उपवास का आनंद लेने वाले मित्रो , दिल से प्यार भरा नमस्कार ! ! !सन २००० मैं जब नरेंद्र मोदी जी ने गुजरात का नया - नया मुख्य मंत्री का पद संभाला हुआ था की तभी एक बुरी घटना घाट गयी , अयोध्या जा रहे कारसेवकों पर मुसलमानों का भेष धरके देश के दुश्मनों ने पेट्रोल छिड़क कर उनको जला दिया , इस घृणित कार्य में स्थानीय लोगों ने भी सहयोग किया ..?? जिस से हिन्दू समुदाय के कुछ लोग अपना धैर्य खो बैठे | और उन्होंने प्रतिक्रिया वश अपने मुस्लिम भाइयों को दुश्मन मान कर क़त्ल करने की चाहत लिए हमला कर दिया ?? लकिन वो तो पहले से ही तैयार बैठे थे , तो जंग शुरू हो गयी ...?? उस समय " चेनल मीडिया " नया - नया आया था , एक विशेष प्रकार का उनमे उत्साह था ..?? जो मीडिया हिन्दू समर्थक था वो अलग तरह से क्लिप दिखा रहा था और जो विदेशी सहायता प्राप्त इंग्लिश मिडिया था वो केवल मुसलमानों को ही कट्टा मरता दिखा और बता रहा था ..? जो की असंभव था , क्योंकि जब भी किन्ही दो पक्षों में कत्लेआम होता है तो दोनों तरफ के लोग हताहत होते हैं ..??? लेकिन जिसके हाथ में केमरा होगा वो जैसे चाहेगा वैसे ही चित्र खींचेगा ..?बस यंही पर गड़बड़ हुई है ...??? किसके कहने पर ये शरारत हुई ये कोई नहीं बता रहा | लेकिन ये कहा जा रहा है कि क्योंकि सी.एम्. मोदी जी थे तो उन्होंने जल्दी क्यों नहीं रोका इसलिए पहली दुर्घटना और उसकी प्रतिकिर्या दोनों हेतु वोही दोषी हैं | कुछ अति उत्साही पत्रकार भाई तो नरेंद्र मोदी जी को ही कातिल मान रहे हैं जैसे कि उन्होंने ही स्वयं गोधरा जाकर कतल किये हो ..??? और नेताओं को तो जैसे अमृत मिल गया हो ?? तब से लेकर पठ्ठे आज तक विश्व को भूलने भी नहीं देते ....? माला रटते ही रहते हैं | भले ही उसी गुजरात कि जनता ने उन्हें उसके बाद दो बार और सी. एम्. क्यों न बना दिया हो ?? और ऐसा भी नहीं है कि ऐसा कत्ले आम देश में पहली बार हुआ था ??? जब जब जनता कि अगवाई करने वाला राजा हो या मंत्री , न्यायालय हो या पंचायत किसी अन्याय पर न्याय नहीं कर पाते , तो जनता इस तरह से अपना फैसला सुनाती है जिसे सबको मानना ही पड़ता है फिर चाहे वो १९४७ हो या १९८४ , हिन्दू मरे या मुसलमान , सिख मरे या ईसाई कोई फरक नहीं पड़ता ? रोने वाले रोते रह जाते हैं और रोटियां सेंकने वाले रोटियां सेंक लेते हैं | समय बहुत बलवान है सब भुला देता है और फिर से एक नै राह बन्ने लगती है ??? परन्तु ये मीडिया और नेता साले भूलने ही नहीं देते ..... क्या करूँ ??? १९८४ में सिख भाइयों को दिल्ली में जिन्दा जलया गया वो भी दंगे नहीं कत्लेआम था ?? उसके पीछे भी पुनजब में फैला उग्रवाद था हर सरदार अपनेआपको भिंडरावाला समझने लग गया था ...? जनता का सब्र का मटका भर चुका था ? कि तभी इंदिरा जी कि हत्या हो गयी और मटका फूट गया और सयंम टूट गया ???? " सयंम " ही ऐसी चीज़ है जो इंसानियत को जिंदा रखती है ? इसका होना अतिआवश्यक है सब भाइयों के लिए | में भी इतनी सखत भाषा का प्रयोग नहीं करना चाहता था लेकिन आज एक नवभारत टाइम्स के स्तम्भ लेखक मित्र ने मजबूर कर दिया | रोज़ टी.वी. पर नेताओं , एन.जी.ओ.और पत्रकारों को निहायत ही घटिया तरीके से बहस करते हुए देखता हूँ , कोई बात उस बहस में साफ़ हो भी जाती है तब भी वो पत्रकार आदि एक पक्ष स्वयं बन कर बात को घिसटते रहते हैं घिसटते रहते हैं दर्शक गालियाँ निकालने के इलावा कुछ नहीं कर पाता ?? परमात्मा जल्दी से सबको सदबुधि दे !!
