Saturday, August 27, 2016

"कारोबार !! समस्याओं का" !!? - पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक) मो.न. +9414657511

जी हाँ , मित्रो !! आप बिलकुल सही पढ़ रहे हैं ! जहां आजकल हर उस कारोबार में भारी मन्दी छायी हुई है जो पूर्व में प्रचलित हैं ! लेकिन एक नया कारोबार बहुत बढ़िया चल निकल है जिसका नाम है , "समस्या"पैदा करो और अपनी "रोटी"कमाओ ! "आधुनिकता और स्वार्थ " की देन है,ये आज का  नया व्यवसाय !!जो जितना "कमीना" होगा वो उतना  ज्यादा फायदा इसमें उठाएगा "जी"! इस कारोबार को पहले अफसरों ने अपनाया,फिर ये "धंधा"नेताओं और ठेकेदारों के पास पहुंचा और अब ये हर चतुर और ढीठ आदमी का मन-पसन्द व्यपार है !
               माननीय केजरीवाल जी एवम उनके सहयोगी इस धंधे के गोल्ड मेडलिस्ट हैं ,झूठे समाजसेवी संगठन और आधुनिक क्लासिफाइड पत्रकार भी इस कार्य में निपुण हैं "जी" !!आप ज़रा भारत में पिछले 10 वर्षों से घट रहे "घटनाक्रमों"की और ध्यान दीजिये ! तो आप पाएंगे कि हर सप्ताह देश में कोई ना कोई ऐसा "घट"जाता है जो "असम्भव"सा लगता है ,लेकिन हमारा मीडिया उसे अपनी आमदनी अनुसार उसे इतना "खेंचता"है कि मानों विश्व में उसके सिवाय कुछभी घटा नहीं और उससे ज्यादा कुछ महत्वपूर्ण भी नहीं है !लेकिन एक  ख़ास वक़्त बाद कोई दूसरा काण्ड हो जाता है !
              गोधराकांड से शुरू हो जाइये और काश्मीर समस्या से लेकर कन्याकुमारी तक की समस्याएं कुछ ऐसी ही लगती हैं बनावटी सीं !!जिनके पीछे सचमुच की "गंभीर"बातें क्या अच्छी क्या बुरी छिप जाती हैं "जी"!!सभी उन लोगों को बड़ा ही चौकस रहना होगा ,जो भारत को "चलाने वाले,रक्षक,ग्यानी और देश भक्त" लोग हैं !! बाकि तो भगवान ही मालिक है जी ! 
                 जय - हिन्द !! जय भारत ! वन्दे मातरम !
प्रिय मित्रो !सादर नमस्कार !कुशलता के आदान-प्रदान पश्चात जिन भी मित्रों का आज जन्म-दिन या विवाह दिवस है , उनको मेरी तरफ से हार्दिक बधाई और शुभ कामनाएं !आप अपने ब्लॉग "फिफ्थ पिल्लर करप्शन किल्लर"को बहुत पसंद कर रहे हैं,रोज़ाना इसमें प्रकाशित लेखों को पढ़ कर शेयर करते हैं ,उन पर अपने अनमोल कॉमेंट्स भी देते हैं !उस सब के लिए भी आपका हार्दिक आभार प्रस्तुत करता हूँ !इस ब्लॉग का लिंक ये है - www.pitamberduttsharma.blogspot.com 
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Friday, August 26, 2016

अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरम् ........।

अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरम् ।
हृदयं मधुरं गमनं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥१॥
(हे कृष्ण !) आपके होंठ मधुर हैं, आपका मुख मधुर है, आपकी ऑंखें मधुर हैं, आपकी मुस्कान मधुर है, आपका हृदय मधुर है, आपकी चाल मधुर है, मधुरता के ईश हे श्रीकृष्ण! आपका सब कुछ मधुर है ॥१॥ 

वचनं मधुरं चरितं मधुरं वसनं मधुरं वलितं मधुरम् ।
चलितं मधुरं भ्रमितं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥२॥आपका बोलना मधुर है, आपके चरित्र मधुर हैं, आपके वस्त्र मधुर हैं, आपका तिरछा खड़ा होना मधुर है, आपका चलना मधुर है, आपका घूमना मधुर है, मधुरता के ईश हे श्रीकृष्ण! आपका सब कुछ मधुर है ॥२॥ 

