" बेरोज़गारी हम दूर नहीं कर पाये " !!
" भ्रष्टाचार नहीं मिटा पाये " !!
" मंहगाई नहीं रोक पाये " !!
" अगला प्रधानमंत्री U.P.A. का बनेगा " !!
" मैं अगला प्रधानमंत्री नहीं बनना चाहता "!!
" कई बातों का मुझे आज तलक पता ही नहीं चला हम देखेंगे " !!
" इतिहासकार मुझे अच्छा प्रधानमंत्री लिखेंगे"!
" मीडिया चाहे मुझे बुरा कहे "!!
" मोदी प्रधानमंत्री बने तो घातक होगा " !!
" राहुल में कई खूबियां हैं " !!
" सोनिया जी अगला प्रधानमंत्री पद का दावेदार जल्द ही घोषित करेंगीं " !!
- स० मनमोहन सिंह
ये हैं हमारे शरीफ प्रधानमंत्री जी के वो कथन जो उन्होंने आज प्रैस से मिलिए कार्यक्रम में मुख्यतः कंही !! भारत के उन नागरिकों ने अपना माथा ही पीट लिया होगा जिन्होंने इसे देखा होगा !! और जिन्होंने इसे नहीं देखा होगा वो कल अखबारों में इसे पढ़कर अपना सर धुन लेंगे और कहेंगे के हे भगवान् किन पापों की सज़ा हमें इस रूप में मिल रही है ??
जिनको कोर्ट और S.I.T. ने निर्दोष घोषित करदिया हो वो मोदी जी और येदियुरप्पा तो इन्हें भ्रष्टाचारी और हत्यारे नज़र आ रहे हैं और अपने राजा ,कलमाड़ी,शीला दीक्षित और सज्जन कुमार निर्दोष नज़र आते हैं जिनको कोर्ट दोषी कह चुका है क्यों ???
मनमोहन जी जितने चाहे षड्यंत्र रच लो !! जितनी चाहे मर्ज़ी अपनी " आप " जैसी A.B.C.D.टीम बनालो , जनता 2014 में होने वाले चुनावों में कोंग्रेस ही नहीं बल्कि U.P.A.मुक्त प्रधानमंत्री चुनेगी !! ये " फिफ्थ पिल्लर कारप्शन किल्लर " ब्लॉग कि भविष्यवाणी है सभी नोट करलें समय आने पर हैम सभी को याद दिलाएंगे कि हमने ऐसा कहा था !!
हाँ - नहीं तो !!!!
" भ्रष्टाचार नहीं मिटा पाये " !!
" मंहगाई नहीं रोक पाये " !!
" अगला प्रधानमंत्री U.P.A. का बनेगा " !!
" मैं अगला प्रधानमंत्री नहीं बनना चाहता "!!
" कई बातों का मुझे आज तलक पता ही नहीं चला हम देखेंगे " !!
" इतिहासकार मुझे अच्छा प्रधानमंत्री लिखेंगे"!
" मीडिया चाहे मुझे बुरा कहे "!!
" मोदी प्रधानमंत्री बने तो घातक होगा " !!
" राहुल में कई खूबियां हैं " !!
" सोनिया जी अगला प्रधानमंत्री पद का दावेदार जल्द ही घोषित करेंगीं " !!
- स० मनमोहन सिंह
ये हैं हमारे शरीफ प्रधानमंत्री जी के वो कथन जो उन्होंने आज प्रैस से मिलिए कार्यक्रम में मुख्यतः कंही !! भारत के उन नागरिकों ने अपना माथा ही पीट लिया होगा जिन्होंने इसे देखा होगा !! और जिन्होंने इसे नहीं देखा होगा वो कल अखबारों में इसे पढ़कर अपना सर धुन लेंगे और कहेंगे के हे भगवान् किन पापों की सज़ा हमें इस रूप में मिल रही है ??
जिनको कोर्ट और S.I.T. ने निर्दोष घोषित करदिया हो वो मोदी जी और येदियुरप्पा तो इन्हें भ्रष्टाचारी और हत्यारे नज़र आ रहे हैं और अपने राजा ,कलमाड़ी,शीला दीक्षित और सज्जन कुमार निर्दोष नज़र आते हैं जिनको कोर्ट दोषी कह चुका है क्यों ???
मनमोहन जी जितने चाहे षड्यंत्र रच लो !! जितनी चाहे मर्ज़ी अपनी " आप " जैसी A.B.C.D.टीम बनालो , जनता 2014 में होने वाले चुनावों में कोंग्रेस ही नहीं बल्कि U.P.A.मुक्त प्रधानमंत्री चुनेगी !! ये " फिफ्थ पिल्लर कारप्शन किल्लर " ब्लॉग कि भविष्यवाणी है सभी नोट करलें समय आने पर हैम सभी को याद दिलाएंगे कि हमने ऐसा कहा था !!
हाँ - नहीं तो !!!!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शनिवार (04-01-2014) को "क्यों मौन मानवता" : चर्चा मंच : चर्चा अंक : 1482 में "मयंक का कोना" पर भी है!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
dhanywaad roop ji !! aapka aabhaari hoon !!
Deleteसटीक .....आलेख..pl..word verification hata de,,
ReplyDeleteaapke sujhav bhi chahiyen mujhe ji aabhari hoon !!