FIGHT ANY TYPE OF CORRUPTION, WITH "PEN"!
Sunday, September 18, 2011
Thursday, September 15, 2011
" DANGON " - PAR - " GANDON " - KI - " KOOT NITIK " - " CHALEN " ? ? ?
गंदे नेताओं की गन्दी राजनितिक चालों और मंहगाई , भ्रष्टाचार से त्रस्त, प्यारे देशवासियों , नमस्कार !जब भी मोदी जी की तारीफ होने लगती है तो कुछ पार्टियों,पत्रकारों और एन.जी.ओ. की छाती पर सांप लोटने लग जाते हैं | वे गोधरा में जलकर मरे लोगों की जिम्मेदारी तो किसी पर नहीं डालते लेकिन बाद में हुए दो समुदायों के दंगों में हर मुस्लिम के मरने का जिम्मेदार केवल और केवल मोदी जी को मानते हैं | जब भी किसी दो पक्षों में दंगा होता है तो दोनों पक्ष के लोग ही हताहत होते हैं किसी एक पक्ष के ही मारें या मरें ये संभव नहीं है ?? लेकिन ये लोग किसी हिन्दू की मौत का जिक्र तक नहीं करते | दूसरी तरफ बी.जे.पी.वाले भी जब ८४ के दंगों की बात करते हुए कांग्रेसियों को जिम्मेदार ठहराते हैं , तो उसके पीछे छिपे पंजाब में सिख उग्रवादियों द्वारा मारे गए हिन्दुओं का गुस्से का जिक्र तक नहीं करते ??? क्योंकि इन्हें पंजाब में सरदारों के वोट चाहिए होते हैं ??? और कांग्रेसियों को मुसलमानों और ईसाईयों के वोट लेनेहोते हैं , इसलिए इन कमीनों के मुह बंद जाते हैं ? इसी तरह माया को निम्न जातियों के वोट चाहिए कामरेडों को मजदूरों के , मुलायम लालू को यादवों के , शिव सेना को मराठियों के और बी.जे.पी.अपने आपको हिन्दुओं की रक्षक मानती है लेकिन है नहीं ?? सब ससुरे मिले हुए हैं ?? भारत वासियों की तो किस्मत ही खराब है , " प्रतिज्ञा" फिल्म में अदाकार " केश्तो - मुखर्जी " के डायलाग :- " मरना है " की तरह है ?? इसे तो मरना है , चाहे किसे भी सरकार बनाने का " मत " दे दे | इसे तो कटना, ठगना और फंसना है गंदे राजनेताओं की कूटनीतिक चालों में ....????? जय राम जी की बोलना पड़ेगा ...... बोलो जय श्री राम !!!!!!!!! क्योंकि वोही बचाएगा ??????? हमें ....... भगवन भली करे ????????
Sunday, September 11, 2011
" DARI - SAHMI - BE-BAS - KAMZOR - BHRASHT - OR - LAACHAR - SARKAAR - ?? "
विशेषणों के धनि मित्रो , विशेष नमस्कार !हमारी केंद्र की सरकार के साथ रोज़ नए - नए विशेषण जुड़ रहे हैं , जैसे :- निक्कम्मी , बेबस , भ्रष्ट , कमज़ोर और डरपोक आदि - आदि | और दाद देनी पड़ेगी हमारे पी.एम्. , मंत्रियों , और ९०% सांसदों की जो इतनी गाली गलौज के बाद भी अपनी पीठ थप थपाते नहीं थकते , मनीष तिवाड़ी , कपिल सिब्बल , बंसल , सत्यव्रत , सिंघवी , रेणुका जी , कितने नाम गिनाऊं इन महा पुरषों के ??? जो राहुल , सोनिया जी पूछे बिना कुछ काम नहीं कर सकते | देश वासी उनसे क्या उपेक्षा रखें ?? क्या रोज़गार निति और क्या विदेश निति , सब चोपट कर दिया इन निक्क्मों ने ??? जनता में सरकार के प्रति जितनी निराशा आज है ?? उतनी पहले की किसी सरकार के प्रति नहीं रही ??? और ये बेशरम नेता बार - बार जनता को ये कह कर और चिढ़ा रहे हैं कि हम तो २०१४ तक ऐसे ही करेंगे ??? अगर जनता को बुरा लग रहा है तो वो अगले चुनावों में नए एम्.पी.और एम्.एल.ऐ. चुन ले ???? मतलब इन मवालियों को इतना घमंड है कि ये अगले चुनावों में भी जनता को फिर से मुर्ख बनाकर जीत के प्रति आश्वस्त हैं | अब चैलेंज जनता को स्वीकार करना है ??? ये चतुर नेता जनता को पार्टी,धर्म , इलाके,और जातियों के बंधन में हमें बाँध कर , "अपना उल्लू सीधा " कर लेते हैं ??????? इसलिए हमें अभी से संभलना और समझना होगा तथा समझाना भी होगा देश कि भोली - भाली जनता को ??? बोलो ------ भारत -- माता -- की -------- जय हो !!!!!!
