Tuesday, January 15, 2013

" हथियार-ड्रग-शराब और भू माफिया था, अब आया राजनितिक दल माफिया "....!!!!???

 माफिया और काफिया प्रेमी मित्रो, सादर नमस्कार !
 भारतमें यदि रहना होगा,इनका प्रेमी बनना होगा...!! क्योंकि ये भाई लोग अब सब जगह पहुँच चुके हैं । मशहूर खलनायकों का प्रिय डायलाग होता था कि " अपने चारों ओर नज़रें घुमा कर देख लो .......मेरे आदमियों ने तुम्हे चारों और से घेर रख्खा है...!! अपने हथियार फैंक दो ....!!! उसी तरह से आजकल राजनितिक दलों में भी " माफिया " ने                                                               निष्ठावान कार्यकर्ताओं को चारों ओर से घेर रख्खा है !! आजकल राजनितिक दलों के पद , जनप्रतिनिधियों की टिकटें भी बोली लगाकर बेचीं जातीं हैं । सच्चा और निष्ठावान कार्यकर्त्ता " भ्रम " में ही रहता है की अगलीबार मेरा नंबर आएगा लेकिन कभी नहीं आता उसका नंबर क्योंकि चालबाज़-नम्बरी लोग उस ख़ास समयपर ऐसा जाल बिछाते हैं कि " प्रभारी " लोग बगलें झाँकने लगते हैं और इसी दरम्याँ " माफिया " अपना काम कर जाता है!!
                     आज    राजस्थान-पत्रिका के मशहूर व्यंगकार " राही " जी ने बड़ा ही सुन्दर व्यंग लिखा है जो हम जैसे छोटे-मोटे लेखकों पर बिलकुल फिट बैठता है......!! आप भी पढियेगा...!! 
                    प्रिय मित्रो, सादर  नमस्कार !! कृपया  आप  मेरा  ये ब्लाग " 5th pillar corrouption killer " रोजाना पढ़ें , इसे अपने अपने मित्रों संग बाँटें , इसे ज्वाइन करें तथा इसपर अपने अनमोल कोमेन्ट भी लिख्खें !! ताकि हमें होसला मिलता रहे ! इसका लिंक है ये :- www.pitamberduttsharma.blogspot.com.
             आपका     अपना.....पीताम्बर दत्त शर्मा, हेल्प-लाईन-बिग-बाज़ार , आर.सी.पी.रोड , सूरतगढ़ । फोन नंबर - 01509-222768,मोबाईल: 9414657511

Sunday, January 13, 2013

" A - B - C - D - छोड़ो...., दुश्मन का मुँह तोड़ो "..!!?

   वीर देशवासियों, जय-हिन्द !! दिमाग का " भरता बना हुआ है आजकल ! रोजाना कोई न कोई ऐसा समाचार पढने - देखने को मिल जाता है की पूछो मत ...!! उसके ऊपर हमारे बलशाली - बुद्धिमान नेताओं की कारस्तानियाँ.........क्या कहने...!!??                                                            जनता को बहकाना - बरगलाना इनको भली-भाँती आ गया है !! बस बहुत हो चुका ...., अब तो भारत की सेना " सत्ता "  मुझे संभला दे......तो मैं इन्ही नेताओं, वकीलों , समाजसेवियों और पत्रकारों को दिल्ली के नेहरु स्टेडियम में बंद करके तब तक बाहर ना निकलने दूं , जब तक सारी समस्या का हल न ये निकाल दें !! फिर मैं इस देश में सही व्यवस्था बनाकर चुनाव करादूं !!.....क्या मेरा सपना पूरा होगा...????
                        

Tuesday, January 8, 2013

" चुन-चुन के कांग्रेस के दुश्मनों को बनाओ निशाना " .....?????


मित्रों,
जैसा की मैने रविवार को बताया था ठीक वैसा ही हो रहा है.. आप देख ही रहे होंगे की कैसे कुछ खास मीडिया चैनल चुन चुन कर उन लोगों को निशाना बना रहे हैं जो "पवित्र परिवार" और "सोनिया गांधी" के प्रत्यक्ष विरोधी हैं..

1/1:30 घंटों के भाषणों को बारीकी से खंगाला जा रहा है और एसे वक्तव्य निकाले जा रहे हैं जिन्हें विवादित बनाया जा सके..

सर्वप्रथम आपनें मध्यप्रदेश के उद्यौग मंत्री श्री कैलाश विजयवर्गिय जी का वक्तव्य इन खबरिया चैनलों नें देखा - जिन्हें अन्यथा शायद ही कभी इन चैनलों नें किसी और कार्य के लिये दिखाया हो वही चैनल मध्यप्रदेश के इन्दौर शहर में किसी बंद कमरों की सभा का विडियो ढूंड लिया, फि दिखाया भी उतना ही जितना उनके लिये लाभप्रद था..?

फिर हमनें देखा की कैसे परम पूज्य सरसंघचालक मोहमभागवत जी के भाषणों में से कांट छांट कर विडियों दिखाये गये... भारत और इन्डिया (जिसकी पूरी व्याख्या संघ की किसी भी वेबसाईट में मिल जायेगी ) किन्तु उसे शहरों और गांवों से जोड़कर दिखाया गया और क्रूर्तम शब्दों में संघ को कोसा गया - ध्यान दीजियेगा की इन्हीं चैनलों नें कभी भी संघ के किसी भी समाजिक कार को नहीं दिखाया है और अभी हाल में इन्दौर में अभूतपूर्व अनुशासन और संयम का परिचय देते 1,200,000 स्वयं सेवकों के एकत्रिकरण को भी नहीं दिखाया..

कल से आशाराम बापू जी को लेकर सभी चैनल विलाप कर रहे हैं और दलील यह की उनके अनुसरणकर्ता 5 करोड़ से ज्यादा हैं... अब इस बात को पूरे देश में बताया जा रहा हैं की वो 5/6 करोड़ जनता जो बापू को ईश्वर तुल्य मानती है उनकी आस्था अंधी है और उनकी श्रद्धा झूठी है किन्तु ये जो 50/100 कर्मचारियों के तथाकथित मीडिया चैनल हैं पूरे समाज की ठेकेदारी इन्होंनें ही ले रखी है और जो ये कहेंगे, जैसा ये कहेंगे यदी किसी नें नहीं माना तो वह भारत का मुजरिम बन जायेगा...

