नमस्कार दोस्तों ! संसद के मान सून सत्र से पहले पी.एम्. ने एक ब्यान दिया कि " विपक्ष के भेद भी खोले जायेंगे " जिसे सुन कर सभी हैरान हो गए कि इसका क्या मतलब है ? सब ने यही सोचा कि चलो पी. एम्.ने सदन में विपक्ष कंही ज्यादा हल्ला न मचाये इसलिए बोल दिया होगा ?लेकिन बाद में जब बी.जे.पी. ने समझोता किया और लालू , मुलायम,मायावती,जैसी अन्य सारी पार्टियां चुप्पी साध गयीं , और कामरेडों ने वाकाउट किया उससे जनता में ये शक घर कर गया है कि अबकी बार संसद में सांसदों को समर्थन के लिए पैसा नहीं दिया गया है बल्कि पार्टियों को " ब्लैकमेल "किया गया है ?" खोजी पत्रकारों " को इस विषय पर काम शुरू कर देना चाहिए | क्योंकि जिस प्रकार से विशेषकर कांग्रेसी सांसदों कि भाषा बदली हुई है ,वो भी ध्यान देने योग्य है | वो कह रहे हैं हम चुन कर आये हैं इसलिए हम जो कानून बनायें वो ही सही है ,जनता कि तरफ से नातो कोई समाज सेवी बोले और नाही कोई पत्रकार बोले | आप को बिल बनाना है तो पहले चुनाव जीत कर आइये | आज स्थिति ये हो गयी है कि लगभग सभी पार्टियों के ज्यादातर नेता "ढीठ ", " चोर " लुटेरे " और " ब्लेकमेलर " हो गए हैं ? इसका एक मात्र कारन है चुनावों में होने वाला " खर्च " " सच्चा " आदमी तो "रोटी - कपडा और मकान " में ही उलझा रहता है , बेचारा चुनाव लड़ने कि सोच ही नाही सकता | अगर कोई सोच भी ले तो जनता उसको जिताती नही | क्योंकि " जनता " तो चुनावों के समय में " जातिवाद , भाषावाद , क्षेत्रवाद , और नेताओं द्वारा दिए जा रहे अन्य प्रलोभनों में फंसी होती है , नतीजा ये कि ऐसे होनहार संसद सदस्य बन जाते हैं कि बाद में वो देश को दोनों हाथों से लूटने का कोई अवसर हाथ से जाने नही देते | कई नेता आजकल बोल ही नही रहे जैसे " अडवानी जी " जसवंत सिंह जी " आदि आदि | क्या सभी ब्लैकमेल हो रहे हैं | जागरूक नागरिकों को इसबारे में भी सोचना होगा | क्योंकि अगर कुछ सोचा नही गया तो आने वाली पीढियां हमें माफ़ नही करेंगी ? देश या तो दोबारा गुलाम हो जायेगा या फिर ये भूखे " कुत्ते " देश को नोच - नोच कर खा जायेंगे ? संसद की कार्यवाही को ही इन गद्दारों ने मिलकर " तमाशा " बना कर रख दिया है ?यु.पी.ऐ.२ सरकार गुमान से भरी पड़ी है | "हे - राम " बोलना पड़ेगा ! जैसा मरते वक्त " महात्मा गाँधी बोले थे ! ! ! " हे - राम ?
FIGHT ANY TYPE OF CORRUPTION, WITH "PEN"!
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
"निराशा से आशा की ओर चल अब मन " ! पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक)
प्रिय पाठक मित्रो ! सादर प्यार भरा नमस्कार !! ये 2020 का साल हमारे लिए बड़ा ही निराशाजनक और कष्टदायक साबित ह...
-
मेरे प्रिय " हंस - हंस्नियो मित्रो , धवल - शुद्ध नमस्कार !!! दलीप कुमार साहिब की एक फिल्म थी ,जिसमे हिन्दू...
-
" झीनी चादर " अपने जीवन में ओढने वाले सभी मित्रों को मेरा सादर नमस्कार !! कबीर जी कहते हैं ,जब हम पैदा हुए ,...
-
भारतीय संस्कृति के अनुसार , जब से ये सृष्टि रची गयी है ,लगभग तभी से धर्म के नाम पर तथाकथित धर्म चलाने वालों द्वारा ही अपराध किये या करवाये ...
No comments:
Post a Comment