Tuesday, July 1, 2014

" ताज़ा समाचार - आपके हमारे विचार और करते हुए आभार " !! पीताम्बर दत्त शर्मा ( विचारक - विश्लेषक - लेखक )


चौहान, मनोहर, वसुंधरा और रमण सिंह भाजपा में हाशिये पर..


                                                                      मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जिन्हें लाल कृष्ण अडवाणी की आँख का तारा और संघ के बेहद करीब माना जाता था, आज कल अलग थलग पड़ते नज़र आ रहे हैं. शिवराज सिंह चौहान जिन्हें एक समय में प्रधानमंत्री पद की दौड़ में देखा जा रहा थाvasundhara_raman_shivraj
अब व्यापम घोटाले के सामने आने बाद से पार्टी में हाशिये पर भेज दिए गए से लगने लगे हैं. उन्हें भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की तरफ से उपेक्षा ही मिलती दिखाई दे रही है. गौरतलब है पिछले साल के अंत में सामने आये इस घोटाले में संघ और मध्य प्रदेश सरकार के कई बड़े नाम सामने आये हैं, लेकिन भाजपा की तरफ से बचाव की कोई बड़ी कोशिश नहीं की जा रही है.
हालांकि चौहान हाशिये पर भेजे जाने वालो में अकेले नहीं हैं. राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमण सिंह और गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रीकर भी भाजपा के कद्दावर नेताओं में शुमार किये जाते हैं लेकिन केंद्र में सरकार बनने के बाद से लगातार उपेक्षा की दृष्टि से देखे जा रहे हैं. भाजपा नेताओं का ये भी मानना है कि वसुंधरा राजे केंद्रीय मंत्री निहालचंद मेघवाल के लिए अन्दर ही अन्दर मुसीबतें खड़ी करने में व्यस्त हैं. मेघवाल पर बलात्कार का आरोप लगा है जबकि उस पद के लिए राजे के पुत्र दुष्यंत के नाम पर विचार किये जाने के बाद इंकार कर दिया गया था. इसी तरह भाजपा का एक हिस्सा रमण सिंह को दुर्ग में हार का दोषी मानता है जहाँ भाजपा ने ग्यारह में से अकेले एक दुर्ग की सीट गंवाई थी.
इन सब घटनाओं के बीच जो सबसे चौंकाने वाली बात सामने आ रही है वो है केंद्रीय सत्ता पाने के बाद मोदी के अंदरूनी विरोधियों के साथ असहयोग और करीबियों का उत्थान. प्रधानमंत्री बनने के बाद से नरेंद्र मोदी के प्रतिद्वंदी रहे सभी नेताओं के साथ लगभग पराया व्यव्हार जगज़ाहिर है. एक तरफ अडवाणी के करीबी चौहान इस समय संकट में नज़र आ रहे हैं, वसुंधरा की सरकार के बारे में भी अटकलों का दौर जारी है और संघ पर भी साख बचाने का भारी दबाव है, वहीँ मोदी के करीबी अमित शाह को भाजपा में सर्वोच्च पद दिए जाने की पुष्टि हो चुकी है.
जिस तरह से नरेंद्र मोदी के आने के बाद से भाजपा में बड़े नेता हाशिये पर भेजे जा रहे हैं उसे देख कर यही लगता है कि मोदी अपनी निरंकुश छवि के साथ जा रहे हैं और अपनी जड़ें मज़बूत करने के लिए दूसरों की जड़ें काटने का काम करवा रहे हैं क्यों कि मोदी जानते हैं लम्बे समय तक पॉवर में बने रहने के लिए अंदरूनी प्रतिद्वंद्विता ही सबसे बड़ा रोड़ा साबित हो सकती है.
                        


तापस पाल के बयान पर विवाद के बाद पत्नी ने मांगी माफ़ी..

