Tuesday, November 20, 2012

" कसाब " - हो गया - " हिसाब " !!

 प्रिय भारतवासियों, सादर नमस्कार !
                       आज सरकार ने जनता को समाचार दिया कि " कसाब " जनाब को फांसी देकर उसका हिसाब कर दिया है !! अब हम भारतीय लोग प्रधानमंत्री जी व सोनिया जी को इस महान कार्य करने की बधाई देने की बजाय " मीन-मेख " निकाल रहे हैं !! आदत से मजबूर जो ठहरे....!!
    

मुंबई हमले की चौथी बरसी से पहले कसाब को दी गई फांसी !!!


मुंबई। मुंबई हमले के एकमात्र दोषी आतंकी अजमल कसाब को मुंबई के आर्थर रोड जेल से पुणे की यरवडा जेल में शिफ्ट करने के बाद बुधवार सुबह करीब 7:36 बजे फांसी दे दी गई। डाक्टरों ने उसको मृत घोषित कर दिया गया है। महाराष्ट्र के गृहमंत्री आरआर पाटिल ने कसाब को फांसी दिए जाने की पुष्टि की है। इससे पहले उसको बेहद गोपनीय तरीके से पुणे की यरवडा जेल में शिफ्ट किया गया था। जेल प्रशासन ने राज्य के गृह सचिव को भी इसकी सूचना दे दी गई है। देश के आज़ाद होने के उपरांत किसी भी अपराधी को दी गयी ये 52 वीं फांसी है। 
आर्थर रोड जेल में फांसी देने की सुविधा नहीं है। यह सुविधा केवल पुणे की यरवडा जेल और नागपुर की जेल में ही है। लिहाजा उसको यहां शिफ्ट किया गया था। हालांकि कसाब को बेहद गोपनीय तरीके से शिफ्ट किया गया। एक अग्रेंजी अखबार के मुताबिक माना राष्ट्रपति कसाब 
की दया याचिका खारिज कर चुके थे। लेकिन अभी तक इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। दो माह पहले गृह मंत्रालय ने कसाब की दया याचिका को खारिज किया गया था। मंत्रालय की सिफारिश पर ही राष्ट्रपति ने उसकी दया याचिका खारिज कर दी है। आर्थर रोड जेल में केवल अंडरट्रायल कैदियों को ही रखा जाता है। लेकिन अब जब कि कसाब को फांसी लगनी काफी हद तक तय हो गई है तो प्रशासन ने इसकी तैयारी भी शुरू कर दी है।
कसाब को राष्ट्रपति द्वारा याचिका खारिज करने के तुरंत बाद मुंबई की आर्थर रोड जेल से यरवडा जेल में शिफ्ट किया गया। इसके कुछ देर बाद ही कसाब को फांसी दे दी गई। इसे बेहद गोपनीय तरीके से सरकार ने अंजाम दिया। वरिष्ठ वकील उजवल निगम ने कसाब को फांसी दिए जाने की पुष्टि करते हुए इसपर खुशी जताई।
इस बीच यरवडा जेल की सुरक्षा को और पुख्ता किया जा रहा है। 2611 के दोषी आतंकी को आर्थर रोड जेल की सबसे अधिक सुरक्षित सैल में रखा गया था। इस हमले में 166 लोगों की मौत हो गई थी। 27 नवंबर 2008 को कसाब को गिरफ्तार किया गया था। अभी तक कसाब के रखरखाव पर करोड़ों रुपये खर्च किए जा चुके हैं। उसके रखरखाव पर हुए खर्च को लेकर भी कई बार सवाल उठे थे। गौरतलब है कि 29 अगस्त 2012 को सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी।
मुंबई हमले की चौथी बरसी से पहले कसाब को दी गई फांसी !!!

मुंबई। मुंबई हमले के एकमात्र दोषी आतंकी अजमल कसाब को मुंबई के आर्थर रोड जेल से पुणे की यरवडा जेल में शिफ्ट करने के बाद बुधवार सुबह करीब 7:36 बजे फांसी दे दी गई। डाक्टरों ने उसको मृत घोषित कर दिया गया है। महाराष्ट्र के गृहमंत्री आरआर पाटिल ने कसाब को फांसी दिए जाने की पुष्टि की है। इससे पहले उसको बेहद गोपनीय तरीके से पुणे की यरवडा जेल में शिफ्ट किया गया था। जेल प्रशासन ने राज्य के गृह सचिव को भी इसकी सूचना दे दी गई है। देश के आज़ाद होने के उपरांत किसी भी अपराधी को दी गयी ये 52 वीं फांसी है। 
आर्थर रोड जेल में फांसी देने की सुविधा नहीं है। यह सुविधा केवल पुणे की यरवडा जेल और नागपुर की जेल में ही है। लिहाजा उसको यहां शिफ्ट किया गया था। हालांकि कसाब को बेहद गोपनीय तरीके से शिफ्ट किया गया। एक अग्रेंजी अखबार के मुताबिक माना राष्ट्रपति कसाब की दया याचिका खारिज कर चुके थे। लेकिन अभी तक इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। दो माह पहले गृह मंत्रालय ने कसाब की दया याचिका को खारिज किया गया था। मंत्रालय की सिफारिश पर ही राष्ट्रपति ने उसकी दया याचिका खारिज कर दी है। आर्थर रोड जेल में केवल अंडरट्रायल कैदियों को ही रखा जाता है। लेकिन अब जब कि कसाब को फांसी लगनी काफी हद तक तय हो गई है तो प्रशासन ने इसकी तैयारी भी शुरू कर दी है।
कसाब को राष्ट्रपति द्वारा याचिका खारिज करने के तुरंत बाद मुंबई की आर्थर रोड जेल से यरवडा जेल में शिफ्ट किया गया। इसके कुछ देर बाद ही कसाब को फांसी दे दी गई। इसे बेहद गोपनीय तरीके से सरकार ने अंजाम दिया। वरिष्ठ वकील उजवल निगम ने कसाब को फांसी दिए जाने की पुष्टि करते हुए इसपर खुशी जताई।
इस बीच यरवडा जेल की सुरक्षा को और पुख्ता किया जा रहा है। 2611 के दोषी आतंकी को आर्थर रोड जेल की सबसे अधिक सुरक्षित सैल में रखा गया था। इस हमले में 166 लोगों की मौत हो गई थी। 27 नवंबर 2008 को कसाब को गिरफ्तार किया गया था। अभी तक कसाब के रखरखाव पर करोड़ों रुपये खर्च किए जा चुके हैं। उसके रखरखाव पर हुए खर्च को लेकर भी कई बार सवाल उठे थे। गौरतलब है कि 29 अगस्त 2012 को सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी।
                               
                                   नवंबर 26, 2008 से नवंबर 21, 2012 को सुबह 7.36 बजे तक का पूरा घटनाक्रम ::


26 नवंबर, 2008 को मुंबई में हुए हमले से लेकर 21 नवंबर, 2012 को कसाब को हुई फांसी तक का पूरा घटनाक्रम जानें:

26 नवंबर 2008: अजमल कसाब और नौ आतंकवादियों ने मुंबई पर हमला किया, जिसमें 166 लोगों की जान गई.

27 नवंबर 2008: अजमल कसाब गिरफ्तार.

30 नवंबर 2008: कसाब ने पुलिस के सामने अपना गुनाह कुबूल किया.

27/28 दिसंबर 2008: आइडेंटीफिकेशन परेड हुई.

13 जनवरी 2009: एम एल तहलियानी को 26/11 मामले में विशेष जज नियुक्त किया गया.

16 जनवरी 2009: ऑर्थर रोड जेल को कसाब का ट्रायल के लिए चुना गया.