वेणुर्मधुरो रेणुर्मधुरः पाणिर्मधुरः पादौ मधुरौ ।
नृत्यं मधुरं सख्यं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥३॥आपकी बांसुरी मधुर है, आपके लगाये हुए पुष्प मधुर हैं, आपके हाथ मधुर हैं, आपके चरण मधुर हैं , आपका नृत्य मधुर है, आपकी मित्रता मधुर है, मधुरता के ईश हे श्रीकृष्ण! आपका सब कुछ मधुर है।

गीतं मधुरं पीतं मधुरं भुक्तं मधुरं सुप्तं मधुरम् ।
रूपं मधुरं तिलकं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥४॥
आपके गीत मधुर हैं, आपका पीना मधुर है, आपका खाना मधुर है, आपका सोना मधुर है, आपका रूप मधुर है, आपका टीका मधुर है, मधुरता के ईश हे श्रीकृष्ण! आपका सब कुछ मधुर है ॥४॥

करणं मधुरं तरणं मधुरं हरणं मधुरं रमणं मधुरम् ।
वमितं मधुरं शमितं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥५॥आपके कार्य मधुर हैं, आपका तैरना मधुर है, आपका चोरी करना मधुर है, आपका प्यार करना मधुर है, आपके शब्द मधुर हैं, आपका शांत रहना मधुर है, मधुरता के ईश हे श्रीकृष्ण! आपका सब कुछ मधुर है ॥५॥ 

गुञ्जा मधुरा माला मधुरा यमुना मधुरा वीची मधुरा ।
सलिलं मधुरं कमलं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥६॥आपकी घुंघची मधुर है, आपकी माला मधुर है, आपकी यमुना मधुर है, उसकी लहरें मधुर हैं, उसका पानी मधुर है, उसके कमल मधुर हैं, मधुरता के ईश हे श्रीकृष्ण! आपका सब कुछ मधुर है ॥६॥ 

गोपी मधुरा लीला मधुरा युक्तं मधुरं मुक्तं मधुरम् ।
दृष्टं मधुरं शिष्टं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥७॥आपकी गोपियाँ मधुर हैं, आपकी लीला मधुर है, आप उनके साथ मधुर हैं, आप उनके बिना मधुर हैं, आपका देखना मधुर है, आपकी शिष्टता मधुर है, मधुरता के ईश हे श्रीकृष्ण! आपका सब कुछ मधुर है ॥७॥ 

गोपा मधुरा गावो मधुरा यष्टिर्मधुरा सृष्टिर्मधुरा ।
दलितं मधुरं फलितं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥८॥आपके गोप मधुर हैं, आपकी गायें मधुर हैं, आपकी छड़ी मधुर है, आपकी सृष्टि मधुर है, आपका विनाश करना मधुर है, आपका वर देना मधुर है, मधुरता के ईश हे श्रीकृष्ण! आपका सब कुछ मधुर है ॥८॥
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इधर सभी गोविंदा दही हांडी फोड़ रहे हैं और उधर
जज साहब इंची टेप ले कर जोड़ धटाव जोड़ रहे हैं....

अगर जज साहब से बच भी गए अभिव्यक्ति की आजादी वाला मिडिया से तो....... गैरेंटी है कहीं भी एक इंची भी उंचा हुआ तो खबर prime time पर होगी आपकी तस्वीरों के साथ।पर ये भी ना भूलें कृष्ण जी का जन्म भी कारावास मे ही हुआ था ।

कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं !!
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 जय - हिन्द !! जय भारत ! वन्दे मातरम !
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Monday, August 22, 2016

"सकरात्मक सोच वाला बनना चाहता हूँ लेकिन "...... ???

