Thursday, September 12, 2013

सोनिया गांधी, आखिर हैं कौन ???????? ( साभार ) !!


         ये लेख सबकी खबर डॉट कॉम से लिया गया है.rahul-sonia-memories

जब इंटरनेट और ब्लॉग की दुनिया में आया तो सोनिया गाँधी के बारे में काफ़ी कुछ पढने को मिला । पहले तो मैंने भी इस पर विश्वास नहीं किया और इसे मात्र बकवास सोच कर खारिज कर दिया, लेकिन एक-दो नहीं कई साईटों पर कई लेखकों ने सोनिया के बारे में काफ़ी कुछ लिखा है जो कि अभी तक प्रिंट मीडिया में नहीं आया है (और भारत में इंटरनेट कितने और किस प्रकार के लोग उपयोग करते हैं, यह बताने की आवश्यकता नहीं है) । यह तमाम सामग्री हिन्दी में और विशेषकर "यूनिकोड" में भी पाठकों को सुलभ होनी चाहिये, यही सोचकर मैंने "नेहरू-गाँधी राजवंश" नामक पोस्ट लिखी थी जिस पर मुझे मिलीजुली प्रतिक्रिया मिली, कुछ ने इसकी तारीफ़ की, कुछ तटस्थ बने रहे और कुछ ने व्यक्तिगत मेल भेजकर गालियाँ भी दीं (मुंडे-मुंडे मतिर्भिन्नाः) । यह तो स्वाभाविक ही था, लेकिन सबसे आश्चर्यजनक बात यह रही कि कुछ विद्वानों ने मेरे लिखने को ही चुनौती दे डाली और अंग्रेजी से हिन्दी या मराठी से हिन्दी के अनुवाद को एक गैर-लेखकीय कर्म और "नॉन-क्रियेटिव" करार दिया । बहरहाल, कम से कम मैं तो अनुवाद को रचनात्मक कार्य मानता हूँ, और देश की एक प्रमुख हस्ती के बारे में लिखे हुए का हिन्दी पाठकों के लिये अनुवाद पेश करना एक कर्तव्य मानता हूँ (कम से कम मैं इतना तो ईमानदार हूँ ही, कि जहाँ से अनुवाद करूँ उसका उल्लेख, नाम उपलब्ध हो तो नाम और लिंक उपलब्ध हो तो लिंक देता हूँ) ।

