Thursday, July 16, 2015

"आँखों में धुल झोंको !और ऐश करो !! यही आज का तक़ाज़ा है जी " !!??-पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक) मो. न. - 9414657511

कोई ज़माना था सतयुग का , जब लोग तपस्या करके तुरंत भगवान से वर प्राप्त कर लिया करते थे !और फिर अपना जीवन आनंद से गुज़ार देते थे !फिर ज़माना बदला, राक्षस लोग आ गए ! उन्होंने तपस्या करके तुरंत वरदान प्राप्त करके अत्याचार करना शुरू कर दिया ,तो भगवान परेशान होने लगे ! ब्रह्मा और शिव जी जैसे भोले भण्डारी उन राक्षसों के जाल में आसानी से फंसने लगे !
                                     फिर त्रेता आया , भगवान तरह-तरह के अवतार लेकर ताक़त का दुरपयोग करने वाले राक्षसों का उद्धार करने लगे ! देवताओं को कई बार राक्षसों के चुंगल से भगवान विष्णु ने " मोहिनी" रूप धर के बचाया !यानी स्त्री प्रेम करने की भावना का नाज़ायज़ फायदा उठाना सिखाया !इस दौरान इंद्र के सिंघासन पर कब्ज़ा कर शासन करने की लालसा भी जग चुकी थी ! इंद्र भी अपनी गद्दी को बचाने हेतु प्रयासरत लोगों को बरगलाने हेतु अप्सराओं को भेजा करता था !
                            फिर द्वापर युग आया जिसमे भगवान कृष्ण ने अपनी लीलाएं दिखायीं जन्म से बचपन , बचपन से जवाानी और फिर जवानी से अवतार की उम्र के अंत तक भगवान श्री कृष्ण ने अपनी 16 कलाएं ना केवल दिखा दीं बल्कि लोगों को सीखा भी दीं !जिनमे गद्दारी, मक्कारी , राजनीती, कूटनीति,प्रेम प्यार, युद्ध, जीवन आदर्श और रासलीला-बाललीला मुख्य थीं !झूठ में सच मिला कर बोलना ,  विश्वास में धोखा मिलाकर मारना और ऊँगली टेढ़ी करके घी निकलना भी भगवान श्री कृष्ण ने ही हमें सिखाया !
                                   अब कलयुग आधा आकर चला गया है और आधा अभी और आना बाकी है ! आज जोकुछ भी देख सुन कर हम लोग परेशान हुए जा रहे हैं , आगे आने वाले समय में तो और भी अन्याय होंगे और भी क्रूर अपराध होंगे जी !तब क्या होगा ??आज हम देख रहे हैं कि चाहे कोई भी क्षेत्र हो जीवन का सब जगह एक ही फार्मूला चल रहा है कि सामने वाले की आँखों में धुल झोंको और ऐश करो !
                        कल हमारे नगर सूरतगढ़ में राहुल गांधी जी आये ! जी हाँ वही राहुल गांधी जी , जो 56 दिनों की छुट्टी पर जाकर ना जाने कौन-कौन से सबक सीख कर आये हैं सी-सी-सी-सी-$$$$करके !यहां अपने कार्यकर्ताओं को कह गए कि जो भी कार्यकर्त्ता जनहित हेतु सड़क पर ज्यादा उतरेगा , वो ही आगे चल कर शासन  हिस्सेदार या दावेदार बनेगा !अब कोई उनसे पूछे कि राहुल जी आगामी प्रधानमंत्री का पद तो आप देने से रहे ,चाहे कोई कितनी भी मेहनत करले क्यों ?बस जी !!"आँखों में धुल झोंको !और ऐश करो !! यही आज का तक़ाज़ा है जी " !!??
                    बाद में कहदेंगे कि मैं तो मज़ाक कर रहा था तो भला हम उनका क्या बिगाड़ लेंगे ??अन्ना हज़ारे जी को तो आपने अभी तलक कुछ बनाया नहीं है आपने , वो भी तो आपके "विशेष" कार्यकर्त्ता हैं राहुल जी !!???
                            आपका क्या कहना है मित्रो ! आप अपने अनमोल विचारों को मेरे ब्लॉग पर आकर लिखने का कष्ट अवश्य करें ! और अगर आपको मेरे ये विचार पसंद आएं तो इस लेख को शेयर भी करें ! सधन्यवाद !
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आपका अपना - पीताम्बर दत्त शर्मा -(लेखक-विश्लेषक), मोबाईल नंबर - 9414657511 , सूरतगढ़,पिनकोड -335804 ,जिला श्री गंगानगर , राजस्थान ,भारत !

