"न्यायपालिका,कार्यपालिका,विधायिका और पत्रकारिता"हमारे लोकतंत्र के मुख्य स्तम्भ रहे हैं ! वैसे तो लोकतंत्र भी हमारा नहीं है और इसके खम्भे भी "उधर के सिन्दूर " की तरह हैं जिनको हमने दुसरे देशों की देखा-देखि अपनाया है ! इतना ही नहीं हमारी आधुनिकता और हमारे मौजूदा सिद्धांत भी किसी दुसरे देशों की ही देन हैं !राष्ट्रपिता भी हमारे नहीं हैं राष्ट्र भाषा ,राष्ट्र-वर्दी भी हमारी नहीं है !केवल फोटो चिपकाये हुए हैं हम भारतवासी अपने लोकतंत्र के माथे पर !
क्यों ये आवश्यक था और क्यों ये भार धोना हमारे लिए आज भी आवश्यक है ! आज मीडिया समाचार दिखा रहा है कि बिहार में जंगल-राज फिर से अपने पैर पसर रहा है तो क्या मीडिया इस सबके लिए दोषी नहीं है उन विशेष राजनितिक दलों के साथ-साथ जिनको उसके सहयोग से वहाँ सत्ता प्राप्त हुई थी ! कितने पत्रकार नतीजे आने वाले दिन विभिन्न चैनलों में मज़े ले-लेकर विश्लेषण कर रहे थे !इसी तरह से कार्यपालिका,न्यायपालिका और विधायिका भी ना जाने कितनी बार अपनी संवेधानिक सीमाएं लांघ चुकी हैं !
अब इन हालातों में कौन रोक पायेगा इनको ?? रुक तो केजरीवाल ही नहीं रहा किसी से ?? दिल्ली की जनता ने ना जाने किस महूर्त में उसे अपना नेता चुन लिया , अब वो हर किसी की बात में टांग अडाना अपना धर्म मानता है ! गालिया भी धड़ल्ले से निकाल रहा है और ये भी कहता है की हम लड़ना नहीं चाहते !अजीब तमाशा है ये ??!!अगर राजनितिक दलों के छुटपुट विरोधी प्रदर्शनों को छोड़ दें तो दिल्ली की आम जनता ने कोई विरोध भी नहीं किया है !तो क्या ये मान लिया जाए कि "आप"पार्टी के नेता-प्रवक्ता"जो बोलते है या करते हैं वही दिल्ली की जनता भी चाहती है ??वोटों के डर से हमारे नेता क़ानून चाहते , आरक्षण भी नहीं ख़त्म करना चाहते ,पोलिस भी इसी मजबूरी से दोषियों को नहीं पकड़ती ,बड़े आरोपियों को अगर छुड़वाना हो तो c.b.i.से जांच करवा दी जाती है !
आज सभी सरकारें चाहे वो देश की हो या प्रदेश की , वो सिर्फ अमीरों के बारे में ही सोचती है , गरीब के बारे में आज कोई भी नहीं सोचना चाहता ! गरीब को तरह तरह के बस "कार्ड"ही दिए जा रहे हैं या फिर योजनाओं के नाम सुनाये जा रहे हैं ! जितना आम आदमी अपनी साड़ी ज़िंदगी में कमा नहीं पाटा उतना तो एक साल में सरकारें एक आमिर आदमी को माफ़ कर देती हैं !यहां मैं ये भी साफ़ कर दूँ कि जो एक साल में पांच लाख भी नहीं कमा पाता , वो आम आदमी है ! राज बब्बर वाला 15 /-रूपये की थाली खाने वाला नहीं !
लोकतंत्र के सभी "स्तम्भों" को अपनी जुम्मेवारी समझनी होगी और बिना किसी डर और पूर्वाग्रह के जो भी बदलाव आवश्यक हैं वो सख्ती से लागू करने होंगे अन्यथा -------- "प्रलय"दूर नहीं !! सोचो!! समझो!! और करो यारो !!
" आकर्षक - समाचार ,लुभावने समाचार " आप भी पढ़िए और मित्रों को भी पढ़ाइये .....!!!
मेरा मोबाईल नंबर ये है :- 09414657511. 01509-222768. धन्यवाद !!
