Tuesday, October 22, 2019

"बसपा नेताओं का राजस्थान में अपमान ,चुनौती सभी हेतु"!? - "लेखक-विश्लेषक पीताम्बर दत्त शर्मा "





बहुजन समाज पार्टी के राष्ट्रीय समन्वयक रामजी गौतम व प्रदेश बसपा प्रभारी सीताराम मेघवाल ,बसपा सुप्रीमो बहन मायावती के आदेश पर कल 22 अक्टूबर 2019 मंगलवार को राजस्थान के प्रदेश कार्यालय में जैसे ही पंहुचे ,तो पहले से गुस्साए बैठे बसपा कार्यकर्ताओं ने ही उनको गालियां दीं ,धक्कामुक्की की,मुंहकाला किया और जूतों की माला पहनाकर अपना रोष प्रकट किया ! सभी कार्यकर्ता कुछ दिन पूर्व बसपा के 6 विधायकों के कांग्रेस में शामिल करवाने में ,इन नेताओं की "भूमिका"पर क्रोधित थे ! पार्टी की टिकटें बेचने का आरोप भी लगाया !
                                उधर बसपा सुप्रीमो मायावती ने बयान जारी कर सारा आरोप कांग्रेस पर मढ़ दिया ! ये सब कुछ निकाय चुनावों हेतु टिकटें बांटने हेतु रक्खी गई मीटिंग शुरू होने से पहले ही हो गया ! क्षेत्रीय पार्टियों के ज्यादातर नेता अपना व पार्टी का "आधार" बढ़ाने के चक्कर में धन,मंत्री पद और कमीशन का लालच छोड़ ही नहीं पाते !इसी चक्कर में छोटी - बड़ी सभी पार्टियां अपनी विचारधारा, निष्ठवान व समर्पित कार्यकर्ताओं को भुलाकर "सौदागरों" को ही पद और टिकटें बांटने लगी हैं ! जो लोकतंत्र हेतु भी एक भारी खतरा है !!
                                चुनाव आयोग ,सर्वोच्च न्यायालय और मीडिया को ऐसे "कुकृत्यों"पर लचीला रुख हर्गिज़ नहीं अपनाना चाहिए ,बल्कि "स्वतः संज्ञान"लेना चाहिए !! नेताओं का "चरित्रवान"होना "लोकतन्त्र के स्वास्थ्य " हेतु भी अत्यावश्यक है!
ऐसा अगर नहीं हुआ तो वो दिन दूर नहीं ,जब सभी पार्टियों के "बड़े -भ्रष्ट"नेताओं का "स्वागत"जूतों की माला से होने लगेगा !सभी "बुरे"नेताओं को ये घटना एक "बड़ी-चेतावनी"के रूप में लेनी चाहिए ! दूसरों पर आरोप लगाकर मायावती जी बच नहीं पाएंगी ! क्योंकि उनपर भी पैसे लेकर टिकट बांटने के आरोप ,उन्हीं की पार्टी के नेताओं ने लगाए हैं !
                        "चरित्र नहीं ,तो नेता कबूल नहीं "!!मतदाताओं को यही "सूक्त"अपनाना होगा ! भ्रष्ट नेताओं के "मायाजाल"में नहीं फंसना चाहिए !अब सवाल बड़ा ये भी खड़ा होता है कि "क्या ऐसे इलाज से भी ,भ्रष्ट नेता सुधरेंगे"????भारत की सुरक्षा एजेंसियों को चुनावों के समय ऐसे महान नेताओं ओर पार्टियों की "गतिविधियों"पर विशेष "नज़र"रखनी होगी !
                   पाठक मित्रों से अनुरोध है कि अपने कॉमेंट्स विस्तार से लिक्खें !!
"5th पिल्लर करप्शन किल्लर" "लेखक-विश्लेषक पीताम्बर दत्त शर्मा "
वो ब्लॉग जिसे आप रोजाना पढना,शेयर करना और कोमेंट करना चाहेंगे ! 
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Wednesday, October 16, 2019

