Saturday, May 23, 2020

"भारत का दुश्मन कौन "? -: पीताम्बर दत्त शर्मा(लेखक-विश्लेषक) मो. न. - 9414657511

   भारत का दुश्मन कौन ? ये एक ऐसा प्रश्न है जो समय समय पर इस देश में पूछा जाता है ,वो भी अपने आपको जो बुद्धिजीवी कहलाते समझते हैं उनके द्वारा !विडम्ब्ना  देखिये कि ये प्रश्न आदिकाल से पूछे जाते रहने के कारण ये हमारी संस्कृति का हिस्सा बन गया है !भारत का एक वर्ग हमेशां से "ज्ञानी,ध्यानी,भविष्यवक्ता ,कर्मकांडी और नेतृत्व करने वाला रहा है तो दूसरा वर्ग हमेशां इन पर आश्रित रहा है ! प्रथम वर्ग जैसे दूसरे वर्ग हेतु दिशा निर्देश तैयार करता है दूसरा वर्ग वैसा जीवन व्यतीत करने में ही अपना अहोभाग्य मानता है ! दूसरा वर्ग अपने सारे अधिकार प्रथम वर्ग को सौंप देता है ! इसीलिए कोई राजा होता है और कोई प्रजा का हिस्सा ! जैसे जैसे प्रजा के किसी आदमी-औरत के पास दिमागी व शारीरिक "ताकत" बढ़ती जाती है वैसे वैसे वो प्रथम वर्ग के बनाये नियम तोड़ने लगता है !नियम कानून तोड़ने में उसे एक प्रकार के आनंद की अनुभूति होती है !क्योंकि सभी कानून ,नियम प्रथम वर्ग के ही तो बनाये हुए होते हैं !
                    भारत में कई ऐसे नियम कानून हैं जो धर्म से जुड़े हैं ! अलग अलग धर्म सम्प्रदायों के अलग अलग कानून,फिर हर समाज के अलग कानून और फिर देश के कानून !इन सब के बिच एक "फ़र्ज़"नाम की चीज़ भी होती है जो हर व्यक्ति के लिए हर व्यक्ति के प्रति  अलग अलग होती है !हर कोई दूसरों को उसके फ़र्ज़ याद करवाता रहता है और स्वयं के फर्ज भूल जाता है ! कभी जानबूझकर तो कभी सच में !इस तरह जीवन भर एक लड़ाई चलती रहती है "धर्म,कानून और फर्ज "के बीच ! कभी कभी लड़ाई इतनी बढ़ जाती है कि "धर्म"की हानि होने लगती है फिर धर्म की पुनः स्तापना करने भगवन को या तो अवतार लेना पड़ता है या फिर वो किसी को अपना "अंश"बनाकर भेजता है !और दूसरे वर्ग के लोग उसे अपना "तारणहार "मान लेते हैं ! चाहे मामला धार्मिक हो या राजनीति का हमें वो ही अच्छा लगने लगता है !
                    अब जैसे कइयों को मोदी जी में अपना "तारणहार" दिखाई पड़ रहा है ,कइयों को राहुल ,सोनिया,प्रियंका में,कइयों को किसी अन्य नेता में ! हजारों हैं जनता की अलग अलग निगाहों में !बुद्धि अपनी अपनी और विचार अपने अपने ! कहने को तो एक "विचारधार" नामक चीज भी होती है ! जिस पर ये नेता लोग चलने का दम भरते हैं !लेकिन चलना तो दूर इनको विचारधारा याद ही नहीं होती !सिस्टम कुछ ऐसा बन गया है कि जैसा अख़बार,टीवी चैनल और सोशल मिडिया बताये जनता उसी को सच मान कर चलती है !इसीलिए आजकल सभी राजनीतिक दल इन माध्यमों को खरीदकर अपनी मनमर्जी के मुताबिक प्रचार करवाती है ! न केवल प्रचार बल्कि फिल्म,नाटक,इंटरव्यू तलक बनवाते हैं ,दिखाते हैं ! सभी राजनितिक दल आजकल पुरे फ़िल्मी प्रोडक्शन हॉउस बन गए हैं !जनता को मुर्ख बनाने के हजारों तरीके बना लिए गए हैं ! हम समझते हैं कि भारत की जनता अपना मतदान करके भारत के भाग्यविधाता चुनती है ! नहीं जी ! ये गलत है बड़े बड़े देश,बड़े बड़े व्यापारी अपनी मर्जी की सरकारें और मंत्री बनवाते हैं और अपने हित साधते हैं ! भारत भरा पड़ा है दुश्मन देशों के एजेंटों से !!किसी ने कोई रूप धर रक्खा है तो किसी ने कोई !कौन इनको पहचाने?कौन इनको दंड दे ? कोई ऐसा करने चेष्टा करता भी है तो उसे रस्ते से हटा दिया जाता है !और हटाती भी ये जनता ही है अपने वोट देकर ! यानी आपका वोट दोधारी तलवार है ! ये किसी अच्छे आदमी को भी प्रधानमंत्री बनवा सकता है और बुरे को भी ! ये सब उस पर निर्भर करता है कि आपने वोट किसको दिया ! तो दुश्मन कौन ? हम और कौन ?हम ही तो झांसे में आते हैं ! हर बार !क्यों हम नहीं जागते ? क्यों हम सत्तर साल पुराने कानूनों ,नियमों और व्यवस्था पर चल रहे हैं ! क्यों हम आश्रित हो जाते हैं ?और फिर जब वो अपनी "मनमर्जियां"करता है तो हम रोते हैं !क्यों ? जागो !! निकलो बाहर !!पहचानो छिपे हुए गद्दारों को !करो उनका सामजिक बहिष्कार !लाओ एक क्रान्ति ! छोडो अपने स्वार्थ ! मार दो भारत के दुश्मनों को अपने वोट रूपी हथियार से !फिर देखना ,हमारा भारत कैसे विश्व शक्ति बनेगा ! हमारा भविष्य सुरक्षित व सुखद होगा !



"5th पिल्लर करप्शन किल्लर" "लेखक-विश्लेषक पीताम्बर दत्त शर्मा "
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1 comment:

  1. आगे-आगे देखिए होता है क्या।
    भगवान खैर करे।

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"निराशा से आशा की ओर चल अब मन " ! पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक)

प्रिय पाठक मित्रो !                               सादर प्यार भरा नमस्कार !! ये 2020 का साल हमारे लिए बड़ा ही निराशाजनक और कष्टदायक साबित ह...