साधू जैसे स्वभाव वाले मेरे प्रिय मित्रो , मेरा साधुवाद स्वीकार करें !! साधू का मन कब चोरी , ठगी , आशिकी , उठाईगिरी और राजनीती करने पर आ जाये ...!! कुछ कहा नहीं जा सकता ?? आप कहोगे की आज ये कौन सा विषय ले कर बैठ गए शर्मा जी , तो मेरे परम मित्रो , मैं ये कन्हुगा की साधुओं का सनातन इतिहास है उस पर ज़रा नज़र डाल लो , तो आपको मेरी उपरोक्त बात सच्ची जान पड़ेगी || वो चाहे ऋषि " विश्वामित्र " हों या " दुर्वासा " , रावन भी " साधू के भेष में ही सीता जी का अपहरण कर ले गया था ???? हर युग और काल में साधुओं के भेष में कुछ न कुछ अत्याचार या अनाचार अवश्य हुआ है !! राजनीति में हस्तक्षेप तो शुरू से यानी ब्रह्मा जी के समय से ही होता आया है ???? बहुत पहले जब हम छोटे थे तो हमारे पिता जी बताया करते थे की बेटा जो साधू लोग हरिद्वार , ऋषिकेश , कनखल , कुरुक्षेत्र और बनारस आदि में अपना डेरा या आश्रम बनाये बैठे हैं , उनमे से ज्यादातर साधू चोर और ठुग हैं | ये बात मुझे आज भी सत्य लगती है || रोज़ कोई न कोई साधू या संत अनाचार या दुराचार का दोषी पाया जाता है || ऐसे समाचार आते ही रहते हैं ||आप कहोगे की चलो मान लेते हैं की कुछ साधुओं ने थोड़ी बहुत शरारतें कर दी होंगी , लेकिन आज ये विषय क्यों उठाया गया है ??? तो मेरा जवाब ये है की उत्तर - प्रदेश में एक साधवी जी ने एक नेता जी को ये मान कर B.J.P. में शामिल कर लिया की अब ये नेता शरीफ हो गया है क्योंकि बहन मायावती जी द्वारा B.S.P. से नकला जाना उनके मन पर चोट कर गया है ??? प्रदेश के ज्यादा समझ दार नेता श्री मान विनय कटियार जी ने भी झट से हाँ करदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी जी जो R.S.S. से संस्कार सीखकर आये हैं उन्होंने भी रातो रात अपनी सहमती दे दी !!! लेकिन .......!! एक और महात्मा और U.P. के ही B.J.P. नेता ने शोर मचा दिया ...... की ये उचित नहीं है , हम जैसे छोटे छोटे कार्यकर्ताओं को भी ये बहुत बुरा लगा की ताज़ा - ताज़ा अन्ना जी ने देश में भ्रष्टाचार के प्रति भावनाएँ जगाईं हैं और उसे सबसे पहले हमारी B.J.P. के नेत्रित्व ने ही तोडा .......???? और भ्रष्टाचारी अन्य नेताओं को ही बोलने का मौका दे दिया ??? जय हो समझदार नेताओं की ??? लालू यादव जी ने बहुत बढ़िया बात कही एक T.V. इंटरव्यू में , " कोई पार्टी न तो कला धन वापिस लाना चाहती है और न ही भ्रष्टाचार को मिटाना चाहती है || अगर वास्तव में काला धन देश में पड़ा है जो ,वो समाप्त करके देश के काम में लाना है तो लोगों की सारी संपत्ति को " राष्ट्रीय संपत्ति " घोषित कर दिया जाना चाहिए || और बाद में एक - एक की जांच कर उसे उतना धन दे दिया जाना चाहिए !! देश का " तंत्र "पूरी तरह से बिगड़ गया है | कर्मचारी और अफसर जनता का वाजिब काम करते हुए भी डरते हैं | और लोगों तो टरकाने की कोशिश करते हैं || यंहा तक की R.T.I. तक का जवाब भी ठीक तरह से नहीं दिया जाता !! इसी उहापोह की स्थिति के चलते देश के चुनाव - आयोग ने भी U.P. में अजीब फैसला सुनाया है ....मूर्तियों को ढंकने का ???? न्यायालय भी दबाव में देखे जा सकते हैं !! मित्रो मैं तो कहता हूँ की एक बड़ा अधिवेशन बुलाया जाना चाहिए , जिसमे सभी तरह के जन - प्रतिनिधि , सेक्रेटरी , और क़ानून - विद शामिल हों , देश के हर क़ानून पर विस्तृत चर्चा हो , सरकारी तंत्र से फ़ालतू के नियम और शर्तें बाहर कर देनी चाहियें , और नया संविधान बनाना चाहिए ??? ताकि रोज़ की झिख - झिख समाप्त हो जाये || इस अधिवेशन की अवधि तब तलक समाप्त नहीं होनी चाहिए जितनी देर सभी कार्य संपन्न न हो जाएँ ???? नेता चाहे जितनी मर्ज़ी सस्ती रोटियाँ और मुर्गे खा जाएँ .....????प्रकृति का नियम है बदलाव , और हमें इसे मानना ही चाहिए ,ऐसा नहीं सोचना चाहिए की ये संविधान हमारे बुजुर्गों ने बनाया था इस लिए इसे बदलना नहीं है ?? बोलो --- जय श्री राम !!
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