Saturday, September 15, 2012

" न्यायालय ने मनमोहन सरकार से पूछे कई सवाल " ????

 प्यारे मित्रो, सादर नमस्कार !!
               कैग जैसी संवैधानिक संस्था की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा करने वाली यूपीए सरकार की विश्वसनीयता क्या है? ज्यादातर राजनेताओं की कम्पनियों को कैसे मिले कॉल ब्लॉक्स?? सारी पोल खुलेगी सुप्रीम कोर्ट में…
सुप्रीम कोर्ट ने कोयला घोटाले में एक याचिका पर सुनवाई शुरू करते हुए यूपीए सरकार से कई कड़े सवालों का जवाब माँगा है. जिसके चलते कोयला ब्लाक आवंटन घोटाले में सरकार की मुसीबत बढती जा रही है. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक [कैग] की रिपोर्ट को आधार मानते हुए सरकार से कई तीखे सवाल पूछे. कोर्ट ने इस मामले में याचिका स्वीकार करने के लिए कैग की रिपोर्ट को अपर्याप्त बताने की केंद्र सरकार की दलील खारिज कर दी. सरकार को नोटिस जारी कर कोर्ट ने पूछा है कि कोयला खदानों के आवंटन में निर्धारित दिशा-निर्देशों और तय प्रक्रिया का पालन किया गया था या नहीं.
कोर्ट द्वारा पूछे गए चुनिन्दा सवाल:
  •  क्या कोयला खदान आवंटन के संबंध में कोई तय दिशा-निर्देश हैं?
  •  क्या आवंटन में तय दिशा-निर्देशों और प्रक्रिया का पालन किया गया?
  •  क्या दिशा-निर्देशों में कोई ऐसा तंत्र शामिल है जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि आवंटन में अनियमितताएं और पक्षपात न हो और आवंटन कुछ निजी कंपनियों के हाथों में न रह जाए?
  • क्या आवंटन से तय नीति का उद्देश्य पूरा हुआ?
  •  वे कौन सी बाधाएं थीं जिनके कारण नीलामी के जरिये कोयला खदानों के आवंटन की 2004 की नीति का पालन नहीं किया गया?
  •  आवंटन की शर्तो का पालन न करने वालों के खिलाफ क्या कार्रवाई प्रस्तावित है?
न्यायमूर्ति आरएम लोढ़ा और एआर दवे की पीठ ने वकील मनोहर लाल शर्मा की याचिका पर सरकार से आठ सप्ताह में जवाब मांगा है. याचिका में कोयला खदान आवंटन में अनियमितताओं का आरोप लगाया गया है. कोर्ट ने सरकार से यह भी पूछा है कि जिन लोगों ने शर्तो का उल्लंघन किया उनके खिलाफ क्या कार्रवाई हो रही है और वे क्या बाधाएं थीं, जिनके चलते नीलामी के जरिये आवंटन करने की 2004 की नीति का पालन नहीं किया गया. सुप्रीम कोर्ट की ओर से उठाए गए सवाल संप्रग सरकार के लिए बड़ी फजीहत का सबब बन सकते हैं. सरकार पहले ही विपक्षी दलों के सवालों का संतोषप्रद जवाब नहीं दे पा रही है.
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी जानना चाहा है कि ऐसा कैसे संभव हुआ कि अधिकांश कोल ब्लॉक्स हासिल करने वाली कम्पनियों से कोई ना कोई राजनेता या उसका रिश्तेदार जुड़ा है.
हालाँकि सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल आर नरीमन ने दलील दी कि याचिका कैग रिपोर्ट पर आधारित है, ऐसे में इस पर फिलहाल सुनवाई नहीं होनी चाहिए क्योंकि कैग रिपोर्ट पर अभी लोक लेखा समिति [पीएसी] विचार करेगी. पीठ ने उनकी दलील यह कहते हुए दरकिनार कर दी कि पीएसी की कार्यवाही और कोर्ट की सुनवाई में अंतर है. हम पीएसी या संसद के कार्यक्षेत्र में हस्तक्षेप नहीं कर रहे. कोर्ट ने कहा, ‘हम कैग रिपोर्ट की सत्यता नहीं परख रहे. हो सकता है कि कैग की रिपोर्ट अंतिम न हो. लेकिन, कैग एक संवैधानिक संस्था है और उसकी रिपोर्ट का महत्व है.’
नरीमन ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि इसमें विभिन्न कानूनों के उल्लंघन की बात कहते हुए दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है. जबकि, इस मामले की जांच पहले ही सीबीआइ को सौंपी जा चुकी है. इस पर पीठ ने कहा, याचिका के दो पहलू हैं. आपराधिक पहलू पर हम फिलहाल विचार नहीं कर रहे क्योंकि उसकी जांच सीबीआइ कर रही है. आगे अगर जरूरत पड़ी तो उस पर विचार करेंगे. अभी तो हम 194 कोयला ब्लाकों के आवंटन पर विचार कर रहे हैं. देखेंगे कि तय प्रक्रिया और दिशा-निर्देशों का पालन हुआ है कि नहीं.
(जागरण)
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