रिश्तेदार,दोस्त,पडोसी,अफसर,पोलिस,न्याय-व्यवस्था वाले,शिक्षक,सन्त,महिलाएं,पुरुष और  नेता गन इतने "तेज़"हो गए हैं कि मैं चाहते हुए भी सकरात्मक सोच वाला बन नहीं पा रहा हूँ ! सच मानिये मित्रो ! मैं हर सुबह को सूर्य भगवान से हाथ जोड़ कर प्रार्थना करता हूँ कि हे साक्षात देवता ! सत्य के प्रतीक दिनकर जी ! कृपा करके आज से मुझे उन व्यक्तियों से ही मिलवाइए जो विश्वास पात्र हों !ताकि मैं "सकरात्मक"सोच के साथ अपना जीवन व्यतीत कर सकूं !
                                लेकिन कुछ ना कुछ ऐसा घट ही जाता है जिसके कारण से मैं नाकारात्मक सोच वाला फिर से हो जाता हूँ !शायद मेरे मन-मस्तिष्क में ही कुछ कमी होगी ऐसा सोच कर मैं हर रात्रि को सो जाता हूँ !लेकिन जैसे ही मैं प्रातः समाचार पत्र पढ़ना शुरू करता हूँ , वैसे ही आभास होने लगता है कि "ये दुनिया,ये महफ़िल मेरे काम की नहीं ....मेरे काम की नहीं !!!अब मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है मित्रो ! अकेला तो जीवन व्यतीत कर नहीं सकता ना !इसलिए चाहे कोई जैसा भी है उसे रहना तो इसी व्यवस्था में है ना !ना जाने कितने आधुनिक सोच वाले  पढ़े-लिखे विशेषज्ञ आदि आये और चले गए , लेकिन हम इतने बदलावों के बाद भी नहीं बदले !!शोले वाले असरानी जेलर साहिब की तरह !
                       आजकल क्या लेखक क्या कवि , क्या अध्यापक क्या इतिहासकार क्या शिक्षक क्या सन्त और पत्रकार , जिनपर समाज को सुधरने की एक जिम्मेदारी होती है , जिन्होंने गलत और सही बताना होता है !वो ही सभी के सभी किसी ना किसी राजनितिक दल से जुड़ कर ग़ुड गोबर किये जा रहे हैं !! कोई करे भी तो क्या ??आप ही बताइये मित्रो कि मैं किधर जाऊं ?????
                 जय - हिन्द !! जय भारत ! वन्दे मातरम !
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Saturday, August 13, 2016

दे सलामी इस तिरंगे को जिस से तेरी शान हैं !! -पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक)

मुकम्मल है इबादत और मैं वतन ईमान रखता हूँ,
वतन के शान की खातिर हथेली पे जान रखता हूँ !!
क्यु पढ़ते हो मेरी आँखों में नक्शा पाकिस्तान का ,
मुस्लमान ..हूँ मैं सच्चा, दिल में हिंदुस्तान रखता हूँ !!

हिंदुस्तान ज़िंदाबाद, ...जय हिन्द, जय भारत
==============================
संस्कार और संस्कृति की शान मिले ऐसे,
हिन्दू मुस्लिम और हिंदुस्तान मिले ऐसे
हम मिलजुल के रहे ऐसे की
मंदिर में अल्लाह और मस्जिद... में राम मिले जैसे.


================================
दे सलामी इस तिरंगे को
जिस से तेरी शान हैं,
सर हमेशा ऊँचा रखना इसका
जब तक दिल में जान हैं....
==============================
गंगा यमुना यहाँ नर्मदा,
मंदिर मस्जिद के संग गिरजा,
शांति प्रेम की देता.. शिक्षा,
मेरा भारत सदा सर्वदा.
===============================
ज़माने भर में मिलते हे आशिक कई ,
मगर वतन से खूबसूरत ...कोई सनम नहीं होता ,
नोटों में भी लिपट कर, सोने में सिमटकर मरे हे कई ,
मगर तिरंगे से खूबसूरत कोई कफ़न नहीं होता


====================================
मैं भारत बरस का हरदम... अमित सम्मान करता हूँ
यहाँ की चांदनी मिट्टी का ही गुणगान करता हूँ,
मुझे चिंता नहीं है स्वर्ग जाकर मोक्ष पाने की,
तिरंगा हो कफ़न मेरा, बस यही अरमान रखता हूँ।
====================================
ज़माने भर में मिलते हे... आशिक कई ,
मगर वतन से खूबसूरत कोई सनम नहीं होता ,
नोटों में भी लिपट कर, सोने में सिमटकर मरे हे कई ,
मगर तिरंगे से खूबसूरत कोई कफ़न नहीं होता
 जय - हिन्द !! जय भारत ! वन्दे मातरम !
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Wednesday, August 10, 2016

