Friday, September 21, 2012

"साम्प्रदायिकता का डर दिखा कर किसको वरगला रहे हो , एजेंट मुलायम जी " !! ??


            "साम्प्रदायिकता का डर दिखा कर किसको वरगला रहे हो , एजेंट मुलायम जी " !! ??
 
मुलायम और कांग्रेस के लिए "साम्प्रदायिक शक्तियां" मतलब सिर्फ हिंदुत्व और कुछ नही

आप इस्लाम के नाम पर मुंबई के दंगे कर सकते है .. आसाम को जला सकते है .. शहीद स्मारक को लातो से तोड़ सकते है ..संसद में एलान कर सकते है की मुस्लिम इस देश की ईट से ईट बजा देंगे ... आप खुल्लेआम मुस्लिम आरक्षण का एलान कर सकते है .. मुस्लिमो के लिए वजीफे का एलान कर सकते है ,. हज पर सब्सिडी दे सकते है .. इमामो के लिए सरकारी सेलेरी का एलान कर सकते है ...आप हिन्दू देवियो की बेहद अश्लील पेंटिंग बना सकते है ...

फिर भी आप धर्मनिरपेक्ष कहे जायेंगे !!

लेकिन अगर आपने हिंदुत्व की बात की तो आप घोर साम्प्रदायिक कहे जायेंगे |

वाह रे मुलायम ... सत्ता की मलाई चाटने के लिए किसी भी हद तक गिर सकते हो तुम ... कभी बाबर का विवादित ढांचा तोड़ने वाले कल्याण सिंह को लोध जाति के वोट के लिए गले लगाया .. तो कभी दुनिया के सबसे बड़े दलाल अमर सिंह से खूब दलाली कमाई .. लेकिन लगता है ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी वाले "यूज एंड थ्रो" शब्द आपसे ही लिए ... कभी लोहियावाद तो कभी जेपी का समाजवाद सब जब चाहा इस्तेमाल किया फिर उठाकर फेक दिया ..

इन सम्प्रायिक शक्तियो को दूर रखना जरूरी है !!! चाहे उसकी कीमत हिन्दुस्तानियो को लूटकर चुकानी पड़े ! सारे घोटाले माफ साम्प्रदायिकता के नाम पर, सेक्युलर मतलब देशभक्तो का विरोध और गद्दारो के लिये तुष्टिकरण की नीति !

मुलायम जी कांग्रेस को समर्थन का मतलब है मंहगाई, भ्रष्टाचार, लूट. बलात्कार, का खुल्लेआम समर्थन |

लेकिन देश तो मुलायम से ज्यादा नीच कांग्रेस को मानता है जो सिर्फ सत्ता के लिए किसी वेश्या की तरह किसी के साथ भी सो जाएगी | मेरे मित्रो याद करो भोदू युवराज राहुल गाँधी का यूपी में भाषण वो हर भाषण में मुलायम को गुंडों का मुखिया और सपा को गुंडों की पार्टी बताते थे .. आज वही नीच भोदू युवराज राहुल गुंडों की पार्टी के तलवे चाट रहा है ...

वाह रे गाँधी की कांग्रेस .. वाह रे कांग्रेस ने सिधांत
                                                                                                      Jitendra Pratap Singh......................................!!

" 5th pillar corrouption killer " आपको रोजाना समसामयिक विषयों पर नयी सामग्री उपलब्ध कराता है !! जो मेरे और मेरे प्रिय मित्रों द्वारा लिखी गयी होती है ! जिसे आप हजारो
ं की संख्या में पढ़ते हैं, और सेंकडों की संख्या में शेयर व कोमेंट्स भी करते हैं !! मैं अपने सभी लेखक व पाठक मित्रों का दिल से आभार प्रकट करता हूँ !! धन्यवाद !! आपका आभारी :- पीताम्बर दत्त शर्मा ( संपर्क : 9414657511 ) 
 
 priya mitrwar , saadar namaskaar !! rozana padhen , share karen or apne anmol comments bhi deven !! hmara apna blog , jiska naam hai :- " 5TH PILLAR CORROUPTION KILLER " iska link ye hai ...:-www.pitamberduttsharma.blogspot.com. sampark number :- 09414657511
तुझको भी ग़म ने मारा....
मुझको भी ग़म ने मारा ....
आओ सब मिलकर....
ग़म को ही मार डालें ....
वर्त्तमान केंद्र सरकार में शामिल एवं बाहर से समर्थन देने वाले सभी दलों को सबक सिखाएं......... और भाजपा नेतृत्व से ये वचन लें कि आवश्यक वस्तुओं की कीमतें हर हाल में २००३ की स्थिति में लायेंगे.....
भारतस्य रक्षणार्थ उत्तिष्ठ भारत......

Tuesday, September 18, 2012

" ममता का जबरदस्त - - छक्का " !!

    " ममता का जबरदस्त - - छक्का " !! 
" लालू - मुलायम - माया हुए, हिट - विकेट" !! 
 " मनमोहन  सिंह के शेयर हुए हवा " !!
 " किसकी  गलत  नीतियों -  निर्णयों से देश की हालत बिगड़ी  ,इज्ज़त गयी और मजबूरी  हुई "
" क्या  वो साम्प्रदायिक - शक्तियां थीं " !! 
  " क्या  तीसरा - मोर्चा सिर्फ मौका - परस्त नेताओं का खेल है "???? 
 " क्या   ममता ने c.b.i.की पोल खोल दी है " ????
 " कंही ये2014 में प्रधानमंत्री बनने का खेल तो नहीं" ?????????
 " आर्थिक- नीतियाँ  , इतनी बढ़िया हैं तो देश के इतने बुरे हालात क्यों ??????
                         
                               क्या  जनता   फिर से बनेगी बेवकूफ ???? क्या वो एक बार फिर से पैसे लेकर,दारु    पीकर, जाती- धर्म- इलाका और पार्टी देख कर, अपना " वोट " देगी ????//

        "  विकल्प  ढूंढो   मित्रो विकल्प " !!!!!!!!!!


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" कोयला बना - हीरा " ??








कांग्रेस के नेता का कमाल देखो.......

Secret of Jindal’s success: Cheap coal, costly power - The Times of India
timesofindia.indiatimes.comनई दिल्ली: हाल के खुलासे से पता चला है, अपनी कंपनियों में हिस्सेदारी बेचकर कई कोयला ब्लॉकों से प्राप्त की. लेकिन कुछ बस बनाने और बेचने उच्च कीमतों पर बिजली प्राप्त की.