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पेश है "आप सोनिया गाँधी को कितना जानते हैं" की पहली कडी़, अंग्रेजी में इसके मूल लेखक हैं एस.गुरुमूर्ति और यह लेख दिनांक १७ अप्रैल २००४ को "द न्यू इंडियन एक्सप्रेस" में - अनमास्किंग सोनिया गाँधी- शीर्षक से प्रकाशित हुआ था ।
"अब भूमिका बाँधने की आवश्यकता नहीं है और समय भी नहीं है, हमें सीधे मुख्य मुद्दे पर आ जाना चाहिये । भारत की खुफ़िया एजेंसी "रॉ", जिसका गठन सन १९६८ में हुआ, ने विभिन्न देशों की गुप्तचर एजेंसियों जैसे अमेरिका की सीआईए, रूस की केजीबी, इसराईल की मोस्साद और फ़्रांस तथा जर्मनी में अपने पेशेगत संपर्क बढाये और एक नेटवर्क खडा़ किया । इन खुफ़िया एजेंसियों के अपने-अपने सूत्र थे और वे आतंकवाद, घुसपैठ और चीन के खतरे के बारे में सूचनायें आदान-प्रदान करने में सक्षम थीं । लेकिन "रॉ" ने इटली की खुफ़िया एजेंसियों से इस प्रकार का कोई सहयोग या गठजोड़ नहीं किया था, क्योंकि "रॉ" के वरिष्ठ जासूसों का मानना था कि इटालियन खुफ़िया एजेंसियाँ भरोसे के काबिल नहीं हैं और उनकी सूचनायें देने की क्षमता पर भी उन्हें संदेह था ।
सक्रिय राजनीति में राजीव गाँधी का प्रवेश हुआ १९८० में संजय की मौत के बाद । "रॉ" की नियमित "ब्रीफ़िंग" में राजीव गाँधी भी भाग लेने लगे थे ("ब्रीफ़िंग" कहते हैं उस संक्षिप्त बैठक को जिसमें रॉ या सीबीआई या पुलिस या कोई और सरकारी संस्था प्रधानमन्त्री या गृहमंत्री को अपनी रिपोर्ट देती है), जबकि राजीव गाँधी सरकार में किसी पद पर नहीं थे, तब वे सिर्फ़ काँग्रेस महासचिव थे । राजीव गाँधी चाहते थे कि अरुण नेहरू और अरुण सिंह भी रॉ की इन बैठकों में शामिल हों । रॉ के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने दबी जुबान में इस बात का विरोध किया था चूँकि राजीव गाँधी किसी अधिकृत पद पर नहीं थे, लेकिन इंदिरा गाँधी ने रॉ से उन्हें इसकी अनुमति देने को कह दिया था, फ़िर भी रॉ ने इंदिरा जी को स्पष्ट कर दिया था कि इन लोगों के नाम इस ब्रीफ़िंग के रिकॉर्ड में नहीं आएंगे । उन बैठकों के दौरान राजीव गाँधी सतत रॉ पर दबाव डालते रहते कि वे इटालियन खुफ़िया एजेंसियों से भी गठजोड़ करें, राजीव गाँधी ऐसा क्यों चाहते थे ? या क्या वे इतने अनुभवी थे कि उन्हें इटालियन एजेंसियों के महत्व का पता भी चल गया था ? ऐसा कुछ नहीं था, इसके पीछे एकमात्र कारण थी सोनिया गाँधी । राजीव गाँधी ने सोनिया से सन १९६८ में विवाह किया था, और हालांकि रॉ मानती थी कि इटली की एजेंसी से गठजोड़ सिवाय पैसे और समय की बर्बादी के अलावा कुछ नहीं है, राजीव लगातार दबाव बनाये रहे । अन्ततः दस वर्षों से भी अधिक समय के पश्चात रॉ ने इटली की खुफ़िया संस्था से गठजोड़ कर लिया । क्या आप जानते हैं कि रॉ और इटली के जासूसों की पहली आधिकारिक मीटिंग की व्यवस्था किसने की ? जी हाँ, सोनिया गाँधी ने । सीधी सी बात यह है कि वह इटली के जासूसों के निरन्तर सम्पर्क में थीं । एक मासूम गृहिणी, जो राजनैतिक और प्रशासनिक मामलों से अलिप्त हो और उसके इटालियन खुफ़िया एजेन्सियों के गहरे सम्बन्ध हों यह सोचने वाली बात है, वह भी तब जबकि उन्होंने भारत की नागरिकता नहीं ली थी (वह उन्होंने बहुत बाद में ली) । प्रधानमंत्री के घर में रहते हुए, जबकि राजीव खुद सरकार में नहीं थे । हो सकता है कि रॉ इसी कारण से इटली की खुफ़िया एजेंसी से गठजोड़ करने मे कतरा रहा हो, क्योंकि ऐसे किसी भी सहयोग के बाद उन जासूसों की पहुँच सिर्फ़ रॉ तक न रहकर प्रधानमंत्री कार्यालय तक हो सकती थी ।
जब पंजाब में आतंकवाद चरम पर था तब सुरक्षा अधिकारियों ने इंदिरा गाँधी को बुलेटप्रूफ़ कार में चलने की सलाह दी, इंदिरा गाँधी ने अम्बेसेडर कारों को बुलेटप्रूफ़ बनवाने के लिये कहा, उस वक्त भारत में बुलेटप्रूफ़ कारें नहीं बनती थीं इसलिये एक जर्मन कम्पनी को कारों को बुलेटप्रूफ़ बनाने का ठेका दिया गया । जानना चाहते हैं उस ठेके का बिचौलिया कौन था, वाल्टर विंसी, सोनिया गाँधी की बहन अनुष्का का पति ! रॉ को हमेशा यह शक था कि उसे इसमें कमीशन मिला था, लेकिन कमीशन से भी गंभीर बात यह थी कि इतना महत्वपूर्ण सुरक्षा सम्बन्धी कार्य उसके मार्फ़त दिया गया । इटली का प्रभाव सोनिया दिल्ली तक लाने में कामयाब रही थीं, जबकि इंदिरा गाँधी जीवित थीं । दो साल बाद १९८६ में ये वही वाल्टर विंसी महाशय थे जिन्हें एसपीजी को इटालियन सुरक्षा एजेंसियों द्वारा प्रशिक्षण दिये जाने का ठेका मिला, और आश्चर्य की बात यह कि इस सौदे के लिये उन्होंने नगद भुगतान की मांग की और वह सरकारी तौर पर किया भी गया । यह नगद भुगतान पहले एक रॉ अधिकारी के हाथों जिनेवा (स्विटजरलैण्ड) पहुँचाया गया लेकिन वाल्टर विंसी ने जिनेवा में पैसा लेने से मना कर दिया और रॉ के अधिकारी से कहा कि वह ये पैसा मिलान (इटली) में चाहता है, विंसी ने उस अधिकारी को कहा कि वह स्विस और इटली के कस्टम से उन्हें आराम से निकलवा देगा और यह "कैश" चेक नहीं किया जायेगा । रॉ के उस अधिकारी ने उसकी बात नहीं मानी और अंततः वह भुगतान इटली में भारतीय दूतावास के जरिये किया गया । इस नगद भुगतान के बारे में तत्कालीन कैबिनेट सचिव बी.जी.देशमुख ने अपनी हालिया किताब में उल्लेख किया है, हालांकि वह तथाकथित ट्रेनिंग घोर असफ़ल रही और सारा पैसा लगभग व्यर्थ चला गया । इटली के जो सुरक्षा अधिकारी भारतीय एसपीजी कमांडो को प्रशिक्षण देने आये थे उनका रवैया जवानों के प्रति बेहद रूखा था, एक जवान को तो उस दौरान थप्पड़ भी मारा गया । रॉ अधिकारियों ने यह बात राजीव गाँधी को बताई और कहा कि इस व्यवहार से सुरक्षा बलों के मनोबल पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है और उनकी खुद की सुरक्षा व्यवस्था भी ऐसे में खतरे में पड़ सकती है, घबराये हुए राजीव ने तत्काल वह ट्रेनिंग रुकवा दी,लेकिन वह ट्रेनिंग का ठेका लेने वाले विंसी को तब तक भुगतान किया जा चुका था ।