कम्युनिस्ट पार्टी (मा) के साथ हो चुकी महिलाओं को बलात्कार की धमकी देने वाला बयान दे कर तृणमूल कांग्रेस के सांसद तापस पाल फंस गए हैं. पाल के बयान पर पार्टी ने उनसे पल्ला झाड़ लिया है और उनसे बयान के बाबत जवाब तलब किया है. हालांकि पाल की पत्नी ने अपने पति द्वारा दिए गए बयान पर खेद जताते हुए माफ़ी मांगी है. पाल की पत्नी नंदिनी पाल ने एक चैनल को दिए गए इंटरव्यू में कहा कि पाल की टिप्पणी पर परिTapas-Palवार देश से माफ़ी मांगता है. पाल को बयान देते वक़्त शब्दों के चयन को ले लार सतर्क रहना चाहिए था और बलात्कार जैसे शब्द नहीं प्रयोग करने चाहिए थे.
nandini paulदूसरी तरफ पार्टी ने भी पाल के बयान को गम्भीरता से लेते हुए 48 घंटे के भीतर जवाब तलब किया है. पाल ने सफाई देते हुए कहा है कि उन्होंने रेप नहीं रेड कहा था. राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्षा ममता शर्मा ने बयान पर खेद जताते हुए कहा कि ये दुर्भाग्यपूर्ण है और भविष्य में इस तरह के बयान न हो इसलिए ज़रूरी है कि पाल के इस्तीफे की मांग की जाये. साथ ही पाल पर प्रभावी कार्यवाही की जानी चाहिए. ऐसे बयान से ज्यादा शर्मनाक कुछ नहीं हो सकता वो भी तब जब एक जन प्रतिनिधि की तरफ से आया हो. एक तरफ देश महिलाओं को ले कर समस्याओं से जूझ रहा है और दूसरी तरफ हमारे जनप्रतिनिधि महिलाओं के बलात्कार के लिए लोगों को उकसा रहे हैं. पाल को इस्तीफ़ा देना चाहिए और उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए. ममता बैनर्जी पर निशाना साधते हुए शर्मा ने कहा कि वैसे तो वे बहुत मुखर और तेज़ तर्रार हैं लेकिन अभी तक इस मामले में उनकी चुप्पी उन्हें सवालों के घेरे में खड़ा करती है.

भारतीय लोकतांत्रिक महिला संगठन की सदस्य जगमति सांगवान ने पाल के इस्तीफे से कम पर बात करने से इनकार करते हुए कहा कि वे इस मामले में स्पीकर और ममता बैनर्जी से बात करेंगी. कांग्रेस समेत लगभग सभी दलों ने इस बयां की कड़ी निंदा की है. गौरतलब है कि तृणमूल कांग्रेस के क्रिकृष्णानगर से सांसद तापस पाल ने मई माह में सीपीआई-एम से जुडी महिलाओं के बलात्कार और हत्या करवाने सम्बंधित बयान जनता के बीच में खड़े हो कर दिया था. विडियो एक मोबाइल फोने फुटेज है जिसमें पाल को कम्युनिस्ट पार्टी-(मा) से जुड़ी महिलाओं के बलात्कार और हत्या के लिए समर्थकों को उकसाते देखा और सुना जा सकता है.

साईं बाबा विवाद तेज़ी से रंग ला रहा है..