Tuesday, July 14, 2015

माननीय नेता जी ! मैं "गधा" जाती से हूँ ,हमारी भी संख्या करोड़ों में है !- पीताम्बर दत्त शर्मा ( लेखक-विश्लेषक) - 9414657511

कल भाजपा के अध्यक्ष जी ने कहा कि भजपा ने पहला obc.प्रधानमंत्री और सबसे ज्यादा मुख्यमंत्री इस देश को दिए हैं ! माननीय नेता जी ने शायद ये बयान बिहार और उत्तर प्रदेश के भविष्य के चुनावों के मद्देनज़र दिया है !उन्होंने सोचा होगा कि obc.जाती के वोटरों की गिनती इन प्रदेशों में ज्यादा है !इससे वो सब खुश हो जायेंगे और इस तरह उन्हें ज्यादा वोट मिल जायेंगे ! ऐसे तो नेता जी देश में गधों की भी संख्या बहुत ज्यादा है  !  तो क्या आप उनको भी वोटर बना  देंेगे ? उनमे से भी किसी को इस देश का प्रधानमंत्री बना दोगे ??किसी भी पद को पाने का अधिकारी सिर्फ वो होता है जो उस पद के अनुसार ज्ञान रखता हो या उस पद के समकक्ष कोई डिग्री धारक हो ! कोई रंग,जाती,या धर्म देख कर किसी को चपड़ासी भी बनाया जा सकता है क्या ??
                         लेकिन अमित जी आपको शायद ये आभास नहीं रहा कि आप उस भाजपा के माननीय अध्यक्ष हैं जिसका एक अदना सा कार्यकर्त्ता बड़े से बड़े नेता के भी गलत होने पर कान तक मरोड़ देता है !इतना लोकतंत्र है हमारी भाजपा में ! पिछले कुछ समय से पार्टी को एक कम्पनी बनाने हेतु प्रयास चल रहे हैं ! जिनको कामयाब नहीं होने दिया जायेगा ! ये जो हर छोटे बड़े काम हेतु फार्मूला चल रहा है ना कि स्टेज लगाओ,माला पहनो-पहनाओ स्वागत करवाओ और भाषण पिलाओ और चल दो ! बाकी का काम अगले दिन मीडिया कर देगा उनको भी नाश्ता करा दो !ये सब बंद हो जायेगा जल्दी ही ! बता देता हूँ आपको !ईमानदारी से सब हेतु काम करना पड़ेगा !पैसे का हिसाब देना पडेगा ! और चंदे को किफ़ायत से खर्च करना पडेगा ! 
                      देश के आजाद होने पर भारत के संविधान-निर्माताओं ने पिछड़े लोगों के उथ्थान हेतु चंद वर्षों के लिए आरक्षण का फार्मूला सुझाया था लेकिन विश्वनाथ प्रताप सिंह जी ने मंडल का कमंडल ऐसा खोला की सब वोट बैंक की आस में आरक्षण देते ही चले गए ! और ये इस हद तक बढ़ गया कि ये देश हेतु कैंसर बन गया ! दान करने वाले महान भारतीय आज दान लेने वाले हो गए !पहले तो कांग्रेस और समाजवादी लोग जातिवाद भड़काते थे तो भाजपा और इसके साथी दल विरोध किया करते थे चाहे वो दिखावटी ही था !
                              लेकिन अमित जी ने ये बयान पार्टी के मंच से देकर बहुत बड़ी गलती कर दी है ! जनता अब उन्हें 25 साल तो क्या अगले 5 साल शासन करने हेतु देने में ही कत्राएगी ! और हम जैसे भाजपा के कार्यकर्त्ता तो भाजपा के सभी स्तर के उम्मीदवारों को हरगिज़ भी जिताने में पार्टी की कोई मदद नहीं करेंगे !और ये संभव भी नहीं है !
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Monday, July 13, 2015