राजीव गाँधी की हत्या के बाद तो सोनिया गाँधी पूरी तरह से इटालियन और पश्चिमी सुरक्षा अधिकारियों पर भरोसा करने लगीं, खासकर उस वक्त जब राहुल और प्रियंका यूरोप घूमने जाते थे । सन १९८५ में जब राजीव सपरिवार फ़्रांस गये थे तब रॉ का एक अधिकारी जो फ़्रेंच बोलना जानता था, उनके साथ भेजा गया था, ताकि फ़्रेंच सुरक्षा अधिकारियों से तालमेल बनाया जा सके । लियोन (फ़्रांस) में उस वक्त एसपीजी अधिकारियों में हड़कम्प मच गया जब पता चला कि राहुल और प्रियंका गुम हो गये हैं । भारतीय सुरक्षा अधिकारियों को विंसी ने बताया कि चिंता की कोई बात नहीं है, दोनों बच्चे जोस वाल्डेमारो के साथ हैं जो कि सोनिया की एक और बहन नादिया के पति हैं । विंसी ने उन्हें यह भी कहा कि वे वाल्डेमारो के साथ स्पेन चले जायेंगे जहाँ स्पेनिश अधिकारी उनकी सुरक्षा संभाल लेंगे । भारतीय सुरक्षा अधिकारी यह जानकर अचंभित रह गये कि न केवल स्पेनिश बल्कि इटालियन सुरक्षा अधिकारी उनके स्पेन जाने के कार्यक्रम के बारे में जानते थे । जाहिर है कि एक तो सोनिया गाँधी तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के अहसानों के तले दबना नहीं चाहती थीं, और वे भारतीय सुरक्षा एजेंसियों पर विश्वास नहीं करती थीं । इसका एक और सबूत इससे भी मिलता है कि एक बार सन १९८६ में जिनेवा स्थित रॉ के अधिकारी को वहाँ के पुलिस कमिश्नर जैक कुन्जी़ ने बताया कि जिनेवा से दो वीआईपी बच्चे इटली सुरक्षित पहुँच चुके हैं, खिसियाये हुए रॉ अधिकारी को तो इस बारे में कुछ मालूम ही नहीं था । जिनेवा का पुलिस कमिश्नर उस रॉ अधिकारी का मित्र था, लेकिन यह अलग से बताने की जरूरत नहीं थी कि वे वीआईपी बच्चे कौन थे । वे कार से वाल्टर विंसी के साथ जिनेवा आये थे और स्विस पुलिस तथा इटालियन अधिकारी निरन्तर सम्पर्क में थे जबकि रॉ अधिकारी को सिरे से कोई सूचना ही नहीं थी, है ना हास्यास्पद लेकिन चिंताजनक... उस स्विस पुलिस कमिश्नर ने ताना मारते हुए कहा कि "तुम्हारे प्रधानमंत्री की पत्नी तुम पर विश्वास नहीं करती और उनके बच्चों की सुरक्षा के लिये इटालियन एजेंसी से सहयोग करती है" । बुरी तरह से अपमानित रॉ के अधिकारी ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों से इसकी शिकायत की, लेकिन कुछ नहीं हुआ । अंतरराष्ट्रीय खुफ़िया एजेंसियों के गुट में तेजी से यह बात फ़ैल गई थी कि सोनिया गाँधी भारतीय अधिकारियों, भारतीय सुरक्षा और भारतीय दूतावासों पर बिलकुल भरोसा नहीं करती हैं, और यह निश्चित ही भारत की छवि खराब करने वाली बात थी । राजीव की हत्या के बाद तो उनके विदेश प्रवास के बारे में विदेशी सुरक्षा एजेंसियाँ, एसपीजी से अधिक सूचनायें पा जाती थी और भारतीय पुलिस और रॉ उनका मुँह देखते रहते थे । (ओट्टावियो क्वात्रोची के बार-बार मक्खन की तरह हाथ से फ़िसल जाने का कारण समझ में आया ?) उनके निजी सचिव विंसेंट जॉर्ज सीधे पश्चिमी सुरक्षा अधिकारियों के सम्पर्क में रहते थे, रॉ अधिकारियों ने इसकी शिकायत नरसिम्हा राव से की थी, लेकिन जैसी की उनकी आदत (?) थी वे मौन साध कर बैठ गये ।
संक्षेप में तात्पर्य यह कि, जब एक गृहिणी होते हुए भी वे गंभीर सुरक्षा मामलों में अपने परिवार वालों को ठेका दिलवा सकती हैं, राजीव गाँधी और इंदिरा गाँधी के जीवित रहते रॉ को इटालियन जासूसों से सहयोग करने को कह सकती हैं, सत्ता में ना रहते हुए भी भारतीय सुरक्षा अधिकारियों पर अविश्वास दिखा सकती हैं, तो अब जबकि सारी सत्ता और ताकत उनके हाथों मे है, वे क्या-क्या कर सकती हैं, बल्कि क्या नहीं कर सकती । हालांकि "मैं भारत की बहू हूँ" और "मेरे खून की अंतिम बूँद भी भारत के काम आयेगी" आदि वे यदा-कदा बोलती रहती हैं, लेकिन यह असली सोनिया नहीं है । समूचा पश्चिमी जगत, जो कि जरूरी नहीं कि भारत का मित्र ही हो, उनके बारे में सब कुछ जानता है, लेकिन हम भारतीय लोग सोनिया के बारे में कितना जानते हैं ? (भारत भूमि पर जन्म लेने वाला व्यक्ति चाहे कितने ही वर्ष विदेश में रह ले, स्थाई तौर पर बस जाये लेकिन उसका दिल हमेशा भारत के लिये धड़कता है, और इटली में जन्म लेने वाले व्यक्ति का....)
सोनिया गाँधी भारत की प्रधानमंत्री बनने के योग्य हैं या नहीं, इस प्रश्न का "धर्मनिरपेक्षता", या "हिन्दू राष्ट्रवाद" या "भारत की बहुलवादी संस्कृति" से कोई लेना-देना नहीं है। इसका पूरी तरह से नाता इस बात से है कि उनका जन्म इटली में हुआ, लेकिन यही एक बात नहीं है, सबसे पहली बात तो यह कि देश के सबसे महत्वपूर्ण पद पर आसीन कराने के लिये कैसे उन पर भरोसा किया जाये। सन १९९८ में एक रैली में उन्होंने कहा था कि "अपनी आखिरी साँस तक मैं भारतीय हूँ", बहुत ही उच्च विचार है, लेकिन तथ्यों के आधार पर यह बेहद खोखला ठहरता है। अब चूँकि वे देश के एक खास परिवार से हैं और प्रधानमंत्री पद के लिये बेहद आतुर हैं (जी हाँ) तब वे एक सामाजिक व्यक्तित्व बन जाती हैं और उनके बारे में जानने का हक सभी को है (१४ मई २००४ तक वे प्रधानमंत्री बनने के लिये जी-तोड़ कोशिश करती रहीं, यहाँ तक कि एक बार तो पूर्ण समर्थन ना होने के बावजूद वे दावा पेश करने चल पडी़ थीं, लेकिन १४ मई २००४ को राष्ट्रपति कलाम साहब द्वारा कुछ "असुविधाजनक" प्रश्न पूछ लिये जाने के बाद यकायक १७ मई आते-आते उनमे वैराग्य भावना जागृत हो गई और वे खामख्वाह "त्याग" और "बलिदान" (?) की प्रतिमूर्ति बना दी गईं - कलाम साहब को दूसरा कार्यकाल न मिलने के पीछे यह एक बडी़ वजह है, ठीक वैसे ही जैसे सोनिया ने प्रणब मुखर्जी को राष्ट्रपति इसलिये नहीं बनवाया, क्योंकि इंदिरा गाँधी की मृत्यु के बाद राजीव के प्रधानमंत्री बनने का उन्होंने विरोध किया था... और अब एक तरफ़ कठपुतली प्रधानमंत्री और जी-हुजूर राष्ट्रपति दूसरी तरफ़ होने के बाद अगले चुनावों के पश्चात सोनिया को प्रधानमंत्री बनने से कौन रोक सकता है?)बहरहाल... सोनिया गाँधी उर्फ़ माइनो भले ही आखिरी साँस तक भारतीय होने का दावा करती रहें, भारत की भोली-भाली (?) जनता को इन्दिरा स्टाइल में,सिर पर पल्ला ओढ़ कर "नामास्खार" आदि दो चार हिन्दी शब्द बोल लें, लेकिन यह सच्चाई है कि सन १९८४ तक उन्होंने इटली की नागरिकता और पासपोर्ट नहीं छोडा़ था (शायद कभी जरूरत पड़ जाये) । राजीव और सोनिया का विवाह हुआ था सन १९६८ में,भारत के नागरिकता कानूनों के मुताबिक (जो कानून भाजपा या कम्युनिस्टों ने नहीं बल्कि कांग्रेसियों ने ही सन १९५० में बनाये) सोनिया को पाँच वर्ष के भीतर भारत की नागरिकता ग्रहण कर लेना चाहिये था अर्थात सन १९७४ तक, लेकिन यह काम उन्होंने किया दस साल बाद...यह कोई नजरअंदाज कर दिये जाने वाली बात नहीं है। इन पन्द्रह वर्षों में दो मौके ऐसे आये जब सोनिया अपने आप को भारतीय(!)