जब पूरा भारत बौद्धों की चपेट यानी बौद्धप्राय हो गया था, लगभग नास्तिक धर्म राष्ट्रबाद से अलग -थलग होता भारतदेश, विदेशी आक्रमण-कारियों के लिए चारागाह होता देश, बौद्धधर्म राजा और महराजाओ का धर्म, जनता की बिना इक्षा के उस पर थोपा हुआ धर्म, जिसका भारतीयता से कोई ताल-मेल नहीं, जिसमे राष्ट्रबाद के लिए कोई स्थान नहीं, ऐसे में किसी भी देश-भक्त का चिंतित होना स्वाभाविक है काशी में एक बौद्ध राजा की महारानी अपने घर के छत पर खड़ी होकर वैदिक धर्म की दुर्दशा पर रो रही थी किससे कहे अपने मन की ब्यथा को--! वैदिक अथवा सनातन धर्म का नाम लेना तो अपराध हो गया था, गली से जाता हुआ गुरुकुल का एक ब्रम्हचारी जिसके सिर पर पानी की कुछ बूद टपकी ब्रम्हचारी को लगा कि बिना वर्षा के ये पानी -- ऊपर देखा तो एक महिला रो रही है, माता क्या कष्ट है-? उस रानी के मुख से अनायास ही निकल गया कौन बचाएगा इस सनातन- वैदिक धर्म को --? मै वेदों का उद्धार करुगा, मै पुनर्स्थापना करुगा अपने सनातन धर्म का, यह आश्वासन देना किसी और का नहीं आचार्य कुमारिलभट्ट का ही साहस था.
कुमारिलभट्ट के जन्म के बारे में कई मत है कुछ लोग उन्हें दक्षिण भारत का मानते है जबकि उत्तर के लोग मिथिला को उनकी जन्म भूमि मानते है इतना तो सही है २८०० वर्ष पूर्व शंकराचार्य के समकालीन यानी उनसे लगभग उम्र में कुछ बड़े थे, उनके मुख्य शिष्य मंडन मिश्र की शिक्षा -दीक्षा कुमारिल द्वारा स्थापित गुरुकुल गौड़ राजधानी मंडला में हुई, वे पहले आचार्य है जिन्होंने जैन अथवा बौद्ध धर्म का खंडन कर वैदिक धर्म की श्रेष्ठता को सिद्ध किया, कुमारिल भट्ट माँ नर्मदा उद्गम स्थल अमरकंटक जो गोविन्द्पाद [शंकराचार्य के गुरु] के गुरु गौडपाद की तपस्थली पहुचे उन्होंने गौडपाद [वेदब्यास के अवतार] से कई शंकाए ब्यक्त की आचार्य 'एकं सद बिप्रा बहुधा बदंति'--! इसका निवारण करते हुए गौड़ पाद ने उन्हें बताया की जिनका विस्वास वेदों पर है, जो भारतीय वांगमय को मानते है, ये उन्ही के लिए है न कि अन्य अथवा परकियो के लिए, दूसरा उन्होंने कहा पुत्र खंडन नहीं मंडन करो, तीसरा उन्होंने वैदिक कर्मकांड पर जोर दिया, उन्ही की बात को ध्यान में रखकर अपने प्रिय शिष्य विश्वरूप का नाम मंडन मिश्र रखा, आदि जगद्गुरु शंकराचार्य ने जो दिग्विजय यात्रा शुरू की उसकी पूर्व भूमिका अथवा वातावरण कुमारिल भट्ट ने पहले ही तैयार किया था, यह अतिसयोक्ति नहीं होगा कि कुमारिल की तर्क बुद्धि के आधार पर ही शंकराचार्य को दिग्विजय प्राप्त हुई .
कुमारिलभट्ट के जन्म के बारे में कई मत है कुछ लोग उन्हें दक्षिण भारत का मानते है जबकि उत्तर के लोग मिथिला को उनकी जन्म भूमि मानते है इतना तो सही है २८०० वर्ष पूर्व शंकराचार्य के समकालीन यानी उनसे लगभग उम्र में कुछ बड़े थे, उनके मुख्य शिष्य मंडन मिश्र की शिक्षा -दीक्षा कुमारिल द्वारा स्थापित गुरुकुल गौड़ राजधानी मंडला में हुई, वे पहले आचार्य है जिन्होंने जैन अथवा बौद्ध धर्म का खंडन कर वैदिक धर्म की श्रेष्ठता को सिद्ध किया, कुमारिल भट्ट माँ नर्मदा उद्गम स्थल अमरकंटक जो गोविन्द्पाद [शंकराचार्य के गुरु] के गुरु गौडपाद की तपस्थली पहुचे उन्होंने गौडपाद [वेदब्यास के अवतार] से कई शंकाए ब्यक्त की आचार्य 'एकं सद बिप्रा बहुधा बदंति'--! इसका निवारण करते हुए गौड़ पाद ने उन्हें बताया की जिनका विस्वास वेदों पर है, जो भारतीय वांगमय को मानते है, ये उन्ही के लिए है न कि अन्य अथवा परकियो के लिए, दूसरा उन्होंने कहा पुत्र खंडन नहीं मंडन करो, तीसरा उन्होंने वैदिक कर्मकांड पर जोर दिया, उन्ही की बात को ध्यान में रखकर अपने प्रिय शिष्य विश्वरूप का नाम मंडन मिश्र रखा, आदि जगद्गुरु शंकराचार्य ने जो दिग्विजय यात्रा शुरू की उसकी पूर्व भूमिका अथवा वातावरण कुमारिल भट्ट ने पहले ही तैयार किया था, यह अतिसयोक्ति नहीं होगा कि कुमारिल की तर्क बुद्धि के आधार पर ही शंकराचार्य को दिग्विजय प्राप्त हुई .