" गहलोत सरकार की चालाकियां" ! ?? _

राजस्थान में जब से गहलोत सरकार ने शपथ ग्रहण की है,तभी से उसे एक चिंता
 बहुत बुरी तरह से सता रही है ! वो समस्या है निकाय चुनावों की ! गहलोत
 सरकार चाहती है कि वो अपने हाईकमान और जनता के सामने अपना महत्व व 
साख बनाए और कायम रक्खे ! उनको हर चुनावों में मोदी जी का नाम आ जाने
 से डर लगता है ! उनकी प्रसिद्धि के सामने वो अपने को काफी बौना मानते हैं,जो वो हैं भी ! तभी तो उन्होंने निकाय चुनावों में अध्यक्षों के चुनावों के पहले सीधे जनता  द्धारा 
लेकिन उनको डर फिर भी सता रहा था ! रातों को नींद नहीं आ रही थी ! तो उन्होंने कल एक अधिसूचना जारी करवा दी ! जिसमें ये प्रावधान कर दिया गया कि अब निकाय अध्यक्ष का पार्षद होना आवश्यक ही नहीं है ! जो उनके चहेते होंगे केवल उन्हीं को नगरपालिका का अध्यक्ष चुनवा दिया जायेगा ! उसके लिए उनका "शुभचिंतक" होना आवश्यक है ! भाजपा को भी अंदर खाते ये नियम अच्छा ही लगेगा ! वो केवल नाम मात्र ही इसका विरोध करेगी ! क्योंकि उसके नेताओं को भी तो अपने "चेलों" को निकायाध्यक्ष बनाने का अवसर मिलेगा ! "राजनीतिक चमचों"की चांदी होने वाली है जी ! इच्छुक व्यक्ति अपने विधायकों,सांसदों और पार्टियों के अध्यक्षों व जिलाध्यक्षों को "दंडवत प्रणाम करना शुरु कर दें !
नगरपालिका अध्यक्षों व निकाय अध्यक्षों के इस तरह के चुनाव तरीके से भ्रष्टाचार चरम सीमा तक फैलेगा ! न्याय पालिका को स्वयं संज्ञान लेना चाहिए ! क्योंकि जनता द्वारा चुने गए पार्षद अपने विवेक का उपयोग ही नहीं कर पायेंगे ! वे तो बस "येस मैन" बनकर ही रह जाएंगे ! उनके अधिकारों का भी हनास होगा ! "जनता और जागरूक" लोगों को ज्ञापन देकर विरोध दर्ज अवश्य करवाना चाहिए ! किसीको भी "मनमर्जी" नहीं करने दी जा सकती क्योंकि ये "मौलिक अधिकारों का हनन" है !!

               
"5th पिल्लर करप्शन किल्लर" "लेखक-विश्लेषक पीताम्बर दत्त शर्मा "
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Thursday, October 10, 2019

"अड़ियल ,सड़ियल और बकियल भारतीय विपक्ष"!!