इस मामले में जिंदल पावर लिमिटेड (जेपीएल), जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड (जेएसपीएल), कांग्रेस सांसद नवीन जिंदल द्वारा स्वामित्व की एक सहायक है.

अपने छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में कोयला आधारित बिजली परियोजना के एक 'व्यापारी शक्ति के आधार पर संचालित करने के लिए भारत में पहली परियोजना है. इसका मतलब यह है कि अन्य राज्य सरकारों के साथ लंबी अवधि के बिजली खरीद समझौतों (PPAs) के माध्यम से तय टैरिफ द्वारा बाध्य परियोजनाओं के विपरीत, JPL हाजिर दरों पर बिजली बाजार में किसी भी खरीदार को बेचने के लिए स्वतंत्र है.

कंपनी 1000MW संयंत्र 2008 में परिचालन पूरी तरह से बदल गया है. अगले साल से अधिक है, यह 6 रुपये प्रति यूनिट से अधिक की औसत कीमत पर बिजली बेच दिया. 2010 तक, उच्च रिटर्न केवल अपनी चल रहा है लेकिन यह भी लागत ४३३८ करोड़ रुपये का निवेश नहीं शामिल किया था. बुनियादी ढांचे के विशेषज्ञों के अनुसार, यह 5-7 साल की एक न्यूनतम लेता बिजली परियोजनाओं में पूंजी निवेश के लिए किए गए ऋण चुकाने.

हालांकि, कि इस परियोजना के साथ ऐसा नहीं है. अनुसंधान फर्म मोतीलाल ओसवाल नोट्स द्वारा एक जुलाई 2011 की रिपोर्ट, "जिंदल पावर कम लागत के कारण मजबूत नकदी प्रवाह के कारण आपरेशन के दो साल के भीतर कर्ज मुक्त बन गया है." गारे पाल्मा चतुर्थ / 2 और / चतुर्थ कोयले की 246 लाख टन की संयुक्त भंडार के साथ 3 - कम लागत का एक बड़ा घटक सस्ते सिर्फ अपनी कैप्टिव कोयला खदान से दूर 10km प्राप्त कोयला था.
जिंदल मामले में सरकार के 'कम लागत वाली शक्ति' रक्षा deflates

कोयला 1998 में जिंदल पावर लिमिटेड (जेपीएल) के लिए आवंटित ब्लॉक, राजग शासन के दौरान यूपीए के तहत आवंटन, जो जिंदल समूह कोयला ब्लॉक के आवंटन से सबसे अधिक लाभान्वित करने में हुआ है के एक धसान के द्वारा पीछा किया गया था. यह कोयले की २,५८० लाख टन का भंडार है, जबकि निजी क्षेत्र में दूसरा सबसे बड़ा लाभार्थी सिर्फ 1500 लाख टन है.

जिंदल पावर को ईमेल किए गए प्रश्नों को अनुत्तरित गया.

"समस्या यह है कि कंपनी के कोयले के विशाल भंडार के लिए पहुँच गया नहीं है, मुद्दा यह है कि यह सस्ता कोयला का उपयोग करता है दूसरों की तुलना में ज्यादा कीमत पर बिजली बेचने" Sudeip श्रीवास्तव, छत्तीसगढ़ में स्थित एक कार्यकर्ता ने बारीकी से नज़र रखी है कहते हैं राज्य की बिजली परियोजनाओं के प्रदर्शन दस्तावेजों जो बताते हैं कि JPL पिछले अक्टूबर शक्ति का 22 लाख यूनिट 5.47 रुपये प्रति यूनिट के रूप में उच्च के रूप में एक मूल्य के लिए बेच दिया प्राप्त किया है.

उत्तरी छत्तीसगढ़ में तीन बिजली परियोजनाओं के एक तुलनात्मक विश्लेषण किया Sipat सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एनटीपीसी, लैंको समूह और JPL रायगढ़ परियोजना की अमरकंटक परियोजना के परियोजना - टाइम्स ऑफ इंडिया. तीन परियोजनाओं में एक ही समय के आसपास अस्तित्व में आया. लैंको और JPL समान आकार की इकाइयों है, जबकि एनटीपीसी की इकाइयों बड़े होते हैं.

लेकिन बड़ा अंतर, एनटीपीसी में अधिकारियों ने कहा कि, कोयले की लागत है. लैंको अमरकंटक और एनटीपीसी Sipat साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स, कोल इंडिया के एक सहायक से कोयला खरीदने के लिए. JPL अपने स्वयं के कोयला खानों. एनटीपीसी औसत ईंधन लागत पिछले साल 1200 रुपये प्रति टन जबकि लैंको लागत 1020 रुपये प्रति टन की एक औसत के लिए बाहर काम करने के लिए आया था.

जिंदल अधिकारियों को कंपनी की कोयला लागत आंकड़े साझा करने से इनकार कर दिया. लेकिन छत्तीसगढ़ के खनन उद्योग में सूत्रों ने बताया कि JPL लागत 300-400 रुपये प्रति टन से अधिक नहीं हो के रूप में यह एक खुली खदान है, जिसके लिए यह कम कीमत पर जमीन खरीदी थी से कोयले के निष्कर्षों सकता है. कोयले की प्रति टन 500 रुपये, कोल इंडिया के मौजूदा मार्जिन पर आधारित है, भी एक व्यापक अनुमान लेना अभी भी आधा अपने प्रतियोगियों के कोयले की लागत के साथ JPL छोड़ना होगा.

सस्ता कोयला आदर्श कम बिजली की कीमतों में अनुवाद होना चाहिए - कम से कम इस कोयला मंत्रालय और यूपीए के प्रमुख रक्षा किया गया है. उन्होंने तर्क दिया है कि कोल ब्लॉक मुक्त करने के लिए निजी कंपनियों को बिजली टैरिफ को कम रखने के लिए दिया गया.

लेकिन सस्ता कोयला होने के बावजूद, जिंदल सबसे अधिक कीमत पर बिजली बेच दिया 2011-2012 में 3.85 रुपए प्रति यूनिट, लैंको रुपये 3.67 और एनटीपीसी 2.20 रुपये की तुलना में. पिछले वर्ष, JPL प्रति यूनिट 4.30 रुपये की भी उच्च दर पर बिजली बेच दिया था. सस्ते कोयले और उच्च शक्ति की कीमतों के संयोजन बताते हैं कि क्यों जिंदल लाभ, या अपनी आय का 60% के रूप में 1765 करोड़ रुपये के पोस्ट किया है, जबकि लैंको सिर्फ 155 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया है, बस अपनी आय का 12%.