कुमारिल को वेदाध्ययन तो था ही लेकिन बौद्ध मत के खंडन हेतु मगध के नालंदा बौद्ध गुरुकुल में अध्ययन करना पड़ा, प्रति-दिन धर्मपाल द्वारा प्रवचन में वेदों की आलोचना होती कुमारिल इस आलोचना को कितना बर्दास्त करते एक दिन सभा में कुमारिल के आखो से आसू बहने लगा धर्मपाल [कुलपति] ने कहा कुमारिल तुम्हारा स्वस्थ ठीक नहीं है तुम विश्राम करो, नहीं आचार्य मेरा स्वस्थ ठीक है पुनः वेदों की आलोचना पर उनके आखो में आसू देखकर धर्मपाल ने दुबारा टोका वे फिर वही बैठे रहे, जब तीसरी बार वेदों की आलोचना होने लगी तो कुमारिल के आसू देख धर्मपाल ने डाटा की तुम्हारी तबियत ठीक नहीं तुम कमरे में क्यों नहीं जाते---? नहीं आचार्य स्वास्थ तो आपका नहीं ठीक है मै तो ठीक ही हूँ, बिना वेदों के अध्ययन के वेदों की आलोचना कर रहे है आप जैसे विद्वान के लिए यह शोभा नहीं देता, फिर क्या था--? गुरुकुल के आचार्यो को लगा ये तो बौद्ध धर्म को स्वीकार ही नहीं किया, ये सनातन हिन्दू धर्म को ही मानता है जिनका सिद्धांत कहता है अहिंसा परमो धर्मः, उन्होंने कुमारिल को सजा सुनाई कि इसको दुमंजिले से सिर के बल फेक दिया जाय, कुमारिल भट्ट ने कहा -मुझे एक मौका चाहिए, वे पद्म आसन में बैठे आवाहन किया यदि वेद सत्य है तो मुझे कुछ नहीं होगा, उन्हें सिर के बल फेका गया वे पैदल चलते चले गए उनकी विजय पताका पूरे मिथला फिर देश -देशांतर में फैलने लगी.
कहते है कि वे पूर्वमीमांशा के प्रथम आचार्य है आदि जगद्गुरु शंकराचार्य ने जो वैदिक धर्म की विजय पताका पूरे देश में फहरायी उसकी पूरी भूमिका कुमारिल भट्ट ने पहले ही तैयार कर दी थी आचार्य की विद्वता के लिए उनके शिष्य मंडन मिश्र का ही परिचय ही पर्याप्त है, आदि शंकर उनसे शास्त्रार्थ के लिए पधारे तो वे प्रयाग में संगम पर तुषानल [चावल की भूसी] में जल रहे थे शंकराचार्य ने शास्त्रार्थ के लिए आवाहन किया तो उनकी यह दशा देखकर अपनी अंजुली में जल लेकर मै अभी तुषानल को शांति करता हूँ, नहीं आचार्य मुझे पता था आप आने वाले है, यह कार्य मेरा शिष्य मंडन करेगा मैने गुरुद्रोह किया है मैंने यह स्वयं ही स्वीकार किया है, शंकर ने उनसे कहा कि आपने तो सनातन धर्म, वेदों को बचाने के लिए ही यह कार्य है इसलिए यह कैसे गलत हो सकता है, लेकिन कुमारिल किसी तर्क को मानने को तैयार नहीं थे! शंकराचार्य उन्हें हमेशा गुरु स्थान पर रखते थे उनका मत मीमांसामें गुरुमत कहा जाता है, पूर्वमीमांसा दर्शन के शावर भाष्य पर उनकी टीका है, इनका दूसरा ग्रन्थ 'श्लोक-वार्तिक' है, वे जैन अथवा बौद्ध मतों को खंडन करने वाले प्रथम आचार्य है उन्होंने वेदों की सार्थकता, वेद अपौरुषेय है यह अपने तर्कों द्वारा सिद्ध किया, जिन्हें हमेशा भारतवर्ष और हिन्दू धर्म कृतज्ञता अर्पित करता रहेगा.
आपका क्या कहना है साथियो !! अपने विचारों से तो हमें भी अवगत करवाओ !! ज़रा खुलकर बताने का कष्ट करें !! नए बने मित्रों का हार्दिक स्वागत-अभिनन्दन स्वीकार करें !
जिन मित्रों का आज जन्मदिन है उनको हार्दिक शुभकामनाएं और बधाइयाँ !!