प्रिय पाठक मित्रो ! सादर नमस्कार !!
                              आज हम भारत के विपक्षी नेताओं के लम्बे समय तक सत्ता में रहने के कारण उनके बिगड़े स्वभाव की चर्चा करेंगे !आज लगभग सभी मुख्य विपक्षी नेता स्वभाव व व्यवहार से "अड़ियल ,सड़ियल और बकियल हो गए हैं ! आज वे भारत की सरकार ,संवैधानिक संस्थाओ ,प्रशासनिक अफसरों और न्यायालयों तलक को सीधे दोषारोपण ही नहीं करते बल्कि आदेश देते भी नज़र आते हैं !
                                  उनका ये व्यवहार जनता का कोई हित नहीं करता ,उल्टे देश की प्रगति मे बाधा ही बनता है !उनका सत्ता पक्ष की सफलताओं पर जलना ,हर बात पर अड़ जाना ,संसद व टीवी की बहस में बकना और गरियाना ,देश की प्रतिष्ठा पर एक बड़ा प्रहार होता है !अगर कोई समझे तो !
                                    उनका बड़ा कुतर्क ये ही होता है कि "प्रश्न पूछना व विरोध करना उनका जन्मसिद्ध अधिकार है "!लेकिन वो विपक्षी ये भूल जाते हैं कि "संवैधानिक संस्थाओं की मर्यादा बनाकर रखना और हर विषय पर सकरात्मक व सार्थक बहस कर उपयोगी सुझाव देना "भी उन्हीं का कर्तव्य है !? किसी बड़े या दुश्मन देश के धन ,लालच ,बिछाए जाल या ब्लैकमेल में फंसकर देश का अनहित तो किसीको नहीं करना चाहिए न ?
                                " सच्चा,कर्तव्यनिष्ठ और मजबूत विपक्ष ,लोकतंत्र की आवश्यकता होता है " !भारतीय विपक्ष ,बुद्धिजीवियों और पत्रकारों का भी ये धर्म हो जाता है कि वे समय समय पर समीक्षा कर जनहित हेतु चेताते रहें ताकि लोकतंत्र बचा रहे !



प्रिय मित्रो ! 
                    सादर नमस्कार !
                                       कुशलता के आदान-प्रदान पश्चात् समाचार ये है कि हमारे इस ब्लॉग में ज्वलन्त विषयों पर लेख-टिप्पणियां होती हैं।जो मित्र पढ़ने में रूचि रखते हों,अवश्य पढ़ें,फिर अपने मित्रों को शेयर करें और अपने अनमोल कॉमेंट्स भी रोज़ाना लिख्खा करें।इसका लिंक ये है - www.pitamberduttsharma.blogspot.com. मुझसे संपर्क करने हेतु मेरा ई मेल एड्रेस ये है - pitamberdutt.sharma@gmail.com. मेरा मोबाईल नम्बर ये है - 9414657511. सधन्यवाद ! आपका अपना मित्र पीताम्बर दत्त शर्मा,1/120,आवासन मंडल कालोनी,वार्ड नम्बर 10,सूरतगढ़।जिला श्रीगंगानगर,राज. भारत


आपका एक बार फिर से स्वागत है !प्रिय पाठक मित्रो !!

प्रिय मित्रो !!
एक बड़े अंतराल के बाद आपसे से फिर से विचार सांझा करने का सुअवसर मिलना शुरू हुआ है !!आप सभी मित्रों को बधाई व शुभ कामनाएं !!जल्दी ही आप मेरे लेख पढ़ सकेंगे !!
आपका मित्र 
पीताम्बर दत्त शर्मा 

Monday, January 15, 2018


अभिषेक मनु सिंघवी का हाथ जैसे ही उस अर्द्धनग्न महिला के कमर के उपर पहुँचा ,  महिला ने बड़ी अदा व बड़े प्यार से पूछा - "जज कब बना रहे हो ?..... बोलो ना डियर , जज कब बना रहे हो..???"

अब साहब ने जो भी उत्तर(?) दिया था वह सम्पूर्ण प्रसंग उस सेक्स-सीडी में रिकॉर्ड हो गया .....और यही सीडी कांग्रेस के उस बड़े नेता और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी के राजनीतिक पतन का कारण बनी ! परन्तु बेशर्म सिंघवी आज भी कोर्टों में शान से पेश होता है और कांग्रेस का प्रवक्ता भी है और कहीं फिर कांग्रेस की सरकार बनी तो जज बनाना शुरू कर देगा।

पिछले 70 सालों से जजों की नियुक्ति में सेक्स , पैसा , ब्लैक मेल एवं दलाली के जरिए जजों को चुना जाता रहा है।