आपका प्रिय मित्र ,
पीताम्बर दत्त शर्मा,
हेल्प-लाईन-बिग-बाज़ार,
R.C.P. रोड, सूरतगढ़ !
जिला-श्री गंगानगर।
Posted by PD SHARMA, 09414657511 (EX. . VICE PRESIDENT OF B. J. P. CHUNAV VISHLESHAN and SANKHYKI PRKOSHTH (RAJASTHAN )SOCIAL WORKER,Distt. Organiser of PUNJABI WELFARE
क्यों ये आवश्यक था और क्यों ये भार धोना हमारे लिए आज भी आवश्यक है ! आज मीडिया समाचार दिखा रहा है कि बिहार में जंगल-राज फिर से अपने पैर पसर रहा है तो क्या मीडिया इस सबके लिए दोषी नहीं है उन विशेष राजनितिक दलों के साथ-साथ जिनको उसके सहयोग से वहाँ सत्ता प्राप्त हुई थी ! कितने पत्रकार नतीजे आने वाले दिन विभिन्न चैनलों में मज़े ले-लेकर विश्लेषण कर रहे थे !इसी तरह से कार्यपालिका,न्यायपालिका और विधायिका भी ना जाने कितनी बार अपनी संवेधानिक सीमाएं लांघ चुकी हैं !
अब इन हालातों में कौन रोक पायेगा इनको ?? रुक तो केजरीवाल ही नहीं रहा किसी से ?? दिल्ली की जनता ने ना जाने किस महूर्त में उसे अपना नेता चुन लिया , अब वो हर किसी की बात में टांग अडाना अपना धर्म मानता है ! गालिया भी धड़ल्ले से निकाल रहा है और ये भी कहता है की हम लड़ना नहीं चाहते !अजीब तमाशा है ये ??!!अगर राजनितिक दलों के छुटपुट विरोधी प्रदर्शनों को छोड़ दें तो दिल्ली की आम जनता ने कोई विरोध भी नहीं किया है !तो क्या ये मान लिया जाए कि "आप"पार्टी के नेता-प्रवक्ता"जो बोलते है या करते हैं वही दिल्ली की जनता भी चाहती है ??वोटों के डर से हमारे नेता क़ानून चाहते , आरक्षण भी नहीं ख़त्म करना चाहते ,पोलिस भी इसी मजबूरी से दोषियों को नहीं पकड़ती ,बड़े आरोपियों को अगर छुड़वाना हो तो c.b.i.से जांच करवा दी जाती है !
आज सभी सरकारें चाहे वो देश की हो या प्रदेश की , वो सिर्फ अमीरों के बारे में ही सोचती है , गरीब के बारे में आज कोई भी नहीं सोचना चाहता ! गरीब को तरह तरह के बस "कार्ड"ही दिए जा रहे हैं या फिर योजनाओं के नाम सुनाये जा रहे हैं ! जितना आम आदमी अपनी साड़ी ज़िंदगी में कमा नहीं पाटा उतना तो एक साल में सरकारें एक आमिर आदमी को माफ़ कर देती हैं !यहां मैं ये भी साफ़ कर दूँ कि जो एक साल में पांच लाख भी नहीं कमा पाता , वो आम आदमी है ! राज बब्बर वाला 15 /-रूपये की थाली खाने वाला नहीं !
लोकतंत्र के सभी "स्तम्भों" को अपनी जुम्मेवारी समझनी होगी और बिना किसी डर और पूर्वाग्रह के जो भी बदलाव आवश्यक हैं वो सख्ती से लागू करने होंगे अन्यथा -------- "प्रलय"दूर नहीं !! सोचो!! समझो!! और करो यारो !!
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मेरा मोबाईल नंबर ये है :- 09414657511. 01509-222768. धन्यवाद !!
आपका प्रिय मित्र ,
पीताम्बर दत्त शर्मा,
हेल्प-लाईन-बिग-बाज़ार,
R.C.P. रोड, सूरतगढ़ !
जिला-श्री गंगानगर।
Posted by PD SHARMA, 09414657511 (EX. . VICE PRESIDENT OF B. J. P. CHUNAV VISHLESHAN and SANKHYKI PRKOSHTH (RAJASTHAN )SOCIAL WORKER,Distt. Organiser of PUNJABI WELFARE
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