कोर्ट कचहरी कानूंन पुलिस संविधान - सब शून्य है इनके लिये..!!

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मित्रों,
जिन्हें यह कहना है की 16 दिसंबर की बर्बर घटना को मीडीया ही सामनें लाया है उन्हें याद रखना चाहिये की उस घटना के बाद अबतक 64 मामले सामनें आ चुके हैं जिनमें महिलाओं के साथ ज्यादती हुयी है और एक साधारण खबर के सिवा वो सभी मामले कुछ और नहीं हैं इसी मीडिया के लिये ..

जनता का आक्रोश मात्र 16 दिसं. की घटना का नतीजा कदापि नहीं है - यह आक्रोश पिछले कई वर्षों की घुटन का नतीजा है...

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मीडिया कैसे अपनें अनुसार खबरों से खेलता है यह भी समझिये की भाजपा सांसद वरुण गांधी के बयान को लगभग सभी चैनलों नें दिनभर बार बार चलाया था और उन्हें भारत का और खास तौर से मुसलमानों का शत्रु घोशित किया था किन्तु औवेसी के मामले में एसा कुछ होते नहीं दिखा है..

मैं सन 2009 से लगातार आपके बीच इन तथ्यों को रखता आ रहा हूं और आगे भी आता रहूंगा...

आज यह कहनें में मुझे कोई हिचक नहीं है की यडी भारत को किसी से खतरा है तो वह भारत का यह मीडिया ही है जिसपर बहुत ही सावधानीं से और पैनीं नजर रखनीं होगी..

वन्दे मातरम..
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आप जो मुझे इतना प्यार दे रहे हैं, उसके ल िए बहुत बहुत धन्यवाद-शुक्रिया करम और मेहरबानी ! आप की दोस्ती और प्यार को हमेशां मैं अपने दिल में संजो कर रखूँगा !! आपके प्रिय ब्लॉग और ग्रुप " 5th pillar corrouption killer " में मेरे इलावा देश के मशहूर लेखकों के विचार भी प्रकाशित होते है !! आप चाहें तो आपके विचार भी इसमें प्रकाशित हो सकते हैं !! इसे खोलने हेतु लाग आन आज ही करें :-www.pitamberduttsharma.blogspot.com. और ज्यादा जानकारी हेतु संपर्क करें :- पीताम्बर दत शर्मा , हेल्प-लाईन-बिग-बाज़ार, पंचायत समिति भवन के सामने, सूरतगढ़ ! ( जिला ; श्री गंगानगर, राजस्थान, भारत ) मो.न. 09414657511.फेक्स ; 01509-222768. कृपया आप सब ये ब्लॉग पढ़ें, इसे अपने मित्रों संग बांटें और अपने अनमोल कमेंट्स ब्लाग पर जाकर अवश्य लिखें !! आप ये ब्लॉग ज्वाईन भी कर सकते हैं !! धन्यवाद !! जयहिंद - जय - भारत !! आप सदा प्रसन्न रहें !! ऐसी मेरी मनोकामना है !! मेरे कुछ मित्रों ने मेरी लेखन सामग्री को अपने समाचार-पत्रों में प्रकाशित करने की आज्ञा चाही है ! जिसकी मैं सहर्ष आज्ञा देता हूँ !! सभी मित्र इसे फेसबुक पर शेयर भी कर सकते है तथा अपने अनमोल विचार भी मेरे ब्लाग पर जाकर लिख सकते हैं !! मेरे ब्लाग को ज्वाईन भी कर सकते है !!

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Monday, January 7, 2013

" सारे नियम तोड़ दो - नियम पे चलना छोड़ दो "..!!???

         प्रिय मित्रो , सादर नमस्कार !! " रेखा" दीदी  " ने एक  फिल्म में ये गीत गाया था की " सारे नियम तोड़ दो - नियम पे  चलना छोड़ दो "..!!??? कल " हम-लोग " नामक कार्यक्रम में ऐसा ही कहा जा रहा था !! पिछले दिनों हुए एक बलात्कार काण्ड के   बाद इस देश में अजीब - अजीब बातें हो रहीं हैं ! जैसे :- 
                  

बलात्कार का बलात्कार


बलात्कार शब्द जह इंसानियत पर एक धब्बा ही नहीं बल्कि गढ्ढा है वहीँ बालात्कार का बालात्कार करना एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया और सम्मान जनक कृत्य है.  ये क्रिया कुछ खास  किस्म के बुध्दजीवियों द्वारा की जाती है. 
बाल्तकार का बालात्कार करने से बालात्कारी का कुछ बिगड़े या न बिगड़े लेकिन इन ख़ास प्रकार के बुध्ध्जिवियों की दिमागी वर्जिश तो हो ही जाती है, मानो बालात्कार या इस प्रकार की कोई दुर्घटना होना इनके लिए एक सुनहरा अवसर लाता है, दिमाग की बत्ती जलाता है,  यदि बालात्कार न हुआ होता तो हम बता नहीं पाते की हमारा धर्म कितना महान है, इसमें सजाये बहुत ही बेहतरीन,स्वादिस्ट, लाजवाब  और उम्दा किस्म है , आज के "आई एस आई" मार्क के गारंटी से भी बेहतर. मानो यदि ये धर्म होता तो बालात्कारी के अंग मे चिर काल तक की शिथिलता होती,  हद है भाई  किसी बात की, ये सज्जन लोग पीड़ित से सहानुभूति और संवेदना दिखाने की जगह, इसको सीढ़ी बना अपने "होली" प्रोडक्ट का प्रचार करते हैं, कौन जाने कहीं कुछ बिक जाए. मानो कोई दुर्घटना न हो होके, मेला या "फेस्ट" का आयोजन हुआ हो, बेच लो जितना बेचना हो, कर लो मार्केटिंग, नहीं टार्गेट पूरा नहीं होगा.  माल भले ही रेपर में लिपटा हुआ कचड़ा हो.  