अजीब बिडम्बना है कि हर रोज दुसरों को सुधरने की नसीहत देने वाले लोकतंत्र के दोनों स्तम्भ मीडिया और न्यायपालिका खुद सुधरने को तैयार नही हैं।

जब देश आज़ाद हुआ तब जजों की नियुक्ति के लिए ब्रिटिश काल से चली आ रही " कोलेजियम प्रणाली " भारत सरकार ने अपनाई.... यानी सीनियर जज अपने से छोटे अदालतों के जजों की नियुक्ति करते है। इस कोलेजियम में जज और कुछ वरिष्ठ वकील भी शामिल होते है। जैसे सुप्रीमकोर्ट के जज हाईकोर्ट के जज की नियुक्ति करते है और हाईकोर्ट के जज जिला अदालतों के जजों की नियुक्ति करते है ।

इस प्रणाली में कितना भ्रष्टाचार है वो लोगों ने अभिषेक मनु सिंघवी की सेक्स सीडी में देखा था... अभिषेक मनु सिंघवी सुप्रीमकोर्ट की कोलेजियम के सदस्य थे और उन्हें दिल्ली हाईकोर्ट के लिए जजों की नियुक्ति करने का अधिकार था... उस सेक्स सीडी में वो वरिष्ठ वकील अनुसुइया सालवान को जज बनाने का लालच देकर उसके साथ इलू इलू करते पाए गए थे , वो भी कोर्ट परिसर के ही अपने चैम्बर में।

कलेजियम सिस्टम से कैसे लोगो को जज बनाया जाता है और उसके द्वारा राजनीतिक साजिशें कैसे की जाती है उसके दो उदाहरण देखिये .......

पहला उदाहरण --
किसी भी राज्य के हाईकोर्ट में जज बनने की सिर्फ दो योग्यता होती है... वो भारत का नागरिक हो और 10 साल से किसी हाईकोर्ट में वकालत कर रहा हो .....या किसी राज्य का महाधिवक्ता हो ।

वीरभद्र सिंह जब हिमाचल में मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने सारे नियम कायदों को ताक पर रखकर अपनी बेटी अभिलाषा कुमारी को हिमाचल का महाधिवक्ता नियुक्त कर दिया फिर कुछ दिनों बाद सुप्रीमकोर्ट के जजों के कोलेजियम ने उन्हें हाईकोर्ट के जज की नियुक्ति दे दी और उन्हें गुजरात हाईकोर्ट में जज बनाकर भेज दिया गया। 

तब कांग्रेस , गुजरात दंगो के बहाने मोदी को फंसाना चाहती थी और अभिलाषा कुमारी ने जज की हैसियत से कई निर्णय मोदी के खिलाफ दिये ...हालाँकि सुप्रीम कोर्ट ने बाद में उसे बदल दिया था।

दूसरा उदाहरण....
1990 में जब लालूप्रसाद बिहार के मुख्यमंत्री थे तब कट्टरपंथी मुस्लिम आफ़ताब आलम को हाईकोर्ट का जज बनाया गया.... बाद में उन्हे प्रोमोशन देकर सुप्रीमकोर्ट का जज बनाया गया.... उनकी नरेंद्र मोदी से इतनी दुश्मनी थी कि तीस्ता शीतलवाड़ और मुकुल सिन्हा गुजरात के हर मामले को इनकी ही बेंच में अपील करते थे... इन्होने नरेद्र मोदी को फँसाने के लिए अपना एक मिशन बना लिया था।

बाद में आठ रिटायर जजों ने जस्टिस एम बी सोनी की अध्यक्षता में सुप्रीमकोर्ट के चीफ जस्टिस से मिलकर आफ़ताब आलम को गुजरात दंगो के किसी भी मामलो की सुनवाई से दूर रखने की अपील की थी.... जस्टिस सोनी ने आफ़ताब आलम के दिए 12 फैसलों का डिटेल में अध्ययन करके उसे सुप्रीमकोर्ट के चीफ जस्टिस को दिया था और साबित किया था कि आफ़ताब आलम चूँकि मुस्लिम है इसलिए उनके हर फैसले में भेदभाव स्पष्ट नजर आ रहा है। 