22 फरवरी 2009: उज्ज्वल निकम को सरकारी वकील नियुक्त किया गया.

25 फरवरी 2009: मेट्रोपॉलिटिन कोर्ट में कसाब के खिलाफ चार्जशीट दायर.

1 अप्रैल 2009: स्पेशल कोर्ट ने अंजलि वाघमारे को कसाब का वकील नियुक्त किया.

20 अप्रैल 2009: अभियोजन पक्ष ने 312 मोर्चों पर कसाब को आरोपी बनाया.

29 अप्रैल 2009: कसाब नाबालिग नहीं है. विशेषज्ञों की राय पर अदालत ने फैसला सुनाया.

6 मई 2009: मामले में आरोप तय किए गए. कसाब पर 86 आरोप तय,लेकिन आरोपों से कसाब का इंकार.

23 जून 2009: हाफिज सईद, जकी-उर-रहमान लखवी समेत 22 लोगों के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किए गए.

16 दिसंबर 2009: अभियोजन पक्ष ने 26/11 के मामले में आर्ग्यूमेंट पूरा किया.

9 मार्च 2010: अंतिम बहस शुरू.

31 मार्च 2010: फैसला 3 मई के लिए सुरक्षित रखा गया.

3 मई 2010: कोर्ट ने कसाब को मुंबई हमले का दोषी ठहराया. सबाउद्दीन अहमद और फहीम अंसारी आरोपों से बरी.

6 मई 2010: कसाब को विशेष अदालत ने मौत की सजा सुनाई.

18 अक्टूबर 2010: बॉम्बे हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई शुरू. कसाब की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेशी.

19 अक्टूबर 2010: कसाब ने निजी तौर पर अदालत में हिस्सा लेने की बात कही.

21 अक्टूबर 2010: कसाब ने निजी तौर पर अदालत में हिस्सा लेने की बात अपने वकील से दोहराई.

25 अक्टूबर 2010: हाई कोर्ट के जजों ने सीसीटीवी फुटेज देखी.

27 अक्टूबर 2010: वकील उज्ज्वल निकम ने निचली अदालत द्वारा दी गई कसाब को मौत की सजा को सही ठहराया.

29 अक्टूबर 2010: वकील उज्ज्वल निकम ने तर्क दिया कि कसाब ने बार-बार यू-टर्न लेकर निचली अदालत को गुमराह करने की कोशिश की.

19 नवंबर 2010: निकम ने अदालत को बताया कि 26/11 के हमलावर देश में मुसलमानों के लिए अलग राज्य चाहते थे.

22 नवंबर 2010: निकम ने कसाब को झूठा और साजिशकर्ता ठहराया.

23 नवंबर 2010: हाईकोर्ट के जजों ने एक बार फिर से कसाब के सीसीटीवी फुटेज देखें.

24 नवंबर 2010: निकम ने हाईकोर्ट में तर्क दिया कि निचली अदालत ने कसाब के इकबालिया बयान को स्वीकार करने में गलती की थी.

25 नवंबर 2010: कसाब के वकील अमीन सोलकर ने आर्ग्यूमेंट शुरू किया. निचली अदालत की कार्वायही को गलत ठहराते हुए 26/11 मामले पर दोबारा ट्रायल की मांग की.

30 नवंबर 2010: सोलकर ने तर्क दिया कि कसाब के खिलाफ "देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने के आरोप नहीं बनते.

2 दिसंबर 2010: बचाव पक्ष के वकील ने अदालत में कहा कि कसाब पाकिस्तान से कश्ती से नहीं आया था क्योंकि कश्ती में सिर्फ दस व्यक्ति ही आ सकते हैं.

3 दिसंबर 2010: उसके वकील का तर्क था कि कसाब को फंसाने के लिए पुलिस ने झूठी कहानी बनाई.

5 दिसंबर 2010: बचाव पक्ष के वकील सोलकर ने तर्क दिया कि सबूतों को दबा दिया गया है. सिर्फ कुछ सीसीटीवी फुटेज अदालत में दिखाई गई.

6 दिसंबर 2010: सोलकर ने फुटेज में दिखी तस्वीरों को गलत बताया.

7 दिसंबर 2010: कसाब ने पुलिस अधिकारी हेमंत करकरे और दो अन्य पुलिस अधिकारियों की हत्या से इनकार किया. उसके वकील का तर्क था कि मारे गए पुलिस अधिकारियों के शरीर में मिली गोलियां कसाब की राइफल के साथ मैच नहीं होती.

8 दिसंबर 2010: सोलकर का कहना था कि पुलिस ने गिरगाम चौपाटी में 26 नवंबर, 2008 को झूठी मुठभेड़ का नाटक करके कसाब को फंसाया है. साथ ही मौके पर कसाब की मौजूदगी से इनकार करते हुए उसकी गिरफ्तारी को गलत ठहराया.

9 दिसंबर 2010: कसाब के वकील ने उसके खिलाफ पेश किए गए सबूतों को कमजोर बताते हुए पुलिस अधिकारी करकरे के मारे जाने से इंकार किया.

10 दिसंबर 2010: कसाब के वकील ने निचली अदालत में रखी कश्ती का निरीक्षण किया और उस कश्ती को 10 व्यक्तियों के आने के लिए नाकाफी बताया और दावा किया कि अभियोजन पक्ष का दावा गलत है.

13 दिसंबर 2010: कसाब ने खुद के किशोर होने की दलील देते हुए अदालत से अपनी मानसिक हालत के लिए चिकित्सा विशेषज्ञों के एक पैनल नियुक्ति करने का आग्रह किया.

14 दिसंबर 2010: अदालत ने कसाब की मांग को खारिज कर दिया.

21 दिसंबर 2010: अदालत ने 26/11 के मामले में फहीम अंसारी को बरी किए जाने के खिलाफ राज्य की अपील सुनी.

22 दिसंबर 2010: सरकारी वकील निकम ने तर्क दिया कि निचली अदालत ने फहीम अंसारी और सबाउद्दीन अहमद को बरी करने में गलती की थी.

21 फरवरी 2011: बॉम्बे हाईकोर्ट ने कसाब पर निचली अदालत के फैसले को सही ठहराया और उसकी अपील खारिज कर दी. मुंबई हमलों के मामले में फहीम अंसारी और सबाउद्दीन अहमद को बरी कर दिया गया.

29 जुलाई 2011: कसाब ने फांसी की सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की.

10 अक्तूबर 2011: सुप्रीम कोर्ट ने कसाब की फांसी की सजा पर रोक लगाई थी.

31 जनवरी 2012: सुप्रीम कोर्ट में शुरू हुई मामले की सुनवाई. कसाब का पक्ष रखने के लिए वरिष्ठ वकील राजू रामचंद्रन को एमिकस-क्यूरी नियुक्त किया गया.

25 अप्रैल 2012: कसाब की अपील पर कोर्ट ने सुनवाई पूरी की और फैसला सुरक्षित रखा.

28 अगस्त 2012: मुंबई हमले के दोषी आमिर अजमल कसाब को फांसी की सज़ा को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा. फहीम अंसारी और सबाउद्दीन अहमद के बॉम्बे हाईकोर्ट की रिहाई के फैसले को भी बरकरार रखा है. इन दोनों पर भारत से मुंबई हमलावरों को मदद करने का आरोप था.

20 नवंबर, 2012: राष्‍ट्रपति के सामने दया के लिए भेजी गई कसाब की अर्जी खारिज.

21 नवंबर, 2012: कसाब को सुबह 7.36 बजे फांसी दी गई।
नवंबर 26, 2008 से नवंबर 21, 2012 को सुबह 7.36 बजे तक का पूरा घटनाक्रम ::


26 नवंबर, 2008 को मुंबई में हुए हमले से लेकर 21 नवंबर, 2012 को कसाब को हुई फांसी तक का पूरा घटनाक्रम जानें: 
 
26 नवंबर 2008: अजमल कसाब और नौ आतंकवादियों ने मुंबई पर हमला किया, जिसमें 166 लोगों की जान गई.
 