एक भाई साहब ने तो  "इस्लाम में बालात्कार" पे  "दो बाई पांच"  का पूरा लेख ही लिख डाला जैसे यहाँ हमेशा बालात्कार ही होते हो. खाना - पीना सोने  की तरह ही बालात्कार भी एक जीवन का एक अभिन्न अंग हो. क्योकि जहाँ धुप हो   छाते वहीँ लगाये जाते हैं.  मेरे समझ नहीं आया की ये बड़प्पन बता रहे हैं,  दिनचर्या. 

 मैंने एक मित्र "जेब अख्तर" जी  के लेख में पढ़ा था की बंगला देश में यदि एक किसान की बीवी और मवेशी बीमार पड़ते हैं, तो किसान मवेशी के बचने की दुआ पहले मांगता है। वजह। वहां के बाजारों में एक सेहतमंद मवेशी (गाय, बैल वगैरह) की कीमत १५ से २० हजार रुपए तक होती है। जबकि इसी बाजार में आपको एक औरत महज ५ से १० हजार में मिल जाएगी। इसलिए फायदे का सौदा मवेशी को बचाना ही है। दूसरे अगर किसान की बीवी मर जाती है, तो दोबारा विवाह में उसे दान-दहेज भी मिलता है। जो कि मवेशी के मरने के बाद मुमकिन नहीं है। वही कर्गिस्तान में औरतों का अपहरण कर बलात्कार करना एक सामाजिक रश्म से जादा कुछ नहीं वहां की सरकार भी इस अपराध को मूक रहकर सहमती देती है, यदि कोई कहीं पकड़ा भी गया, तो मामूली जुरमाना भर ही लगता है. इसी तरह एक जगह रूस के पास है चेचेनया, जहाँ विवाह के लिए औरतो का अपहरण या बलात्कार हो जाना बहुत ही आम बात है, कुछ देशों में तो औरतो का बकयादा बाजार लगता है.  और इसी तरह के हालत और भी मुल्को में हैं. ध्यान देने योग्य बात ये है की इन सभी देशो शरियत है. मैंने पहले भी कहा था हम बेहतर है कहने की बजाय कुछ बेहतर करने की कोशिश कीजिये फिर "रिलिजन मार्केटिंग" की जरूरत ही नहीं पड़ेगी. 

कुछ मुसलमान भाई बहनों ने कहा की बालात्कारियो की सजा शरियत के हिसाब से हो, कड़ी से कड़ी, इसमें कोई बुराई भी नहीं, अपराधियों को कड़ी सजा मिलनी ही चाहिए, लेकिन क्या शरियत ये गारंटी भी लेता है की अपराधी को १०० प्रतिशत शुद्ध जहन्नम ही मिलेगा? जैसे "लक्जरी जन्नत" दिलाने और "सौ प्रतिशत शुध्द इश्वर" दिलाने का लेता है.शरियत का नियम है जैसे को  तैसा या पीड़ित के परिवार के मर्जी के मुताबिक, पीड़ित या उसका परिवार चाहे तो उसे कम कर सकता है.  जो हर तरह से जायज है होना भी चाहिए ताकि अपराधियों में खौफ  हो की जो उसने पीड़ित के साथ किया है कौन जाने पीड़ित उससे भी बुरी सजा मुकर्रर करे, लेकिन यही जैसे को तैसा या पीड़ित के मर्जी के हिसाब से महाभारत में भी उल्लेख है जब द्रोपदी ने अपनी इक्षा से दुशाशन को दंड देने का संकल्प लिया था. खैर ये तो रहा एक "रिलिजन मार्केटिंग" की पालिसी. 

एक तरफ तो युवावों का एक हुजूम संवेदना, दुःख और विरोध प्रकट करने कही पर लाठिया और पानी की बौक्षारे खा रहा हैं. और ये युवा किसी संगठन से नहीं,किसी धर्म विशेष से नहीं, किसी  सवर्ण या दलित जात से नहीं, न ही किसी राजनितिक प्रेरणा से, वरन ये सिर्फ युवा हैं जो अपना आक्रोश प्रकट रहे है, वहां कोई किसी से नहीं पूछ रहा तुम किस जात से हो? किस धर्म से हो?  जिसको दबाने के लिए सरकार की तमाम धाराएं भी नाकाफी है, ये वही युवा है जिनको हम "माल्स" "मल्टीप्लेक्स" में आनंद  मानाने वाला या पार्को में आमोद प्रमोद करने वाला "कूल द्युड्स" कहते हैं.आज इन युवावो ने ये बता दिया है की"कूल द्युड्स" आनंद मानाने के लिए ही नहीं बना, बल्कि सामाजिक जेम्मेदारी लेना भी जानता है. यदि ये सडको पे आ जाए तो सरकार के "धारा" को "पसेरी" बना सरकार, के मुह पर मार सकता है. लेकिन जब सरकार बेशर्म हो जाए तो उसपर कुछ भी असर नहीं होता, आज के हालत देखने के बाद तो यही लगा कीइंडियागेट "लीबिया" है और सरकार "गद्दाफी".इस स्थिति में आक्रोश प्रकट करने तक तो ठीक है लेकिन लाठी या बौछार खाना  नहीं क्योकि इनके दिल का दर्द मर चूका है वो आपका दर्द क्या जानेगा? कुछ दिन बाद सब  चुप हो जायेंगे ... बाद में फिर वही सिनेमा वही माल्स . चुनाव के समय फिर इसी सरकार को वोट दे देंगे जो लाठी चार्ज करवा रही है.  क्या फायदा  इन पर  चोट करनी हो तो इस सिस्टम और सरकार के खिलाफ वोट करो, यदि किसी चीज का हल पानी में भीगना है तो, मछलियान और मगमछ्छ दोनों ही देश के सिरमौर होते, हलाकि की आज देश में मगरमच्छ तो है, लेकिन मच्छलियों को खाने के लिए.  