Deleteपरि पूर्णतया सहमत आपसे। हर शब्द खरा है आपकी पोस्ट का एक प्रतिक्रिया ब्लॉग पोस्ट :
ReplyDeletehttp://pitamberduttsharma.blogspot.in/2014/01/blog-post_3.html
aabhaar prkat karta hoon aapka lekh bhi badaa prshansniya hai jo mujhse rah gyaa thaaa wo aapne pura kar diya !!
Deleteघोटालों की बारात के दूल्हा मनमोहन सिंह
ReplyDeleteमनमोहन सिंह ने अपने विदाई सम्बोधन में कहा -न तो विपक्ष से और न मीडिया ने मेरे साथ न्याय किया ,मुझे उम्मीद है इतिहासकार मेरी उपलब्धि के बारे में सही आकलन करेंगेंऔर मैं ने जो सेवायें की हैं उन्हें देश के सामने लायेंगे।
देश की जनता यह जानना चाहती है कि उन्होंने देश की सेवा किस रूप में की है। वे अपनी व्यक्ति गत ईमानदारी का ढिंढोरा पीटते रहे और उनकी नाक के नीचे घौटाले पर घोटाला होता रहा। नारी की इज्जत पर हमले होते रहे। चीन की सेनाएं अनेक बार भारत की सीमा का उल्लंघन करती रहीं और इतिहास में नाम पा जाने को आतुर प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह चुप्पी भरके बैठे रहे। जब पाकिस्तान के सैनिक भारतीय सैनिकों के सिर काटकर ले गए तब भी उनका मौन नहीं टूटा। ये पता लगाना मुश्किल था
कि वे दहशत में हैं ,अपमान से आहत हैं या फिर कूटनीतिक निगाह से
किन्हीं वोटों पर निगाह गढ़ाएं हुए हैं। अमरीका ,औस्ट्रेलिया और
कई अन्य
देशों में भारतीयों का अपमान होता रहा और वह मौन समाधि लगाए रहे।
इतिहास क्या लिखेगा कि उनके शासनकाल में राज खुल जाने के डर से फाइलें गुम होती रहीं या फिर उनका अग्नि संस्कार कर दिया गया। आखिर इतिहास क्या लिखेगा यही न कि बार -बार अदालतों से केंद्रीय सरकार को फटकार मिलती रही और प्रधानमन्त्री व्यक्तिगत ईमानदारी का गुणगान करते रहे। वह एक ऐसे प्रधानमन्त्री थे और हैं जिनका विदेश मंत्री संयुक्त राष्ट्र सभा में भारत की बजाय किसी और देश की रिपोर्ट पढ़ने लग गया था। वह एक ऐसे प्रधानमन्त्री हैं और एक ऐसी पार्टी से सम्बद्ध हैं कि जिसके एक बड़बोले नेता ने पूर्व सेना अध्यक्ष के बारे में ये निंदनीय टिपण्णी की थी कि अरे वह तो एक मामूली सरकारी नौकर है। शायद इसी आधार पर उन्हें मंत्रीपद दे दिया गया था। और वही महाशय इस बार प्रेस वार्ता में उनके साथ बैठे थे।
इतिहास इस बात के लिए भी मनमोहन सिंह को याद करेगा कि उनके एक मंत्री ने किसी अन्य विचार के राजनीतिक कार्यकर्ता को ये धमकी भरी चुनौती दी थी कि मेरे इलाके में आके देखना। उन्हें प्रौन्नति देकर एक और अच्छा विभाग दे दिया गया। जिसे धमकी दी गई थी वह आज दिल्ली का मुख्यमन्त्री है। और प्रधानमन्त्री अपनी पार्टी की ओर से उन्हें समर्थन दे रहे हैं। कहीं ऐसा तो नहीं है वह पश्चाताप कर रहे हैं। यह तो वो जाने पर
पर इतना ज़रूर है कि इतिहासकार ये लिखने से बच नहीं सकेगा कि १० साल के लिए एक ऐसे शख्श प्रधानमन्त्री बने थे जब सारी शासन व्यवस्था शिथिल हो गई थी। वे अपनी व्यक्तिगत ईमानदारी का नगाड़ा बजा रहे थे। उनके शासनकाल में कांग्रेसी घौटाले पे घोटाला करते जा रहे थे। उनकी अपनी कोई राय नहीं थी। जो बुलवाया जाता था वही बोलते थे।
इतिहासकार इस बात के लिए उन्हें ज़रूर शाबाशी देगा कि सरदार मनमोहन प्रधानमन्त्री के रूप में घोटालों की बारात के दूल्हा बने बैठे थे।
विशेष :मनमोहन की बुद्धि इतिहासकार है। इतिहास का अर्थ क्या वह यह समझते हैं कि सरकारी रिकार्ड देखकर इतिहास लिखा जाता है,जो उन्होंने ठीक कर लिए हैं ,जो कुछ देश का अच्छा या बुरा विकास हुआ है वह महत्वपूर्ण नहीं है।हमने आर टी आई क़ानून बनाया। अन्य अनेक क़ानून बनाये। क्या वह मनीष तिवारी जैसे लोगों से काल पात्र गढ़वा कर इतिहास लिखवाएंगे ?यदि ऐसा है तब और बात है। 'हाथ 'की सफाई से कुछ भी किया जा सकता है।
परि पूर्णतया सहमत आपसे। हर शब्द खरा है आपकी पोस्ट का एक प्रतिक्रिया ब्लॉग पोस्ट :
http://pitamberduttsharma.blogspot.in/2014/01/blog-post_3.html
sahi kahaa ji aapne
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