प्यारे पाठक मित्रो , नमस्कार ! लोकतंत्र के दुसरे पिल्लर यानि उच्त्तम न्यायालय के दबाव में सरकार ने यह तो बता दिया कि विदेशों में कितना धन जमा है ! लेकिन यह नहीं बताया कि किसने यह देशद्रोह का काम किया है !केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में हमारे सयाने प्रधानमंत्री ने कहा कि दुसरे देशों के साथ हमारी संधि टूट जाएगी इसलिए नाम नहीं बता सकते ! प्रणब दा को पूरे देश में प्रचारित करने का जिम्मा सौंपा गया है !विपक्ष को भी सम्झादेंगे ! मेरा यह कहना है कि हमें नाम मत बताओ जिन्होंने यह काम किया है उसे लालकिले के सामने २६ जनवरी को फांसी पर लटकादों तो हमें क्या लेना है नाम जानकर !जो राजा दोषी को दंड नहीं दे सकता उसे राज करने का कोई अधिकार नहीं है ! ऐसे पिलपिले प्रधानमंत्री को हम चाटें ? ? ? ? ? जो अपना मंत्रिमंडल अपनी इछा से न बना सके ? ? ? ??????? गठबंधन की मजबूरी है तो मत बनाओ सरकार ! !!!! !!!!! चलने दो राष्ट्रपति शासन ५ साल या १० साल , क्या ये संभव नहीं ? ?? ?? ६ महीने तो रह ही सकता है ,उस काल में कई कठोर निर्णय ले कर देश में फैली गंदगी को दूर किया जा सकता है ! है कि नहीं ? ? ? ? ?
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