प्यारे देशवासियों , नमस्कार ! नेताओं ने सर्वदलीय मीटिंग में जो तय हुआ उसका सार ये है की " जन - लोकपाल " पर विचार तो होगा पर " श्रेय " कंही " अन्ना " जी की टीम को नहीं चला जाए , ये नहीं होगा | अब सवाल ये पैदा होता है कि " क्या इन नेताओं को संसदीय प्रणाली की चिंता है ?" या ये जिद है की हमारी चले ? मौजूदा सांसदों का चरित्र जनता को समझ आ गया है चाहे वो किसी भी पार्टी का है ? अभी आखरी बात प्रणब जी के साथ होने वाली है मुझे नहीं लगता कि कोई हल निकलेगा ? फिलहाल " जन्लोकपाल - बिल " विचारार्थ स्वीकार हो जायेगा और अनशन समाप्त हो जायेगा ? लकिन क्या जनता " चुनावों " के समय तक सब भूल जाएगी या ये संघर्ष याद रखेगी ? मेरा तो यही मत है कि जनता को आज ये प्रण कर लेना चाहिए कि अगले चुनावों में न तो कोई "पुराना सांसद जीतना चाहिए और न ही कोई पुराना विधायक जीतना चाहिए " ? " अन्ना " जी की टीम को अभी से " इमानदार " लोग ढूँढने का कार्य शुरू कर देना चाहिए ? ताकि जनता को निर्णय करने में कोई परेशानी न हो ? जनता को ये भी प्रण करना होगा कि अपनी " पार्टी , धर्म , जाती और इलाका " के नाम पर " वोट " न देकर केवल " इमानदार " प्रतिनिधियों को ही चुनना होगा | अन्यथा अन्याय होता रहेगा | भारत - माता - की - जय !! अन्ना - जी - की - जय !! " ए - कम्पनी - की जय हो !! भारत - की - जनता - की जय हो !! नेताओं कुछ सीखो " अन्ना " जी से | परमात्मा इन नेताओं को सदबुध्धि दे ?
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