27 नवंबर 2008: अजमल कसाब गिरफ्तार.
 
30 नवंबर 2008: कसाब ने पुलिस के सामने अपना गुनाह कुबूल किया.
 
27/28 दिसंबर 2008: आइडेंटीफिकेशन परेड हुई.
 
13 जनवरी 2009:  एम एल तहलियानी को 26/11 मामले में विशेष जज नियुक्त किया गया.
 
16 जनवरी 2009:  ऑर्थर रोड जेल को कसाब का ट्रायल के लिए चुना गया.
 
22 फरवरी 2009: उज्ज्वल निकम को सरकारी वकील नियुक्त किया गया.
 
25 फरवरी 2009: मेट्रोपॉलिटिन कोर्ट में कसाब के खिलाफ चार्जशीट दायर.
 
1 अप्रैल 2009: स्पेशल कोर्ट ने अंजलि वाघमारे को कसाब का वकील नियुक्त किया.
 
20 अप्रैल 2009: अभियोजन पक्ष ने 312 मोर्चों पर कसाब को आरोपी बनाया.
 
29 अप्रैल 2009: कसाब नाबालिग नहीं है. विशेषज्ञों की राय पर अदालत ने फैसला सुनाया.
 
6 मई 2009: मामले में आरोप तय किए गए. कसाब पर 86 आरोप तय,लेकिन आरोपों से कसाब का इंकार.
 
23 जून 2009: हाफिज सईद, जकी-उर-रहमान लखवी समेत 22 लोगों के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किए गए.
 
16 दिसंबर 2009: अभियोजन पक्ष ने 26/11 के मामले में आर्ग्यूमेंट पूरा किया.
 
9 मार्च 2010: अंतिम बहस शुरू.
 
31 मार्च 2010: फैसला 3 मई के लिए सुरक्षित रखा गया.
 
3 मई 2010: कोर्ट ने कसाब को मुंबई हमले का दोषी ठहराया. सबाउद्दीन अहमद और फहीम अंसारी आरोपों से बरी.
 
6 मई 2010: कसाब को विशेष अदालत ने मौत की सजा सुनाई.
 
18 अक्टूबर 2010: बॉम्बे हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई शुरू. कसाब की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेशी.
 
19 अक्टूबर 2010: कसाब ने निजी तौर पर अदालत में हिस्सा लेने की बात कही.
 
21 अक्टूबर 2010: कसाब ने निजी तौर पर अदालत में हिस्सा लेने की बात अपने वकील से दोहराई.
 
25 अक्टूबर 2010: हाई कोर्ट के जजों ने सीसीटीवी फुटेज देखी.
 
27 अक्टूबर 2010: वकील उज्ज्वल निकम ने निचली अदालत द्वारा दी गई कसाब को मौत की सजा को सही ठहराया.
 
29 अक्टूबर 2010: वकील उज्ज्वल निकम ने तर्क दिया कि कसाब ने बार-बार यू-टर्न लेकर निचली अदालत को गुमराह करने की कोशिश की.
 
19 नवंबर 2010: निकम ने अदालत को बताया कि 26/11 के हमलावर देश में मुसलमानों के लिए अलग राज्य चाहते थे.
 
22 नवंबर 2010: निकम ने कसाब को झूठा और साजिशकर्ता ठहराया.
 
23 नवंबर 2010: हाईकोर्ट के जजों ने एक बार फिर से कसाब के सीसीटीवी फुटेज देखें.
 
24 नवंबर 2010: निकम ने हाईकोर्ट में तर्क दिया कि निचली अदालत ने कसाब के इकबालिया बयान को स्वीकार करने में गलती की थी.
 
25 नवंबर 2010: कसाब के वकील अमीन सोलकर ने आर्ग्यूमेंट शुरू किया. निचली अदालत की कार्वायही को गलत ठहराते हुए 26/11 मामले पर दोबारा ट्रायल की मांग की.
 
30 नवंबर 2010: सोलकर ने तर्क दिया कि कसाब के खिलाफ "देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने के आरोप नहीं बनते.
 
2 दिसंबर 2010: बचाव पक्ष के वकील ने अदालत में कहा कि कसाब पाकिस्तान से कश्ती से नहीं आया था क्योंकि कश्ती में सिर्फ दस व्यक्ति ही आ सकते हैं.
 
3 दिसंबर 2010: उसके वकील का तर्क था कि कसाब को फंसाने के लिए पुलिस ने झूठी कहानी बनाई.
 
5 दिसंबर 2010: बचाव पक्ष के वकील सोलकर ने तर्क दिया कि सबूतों को दबा दिया गया है. सिर्फ कुछ सीसीटीवी फुटेज अदालत में दिखाई गई. 
 
6 दिसंबर 2010: सोलकर ने फुटेज में दिखी तस्वीरों को गलत बताया.
 
7 दिसंबर 2010: कसाब ने पुलिस अधिकारी हेमंत करकरे और दो अन्य पुलिस अधिकारियों की हत्या से इनकार किया. उसके वकील का तर्क था कि मारे गए पुलिस अधिकारियों के शरीर में मिली गोलियां कसाब की राइफल के साथ मैच नहीं होती.
 
8 दिसंबर 2010: सोलकर का कहना था कि पुलिस ने गिरगाम चौपाटी में 26 नवंबर, 2008 को झूठी मुठभेड़ का नाटक करके कसाब को फंसाया है. साथ ही मौके पर कसाब की मौजूदगी से इनकार करते हुए उसकी गिरफ्तारी को गलत ठहराया.
 
9 दिसंबर 2010: कसाब के वकील ने उसके खिलाफ पेश किए गए सबूतों को कमजोर बताते हुए पुलिस अधिकारी करकरे के मारे जाने से इंकार किया.
 
10 दिसंबर 2010: कसाब के वकील ने निचली अदालत में रखी कश्ती का निरीक्षण किया और उस कश्ती को 10 व्यक्तियों के आने के लिए नाकाफी बताया और दावा किया कि अभियोजन पक्ष का दावा गलत है.
 
13 दिसंबर 2010: कसाब ने खुद के किशोर होने की दलील देते हुए अदालत से अपनी मानसिक हालत के लिए चिकित्सा विशेषज्ञों के एक पैनल नियुक्ति करने का आग्रह किया.
 
14 दिसंबर 2010: अदालत ने कसाब की मांग को खारिज कर दिया.
 
21 दिसंबर 2010: अदालत ने 26/11 के मामले में फहीम अंसारी को बरी किए जाने के खिलाफ राज्य की अपील सुनी.
 
22 दिसंबर 2010: सरकारी वकील निकम ने तर्क दिया कि निचली अदालत ने फहीम अंसारी और सबाउद्दीन अहमद को बरी करने में गलती की थी.
 
21 फरवरी 2011: बॉम्बे हाईकोर्ट ने कसाब पर निचली अदालत के फैसले को सही ठहराया और उसकी अपील  खारिज कर दी. मुंबई हमलों के मामले में फहीम अंसारी और सबाउद्दीन अहमद को बरी कर दिया गया.
 
29 जुलाई 2011: कसाब ने फांसी की सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की.
 
10 अक्तूबर 2011: सुप्रीम कोर्ट ने कसाब की फांसी की सजा पर रोक लगाई थी.
 
31 जनवरी 2012: सुप्रीम कोर्ट में शुरू हुई मामले की सुनवाई. कसाब का पक्ष रखने के लिए वरिष्ठ वकील राजू रामचंद्रन को एमिकस-क्यूरी नियुक्त किया गया.
 