"कली को छोड़ो,काश्मीर के काँटों की ओर ध्यान दो"! - पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक) मो.न. +9414657511

आज संसद में काश्मीर पर चर्चा हो रही है ! इसके द्वारा विपक्ष के वो नेता अपना महत्व विश्व के सामने बढ़वाना चाहते हैं जिनको भारत की जनता ने नकार दिया है ! कोई कह रहा है कि मेरे मुख्यमंत्री रहते हुए काश्मीर में इतना काम हुआ तो कोई पूर्व प्रधानमंत्रियों मनमोहन सिंह और अटल जी के कार्यों को याद कर रहा था !लेकिन किसी भी विपक्षी नेता ने यह नहीं बताया कि सर्वदलीय कमेटियों के सुझावों को upa सरकार पूरा क्यों नहीं कर पायी ?ये नेता अब एकबार फिर से उग्रवादियों से बातचीत की मांग उठाना चाह रहे हैं ताकि मौजूदा सरकार भी उन्हीं उलझनों में फंस कर रह जाए जिनमे पूर्व सरकारें फंसी रहीं !
                  कोंग्रेस और बहुजन समाजवादी पार्टी के सांसद तो अपनी रोटियां सेकते ही नज़र आये उनको समस्या से कोई सरोकार या गंभीरता से लेने की ज़रूरत महसूस नहीं हुई ऐसा उनके भाषणों से मुझे लगा !काश्मीर से आये हुए सांसदों ने समस्या की गहराइयों में जाने का  किया लेकिन कोई पुख्ता हल वो भी नहीं सूझा पाए !सभी दल केवल प्लेटगन को बन्द करवाने,अलगाववादियों से बात करने पत्थरबाज़ युवाओं हेतु करोड़ों का बजट देने की बात करते ही दिखाई दिए !जबकि जबसे भारत आजाद हुआ है तभी से और प्रदेशों से ज्यादा धन वहाँ खर्च हो रहा है !किसी ने भी पकिस्तान से सख्ती से निपटने की इज़ाजत सरकार को नहीं दी !जबकि पाकिस्तान बुरहानवानी को अपना हीरो बनाकर कई दिनों से पेश कर रहा है !
                      हमारे देश  कॉमरेड तो हमेशां ही वही बातें बोलते हैं जिससे विश्व की नज़रों में भारत की इज्जत  होती हो !प्रधानमंत्री नहीं आये की रट लगातार लगाई जाती रही जबकि राज्यसभा के नेता और गृहमंत्री वहाँ उपस्थित थे !अभी उन्होंने भी अपना जवाब देना है !पीएमओ मंत्री जितेंद्र सिंह ने इन सबको उचित उत्तर दे भी दिया, उसके बावज़ूद विपक्षी नेताओं ने अपने गन्दे राग गाने जारी रख्खे ! समाजवादी सांसद ने कोंग्रेस के पूर्व प्रधानमंत्रियों की गलतियों का अच्छा विवरण दिया लेकिन उन्होंने भी ये सरकार पर ही छोड़ दिया कि आपको जैसे निपटना है निपटो !सरकार आपकी है !कुछ दिन पहले जब राजनाथ सिंह  पाकिस्तान डोरे पर अपना ब्यान संसद में दे रहे थे कि वो किस तरह सख्ती से वहा पेश आये तो सभी ने उन्हें अपना समर्थन दिया था लेकिन  पाकिस्तान से युद्ध करने का सुझाव किसी ने नहीं दिया !! क्यों भला ?"अगर दुश्मन मानता ही नहीं है " , और युद्ध भी नहीं करना तो फिर ये सख्ती किस काम की ???
                        तो मित्रो !ऐसा लगता है जैसे भारत के नेता हिजड़े बन कर रह गए हैं ! जो पिछले 70 सालों से सुरक्षा बलों के नॉजवानों को मरवाये जा रहे हैं ,देश का धन लुटाये जा रहे हैं और पाकिस्तानी कब्जे वाले काश्मीर को भुलाये जा रहे हैं !आपका क्या कहना है इस विषय पर !???????????? जय - हिन्द !! जय भारत ! वन्दे मातरम !
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Monday, August 8, 2016