साबित कर सकती थीं। पहला मौका आया था सन १९७१ में जब पाकिस्तान से युद्ध हुआ (बांग्लादेश को तभी मुक्त करवाया गया था), उस वक्त आपातकालीन आदेशों के तहत इंडियन एयरलाइंस के सभी पायलटों की छुट्टियाँ रद्द कर दी गईं थीं, ताकि आवश्यकता पड़ने पर सेना को किसी भी तरह की रसद आदि पहुँचाई जा सके । सिर्फ़ एक पायलट को इससे छूट दी गई थी, जी हाँ राजीव गाँधी, जो उस वक्त भी एक पूर्णकालिक पायलट थे । जब सारे भारतीय पायलट अपनी मातृभूमि की सेवा में लगे थे तब सोनिया अपने पति और दोनों बच्चों के साथ इटली की सुरम्य वादियों में थीं, वे वहाँ से तभी लौटीं, जब जनरल नियाजी ने समर्पण के कागजों पर दस्तखत कर दिये। दूसरा मौका आया सन १९७७ में जब यह खबर आई कि इंदिरा गाँधी चुनाव हार गईं हैं और शायद जनता पार्टी सरकार उनको गिरफ़्तार करे और उन्हें परेशान करे। "माईनो" मैडम ने तत्काल अपना सामान बाँधा और अपने दोनों बच्चों सहित दिल्ली के चाणक्यपुरी स्थित इटालियन दूतावास में जा छिपीं। इंदिरा गाँधी, संजय गाँधी और एक और बहू मेनका के संयुक्त प्रयासों और मान-मनौव्वल के बाद वे घर वापस लौटीं। १९८४ में भी भारतीय नागरिकता ग्रहण करना उनकी मजबूरी इसलिये थी कि राजीव गाँधी के लिये यह बडी़ शर्म और असुविधा की स्थिति होती कि एक भारतीय प्रधानमंत्री की पत्नी इटली की नागरिक है ? भारत की नागरिकता लेने की दिनांक भारतीय जनता से बडी़ ही सफ़ाई से छिपाई गई। भारत का कानून अमेरिका, जर्मनी, फ़िनलैंड, थाईलैंड या सिंगापुर आदि देशों जैसा नहीं है जिसमें वहाँ पैदा हुआ व्यक्ति ही उच्च पदों पर बैठ सकता है। भारत के संविधान में यह प्रावधान इसलिये नहीं है कि इसे बनाने वाले "धर्मनिरपेक्ष नेताओं" ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि आजादी के साठ वर्ष के भीतर ही कोई विदेशी मूल का व्यक्ति प्रधानमंत्री पद का दावेदार बन जायेगा। लेकिन कलाम साहब ने आसानी से धोखा नहीं खाया और उनसे सवाल कर लिये (प्रतिभा ताई कितने सवाल कर पाती हैं यह देखना बाकी है)। संविधान के मुताबिक सोनिया प्रधानमंत्री पद की दावेदार बन सकती हैं, जैसे कि मैं या कोई और। लेकिन भारत के नागरिकता कानून के मुताबिक व्यक्ति तीन तरीकों से भारत का नागरिक हो सकता है, पहला जन्म से, दूसरा रजिस्ट्रेशन से, और तीसरा प्राकृतिक कारणों (भारतीय से विवाह के बाद पाँच वर्ष तक लगातार भारत में रहने पर) । इस प्रकार मैं और सोनिया गाँधी,दोनों भारतीय नागरिक हैं, लेकिन मैं जन्म से भारत का नागरिक हूँ और मुझसे यह कोई नहीं छीन सकता, जबकि सोनिया के मामले में उनका रजिस्ट्रेशन रद्द किया जा सकता है। वे भले ही लाख दावा करें कि वे भारतीय बहू हैं, लेकिन उनका नागरिकता रजिस्ट्रेशन भारत के नागरिकता कानून की धारा १० के तहत तीन उपधाराओं के कारण रद्द किया जा सकता है (अ) उन्होंने नागरिकता का रजिस्ट्रेशन धोखाधडी़ या कोई तथ्य छुपाकर हासिल किया हो, (ब) वह नागरिक भारत के संविधान के प्रति बेईमान हो, या (स) रजिस्टर्ड नागरिक युद्धकाल के दौरान दुश्मन देश के साथ किसी भी प्रकार के सम्पर्क में रहा हो । (इन मुद्दों पर डॉ. सुब्रह्मण्यम स्वामी काफ़ी काम कर चुके हैं और अपनी पुस्तक में उन्होंने इसका उल्लेख भी किया है, जो आप पायेंगे इन अनुवादों के "तीसरे भाग" में)। राष्ट्रपति कलाम साहब के दिमाग में एक और बात निश्चित ही चल रही होगी, वह यह कि इटली के कानूनों के मुताबिक वहाँ का कोई भी नागरिक दोहरी नागरिकता रख सकता है, भारत के कानून में ऐसा नहीं है, और अब तक यह बात सार्वजनिक नहीं हुई है कि सोनिया ने अपना इटली वाला पासपोर्ट और नागरिकता कब छोडी़ ? ऐसे में वह भारत की प्रधानमंत्री बनने के साथ-साथ इटली की भी प्रधानमंत्री बनने की दावेदार हो सकती हैं। अन्त में एक और मुद्दा, अमेरिका के संविधान के अनुसार सर्वोच्च पद पर आसीन होने वाले व्यक्ति को अंग्रेजी आना चाहिये, अमेरिका के प्रति वफ़ादार हो तथा अमेरिकी संविधान और शासन व्यवस्था का जानकार हो। भारत का संविधान भी लगभग मिलता-जुलता ही है, लेकिन सोनिया किसी भी भारतीय भाषा में निपुण नहीं हैं (अंग्रेजी में भी), उनकी भारत के प्रति वफ़ादारी भी मात्र बाईस-तेईस साल पुरानी ही है, और उन्हें भारतीय संविधान और इतिहास की कितनी जानकारी है यह तो सभी जानते हैं। जब कोई नया प्रधानमंत्री बनता है तो भारत सरकार का पत्र सूचना ब्यूरो (पीआईबी) उनका बायो-डाटा और अन्य जानकारियाँ एक पैम्फ़लेट में जारी करता है। आज तक उस पैम्फ़लेट को किसी ने भी ध्यान से नहीं पढा़, क्योंकि जो भी प्रधानमंत्री बना उसके बारे में जनता, प्रेस और यहाँ तक कि छुटभैये नेता तक नख-शिख जानते हैं। यदि (भगवान न करे) सोनिया प्रधानमंत्री पद पर आसीन हुईं तो पीआईबी के उस विस्तृत पैम्फ़लेट को पढ़ना बेहद दिलचस्प होगा। आखिर भारतीयों को यह जानना ही होगा कि सोनिया का जन्म दरअसल कहाँ हुआ? उनके माता-पिता का नाम क्या है और उनका इतिहास क्या है? वे किस स्कूल में पढीं? किस भाषा में वे अपने को सहज पाती हैं? उनका मनपसन्द खाना कौन सा है? हिन्दी फ़िल्मों का कौन सा गायक उन्हें अच्छा लगता है? किस भारतीय कवि की कवितायें उन्हें लुभाती हैं? क्या भारत के प्रधानमंत्री के बारे में इतना भी नहीं जानना चाहिये!
(प्रस्तुत लेख सुश्री कंचन गुप्ता द्वारा दिनांक २३ अप्रैल १९९९ को रेडिफ़.कॉम पर लिखा गया है, बेहद मामूली फ़ेरबदल और कुछ भाषाई जरूरतों के मुताबिक इसे मैंने संकलित, संपादित और अनुवादित किया है। डॉ.सुब्रह्मण्यम स्वामी द्वारा लिखे गये कुछ लेखों का संकलन पूर्ण होते ही अनुवादों की इस कडी़ का तीसरा भाग पेश किया जायेगा।) मित्रों जनजागरण का यह महाअभियान जारी रहे, अंग्रेजी में लिखा हुआ अधिकतर आम लोगों ने नहीं पढा़ होगा इसलिये सभी का यह कर्तव्य बनता है कि महाजाल पर स्थित यह सामग्री हिन्दी पाठकों को भी सुलभ हो, इसलिये इस लेख की लिंक को अपने इष्टमित्रों तक अवश्य पहुँचायें, क्योंकि हो सकता है कि कल को हम एक विदेशी द्वारा शासित होने को अभिशप्त हो जायें !
                                                                                BY :- " 5TH PILLAR CORRUPTION KILLER " THE BLOG . READ,SHARE AND GIVE YOUR VELUABEL COMMENTS DAILY . !!
प्रिय मित्रो , सादर नमस्कार !! आपका इतना प्रेम मुझे मिल रहा है , जिसका मैं शुक्रगुजार हूँ !! आप मेरे ब्लॉग, पेज़ , गूगल+ और फेसबुक पर विजिट करते हो , मेरे द्वारा पोस्ट की गयीं आकर्षक फोटो , मजाकिया लेकिन गंभीर विषयों पर कार्टून , सम-सामायिक विषयों पर लेखों आदि को देखते पढ़ते हो , जो मेरे और मेरे प्रिय मित्रों द्वारा लिखे-भेजे गये होते हैं !! उन पर आप अपने अनमोल कोमेंट्स भी देते हो !! मैं तो गदगद हो जाता हूँ !! आपका बहुत आभारी हूँ की आप मुझे इतना स्नेह प्रदान करते हैं !!नए मित्र सादर आमंत्रित हैं !!HAPPY BIRTH DAY TO YOU !! GOOD WISHES AND GOOD - LUCK !! प्रिय मित्रो , आपका हार्दिक स्वागत है हमारे ब्लॉग पर " 5TH PILLAR CORRUPTION KILLER " the blog . read, share and comment on it daily plz. the link is - www.pitamberduttsharma.blogspot.com., गूगल+,पेज़ और ग्रुप पर भी !!ज्यादा से ज्यादा संख्या में आप हमारे मित्र बने अपनी फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज कर !! आपके जीवन में ढेर सारी खुशियाँ आयें इसी मनोकामना के साथ !! हमेशां जागरूक बने रहें !! बस आपका सहयोग इसी तरह बना रहे !! मेरा इ मेल ये है : - pitamberdutt.sharma@gmail.com. मेरे ब्लॉग और फेसबुक के लिंक ये हैं :- www.facebook.com/pitamberdutt.sharma.7
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आपका प्रिय मित्र ,
पीताम्बर दत्त शर्मा,
हेल्प-लाईन-बिग-बाज़ार,
R.C.P. रोड, सूरतगढ़ !
जिला-श्री गंगानगर।