अपनी अपनी डफली और अपना अपना राग है देश-जनता जाये भाड़ में !! - पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक)- मो. न. - 9414657511

अन्ना जी कहते थे की संविधान में राजनितिक दलों का कोई स्थान नहीं हैं और अलगअलग विचारधारा वाले दलों का गठबंधन तो ऐसे है जैसे भारतीय गणतंत्र के साथ कोई " गैंग-रेप "कर रहा हो ! जो जीत जाएँ वो अपना नेता चुने और फिर देश या प्रदेश चलायें !
                 उधर केजरीवाल जी और उनके शिष्य फर्मा रहे हैं कि हम तो जनमत करवाएंगे हर काम करने से पहले ! इस पर भाजपा और कांग्रेस दोनों मिलकर" वैन "करने लगे कि ऐसा भी संविधान में लिखा नहीं है ! कोई इनसे पूछने वाला हो कि तुम जो वोट लेने हेतु कभी बिजली मुफ्त तो कभी चावल मुफ्त बांटते फिरते हो , वो क्या संविधान में लिखा है ??कोटे और सब्सिडियाँ बांटना क्या संविधान में लिखा है ?? और ये आरक्षण के नाम पे , धर्म-निरपेक्षता के नाम पे जो नंगा-नाच हो रहा है वो क्या किसी संविधान में लिखा है ??
                              हर पांच महीने बाद चुनाव करवाना क्या संविधान में लिखा था ! बेचारे युवाओं को तरह-तरह के टेस्टों में उलझना क्या संविधान में लिखा है ?? देश के अमीरों को व्यापार में राहतें देना क्या संविधान में लिखा था ! लेकिन आपने मिलजुल कर संविधान में ऐसे संशोधन कर लिए जिनसे सारी बागडोर इन दगाबाज नेताओं के हाथों में ही आ गयी ! 
                       अब तो ये हाल हो गया है कि इस देश का कोई भी राजा बने उसने इस देश की जनता को ही काटना है ! हमें ही हानि होनी है जी !!कांग्रेस ने देश को धन से खोखला कर दिया है तो वामपंथियों और उनके " कुकरमुत्तों " ने भारत को उसकी संस्कृति से ही विमुख कर दिया है !बाकियों ने तो ऐसी दुकानें खोल रख्खीं हैं की ये उस दूकान में कुछ भी बेचने को तैयार हो जाएंगे !
                          तो फिर क्या  किया जाए ??? ये बड़ा प्रश्न है देश की जनता के सामने ! क्या एकबार फिर से भारत में आपातकाल लगे और देश का ओवर-हाल किया या करवाया जाए ??आज सबसे ज्यादा विश्वसनीय नेता कोई भारत में है तो वो मोदी जी हैं !जनता का विश्वास इनपर कायम है ! लेकिन हम देख रहे हैं कि जैसा और जिस स्पीड से वो देश हित के कार्य करना या करवाना चाहते हैं ,कर नहीं पा रहे हैं ! कई तरह की अंदरुनी और बाहरी शक्तियां इसमें बाधक हो रही हैं ! तो क्या मोदी जी को ही एक बार फिर देश में आपातकाल लगाना पडेगा ?? 
                         मैं कहता हूँ क्या दिक्कत है हमें ?? हम अपना ऑपरेशन करवाने हेतु डॉक्टर को भी  शरीर सौंप देते हैं ? तो अगर देश को एक ऑपरेशन की आवश्यकता है तो क्यों नहीं इलाज हेतु एक वर्ष हेतु आपातकाल लगाकर सभी सिस्टम को दुरुस्त कर लिया जाए ! रोज़ रोज़ के झटके खाने से तो बेहतर ही होगा ?? क्यों देश वासियो !! आपका क्या कहना है इस बारे में !? आइये ओ हमारे ब्लॉग पर आकर अपने अनमोल विचारों को लिखिए ! आपकी बड़ी कृपा होगी जी ! आपको अगर ये विषय पसंद आया हो तो इसे  मित्रों में अवश्य शेयर कीजियेगा !धन्यवाद !