"वो लाये थे , तूफ़ान से कश्ती , निकाल के "... !! - पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक) मो.न. +9414657511

सन 1857 के मंगल पांडे से लेकर महात्मा गांधी तक ना जाने कितने लोगों के दिलो-दिमाग पर भारत माता के रूप में छायी हुई थी ! किसी ने उग्र संघर्ष से तो किसी ने अपने शान्ति से असहयोग करके अपनी भारत माता को अंग्रेजों की जंजीरों से मुक्त करवाया था !ऐसे जांबाज़ देश भक्तों की संख्या लाखों में थी , लेकिन आज हम मात्र 20-50 लोगों के  ही जानते हैं !बाकियों को हमने अपने राजनितिक दलों के नेताओं की संकीर्ण सोच के कारण याद  रख पाए हैं !चाचा नेहरू जी और शास्त्री जी के शासन तलक तो 5000 शहीदों का रिकार्ड हमारी सरकार के पास था ! आज भी इंडिया गेट पर उनके नाम अंकित हैं !लेकिन उसके बाद हमारे नेताओं ने शहीदों को भी अपनी  लिया !क्योंकि इस देश पर ज्यादा कोंग्रेस ने शासन किया इसीलिए आज देश केवल कोंग्रेसी देश भक्तों के बारे में ज्यादा जानता है !
                                    आज देश के कई प्रदेशों को भी इन नेताओं ने अपनी जागीर मान लिया है ! उत्तर प्रदेश को मायावती और मुलायम जी ने ,बिहार को लालू और नितीश जी ने ,पंजाब को बादल साहिब ने,उड़ीसा को नवीन पटनायक जी ने और ऐसे ही बहन ममता , कॉमरेड, जयललिता,और चँद्रबाबू नायडू  ने भी अपने प्रदेशों पर अपना ही अधिकार समझ रख्खा है ! इन प्रदेशों की जनता भी लगभग ऐसा ही मानती है !यानिकि हमारी मानसिकता आज भी गुलामी से ही भरी हुई है !यानी तब उन शहीदों ने जो तूफ़ान से कश्ती हेतु जो अपना जीवन दान किया था उसे हमने आज असफल कर दिया है !
                       आज हमारे प्रधानमंत्री जी के मन में जो भावना है ,उसको सफल बनाने में सहयोग करने की बजाए रुकावटें ही खड़ीं की जा रही हैं ! इस काम में भजपा और उसके सहयोगी संगठन के नेता भी शामिल हैं !क्यों ???क्यों उनको देश की भलाई हेतु काम नहीं करने दिया जा रहा है ??क्यों उन्हें और उनकी पार्टी को शंका की दृष्टि से देखा जा रहा है ?जबकि भारत की जनता ने उन्हें और उनकी पार्टी को अपना भरपूर समर्थन देकर जिताया है ?  मुझे एक गीत की लाइन याद आ रही है कि "मैं कहता डंके की  चोट पे ,अपना हरी है हज़ार हाथ वाला वो दीनदयाला " ...!! ये बिलकुल वैसा है जैसे "हरि" नहीं  हज़ार हाथों वाले देश के दुश्मन हो गए हैं ! और मोदी जी को उन सबसे लड़ना पड़ रहा है ! "वो" कह गए कि "हम लाये हैं तूफ़ान से , कश्ती निकाल ,के देश को रखना मेरे बच्चो सम्भल के "...!! लेकिन हमने इस देश को ही बेच खाया !! किसने हमें ऐसा बनाया ??हम इतने निर्दयी तो नहीं थे ?? क्यों हमारे अंदर का इंसान मर गया ??क्यों हम इतने कठोर और स्वार्थी हो गए ?किसने हमें ऐसी शिक्षा दी ? माता-पिता,सन्तों और शिक्षक ने तो नहीं दी हमें ऐसी शिक्षा ! कौन ले गया हमें झूठी आधुनिकता  ओर ??क्या "पाश्चात्य-सभ्यता " का अँधा-धुंध अनुकरण इसके लिए दोषी हैं या फिर पुराने नेताओं ने ही हमें "चोर"दिया ?? जवाब किससे मांगे ??????मित्रो !! आप कुछ बता सकते हैं इस बारे में तो अवश्य बताइयेगा अपने अनमोल कॉमेंट्स लिख कर हमारे ब्लॉग में !!
            जय - हिन्द !! जय भारत ! वन्दे मातरम !
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Thursday, August 4, 2016