 नेताओं का ये मिथक टूटना जरुरी है की भीड़ बहुत मासूम होती है,  इनको कुछ पता नहीं होता, इनके मासूमियत को ये कभी भी वोट का शक्ल दे सकतें हैं. इनको ये बताना होगा की हमारी चोट तुम्हारे लिए भगवान् के लाठी की  तरह ही होगी जिसमे कोई आवाज नहीं होती, लाठी के जगह मुहर से काम लो.  चीखने चिल्लाने या हुजूम  जुटाने से सरकार सहम तो सकती है वो भी थोड़ी देर के लिए, लेकिन न्याय नहीं मिल सकता. यदि इन सब से  कुछ होता तो भेड का भी राज  भारतीय जनता के दिल में होता,  बजाय की संसद और देश के.  इन पर चोट करो, इनके खिलाफ वोट करो. सरकार द्वारा फेके गए पानी में भीगने से अच्छा है सरकार पर ही पानी फेक के इनकी गर्मी शांत करो. पानी पिने से बेहतर है "पानी पिलाना".

जहाँ एक तरफ धर्म जाती और जात भूल युवा चीख रहा है वहीँ कुछ लोग अटकले लगा रहे हैं, की लड़की दलित थी या सवर्ण, यदि दलित होती तो  शायद इतना चीख  पुकार न मचता. भाई पीड़ित बस पीड़ित होता  है ,क्या  किसी ने उससे  पूछा था क्या ? बहन तुम सवर्ण हो या दलित?  या किसी ने सिक्का उछाल के पता किया था "हेड" आया तो सवर्ण, "तेल" आया दलित ? क्योकि उस  समय तो वह बोलने की स्थिति में ही नहीं थी. यह तो एक प्रकार जन आक्रोश  है, जो बाल्तकार के हद से ऊपर अत्याचारियों के हैवानियत से उपजा है, क्या  वो जो दरिन्दे थे उस  समय उसकी जात  पूछी होगी ? क्या उनमे से आधे से जादा दलित थे इसीलिए सवर्ण जान लड़की के साथ  बालात्कार के बाद है हैवानियत की हद कर दी, या एक दलित यदि दलित लड़की का बाल्तकार करे तो तो कुछ डिस्काउंट देगा?  

हद है किसी चीज की क्या सवर्ण जाती में पैदा होने से ही व्यक्ति "इनबिल्ट" "ऑटोमेटिक" और "बाई डीफाल्ट" 'दलित विरोधी' हो जाता है ?  आजकल  मई खुद बड़ी शंका में हूँ , दलित  मेरे कई दोस्त हैं जो मुझसे किसी भी मामले में कम नहीं है, और न ही  उनको मई अपने से कम मनाता हूँ , लेकिन पता नहीं क्यों लगता है की यदि उनके  किसी भी गलत बात का विरोध कर दूँ तो मई " दलित विरोधी" हो जाता हूँ. मई आजकल शंका में हूँ इन "तथाकथित" दलित भाईयों  की गलत बातो का विरोध करू या न करू ? इसको सही या गलत के पैमाने से देखा जायेगा या सवर्ण दलित के ? वैसे मेरी तरह ये भी "कन्फ्यूज" है,  या ये कहिये इनमे जो जितना जादा पढ़ा लिखा है वो उतना ही कन्फ्यूज होता जा रहा है. कभी ये बुध्द को सिरमौर बनाते हैं तो कभी "हरिनाकश्यप" को अपना पूरखा, यानि बुध्द और हरिनाकश्यप में कोई सम्बन्ध है, क्योकि एक इनमे  पुरखा है और एक अग्रज.  यदि आज के दलित भाईयों का मध्य माना जाय तो स्वर्ग में जरुर बुध्द जी हरिनाकश्यप के पाँव छुते होंगे, बुजुर्ग  जो ठहरे.

ये सब देख, एक खास  मानव जाती को एक ख़ास मानव जाती से मुक्त  कराने वाले अम्बेडकर  जी अपना सर धुनते होंगे की जिस सवर्णों से इनकी मुक्ति दिलाई थी ये उन्ही अनुयायी बन गए, और जिस राक्षस जिंदगी से मुक्ति दिलाने का प्रयत्न किया था उसी को पुरखा बता रहें हैं. 

देखने वाली बात ये है की आज का दलित किसी भी मामले में पुराने  शोषण करने वाल ब्राह्मणों से कम नहीं है .पहले ब्राहमण होने मात्र से दलितों का शोषण करते थे, और आज सवर्ण जाती में पैदा होने मात्र से वह  "शोषक"  हो जाता है,  हक छीनने  वाला लुटेरा, और जुल्म करने वाला आततायी हो जाता है, और अपने आप को  खुलेआम दुर्वचन कहने का लाईसेंस भी दिलवाता है. तो दलित किस तरह से अलग हुए उस  जमाने के ब्राहमणों से ??  कुछ तो खुले आम कहते हैं की हम पुराना बदला ले रहें है,  यानि यदि हम मानते है की जो हुआ वो गलत था, लेकिन ये नहीं, शायद ये यही मानते हैं की जो शोषण हुआ वो सही हुआ, तबभी हमें  मौका मिला, या शोषक होने की राह पर कोई भी अँधा हो जाता है. ?? मुझे कभी कभी ये शंका होती है कही ये जानबूझकर  तो  शोषित नहीं हुए फिक्स डिपोजिट की तरह की बाद  भविष्य में वसूल के साथ बदला लेंगे. क्योकि इने से अधिकतर  की बातों से  बराबर के अधिकार और हक़ की बाते कम, और  इतिहास को  इंगित कर बदला लेने की बाते जादा कही जाती है. इस प्रकार के दलित (?) बुध्दजीवी  किसी भी प्रकार से पुराने जमाने के ब्राह्मणों से कमतर नहीं मान सकते है, क्योकि विद्वेष ये भी फैलाते हैं . 