"इन्टरनेट सोशियल मीडिया ब्लॉग प्रेस "
" फिफ्थ पिल्लर - कारप्शन किल्लर "
की तरफ से आप सब पाठक मित्रों को आज के दिन की
हार्दिक बधाई और ढेर सारी शुभकामनाएं !!
ये दिन आप सब के लिए भरपूर सफलताओं के अवसर लेकर आये , आपका जीवन सभी प्रकार की खुशियों से महक जाए " !!
मित्रो !! मैं अपने ब्लॉग , फेसबुक , पेज़,ग्रुप और गुगल+ को एक समाचार-पत्र की तरह से देखता हूँ !! आप भी मेरे ओर मेरे मित्रों की सभी पोस्टों को एक समाचार क़ी तरह से ही पढ़ा ओर देखा कीजिये !!
" 5TH PILLAR CORRUPTION KILLER " नामक ब्लॉग ( समाचार-पत्र ) के पाठक मित्रों से एक विनम्र निवेदन - - - !!
प्रिय मित्रो ,
सादर नमस्कार !!
आपका हार्दिक स्वागत है हमारे ब्लॉग ( समाचार-पत्र ) पर, जिसका नाम है - " 5TH PILLAR CORRUPTION KILLER " कृपया इसे एक समाचार-पत्र की तरह ही पढ़ें - देखें और अपने सभी मित्रों को भी शेयर करें ! इसमें मेरे लेखों के इलावा मेरे प्रिय लेखक मित्रों के लेख भी प्रकाशित किये जाते हैं ! जो बड़े ही ज्ञान वर्धक और ज्वलंत - विषयों पर आधारित होते हैं ! इसमें चित्र भी ऐसे होते हैं जो आपको बेहद पसंद आएंगे ! इसमें सभी प्रकार के विषयों को शामिल किया जाता है जैसे - शेयरों-शायरी , मनोरंहक घटनाएँ आदि-आदि !! इसका लिंक ये है -www.pitamberduttsharma.blogspot.com.,ये समाचार पत्र आपको टविटर , गूगल+,पेज़ और ग्रुप पर भी मिल जाएगा ! ! अतः ज्यादा से ज्यादा संख्या में आप हमारे मित्र बने अपनी फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज कर इसे सब पढ़ें !! आपके जीवन में ढेर सारी खुशियाँ आयें इसी मनोकामना के साथ !! हमेशां जागरूक बने रहें !! बस आपका सहयोग इसी तरह बना रहे !! मेरा इ मेल ये है : - pitamberdutt.sharma@gmail.com. मेरे ब्लॉग और फेसबुक के लिंक ये हैं :-www.facebook.com/pitamberdutt.sharma.7
www.pitamberduttsharma.blogspot.com
मेरे ब्लॉग का नाम ये है :- " फिफ्थ पिलर-कोरप्शन किल्लर " !!
मेरा मोबाईल नंबर ये है :- 09414657511. 01509-222768. धन्यवाद !!
जो अभी तलक मेरे मित्र नहीं बन पाये हैं , कृपया वो जल्दी से अपनी फ्रेंड-रिक्वेस्ट भेजें , क्योंकि मेरी आई डी तो ब्लाक रहती है ! आप सबका मेरे ब्लॉग "5th pillar corruption killer " व इसी नाम से चल रहे पेज , गूगल+ और मेरी फेसबुक वाल पर हार्दिक स्वागत है !!
आप सब जो मेरे और मेरे मित्रों द्वारा , सम - सामयिक विषयों पर लिखे लेख , टिप्प्णियों ,कार्टूनो और आकर्षक , ज्ञानवर्धक व लुभावने समाचार पढ़ते हो , उन पर अपने अनमोल कॉमेंट्स और लाईक देते हो या मेरी पोस्ट को अपने मित्रों संग बांटने हेतु उसे शेयर करते हो , उसका मैं आप सबका बहुत आभारी हूँ !
आशा है आपका प्यार मुझे इसी तरह से मिलता रहेगा !!आपका क्या कहना है मित्रो ??अपने विचार अवश्य हमारे ब्लॉग पर लिखियेगा !!
सधन्यवाद !!
आपका प्रिय मित्र ,
पीताम्बर दत्त शर्मा,
हेल्प-लाईन-बिग-बाज़ार,
R.C.P. रोड, सूरतगढ़ !
जिला-श्री गंगानगर।
" आकर्षक - समाचार ,लुभावने समाचार " आप भी पढ़िए और मित्रों को भी पढ़ाइये .....!!!
BY :- " 5TH PILLAR CORRUPTION KILLER " THE BLOG . READ,SHARE AND GIVE YOUR VELUABEL COMMENTS DAILY . !!
Posted by PD SHARMA, 09414657511 (EX. . VICE PRESIDENT OF B. J. P. CHUNAV VISHLESHAN and SANKHYKI PRKOSHTH (RAJASTHAN )SOCIAL WORKER,Distt. Organiser of PUNJABI WELFARE SOCIETY,Suratgarh (RAJ.)
Posted by PITAMBER DUTT SHARMA
No comments:
Post a Comment