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Friday, July 10, 2015

मौसम - मौसम !! ये लवली मौसम .........!!! जो मस्त ना हो सके ,वो अभागा है !!- पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक) - 9414657511

जी हाँ !! पाठक मित्रो !! आजकल पूरे भारत पर काले-घने बादल बड़े मेहरबान हो रहे हैं !मरुस्थल में भी ऐसा लगता है जैसे बहार आ गयी हो !! गांव के बच्चे युवा - युवतियां,नए ब्याहे हुए लोग और हमारे जैसे बूढ़े भी आनन्दित हुए जा रहे हैं !ठंडी-ठंडी फुहारों के बीच तेज़ चलती हवाएँ मन में एक नयी आशा जगाती जाती हैं कि  हे !! मानव !! छोटे-छोटे दुखों से परेशान मत होवो ,अभी परमात्मा की प्रकृति आपको सुख प्रदान करने के लिए दयालु भाव से आनंद की धारा बहा रही है !!
                          शायर और कवियों को तो अपनी रचनाएँ रचने हेतु जैसे ऐसे ही समय का इंतज़ार रहता है !उनकी कलम नए-नए शेयर लिखती ही जाती है !कौन क्या - क्या करता-कहता है इस मौसम में ये तो मैं नहीं बताऊंगा ! लेकिन एक विशेष खुशबु वातावरण में फैली हुई है जो सबको मस्त कर रही है !
                          किशोर जी का एक गीत याद आ रहा है मुझे वो यूूँ है कि .....शोखियों में घोल जाए फूलों का शबाब , उसमें फिर मिला दी जाए थोड़ी सी शराब !! होगा यूूँ नशा जो तैयार वो प्यार है !!जी हाँ !! प्यार हेतु ये ये सब अति आवश्यक हैं !अन्यथा प्यार करने में मज़ा ही नहीं आता जी !!
                        पुरानी शायरी और पुराने फ़िल्मी गीत आज भी हमारी भावनाएं जगाने में अति सहायक सिद्ध होते हैं ! इतने कि अंग्रेजों की पोर्न फ़िल्में भी इनके सामने पानी भरतीं हैं !ये मैंने इसलिए लिखा क्योंकि सरकार हमारी पोर्न फ़िल्में भारत में देखना-दिखाना बंद करवाना चाहती है लेकिन हमारे सर्वोच्च न्यायालय ने इसे ये कहकर नक्कार दिया की ये मौलिक अधिकारों का हनन होगा ! 
                     अब बताइये मित्रो !! क्या होगा इस देश का ??? भाइयो या तो आप एक हिंदुस्तानी बन जाओ या फिर आप अँगरेज़ बन जाइए !!लेकिन नहीं जी हमारे झूठे सेकुलर लोग शोर मचाने लग जाते हैं कि जिसको  नहीं देखना वो टीवी का बटन बंद कर दे और जिसको देखना है वो देखे ! ये काम बड़े तो शायद कर सकते हैं लेकिन अबोध युवा कैसे करेंगे वो तो नेट पर यही देखते रहते हैं ! और मानसिक और शारीरिक रूप से भटकते रहते हैं ! कितनों का भविष्य धूमिल हो चूका है और न जाने कितने अपने प्राण गवां चुके हैं !
                      हमें गहराईयों से सोचकर कुछ करना ही पड़ेगा !आप इस चित्र का आनद लीजिये जी !

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Tuesday, July 7, 2015

चाह नहीं मुझे कि मैं घोटालों पर लिखता जाऊं ! ..............!!! - पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक) मो. न. - 9414657511

भारत के प्रसिद्ध कवि श्री माखन लाल चतुर्वेदी जी की वो प्यारी सी कविता याद आ गयी जिसमें वो एक पुष्प की अभिलाषा को जाहिर करते हैं ! बचपन में भी पढ़कर ऐसा लगता था जैसे उन्होंने सच में पुष्प के मन की बात ही लिख दी हो !
                     

