हर देश के निवासी की ज़िन्दगी उस देश के "प्रकिर्तिक,सामाजिक,और संविधान के अनुसार गुज़रती है !इन सब के नियम पालन करने के बाद ,इन्सान अपनी पसन्द-नापसन्द,ख़ुशी-दुखी और दूसरों के साथ घुल-मिल सकता है !मूल रूप से इस पृथ्वी पर जन्मे इंसान की क्रियाएं-प्रतिक्रियाएं लगभग एक जैसी होते हुए भी भारी अंतर लिए हुए होती हैं !उसका खान-पान,रहन-सहन और जीवन के अन्य पल उन्हीं"9 रसों"से भरे हुए होते हैं !
अंकों का जीवन में बड़ा महत्त्व है जी!हम कौन सी तारीख को कौन सी घड़ी ,कौन से पल और कौन से नक्षत्र में पैदा हुए हैं ,ये हमारे लिए अतिमहत्वपूर्ण होता है !हमारी सरकार भी हमसे समय-समय पर हमारी जन्म तिथि पूछती रहती है !हमें शिक्षा के हर क्षेत्र में ,हर स्तर को पास करते वक़्त भी ज्यादा से ज्यादा अंक लाने होते हैं !नेताओं को ज्यादा अंकों में वोट लेने होते हैं !इतना ही नहीं मित्रो,सन्तों को भी ज्यादा अपने अनुयायी बनाने और दिखाने पड़ते हैं !कमाई भी हमें ज्यादा अंकों में करनी पड़ती है !
इन्हीं अंकों के फेर में क्रिकेट वाले आजकल हर रोज़ मैच खेलते रहते हैं !सट्टे वाले अंकों के साथ धन देते और लेते रहते हैं !भारत में फिर सरकारें और नेता बहुसंख्यकों की मानते ?क्यों उन्होंने बहुसंख्यकों को तो,आरक्षण,जातिवाद,धर्म और इलाकों में बाँट दिया है ?क्यों ये लोग केवल अल्पसंख्यकों को ही अपना शुभचिंतक(वोट-बैंक)मानते हैं !कुछ नाजायज़ मांस का व्यापार करने वाले पकडे गए,चन्द आवारागर्द छिछोरे छेड़खानी करते पकडे गए तो इन नेताओं,पत्रकारों को इतना दुःख क्यों हो रहा है ?
क्या अंक ही हमारे लिए सब कुछ हो गए हैं ?इंसानियत और संवेदनाएं कुछ भी महत्व नहीं रखतीं हमारे लिए?कुछ वर्षों पहले तलक कितना प्यार होता था हम सब के दिलों में यारो !?कितने साधारण तरीके से हम सब रहते थे?कितनी काम होती थीं हमारी महत्वकांक्षाएं ??कितनी देर तलक आपस में बतियाते थे हमलोग?कितने सिमित साधनों का उपयोग किया करते थे हम सब ?कितने मेहमानों की दिल से खुशामद कितने दिनों तक करते थे हम?और हमें एहसास ही नहीं होता था कि कोई मेहमान हमारे घर में कितने दिन रह गया??
आज !! हम जहां चाहें जा सकते हैं ,जिससे चाहें बात कर सकते हैं !हर प्रकार का साधन हमारे पास है !फिर क्यों हम और हमारे विचार इतने सिंकुड़ गए ?क्यों हम आज उसी ख़ुशी से एक दुसरे के साथ नहीं रह सकते? आप भी मनन करें !मुझे अपने अनमोल कॉमेंट्स से अवश्य बताएं जी !
"5th पिल्लर करप्शन किल्लर", "लेखक-विश्लेषक एवं स्वतंत्र टिप्प्न्नीकार", पीताम्बर दत्त शर्मा !
वो ब्लॉग जिसे आप रोजाना पढना,शेयर करना और कोमेंट करना चाहेंगे !
link -www.pitamberduttsharma.blogspot.com मोबाईल न. + 9414657511.
इंटरनेट कोड में ये है लिंक :- https://t.co/iCtIR8iZMX.
"5th pillar corruption killer" नामक ब्लॉग अगर आप रोज़ पढ़ेंगे,उसपर कॉमेंट करेंगे और अपने मित्रों को शेयर करेंगे !तो आनंद आएगा !
अंकों का जीवन में बड़ा महत्त्व है जी!हम कौन सी तारीख को कौन सी घड़ी ,कौन से पल और कौन से नक्षत्र में पैदा हुए हैं ,ये हमारे लिए अतिमहत्वपूर्ण होता है !हमारी सरकार भी हमसे समय-समय पर हमारी जन्म तिथि पूछती रहती है !हमें शिक्षा के हर क्षेत्र में ,हर स्तर को पास करते वक़्त भी ज्यादा से ज्यादा अंक लाने होते हैं !नेताओं को ज्यादा अंकों में वोट लेने होते हैं !इतना ही नहीं मित्रो,सन्तों को भी ज्यादा अपने अनुयायी बनाने और दिखाने पड़ते हैं !कमाई भी हमें ज्यादा अंकों में करनी पड़ती है !
इन्हीं अंकों के फेर में क्रिकेट वाले आजकल हर रोज़ मैच खेलते रहते हैं !सट्टे वाले अंकों के साथ धन देते और लेते रहते हैं !भारत में फिर सरकारें और नेता बहुसंख्यकों की मानते ?क्यों उन्होंने बहुसंख्यकों को तो,आरक्षण,जातिवाद,धर्म और इलाकों में बाँट दिया है ?क्यों ये लोग केवल अल्पसंख्यकों को ही अपना शुभचिंतक(वोट-बैंक)मानते हैं !कुछ नाजायज़ मांस का व्यापार करने वाले पकडे गए,चन्द आवारागर्द छिछोरे छेड़खानी करते पकडे गए तो इन नेताओं,पत्रकारों को इतना दुःख क्यों हो रहा है ?
क्या अंक ही हमारे लिए सब कुछ हो गए हैं ?इंसानियत और संवेदनाएं कुछ भी महत्व नहीं रखतीं हमारे लिए?कुछ वर्षों पहले तलक कितना प्यार होता था हम सब के दिलों में यारो !?कितने साधारण तरीके से हम सब रहते थे?कितनी काम होती थीं हमारी महत्वकांक्षाएं ??कितनी देर तलक आपस में बतियाते थे हमलोग?कितने सिमित साधनों का उपयोग किया करते थे हम सब ?कितने मेहमानों की दिल से खुशामद कितने दिनों तक करते थे हम?और हमें एहसास ही नहीं होता था कि कोई मेहमान हमारे घर में कितने दिन रह गया??
आज !! हम जहां चाहें जा सकते हैं ,जिससे चाहें बात कर सकते हैं !हर प्रकार का साधन हमारे पास है !फिर क्यों हम और हमारे विचार इतने सिंकुड़ गए ?क्यों हम आज उसी ख़ुशी से एक दुसरे के साथ नहीं रह सकते? आप भी मनन करें !मुझे अपने अनमोल कॉमेंट्स से अवश्य बताएं जी !
"5th पिल्लर करप्शन किल्लर", "लेखक-विश्लेषक एवं स्वतंत्र टिप्प्न्नीकार", पीताम्बर दत्त शर्मा !
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आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (26-03-2017) को
ReplyDelete"हथेली के बाहर एक दुनिया और भी है" (चर्चा अंक-2610)
पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'