वास्तव में, व्यापारी बिजली की दर से आकर्षित किया, लैंको अमरकंटक राज्य बिजली कंपनियों के साथ लंबी अवधि के समझौते से मुकर गया. लेकिन यह सजा दी गई. इस साल, कोल इंडिया लैंको संयंत्र के लिए आधार है कि राज्य बिजली वितरण कंपनियों के साथ लंबी अवधि के PPAs के साथ उन ही रियायती दरों पर कोयले के लिए पात्र थे पर 35 दिनों के लिए आपूर्ति बंद कर दिया. जो निर्धारित शुल्क के साथ लंबी अवधि के अनुबंध नहीं था नीलामी से महंगा कोयला खरीदने के लिए होगा.

निर्देश बिजली मंत्रालय से शुरू हुआ था. 15 जून को जारी किए, Coalgate 'के खुलासे के बाद चेहरे की बचत के उपायों में सरकार को मजबूर किया गया था, यह सुनिश्चित करना है कि "(कोल इंडिया) अधिसूचित दरों पर कोयले की कीमतों का लाभ उपभोक्ताओं को पारित किया गया था," ने कहा कि इस कदम के उद्देश्य से किया गया था.

लेकिन कंपनियों है कि कोल इंडिया निर्भर नहीं है और कैप्टिव कोयला खानों से कोयले की आपूर्ति भी सस्ता है के बारे में क्या? "नियामकों में कदम है और अनुबंध को फिर से खोलना और कैप्टिव ब्लॉक के साथ उन लोगों के लिए मजबूर करने के लिए राज्य वितरण कंपनियों के साथ लंबी अवधि के समझौते पर हस्ताक्षर करना चाहिए", इन्फ्रास्ट्रक्चर में नियामक रूपरेखा पर सीआईआई की राष्ट्रीय टास्क फोर्स के अध्यक्ष विनायक चटर्जी ने कहा. "हम पिछले कुछ वर्षों में देखा क्या एक नीति विपथन जो सही किया जाना चाहिए था कि अब तक कम लागत के साथ वे अनुमति यह व्यापारी शक्ति बाजार में लाभ उठाने के लिए नहीं करना चाहिए," उन्होंने कहा.
 — with सच्चा भारतीयभारतीय हिन्दु
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Saturday, September 15, 2012

" एक झूठी खबर जो सच्ची लगती है " !!??

मनमोहन ने 'कोलगेट' में पटेल को लपेटा, सोनिया ने बढ़ाई दूरी

               प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अब पूरी तरह से फॉर्म में आ गए हैं। स्वभाव से सौम्य माने जाने वाले मनमोहन ने बेहद बोल्ड तेवर दिखाते हुए कोयला ब्लॉक आवंटन में सोनिया गांधी के खासमखास अहमद पटेल को लपेट लिया है। हमारे सहयोगी अखबार 'मुंबई मिरर' के मुताबिक मनमोहन सिंह ने सोनिया गांधी से मुलाकात कर उन्हें साफ-साफ बताया कि कोयला आवंटन के फैसले उनके पॉलिटिकल सेक्रेटरी अहमद पटेल की सिफारिश पर लिए गए थे। इसे मनमोहन का अब तक का सबसे बोल्ड पॉलिटिकल मूव माना जा रहा है।


गौरतलब है कि अहमद पटेल सोनिया गांधी के बेहद खास हैं।वह सन् 2000 से सोनिया के पॉलिटिकल सेक्रेटरी भी हैं। पटेल सोनिया के कितने करीबी हैं इसका पता इसी से चलता है कि पार्टी के हर बड़े फैसले उनसे सलाह लेकर लिए जाते हैं। अब बताया जा रहा है कि सोनिया ने भी पटेल से दूरी बना ली है।

बताया जाता है कि तेहरान में गुटनिरपेक्ष सम्मेलन से 31 अगस्त को लौटने के बाद मनमोहन सिंह ने सोनिया गांधी से मुलाकात की। सिंह बीजेपी लीडर सुषमा स्वराज के 'मोटा माल' वाले बयान से बेहद व्यथित थे। उन्होंने सोनिया को साफ-साफ बताया कि उनके ऑफिस ने कोल ब्लॉक आवंटन पर फैसले अहमद पटेल की सिफारिश पर किए थे।
                           

कोयला घोटाले में अपना नाम घसीटे जाने से दुखी होकर मनमोहन को पहली बार सोनिया को इस तरह खरी-खरी सुनानी पड़ी। उन्होंने सोनिया गांधी को साफ किया कोल ब्लॉक आवंटन में उनका कोई लेना-देना नहीं है। इसमें किसको फायदा होने जा रहा है, इसमें भी उनकी कोई दिलचस्पी नहीं थी।

सिंह ने बताया कि उनके तत्कालीन मुख्य सचिव टीके नायर ने अहमद पटेल की सलाह पर यह फैसले किए। उधर, नायर और पटेल ने इस पर अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।


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Posted by PD SHARMA, 09414657511 (EX. . VICE PRESIDENT OF B. J. P. CHUNAV VISHLESHAN and SANKHYKI PRKOSHTH (RAJASTHAN )SOCIAL WORKER,Distt. Organiser of PUNJABI WELFARE SOCIETY,Suratgarh 

" न्यायालय ने मनमोहन सरकार से पूछे कई सवाल " ????

