देश भर मैं फैले भ्रष्टाचारियो , आदाब बजा लाता हूँ ! भाइयो आज मुझे आपसे एक काम पडगया है | यूंही आज मेरे मन मैं विचार आया कि देश मैं बचे खुचे शरीफों को बता दूं कि भ्रष्टाचार कितने प्रकार का होता है ? क्योंकि ये गिनती के लोग आजकल बड़ा शोर मचा रहे हैं |ये थोडा सा अन्न्शन ,जलूस और प्रदर्शन करके समझते हैं कि बहुत बड़ा तीर मार लिया ,और मेरे जैसे लोग थोडा कम्पुटर पर लिख कर ये समझने लगते हैं कि सारी दुनिया ने इसे पढ़ लिया और हमें पूरा जनसमर्थन हासिल है |अब प्रलय आ जाएगी ! इसी सोच के तहत हमने एक "ठेकेदार " मित्र को चाय पर बुला लिया |पहली चुस्की लेते ही हमने ये प्रशन दाग दिया कि मित्र बताओ तो भ्रष्टाचार कितने प्रकार का होता है ? मित्र बड़े ही दार्शनिक अंदाज़ में बोला ,ये बड़ी गहरी " माया " है | मैंने पूछा माया ? उसने कहा हाँ , सतयुग त्रेता और द्वापर में इसी भ्रष्टाचार को ही "माया" कहा जाता था |और भ्रष्टाचारी को " मायावी " कहते थे |मैंने कहा ठीक है ,पर ये तो बताओ ये होता कितने प्रकार है |मित्र बोला यार ये बिजनेस सीक्रेट है ,बताना तो नहीं चाहिए ,परन्तु तूने सुबह - सुबह अपने घर बुला कर चाय की रिश्वत दी है , तो इतना बता देता हूँ की भगवान् ने चौरासी लाख योनियाँ बनायीं हैं तो उसे एक हज़ार से गुना करलो उतने तरह का भ्रष्टाचार होता है | और आज जो जितने पैसे वाला है , वो उतने ही ज्यादा भ्रष्टाचार के तरीके जानता है | "जिस प्रकार से तुलसीदास जी ने कहा है कि" हरि अनंत ,हरि कथा अनंता " उसी प्रकार भ्रष्टाचार कि कथा भी अनंत है ,जो एक दो दिनों में नहीं बतायी जा सकती | नेता तो इस विषय में " पी.एच . डी. होता है और पत्रकार सर्जन होता है |पैसे देदो तो और तरह का ओपरेशन ,नहीं दो तो और तरह का ? मैं बोला धन्य है प्रभो ! प्रभु बोले चुप बैठ ,बड़ा आया है भ्रष्टाचार दूर भगाने वाला ! "कलयुग में सतयुग की बात करता है ? सृष्टि के नियमों का विरोध करता है ? मैं बोला गलती हो गयी प्रभो माफ़ कीजिये ! बाबा राम देव जी ,आप भी सोचलो ,कंही ऐसा न हो जाये कि "आसमान से गिरा खजूर में अटका " | पिछले आन्दोलन में तो कई सरकारी समाज सेवी थे | आप फंस नहीं जाना | खुदा मालिक !!
FIGHT ANY TYPE OF CORRUPTION, WITH "PEN"!
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
"निराशा से आशा की ओर चल अब मन " ! पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक)
प्रिय पाठक मित्रो ! सादर प्यार भरा नमस्कार !! ये 2020 का साल हमारे लिए बड़ा ही निराशाजनक और कष्टदायक साबित ह...
-
मेरे प्रिय " हंस - हंस्नियो मित्रो , धवल - शुद्ध नमस्कार !!! दलीप कुमार साहिब की एक फिल्म थी ,जिसमे हिन्दू...
-
" झीनी चादर " अपने जीवन में ओढने वाले सभी मित्रों को मेरा सादर नमस्कार !! कबीर जी कहते हैं ,जब हम पैदा हुए ,...
-
भारतीय संस्कृति के अनुसार , जब से ये सृष्टि रची गयी है ,लगभग तभी से धर्म के नाम पर तथाकथित धर्म चलाने वालों द्वारा ही अपराध किये या करवाये ...
No comments:
Post a Comment