पुष्प की अभिलाषा  - माखनलाल चतुर्वेदी 

चाह नहीं मैं सुरबाला के
गहनों में गूँथा जाऊँ,

चाह नहीं प्रेमी-माला में
बिंध प्यारी को ललचाऊँ,

चाह नहीं, सम्राटों के शव
पर, हे हरि, डाला जाऊँ

चाह नहीं, देवों के शिर पर,
चढ़ूँ भाग्य पर इठलाऊँ!

मुझे तोड़ लेना वनमाली!
उस पथ पर देना तुम फेंक,

मातृभूमि पर शीश चढ़ाने
जिस पथ जावें वीर अनेक।
                     ठीक उसी तरह आज जब मैं अपना लेख लिखने बैठा हूँ तो विश्वास कीजिये मुझे घण्टों तलक अपनी "चाह" का ही पता नहीं चला कि मैं किस विषय पर अपने विचार आपके साथ सांझे करुं  ??
आज कल "व्यापम" की बहुत चर्चा है ! इस से पहले ना जाने कितने घोटाले हो चुके हैं , इन सब पर ना जाने कितनी बार कितनों के द्वारा लिखा जा चुका है ! इसलिए इस विषय पर भी लिखने की "चाह"नहीं हो रही है जी !क्योंकि पैसे के बल पर ना जाने कितने लोग डाक्टरी की पढ़ाई पढ़ने हेतु पुरे देश में प्रवेश पा चुके हैं !वो सब हमारा "इलाज"भी कर रहे हैं ! और अगर इस विषय के साथ जो मौतें हो रही हैं उनपर लिखने की सोचूं तो भी मन नहीं मान रहा है जी , क्योंकि पैसे वालों ने अपनी जान बचाने हेतु ना जाने आज से पहले पूरे देश में कितने लोगों को मारा या मरवाया है !
                       फिर सोचा धार्मिक उन्माद पर, देश के इतिहास ,जातिवाद और प्रदेशों में होने वाले चुनावों पर लिखूं ! लेकिन पता नहीं क्यों आज मन ने हामी ही नहीं भरी जी !  राजनितिक दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं के संबंधों में आ रहे खोखलेपन पर लिखुँ लेकिन "चाह"यानिकि इच्छा ही नहीं हो रही ! तो फिर क्या लेख लिखना बंद कर दूँ ?? नहीं जी ! जिस प्रकार माखन लाल चतुर्वेदी जी ने अपनी कविता के अंत में पुष्प की चाह को वर्णित सच्चाई से किया था ,उसी तरह से मुझे भी एक लेखक के मन की सच्चाई को बताना ही होगा कि वो आजकल किस विषय पर लिखना चाहता है ?
                             मेरे ज्ञानानुसार एक लेखक केवल उस विषय पर लिखना चाहता है , जिस विषय पर लिखने से मानव-जाति का उद्धार हो सके , कल्याण हो सके जी !और वो विषय ये है कि मनुष्य के बारे में लिखना जैसे इसकी उत्पत्ति कैसे हुई , क्यों हुई , इसमें और जानवरों में क्या-क्या समानताएं हैं ? ऐसे कौन से कार्य हैं जिनको ये मनुष्य तो कर सकता है लेकिन कोई पशु नहीं कर सकता है ?ये मृत्यु के बाद कहाँ जाता है ? क्या फिर लौट के आता है ?? क्या पाप और पुण्य सच में होते हैं ? ये धर्म किस बला का नाम है ??प्रकृति का निर्माण किसके कहने से और क्यों हुआ है ? ये कब तक रहेगी ?आदि आदि ! आप भी सोचिये की आखिर आपका मन क्या चाहता है ?? फिर मुझे अवश्य बताइयेगा मेरे ब्लॉग में आकर , अपना अनमोल कॉमेंट लिख कर ! सधन्यवाद ! एकबार फिर नमस्कार !
                       
