दाढ़ी वाले दोस्तों , साफ़ सुथरा नमस्कार !!संसद मैं कांग्रेस के प्रवक्ता और सांसद मनीष तिवाड़ी ने सभी सांसदों से हाथ जोड़ कर अपील करी कि " कृपया आप अपनी दाढ़ी कोर्ट के हाथ में मत जाने दें | नहीं तो अनर्थ हो जायेगा " ?????? ग्यानी लोग इसका अलग - अलग मतलब निकाल रहे हैं | सभी ने देखा की वो साथ मैं हाथ भी जोड़ रहे थे | ऐसा करते वक्त वो विपक्ष की तरफ बड़ी "आशा भरी " नज़रों से देख रहे थे | मुझे जो लगा वो ये कि वो ये कहना चाहते थे कि बईमानी तो हम भी कर रहे हैं और मौका मिलने पर आप भी नहीं चूकोगे , तो एक हो जाओ नहीं तो ये "जज" लोग , और ये कमेटियों वाले हमें जीने नहीं देंगे | इस तरह के प्रयास की जितनी निंदा की जाए , उतनी कम है .क्योंकि ये शरेआम भ्रष्टाचार का नंगा नाच है | मैं तो कहता हूँ कि " लोकतंत्र की यही सबसे बड़ी खूबी है कि यंहा एक की दाढ़ी - दुसरे के हाथ में है " |" विधायिका " की "न्यायपालिका" के हाथ में ," न्यायपालिका " की " राष्ट्रपति " के हाथ में , " राष्ट्रपति " की फिर "प्रधानमंत्री " के हाथ में दाढ़ी होती है प्रधानमंत्री की दाढ़ी संसद और जनता के हाथ में होती है | यंहा " दाढ़ी" का मतलब अधिकार से है | हमारे सांसदों को चाहिए की ऐसी निराधार अपीलें करने के बजाए इमानदारी से अपना कार्य करें जिससे आम जनता को भी प्रेरणा मिले |चरित्र दिखाकर ही सचरित्र पैदा किया जा सकता है |
FIGHT ANY TYPE OF CORRUPTION, WITH "PEN"!
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