Tuesday, September 6, 2011
" REDDY "HO-JAAO - DESH - WASIYO ! " CHAINA , PAKISTAAN , SE LADNE HETU "
माल कमाने में हमेशा " रेड्डी " रहने वाले दोस्तों , जय श्री राम !!! धन कमाना कोई बुरी बात नहीं है ,जरूर कमाना चाहिए , नहीं कमाएँगे तो देश - धर्म कैसे चलेगा ?? परन्तु गलत तरीके से धन इकठ्ठा नहीं करना चाहिए , परन्तु आजकल धन का महत्व इतना बढ़ गया है कि हर चीज़ केवल " धन के तराजू " में ही तोली जाती है | यंहा तक कि " रिश्ते - नाते " भी धन के आगे फीके पड़ गये हैं | जीवन के मूल्यों को छोड़ इंसान पैसा - पैसा करता " बावलों " की तरह डोल रहा है | गलत - सही का अंतर भूल गया है आदमी ? वो चाहे मैं होऊं या आप , " रेड्डी - बंधू हों या अमर सिंह ,अहमद पटेल हो या स्व.प्रमोद महाजन सब पकडे जाने से पहले संत होते हैं ? १० से १००००० रूपये तक का चोर पकड़ा भी जाता है और सजा भी पाता है | इससे बड़ा चोर सिपाही , जज आदि को पार्टनर बना लेता है ? नेता लोग बात करवाते हैं ? पत्रकार और ठेकेदार मीटिंग की व्य्वस्था देखते हैं रेट तय करने में मदद करते हैं ?? एक कहावत है कि " ऊँगली पकडाओ तो पौंचा पकड़ लेना " यानि " लालच " आ जाना , जो स्वभाविक है | सतर्क तो तंत्र को होना चाहिए , सजा का डर होना चाहिए और इज्जत जाने का खतरा होना चाहिए ???? समाजिक बहिष्कार और हुक्का - पानी बंद होना भी पहले एक सजा होती थी ? मगर आजकल तो ऐसे लोग मुख्याअतिथि बनाए जाते हैं जी | राम सबका भला करे , कोई मजबूरी हो तो चोरी भी जायज़ समझी जाती थी मगर आज तो " चोरी, हेराफेरी फैशन बन गया है जी ?? हमारे शहर में भी ४-५ टोलिया हैं जो छोटी - मोटी राजनितिक पार्टियों के झंडे उठाये फिरते हैं , सुबह मजदूरों या लोगों को साथ लेकर जिंदाबाद - मुर्दाबाद बोलेंगे , शामको उन्ही अफसरों से पैसे लेकर मोजमस्ती करेंगे ?? इनमे नेता,पत्रकार,व्यापारी और ठेकेदार शामिल होते हैं जी | देश का " भठा बैठता है" तो बैठ जाए ? जय राम जी की बोलना पड़ेगा नहीं तो राम नाम सत्य हो जायेगा | अमर सिंह जी तो तिहाड़ पंहुच गए हैं | १९७७ में कई शरीफ नेता जेल गये थे तो उन्होंने " जनता पार्टी बना दी थी , अब चोर नेता और अफसर तिहाड़ में हैं तो न जाने कौनसी पार्टी बनेगी राम ही जाने ! ? ? ?