Posted by PD SHARMA, 09414657511 (EX. . VICE PRESIDENT OF B. J. P. CHUNAV VISHLESHAN and SANKHYKI PRKOSHTH (RAJASTHAN )SOCIAL WORKER,Distt. Organiser of PUNJABI WELFARE SOCIETY,Suratgarh (RAJ.)
                                                               

Wednesday, September 11, 2013

" मेरे परम मित्र - पुण्य प्रसुन वाजपेयी जी का एक अहम् लेख आपसे बाँट रहा हूँ जी अवश्य पढ़िए और अपने अनमोल विचारों से हमें अवश्य अवगत करवाएं " ! !!

पुण्य प्रसून बाजपेयी



Posted: 09 Sep 2013 10:04 AM PDT

पहली बार रामलीला मैदान से एक नये इतिहास को रचने की कवायद चल रही है, जिस पर निर्णय तो बीजेपी को लेना है लेकिन कवायद संघ परिवार कर रहा है। यह कवायद नरेन्द्र मोदी को लेकर है। प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर मोदी के नाम का ऐलान अगर बीजेपी की एकजुटता और जनता की शिरकत के साथ रामलीला मैदान में रैली के साथ हो तो फिर चुनाव के मोड में समूचा देश भी आ जायेगा और बीजेपी के साथ साथ संघ परिवार भी चुनावी शिरकत शुरु कर देगा। संघ की मोदी को लेकर जो बिसात है उसके मुताबिक संसदीय बोर्ड में मोदी पर सर्वसम्मती से ठप्पा लगे।

यानी कोई नेता रुठा हुआ ना लगे। खास तौर से आडवाणी, सुषमा, मुरली मनोहर जोशी और अनंत कुमार खुले दिल से मोदी के साथ जुड़ें। और चुंकि इसके तुरंत बाद मोदी पूरी तरह से चुनावी कमान संभालेंगे तो उन्हें देश के लीडर के तौर पर रखने के लिये रामलीला मैदान में सबसे बडी और भव्य रैली हो। जिसमें खुले तौर पर मोदी के नाम का प्रस्ताव लालकृष्ण आडवाणी रखे। और सेकेंड सुषमा स्वराज करें। और फिर वह तमाम नेता मोदी के पक्ष में खुलकर आये जो अभी तक मोदी के नाम पर रुठे हुये नजर आते रहे हैं। आरएसएस रामलीला मैदान की रैली पर इसलिये भी जोर दे रहा है क्योंकि वह मनमोहन सरकार को उसी तर्ज पर चुनौती देना चाहता है जैसी चुनौती जेपी ने 1975 में दी थी।


महत्वपूर्म है कि 1975 में जेपी के संघर्ष के साथ आरएसएस खड़ी थी। और 25 जून 1975 को जेपी ने गिरफ्तारी से पहले रामलीला मैदान में ही ऐतिहासिक रैली की थी। जिसमें लाखों लोग जुटे थे। संघ का मानना है कि बीजेपी को भी मोदी की अगुवाई में उसी तरह के संघर्ष की मुनादी रामलीला मैदान से करनी होगी। तभी देश में बदलाव की बयार तेजी से बहेगी और लोगों का जुड़ाव भी तेजी से शुरु होगा। यानी सरसंघचालक मोहन भागवत अर्से बाद 1975 में सरसंघचालक रहे देवरस की उसी राजनीतिक लकीर पर चलना चाह रहे हैं, जिसपर देवरस ने चलकर पहली बार स्वयंसेवकों को सत्ता तक पहुंचाया था और तब जेपी खुले तौर पर यह कहने से नहीं चुके थे थे कि अगर आरएसएस सांप्रादायिक है तो वह भी सांप्रदायिक हैं। और उसी इतिहास को मोदी के जरीये दोहराने के मूड में संघ है।

सवाल सिर्फ इतना है कि तब जंनसंघ संघ के इशारे पर थी और इस बार संघ को लेकर बीजेपी के भीतर अब भी गहरी खामोशी है। लेकिन जिस तरह बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने संघ के साथ बैठक में चुनावी तैयारी का खाका रखा उसने अगर मोदी के अगुवाई में बीजेपी की तैयारी खुल कर बतायी तो भैयाजी जोशी ने बीजेपी के हर नेता के भाषण के उस अंश को पकड़कर बीजेपी के चुनावी मैनिफेस्टो का खांका रखा जो संघ के एजेंडे हैं। और बैठक में अर्से बाद धारा 370 और कामन सिविल कोड़ को लेकर राजनीतिक चर्चा खुले तौर पर हुई। तो बीजेपी एक बार फिर संघ की उस लकीर पर चलने की तैयारी कर रही है जिस लकीर को सत्ता पाने के लिये एनडीए तले उसने छोड़ दिया था। असल में बीजेपी के दिल्ली बैठे नेताओं को आरएसएस हर मुद्दे पर खंगाल रही है और मोदी के जरीये अपने स्वप्न को राजनीतिक साकार देने में लगी है। और इसके लिये बीजेपी से ज्यादा राजनीतिक तैयारी संघ परिवार कर रहा है।

संघ ने तीन स्तर पर काम शुरु किया है। पहला संघ के पुराने लोगो को भी चुनावी मिशन में जोड़ना। दूसरा, बीजेपी की जीत का जमीनी आकलन करना और तीसरा मोदी का नाम खुले तौर पर प्रचारिक करना और इस रणनीति को अमल में लाने के लिये संघ ने बकायदा पूरे देश में हर उस वोटर तक पहुंचने की कवायद शुरु कर दी है जो कभी ना कभी किसी ना किसी रुप संघ से जुड़ा रहा हो। चाहे दानपत्र में दस रुपये दान करने वाला व्यक्ति हो या किसी प्रकार की दीक्षा लेने वाला शख्स। संघ ने यूपी,बिहार , राजस्थान और मध्यप्रदेश में पंचायत स्तर पर तो देश के बाकि राज्यों में जिले स्तर पर संघ से जुडे लोगो की निशानदेही शुरु की है। इतना ही संघ के प्रति साफ्ट रुख रखने वालो को काम का ऑफर भी किया जा रहा है। और इस काम में बूथ संभालने से लेकर अपने क्षेत्र के लोगो को मोदी के हक में वोट डालने के लिये प्रोत्साहित करना तक है। संघ का खास जोर उन 298 सीटों को लेकर है जिसपर बीते 33 बरस में बीजेपी जीती है।

यानी बीजेपी के बनने के बाद वह जिस भी सीट पर जीती वहा दोबारा जीत मिल सकती है इसे संघ मान रहा है। खास बात यह है कि पीएम पद के उम्मीदवार के तौर पर अभी तक चाहे मोदी के नाम का ऐलान नहीं हुआ है लेकिन संघ परिवार ने मोदी का नाम लेकर पुरानी संघियों को समेटना शुरु कर दिया है। और संघ के प्रति साफ्ट रुख रखने वालों को यह साफ कहा जा रहा है कि इस बार मोदी को वोट देना हैं। असल में संघ उन विवादास्पद मुद्दों पर भी इसबार समझौता नहीं करना चाहता है, जो एनडीए की सत्ता बनने के दौरान बीजेपी ने ठंडे बस्ते में डाल दिये थे। इसीलिये बैठक में गडकरी ने अयोध्या से लेकर कामन सिविल कोड और संघ के गउ मुद्दे से लेकर धारा 370 की राजनीतिक जरुरत पर भाषण दिया। और इसे दुबारा बीजेपी के चुनावी घोषणापत्र का हिस्सा कैसे बनाये इसपर भैयाजी जोशी ने अपना मत बताया। यानी संघ को पहली बार लगने लगा है कि अगर बीजेपी समेत संघ परिवार एकजुट हो नरेन्द्र मोदी के पीछे जा खड़ा हो तो 300 सीट पर जीत मिल सकती है। यानी पहली बार स्वयंसेवक को संघ के एजेंडे पर सत्ता मिल सकती है।
                        
                                                                       
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पीताम्बर दत्त शर्मा,
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Posted by PD SHARMA, 09414657511 (EX. . VICE PRESIDENT OF B. J. P. CHUNAV VISHLESHAN and SANKHYKI PRKOSHTH (RAJASTHAN )SOCIAL WORKER,Distt. Organiser of PUNJABI WELFARE SOCIETY,Suratgarh (RAJ.)

Monday, September 9, 2013

" भाजपा संगठन द्वारा, तीन साल पहले विभिन्न पदों पर थोपे गये कई मौज़ूदा गद्दार पदाधिकारी पार्टी को गहरे गड्ढे में गिराने की पूरी तैयारी में हैं " ?????