बुलंदशहर बलात्कार कांड को यह ‘मौन समर्थन’ क्यों! ??वरिष्ठ पत्रकार विकास मिश्रा - :साभार -सधन्यवाद !


डेढ़ दशक पुरानी बात है। अमर उजाला मेरठ में उपसंपादक ने एक खबर संपादित की। हेडिंग लगाई- दलित लड़की से बलात्कार। संपादक जी ने पूछा-इस हेडिंग का क्या मतलब है। उपसंपादक ने कहा-सर, इसमें गलत क्या है। संपादक बोले-क्या बलात्कार की वजह लड़की का दलित होना है। उपसंपादक बोला- जी सर, किस साले में दम है जो ब्राह्मण-ठाकुर की बेटी की तरफ आंख उठाकर भी देखे। संपादक जी मौन हो गए।
ये नजीर मैंने जानबूझकर रखी है। शुरू में ही कहा कि ये घटना डेढ़ दशक से ज्यादा पुरानी है। तबसे बहुत कुछ बदला है देश में। तबसे यूपी में बीजेपी की एक, बीएसपी की एक सरकार चली गई और समाजवादी पार्टी की दूसरी सरकार चल रही है। बहरहाल अभी समाज इस सवाल का जवाब देने में उलझा है कि ‘आतंकवादियों का कोई धर्म नहीं होता’ । तो क्या बलात्कारियों की कोई जाति होती है, कोई धर्म होता है..? मेरी राय में तो बलात्कारियों की कोई जाति नहीं होती, कोई धर्म नहीं होता, लेकिन बलात्कार पर समाज कैसे रिएक्ट करेगा, जब ये देखता हूं तो लगता है कि बलात्कारियों की हो न हो, लेकिन बलात्कार के शिकारों की जाति जरूर होती है।

बुलंदशहर में नेशनल हाइवे 91 पर की 29 जुलाई की रात सामूहिक बलात्कार की वारदात हुई। एक इंसान अपनी दादी की तेरहवीं में शामिल होने परिवार के साथ अपने गांव जा रहा था। रास्ते में दरिंदों ने पूरे परिवार को बांध दिया। जरा सोचिए उस इंसान पर क्या गुजरी होगी। जिस पत्नी की सुरक्षा के सात वचन लेकर उसने सात फेरे लिए थे, उस पत्नी की इज्जत उसकी आंखों के सामने ही तार तार कर दी गई। फूल जैसी 12-13 साल की बच्ची को गिद्धों ने पिता के सामने नोंच डाला, रस्सियों में बंधा बेबस पिता बस देखता रह गया। कहता रह गया-पैसे ले लो, लेकिन मेरी बेटी, मेरी पत्नी की इज्जत बख्श दो। गैंगरेप की शिकार महिला और उस मासूम बच्ची का का क्या हाल होगा, हम-आप तो बस अंदाजा लगा सकते हैं।

बुलंदशहर के हाइवे पर हुई इस हैवानियत पर मैं अखिलेश यादव और उनकी सरकार को नहीं कोसूंगा। इसका ये मतलब भी नहीं कि मैं उनको बख्श रहा हूं। दरअसल चैनलों में तो हम लोग सरकार, पुलिस की दाई-माई कर ही रहे हैं। ये मामला बहुत बीभत्स था, एनसीआर में था, लिहाजा मीडिया अटेंशन हो गया। मीडिया ने इसे उठाया, उठा भी रहा है, लेकिन इस घटना या फिर ऐसी घटनाओं पर समाज में जैसा रिएक्शन हो रहा है, वो मुझे हैरान कर रहा है।

