अज्ञानता के लिए भारत काफी समय से जाना जाता है !आज भी लाखों की संख्या में अज्ञानी हैं !अलग-अलग विषय पर अज्ञानियों की संख्या में कमी या ज्यादती हो सकती है !जबसे हमारे देश में लोकतंत्र नाम की बिमारी आई है !तभी से हमारे नेता लोग हमारे "भले"के लिए विभिन्न प्रकार की योजनायें बनाते आ रहे हैं !लेकिन देखने में आया है किइन योजनाओं से "चोरों का भला"ज्यादा हुआ है जनता का कम !ये मैं नहीं बल्कि हमारे पूर्व प्रधानमन्त्री राजीव गांधी ने बताया था !वो बड़े दिल के और सच्चे आदमी थे इसलिए बोल गए लेकिन अन्य नेता तो इतनी बात बोल ही नहीं पाते जी !मैं ये भी मानता हूँ की योजना बनाते वक्त किसी के मन में इतना पाप तो नहीं होगा कि कोई ये सोचे किसारा फायदा हमारी पार्टी के नेताओं को ही पहुंचे !लेकिन आंकड़े बताते हैं की असली फायदा उनको ही पहुँचता आया है !सभी प्रकार के कायदे क़ानून होने के बाद भी !
आज जब भारत में सच और झूठ की जंग चल रही है !भ्रष्ट और अच्छे लोग आपस में हर जगह उलझते हुए ही नजर आ रहे हैं !क्या टीवी , क्या समाचार पात्र और अन्य सार्वजनिक स्थान !सब जगह ये ही सुनने को मिलता है कि "कुछ अच्छा नहीं हो सकता ,कोई बदलाव नहीं ला सकता,और ये कौन से दूध के धुले हुए हैं "?? इन वाक्यों बाद सामने वाला भी शख्स कहने वाले की हाँ में हाँ मिलाने लग जाता है !लेकिन कोई भी अपनी चर्चा को इस और आगे नहीं बढ़ता किआइये देखें-सोचें और समझें कि कैसे कमियों को दूर किया जाए ?तो मित्रो ! गहनअध्ययन के बाद मेरी छोटी सी बुद्धि में यही बात आई है कि कोण सी योजना किन लोगों के लिए बनी है और उसका कैसे फायदा उठाया जा सकता है , इस बारे में जानकारी जनता तलक "तरीके "से पहुंचाई जानी चाहिए !
आप कहेंगे किवो तो सभी सरकारें करती ही हैं ! इसमें नया क्या है?मित्रो !इसमें नया मैं ये जोड़ना चाहता हूँ कि इस प्रकार की जानकारियाँ व्यक्तिगत तोर पर जरुरतमंदों तलक पहुंचाई जानी चाहिए !विज्ञापनों में और संसद में सरकार ये जानकारी भी दिया करे कि कौन-कौन से लोग कौन सी योजना का लाभ उठा चुके हैं !ताकि लोगों में एक विश्वास जगे !खाली आंकड़े या भाषण ही नज़र ना आये !
बाकि"अच्छे दिन अवश्य आयेंगे"!! ये मैं भी कहता हूँ !क्योंकि मनुष्य की सोच नकरात्मक नहीं सकरात्मक होनी चाहिए जी !जय हिन्द जय भारत !
5th पिल्लर करप्शन किल्लर" "लेखक-विश्लेषक पीताम्बर दत्त शर्मा " वो ब्लॉग जिसे आप रोजाना पढना,शेयर करना और कोमेंट करना चाहेंगे ! link -www.pitamberduttsharma.blogspot.com मोबाईल न. + 9414657511
आज जब भारत में सच और झूठ की जंग चल रही है !भ्रष्ट और अच्छे लोग आपस में हर जगह उलझते हुए ही नजर आ रहे हैं !क्या टीवी , क्या समाचार पात्र और अन्य सार्वजनिक स्थान !सब जगह ये ही सुनने को मिलता है कि "कुछ अच्छा नहीं हो सकता ,कोई बदलाव नहीं ला सकता,और ये कौन से दूध के धुले हुए हैं "?? इन वाक्यों बाद सामने वाला भी शख्स कहने वाले की हाँ में हाँ मिलाने लग जाता है !लेकिन कोई भी अपनी चर्चा को इस और आगे नहीं बढ़ता किआइये देखें-सोचें और समझें कि कैसे कमियों को दूर किया जाए ?तो मित्रो ! गहनअध्ययन के बाद मेरी छोटी सी बुद्धि में यही बात आई है कि कोण सी योजना किन लोगों के लिए बनी है और उसका कैसे फायदा उठाया जा सकता है , इस बारे में जानकारी जनता तलक "तरीके "से पहुंचाई जानी चाहिए !
आप कहेंगे किवो तो सभी सरकारें करती ही हैं ! इसमें नया क्या है?मित्रो !इसमें नया मैं ये जोड़ना चाहता हूँ कि इस प्रकार की जानकारियाँ व्यक्तिगत तोर पर जरुरतमंदों तलक पहुंचाई जानी चाहिए !विज्ञापनों में और संसद में सरकार ये जानकारी भी दिया करे कि कौन-कौन से लोग कौन सी योजना का लाभ उठा चुके हैं !ताकि लोगों में एक विश्वास जगे !खाली आंकड़े या भाषण ही नज़र ना आये !
बाकि"अच्छे दिन अवश्य आयेंगे"!! ये मैं भी कहता हूँ !क्योंकि मनुष्य की सोच नकरात्मक नहीं सकरात्मक होनी चाहिए जी !जय हिन्द जय भारत !
5th पिल्लर करप्शन किल्लर" "लेखक-विश्लेषक पीताम्बर दत्त शर्मा " वो ब्लॉग जिसे आप रोजाना पढना,शेयर करना और कोमेंट करना चाहेंगे ! link -www.pitamberduttsharma.blogspot.com मोबाईल न. + 9414657511
आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है .. http://rakeshkirachanay.blogspot.in/2017/02/6.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!
ReplyDeleteसंतुलित लेख जो एक राजनैतिक पदाधिकारी के तौर न लिखकर विचारक के रूप में लिखा गया है. आपका सुझाव व्यवस्था को समझना चाहिये लेकिन आपने लोकतंत्र पर सवाल उठाया है तो फिर विकल्प में तानाशाही ही बचती है. आज दुनिया में सर्वाधिक स्वीकृत प्रणाली लोकतंत्र ही है अब अगर हमको उसके बांच्छित परिणाम नहीं मिल पा रहे हैं तो इसमें लोकतंत्र का दोष नहीं है बल्कि उसे लागू करने वाली व्यवस्था में दोष हैं. दुनिया के अन्य लोकतांत्रिक देश भारत जैसे त्रस्त और भ्रष्ट नहीं हैं. मित्र-मंडली में आपका लेख विचारणीय बिषय है. बधाई.
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