Thursday, September 1, 2011
" AB " CONGRESSI - KHEL MANTRI " - BANNE CHALE -- " ANNA "
रोज़ नए प्लान बनाने वाले दोस्तों , नमस्कार !अन्ना जी के आन्दोलन के बाद कांग्रेस ने व्यापक योजना बनाई है | एक तो ये की मिडिया को डराया जाए क्योंकि बैन तो वो लगा नहीं सकते ? उनके अनुसार अगर मिडिया नहीं मदद करता तो आन्दोलन इतना सफल नहीं होता ? दूसरा प्लान ये है कि कुछ मंत्रियों को अन्ना जैसा शरीफ और भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ता हुआ दिखाया जाए ? ताकि जनता में ये सन्देश जाए कि " कांग्रेस " में भी भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ने वाले लोग हैं ? इस कड़ी में पहला नाम आया है खेल मंत्री श्री अजय माकिन ? स्क्रिप्ट लिखी जा चुकी है , और नाटक शुरू हो चुका है ? जनता को मूरख बनाने का काम शुरू कर दिया गया है | खेल मंत्री जी ने खेलों में पारदर्शिता लाने हेतु एक बिल बनाया और मंत्री मंडल के समक्ष रखा तो मंत्री मंडल में बैठे क्रिकेट के लोग चोंक गए और भड़क गए , क्योंकि उसमे कई ऐसी बातें थीं , जो उन्हें नागवार गुजरीं , जैसे क्रिकेट बोर्ड की कितनी कमाई कंहाँ खर्च हो रही है ? बोर्ड में खिलाडी की बजाए नेता क्यों हैं आदि - आदि | नाटक सीधा ( लाइव ) टीवी . पर दिखाया गया | विलेन बने श्री राजीव शुक्ला , उन्होंने फ़रमाया कि जनता को क्रिकेट बोर्ड की आय से कोई मतलब नहीं है | और ये भी कहा कि इंडियन क्रिकेट टीम असली इंडियन टीम नहीं , हम तो ऐसे ही इंडिया लिखते हैं जैसे " एन.डी.टी.वी. इंडिया " ? अब सवाल ये पैदा होता है कि आज से पहले कि सरकारें सो रही थीं ? ६५ सालों में से ५२ साल तो देश पर राज कांग्रेस ने ही किया है, तो जवाबदेह भी कांग्रेस ही होगी न ? १६७५ करोड़ रूपये की सलाना कमाई कन्हा जाती है ? क्रिकेट बोर्ड को मुफ्त जमीने स्टेडियम हेतु क्यों दी गयी ? सट्टा - बाज़ार भी दुनिया भर में इन्ही के आशीर्वाद से चलता है | क्या " आई,सी,सी आई. और क्या बी.सी.सी.आई." ये सब सोची समझी योजना के मुताबिक सारे विश्व का धन खाए जा रहे हैं मिल बांटकर खा रहे हैं | नए खेल मंत्री अब उनसे जो सवाल पूछ रहे हैं वो पहले वाले मंत्रियों ने क्यों नहीं बोर्ड से पूछे ? अब वो " अन्ना " बनने की असफल कोशिश क्यों कर रहे हैं ? मिडिया वाले भी नाहक ही डर रहे हैं ? खेल मंत्री जी अगर सचमे " अन्ना " बनना है तो जब आपका बिल रिजेक्ट हुआ था , तभी स्तीफा देकर जनता के दरबार में जाकर बोलते ? तब हमें लगता कि कोई " शरीफ और मर्द " मंत्री बोला है ? क्यों दोस्तों , आपका क्या कहना है इस बारे में ?