एक बात और गौर करने लायक है, जिन ब्राह्मणों  को मंदिरों का ठेकेदार बता कर एक सूत्रीय "कोसो कार्यक्रम" आयोजन होता है वही दूसरी तरफ उसी मंदिर से सम्बन्धित अन्य व्यवसायियों को बाईज्जत बरी बस इसलिए कर दिया जाता हैं क्योकि वो ब्राहमण नहीं है, शायद वहां भी दलित एक्ट काम करता हो . देश में  किसी भी मंदिर में चले जाओ,  ब्राह्मण १०० , या २०० मांगे तो उसको आधा दो तो जादा बकझक नहीं करता क्योकि और भी ग्राहक सम्हाल्नाने है, भीड़ जादा होती है. वही दूसरी तरफ मुंडन करने वाले नाई  को आप एक रुपया कम दें तो  वो गुस्से से आग बबूला हो जाताहै मानो बाल के बाद आपकी गर्दन तक कलम कर देगा.   उसी मंदिर में नाई होता है, उसी मंदिर में कहार भी होता है, एवं अन्य  गैर ब्राहमण लोग भी होते हैं जो मलाई बराबर खाते हैं लेकिन गाली तो सिर्फ ब्राहमण ही सुनेगा. कई गैर ब्राह्मणों को तो मैंने ब्रह्मणों के लिए एजेंटी तक करते देखा है, ख़ुशी ख़ुशी, बाद में आधा आधा. और ये मई हवाई  बाते नहीं बल्कि इसको दलित और सवर्ण दोनों ने महसूस किया होगा, यदि नहीं किया है तो अब से जब भी जाएँ गौर करें. 

वास्तव में जाती पाती का स्थान ब्राह्मणों ने क्यों बनाया कैसे बनाया पता नहीं, न ही मई इसमें जाने की जरूरत समझाता हौं , लेंकिन इसका बस एक ही पहलू है, एसा भी नहीं  है . पुराने जमाने में चमड़े के व्यवसायी को उसके  जाती की संज्ञा दी गयी, यहाँ वह विशेष वर्ग फेल हो गया, दलित हो गया,  जाती के आधार पर नहीं बल्कि "मैनेजमेंट " में, आज वही जब  सवर्ण  १००रुपये का चमडा उतार उसकी ब्रांडिग कर  १००० से १० हजार में बेचता है तो  जूते का उद्योगपति कहलाता है. अब किसने कहा था की आप एसा न करो. अब सोचिये जिस बाल्मीकि जयंती को दलित भाई मानते हैं उसी की किताब को ये मैनेज नहीं कर सके और यदि ब्राह्मणों ने इसे मैनेज  कर  व्यवसाय बना लिया ? वो जमाना आज की तरह आधुनिक तो नहीं था, लेकिन जहाँ चाह वहां राह. आज आपको कौन  रोकता है ? न उस समय कोई रोकता था, तो आपने सहा और यहि है आपका सबसे बड़ा गुनाह. मतला ये है, की इंसान किसी भी जाती में पूज्य हो सकता है, जाती कोई बहुत बड़ी चीज नहीं है, भीम राव अम्बेडकर का जिसने भी उनका विरोध किया उसने मुह की खाई. वो  किसी जाती के मोहताज नहीं थे.  न तो द्रोणाचार्य ठीक था जिसने जाती पाती के आधार पर एकलव्य का अंगूठा काट डाला न ही, न ही दलित के  आड़ में हत्याए करने वाला आज  के बीसियों  गिरोह.

 जब भी कोई किसी दुर्घटना में पीड़ित होता है  तो दर्द सबको होता है,  न की सवर्ण,  दलित, हिन्दू मुसलमान धर्म या मजहब देख के .   

सादर 
कमल कुमार सिंह 
                                        बात समझने वाली है मेरे एक मित्र की है....ना.. !!
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Saturday, January 5, 2013

" ना हम " पश्चिम " के हो पाए-और- ना हम " पूरब " के रहे"...????

    प्रिय मित्रो,सादर  नमस्कार!! " ना हम " पश्चिम " के हो पाए-और- ना हम " पूरब " के रहे"...???? क्योंकि लाख कोशिशों के बाद भी देश के दुश्मन,जो पहले " अफगानिस्तान के मुग़ल " कहलाते थे, फिर अँगरेज़ और आजकल नेता-एन.जी.ओ.-सेकुलर और इंग्लिश पत्रकार " कहलाते हैं...!! जिन्हें देख-सुन कर, हिंदी पत्रकार,भारतीय समाजसेवी-नेता और युवा भी उनका " पिछलग्गू " हो गया है !! हमने दूध,लस्सी और मख्खन खाने-पीने की बजाय " पेप्सी-कोला और बर्गर " खाना शुरू कर दिया है !!
           हम " घपचम-घोला " बनकर रह गये हैं ! मेरे एक मित्र ने मुझे ये कविता भेजी है , आप भी पढ़िए..........
                        भारत में गॉंव है, गली है, चौबारा है. इंडिया में सिटी है, मॉल है, पंचतारा है.

भारत में घर है, चबूतरा है, दालान है. इंडिया में फ्लैट और मकान है.

भारत में काका है, बाबा है, दादा है, दादी है. इंडिया में अंकल आंटी की आबादी है.

भारत में खजूर है, जामुन है, आम है. इंडिया में मैगी, पिज्जा, माजा का नकली आम है.

भारत में मटके है, दोने है, पत्तल है. इंडिया में पोलिथीन, वाटर व आईन की बोटल है.

भारत में गाय है, गोबर है, कंडे है. इंडिया में सेहतनाशी चिकन बिरयानी अंडे है.

भारत में दूध है, दही है, लस्सी है. इंडिया में खतरनाक विस्की, कोक, पेप्सी है.

भारत में रसोई है, आँगन है, तुलसी है. इंडिया में रूम है, कमोड की कुर्सी है.

भारत में कथडी है, खटिया है, खर्राटे हैं. इंडिया में बेड है, डनलप है और करवटें है.

भारत में मंदिर है, मंडप है, पंडाल है. इंडिया में पब है, डिस्को है, हॉल है.

भारत में गीत है, संगीत है, रिदम है. इंडिया में डान्स है, पॉप है, आईटम है.

भारत में बुआ है, मौसी है, बहन है. इंडिया में सब के सब कजन है.

भारत में पीपल है, बरगद है, नीम है. इंडिया में वाल पर पूरे सीन है.

भारत में आदर है, प्रेम है, सत्कार है. इंडिया में स्वार्थ, नफरत है, दुत्कार है.

भारत में हजारों भाषा हैं, बोली है. इंडिया में एक अंग्रेजी एक बडबोली है.