 प्यारे मित्रो, सादर नमस्कार !!
               कैग जैसी संवैधानिक संस्था की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा करने वाली यूपीए सरकार की विश्वसनीयता क्या है? ज्यादातर राजनेताओं की कम्पनियों को कैसे मिले कॉल ब्लॉक्स?? सारी पोल खुलेगी सुप्रीम कोर्ट में…
सुप्रीम कोर्ट ने कोयला घोटाले में एक याचिका पर सुनवाई शुरू करते हुए यूपीए सरकार से कई कड़े सवालों का जवाब माँगा है. जिसके चलते कोयला ब्लाक आवंटन घोटाले में सरकार की मुसीबत बढती जा रही है. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक [कैग] की रिपोर्ट को आधार मानते हुए सरकार से कई तीखे सवाल पूछे. कोर्ट ने इस मामले में याचिका स्वीकार करने के लिए कैग की रिपोर्ट को अपर्याप्त बताने की केंद्र सरकार की दलील खारिज कर दी. सरकार को नोटिस जारी कर कोर्ट ने पूछा है कि कोयला खदानों के आवंटन में निर्धारित दिशा-निर्देशों और तय प्रक्रिया का पालन किया गया था या नहीं.
कोर्ट द्वारा पूछे गए चुनिन्दा सवाल:
  •  क्या कोयला खदान आवंटन के संबंध में कोई तय दिशा-निर्देश हैं?
  •  क्या आवंटन में तय दिशा-निर्देशों और प्रक्रिया का पालन किया गया?
  •  क्या दिशा-निर्देशों में कोई ऐसा तंत्र शामिल है जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि आवंटन में अनियमितताएं और पक्षपात न हो और आवंटन कुछ निजी कंपनियों के हाथों में न रह जाए?
  • क्या आवंटन से तय नीति का उद्देश्य पूरा हुआ?
  •  वे कौन सी बाधाएं थीं जिनके कारण नीलामी के जरिये कोयला खदानों के आवंटन की 2004 की नीति का पालन नहीं किया गया?
  •  आवंटन की शर्तो का पालन न करने वालों के खिलाफ क्या कार्रवाई प्रस्तावित है?
न्यायमूर्ति आरएम लोढ़ा और एआर दवे की पीठ ने वकील मनोहर लाल शर्मा की याचिका पर सरकार से आठ सप्ताह में जवाब मांगा है. याचिका में कोयला खदान आवंटन में अनियमितताओं का आरोप लगाया गया है. कोर्ट ने सरकार से यह भी पूछा है कि जिन लोगों ने शर्तो का उल्लंघन किया उनके खिलाफ क्या कार्रवाई हो रही है और वे क्या बाधाएं थीं, जिनके चलते नीलामी के जरिये आवंटन करने की 2004 की नीति का पालन नहीं किया गया. सुप्रीम कोर्ट की ओर से उठाए गए सवाल संप्रग सरकार के लिए बड़ी फजीहत का सबब बन सकते हैं. सरकार पहले ही विपक्षी दलों के सवालों का संतोषप्रद जवाब नहीं दे पा रही है.
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी जानना चाहा है कि ऐसा कैसे संभव हुआ कि अधिकांश कोल ब्लॉक्स हासिल करने वाली कम्पनियों से कोई ना कोई राजनेता या उसका रिश्तेदार जुड़ा है.
हालाँकि सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल आर नरीमन ने दलील दी कि याचिका कैग रिपोर्ट पर आधारित है, ऐसे में इस पर फिलहाल सुनवाई नहीं होनी चाहिए क्योंकि कैग रिपोर्ट पर अभी लोक लेखा समिति [पीएसी] विचार करेगी. पीठ ने उनकी दलील यह कहते हुए दरकिनार कर दी कि पीएसी की कार्यवाही और कोर्ट की सुनवाई में अंतर है. हम पीएसी या संसद के कार्यक्षेत्र में हस्तक्षेप नहीं कर रहे. कोर्ट ने कहा, ‘हम कैग रिपोर्ट की सत्यता नहीं परख रहे. हो सकता है कि कैग की रिपोर्ट अंतिम न हो. लेकिन, कैग एक संवैधानिक संस्था है और उसकी रिपोर्ट का महत्व है.’
नरीमन ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि इसमें विभिन्न कानूनों के उल्लंघन की बात कहते हुए दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है. जबकि, इस मामले की जांच पहले ही सीबीआइ को सौंपी जा चुकी है. इस पर पीठ ने कहा, याचिका के दो पहलू हैं. आपराधिक पहलू पर हम फिलहाल विचार नहीं कर रहे क्योंकि उसकी जांच सीबीआइ कर रही है. आगे अगर जरूरत पड़ी तो उस पर विचार करेंगे. अभी तो हम 194 कोयला ब्लाकों के आवंटन पर विचार कर रहे हैं. देखेंगे कि तय प्रक्रिया और दिशा-निर्देशों का पालन हुआ है कि नहीं.
(जागरण)
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Thursday, September 13, 2012

युवा मुस्लिम वैज्ञानिकों, डाक्टरों, पत्रकारों में जिहादी आतंकवाद की सेंध -अरुण कुमार सिंह-

