मेरे प्यारे " संभोगी " मित्रो , नव वर्ष पर आइये हम सब प्यारी - प्यारी खुशियों का मिलकर " सम्भोग करे !! व्याकरण के ज्ञाता लोग जानते हैं की जिस तरह से मेरे जैसे कई सज्जनों को इंग्लिश नहीं आती , वैसे ही कई मित्रों को मुझ सहित हिंदी भी नहीं आती | कई ऐसे शब्द हैं जिन्हें बिना वजह के बुरा मान लिया गया है उन्हें किसी अच्छी जगह प्रयोग ही नहीं किया जाता | जैसे " सम्भोग " , ये शब्द सम + भोग , के दो शब्दों से बना एक प्यारा सा शब्द मात्र है जिसे बुद्धिजीवियों द्वारा केवल शारीरिक सुख भोगते वक्त को व्य्ख्याकित करने हेतु ही प्रयोग करते हैं | जबकि इसका शाब्दिक अर्थ मात्र इतना है की बराबर - बराबर किसी बात ,या वास्तु का आनंद उठाना | इसमें चाहे दो जने , भाग लेवें या दो से ज्यादा ...?? जैसे किसी खेल को देखते समय सेंकडो , हजारों लोग एक साथ ख़ुशी का भोग लगते है | या लंगर में इकठ्ठे हो कर सब भोजन करते हैं तो उसे सह भोज कहते हैं , वंहा " सम्भोग " शब्द का प्रयोग क्यों नहीं किया जाता ??? शायद इसी लिए क्योंकि ये उस वक्त को दर्शाने हेतु प्रयोग होता है जब दो विपरीत लिंग वाले जीव शारीरिक आनंद उठाने मैं मगन होते हैं ??? न जाने क्यों हमरे समाज ने इस सुन्दर क्रिया को गन्दा बना दिया है ??? जबकि हमारे ऋषि - मुनियों ने इस विषय पर न केवल रिसर्च की है बल्कि " कोक - शास्त्र " नामक एक ग्रन्थ भी लिखा है | जिसे विदेशियों ने तो पढ़ कर ज्ञान प्राप्त किया , लेकिन हमने कभी उसे देखना भी उचित नहीं समझा ?? कुछ वर्ष पहले सेक्स की शिक्षा की बात भी चली थी लेकिन उसे दबा दिया गया || अगर हम हमारा धार्मिक इतिहास देखें तो हम पाएंगे की पौराणिक समय में स्त्रियाँ बहुत ही स्वतंत्र स्वभाव की होती थी , उन्हें अपना जीवन साथी चुनने की पूरी छूट होती थी , और सेक्स के बारे में भी पूरी जानकारी होती थी तभी तो कुंती ने " सूर्य " से " करण " रुपी पुत्र प्राप्त किया था ??? स्वयंबर तो तरह - तरह के हुए हैं || ये मुस्लिम राजाओं और अंग्रेजों के शासन में पर्दा प्रथा भय के कारन शुरू हुई क्योंकि ओर्तों की इज्जत को खतरा होता था !! शायद इसी लिए माताएँ अपनी पुत्रियों को सेक्स एक बुरी बात है यह समझाती हैं | जिसका फल ये होता है की वो उस सच्चे सुख को पाने और समझने से वंचित रह जाती है , जब तक उसे ये बात समझ आती है तब तलक वो 45. की हो चुकी होती है ??? इसी लिए हमारे हिन्दुस्तान में पुरुष भी बुढ़ापे में ज्यादा आशिकी करते हैं .......??? दूसरा शब्द है " बलात्कार " , ये शब्द भी बलात + कार्य , दो शब्दों से बना शब्द है , ये भी बुद्धिजीवी लोग सिर्फ उस वक्त प्रयोग में लाते हैं जब किसी ओरत के साथ किसी व्यक्ति ने जबरदस्ती शारीरिक सुख प्राप्त किया हो ...?? लेकिन बलात्कार तो तब भी होता है जब हम किसी से कोई भी कार्य जबरदस्ती करवाते हैं ????? जैसे आजकल कांग्रेसियों के साथ जनता और अन्ना , रामदेव जैसे लोग कर रहे हैं ....??? सभी नेता , ठेकेदार और अफसर लोग भारतीय " संपदा " का मिलकर " सम्भोग " ही तो कर रहे हैं .....???? जनता इनसे " बलात्कार " ही तो कर रही है उस सुख से वंचित करके जो उन्हें इन कार्यों से प्राप्त हो रहा है || इस लिए तो मुहावरा बना है की " मियाँ बीवी राज़ी , तो क्या करेगा .....क़ाज़ी ...??? हम इक्कसवीं सदी में प्रवेश कर रहे हैं .... हमें कुछ तो आधुनिक होना ही चाहिए की नहीं , एक तो सेक्स फ्री होना चाहिए और दूसरा भ्रष्टाचार फुल होना चाहिए .....???? तभी तो " प्रलय " आएगी ... या भगवन " कल्कि " अवतार लेंगे , और गीता में अपना दिया वचन पूरा करेंगे ...??? की ...." यदा यदा ही धर्मस्य , ग्लानिर भवति भारत:, अभ्युथानम : धर्मस्य तदात्मानं सृज्यम्य्हम ||...... बोलिए जय जय श्री ...राधे !!!!!!!! देश के दुश्मन , भारत पर तरह - तरह से वार कर रहे हैं , जो न तो जनता को समझ आ रहा है और न ही हमारे देश के करण धार समझ प् रहे हैं ??? जैसे नशे , नरेगा ,अश्लील साहित्य और पैसे की चमक से हमारा युवा वर्ग .. आलसी और कमज़ोर हो रहा है ?? TV.,फिल्मों से हमारी महिलाएं बिगड़ रही हैं ?? आज के नेता अपनी मूर्तियाँ लगाकर अपनी वाह - वाही करवाना चाहते हैं देश के असली हीरों को लोग भूलते जा रहे हैं ???? नकली नोट छापे जा रहे हैं !! बोर्डर सिकुड़ रहे हैं .....??? रुपया गिर रहा है .... आदि आदि बहुत सी बाते हैं जिन पर हमें जागुरुक रहने की आवश्यकता है ...!! जय श्री राम !!.......तो सम्भोग करो , सब सम्भोग करो !! .....और मस्त रहो ....!!
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बहुत अच्छा जी ... अति सुंदर
ReplyDeleteहिन्दी व्याकरण के शब्दों का बहुत ही सुंदर तरीके से प्रयोग किया है ।