फिर सुप्रीमकोर्ट ने जस्टिस आफ़ताब आलम को गुजरात दंगो से किसी भी केस की सुनवाई से दूर कर दिया।

जजों के चुनाव के लिए कोलेजियम प्रणाली के स्थान पर एक नई विशेष प्रणाली की जरूरत महसूस की जा रही थी। जब मोदी की सरकार आई तो तीन महीने बाद ही संविधान का संशोधन ( 99 वाँ संशोधन) करके एक कमीशन बनाया गया जिसका नाम दिया गया National Judicial Appointments Commission (NJAC)

इस कमीशन के तहत कुल छः लोग मिलकर जजों की नियुक्ति कर सकते थे। 
A- इसमें एक सुप्रीम कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश ,
B- सुप्रीम कोर्ट के दो सीनियर जज जो मुख्य न्यायाधीश से ठीक नीचे हों , 
C- भारत सरकार का कानून एवं न्याय मंत्री , 
D- और दो ऐसे चयनित व्यक्ति जिसे तीन लोग मिलकर चुनेंगे।( प्रधानमंत्री , मुख्य न्यायाधीश एवं लोकसभा में विपक्ष का नेता) ।

परंतु एक बड़ी बात तब हो गई जब सुप्रीम कोर्ट ने इस कमीशन को रद्द कर दिया , वैसे इसकी उम्मीद भी की जा रही थी। 

इस वाकये को #न्यायपालिका एवं #संसद के बीच टकराव के रूप में देखा जाने लगा ....भारतीय लोकतंत्र पर सुप्रीम कोर्ट के कुठाराघात के रूप में इसे लिया गया।

यह कानून संसद के दोनों सदनों में सर्वसम्मति से पारित किया गया था जिसे 20 राज्यों की विधानसभा ने भी अपनी मंजूरी दी थी।

सुप्रीम कोर्ट यह भूल गया थी कि जिस सरकार ने इस कानून को पारित करवाया है उसे देश की जनता ने पूर्ण बहुमत से चुना है।

सिर्फ चार जज बैठकर करोड़ों लोगों की इच्छाओं का दमन कैसे कर सकते हैं ? 

क्या सुप्रीम कोर्ट इतना ताकतवर हो सकता है कि वह लोकतंत्र में #जनमानस की आकांक्षाओं पर पानी फेर सकता है ?

जब संविधान की खामियों को देश की जनता परिमार्जित कर सकती है तो न्यायपालिका की खामियों को क्यों नहीं कर सकती ? 

यदि NJAC को सुप्रीम कोर्ट असंवैधानिक कह सकता है तो इससे ज्यादा असंवैधानिक तो कोलेजियम सिस्टम है जिसमें ना तो पारदर्शिता है और ना ही #ईमानदारी ?

#कांग्रेसी सरकारों को इस कोलेजियम से कोई दिक्कत नहीं रही क्योंकि उन्हें #पारदर्शिता की आवश्यकता थी ही नहीं।

मोदी सरकार ने एक कोशिश की थी परंतु सुप्रीम कोर्ट ने उस कमीशन को रद्दी की टोकरी में डाल दिया।

#शूचिता एवं #पारदर्शिता का दंभ भरने वाले सुप्रीम कोर्ट को तो यह करना चाहिए था कि इस नये कानून (NJAC) को कुछ समय तक चलने देना चाहिए था...ताकि इसके लाभ हानि का पता चलता , खामियाँ यदि होती तो उसे दूर किया जा सकता था ...परंतु ऐसा नहीं हुआ।

जज अपनी नियुक्ति खुद करे ऐसा विश्व में कहीं नहीं होता है सिवाय भारत के।

क्या कुछ सीनियर #IAS आॅफिसर मिलकर नये IAS की नियुक्ति कर सकते हैं? 