भाजपा के निष्ठावान सभी कार्यकर्ताओं को मेरा हार्दिक नमस्कार !!
                        आज से 5 साल पहले श्री प्रकाश चन्द्र नाम के राजस्थान भाजपा के संगठन मंत्री हुआ करते थे !! पता नहीं किस कारन से उन्होंने पहले तो डा . महेश शर्मा जी का विरोध करवाया , फिर श्री ओम प्रकाश माथुर जी का और फिर श्री मति वसुंधरा राजे सिंधिया जी को पिछले चुनावों में भितरघात करके हरवाया !! हमने शिकायतें भेजीं तो उन्हें हटाया गया !! लेकिन कंही हम अकड़ में ना आ जाएँ हमें कोई पद ना देकर श्री गंगानगर जिले में सरदार महेन्द्र सिंह सोढ़ी जी को जिलाध्यक्ष बना दिया गया ! जिले के सभी मंडलों में संगठन के नाम पर ऐसे लोगों की नियुक्तियाँ हुई की पूछो मत , जिन्होंने पिछले चुनावों में पार्टी की खिलाफत की थी उन्हें ही इनाम स्वरूप पद दिए गये , और आज तलक दिए जा रहे हैं !!
                         पिछले जिलाध्यक्ष के चुनावों में , श्री निहाल चन्द , श्री लाल चन्द , सरदार सुरेन्द्रपाल सिंह टीटी , श्री ओपी महेन्द्रा और श्री भागीरथ बिश्नोई जी पर तरह - तरह के आरोप लगाकर चोर साबित करने की कोशिश की गयी थी !! और एक तरह से हम सबको राजनीति से बाहर करने की भरपूर कोशिश की गयी !! लेकिन प्रदेश में श्रीमती वसुंधरा राजे जी ने , और पूरे राजस्थान में उनके प्रशंसकों ने अपनी एकता बनाये रख्खी !! जबकि श्री अरुण चतुर्वेदी जी ने भी अपने कार्यकाल में भरपूर कोशिशें जारी रख्खी !! अंत में हार मानकर अब सारी कमान राजस्थान की संगठन ने श्री मति वसुंधरा राजे जी को सौंपी है !! कमीनगी की हद्द ये है की जिन्होंने वसुंधरा जी का विरोध किया था , वो ही लोग उन्हें जयपुर जाकर सूरतगढ़ से चुनाव लड़ने हेतु आमंत्रित कर आये !!


                               बड़े नेताओं , प्रभारियों को नकली सम्मलेन कराकर ये दर्शाया जा रहा है की राजस्थान में भाजपा की जीत पक्की है लेकिन अन्दर से ये पार्टी को तोड़ने में लगे हुए हैं !! जिसका बिलकुल ताज़ा उदाहरण सामने ये आया है कि दस सितम्बर को जयपुर में होने वाली रैली में इन्होने कई कार्यकर्ताओं को सूचना ही नहीं दी की कितने बजे कंहा से जयपुर हेतु बसें जा रही हैं !! दर्जनों कार्यकर्ताओं ने आज सुबह मेरे से संपर्क कर ये मसला उठाया है !!
                        इन चोरों का इतना बड़ा ग्रुप है की सब ने अपने इर्द-गिर्द चमचों की फौज खड़ी कर रख्खी है !! जब भी पार्टी का कोई बड़ा पदाधिकारी यँहा आता है उसे ये नकली भीड़ दिखाकर , झूठी प्रशंसा के पुल बांधकर और खिलापिलाकर भेज दिया जाता है और वो ऊपर जाकर इनकी वाह-वाह कर देता है !! सवाल ये पैदा होता है की ये लोग किसको धोखा दे रहे हैं ???
                        क्या प्रादेशिक और केंद्रीय नेताओं को ऐसे षड्यंत्रों की भनक नहीं है ??? क्या बड़े नेता बेवकूफ हैं ??? ऐसा आभास कभी कभी मुझे इसलिए भी होता है क्योंकि छोटा कार्यकर्त्ता तो पहले भी निष्ठावान और मेहनती था जो तन-मन-धन से पार्टी की सेवा करता था और आज भी कर रहा है क्योंकि वो पार्टी की विचारधारा से जुदा हुआ है !! बड़े नेताओं का स्वार्थ बढ़ जाता है इसीलिए वो गाहे-बगाहे उल-जलूल हरकतें और अनाप-शनाप ब्यान देते रहते है ! कई बार बड़े नेताओं ने अपनी हरकतों से ये सिद्ध भी किया है !!
                          विधायक बनने को आतुर नेता कार्यकर्ताओं से मेलजोल बढ़ाना भी आवश्यक नहीं समझते क्योंकि उनका मानना है की एक बार पार्टी की टिकेट मिल गयी तो ये पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्त्ता तो अपने आप हमारे समर्थन को आ ही जायेंगे क्योंकि भाजपा का विरोध तो इनसे होगा नहीं चाहे इनको काट डाले कोई !! लगभग ऐसी ही स्थिति राजस्थान के दुसरे शहरों में भी हो गयी है !! तभी तो सुनने में आया था कि  वसुंधरा जी 12 जिलों के जिलाध्यक्षों सहित सारे मंडल अध्यक्ष बदलना चाहतीं थीं लेकिन संगठन ने उन्हें ऐसा करने की इजाज़त नहीं दी !! लेकिन भगवान् की मर्ज़ी देखिये , भारत की जनता श्री नरेंद्र मोदी जी को इतना चाह रही है की हमारी वसुंधरा जी भी जीत जायेंगी !! लेकिन इन चोरों  की चोरियाँ  भी छिप जायेंगी  !!
                        क्या निष्ठावान कार्यकर्त्ता फिर रोता ही रह जाएगा ....???? है किसी के पास इन प्रश्नों के उत्तर .....????
                   मुझे जवाब चाहिए .......!!!!!!
                            
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Sunday, September 8, 2013

" बच्चे जानते हैं कि उनको भाने वाली चोकलेट कंहाँ से मिलेगी , युवा जानते हैं कि प्रेयसी कैसे मिलेगी , लेकिन " समझदार " अधेड़ नहीं जानते कि उनको " मोक्ष और संतुष्टि " कंहाँ से मिलेगी ???

सभी ज्ञानी जनों को मेरा हार्दिक नमस्कार !! संतुष्टों को प्रणाम !!
                          वो ऐसा है जनाब पिछले एक सप्ताह में , हमारे नगर के पाँच युवक-युवतियों ने समझदारी भरा कदम उठाते हुए घरसे भाग कर कोर्ट मैरिज करली !! अब कोई हया से " हा " कर रहा है तो कोई हा-हा-हा-हा कर रहा है !! शादी-शुदा लोग भी पीछे नहीं हैं !! एक ने अपना मकान बनाने हेतु घर में मिस्त्री लगाया तो 6 माह बाद घर की मालकिन ही मिस्त्री संग भाग गयी !! दूसरी घटना उससे भी ज्यादा भयानक है एक युवक का रिश्ता हुआ तो वो शादी से पहले ही ससुराल में चक्कर काटने लगा , ससुर जी ने " आधुनिकता " के चक्कर में ध्यान नहीं दिया तो होने वाला जमाई राजा , रजामंदी से सासू माँ को ही भगा लेगया !!
                       कहने का मतलब ये है जी आजकल के तो पैदा होने के 1वर्ष बाद ही बच्चे ऐसी-ऐसी हरकतें करने लग जाते हैं की आस-पास के बड़े लोग हैरानी से मुंह में अपनी अंगुलियाँ ही दबा लेते हैं !! बच्चों के हाथ में नोट पकड़ा दो तो वो वापिस नहीं देते ! अपनी मत के सिवा किसी दूरे के पास जाते नहीं और पड़ोस की दुकान पर जाकर अपनी ही पसन्द की चोकलेट खरीदने की जिद्द करते हैं आदि-आदि !! ऐसे ही युवा भी अपनी पसंद की वस्तु को पाने के सभी तरीके भली-भाँती से जानते हैं , और बेचारे मत-पिता मोह वश उनकी इच्छाओं को पूरा करते जाते हैं !! 