शिर्डी के साईं बाबा पर शंकराचार्य स्वामी स्वरुपानंद के बयान के बाद इस मुद्दे पर राजनीती ने पाँव पसारने शुरू कर दिए हैं. भाजपा नेत्री और केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने स्पष्ट तौर पर साईं बाबा के समर्थन में आवाज़ बुलंद कर दी है. हालाँकि उन्होंने शंकराचार्य के बारे में कुछ कहने से इंकार किया. इसके बाद से यह मुद्दा अब तेज़ी करवट ले रहा है.SS
शंकराचार्य ने प्रधानमंत्री और उमा दोनों से इस मामले से अलग रहने की बात कही है. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर मोदी और उमा दोनों की ज़रूरत नहीं है, वो खुद ही काफी हैं इस मामले से निपटने के लिए. हालाँकि वे उमा से अपना पक्ष साफ़ करने की बात कहते हुए बोले कि उमा जब इस मामले में कूद ही चुकी हैं तो उन्हें अपनी बात और पक्ष साफ़ कर देना चाहिए.
साईं बाबा पर दिए गए बयां से पीछे हटने से इंकार करते हुए शंकराचार्य ने आगे बताया कि साईं एक मुस्लिम फ़कीर थे जिसकी एक हिन्दू देवता के सामान पूजा अर्चना नहीं की जा सकती न ही उन्हें भगवन का दर्जा दिया जा सकता है. यदि इस बात के लिए उन्हें जेल भी होती है तो उन्हें अफ़सोस नहीं होगा. वे आगे भी हिन्दू धर्म की रक्षा का अभियान चलते रहेंगे.
उन्होंने कहा कि हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए चलाये गए उनके अभियान का विरोध सिर्फ उन्ही लोगों के द्वारा हो रहा है जो धर्म को बेच रहे हैं और अपने लिए आजीविका के साधन जुटाने में व्यस्त हैं धर्म का नाम ले कर. इसके बाद उन्होंने उमा भारती का पत्र भी पढ़ कर सुनाया. उन्होंने उमा के तर्क की व्याख्या करते हुए कहा था कि किसी को भगवान के रुप में देखना किसी व्यक्ति का निजी विचार है. उमा भारती की व्याख्या से शंकराचार्य बहुत ज्यादा प्रभावित नहीं दिखे और उन्होंने उमा से सवाल करते हुए कहा कि लगता है साध्वी ने साईं बाबा की शंकर और विष्णु के अवतार के रूप में प्रचारित की गयी तसवीरें नहीं देखी हैं.

            शंकराचार्य ने उमा पर आरोप लगते हुए कहा कि उमा ने अपनी भक्ति का स्वरुप बिगाड़ लिया है. उमा को या तो जनता के शासक के रूप में काम करना चाहिए या धर्म के मामले में लिप्त रहे. उन्होंने अपनी छवि बदल ली है और अब मुस्लमान की पूजा करने लगी हैं. उनके मंत्री बनने के बाद ढेर सारे लोग उनसे राम मंदिर निर्माण पुनः शुरू होने की उम्मीद लगाये बैठे थे लेकिन उन्होंने जनता के साथ और अपने भगवान के साथ विश्वासघात किया है.उन्होंने कहा कि जब उमा भारती केंद्र में मंत्री बनीं तो उन्होंने सोचा था कि एक रामभक्त केंद्रीय मंत्री बनी हैं और अयोध्या में जल्द ही भगवान राम का मंदिर हकीकत बनेगा लेकिन उनसे गलती हो गयी क्योंकि उमा भारती एक मुस्लिम की पुजारिन निकलीं. स्वामी प्रेमानंद ने तो इससे भी आगे बढ़कर इस मुद्दे पर उमा भारती के इस्तीफे की मांग तक कर डाली.
जवाब में उमा ने कहा कि स्वरूपानंद उनके लिए पिता तुल्य हैं इसलिए वे उनका सम्मान करती हैं और उन पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगी. लेकिन उन्हें साईं बाबा में विश्वास है और आस्था व्यक्ति विशेष का निजी अधिकार और निर्णय है. साईं बाबा ने कभी अपने को भगवन नहीं कहा और न ही उनके भक्तों ने उन्हें भगवन का दर्जा दिया है. इसलिए साईं के मंदिर निर्माण पर रोक लगाना गलत होगा.

                                  

साईं बाबा ही नहीं, स्वामीनारायण उर्फ़ घनश्याम पांडे भी “भगवान” नहीं थे..