25 अप्रैल 2012: कसाब की अपील पर कोर्ट ने सुनवाई पूरी की और फैसला सुरक्षित रखा.
 
28 अगस्त 2012: मुंबई हमले के दोषी आमिर अजमल कसाब को फांसी की सज़ा को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा. फहीम अंसारी और सबाउद्दीन अहमद के बॉम्बे हाईकोर्ट की रिहाई के फैसले को भी बरकरार रखा है. इन दोनों पर भारत से मुंबई हमलावरों को मदद करने का आरोप था.
 
20 नवंबर, 2012: राष्‍ट्रपति के सामने दया के लिए भेजी गई कसाब की अर्जी खारिज.
 
21 नवंबर, 2012: कसाब को सुबह 7.36 बजे फांसी दी गई।


प्रिय मित्रो, आपका क्या कहना है ...इस विषय पर ......???? अपने विचार आप मेरे ब्लॉग पर , जिसका नाम है..:- " 5th pillar corrouption killer " जाकर लिख सकते हैं !! जिसको खोलने का लिंक ये है...www.pitamberduttsharma.blogspot.com. आप मेरे ये लेख फेसबुक , गूगल+ , ग्रुप और मेरे पेज पर भी पढ़ सकते हैं !!! आप मुझे अपना मित्र भी बना सकते हैं और मेरे ब्लॉग को ज्वाईन , शेयर और कंही भी प्रकाशित भी कर सकते हैं !!!!

आपका अपना
पीताम्बर दत्त शर्मा
हेल्प-लाईन- बिग- बाज़ार
आर. सी.पी. रोड, पंचायत समिति भवन के सामने, सूरतगढ़ ! ( श्री गंगानगर )( राजस्थान ) मोबाईल नंबर :- 9414657511. फेक्स :- 1509 - 222768.

Monday, November 19, 2012

क्या कहना है .....!!! आपका इस बारे में समझदारो ...!!!????


WHAT YOU SAY !! ABOUT THIS ...... ABOUT THIS.....ABOUT THIS ????                        
SHARE PLEASE: सेक्युलर राष्ट्र के नाम पर भारत इस्लामी आतंकवाद का केन्द्र बनता जा रहा है ! भारत अमेरिका, कनाडा, इस्राईल, फ्रांस, जापान, चीन जैसे विकसित देशो कब सीखेगा की इस्लाम जैसे आतंकी धर्म पर सेक्युलर होकर भी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये
पाबंदी लगाना जरुरी है ?

धर्मनिरपेक्ष होकर भी विकसित देश इस्लाम के साथ कितनी सख्ती से निपट रहे है इस पर एक नजर डालते है ।

1) फ्रांस : 'मुस्लिम मौलानाओं के देश में आने पर रोक'
http://www.thepunjabkesari.com/international/news/31757
http://www.foxnews.com/world/2012/03/29/france-bars-muslim-clerics-from-entering-france/

2) बुर्का, हिजाब और नकाब पहनने पर फ्रांस , कॅनडा में पाबंदी
http://www.guardian.co.uk/world/2011/sep/19/battle-for-the-burqa
http://www.telegraph.co.uk/news/worldnews/europe/france/8444177/BurkaFranceNational-FrontMarine-Le-PenMuslimFadela-AmaraAndre-Gerinhijab.html
http://www.dailymail.co.uk/news/article-2073367/Canada-bans-burqa-citizenship-swearing-in.html

3) चीन में बच्चे, सरकारी अधिकारी कों मस्जिद प्रवेश पे पाबंदी
http://www.rfa.org/english/news/uyghur_religion-20060206.html

4) जापान में मुस्लिम आबादी और मस्जिदों की संख्या नगण्य
http://en.wikipedia.org/wiki/Islam_in_Japan

5) आतंकवाद के केन्द्र पाकिस्तान, अफगानिस्तान, इराक और लीबिया पर अमेरिका, ब्रिटन और इस्राइल के हवाई हमले
http://www.bbc.co.uk/news/world-asia-18320431

6) मुस्लिमो कों अमेरिका का वीजा मिलना हुआ बहुत मुश्किल
http://www.ndtv.com/article/world/us-suspends-visa-operations-from-pakistan-103024
http://seyedibrahim.wordpress.com/2010/09/04/u-s-to-muslim-professionals-no-visas-for-you/
http://www.hindu.com/2010/09/04/stories/2010090464131500.htm

7) कुरान पर प्रतिबन्ध लगाने की तैयारी में स्पेन समेत कई देश
http://www.faithfreedom.org/features/news/prohibition-of-quran-petition-admitted/
http://peacetimes.net/2010/07/netherlands-attempts-to-ban-quran/

8) फ्रांस में नमाज पे पाबंदी
http://www.reuters.com/article/2011/09/16/us-france-muslims-idUSTRE78F4CC20110916
http://www.telegraph.co.uk/news/worldnews/europe/france/8766169/Praying-in-Paris-streets-outlawed.html

9) चीन ने रमजान के रोजा इफ्तार पर प्रतिबन्ध लगा दिया हैं
http://english.alarabiya.net/articles/2012/08/04/230285.html
http://jaagoindialive.com/wp/?p=5135

जयहिंद !!
Photo: SHARE PLEASE: सेक्युलर राष्ट्र के नाम पर भारत इस्लामी आतंकवाद का केन्द्र बनता जा रहा है ! भारत अमेरिका, कनाडा, इस्राईल, फ्रांस, जापान, चीन जैसे विकसित देशो कब  सीखेगा की  इस्लाम जैसे आतंकी धर्म पर सेक्युलर होकर भी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये पाबंदी लगाना जरुरी है ?

धर्मनिरपेक्ष होकर भी विकसित देश इस्लाम के साथ कितनी सख्ती से निपट रहे है इस पर एक नजर डालते है ।

1) फ्रांस : 'मुस्लिम मौलानाओं के देश में आने पर रोक'
http://www.thepunjabkesari.com/international/news/31757
http://www.foxnews.com/world/2012/03/29/france-bars-muslim-clerics-from-entering-france/

2) बुर्का, हिजाब और नकाब पहनने पर फ्रांस , कॅनडा में पाबंदी
http://www.guardian.co.uk/world/2011/sep/19/battle-for-the-burqa
http://www.telegraph.co.uk/news/worldnews/europe/france/8444177/BurkaFranceNational-FrontMarine-Le-PenMuslimFadela-AmaraAndre-Gerinhijab.html
http://www.dailymail.co.uk/news/article-2073367/Canada-bans-burqa-citizenship-swearing-in.html

3) चीन में बच्चे, सरकारी अधिकारी कों मस्जिद प्रवेश पे पाबंदी
http://www.rfa.org/english/news/uyghur_religion-20060206.html

4) जापान में मुस्लिम आबादी और मस्जिदों की संख्या नगण्य
http://en.wikipedia.org/wiki/Islam_in_Japan

5) आतंकवाद के केन्द्र पाकिस्तान, अफगानिस्तान, इराक और लीबिया पर अमेरिका, ब्रिटन और इस्राइल के हवाई हमले
http://www.bbc.co.uk/news/world-asia-18320431

6) मुस्लिमो कों अमेरिका का वीजा मिलना हुआ बहुत मुश्किल
http://www.ndtv.com/article/world/us-suspends-visa-operations-from-pakistan-103024
http://seyedibrahim.wordpress.com/2010/09/04/u-s-to-muslim-professionals-no-visas-for-you/
http://www.hindu.com/2010/09/04/stories/2010090464131500.htm