भारत सीधा है, सहज है, सरल है. इंडिया धूर्त है, चालाक है, कुटिल है.

भारत में संतोष है, सुख है, चैन है. इंडिया बदहवास, दुखी, बेचैन है.

क्योंकि …

भारत को देवों ने, वीरों ने रचाया है. इंडिया को लालची, अंग्रेजों ने बसाया है.

.................................................................Achal Chouhan
                 और ये भी पढ़िए...........भारत और इंडिया में देखें कुछ अंतर!

पहले पढ़े फिर बताए कि आप भारत मे रहना चाहोगे या इंडिया मे??

भारत बनाम इंडिया भारत में काका है, बाबा है, दादा है, दादी है। 
____इंडिया में अंकल आंटी की आबादी है।

भारत में खजूर है, जामुन है,आम है। ________इंडिया में मैगी,पिज़्ज़ा,
माजा का नकली आम है।

भारत में गाय है, गोबर है, कंडे है।
______इंडिया में सेहत नाशी चिकन बिरयानी व अन्डे है।

भारत में दूध है, दही है, लस्सी है।
_______इंडिया में खतरनाक विस्की, कोक व पेप्सी है।

भारत में गीत है, संगीत है, रिदम है। ______.इंडिया में डांस है, पॉप है, आइटम है।

भारत में ममेरी, फुफेरी,चचेरी बहन है।
_______इंडिया में सब के सब कजन है।

भारत में पीपल है, बरगद है, नीम है।
________इंडिया में ड्राइंग रूम की वाल पर ये सीन है।

भारत में आदर है, प्रेम है, सत्कार है।
______इंडिया में स्वार्थ, नफ़रत और दुत्कार है।

भारत में हजारो भाषा है, बोली है।
_______इंडिया में एक अंग्रेजी ही बडबोली है।
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भारत में संतोष है, सुख है, चैन है।
          ________इंडिया बदहवास, दुखी, बेचैन है...!!!! ये " सरिता - गृहशोभा और मुक्ता नामक किताबों की लडाई है !!   
 मित्रो, आज कल हमारी मीडिया भारत और इंडिया में उलझ गई है... 

एक समाचार channel पर इन में अंतर दिखाया गया .. तो भारत को उन्होंने गरीब गाँव का बताया और इंडिया को शहरी और उन्नत बनाया ( हा हा ..वैसे तो शहर भी कितने उन्नत है सबको पता है )!!

लेकिंग इन सेकुलर सुल्लड़ टाइप के लोगों को बताना जरूरी हो गया है की क्या अंतर है दोनों में !! तो सुनो -

भारत आज़ाद देश है तो India गुलाम
भारत खुद के बूते ज़िंदा है, India विदेशी मदद से
भारत के पास अपनी खुद की कई भाषाए हैं India के पास अपने मालिक की भीख में दी हुए भाषा है -अंग्रेजी
भारत के लोग शहर में भी है और गाँव में भी, अक्सर ये लोग सभ्य होते हैं, India के लोग भ्रष्ट होते हैं...तो गाँव और शहर वाली कोई बात नहीं है
भारत पुरातन, खूबसूरत, चंचल, वैज्ञानिक, आर्किटेक्ट(शिल्पकार) देश है तो India इन सब में अंग्रेजो का नकलची
भारत महान है India नहीं है. ..कभी होगा भी नहीं
भारत में कपडे ढीले और आरामदायक है, इन्हें हजारो तरीके से पहना जा सकता है (जैसे साडी)... वही इंडिया के कपडे सिर्फ एक ही तरीके से पहने जा सकते है वो भी अक्सर बैठने पर बीच में से चिर जाया करते हैं जैसे "पैंट" (भारत के कपडे पेहनने वालो का मजाक उड़ाना अंग्रेजो के समय से शुरू हुआ था जो आज तक जारी है )
भारतीय हमारा असली नाम है.. और Indian दिया हुआ नाम है यानि गुलामी का प्रतीक!@!
आगे आप भी जोड़े..........
अंत में हम भारत है .. इंडियन हमारे अन्दर छुपा गुलाम है!! 
                                                             प्यारे दोस्तो,सादर नमस्कार !! ( join this grup " 5th PILLAR CORROUPTION KILLER " )
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Thursday, January 3, 2013

क्या भारत सही मायने में धर्म-निरपेक्ष हैं..????

क्या भारत सही मायने में धर्म-निरपेक्ष हैं

क्या भारत सही मायने में धर्मनिरपेक्ष है? क्या भारत संयुक्त राष्ट्र के सिद्धांतों को मानता है? क्या भारत मे हिंदू और मुस्लिम लोगों और उनके नेताओं के बीच भेद-भाव नही किया जाता? यदि हाँ, तो फिर राहुल गाँधी का सबसे करीबी दोस्त और यूपीए का सांसद असदुद्दीन ओबैसी भारत और संयुक्त राष्ट्र संघ के द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन हमास और हिजबुल्लाह के खूंखार कमांडरों के साथ बार बार मिलने लेबनान के बेरुत और दहिल्या शहर मे क्यों जाता है?

इजरायल के चेतावनी की अनदेखी
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सूत्रों से ज्ञात हुआ की इजराइली खुफिया एजेन्सी मोसाद ने भारत सरकार को कई बार पत्र लिखकर कहा है कि आपका सांसद जो आपकी यूपीए सरकार को समर्थन दे रहा है वो इजरायल में आतंकवाद पैâला रहा है और साथ ही भारत के गरीब मुस्लिम युवकों का ब्रेनवाश करके उन्हें हमास और हिजबुल्लाह के लिए भर्ती करता है, लेकिन चूँकि भारत की यूपीए सरकार को सिर्पâ हिंदू ही आतंकवादी नजर आते है इसलिए भारत सरकार ओबैसी को खुलेआम छुट दे दिया है। ज्ञात रहे कि हिजबुल्लाह आज विश्व का सबसे बड़ा आत्मघाती दस्ते वाला आतंकवादी संगठन है जो छोटे-छोटे बच्चों को अपने आत्मघाती दस्ते मे भर्ती करता है।