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देश एक बहुत ही खतरनाक मोड़ पर पहुंच चुका है। मुस्लिम समुदाय से जुड़े वैज्ञानिकों, डाक्टरों, पत्रकारों, सरकारी कर्मचारियों के बीच जिहादी आतंकवाद ने पैठ बना ली है। ऐसी संवेदनशील संस्थाओं में काम करने वाले लोग भी यदि आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देने की साजिश में शामिल पाए जाने लगें और देश की सेकुलर सरकार इनकी करतूतों को वोट बैंक के लिए दबाने लगे तो फिर देश का क्या होगा? 29 अगस्त से अब तक बंगलूरू, नांदेड़ और हैदराबाद में जिन 18 आतंकवादियों को पकड़ा गया है उनमें से एक एजाज अहमद मिर्जा (25) रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) में शोधार्थी है। नईम सिद्धिकी डाक्टर है। डा.जफर इकबाल शोलापुर में जल विभाग में तैनात है। मुतिउर रहमान एक अंग्रेजी दैनिक का पत्रकार है।
जून के अंतिम सप्ताह में सऊदी अरब से लाये गए आतंकवादी अबू जुंदाल से इन सबकी जानकारी मिली थी। तभी से इन सब पर खुफिया तंत्र की नजर थी। ये सभी सऊदी अरब में बैठे भारत के दुश्मनों के इशारे पर आतंकवादी घटनाओं की साजिश रच रहे थे। इनके निशाने पर भाजपा और हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के नेता एवं प्रमुख संस्थान थे। यह भी खबर आई है कि ये आतंकवादी दक्षिण भारत के महत्वपूर्ण सैन्य ठिकानों को उड़ाना चाहते थे। कर्नाटक में ये लोग बम विस्फोट को अंतिम रूप देने में लगे थे। जब सुरक्षा एजेंसियों को लगा कि अब ये आतंकी विस्फोट करके ही मानेंगे तब उन्हें गिरफ्तार किया गया।
भारत की सुरक्षा की दृष्टि से यह बहुत ही गंभीर मामला है। आई.बी. के निदेशक नेहचल संधू भी मानते हैं कि युवाओं में बढ़ती मतान्धता देश के लिए नया खतरा बन गई है। 6 सितम्बर को नई दिल्ली में पुलिस महानिदेशकों के सम्मेलन में श्री संधू ने यह भी कहा कि इंटरनेट-मोबाइल पर आतंकवादी गतिविधियां सुरक्षा एजेंसियों के लिए नई चुनौती हैं।
किंतु इस पर सभी चुप हैं। दिग्विजय सिंह, लालू यादव, रामविलास पासवान, मुलायम सिंह यादव, सलमान खुर्शीद, ममता बनर्जी, कुलदीप नैयर, सुभाष गताडे जैसे अपने को सेकुलर मानने वाले लोग इस मुद्दे पर न एक शब्द बोल रहे हैं और न ही एक शब्द लिख रहे हैं। वे टीवी चैनल भी इस गंभीर मुद्दे पर बहस नहीं कर रहे हैं, जो काल्पनिक और सरकारी 'हिन्दू आतंकवाद' पर घंटों गला फाड़ते हैं। वोट बैंक की देशघातक राजनीति आतंकवादियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होने देती है और इसका पूरा लाभ देश के ही वे कट्टरवादी उठा रहे हैं, जो भारत को दारुल इस्लाम बनाना चाहते हैं।
दहशतगर्द और मजहबी संगठन
बंगलूरु में जो आतंकी पकड़े गए हैं, उनके परिजन कह रहे हैं कि वे 'निर्दोष' हैं। ऐसी ही बात दिल्ली के पत्रकार सैयद अहमद काजमी के बारे में कही जा रही थी। 13 फरवरी को दिल्ली में इस्रायली दूतावास की गाड़ी में हुए 'स्टिक बम' विस्फोट के आरोप में काजमी को 7 मार्च को गिरफ्तार किया गया था। उसकी रिहाई के लिए दिल्ली के संसद मार्ग पर कई मुस्लिम संगठनों ने प्रदर्शन किया था। किन्तु सच तो सच होता है। काजमी की करतूतें सामने आ चुकी हैं और वह उस मामले में नामजद हो गया है। कहा जा रहा है कि हाल में गिरफ्तार किए गए आतंकियों के खिलाफ भी काफी सबूत हैं। फिर भी कई मजहबी संगठन उन आतंकियों को 'निर्दोष' मानकर उनकी रिहाई का दबाव सरकार पर डाल रहे हैं।
इन दहशतगर्दों को विभिन्न मजहबी संगठनों और मजहबी नेताओं का भी समर्थन प्राप्त है। इसलिए ये संगठन और नेता कभी भी इन आतंकवादियों की निंदा तक नहीं करते हैं। उल्टे ये लोग कहते हैं कि 'निर्दोष' मुस्लिम युवकों को बेबुनियाद आरोपों के आधार पर सुरक्षा एजेंसियां पकड़ रही हैं। कथित निर्दोष युवाओं के मामले को तो जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंचा दिया है। 27 जुलाई को जमीयत उलेमा-ए-हिंद की एक याचिका सर्वोच्च न्यायालय ने स्वीकार की है। याचिका में मांग की गई है कि 2002 के बाद हुईं सभी आतंकवादी घटनाओं की न्यायिक जांच की जाए। यह भी मांग की गई है कि इन मामलों में शामिल बताए गए सभी निर्दोष भारतीय मुस्लिमों को मुआवजा दिया जाए। यदि मजहबी संगठन आतंकवादी घटनाओं में शामिल मुस्लिम युवाओं को डांटते, डपटते, उनका सामाजिक बहिष्कार करते तो शायद उन्हें ऐसी याचिका सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल करने की जरूरत ही नहीं पड़ती। पर ये संगठन भी वोट बैंक की राजनीति करने वाले नेताओं के पीछे भागते रहे और अब उसका दुष्परिणाम सामने आने लगा है। 
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" पक्षपाती मिडिया के प्रगाढ़ सम्बन्ध "

      " 5th pillar corrouption killer " आपको रोजाना समसामयिक विषयों पर नयी सामग्री उपलब्ध कराता है !! जो मेरे और मेरे प्रिय मित्रों द्वारा लिखी गयी होती है ! जिसे आप हजारों की संख्या में पढ़ते हैं, और सेंकडों की संख्या में शेयर व कोमेंट्स भी करते हैं !! मैं अपने सभी लेखक व पाठक मित्रों का दिल से आभार प्रकट करता हूँ !! धन्यवाद !! आपका आभारी :- पीताम्बर दत्त शर्मा ( संपर्क : 9414657511 ) 
                           
         " पक्षपाती मिडिया के प्रगाढ़ सम्बन्ध "
                          
                            रिश्तेदारियों पर एक नज़र डालिये, तब आप खुद ही समझ जायेंगे कि कैसे और क्यों “मीडिया का अधिकांश हिस्सा” हिन्दुओं और हिन्दुत्व का विरोधी है, किस प्रकार इन लोगों ने एक “नापाक गठजोड़” तैयार कर लिया है, किस तरह ये सब लोग मिलकर सत्ता संस्थान के शिखरों के करीब रहते हैं, किस तरह से इन प्रभावशाली(?) लोगों का सरकारी नीतियों में दखल होता है… आदि


पेश हैं रिश्ते ही रिश्ते – (दिल्ली की दीवारों पर लिखा होता है वैसे वाले नहीं, ये हैं असली रिश्ते)

-सुज़ाना अरुंधती रॉय, प्रणव रॉय (एनडीटीवी) की भांजी हैं।(नेहरु डायनेस्टी टीवी- NDTV)
-प्रणव रॉय “काउंसिल ऑन फ़ॉरेन रिलेशन्स” के इंटरनेशनल सलाहकार बोर्ड के सदस्य हैं।
-इसी बोर्ड के एक अन्य सदस्य हैं मुकेश अम्बानी।
-प्रणव रॉय की पत्नी हैं राधिका रॉय।
-राधिका रॉय, बृन्दा करात की बहन हैं।
-बृन्दा करात, प्रकाश करात (CPI) की पत्नी हैं।