7) कुरान पर प्रतिबन्ध लगाने की तैयारी में स्पेन समेत कई देश
http://www.faithfreedom.org/features/news/prohibition-of-quran-petition-admitted/
http://peacetimes.net/2010/07/netherlands-attempts-to-ban-quran/

8) फ्रांस में नमाज पे पाबंदी
http://www.reuters.com/article/2011/09/16/us-france-muslims-idUSTRE78F4CC20110916
http://www.telegraph.co.uk/news/worldnews/europe/france/8766169/Praying-in-Paris-streets-outlawed.html

9) चीन ने रमजान के रोजा इफ्तार पर प्रतिबन्ध लगा दिया हैं
http://english.alarabiya.net/articles/2012/08/04/230285.html
http://jaagoindialive.com/wp/?p=5135

जयहिंद !!
प्रिय मित्रो, आपका क्या कहना है ...इस विषय पर ......???? अपने विचार आप मेरे ब्लॉग पर , जिसका नाम है..:- " 5th pillar corrouption killer " जाकर लिख सकते हैं !! जिसको खोलने का लिंक ये है...www.pitamberduttsharma.blogspot.com. आप मेरे ये लेख फ
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पीताम्बर दत्त शर्मा
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Sunday, November 18, 2012

अपराध-बोध





खुलासा कर देना आवश्यक है कि और सज्जन होते होंगेकिन्तु मै जन्मजात कवि नहीं था.  बल्कि उल्टे मुझे कविता से डर लगता था (उस कविता से नहींजिसका  जिक्र आगे है) कविता के रूप में मैने जो पहला गाना ध्यान से सुना थावह था- मै जट यमला पगला दीवानाइत्ती सी बात न जाना”.  मैं इस गाने को अक्सर गुनगुनाता रहता था. एक दिन मुहल्ले के पँडितजी पैसे उधार लेने पिताजी के पास आए. वह पोथी बाँचने से लेकर मस्तक देख कर भाग्य बताने देने वाले कई कार्य सम्पादित कर लेते थेसो वातावरण को फेवरेबलबनाने चक्कर मे हाथ देख कर भूत-भविष्य बताने का प्रोटोकॉलकरने लगे. उन्होंने इसका श्रीगणेश एक बालक से, यानी मेरा हाथ देख करना चाहा.  मेरे हाथ पर दृष्टिपात करते ही घोषित कर दिया- "यह तो अति होनहार बालक है.  बड़ा होकर एक कवि बनेगा, अच्छेलाल दूबेजी!''  घृणा और अपमान बोध से  त्रसित होकर मैने तुरन्त अपना हाथ छुड़ा लिया और शौचालय के अंदर जाकर दरवाजे की  चिटकिनी लगा कर रोने लगा- हे दैवक्या मै भी कविता और गीत ही लिखूंगा.. मैं भी? हे पालनकर्ता, क्या मुझे भी (स्वीकारोक्ति) में गाना पड़ेगा- मै कालागिट्ठाहकला- इत्ती सी बात... मुझसे गाया न गया, रोने की आवाज को कंठ में दबाते हुए तो कदाचित स्वर्गवासी सर्वश्री रफ़ी मुहम्मद और मुकेश माथुर भी न गा पाते- मैं तो सुर में कभी रोया तक नहीं था.
विधि का विधान! दो साल सात महीने के बाद सड़क के उस पार  मेरे मकान के सामने एक लाला जगमल हाथ मे लोटा लिए हमारे मुहल्ले को लूटने आ गए. पूर्व-प्रायोजित कार्यक्रम के अनुसार उनका परिवार भी छह महीने के बाद आ गया.  औरकविता भी आ गई- जो मुझसे दो बरस छोटी थी. हायक्या नाक-नक्श थे, क्या आँखें थींऔर क्या होंठ (पता नहीं अब कैसे हो गए होंगे यह सब?)  उसे देख कर मेरी उम्र के सभी लड़के उसके दीवाने हो गए- मुझे मिला कर.  सभी लड़कों एवं मुझमे एक अन्तर था. बाकी सभी लड़के बहिर्मुखी थे-  उससे बातें करनाउसके पास जाना चाहते थे.  किन्तु मैं अन्तर्मुखी था- यदि उसे देखना भी होता- तो खिड़की के सामने पीठ करकेहाथ मे शीशा लेकर अपना मुँह देखने के बहाने उसे देखा करता.  और सभी लड़के उसके पिताजी का नाम लेते हुए जगमल मे से शब्द  हटाकर ’ लगा देते थे. किन्तु मै स्पष्टतः  जगमल’ ही कहता. शायद लड़कियाँ मनो वृ (विकृ) त्ति को भाँपने-जानने मे अत्यन्त कुशल होती हैंअतः कविता ने सब समझ-बूझ लिया था. मैं कालागिट्ठा और हकला- उसे भा गया था (यह मैंने कुछ देर से जाना था).  वह मेरी ओर देखती तो एक अदा से आँखें झुका लेती, मुस्कुराती तो ऐसे कि मै रात भर इसी उधेड़-बुन मे पड़ा रहता कि जालिम मुस्कुराई थी भी कि नहीं! 
लाला जगमल के किराने की दूकान पर घरेलू जरूरत का हर सामान मिलता था- आटा-दालतेल-मसाले से लेकर हरी सब्जियां तक. उस दुकान में आते-जाते मैने नोट किया कि कभी कुछ सामान लेने जाता तो अन्दर कमरे से निकल कर कविता आ जाती और अपने पिताजी को किसी न किसी बहाने से उठा कर- मेरा सामान खुद देने लगती. मै मीठी चीजों का शौक़ीन थाअक्सर मिस्री खरीदने जाया करता था. एक दिन ढाई सौ ग्राम मिश्री माँगी तो कविता मेरी आंखों में आंखें डाल कर बोली- "तुमने कभी लहसुन-प्याज नहीं खरीदाक्या खाते नहीं?'' मैने आँखें नीची कर ली और ऊत्तर दिया- "हम लोग ब्राम्हण हैं... यह सब नहीं खाते.  पिताजी कहते हैं कि तामसी चीजें खाने से...'' मेरी बात काटते कविता बोली- "बसबस! अरे मैं तभी कहूं...  आज से ठंडी चीज़ें  खानी बन्द.''  मेरे ना-ना करते रहने पर भी उसने लहसुन-प्याज के साथ बहुत सारे गरम-मसाले भी दे दिए और बोरी थमाते हुए कुछ डाँटती सी बोली- "खाया-पिया करो, मुंह क्या देखते हो? अब जल्दी जाओपैसे फिर आ जाएंगे.''   घर आकर मैने लहसुन-प्याज और गरम-मसाले से भरी बोरी एक ओर रख दी और सोच मे पड़ गया. कविता-रूपि कोहेकाफ की हूर तो राजी थी लेकिन जलिम जिन्न और उसके प्यादों के सामने मेरी क्या औकात थीन मेरे बाजू फौलाद के थेन इरादे चट्टान की तरह!  मुझे लगा कि इरादा तो बहुत दूर की बात हैअभी तो सोच तक पूरी नहीं है. केवल एक झिलमिलाता-टिमटिमाता सपना भर है! जो भी होमुझे लहसुन-प्याज और गरम-मसाले  खाकर ताकत जुटाने की हिम्मत नहीं हुई और ठंडे पानी से नहा कर सो गया.  हॉमैने दूकान पर जाना अवश्य  कम कर दिया.