मुस्लिमों ने वैâसे धर्म निरपेक्ष देशों को मुस्लिम राष्ट्र बनाया
पूर्व में लेबनान पहले धर्मनिरपेक्ष देश था और वहाँ ४ हिंदू और १० यहूदी भी रहते थे। लेबनान जहां पहले ८० ईसाई तथा अन्य धर्म और २० मुस्लिम रहते थे और लेबनान विश्व का बहुत तेजी से तरक्की करता हुआ मुल्क था, इसकी राजधानी बेरुत को विश्व का गोल्ड केपिटल कहा जाता था क्योकि बेरुत विश्व की सबसे बड़ी सोने की मण्डी थी। इतना ही नहीं खूबसूरत लेबनान में कई हॉलीवुड और बॉलीवुड के फिल्मों की शूटिंग होती थी।

लेकिन लेबनान की तरक्की और खुशहाली पर लेबनान के मुस्लिम नेताओं ने ग्रहण लगा दिया, मस्जिदों में और अपने सम्मेलनों के मुसलमानों को खूब बच्चे पैदा करके लेबनान पर कब्जा करने की बाते करते थे। फिर धीरे-धीरे लेबनान का जनसंख्या का संतुलन बिगड़ गया और फिर लेबनान २५ सालों से गृहयुद्ध की चपेट मे आ गया। आज लेबनान के दो हिस्से है उत्तरी लेबनान जिसमें ईसाई और अन्य धर्मों के लोग रहते है और दक्षिण लेबनान जहां मुस्लिम रहते है उसी तरह राजधानी बेरुत का भी दो अघोषित हिस्सा है जहां एक तरह ईसाई और दूसरी तरफ मुस्लिम रहते हैं।
सांसदों को विदेश यात्रा से पूर्व अनुमति का नियम

जब भी कोई सांसद विदेश यात्रा करता है तो उसे लोकसभा सचिव को लिखित सूचना देकर अनुमति लेनी पड़ती है भले ही वो उसकी निजी यात्रा ही क्यों न हो। एक आरटीआई के जबाब मे मीरा कुमार ने पहले बताया कि उनके पास ऐसी कोई फाइल नही आई जिसमे ओबैसी ने लेबनान और सीरिया के यात्रा की अनुमति मांगी हो। इसका मतलब यही है कि ओवैसी ने बिना अनुमति के विदेश यात्रा की। सवाल ये उठता है कि आखिर इतना घोर साम्प्रदायिकता फैलाने वाला ओबैसी को यूपीए साम्प्रदायिक क्यों नही मानती है ?

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ओबैसी के डिप्लोमेटिक पासपोर्ट में गांधी परिवार की भूमिका

सबसे बड़ा चौकने वाला खुलासा ये है कि ओबैसी को डिप्लोमेटिक पासपोर्ट राहुल गाँधी की सिफारिश पर मिला था जबकि खुद आन्ध्रप्रदेश की कांग्रेस सरकार की ही खुफिया पुलिस ने ओबैसी को डिप्लोमेटिक पासपोर्ट न देने की रिपोर्ट भेजी थी लेकिन जब राहुल गाँधी ने इस मामले मे हस्तक्षेप किया जब जाकर विदेश मंत्रालय ने ओबैसी को बिना किसी योग्यता-अर्हता के डिप्लोमेटिक पासपोर्ट जारी कर दिया।

ध्यान रहे कि साधारण पासपोर्ट का कलर नीला होता है जबकि डिप्लोमेटिक पासपोर्ट का कलर मैरून होता है। और तो और डिप्लोमेटिक पासपोर्ट रखने वाले व्यक्ति की किसी भी हवाई अड्डे पर तलाशी नही होती और इन्हें वीजा आन अराइवल की भी सुविधा होती है और ये पासपोर्ट केवल राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केबिनेट स्तर के मंत्री और राज्यों में मुख्यमन्त्रियों और राजदूत तथा दूतावास में सचिव स्तर के अधिकारियों को ही जारी हो सकता है ।
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बांग्लादेशी मुसलमानों का पुर्नवास क्यों

अभी कुछ दिन पहले संसद में आसाम पर चर्चा के दौरान ओबैसी ने प्रधानमंत्री और गृहमंत्री की उपस्थिति मे कहा कि यदि भारत सरकार आसाम मे मुसलमानों का चाहे वो प्रवासी क्यों न हो ठीक ढंग से पुनर्वास नही करती और उन्हें उचित मुवावजा नही देती तो फिर भारत का मुसलमान इस देश की ईंट से ईंट बजा देंगे लेकिन किसी भी सांसद ने ओबैसी के इस बयान की निंदा नही की। इससे बड़ा राष्ट्र का अपमान और क्या हो सकता है की पक्ष व विपक्ष दोनों ही इस मुद्दे पर चुप रहे और तो और मीडिया ने भी इसको ब्रेकिंग न्यूज नही बताया सिर्फ टाइम्स नाउ ने ही इस खबर पर चर्चा की।

यूपीए की नजर में हिन्दू

यूपीए की नजर मे सिर्पâ भारत के हिंदू ही साम्प्रदायिक है। अगर कोई भारत मे हिंदू हित की बात करेगा तो वो घोर साम्प्रदायिक और राजनितिक रूप से अछूत बन जायेगा। पूरी मीडिया और कई राजनितिक दल सहित कुछ तथाकथित धर्मनिरपेक्षता के नाम पर अपनी दूकान चलाने वाली छोटी पार्टियां सब उसको साम्प्रदायिक घोषित कर देंगे। लेकिन यदि कोई सिर्पâ मुस्लिम हित की ही बात करेगा तो वो धर्मनिरपेक्ष माना जायेगा।

ओवैसी की नजर में मुस्लिम ही नागरिक

ओवैसी ने आज तक संसद में सिर्पâ मुस्लिम हित और मुस्लिमों के बारे मे ही मुद्दे उठाये हैं और वे सिर्फ मुस्लिम लोगों की ही मदद करते है यहाँ तक कि आसाम में भी उन्होंने जब राहत शिविर लगाया तो उसके उपर लिख दिया ‘‘ओनली फॉर मुस्लिम’’।

इन्होंने सानिया मिर्जा को कई बार सम्मानित किया लेकिन जब एक पत्रकार ने इनसे पूछा कि आप सानिया नेहवाल को कब सम्मानित करेंगे तो ये महाशय माइक फेंक दिये।

आईबी ने दंगों के लिये ओबैसी बंधुओं को जिम्मेदार माना आंध्र प्रदेश की कांग्रेस सरकार की ही आईबी हैदराबाद में भड़के कई दंगों के लिए ओबैसी बंधुओ को जिम्मेदार बताती है यहाँ तक की केन्द्र की खुफिया एजेंसियों ने भी कई बार गृहमंत्रालय को ओबैसी के संदिग्ध गतिबिधियों के बारे मे चेतावनी दी है। लेकिन सब बेकार।
                                                                             
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Wednesday, January 2, 2013

" एक तो करेला,ऊपर से नीम चढ़ा "...वो " पत्रकार"..जो....??????

