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"निराशा से आशा की ओर चल अब मन " ! पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक)
प्रिय पाठक मित्रो ! सादर प्यार भरा नमस्कार !! ये 2020 का साल हमारे लिए बड़ा ही निराशाजनक और कष्टदायक साबित ह...
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भारतीय संस्कृति के अनुसार , जब से ये सृष्टि रची गयी है ,लगभग तभी से धर्म के नाम पर तथाकथित धर्म चलाने वालों द्वारा ही अपराध किये या करवाये ...
चोरों की जमात में रह कर ख़ुद को चोरों से अलग रखना व चोर बनने से बची
ReplyDeleteयादें रखना बहुत जोखिम भरा काम है मोदी कितने सफल होंगें देखना दिलचस्प ही होगा
शुभ प्रभात
ReplyDeleteपहली बार आप का आलेख पढ़ रही हूँ
प्रभावित हुई, परिणाम शून्य होगा..
एक जिज्ञासा....
कोई एक ऐसा देश भी है जो कभी मंहगाई से परेशान था
जहाँ किसी व्यक्ति की एक दिन की तनख्वाह से
एक पैकेट ब्रेड के के दाम से भी कम थी
आखिर हार कर वह देश सारी मुद्राओं को निरस्त कर
नई मुद्रा जारी किया...
शायद आपकी जानकारी मे हो
कृपया समाधान करें
सादर