौंक,शोक से दवा-दारु और फिर ये घातक बीमारी बन जाती है ! देवताओं से लेकर राक्षसों तलक,राजाओं से लेकर लेखकों-कवियों तलक और आम आदमी से लेकर रईसों तलक !सबकी पसंद रही है ये शराब !नेता हों या पत्रकार,जादूगर हों या जादूगरनियाँ,सब इसका स्वाद चखना चाहते हैं ! कहते हैं कि जहां गरीबी होती है ,वहीँ शराब से लड़ाई होती है !धनवानों को तो "पत्नियां"स्वयं परोसती हैं !इस विषय के अंदर "सभ्यता-असभ्यता"भी छिपी हुई है !इतना ही नहीं हमारा संविधान भी इस विषय पर मैं सच लिखूं तो "दोगला" है !अमीरों हेतु बीयरबार,होटल-मोटल और ना जाने क्या क्या खुले हुए हैं ! वहाँ कोई सरकारी अधिकारी जांच हेतु चला भी जाए तो उसे शराब ऑफर की जाती है और कोई गरीब कहीं बैठकर पि रहा हो तो उसे उठाकर जीप में डालकर थाने लेजाया जाता है !दो-चार जापद भी रसीद कर दिए ! इस तरह के सैंकड़ों उदाहरण दिए जा सकते हैं !
                           चलिए विषय पर आते हैं ! आजकल जगह जगह शराब बन्द कहीं सरकारें कर रही हैं या कहीं हमारी महिलाएं "गुंडागर्दी से भरे आंदोलन चलाकर"आगजनी-लूटपाट करके शराब की दुकाने बंद करवा रहीं हैं !और हमेशां की तरह हमारा "सयाना-मीडिया" आग में घी डालने और तारीफें करता नहीं थक रहा !जब भी कांग्रेस की सरकार को भारत की जनता हटाती है ,ना जाने कौन सी ताक़तें सक्रीय हो जातीं हैं कि वो उन्हीं के समर्थकों में से कोई भोले भाले लोग ढूंढकर उनसे ऐसा माहौल बनवा देतीं हैं !ऐसा लगने लगता है ,जैसे भारत में उहा-पोह की ही स्थिति है ,प्रशासन नाम की कोई चीज़ है ही नहीं !उस पर हैरानी वाली बात ये है कि भाजपा से जुड़े लोग और rss के विभिन्न संगठनों से जुड़े लोग "भावावेश"में आकर कुछ जैसे उल्टा-पुल्टा बोल जाते हैं ,वैसे ही कारपोरेट मीडिया घरानों के चेले एंकर-पत्रकार ऐसे नेताओं के बयान लेने निकल पड़ते हैं जिनको भारत से कुछ लेना-देना नहीं होता ,बस अपने वोट बैंक को खुश करना होता है !इस चक्कर में नेता और मीडिया ये भूल जाते हैं कि उनके इस क्रियाकर्म से विश्व के अन्य देश भारत के बारे में कैसी कैसी धारणाएं बना लेते हैं?
                           में मानता हूँ की शराब से घरों में क्लेश,गरीबी और हत्याएं तक हो जाती हैं !हज़ारों का जीवन बर्बाद हो जाता है !लेकिन शराब का ठेकेदार तो देश के संविधान के मुताबिक ही दूकान खोल रहा होता है !उसके नुकसान का कौन जिम्मेदार होता है ऐसी तोड़फोड़ से?अब रही मेरे फार्मूले की बात !जिसको अपनाने से उनका पति ना केवल शराब पिणि छोड़ देगा !बल्कि शराब छोड़ने का प्रचार भी करना शुरू कर देगा !महिलाओं को सिर्फ इतना करना है कि " वो सब महिलाये जो अपने पतियों की शराब छुड़वाना चाहती हैं ,को दिनों तलक ऐसा दर्शाएं की उनको एवम उनके बच्चों को भी शराब पीने की लत लग चुकी है "!ये नाटक तब तलक चलना चाहिए जब तलक उनका पति शराब पीना छोड़ ना दे !अब रही सरकार की बातें ! तो पाठक मित्रो!! हमारी प्रादेशिक एवं राज्यों की सरकारों ने पहले तो "कमाई"के लालच में "लॉटरी,सट्टों,शराब,भांग,पोस्त और चरस आदि की दुकाने खुलवायीं अब वो सम्पूर्ण रूप से नहीं "आंशिक"रूप से मज़बूरी में बंद करवा रहीं हैं !मनसे अभी भी कोई सरकार शरण एवं अन्य नशे बंद नहीं करना चाहतीं! अब मैं दारु नहीं पिता इसलिए मैं कहता हूँ की शराब बन्द होनी चाहिए !अगर पीता होता तो मैं भी यही लिखता कि शराब बिकनी चाहिए !जय हम जैसे !दोगले लोगों की !  





 "5th पिल्लर करप्शन किल्लर", "लेखक-विश्लेषक एवं स्वतंत्र टिप्प्न्नीकार", पीताम्बर दत्त शर्मा ! 
वो ब्लॉग जिसे आप रोजाना पढना,शेयर करना और कोमेंट करना चाहेंगे !
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1 comment:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (09-04-2017) को
    "लोगों का आहार" (चर्चा अंक-2616)
    पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक

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"निराशा से आशा की ओर चल अब मन " ! पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक)

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