-अभिरंजन कुमार।।
साईं बाबा भगवान नहीं थे- यह तो तय है और इसीलिए शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की कई “दलीलों” से सहमत नहीं होते हुए भी “तथ्य” के आधार पर मैंने उनका समर्थन किया। एक और तथाकथित “भगवान” हैं- स्वामीनारायण संप्रदाय के घनश्याम पांडे उर्फ नीलकंठवर्णी उर्फ सहजानंद स्वामी (2 अप्रैल 1781 – 1 जून 1830), जिनके अनुयायी उन्हें “भगवान स्वामीनारायण” मानते हुए उनकी पूजा करते हैं। अक्षरधाम मंदिर के नाम से गुजरात और दिल्ली में उनके बड़े मंदिर हैं।स्वामीनारायण उर्फ़ घनश्याम पांडे
दिल्ली का अक्षरधाम मंदिर मैंने भी देखा है। यमुना के तट पर बने इस मंदिर का परिसर सौ एकड़ में फैला है और यह दुनिया का सबसे बड़ा मंदिर परिसर है। गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ने भी इसे दुनिया के सबसे बड़े मंदिर परिसर के तौर पर मान्यता दी है। इस मंदिर के गर्भगृह में स्वामीनारायण जी की विशाल प्रतिमा स्थापित है, जबकि हिन्दू धर्म के दूसरे तमाम स्थापित देवी-देवताओं (जिनका शास्त्रो में वर्णन है) की छोटी-छोटी प्रतिमाएं इस तरह स्थापित हैं, जैसे वे सभी उनके मातहत कर्मचारी हों।
घनश्याम पांडे जी ने अच्छे काम किए होंगे और उम्दा संत रहे होंगे, इस बात से मुझे इनकार नहीं है और उनके लिए मान-सम्मान में भी कोई कमी नहीं है, लेकिन आर्य समाज के संस्थापक और महान समाज-सुधारक महर्षि दयानंद सरस्वती ने भी उन्हें “भगवान” मानने से इनकार किया था। क्या विडंबना है कि जिन लोगों ने देश और समाज के लिए ज़्यादा बड़े काम किये, उन्होंने कभी अपने को “भगवान” साबित करने की कोशिश नहीं की। तुलसी, सूर, कबीर और रविदास से लेकर ख़ुद दयानंद सरस्वती, स्वामी विवेकानंद, राजा राममोहन राय और महात्मा गांधी तक इसके ज्वलंत प्रमाण हैं।
मेरा स्पष्ट मानना है कि इस वक़्त देश को वह फ़र्ज़ी भगवान नहीं चाहिए, जिसके नाम पर तमाम तरह के धत्कर्म, मनी मेकिंग और लैंड ग्रैविंग के खेल चल रहे हों, बल्कि वह नायक चाहिए, जो लोगों को गरीबी, मुफलिसी, अशिक्षा, बेरोज़गारी और अंधविश्वास से मुक्ति दिलाए, उसे सही रास्ते पर ले जाए, उसकी ऊर्जा को देश के विकास के लिए केंद्रित करे। सॉरी, मैं धर्म का ज्ञाता नहीं हूं… इसके बावजूद मैंने कुछ कटु वचन कहे हैं। आशा करता हूं कि मित्र लोग बुरा मानने की बजाय मेरी बातों को सही संदर्भ में समझने की कोशिश करेंगे।“भगवान” कहलाये वे, जिन्होंने वस्तुतः देश और समाज का उद्धार कम किया और अंधविश्वास ज़्यादा फैलाया, मठों का विस्तार ज़्यादा किया, धन-सम्पत्ति ज़्यादा इकट्ठी की, तिकड़मियों, लैंड ग्रैवरों और ब्लैक मनी मेकरों के प्रति अधिक कृपालु रहे। मुझे यह भी समझ नहीं आता कि पिछले 100-200 साल में वो कौन-सा “वायरस” चला, जिसकी वजह से बड़ी संख्या में संतों-आचार्यों-गुरुओं-बाबाओं के सिर पर “भगवान” बनने का “भूत” सवार हो गया?
आजकल भगवान और बाबा तो ऐसे पैदा हो रहे हैं, जैसे कुकुरमुत्ते पैदा होते हैं। और साफ़गोई से कहूं तो ये सारे भगवान और बाबा मुझे धर्म के गोबर पर उग आए गोबरछत्तों की तरह लगते हैं। इनमें से कई भगवान और बाबा तो तमाम तरह के धत्कर्मों में लिप्त रहते हैं, लेकिन आस्था के सम्मान के नाम पर और भावनाएं आहत होने के डर से आप इनके ख़िलाफ़ एक लफ़्ज़ भी नहीं बोल सकते।

                                 

गड़करी अपनी घोषणाओं से फायदा पहुंचा रहे हैं अपनी कंपनियों को..

परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने पिछले महीने दिल्ली में ई-रिक्शा पर से रोक हटाने और इसे खरीदने के लिए सस्ती दरों पर कर्ज देने की घोषणा की थी . अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने दावा किया है कि गडकरी के इस ऐलान से दिल्‍ली के एक लाख र्इ-रिक्‍शा चालकों के परिवारों के अलावा गडकरी के रिश्तेदारी की एक कंपनी को भी फायदा होगा.nitingadkari
अखबार की खबर के मुताबिक, पूर्ति ग्रीन टेक्‍नॉलजीज (पीजीटी) प्राइवेट लिमिटेड नितिन गडकरी द्वारा स्‍थापित पूर्ति समूह की कई कंपनियों में से एक है. यह कंपनी 2011 में रजिस्‍टर्ड हुई थी. 2011 तक गडकरी पूर्ति समूह के चेयरमैन थे. पीजीटी उन 7 कंपनियों में से एक है, जिसे काउंसिल ऑफ साइंटिफिक ऐंड इंडस्ट्रियल रिसर्च ने बैटरी से चलने वाले रिक्‍शा बनाने और बेचने का लाइसेंस 2012 में दिया था.

अखबार ने इस बारे में ई-मेल करके गडकरी से पूछा कि क्या उनकी घोषणा हितों के टकराव का मामला नहीं है? इसके जवाब में गडकरी ने कहा है कि इन ई-रिक्‍शों को कई कंपनियां बना रही हैं और किसी एक कंपनी का एकाधिकार नहीं है और न ही किसी पर कोई रोक लगाई गई है. उन्होंने कहा कि जहां तक ई-रिक्‍शा खरीदने के लिए 3 प्रतिशत दर पर लोन देने के लिए बैंकों को प्रोत्‍साहित करने की बात है, मैं इस बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्‍त मंत्री अरुण जेटली को पत्र लिखकर जरूरी कदम उठाने का आग्रह कर चुका हूं.पीजीटी के डायरेक्टर गडकरी के ब्रदर-इन-लॉ राजेश तोतडे हैं. राजेश ने अखबार को बताया कि कंपनी को ई-रिक्शा में मोटर पावर को लेकर दी जाने वाली छूट के लागू होने का इंतजार है, ताकि वह इसका प्रॉडक्शन और मार्केटिंग शुरू कर सके.
गौरतलब है कि गडकरी ने 17 जून को ऐलान किया था कि 650 वॉट से कम बैटरी वाले ई-रिक्शा मोटर वीइकल्स ऐक्ट से बाहर रहेंगे और ट्रैफिक पुलिस इसका चालान नहीं कर पाएगी. गडकरी ने यह वादा भी किया था कि मोटर वीइकल्स ऐक्‍ट 1988 में बदलाव किया जाएगा, क्‍योंकि अभी इस ऐक्‍ट के तहत 250 वॉट मोटर क्षमता और अधिकतम 25 किमी प्रति घंटा रफ्तार वाली गाड़ियों को ही गैर-मोटर कैटिगरी का समझा जाता है.



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"इन्टरनेट सोशियल मीडिया ब्लॉग प्रेस "
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हार्दिक बधाई और ढेर सारी शुभकामनाएं !!
ये दिन आप सब के लिए भरपूर सफलताओं के अवसर लेकर आये , आपका जीवन सभी प्रकार की खुशियों से महक जाए " !!
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"निराशा से आशा की ओर चल अब मन " ! पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक)

प्रिय पाठक मित्रो !                               सादर प्यार भरा नमस्कार !! ये 2020 का साल हमारे लिए बड़ा ही निराशाजनक और कष्टदायक साबित ह...