लेकिन उनको डर फिर भी सता रहा था ! रातों को नींद नहीं आ रही थी ! तो उन्होंने कल एक अधिसूचना जारी करवा दी ! जिसमें ये प्रावधान कर दिया गया कि अब निकाय अध्यक्ष का पार्षद होना आवश्यक ही नहीं है ! जो उनके चहेते होंगे केवल उन्हीं को नगरपालिका का अध्यक्ष चुनवा दिया जायेगा ! उसके लिए उनका "शुभचिंतक" होना आवश्यक है ! भाजपा को भी अंदर खाते ये नियम अच्छा ही लगेगा ! वो केवल नाम मात्र ही इसका विरोध करेगी ! क्योंकि उसके नेताओं को भी तो अपने "चेलों" को निकायाध्यक्ष बनाने का अवसर मिलेगा ! "राजनीतिक चमचों"की चांदी होने वाली है जी ! इच्छुक व्यक्ति अपने विधायकों,सांसदों और पार्टियों के अध्यक्षों व जिलाध्यक्षों को "दंडवत प्रणाम करना शुरु कर दें !
नगरपालिका अध्यक्षों व निकाय अध्यक्षों के इस तरह के चुनाव तरीके से भ्रष्टाचार चरम सीमा तक फैलेगा ! न्याय पालिका को स्वयं संज्ञान लेना चाहिए ! क्योंकि जनता द्वारा चुने गए पार्षद अपने विवेक का उपयोग ही नहीं कर पायेंगे ! वे तो बस "येस मैन" बनकर ही रह जाएंगे ! उनके अधिकारों का भी हनास होगा ! "जनता और जागरूक" लोगों को ज्ञापन देकर विरोध दर्ज अवश्य करवाना चाहिए ! किसीको भी "मनमर्जी" नहीं करने दी जा सकती क्योंकि ये "मौलिक अधिकारों का हनन" है !!
नगरपालिका अध्यक्षों व निकाय अध्यक्षों के इस तरह के चुनाव तरीके से भ्रष्टाचार चरम सीमा तक फैलेगा ! न्याय पालिका को स्वयं संज्ञान लेना चाहिए ! क्योंकि जनता द्वारा चुने गए पार्षद अपने विवेक का उपयोग ही नहीं कर पायेंगे ! वे तो बस "येस मैन" बनकर ही रह जाएंगे ! उनके अधिकारों का भी हनास होगा ! "जनता और जागरूक" लोगों को ज्ञापन देकर विरोध दर्ज अवश्य करवाना चाहिए ! किसीको भी "मनमर्जी" नहीं करने दी जा सकती क्योंकि ये "मौलिक अधिकारों का हनन" है !!
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