क्या कुछ सीनियर प्रोफेसर मिलकर नये #प्रोफेसर की नियुक्ति कर सकते हैं ? 

यदि नहीं तो जजों की नियुक्ति जजों द्वारा क्यों की जानी चाहिए ?

आज सुप्रीम कोर्ट एक धर्म विशेष का हिमायती बना हुआ है ...
सुप्रीम कोर्ट गौरक्षकों को बैन करता है ...सुप्रीम कोर्ट जल्लीकट्टू को बैन करता है ...सुप्रीम कोर्ट #दही_हांडी के खिलाफ निर्णय देता है ....सुप्रीम कोर्ट दस बजे रात के बाद #डांडिया बंद करवाता है .....सुप्रीम कोर्ट #दीपावली में देर रात पटाखे को बैन करता है।

लेकिन ..
सुप्रीम कोर्ट #आतंकियों की सुनवाई के लिए रात दो बजे अदालत खुलवाता है ....सुप्रीम कोर्ट #पत्थरबाजी को बैन नहीं करता है....सुप्रीम कोर्ट गोमांस खाने वालों पर बैन नहीं लगाता है ....ईद - बकरीद पर पर कुर्बानी को बैन नहीं करता है .....मुस्लिम महिलाओं के शोषण के खिलाफ तीन तलाक को बैन नहीं करता है।

और तो और सुप्रीम कोर्ट ने यहाँ तक कह दिया कि तीन #तलाक का मुद्दा यदि #मजहब का है तो वह हस्तक्षेप नहीं करेगा। ये क्या बात हुई ? #आधी_मुस्लिम_आबादी की जिंदगी नर्क बनी हुई है और आपको यह मुद्दा मजहबी दिखता है ? धिक्कार है आपके उपर ....।

अभिषेक मनु सिंघवी के वीडियो को सोशल मीडिया , यू ट्यूब से हटाने का आदेश देते हो कि न्यायपालिका की बदनामी ना हो ? ....पर क्यों ऐसा ? ...क्यों छुपाते हो अपनी कमजोरी ?

जस्टिस कर्णन जैसे पागल और टूच्चे जजों को नियुक्त करके एवं बाद में छः माह के लिए कैद की सजा सुनाने की सुप्रीम कोर्ट को आवश्यकता क्यों पड़नी चाहिए ? 

#अभिषेक मनु सिंघवी जैसे अय्याशों को जजों की नियुक्ति का अधिकार क्यों मिलना चाहिए ? 

क्या #सुप्रीम कोर्ट जवाब देगा ..?????


लोग अब तक सुप्रीम कोर्ट की इज्जत करते आए हैं , कहीं ऐसा ना हो कि जनता न्यायपालिका के विरुद्ध अपना उग्र रूप धारण कर लें उसके पहले उसे अपनी समझ दुरुस्त कर लेनी चाहिए। सत्तर सालों से चल रही दादागीरी अब बंद करनी पड़ेगी .. यह "#लोकतंत्र" है और "#जनता" ही इसकी "#मालिक" है।










प्रिय मित्रो ! 
                    सादर नमस्कार !
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Saturday, December 9, 2017

"अब कि बार कोई कार्यकर्ता ही हमारा जनसेवक (विधायक) होगा"!!

"सूरतगढ़ विधानसभा क्षेत्र की जनता ने ये निर्णय कर लिया है कि उसे अब अपना अगला विधायक कोई नेता,चौधरी,राजा या धनवान नहीं बल्कि किसी एक कार्यकर्ता को चुनना है "!! 









"मेरी राजस्थान के आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने हेतु आरम्भ हुई "चुनाव-अभियान यात्रा"सूरतगढ़ विधानसभा क्षेत्र हेतु !! आपका साथ आवश्यक है !