छोटी-छोटी घटना पर छाती कूटने वाले बौद्धिक, वामपंथी, कुछ स्वघोषित और पोषित सेकुलर खामोश हैं। तो क्या उनकी खामोशी की वजह ये मानी जाए कि इस घटना में जो मां-बेटी सामूहिक बलात्कार की शिकार हुईं, वो सवर्ण थीं। साफ-साफ बताता हूं। बलात्कार की शिकार मां-बेटी ब्राह्मण परिवार की हैं। अब फेसबुक पर जरा रिएक्शन देखिए। महिलाओं ने एक सुर से इस घटना की वीभत्सता की चर्चा की है, बहन-बेटियों की सुरक्षा के प्रति चिंता जताई है। कुछ मुस्लिम मित्रों ने भी इस दरिंदगी की घटना को लानत भेजते हुए बलात्कारियों के लिए शरीयत का कानून लागू करने की सलाह दी है। लेकिन इतनी वीभत्स घटना पर उनका तालू नहीं चटक रहा है, जो गुजरात में दलितों के आंदोलन पर अरण्य रोदन कर रहे हैं, जो कश्मीर में जुल्मो-सितम पर छाती कूट रहे हैं।

मैं इनकी खामोशी पर मैं क्या सिर्फ इस नाते सवाल उठा रहा हूं कि बुलंदशहर बलात्कार कांड के पीड़ित ब्राह्मण थे..? वरिष्ठ पत्रकार अजीत अंजुम, पत्रकार साहित्यकार गीताश्री, पद्मश्री से विभूषित लोकगायिका मालिनी अवस्थी, अंजू शर्मा समेत तमाम लोगों ने इस जघन्य कांड पर लिखा है और हां, ये सब सवर्ण परिवार से हैं। और जो लोग खामोश हैं, मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि क्या अब बलात्कार के पीड़ितों, बलात्कारियों की जाति और धर्म तय करने जा रहे हैं आप लोग। कहां हैं दिलीप सी मंडल साहब..। कहां हैं अरुंधती राय, कहां हैं शबा नकवी, कहां हैं कविता कृष्णन, बरखा दत्त..? और हां…कहां है वो अवार्ड वापस करने वाला गिरोह..। भाई साहब, बहनजी, देवियों और सज्जनों..! आप लोगों की खामोशी सवर्ण बहन-बेटियों के गैंगरेप को मौन समर्थन दे रही हैं। क्या ब्राह्मणवाद को लेकर आपका विरोध यहां तक पहुंच चुका है.? क्या सवर्णों की बेटियों से बलात्कार की घटनाओं से कुछ लोगों का अहंकार संतुष्ट हो रहा है।

इस घटना पर जिस तरह समाज का एक बड़ा तबका खामोश है, उसकी प्रतिक्रिया भी देख लीजिए। अभी तक पीड़ित परिवार को एक नए पैसे के मुआवजे का ऐलान नहीं हुआ है। कोई संस्था उस परिवार का दर्द बांटने के लिए आगे नहीं आई है। दानवीरों के हाथ पीछे की तरफ बंधे हैं तो बात बात पर ट्वीट करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक ट्वीट करने का भी मौका नहीं मिल पा रहा !
 जय - हिन्द !! जय भारत ! वन्दे मातरम !
प्रिय मित्रो !सादर नमस्कार !कुशलता के आदान-प्रदान पश्चात जिन भी मित्रों का आज जन्म-दिन या विवाह दिवस है , उनको मेरी तरफ से हार्दिक बधाई और शुभ कामनाएं !आप अपने ब्लॉग "फिफ्थ पिल्लर करप्शन किल्लर"को बहुत पसंद कर रहे हैं,रोज़ाना इसमें प्रकाशित लेखों को पढ़ कर शेयर करते हैं ,उन पर अपने अनमोल कॉमेंट्स भी देते हैं !उस सब के लिए भी आपका हार्दिक आभार प्रस्तुत करता हूँ !इस ब्लॉग का लिंक ये है - www.pitamberduttsharma.blogspot.com 
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"निराशा से आशा की ओर चल अब मन " ! पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक)

प्रिय पाठक मित्रो !                               सादर प्यार भरा नमस्कार !! ये 2020 का साल हमारे लिए बड़ा ही निराशाजनक और कष्टदायक साबित ह...