एक दिन मुझे नमक लेने जाना पड़ गया.  मुझे आया देख कविता जाने कहाँ से आ गई और अपने पिताजी से बोली कि अन्दर घर में बिच्छू दिखा है. लाला जगमल फौरन से पेश्तर  तराजू रख कर तथा-प्रायोजित बिच्छू को ढूंढने अन्दर चले गए और कविता मुझे सामान देने लग गई. घर आकर देखा तो पाया कि गलती से उसने चीनी दे दी है.  मै वापस करने गया तो पाया कि लाला जगमल अन्दर के कमरे में बिच्छू नहीं ढूंढ पाए थेगद्दी पर अभी तक कविता ही बैठी हुई है. मै लिफाफा वापस करते बोला कि नमक की जगह चीनी दे दिया है तो बड़ी सादगी से बोली- मालूम हैलाओ नमक दे देती हूं.” मै नमक लेकर दूकान से चलने लगा तो बोली- अरेनमक को छोड़कुछ चीनी-गुड़ की भी सोच लिया कर. पहले ही तुझमे इतना नमक भर रखा है कि बुरा हाल कर रखा है. और सुन-  अभी मै ही बैठी मिलूंगीअभी घन्टे भर तक अंदर कमरे में पिताजी की ढूंढ-ढाँढ चलेगी.  कोई बिच्छू-विच्छू होगा तभी मिलेगा न- समझा?”  मैं यह बात तो नहीं समझ पायाऔर साथ ही वह बात भी नहीं कि- मेरे बताने से पहले ही उसे कैसे पहले मालूम था कि नमक के बदले चीनी दे दिया गया है!  जब लगभग एक हफ्ते के बाद बातें समझ मे आर्इंतो मै घबरा-शरमा गया. घबराया इसलिए कि कुछ-कुछ ताल ठोकने जैसी बात होने जा रही थीऔर शरमाया इसलिए कि हिम्मत मेरी जगह एक लड़की- वह कविता दिखा रही थी. थोड़ा-बहुत लहसुन-प्याज और गरम-मसाले खा चुका थासो फलस्वरूप अक्सर दूकान पर चला जाया करता और हाथ मे पकड़ा लिफाफा वापस करता बोलता- मैंने धनिया कहा थातुमने जीरा दे दिया है!  कविता मेरी बात सुनकर उसी चिर-परिचित अन्दाज मे मुस्कुरा देती और मै चक्करघिन्नी बन जाता.
एक दिन भाग्य ने अपना पाँसा फेंका और मै झाँसा खा गया (कवि बनने की ओर अग्रसरभाग्य-लेखानुसार). उस दिन टी.वी. पर रुखसाना सुल्तान को समाचार पढ़ते देखउसका मुकाबला अपनी कविता से करने लगा. मन ने यही कहा- ऐ रुखसानायदि तुम समचार की पँक्तियाँ हो तो मेरी कविता एक महाकाव्य है!  शाम होते-होते भाग्य और प्रबल हो गया और फलस्वरूप मै कुछ-कुछ कवियाने लगा.  मूंछ के साथ पूंछलोटा के साथ सोटा और जूता के साथ कुत्ता जैसे काफिए बनाने के बाद पहली छोटी कविता बनी- तू राजकुमारी हैमुझे इज्जत प्यारी है.” बहुत आनन्द आया- इसमे कविता के साथ यथार्थ भी थाइसलिए.
होली वाले दिन जो कविता ने जो कुछ कियाउसे शब्दों में ढालने की बेकार सी कोशिश ऐसे है- उन दिनों होली की हुडदंग बहुत आफत ढाने वाली होती थी. मेरे जैसे डरने वाले कुछ लोग (मेरी उम्र के लड़के नहीं) घर से बाहर निकलने से घबराते थे. मै तो बाकायदा अंदर से कुंडी लगाकर रेडियो सुन रहा था. दरवाजे पर थाप सुनी तो खोला और पाया कि मुंह पर मुखौटा पहने पहने कोई खड़ा है. इसके पहले कि पूछूंआवाज आयी- अरेआज भी नखरे दिखायेगा कि अंदर आने को रास्ता देगा.” कविता ने यह बात कही भर थीउत्तर सुनने के लिए प्रश्न नहीं किया था. अंदर आकार उसने सिटकिनी बंद कर मुझे एक थैला दिया और बोली-  लेजल्दी से पहन ले जाकर बाथरूम में.” मुझे जैसे किसी पाश में बाँध लिया था किसी नेमै कुछ बोले बगैर बाथरूम में गया और थैले में से  सामान निकाला. साड़ीब्लाऊजचूड़ी और टीका आदि देखकर मुझे हंसी आ गईकविता ने अपने पहनने का सामान मुझे थमा दिया था. मै मुस्कुराता कविता के पास आया तो उसे देख सन्न रह गया! उसने टूटा-फूटा ही सही- कृष्ण का रूप धारण कर लिया था.  बालों में ऊपर फंसे मोर-पंखकानों में मोटे कुंडल और हाथ में थामी  छोटी सी बांसुरी ही काफी थीकविता ने अपने दूध-सिन्दूर के बदन पर जहां-तहां राख मलने का भी उपक्रम कर डाला था. मेरे मन में कितनी बिजलियां कड़कीं,कितने बायलर दहकेयही सब तो ठीक से नहीं लिख पाने की बात पहले ही कर चुका हूं.  मैने उसके दिए राधा के कपड़े नहीं पहने तो क्याकृष्ण-रूपि कविता को सामने देख मै इतना अधिक शरमा गया जितना असली राधा भी नहीं शरमाती.  मुझे लकड़ी की तरह निश्चल खड़ा पाकर बोल उठी- कपड़े तो तूने राधा के पहने नहींफिर शरमा क्यों रहा है उसकी तरह?  मैंने किशन का भेस धर तो लिया हैहरकत भी करनी पड़ेगी अबबोल?” मै क्या बोलता (राधा क्या बोलती?), उसने होली रे आज बिरज में” कहते हुए मुझे अपनी बाहों में भर लिया और मेरे मुंह पर लगी धूल-मिट्टी और सारी गंदगी साफ़ कर दी. बोली, “मजा तो नहीं आया,लेकिन इससे आगे मेरे वश में नहीं. तू सोचियो कुछ... राधे राधे.” कह कर मेरे कुछ कहने से पहले ही बाहर निकल गई.  
 मेरे जीवन मे होने वाली दुर्घटनाओं मे से- विधाता ने जो जबसे घातक लिखी थीवह घटित हो गई. थाने मे एक नया थानेदार आया था- आजम खाँ.  असली पठान था- गोरा-चिट्टालम्बा-रोबीला!  वह न तो एक पैसे की रिश्वत लेता थान ही अपराधियों से किसी किस्म की मुरौव्वत करता था.   जहिर हैउसके घर का सारा राशन-पानी लाला जगमल की दूकान से ही आता था. एक दिन आजम खाँ के घर बासमति चावल भेजना था. बिजली न होने कारण लालाजी ने गलती से- चावल की बोरी में मिलाने के लिए बगल में रखा हुआ कंकड़ को ही पाँच किलो तौल कर भेज दिया. थानेदार आजम खाँ को कंकड़ों का पुलाव खाने का आइडिया पसन्द नहीं आयाउसने सदल-बल दूकान पर दबिश डाल दी. लाला जगमल मिलावट करने के जुर्म मे हवालात चले गए.  दो दिन के बाद जमानत पर छूटे तो अपना वही पुराना लोटा उठाकर परिवार सहित कहीं और प्रस्थान कर गए- मेरी कविता की कलाई पकड़े!
भाग्य अपना चक्र पूरा कर चुका था- विश्राम लेते हुए मुझे पूर्ण-कालिक कवि बना डाला. अब कविता की जुदाई एक तरफ और जमाने की खुदाई दूसरी ओर.  मेरा रो-रोकर बुरा हाल हो गया.  मुँह से जो भी निकलतातुकबन्दियों के रूप मे. जब मुँह बन्द होता तो मै अन्य आचरणों मे लग जाया करता. कभी टूथपेस्ट निकाल कर बड़े मनोयोग से चेहरे पर हल्की मालिश करने लगता अथवा कभी आयोडेक्स या बरनोल लगा कर ब्रश करने लग जाता. मुझे इस कलाप का पता भी नहीं चलताअगर स्टॉक समाप्त नहीं हो जाता. मै केमिस्ट की दूकान पर गया और बोला कि टूथ-पेस्ट दे दो. उसने कोलगेट की ट्यूब थमाई तो मै नाराज हो गया और झिड़क कर बोला- कमाल के दूकानदार हो!  मैने चेहरे पर लगाने वाली क्रीम नहीं माँगी थीयह क्या हैउसका खुला मुंह जब बहुत देर तक बन्द नहीं हुआ तो मैने उसके पागलपन पर माथा पीटते हुए उस पीली-पीली सी चीज के बारे मे बताया.  अब उसके माथा पीटने का टर्न आ गया थाबोला-  बाबूजीवह मलहम तो जले-कटे पर लगाया जाता है. वैसेपैसा भी आपका और मुँह भी आपही का हैचाहे इसे खाइए या लगाइए- मेरा क्यामेरे जैसे दूकानदार के लिए तो ग्राहक भगवान के समान है. मैने तो दूकान के साइनबोर्ड पर भी लिखवा रखा है-  कस्टमर इज आलवेज राईट!  हाँलगे हाथों एक बम्पर ऑफर’ जरूर दे सकता हूँ- क्योंकि  आपके केस में एक्सपायरी डेट’ लागू नहीं होती है. आप तो जानते ही हैं कि आजकल बड़ी जगह आसानी से किराए पर नहीं मिलती. मेरा पीछे का गोदाम भरा पड़ा हैआपको अस्सी परसेन्ट तक डिस्काउन्ट दे दूंगा. मेरे गोदाम मे बहुत सारा माल मिल जाएगा-  आयोडेक्स,  बरनॉलसेवलॉनफिनायल लिक्विड और गोलियाँ आदि.”  मैं सपकाया-सा उसका खिला चेहरा देखने लगा तो उसने तपाक से निकाल कर अपना विजिटिंग कार्ड मुझे थमा दिया, बोला रखिये बाबूजी, आप जैसा कस्टमर तो आजकल ढूँढे से भी न मिले.  आपका रात के बारह बजे भी स्वागत है.