             " रचनात्मक - सकरात्मक - सत्य-अनुसर्निय एवं रोचक स्वभाव " के धनी पत्रकार बंधू-बान्धवियों को मेरा सादर चरण-स्पर्श !!
              अगर भी मैं ऐसा नहीं करके,सीधे अपनी बात कहनी शुरू कर देता तो, मैं भी उसी श्रेणी का पत्रकार बन जाता या कहलाता जिनकी बात मैं आपके साथ सांझी करना चाहता हूँ कि " एक तो करेला ऊपर से " नीम चढ़ा " वो...." पत्रकार " जो....???? वैसे पत्रकार ही केवल वैसा नहीं होता जो.......?????? और ऐसे लोग होते हैं...जो...??? जैसे :- ब्राह्मण,अध्यापक, कोच, मिस्त्री और ज्योतिषी आदि-आदि !!
                कुछ लोग शुरू से ही ऐसे होते हैं,तो कुछ लोग ये उपरोक्त कार्य करते करते वैसे हो जाते हैं जैसे.....लोगों के स्वभाव के बारे में,मैं आपको बताना चाहता हूँ !! उनको कुछ लोग " अड़ियल,ब्लैक-मेलर,सौदागर और पत्रकारिता पर धब्बा नाम से भी बुलाते हैं !! लेकिन मैं उनको ऐसा कुछ भी नहीं कहूँगा !! मैंने तो ऐसे महापुरुषों हेतु एक मुहावरे का ही उपयोग किया है.....!!!

                   जिन व्यवसायों का मैंने ऊपर नाम लिखा है,वो सब सत्य, निष्ठा, कर्तव्य और सामाजिक बन्धनों से जुड़े हुए व्यवसाय होते हैं, जिनका पालन करना उनके लिए " अति- आवश्यक " होता है, जो लोग ये व्यवसाय अपनाते हैं !! इन " जीवन-मूल्यों" पर चलना उतना ही मुश्किल कार्य होता है ,जितना की " तलवार की धार पर चलना " !! इसी लिए इन व्यवसाइयों का गलती करते हुए पकडे जाने पर " लिहाज़" भी बहुत किया जाता है !! इसी कारणवश आपने ऐसे लोगों को  " दण्डित " होते कम ही देखा होगा....!!
                   ये लोग वक्त आने पर सरकार के " भोंपू" , पुलिस के जासूस, नेताओं के चमचे, व्यपारियों के कारिंदे और माफियाओं के ओजार भी बन जाते हैं , या बना दिए जाते हैं !! ज्यादा विस्तार में,मैं जाना नहीं चाहता क्योंकि " समझदारों को इशारा ही काफी होता है !! और पत्रकारों पर पहली ऊँगली हमने इसलिए रख्खी,क्योंकि यही हमारा व्यवसाय है और पत्रकार ही हमारे ......दुश्मन बने बैठे हैं....!!??? हमारे मतलब देश-वासियों के....!!???
                  प्यारे दोस्तो,सादर नमस्कार !! ( join this grup " 5th PILLAR CORROUPTION KILLER " )
आप जो मुझे इतना प्यार दे रहे हैं, उसके ल िए बहुत बहुत धन्यवाद-शुक्रिया करम और मेहरबानी ! आप की दोस्ती और प्यार को हमेशां मैं अपने दिल में संजो कर रखूँगा !! आपके प्रिय ब्लॉग और ग्रुप " 5th pillar corrouption killer " में मेरे इलावा देश के मशहूर लेखकों के विचार भी प्रकाशित होते है !! आप चाहें तो आपके विचार भी इसमें प्रकाशित हो सकते हैं !! इसे खोलने हेतु लाग आन आज ही करें :-www.pitamberduttsharma.blogspot.com. और ज्यादा जानकारी हेतु संपर्क करें :- पीताम्बर दत शर्मा , हेल्प-लाईन-बिग-बाज़ार, पंचायत समिति भवन के सामने, सूरतगढ़ ! ( जिला ; श्री गंगानगर, राजस्थान, भारत ) मो.न. 09414657511.फेक्स ; 01509-222768. कृपया आप सब ये ब्लॉग पढ़ें, इसे अपने मित्रों संग बांटें और अपने अनमोल कमेंट्स ब्लाग पर जाकर अवश्य लिखें !! आप ये ब्लॉग ज्वाईन भी कर सकते हैं !! धन्यवाद !! जयहिंद - जय - भारत !! आप सदा प्रसन्न रहें !! ऐसी मेरी मनोकामना है !! मेरे कुछ मित्रों ने मेरी लेखन सामग्री को अपने समाचार-पत्रों में प्रकाशित करने की आज्ञा चाही है ! जिसकी मैं सहर्ष आज्ञा देता हूँ !! सभी मित्र इसे फेसबुक पर शेयर भी कर सकते है तथा अपने अनमोल विचार भी मेरे ब्लाग पर जाकर लिख सकते हैं !! मेरे ब्लाग को ज्वाईन भी कर सकते है !!

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"निराशा से आशा की ओर चल अब मन " ! पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक)

प्रिय पाठक मित्रो !                               सादर प्यार भरा नमस्कार !! ये 2020 का साल हमारे लिए बड़ा ही निराशाजनक और कष्टदायक साबित ह...