-प्रकाश करात चेन्नै के “डिबेटिंग क्लब” ग्रुप के सदस्य थे।
-एन राम, पी चिदम्बरम और मैथिली शिवरामन भी इस ग्रुप के सदस्य थे।
-इस ग्रुप ने एक पत्रिका शुरु की थी “रैडिकल रीव्यू”।

-CPI(M) के एक वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी की पत्नी हैं सीमा चिश्ती।
-सीमा चिश्ती इंडियन एक्सप्रेस की “रेजिडेण्ट एडीटर” हैं।
-बरखा दत्त NDTV में काम करती हैं।
-बरखा दत्त की माँ हैं श्रीमती प्रभा दत्त।
-प्रभा दत्त हिन्दुस्तान टाइम्स की मुख्य रिपोर्टर थीं।
-राजदीप सरदेसाई पहले NDTV में थे, अब CNN-IBN के हैं (दोनों ही मुस्लिम + ईसाई supporter चैनल हैं)।
-राजदीप सरदेसाई की पत्नी हैं सागरिका घोष।
-सागरिका घोष के पिता हैं दूरदर्शन के पूर्व महानिदेशक भास्कर घोष।
-सागरिका घोष की आंटी रूमा पॉल हैं।
-रूमा पॉल उच्चतम न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश हैं।
-सागरिका घोष की दूसरी आंटी अरुंधती घोष हैं।
-अरुंधती घोष संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थाई प्रतिनिधि हैं।
-CNN-IBN का “ग्लोबल बिजनेस नेटवर्क” (GBN) से व्यावसायिक समझौता है।
-GBN टर्नर इंटरनेशनल और नेटवर्क-18 की एक कम्पनी है।
-NDTV भारत का एकमात्र चैनल है को “अधिकृत रूप से” पाकिस्तान में दिखाया जाता है।
-दिलीप डिसूज़ा PIPFD (Pakistan-India Peoples’ Forum for Peace and Democracy) के सदस्य हैं।
-दिलीप डिसूज़ा के पिता हैं जोसेफ़ बेन डिसूज़ा।
-जोसेफ़ बेन डिसूज़ा महाराष्ट्र सरकार के पूर्व सचिव रह चुके हैं।

-तीस्ता सीतलवाड भी PIPFD की सदस्य हैं।
-तीस्ता सीतलवाड के पति हैं जावेद आनन्द।
-जावेद आनन्द एक कम्पनी सबरंग कम्युनिकेशन और एक संस्था “मुस्लिम फ़ॉर सेकुलर डेमोक्रेसी” चलाते हैं।
-इस संस्था के प्रवक्ता हैं जावेद अख्तर।
-जावेद अख्तर की पत्नी हैं शबाना आज़मी।

-करण थापर ITV के मालिक हैं।
-ITV बीबीसी के लिये कार्यक्रमों का भी निर्माण करती है।
-करण थापर के पिता थे जनरल प्राणनाथ थापर (1962 का चीन युद्ध इन्हीं के नेतृत्व में हारा गया था)।
-करण थापर बेनज़ीर भुट्टो और ज़रदारी के बहुत अच्छे मित्र हैं।
-करण थापर के मामा की शादी नयनतारा सहगल से हुई है।
-नयनतारा सहगल, विजयलक्ष्मी पंडित की बेटी हैं।
-विजयलक्ष्मी पंडित, जवाहरलाल नेहरू की बहन हैं।

-मेधा पाटकर नर्मदा बचाओ आन्दोलन की मुख्य प्रवक्ता और कार्यकर्ता हैं।
-नबाआं को मदद मिलती है पैट्रिक मेकुल्ली से जो कि “इंटरनेशनल रिवर्स नेटवर्क (IRN)” संगठन में हैं।
-अंगना चटर्जी IRN की बोर्ड सदस्या हैं।
-अंगना चटर्जी PROXSA (Progressive South Asian Exchange Network) की भी सदस्या हैं।
-PROXSA संस्था, FOIL (Friends of Indian Leftist) से पैसा पाती है।
-अंगना चटर्जी के पति हैं रिचर्ड शेपायरो।
-FOIL के सह-संस्थापक हैं अमेरिकी वामपंथी बिजू मैथ्यू।
-राहुल बोस (अभिनेता) खालिद अंसारी के रिश्ते में हैं।
-खालिद अंसारी “मिड-डे” पब्लिकेशन के अध्यक्ष हैं।
-खालिद अंसारी एमसी मीडिया लिमिटेड के भी अध्यक्ष हैं।
-खालिद अंसारी, अब्दुल हमीद अंसारी के पिता हैं।
-अब्दुल हमीद अंसारी कांग्रेसी हैं।
-एवेंजेलिस्ट ईसाई और हिन्दुओं के खास आलोचक जॉन दयाल मिड-डे के दिल्ली संस्करण के प्रभारी हैं।

