प्रेस की स्वतंत्रता के नाम पर अपराधियों के संरक्षण का अड्डा बनता जा रहा है प्रेस क्लब!
प्रेस क्लब (PCI) की कुछ प्रेसवार्ताओं, बैठकों, गतिविधियों पर नजर डालें तो यह चित्र उभरता है:-
1) PCI को बलात्कार का अधिकार दो- तरुण तेजपाल के लिए प्रेस कांफ्रेंस!
2) PCI को मनी लाऊंड्रिंग का अधिकार दो- प्रणय राय के लिए प्रेस कांफ्रेंस!
3) PCI को ब्लैकमेलिंग का अधिकार दो- विनोद वर्मा के लिए प्रेस कांफ्रेंस!
4) PCI को अपराध आरोपियों को संरक्षण देने का अधिकार दो- कन्हैया कुमार को पुलिस से बचाने के लिए छुपाया! बकैत पांडे के बलात्कार आरोपी भाई को भी यदा-कदा वहां देखा गया!
5) PCI को सरकार गिराने का अधिकार दो- आंदोलन की आड़ में राजनीतिक साजिश रचने वाले अरविंद केजरीवाल और उनके अपराध आरोपी साथियों के लिए कथित पत्रकारों द्वारा बैठकों का आयोजन।
6) PCI को फैसला सुनाने का अधिकार दो- गौरी लंकेश की हत्या में बिना सबूत हिंदू संगठनों को गुनाहगार ठहराने के लिए बैठक!
7) PCI को सामाजिक एडिटर नियुक्ति का अधिकार दो- कन्हैया कुमार, उमर खालिद जैसों के लिए बकैत गिरोह द्वारा प्रेस वार्ता और मार्च का आयोजन।
यह है दिल्ली स्थित प्रेस क्लब ऑफ इंडिया की सच्चाई! इस क्लब में नक्सलियों, आतंकियों, अलगा्वादियों, अपराधियों के लिए खुलेआम बैठकें होती हैं! प्रेस का भय दिखाकर समाज और सरकार को ब्लैकमेल किया जाता है! वामपंथी गिरोह ने इसे क्रियेटिव सेंटर की जगह डिस्ट्रक्टिव सेंटर बना रखा है!
जो लोग वास्तविक पत्रकारिता कर रहे हैं, उन्हें चाहिए कि एकजुट होकर यहां से मिल रहे अपराध के संरक्षण पर रोक लगाएं और समाज को तोड़ने वाले तथाकथित पत्रकारों की सदस्यता खारिज कर उन्हें बाहर निकालें! प्रेस की स्वतंत्रता के नाम पर अपराध आरोपियों के संरक्षण का अड्डा बनता जा रहा है #PCI
Sandeep Kumar Deo
By-: www.pitamberduttsharma.blogspot.com.
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