घर आकर मैने शीशे मे अपनी छवि निहारी. एक ओर की कलम गरदन के नीचे तक पहुँची  हुईदूसरे तरफ की थी ही नहीं!  मूंछ का आधा हिस्सा फिल्मस्टार प्रदीप कुमार स्टाइल मे थाआधा राजकपूर कट मे! शेव करते समय शायद्  कुछ दिनों से मैने शीशा देखना छोड़ दिया था- फलस्वरूप ठुड्डी से नीचे गदरन का पूरा हिस्सा बालों से ढका हुआ था.  पूरी बाँह की शर्ट की बार्इं बाजू के बटन बन्द थेदार्इं ओर वाली मोड़ कर ऊपर तक चढ़े हुए. चेहरे पर कहीं-कहीं सफेद सी परत चढ़ी दिख रही थीजो टूथ-पेस्ट सूख जाने के कारण हुआ था.  मुँह के अन्दर की दन्त-पँक्ति कहीं नीली तो कहीं पीली दिख रही थीजो आयोडेक्स और बरनॉल के सदुपयोग का कु-फल था.  शायद आस-पड़ोस के लोगों ने मुझे ला-ईलाज समझ कर कभी रोका-टोका नहींन ही कुछ बताया.
इसके बाद का कितना समय और कैसे बीतान मुझे याद है- न घर वालों ने बताया.  पूछने पर एक ही वाक्य कह कर बात समाप्त कर देते थे कि बसयही समझ लो कि तुम्हें कोई बोध नहीं होता था! 
बोध तो मुझे उस समय भी नहीं हुआ था जब पता चला था कि मेरी पत्नी की सौतेली माँ ने मेरा कवि होना जान कर ही उससे विवाह करवा दिया था. वर देखा-देखी के समय मेरी माँ ने अनमने मन से उन सुनहरे दिनों में पाँच हजार मांग लिया था तो विमाताश्री ने साढ़े सात हजार दिलवा दिए थे!  यह दीगर बात है कि इस (कु) कृत्य पर विमाताश्री (मेरी सासू माँ) की चहूं-दिस जय-जय होने लगी कि सौतेली माँ हो तो ऐसी! सगी से भी बढ़ कर!!  कहने की बात नहीं कि पाँच की जगह साढ़े सात देने/दिलवाने वाली सासूमाँ में दूरदर्शिता थी हीसो उन्होंने हवा का का रूख पहचानने मे देर नहीं की और पँचायत का चुनाव लड़ने घोषणा कर दी.  आगे क्या हुआबताने से क्या फायदा- अगर आपने अनुमान लगा लिया है तो!  किन्तु यह अभी बता दूं कि अन्तिम साँस लेते समय भी- एक महिला के रूप में एक सरपँच ने प्राण त्यागे थे!
सासूमाँ की जीत का जश्न होना थामुझे भी सपत्नीक आने का न्यौता मिला. जश्न की रात में सासूमाँ तनिक अदूरदर्शी हो चलीं और हमेशा बन्द रहने वाली आलमारी खुली छोड़ दी.   अपनी नारी-सुलभ उत्कंठा का परिचय देते हुए श्रीमतिजी ने आलमारी में रखी डायरी देखी और पन्ना-दर-पन्ना चाट गर्इं. मैं गाढ़ी नींद में सोया सपने में दही-बड़े के तालाब मे तैर रहा था कि श्रीमतिजी ने आकर डायरी मेरे मुँह पर मार दी. नींद खुली तो श्रीमतिजी जलती आँखों से मुझे देखती बोलीं- जाना तो आपके साथ भी नहीं चाहती लेकिन यहाँ तो एक पल भी ठहरना गवारा नहीं. उठिएअभी-का-अभी चल दीजिए.” वह अपना सामान इकट्ठा करने लगीं तो किसी 'स्कैम' की आशंका से मैं सासूमाँ की डायरी पढ़ने लगा. लिखा था-
आज मुझे अपने फैसले पर खुशी हो रही है.  पँचायत के चुनाव में ऐसी सफलता मिलेगीमैने सोचा भी नहीं था.  न मैने पिताजी की पसन्द उस कवि से विवाह का विरोध किया होता और न उसके स्थान पर बूढ़े विदुर से विवाह कर इस घर मे आना लाख दर्जे अच्छा समझा होता. फिर कवि से विवाह करके क्या हाल होता है- यह देखने के लिए न मैने बिट्टो की शादी एक कवि से करवाई होती और और न ही उसके लिए लिए एक की जगह डेढ़ खर्च किया होता.  तो कैसे मिलती इतनी जय-जयकार और कहाँ होता सपना पूरा... 
मैने धीरे से डायरी को बिस्तर पर रख दी और सासूमाँ को एक बार अदूरदर्शी समझ लेने की भूल के लिए मन-ही-मन क्षमा माँगी.
घर पर आते ही श्रीमतिजी औंधे मुँह बिस्तर पर गिर गई और रोने लगीं- मुझे आज पता चल गया कि किस मीठी छुरी से मेरी माँ ने मेरा गला रेता है! अब आजीवन आपके साथ रहना पड़ेगा और एक से बढ़ कर एक अत्याचार... आगे के शब्द उसने सुनाना नहीं चाहा या मैने अनसुना कर दिया- यह मुद्दा नहीं.  जो भी होउस दिन के बाद मेरी पत्नी ने मायके जाना बन्द कर दिया.  उधर जब मेरी सासूमाँ को पता चल गया कि भेद-भेद ना रहा तो हर त्यौहार पर एक के बदले दो-दो ग्रीटिंग-कार्ड भेजने लगीं.  विवाह की बर्ष-गाँठ पर सुखी एवं मँगलमय विवाहित जीवन की शुभकामना” वाला बहुत शानदार कार्ड भिजवाया जाने लगा.
इधर कई दिनों से सासूमाँ फोन किए जा रही थीं अपनी बेटी का कुशल-क्षेम पूछने के लिए.  विवाह की दूसरी वर्ष-गाँठ पर बधाई का कार्ड मिलने के तीसरे दिन फोन आया थातो मैने ही उठाया था. मेरी आवाज सुनते ही माताश्री ने कहा कि मुझे तुम्हारा हाल-चाल पूछ कर क्या करनाबेटी से बात कराओ.  श्रीमतिजी से कहा तो उन्होंने बालाजी के दरबार मे पेश किसी मुल्जिम’ की भाँति झूमते-लहराते हुए रिसीवर थामा.  कुछ ही देर की बात-चीत में मुँह से झाग निकलने लगा और अस्फुट शब्द तार के इस पार ही रह गएउस पार जा कर सासूमाँ तक नहीं पहुँचे.
श्रीमतिजी के उद्दम और प्रयास से कम्यूनिकेशन’ के सभी दरवाजे एक-एक करके बन्द हो चुके हैं. पहले डाक औरकुरियर वालों को मना किया ही जा चुका था आज घर का आखिरी फोन कटवा दिया है.  कभी काम ना आ सके, इस सोच के मारे पटक कर तोड़ा गया टेलीफोन, रिसीवर और तार- सभी फर्श पर टूट कर बिखरे पड़े हैं. आज कम्यूनिकेशन का अन्तिम सोर्स भी जाता रहा.  यही सोचे जा रहा हूं कि मेरे कद्रदानों (यदि हैं) पर क्या बीतेगी? कैसे न्योतेंगे मुझे, कैसे सम्वाद होगा?