                     इसी चक्कर में अधेड़ों को अपना अगला यानि जीवन का असली ठोर - ठिकाना कँहा मिलेगा ये पता नहीं चलता , और वो आसानी से या तो किसी फरेबी बाबा के चक्कर में फंसकर अपनी साड़ी संपत्ति लुटा बैठते हैं या फिर मोह वश अपने बच्चों की डांट-डपट सुनते-सुनते अपना जीवन समाप्त कर लेते हैं !! किन्तु जीवन की असली संतुष्टि और मोक्ष का रास्ता कंहा से गुज़रते हुए कंहा तक जाता है पता ही नहीं चलता !! यंहा तलक कि वो रास्ता कंहा से शुरू होता है ये बताने वाला कोई सच्चा गुरु ढूँढने का समय ही नहीं मिल पाता !! किसी की सुनी-सुनाई बातों पर ही विश्वास करना पड़ता है !! तब इतने सारे ग्रन्थ पढने का समय ही नहीं बचा होता !! " शोर्ट-कट " ढूँढने के चक्कर में धोखा खा जाते हैं !! बाद में वो बाबा चाहे जेल चला जाए , लेकिन जो चूक गया वो तो डूब गया ना !!
                       इसीलिए मित्रो !! जाग जाओ !! इधर-उधर से झूठा ज्ञान प्राप्त करने की बजाय , स्वयं के अध्ययन पर ही विश्वास करें !!!!! शुभकामनाएं !!
                    सभी मेरे साथ मिलकर कहिये :-
         धर्म की जय हो !! अधर्म का नाश हो !! प्राणियों में सद्भावना हो !! विश्व का कल्याण हो !!!! हर-हर-हर महादेव !!!!!!!!
                        
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Saturday, September 7, 2013

" ज्ञान बांटते चलो - माल अपनों को खिलाते चलो , प्रेम से मूर्ख बनाते चलो " ! ! !

सभी " सन्त " जनों को मेरा हार्दिक प्रणाम !! मानव जाति के हितैषियों को भी मेरा सादर नमस्कार !! कृपया स्वीकारने का कष्ट करें !!
                         मुझे आज ये महसूस हो रहा है कि हमारे देश और हिन्दु सभ्यता के दुश्मन कामयाब हो गये हैं , हमें बर्बाद करने में !! हम चाहे कितना भी अपने आप को कहते फिरें कि हम " शेर-बहादुर " हैं , ग्यानी हैं , अर्थ-शास्त्री हैं , चतुर हैं और कूट्नितिग्य हैं , लेकिन हमारे दुश्मनों ने ये सिद्ध कर दिया है की हम बेवकूफ , डरपोक , सेक्स के भूखे , लालची , बेईमान और अपनों को ही धोखा देने वाले नीच प्रक्रति के आदि मानव हैं !!
                        पिछले सत्तर सालों से हमारे भारत के दुश्मन , हमें हराने में लगे हुए थे !! वैसे तो लूट - खसूट का काम पांच सौ सालों से मुगलों और अंग्रेजों ने शुरू कर ही रख्खा था लेकिन हमारी संस्कृति को दूषित करने का काम , हमारी नैतिकता को समाप्त करने का काम और हमारी आध्यात्मिकता की शक्ति का ह्नास करने का काम हमारे दुश्मनों ने बाखूबी से पूरा कर लिया है !! इस कार्य को पूरा करने मैं हमारे ही देशवासियों ने एक अहम् भूमिका निभाई है !! 


                      हम वासना के गुलाम बनकर रह गये हैं !! हवस के हम पुजारी बन गये हैं !! बाप बेटा अपनी बहन और पुत्री से सेक्स करता नज़र आ रहा है जिस में  सहयोग उसकी माँ कर रही है !! संत लोग देह शोषण के इल्जामों में फंसते नज़र आ रहे हैं !! फंसे हुए संत के खिलाफ अब और महिलाओं ने भी आरोप लगाया है कि उन पर भी अत्याचार हुआ है !! जो अब तलक चुप बैठी रहीं क्या वो दोषी नहीं हैं ?? जिस प्रकार से रिश्वत लेने वाला भी दोषी होता है ,और देने वाला भी दोषी होता है उसी तरह क्या लम्बे देह शोसन के केसों में भी महिला-पुरुष दोनों को सज़ा नहीं मिलनी चाहिए ???
                       कैसे सुधरेगा ये देश और इसकी संस्कृति !! कैसे बचेगी इसकी आन-बाण और शान ??
कैसे होगा भारतवासी पुनः सभ्य - शालीन और गुणवान ?? क्या आजके किसी भी राजनितिक दल को " वोट " दे देने से ये संभव है ????  क्या संसद द्वारा दस-बीस संशोधन कर देने से ये संभव है ??? क्या मौजूदा नेत्रित्व , न्याय-व्यवस्था ,और क़ानून व्यवस्था जो केवल अमीरों और बिकाऊ मिडिया के सहारे से चलती है पार लगा पायेगी हमारी नैया को ???
                      सोचिये !! विचार कीजिये !! गहन विचार कीजिये !! नेताओं द्वारा खोदे गये , जातिवाद , धार्मिक उन्माद , इलाकावाद और पार्टियों की निष्ठा रुपी खड्डों से अपने आपको बाहर निकालिए !!  कीजिये एक नयी क्रान्ति की शुरुआत 1857 की तर्ज़ पर !! बिलकुल नया  नेत्रित्व हो , नयी योजना हो , पूरा भारत साथ हो !! आज के कंसों का नाश हो !! कोई न्य शूरवीर भारत की सत्ता को संभाले !! नयी सभी व्यवस्थाएं बनें !! और फिर से हमारा हिंदुस्तान सोने की चिड़िया और विश्व - विजेता बने !! आमीन !!
             मेरे साथ सब मिलकर कहिये :-
धर्म की जय हो !! अधर्म का नाश हो !! प्राणियों में सद्भावना हो !! विश्व का कल्याण हो !! हर - हर - हर महादेव !!!!!!
                            
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Thursday, September 5, 2013

" गुरु जी कहिन - बबुआ !! " बोए पेड़ बबूल का, तो आम कंहा से होए " ?????

" सभी शिष्य मित्रों " को मेरा सादर नमस्कार !!
                             आज एक टीवी चेनेल के एंकर के मुंह से निकल ही गया कि " आज सभी बुरी ख़बरें प्राप्त हो रही है " !! मेरे मन में आया कि आप लोग अच्छी बातों को खबर मानते ही कब हो ??? हर तरफ देह शोषण , बलात्कार , झूठ - फरेब , चोरी-डकैती आदि आदि और ना जाने क्या क्या हो रहा है !!?? लचर शिक्षा व्यवस्था , अश्लील साहित्य , पोर्न फ़िल्में ,टूटती परिवार प्रणाली , भद्दे - नाटक और भ्रष्ट लोकतंत्र के स्तंभों ने आज की युवा पीढ़ी और अधेड़ों को पूरी तरह से पथ-भ्रष्ट करके  है !! आज कोई भी देश का दुश्मन बड़ी ही आसानी से किसी को भी इन उपरोक्त बुराइयों का लालच देकर कोई भी गलत काम करवा सकता है !!