     
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Sunday, July 5, 2015

सभी नेता आजकल "स्वराज"ही तो कर रहे हैं जी !! यानिकि स्वयं का राज ???-पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक)-मो. न. - 9414657511

कोई गांधी जी का स्वराज चाहता है तो कोई आजकल राम-राज्य चाहता है !हर नेता के हर काम में इन दो सूत्रों का सहारा लेकर रोज़ाना आरोप-प्रत्यरोप लगाये जा रहे हैं ! क्या टीवी एंकर क्या प्रिंट मीडिया का पत्रकार रोज़ ऐसी कहानियाँ गढ़ता है कि आम-जन बस सोचता ही रह जाता है कि यार ये स्वराज और राम-राज्य आखिर है किस चिड़िया का नाम !किसने देखा है इन्हें ? किसने स्वाद चखा है इस स्वराज और राम-राज्य नामक झूठी मिठाई का ??कोई हमें क्यों ऐसे सपने दिखा रहा है जो पूरे ही नहीं हो सकते ???
                        पूरी रामायण हमने पढ़ ली जी ! ना तो महाराजा दशरथ सुखी थे , ना राम और ना हमारी सीता माता ! और तो और इसके अन्य पात्र भी जीवन भर किसी न किसी दुःख से दुखी ही रहे !सुग्रीव की पत्नी बाली के पास ,स्वरूपणखा शादी ना होने के कारण दुखी तो रावण एंड पार्टी सीता जी को ना अपना पाने के कारण से दुखी था ! तो हमें राम-राज्य क्यों चाहिए ?? महाराज बलि के राज में क्या कमी थी ??ऐसे और भी उदाहरण मिल जायेंगे ! बस किसी ने झूठे समाचारों में छाप-बोल दिया कि राम-राज्य अच्छा होता है तो हम चल दिए राम-राज्य पाने को !
                      दूसरा शब्द प्रचलित है " स्वराज" का ! इसकी भी बड़ी खूबियां समझदारों द्वारा बताई जाती हैं ! लेकिन वास्तविक जीवन में इसका भी कोई उदाहरण नहीं है की स्वराज बढ़िया होता है !गांधी जी ने तो स्वराज नाम की माला केवल इसलिए जपी थी क्योंकि उस समय देश पर अंग्रेज़ शासन कर रहे थे ! आज तो देश स्वतंत्र है तो फिर क्यों इसकी माला जपि जा रही है ?? आप पार्टी ने इसको बोल-बोल कर दिल्ली जीत ली , और जब वो स्वयं के रिश्तेदारों या स्वयं के मित्रों को लाखों रुपये के मासिक वेतन पर फिट करने लगे तो फिर शोर मचाया जाने लगा कि देखो जी ये गलत होरहा है !
                       बिहार में लालू जी ने राबड़ी जी को मुख्यमंत्री बनाकर स्वराज लाया था तो नितीश ने मांझी को लाकर स्वराज का  झंडा फहराया था ! हमारी कांग्रेस तो स्वराज की साक्षात मूर्ति है जी , उसने तो आजतक स्वयं के परिवार में ही राज करने की पावर रखकर देश का नाम पूरे विश्व में ऊँचा किया है जी ?? बोलो गांधी परिवार की जय !! 
                          हम तो हैं ही ऐसे जी स्वयं के भाई-बहन,माता-पिता ,दोस्त-पडोसी पर विश्वास नहीं करते बल्कि बड़ी कम्पनियों, सुन्दर मॉडलों और आकर्षक अभिनय करने वाले नेताओं पर विश्वास करके अपने घर से लेकर देश तक की चाबी उसके हाथ में सौंप देते हैं जी !हम स्वयं तो कुछ करना नहीं चाहते क्योंकि आलस्य हमारे ऊपर चढ़ा रहता है जीवन भर , तो हमारा राम नाम सत्य तो होना ही है जी ???
                           हम इतिहास की झूठी सच्ची कहानियों का आसरा लेकर और अपने शातिर दिमाग से नए-नए तर्क निकालकर अपना काम दूसरों पर डाल देते हैं और जब वो अपनी मनमर्ज़ी करता है तो हम पछताते हैं ! मित्रो  कहना है इस विषय पर अवश्य बताइयेगा  पर पधारकर - सधन्यवाद !
  
