Tuesday, May 9, 2017

" हमारी प्यारी सरोज जोशी" !! - पीताम्बर दत्त शर्मा

"चुलबुली,नटखट,बिन्दास और महान कवयित्री ,व्यंगकार और लेखिका" ! हमारी प्यारी सरोज जोशी !!जी की पेश हैं अनमोल रचनाएँ !
पांडव भी वही कर रहें थे,,,
जो कौरव कर रहे थे,,,,
*युद्ध*
बेचारी निर्दोष जनता अपने अपने राजाओं को बचाने के लिए मर कट रही थी ।
वही आज हो रहा है । मुद्दों से अलग स्वार्थ की राजनीति ,,,
आरोप पत्यारोपों की राजनीति खेली जा रही है ।
कोई भी राजा हमारे बारे में न सोच रहा हो पर अपने राजा की जीत पर ताली पीट रहे हैं हम ।
 वाह रे ------राजाओं,,,,
और वाह री -------प्रजा,,,,
सभी धन्य हैं हम ।

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अजी ,
कोई एक पत्रकार का नाम बताओ जो आपकी नजरों में सच्चा हो ।
बेचारे सच भी बोले ,,,शातिर उनपर झूठ का मुलाजमा चढ़ाकर सच को भी झूठ बता देते हैं ।

अपने अपने आकाओं की नजरों में चढ़ने के लिए ।।।
भले ही वो इन्हें घास ही न डालता हो ।🤣🤣🤣🤣🤣
,"अंधेर नगरी,,,, चौपट राजा "।
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भला हो
सूरज ,चाँद ,सितारे
हमसे दूर है
वरना *अम्बानी*और *रामदेव*
इनकी भी पुड़िया बनाकर बेच देतें 
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जिसने भी *प्रभो* को देखा है-----
वो मेरा एक काम करेगा ??????
मैंने उनके नाम चिट्ठी लिखी है ,, उन तक पहुंचा दो ।
>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>
इंसान प्यार करने के लिए होता है ,
और
पैसा उपयोग करने के लिए ,,,
पर सब उल्टा पुलटा हो रहा है ।
इंसान का उपयोग हो रहा है
पैसे से प्यार हो रहा है ।
वाह रे ईश्वर तेरी माया,,,,
किसान के हिस्से घूप,
बिचौलियों के हिस्से माया ।
<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<
अभी तो मैं ही नही समझ पाई खुद को ------
कि मैं क्या हूँ ।
और तुम *लोगा* यूँ ही हमें समझने में समय बर्बाद कर रिये हो ।
टेड़ी खीर हूँ भाईयों , बहनों
इतना समझ लो ।🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣
हर वक्त ज्ञान भरी पोस्ट हो ,,,,जरूरी तो नही ?
आज बस हँसने का मूड है ।
भले ही *लाफ्टर डे* नही है आज ।
युवा पीढ़ी को हँसने के लिए बहानों की जरूरत होती है ।
हम तो बेवजह भी हँस लेते हैं ।🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣
ऐसे-- ,
सरोज जोशी
<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<

पत्तो सी होती है *स्त्रियां*
सूखने पर दरख्त भी
हाथ खींच लेता है
झाड़ लेता है पल्ला
अपनी जिम्मेदारियों का,
छोड़ देता है
बिखरने के लिए
बड़ी ही निर्दयता से
जानता है वो
उनकी जगह
नइ पत्तियाँ
ले लेगी
वो कभी
सूना नही
रहेगा।
>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>
ये साला
हमारे शरीर मे आत्मा का वास है !!
किसकी खोज है ये ????
इसका झांसा दे ,,साधुओं की दुकानें चल पड़ी ।🤣🤣
सरोज जोशी ! सधन्यवाद !


प्रिय "5TH पिल्लर करप्शन किल्लर"नामक ब्लॉग के पाठक मित्रो !सादर प्यारभरा नमस्कार वो ब्लॉग जिसे आप रोजाना पढना,शेयर करना और कोमेंट करना चाहेंगे !
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 मेरा इ मेल ये है -: "pitamberdutt.sharma@gmail.com. आप मेरा साथ पिछले 7 वर्षों से दे रहे हैं !मैं आपका हृदय से आभारी हूँ !आपने ना केवल मेरे और मेरे मित्रों के लेखों को पढ़ा,बल्कि उसे अपने मित्रों संग शेयर भी किया ,पसंद किया और उस पर जाकर कॉमेंट भी लिखे ! जो मेरे लिए ना केवल अनमोल थे , साथ ही साथ मेरे लिए वो प्रेरणादायी भी थे !कई मित्रों ने तो मेरा ब्लॉग ज्वाइन भी किया है !कई समाचार पत्रों-पत्रिकाओं ने मेरे लेख प्रकाशित भी किये ! उनका भी मैं आभारी हूँ !आप सबकी इस अनुकम्पा से ही आज मेरे पाठकों की संख्या अगर मैं सभी माध्यमों की जोड़ दूँ तो तक़रीबन दस लाख(१०,०००००. )बनती है !क्योंकि ब्लॉग पर लिखी सामग्री गूगल+,ट्वीटर,फेसबुक और उसके कई ग्रुपों के साथ साथ मेरे पेज पर भी डाली जाती है !
                         मैं बड़े ही गर्व के साथ कह सकता हूँ की मेरे ब्लॉग को माननीय प्रधानमंत्री श्री मान नरेंद्र मोदी जी और माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष भाजपा श्री मान अमित शाह जी भी पढ़ते हैं !उन्होंने मुझे ट्वीट भी किये हैं ! कई बड़े लेखक और लेखिकाएं,कवी-कवित्रियाँ और स्वतंत्र टिप्पणीकार आदि भी जुड़े हैं जिससे मैं अपने आपको गौरवान्वित समझता हूँ !आशा करता हूँ की आप सबका मुझे और ज्यादा साथ मिलेगा ! फिर मैं बारी बारी से आप सबके शहरों में आकर मिलूंगा !आपसे और ज्यादा सीखूंगा !
                           आप सबसे अनुरोध है कि आप मुझे अपने अनमोल सुझाव देते रहा करें !
                               सधन्यवाद !
                                                  आपका अपना ,
                                                   पीताम्बर दत्त शर्मा,
                                                     सूरतगढ़ !