***

Saturday, November 17, 2012

आज आम भारतीय भगवान राम है।’


प्रेस की आज़ादी को कुचल देना चाहिएः काटजू

भारतीय प्रेस परिषद् के अध्यक्ष मार्कंडेय काटजू ने 16 नवम्बर को राष्ट्रीय प्रेस दिवस के अवसर पर आयोजित एक समारोह को संबोधित करते हुए कहा, ‘प्रेस की स्वतंत्रता मनमाना अधिकार नहीं है। अगर मीडिया की कार्यप्रणाली पिछड़ेपन की तरफ ले जाती है, और ‘लोगों की जीवन शैली को कमतर’ करती है, तो ऐसे प्रेस की स्वतंत्रता को ‘निश्चित तौर पर कुचल’ दिया जाना चाहिए।’
अपने निर्भीक और विवादास्पद टिप्पणियों के लिए मशहूर उच्चतम न्यायालय  के पूर्व न्यायाधीश ने कहा कि प्रेस आज बालीवुड और क्रिकेट को अन्य महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दों से ज्यादा तरजीह देने लगा है। उन्होंने खबररिया चैनलों की आलोचना करते हुए कहा कि इन चैनलों पर ज्योतिष जैसे विषयों के माध्यम से अंधविश्वास और ‘पिछड़े विचारों’ को ‘बढ़ावा’ दिया जा रहा है।
काटजू ने कहा, ‘प्रेस की स्वतंत्रता मनमाना अधिकार नहीं है। प्रेस की स्वतंत्रता अगर आम लोगों की जिंदगी को बेहतर बनाने में मदद करती है तो यह सराहनीय है।’ उन्होंने कहा, ‘लेकिन अगर प्रेस की स्वतंत्रता से लोगों की जिंदगी का स्तर कम होता है, लोग और गरीब होते हैं तो हमें निश्चित तौर पर प्रेस की स्वतंत्रता को कुचल देना चाहिए।’ काटजू ने कहा, ‘सचिन तेंदुलकर ने सौवां शतक लगाया, अब देश में दूध और शहद की नदियां बहेंगी। क्रिकेट लोगों का अफीम है। लोगों को क्रिकेट का नशा है। रोमन सम्राट कहते थे कि अगर आप लोगों को रोटी नहीं दे सकते तो उन्हें सर्कस दीजिए।’
काटजू ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा ‘पत्रकारों से ज्यादा महत्वपूर्ण आम लोग हैं। कृपया आप मत सोचिए कि आप भगवान हैं। चैनलों पर ज्योतिषों के कार्यक्रमों पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, ‘चैनलों पर ज्योतिष के शो दिखाए जा रहे हैं जो पूरी तरह बकवास हैं। अगर आप लोगों को पिछड़ा रखते हैं तो यह पूरी तरह अंधविश्वास है। क्या आपको इतनी भी समझ नहीं है?’ काटजू ने कहा, ‘इस तरह की स्वतंत्रता जिससे पिछड़े विचारों को बढ़ावा दिया जाए, लोगों को गरीब रखा जाए तो क्या आप सोचते हैं कि आप भगवान हैं? जो भारत के लोगों पर प्रभुत्व कायम रखेंगे। आम लोग पत्रकारों से श्रेष्ठ हैं। आपको सेवा करनी है। आपको हनुमान की तरह व्यवहार करना है। हनुमान जी ने भगवान राम की सेवा की, आज आम भारतीय भगवान राम है।’
उन्होंने कहा, ‘इस देश में व्यापक गरीबी है, व्यापक स्तर पर बेरोजगारी है। किसान आत्महत्या कर रहे हैं। पांच वर्षों तक आप इसे नहीं छापेंगे। फिर पी. साईनाथ की तरह कोई बड़ा पत्रकार इसे इतना उजागर करेगा कि आप इसे रोक नहीं सकेंगे।’
काटजू ने कहा कि विदर्भ के किसानों द्वारा उत्पादित कपास के बने आभूषणों को पहने माडल को सैकड़ों पत्रकारों ने कवर किया, जबकि आत्महत्या करने वाले किसानों की खबर केवल स्थानीय मीडियाकर्मियों ने कवर किया। उन्होंने कहा, ‘आपको शर्म नहीं आती? क्या यह आपका जिम्मेदाराना व्यवहार है? और आप किसी भी कीमत पर स्वतंत्रता की बात करते हैं, भले ही भारत के लोग भाड़ में जाएं।.’
उन्होंने कहा, ‘मैं प्रेस की स्वतंत्रता का सबसे बड़ा समर्थक रहा हूं. प्रेस की स्वतंत्रता के लिए आप में से कोई भी इतना नहीं लड़ा होगा जितना मैं लड़ा हूं।’ काटजू ने कहा कि प्रदर्शनकारियों पर पुलिसिया कार्रवाई के दौरान कश्मीर में पत्रकार प्रभावित हुए, जिसके बाद उन्होंने मामले को राज्य सरकार के समक्ष उठाया।
उन्होंने वहां मौजूद लोगों से पूछा, ‘क्या आपमें से किसी ने भी प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए मुझे धन्यवाद पत्र भेजा?’ उन्होंने कहा कि उन्होंने महाराष्ट्र में भी पत्रकारों की रक्षा और कार्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी के लिए आवाज उठाई। काटजू ने कहा कि वह जाम्बवंत की भूमिका निभा रहे हैं, जिन्होंने भगवान हनुमान को उनकी शक्ति और उनके कर्तव्य की याद दिलाई थी।
समारोह में बी. जी. वर्गीज, इंदर मल्होत्रा, निहाल सिंह और श्रवण गर्ग जैसे कई वरिष्ठ पत्रकार मौजूद थे।
बिहार खोज खबर ब्यूरो


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