प्रिय मित्रो ! 
                    सादर नमस्कार !
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Thursday, November 23, 2017

"मेरी राजस्थान के आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने हेतु आरम्भ हुई "चुनाव-अभियान यात्रा"सूरतगढ़ विधानसभा क्षेत्र हेतु !! आपका साथ आवश्यक है !


मुझे राजस्थान का अगला विधानसभा चुनाव सूरतगढ़ विधानसभा से लड़ना होगा ,क्योंकि जनता भाजपा से रूठकर वापिस कांग्रेस के पास ना जा पाए !मुझे ये आभास हुआ है कि जनता भाजपा विधायकों से नाराज होकर वापिस कांग्रेस को जितवाने का सोच रही है !पार्टी नेतृत्व को घंटी बजाकर जगाना होगा !!  भाजपा का कार्यकर्ता होने के नाते पार्टी की टिकेट मांगूंगा ! अगर नेतृत्व ने मुझे नकार कर अगर किसी नए आदमी को टिकट दिया तो पार्टी का साथ देंगे ,अगर पुराने रह चुके विधायकों को ही फिर से दोहराया तो जन भावना को जानने हेतु एक सभा बुलाई जाएगी ,फिर जो जनता कहेगी वो ही करेंगे !हो सकता है निर्दलीय चुनाव लड़कर जनता की सेवा करनी पड़े !मैं पीछे नहीं हटूंगा !एक बात तो निश्चित है कि सूरतगढ़ विधानसभा की जनता बड़ी परेशान है मौजूदा प्रशासन एवं नेतृत्व से !जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता ! मैंने जनता से मिलना शुरू कर दिया है ! मैंने अपनी "चुनाव-अभियान यात्रा"का शुभारम्भ गुरु-पर्व वाले दिन बाबा रामदेव जी ,गुरुदवारा साहिब और बजरंगबली जी के मंदिर में माथा टेक कर उनकी पवित्र ध्वजा लेकर करी थी !जिनसे भी मिल रहा हूँ ,सब खुश हो रहे हैं और आगे बढ़ने हेतु कह रहे हैं !जनता का प्यार और आशीर्वाद मिल रहा है !30 साल तक पार्टी की सेवा करी है !जिसको भी पार्टी ने अपना प्रत्याशी बनाया उसे जितने हेतु भरपूर काम किया !अब जनता हमें उलाहने दे रही है ! हम किधर जाएँ !राजनीति छोड़कर हम तो अपने घर भी बैठ गए थे ! लेकिन जनता बैठने भी नहीं देती ! पार्टी नेतृत्व से अनुरोध है कि वो वस्तुस्थिति को समझकर उचित निर्णय ले !अन्यथा होने वाले नुकसान का पार्टी नेतृत्व स्वयं जिम्मेदार होगा !हम जीवित भी भाजपा के , बागी भी भाजपा के मरेंगे तो भी भाजपा के जीते तोभी भाजपा के और हारे तो भी भाजपा के !!आपकी जानकारी हेतु प्रस्तुत है पूरी जानकार हमारी गतिविधियों की ! आप सब अगर सहमत हों तो हमारे साथ जुड़ें !इस संदेश को आगे शेयर करें !














"मेरी राजस्थान के आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने हेतु आरम्भ हुई "चुनाव-अभियान यात्रा"सूरतगढ़ विधानसभा क्षेत्र हेतु !! आपका साथ आवश्यक है !


प्रिय मित्रो ! 
                    सादर नमस्कार !
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"निराशा से आशा की ओर चल अब मन " ! पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक)

प्रिय पाठक मित्रो !                               सादर प्यार भरा नमस्कार !! ये 2020 का साल हमारे लिए बड़ा ही निराशाजनक और कष्टदायक साबित ह...