                          चाहे वो हिन्दू हो या मुस्लिम , अफसर हो या नेता , जज हो या वकील, अध्यापक हो या छात्र आदि-आदि सब शिकार हो रहे हैं !! उससे भी बुरी बात ये है कि जिन पर ये सब बातों को नहीं होने देने की जिम्मेदारी  है, वो ही इन सब बुरे कार्यों को प्रोत्साहित करते फरते हैं !! ना जाने क्यों ??? क्या वे भी हमारे इस भारत के दुश्मन हैं ???
                          हमारा भी बहुत दोष है इसमें , क्योंकि हम भी अपने साथ वाले पर तो विश्वास करते नहीं हैं लेकिन दूर बैठे व्यक्ति जो आकर्षक प्रचार व्यवस्था करवाकर अपने आपको या अपने उत्पाद को हमारे सामने प्रस्तुत करता है उस पर हम आँखें बंद करके ना केवल विश्वास कर लेते हैं , बल्कि उसे अपना भगवन मानने लग जाते हैं !! बाद में जब उसकी " पोल " खुलती है तो हम निंदा करने लग जाते हैं !!
                            आज शिक्षक दिवस है , इसलिए सभी शिक्षकों को नमन करते हुए के एक दोहे की लायीं प्रस्तुत कर रहा हूँ, जो मुझे आज याद आ गयीं , " बोया पेड़ बाबुल का तो आम कान्हा से होए " ???
                         प्रिय मित्रो , सादर नमस्कार !! आपका इतना प्रेम मुझे मिल रहा है , जिसका मैं शुक्रगुजार हूँ !! आप मेरे ब्लॉग, पेज़ , गूगल+ और फेसबुक पर विजिट करते हो , मेरे द्वारा पोस्ट की गयीं आकर्षक फोटो , मजाकिया लेकिन गंभीर विषयों पर कार्टून , सम-सामायिक विषयों पर लेखों आदि को देखते  पढ़ते हो , जो मेरे और मेरे प्रिय मित्रों द्वारा लिखे-भेजे गये होते हैं !! उन पर आप अपने अनमोल कोमेंट्स भी देते हो !! मैं तो गदगद हो जाता हूँ !! आपका बहुत आभारी हूँ की आप मुझे इतना स्नेह प्रदान करते हैं !!नए मित्र सादर आमंत्रित हैं !!  मेरा इ मेल ये है : - pitamberdutt.sharma@gmail.com. मेरे ब्लॉग और फेसबुक के लिंक ये हैं :- www.facebook.com/pitamberdutt.sharma.7
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 मेरे ब्लॉग का नाम ये है :- " फिफ्थ पिलर-कोरप्शन किल्लर " !!
 मेरा मोबाईल नंबर ये है :- 09414657511. 01509-222768. धन्यवाद !!
                                   आपका प्रिय मित्र ,
                                     पीताम्बर दत्त शर्मा,
                                       हेल्प-लाईन-बिग-बाज़ार,
                                         R.C.P. रोड, सूरतगढ़ !
                                          जिला-श्री गंगानगर।
  

Tuesday, September 3, 2013

" भाजपा की " जिला-कार्यकर्ता " बैठक में भाषण " बड़े-बड़े और तालियाँ " ईक्का - दुक्का " क्यों भला ?? कर भला - होवे भला , अंत भले का भला !!!

भलाई करने में तत्पर मेरे सभी मित्रों को मेरा सादर प्रणाम !! कृपया स्वीकार करें !!
                कल श्री गंगानगर जिले की भाजपा ने अपने जिला कार्यकर्ताओं को बुलाकर अपने भाषण एक बार फिर से सुनाये !! सरकार ना बने तो भी भाषण सुनो , और सरकार बन जाए फिर भी आपके ही भाषण सुने !! भला ये क्या बात हुई जी ???
                           सक्रिय कार्यकर्ताओं को सम्भावित उम्मीदवार अपने वाहनों में भर कर लाये ,जो उनके समर्थक थे !! जो नहीं थे वो अपने साधनों से पंहुचे थे !! कार्यकर्ता बहुत कुछ सोच कर आये थे कि हम अपने प्रभारी श्री सुभाष जी महरिया से ये कहेंगे - वो सुझाव देंगे , उनकी शिकायत करेंगे जो कार्यकर्ताओं की सार - सम्भाल नहीं करते शासन में आने पर !! और उनको आईना दिखायेंगे जो पार्टी से बगावत करते हैं !!
                   लेकिन हमारे " चतुर सुजान " जिलाध्यक्ष सरदार महेन्द्र सिंह जी सोढ़ी ने बड़ी ही चतुराई से ऐसी व्यूह-रचना रची कि पूछो मत !! कार्यकर्ता प्रतीक्षा करते ही रह गये की अब प्रभारी महोदय हमसे हमारी भी " राय " पूछेंगे , सुझाव मांगेंगे !! केवल वोटों की पर्सेंटेज पूछकर ही इतिश्री कर ली गयी ! पहले तो तीन बजे की बजाय सवा चार बजे शुरू किया गया फिर पुराने पड़ चुके नेताओं से प्रभारी महोदय की तारीफ़ के पुल बाँधे गए !! गंगानगर के विधायक श्री राधेश्याम जी ने बहुत बढ़िया बात कही कि " अगर पार्टी को लगता हो कि मुझे अगले चुनावों में पार्टी की टिकेट नहीं देनी चाहिए तो मत देना !! दुसरे वक्ताओं ने चतुराई से पार्टी कार्यकर्ताओं के कंधे पर " विश्वास " रुपी बन्दूक रखकर  चलादी , और अपनी जीत सुनिश्चित दिखाने की भरपूर कोशिश की !!
                    बीकानेर संभाग के प्रभारी श्री सुभाष महरिया जी ने अपने संबोधन में आगामी दस नवम्बर को जयपुर में होने वाली मोदी जी और वसुंधरा जी की रैली में पधारने हेतु सबको आग्रह भी किया , कार्यकर्ताओं को चाय-भोजन और कई पद बांटे जाने का लालच भी दिया, साथ के साथ धमकी भरे लहजे में डराया भी कि जो कार्यकर्ता ( नेता नहीं ) बगावत करने की कोशिश भी करेगा तो उसको किसी गाँव में घुसने नहीं दिया जाएगा !! वो अकेला पड जायेगा !!


                       इंटरनेट मिडिया में तो यही आ रहा था कि इस सक्रिय - कार्यकर्ताओं के सम्मलेन में उनकी राय जानी जायेगी , लेकिन ऐसा हुआ नहीं !! कोई वंहा विधायक बनने हेतु टिकेट मांगने गया था तो कोई आगामी चेयरमेन , डायरेक्टर , जिला प्रमुख और सरपंच आदि बनने गया था !! शायद इसी लिए भाषण बड़े और तालियों की आवाज़ बहुत कम थी !! अगर ऐसा ही सारे राजस्थान में हो रहा है तो वसुंधरा जी के लिए सोचने का विषय है ये !! पार्टी को " व्यापारी-माफिया " का घुन लग गया है !! इनको समर्पित कार्यकर्ताओं की नहीं बल्कि " भेडों " की जरूरत है !!
                      सुना है जयपुर रैली हेतु कूपन दिए जा रहे हैं धन संग्रह हेतु , R.T.I. और दागी सांसदों के संशोधनों को तो भाजपा भी पारित करवाती है और कार्यकर्ताओं से धन भी चाहती है , ये गैर वाजिब है !! भाजपा और दुसरे राजनितिक दलों में कोई अंतर अब दिखाई नहीं पड़ रहा है !! खुदा- खैर करे !!  " आदेश नहीं संस्कार देने वाला " संघ क्या इन हालातों से प्रसन्न या संतुष्ट है !!?????
प्रिय मित्रो !!
सादर - सप्रेम नमस्कार !!
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"निराशा से आशा की ओर चल अब मन " ! पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक)

प्रिय पाठक मित्रो !                               सादर प्यार भरा नमस्कार !! ये 2020 का साल हमारे लिए बड़ा ही निराशाजनक और कष्टदायक साबित ह...