Tuesday, August 30, 2011
" SHAALINTA -- SAANSAD -- OR -- SHABAD - GYAAN "
शब्द ज्ञानी दोस्तों , नमस्कार ! अन्ना जी के आन्दोलन में जनता के बीच में श्री मति किरण बेदी और अपने प्रिय अदाकार ओम पुरी जी ने हमारे सांसदों , मंत्रियों और नेताओं को कुछ खरी - खरी नमक - मिर्च लगाकर सुनादी , तो हमारे नेता भड़क गए कहने लगे , कि संसद का अपमान हो गया , वगेरह - वगेरह | दोनों वक्ताओं में से एक तो पंजाबी पुलिस वाली अधिकारी है , तो दूसरा ग्रामीण पंजाबी संस्कृति का, दोनों भले ही डिग्री धारक हों परन्तु शब्द - ज्ञानी तो बिलकुल नहीं हैं | प्रयाय्वाची तो बिलकुल नहीं जानते | बल्कि दोनों भूतकाल में भारी भरकम " गालियों " के ज्ञाता और वक्ता अवश्य रहे होंगे | उन्होंने जो शब्द प्रयोग किये वो उन लोगों के लिए तो उचित नहीं हैं जो ईमानदारी से अपना कार्य करते हैं , चाहे वो किसी भी दल से क्यों न हो ? लकिन जो शुद्ध भ्रष्टाचारी हैं उनके लिए तो ये शब्द बहुत शालीनता से भरे हुए हैं , क्योंकि आम जनता तो उनसे भी गंदे संबोधनों से पुकारती है ? जो शायद उन नेताओं के कानो में नहीं पंहुचते | अब कोई आपको " कुत्ता , कमीना , चोर बदमाश और हरामी कहना चाहे , आपके कार्यों के कारन और उसे इनके प्रयावाची न पता हो , तो कोई क्या करे ?" एक तो चोरी , ऊपर से सीनाजोरी ? ये चोर सांसद उनको धमका भी रहे हैं की आपने " संसद " का अपमान कर दिया ? वाह ! भाई क्या पैंतरा मारा है ? इस सब के लिए जनता भी कम जिम्मेदार नहीं है ? उसे भी अब नए उमीदवार ढूंढ लेने चाहिए | चुनाव चाहे कोई से भी हों ?" पार्टी , धर्म , जाती और इलाके की बंदिशें तोड़ दो " !!!! सिर्फ " भारत - माता - की जय !! और वन्दे - मातरम !! का ही ध्यान हो !!!!!!! जय हो .............!!!!!!!!! एक पुराने गीत की दो पंक्तियाँ याद आ रही हैं ..... " शरीफों का ज़माने में , अजी बस हाल ये देखा की शराफत छोड़ दी मैंने ....................????????? कैसा - लगा ?
Saturday, August 27, 2011
" AB - HONE WALE - HAR CHUNAVON MAIN - JAATI - ILAKA - DHARAM - PARTY- LALCH - SABH - CHODHNA - HOGA , OR NAYA - M.P. - MLA. DHOONDHNA - HOGA." .
सरकार और विपक्ष के लटकों - झटकों में फंसे दोस्तों ! नमस्कार !! सभी भारत वासी पिछले १२ दिनों से सरकार - विपक्ष और मिडिया के लटके - झटके देख रहे हैं , समझ रहे हैं | कैसे - कैसे नाटक कर रहे हैं , " लालू, बंसल , प्रणब, राहुल,मायावती,आदि - आदि | जनता समझ भी रही है , और सोच भी रही है कि क्या किय जाए ? नेता चेलेंज कर रहे हैं कि हिम्मत है तो २०१४ में चुनाव लड्लें , अपनी सरकार बनालें और " बिल " पास करवालें ? सरकार संसद में तो ये दिखा रही है कि वो " जन्लोकपाल " के कुछ - कुछ पक्ष में है | विपक्ष दिखा रहा है कि वो " ज्यादातर " पक्ष में है " लेकिन दोनों कि शह पर " माया - लल्लू असली भाषा बोल रहे हैं "| बेशर्मी की हद हो गयी है ? पुराने संसद - सदस्य या मंत्री होने का " दंभ " लगातार बढ़ रहा है | जिसका इलाज आवश्यक है , और इस बीमारी की डाक्टर " जनता " ही है | आज हम सबको ये "प्रण" करना है कि अब चाहे जो भी चुनाव आये , चाहे छोटा हो या बड़ा , तब हमने किसी लालच में नहीं फंसना , जाती , धरम , इलाका और पार्टी के बन्धनों में नहीं फंसना " सिर्फ और सिर्फ " इमानदार " और " सेवा - भावी व्यक्तियों को ही चुनना है | ये मशाल जलती रहनी चाहिए | तभी शुद्ध लोक तंत्र आएगा |
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"निराशा से आशा की ओर चल अब मन " ! पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक)
प्रिय पाठक मित्रो ! सादर प्यार भरा नमस्कार !! ये 2020 का साल हमारे लिए बड़ा ही निराशाजनक और कष्टदायक साबित ह...

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मेरे प्रिय " हंस - हंस्नियो मित्रो , धवल - शुद्ध नमस्कार !!! दलीप कुमार साहिब की एक फिल्म थी ,जिसमे हिन्दू...
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" झीनी चादर " अपने जीवन में ओढने वाले सभी मित्रों को मेरा सादर नमस्कार !! कबीर जी कहते हैं ,जब हम पैदा हुए ,...