-नरसिम्हन राम (यानी एन राम) दक्षिण के प्रसिद्ध अखबार “द हिन्दू” के मुख्य सम्पादक हैं।
-एन राम की पहली पत्नी का नाम है सूसन।
-सूसन एक आयरिश हैं जो भारत में ऑक्सफ़ोर्ड पब्लिकेशन की इंचार्ज हैं।
-विद्या राम, एन राम की पुत्री हैं, वे भी एक पत्रकार हैं।
-एन राम की हालिया पत्नी मरियम हैं।
-त्रिचूर में आयोजित कैथोलिक बिशपों की एक मीटिंग में एन राम, जेनिफ़र अरुल और केएम रॉय ने भाग लिया है।
-जेनिफ़र अरुल, NDTV की दक्षिण भारत की प्रभारी हैं।
-जबकि केएम रॉय “द हिन्दू” के संवाददाता हैं।
-केएम रॉय “मंगलम” पब्लिकेशन के सम्पादक मंडल सदस्य भी हैं।
-मंगलम ग्रुप पब्लिकेशन एमसी वर्गीज़ ने शुरु किया है।
-केएम रॉय को “ऑल इंडिया कैथोलिक यूनियन लाइफ़टाइम अवार्ड” से सम्मानित किया गया है।
-“ऑल इंडिया कैथोलिक यूनियन” के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं जॉन दयाल।
-जॉन दयाल “ऑल इंडिया क्रिश्चियन काउंसिल”(AICC) के सचिव भी हैं।
-AICC के अध्यक्ष हैं डॉ जोसेफ़ डिसूज़ा।
-जोसेफ़ डिसूज़ा ने “दलित फ़्रीडम नेटवर्क” की स्थापना की है।
-दलित फ़्रीडम नेटवर्क की सहयोगी संस्था है “ऑपरेशन मोबिलाइज़ेशन इंडिया” (OM India)।
-OM India के दक्षिण भारत प्रभारी हैं कुमार स्वामी।
-कुमार स्वामी कर्नाटक राज्य के मानवाधिकार आयोग के सदस्य भी हैं।
-OM India के उत्तर भारत प्रभारी हैं मोजेस परमार।
-OM India का लक्ष्य दुनिया के उन हिस्सों में चर्च को मजबूत करना है, जहाँ वे अब तक नहीं पहुँचे हैं।
-OMCC दलित फ़्रीडम नेटवर्क (DFN) के साथ काम करती है।
-DFN के सलाहकार मण्डल में विलियम आर्मस्ट्रांग शामिल हैं।
-विलियम आर्मस्ट्रांग, कोलोरेडो (अमेरिका) के पूर्व सीनेटर हैं और वर्तमान में कोलोरेडो क्रिश्चियन यूनिवर्सिटी के प्रेसीडेण्ट हैं। यह यूनिवर्सिटी विश्व भर में ईसा के प्रचार हेतु मुख्य रणनीतिकारों में शुमार की जाती है।
-DFN के सलाहकार मंडल में उदित राज भी शामिल हैं।
-उदित राज के जोसेफ़ पिट्स के अच्छे मित्र भी हैं।
-जोसेफ़ पिट्स ने ही नरेन्द्र मोदी को वीज़ा न देने के लिये कोंडोलीज़ा राइस से कहा था।
-जोसेफ़ पिट्स “कश्मीर फ़ोरम” के संस्थापक भी हैं।
-उदित राज भारत सरकार के नेशनल इंटीग्रेशन काउंसिल (राष्ट्रीय एकता परिषद) के सदस्य भी हैं।
-उदित राज कश्मीर पर बनी एक अन्तर्राष्ट्रीय समिति के सदस्य भी हैं।
-सुहासिनी हैदर, सुब्रह्मण्यम स्वामी की पुत्री हैं।
-सुहासिनी हैदर, सलमान हैदर की पुत्रवधू हैं।
-सलमान हैदर, भारत के पूर्व विदेश सचिव रह चुके हैं, चीन में राजदूत भी रह चुके हैं।

-रामोजी ग्रुप के मुखिया हैं रामोजी राव।
-रामोजी राव “ईनाडु” (सर्वाधिक खपत वाला तेलुगू अखबार) के संस्थापक हैं।
-रामोजी राव ईटीवी के भी मालिक हैं।
-रामोजी राव चन्द्रबाबू नायडू के परम मित्रों में से हैं।

-डेक्कन क्रॉनिकल के चेयरमैन हैं टी वेंकटरमन रेड्डी।
-रेड्डी साहब कांग्रेस के पूर्व राज्यसभा सदस्य हैं।
-एमजे अकबर डेक्कन क्रॉनिकल और एशियन एज के सम्पादक हैं।
-एमजे अकबर कांग्रेस विधायक भी रह चुके हैं।
-एमजे अकबर की पत्नी हैं मल्लिका जोसेफ़।
-एम जे अकबर अब प्रभु चावला की जगह सीधी बात मे आते है !
-मल्लिका जोसेफ़, टाइम्स ऑफ़ इंडिया में कार्यरत हैं।

-वाय सेमुअल राजशेखर रेड्डी आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री हैं।
-सेमुअल रेड्डी के पिता राजा रेड्डी ने पुलिवेन्दुला में एक डिग्री कालेज व एक पोलीटेक्नीक कालेज की स्थापना की।
-सेमुअल रेड्डी ने कहा है कि आंध्रा लोयोला कॉलेज में पढ़ाई के दौरान वे इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने उक्त दोनों कॉलेज लोयोला समूह को दान में दे दिये।
-सेमुअल रेड्डी की बेटी हैं शर्मिला।
-शर्मिला की शादी हुई है “अनिल कुमार” से। अनिल कुमार भी एक धर्म-परिवर्तित ईसाई हैं जिन्होंने “अनिल वर्ल्ड एवेंजेलिज़्म” नामक संस्था शुरु की और वे एक सक्रिय एवेंजेलिस्ट (कट्टर ईसाई धर्म प्रचारक) हैं।
-सेमुअल रेड्डी के पुत्र जगन रेड्डी युवा कांग्रेस नेता हैं।
-जगन रेड्डी “जगति पब्लिकेशन प्रा. लि.” के चेयरमैन हैं।
-भूमना करुणाकरा रेड्डी, सेमुअल रेड्डी की करीबी हैं।
-करुणाकरा रेड्डी, तिरुमला तिरुपति देवस्थानम की चेयरमैन हैं।
-चन्द्रबाबू नायडू ने आरोप लगाया था कि “लैंको समूह” को जगति पब्लिकेशन्स में निवेश करने हेतु दबाव डाला गया था।
-लैंको कम्पनी समूह, एल श्रीधर का है।
-एल श्रीधर, एल राजगोपाल के भाई हैं।
-एल राजगोपाल, पी उपेन्द्र के दामाद हैं।
-पी उपेन्द्र केन्द्र में कांग्रेस के मंत्री रह चुके हैं।
-सन टीवी चैनल समूह के मालिक हैं कलानिधि मारन
-कलानिधि मारन एक तमिल दैनिक “दिनाकरन” के भी मालिक हैं।
-कलानिधि के भाई हैं दयानिधि मारन।
-दयानिधि मारन केन्द्र में संचार मंत्री थे।
-कलानिधि मारन के पिता थे मुरासोली मारन।
-मुरासोली मारन के चाचा हैं एम करुणानिधि (तमिलनाडु के मुख्यमंत्री)।
-करुणानिधि ने ‘कैलाग्नार टीवी” का उदघाटन किया।
-कैलाग्नार टीवी के मालिक हैं एम के अझागिरी।
-एम के अझागिरी, करुणानिधि के पुत्र हैं।
-करुणानिधि के एक और पुत्र हैं एम के स्टालिन।
-स्टालिन का नामकरण रूस के नेता के नाम पर किया गया।
-कनिमोझि, करुणानिधि की पुत्री हैं, और केन्द्र में राज्यमंत्री हैं।
-कनिमोझी, “द हिन्दू” अखबार में सह-सम्पादक भी हैं।
-कनिमोझी के दूसरे पति जी अरविन्दन सिंगापुर के एक जाने-माने व्यक्ति हैं।
-स्टार विजय एक तमिल चैनल है।
-विजय टीवी को स्टार टीवी ने खरीद लिया है।
-स्टार टीवी के मालिक हैं रूपर्ट मर्डोक।