                 मित्रो !!"5TH PILLAR CORRUPTION KILLER",नामक ब्लॉग रोज़ाना अवश्य पढ़ें,जिसका लिंक -www.pitamberduttsharma.blogspot.com. है !इसे अपने मित्रों संग शेयर करें और अपने अनमोल विचार भी हमें अवश्य लिख कर भेजें !इसकी सामग्री आपको फेसबुक,गूगल+,पेज और कई ग्रुप्स में भी मिल जाएगी !इसे आप एक समाचार पत्र की तरह से ही पढ़ें !हमारी इ-मेल ईद ये है - pitamberdutt.sharma@gmail.com. f.b.id.-www.facebook.com/pitamberduttsharma.7 . आप का जीवन खुशियों से भरा रहे !इस ख़ुशी के अवसर पर आपको हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !!
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Thursday, July 2, 2015

"कांग्रेस के आडवाणी, श्री हंसराज भरद्वाज ने दिखाया कांग्रेस प्रवक्ताओं को आईना"- पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक)-9414657511

पाठक मित्रो ! जब से हमारे राहुल गांधी जी 56 दिनों का विदेश में अवकाश बिताकर आये हैं ,और उन्होंने सेकुलर ताकतों की नज़र में सरकार पर राजनितिक आक्रमण किये , उन्हें देख व उनसे उत्साहित होकर कांग्रेस के अन्य प्रवक्तागण पिछले 10 दिनों से रोज़ किसी  किसी विषय पर प्रेस कांफ्रेंस करके अनर्गल आरोप लगा रहे थे , उन सब पर आज श्री हंस राज ने पानी फेर दिया या यूं कहें कि कांग्रेस के गुबारे की हवा ही निकाल दी !
          किस्सा यूूँ है कि पिछले कई दिनों से कांग्रेस के आला-कमान में ही आगामी प्रधानमंत्री पद को लेकर एक जंग छिड़ी हुई है , जो केवल राजनीती के अनुभवी लोगों को बड़ी आसानी से दिखाई दे रही है ! जी हाँ ! आप सही समझ रहे हैं ! ये जंग सोनिया जी और राहुल जी के बीच में चल रही है !दोनों के समर्थक जनता में अपना-अपना महत्व दिखाना चाह रहे हैं ! इसीलिए अति-उत्साह में दोनों पक्ष यानि राहुल और सोनिया जी अपने आपको ज्यादा बड़ा और कारगार विपक्षी नेता होना जाता रहे हैं ! राहुल गांधी जी के साथ जहां 15-20 युवा साँसद हैं तो सोनिया जी के साथ कई बुज़ुर्ग नेता और दूसरे विपक्षी दलों के नेता हैं ! आपको राष्ट्रपति भवन तक विपक्ष का वो मार्च तो याद होगा,जिसमे सोनिया जी ने अपनी भरपूर ताक़त का प्रदर्शन किया था !
           अब कांग्रेस की मजबूरी ये है की वो ये भी चाहती है की उसकी ये लड़ाई बाहर ना दिखाई दे और वो अंदर ही अंदर अपने दोनों नेताओं को तोलना भी चाहती है ! कांग्रेस देखना चाहती है कि सोनिया और राहुल जी में कौन सा नेता उन्हें अगले आम चुनावों में जिता पायेगा ??हालांकि परिवार ने समझोता करवाने का भरपूर प्रयास भी किया लेकिन अभी तलक दोनों किसी मान्य स्थिति तक नहीं पँहुचें हैं !
              इसीलिए माननीय हंसराज भारद्वाज जी ने आज वो कह दिया जो देश के बड़े-बड़े पत्रकार नहीं कह पाये !जबकि देश में चल रहे फ़र्ज़ी ड्रामों के बारे में मीडिया को ना केवल बोलना चाहिए था बल्कि इसे रोकने के प्रयास भी करने चाहिए थे !लेकिन देश का दुर्भाग्य ये है की हमारा मीडिया तो दुकानदार बन गया है और मित्रो दूकान दार तो स्वर्ग में भी अपनी दूकान चलाना चाहता है !
          दरअसल समय आ है कि कांग्रेस इन फ़र्ज़ी और पीढ़ी-दर-पीढ़ी के बोझ को उतार फेंके और हंसराज भरद्वाज जैसे अनुभवी नेताओं को अपनी कमान सौंपे ! ताकि देश का भला हो सके !

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"निराशा से आशा की ओर चल अब मन " ! पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक)

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