-Act Now for Harmony and Democracy (अनहद) की संस्थापक और ट्रस्टी हैं शबनम हाशमी।
-शबनम हाशमी, गौहर रज़ा की पत्नी हैं।
-“अनहद” के एक और संस्थापक हैं के एम पणिक्कर।
-के एम पणिक्कर एक मार्क्सवादी इतिहासकार हैं, जो कई साल तक ICHR में काबिज रहे।
-पणिक्कर को पद्मभूषण भी मिला।
-हर्ष मन्दर भी “अनहद” के संस्थापक हैं, मशहूर हिन्दू विरोधी लेख लिखते है, सोनिया गांधी द्वारा गठित nac के मेम्बर है जिसने एक कानून बनाया है हिंदुओं के खिलाफ । - सांप्रदायिक लक्षित हिंसा अधिनियम - 
-हर्ष मन्दर, अजीत जोगी के खास मित्र हैं।
-अजीत जोगी, सोनिया गाँधी के खास हैं क्योंकि वे ईसाई हैं और इन्हीं की अगुआई में छत्तीसगढ़ में जोरशोर से धर्म-परिवर्तन करवाया गया और बाद में दिलीपसिंह जूदेव ने परिवर्तित आदिवासियों की हिन्दू धर्म में वापसी करवाई।
-कमला भसीन भी “अनहद” की संस्थापक सदस्य हैं।
-फ़िल्मकार सईद अख्तर मिर्ज़ा “अनहद” के ट्रस्टी हैं।

-मलयालम दैनिक “मातृभूमि” के मालिक हैं एमपी वीरेन्द्रकुमार
-वीरेन्द्रकुमार जद(से) के सांसद हैं (केरल से)
-केरल में देवेगौड़ा की पार्टी लेफ़्ट फ़्रण्ट की साझीदार है।
-शशि थरूर पूर्व राजनैयिक हैं।
-चन्द्रन थरूर, शशि थरूर के पिता हैं, जो कोलकाता की आनन्दबाज़ार पत्रिका में संवाददाता थे।
-चन्द्रन थरूर ने 1959 में द स्टेट्समैन” की अध्यक्षता की।
-शशि थरूर के दो जुड़वाँ लड़के ईशान और कनिष्क हैं, ईशान हांगकांग में “टाइम्स” पत्रिका के लिये काम करते हैं।
-कनिष्क लन्दन में “ओपन डेमोक्रेसी” नामक संस्था के लिये काम करते हैं।
-शशि थरूर की बहन शोभा थरूर की बेटी रागिनी (अमेरिकी पत्रिका) “इंडिया करंट्स” की सम्पादक हैं।
-परमेश्वर थरूर, शशि थरूर के चाचा हैं और वे “रीडर्स डाइजेस्ट” के भारत संस्करण के संस्थापक सदस्य हैं।

-शोभना भरतिया हिन्दुस्तान टाइम्स समूह की अध्यक्षा हैं।
-शोभना भरतिया केके बिरला की पुत्री और जीड़ी बिरला की पोती हैं
-शोभना राज्यसभा की सदस्या भी हैं जिन्हें सोनिया ने नामांकित किया था।
-शोभना को 2005 में पद्मश्री भी मिल चुकी है।
-शोभना भरतिया सिंधिया परिवार की भी नज़दीकी मित्र हैं।
-करण थापर भी हिन्दुस्तान टाइम्स में कालम लिखते हैं।
-पत्रकार एन राम की भतीजी की शादी दयानिधि मारन से हुई है।

यह बात साबित हो चुकी है कि मीडिया का एक खास वर्ग हिन्दुत्व का विरोधी है, इस वर्ग के लिये भाजपा-संघ के बारे में नकारात्मक प्रचार करना, हिन्दू धर्म, हिन्दू देवताओं, हिन्दू रीति-रिवाजों, हिन्दू साधु-सन्तों सभी की आलोचना करना एक “धर्म” के समान है। इसका कारण हैं, कम्युनिस्ट-चर्चपरस्त-मुस्लिमपरस्त-तथाकथित सेकुलरिज़्म परस्त लोगों की आपसी रिश्तेदारी, सत्ता और मीडिया पर पकड़ और उनके द्वारा एक “गैंग” बना लिया जाना। यदि कोई समूह या व्यक्ति इस गैंग के सदस्य बन जायें, प्रिय पात्र बन जायें तब उनके और उनकी बिरादरी के खिलाफ़ कोई खबर आसानी से नहीं छपती। जबकि हिन्दुत्व पर ये सब लोग मिलजुलकर हमला बोलते हैं।

(नोट – यह जानकारियाँ नेट पर उपलब्ध विभिन्न वेबसाईट्स, फ़ोरम आदि पर आधारित हैं, इसमें हमारा कोई विशेष योगदान नहीं है। यदि इसमें कोई गलती दिखाई दे अथवा किसी नाम या रिश्ते में विसंगति अथवा गलती मिले तो टिप्पणी करें, तत्काल उसमें सुधार किया जायेगा…अपनी तरफ़ से कोई और रिश्ता उजागर करना चाहते हों तो वह भी इसमें जोड़ें…)

More Note :
भारतीय सेना की दुश्मन मीडिया
http://youtu.be/PqpExxQ-kL4

देखिये हिन्दू हंताओ (Anti Hindu,Communists, Sickulars ) की सूची
https://www.facebook.com/note.php?note_id=292621074100322
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भारत की मीडिया सेकुलरो और वेश्याओं का झुंड मात्र है
https://www.facebook.com/note.php?note_id=178125975578102
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सांप्रदायिक - हिंसा विधेयक : इस्लामिक राष्ट्र की और बढ़ते भारत के कदम !
https://www.facebook.com/note.php?note_id=176687235721976 


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"निराशा से आशा की ओर चल अब मन " ! पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक)

प्रिय पाठक मित्रो !                               सादर प्यार भरा नमस्कार !! ये 2020 का साल हमारे लिए बड़ा ही निराशाजनक और कष्टदायक साबित ह...