Monday, May 8, 2017

"जिस दिल में बसा था प्यार तेरा......."!!केजरीवाल जी !!- पीताम्बर दत्त शर्मा (स्वतंत्र टिप्पणीकार)

सन 2012 में रामलीला मैदान में जिस केजरीवाल को देखने सुनने जनता प्यार से उमड़ पड़ती थी,वही जनता उसे अपने दिल से ना केवल निकाल चुकी है,बल्कि उनके श्री मुख से बचाव के दो बोल भी सुन्ना नहीं चाहते हैं ! टीवी चेनेल वाले उनके पुराने भक्त बड़ी कोशिशें करते साफ़ नज़र आ रहे हैं लेकिन केजरीवाल बड़े घाघ नेता हैं !माफ़ करना जी नेता नहीं घाघ व्यापारी हैं वो भी बेईमान वाले मक्कार !इसीलिए वो कुछ बोल नहीं रहे हैं !अपने चमचों को आगे करके सही समय का इंतज़ार कर रहे हैं ! वो बोलेंगे अवश्य !ऐसा हो ही नहीं सकता कि "केजरीवाल !और बोलेन नहीं ! अजी वो  तो बिना बात के घंटों बोल सकते हैं !वैसे ये खूबी "आप "पार्टी के सभी नेताओं में है , किसी में काम और किसी में थोड़ी ज्यादा !
                         अफसर रह चुके हैं केजरीवाल जी इसीलिए "बीच"में से अपना कमीशन कैसे निकालना है,ये वो और उनके अन्य नेता भली भांति जानते हैं !तरह-तरह के बिल ज्यादा बनवाना,वकील की फीस की रसीद ज्यादा बनवाना और चंदे को कैसे एडजस्ट करना है यही तो भारत के सभी अफसर अच्छी तरह से जानते हैं !इसीलिए अफसरों के घरों से इतना धन निकलता है कि नेता भी शर्मा जाएँ जी !अब रही बात कपिल मिश्रा के आरोपों की ! तो पाठक मित्रो ! आप सब जानते हैं कि चोरों,जुआरियों और ठगों में जब बंटवारे में बेईमानी कोई चोर करता है ,तभी झगड़ा होता है !और ये झगड़ा, इससे पहले वाले सभी झगडे तभी हुए हैं जब किसी को उसका निर्धारित हिस्सा नहीं मिला !केजरीवाल के इर्दगिर्द रहने वाले 5 आदमी ही जब सारे कमीशन को खाना चाहें तो बाकि के "पार्टी संस्थापक"तो शोर मचाएंगे ही !
                         आरोप लगे हैं तो जांच भी होगी,केस भी चलेगा और साझा भी होगी !क्योंकि देश में अब मोदी राज है !upa  का नहीं !जनता के दिलों से ये निकाल फेंके गए हैं !सत्ता में चाहे ये दो साल और बने रहें !


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                               सधन्यवाद !
                                                  आपका अपना ,
                                                   पीताम्बर दत्त शर्मा,
                                                     सूरतगढ़ !

Saturday, May 6, 2017

मित्रों की अनमोल बातें !! - पीताम्बर दत्त शर्मा (स्वतंत्र टिप्पणीकार)

Jyoti Singh-
#कश्मीर घाटी में आधी आबादी भी तथाकथित आजादी के लिए, हाथ में पत्थर लिए सडको पर उतर आई है !आज़ादी की पैरोकार ये महिलायें कट्टरपंथी संगठन दुख्तराने-मिल्लत की उस प्रतिबन्ध पर मुंह ढक लिया , कि सभी महिलाए बुर्कानशीं हो जाए !
बुर्का विद पत्थर एक मूवी बननी चाहिए , साथ तलाक का तड़का !
&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&
क्या ईमानदार आदमियों को चुनाव प्रक्रिया से बाहर हो जाना चाहिए?टिकेट नेता नहीं देते,वोट जनता नहीं देती और पैसे उनके पास होते नहीं।बस एक मुंह होता है जिससे वो बोलते रहते हैं।मुझे ही देख लो!😊
&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&
मोबाइल नंबर
हे समाज बता
कहां गया तेरा पता
विकास के नाम पर
गली, मुहल्ला
और घर खो गया है
आदमीं अब सिर्फ
मोबाइल नंबर हो गया है।
-डा विवेक सक्सेना
%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%

जिसने दुर्भाग्य से सरकार द्वारा तय ऊँची जाति
में जन्म ले लिया, पर आर्थिक स्थिति उसकी इतनी भी नहीं कि वह प्रतिदिन अपने पेट में दो जून अन्न पहुँचा सके,कपड़े लत्ते इलाज़ शिक्षा की बात तो केवल उसके सपनों में होता है। उसके पास साधन नहीं होते पर आगे बढ़ने के सपनों को वह मार उजाड़ नहीं पाता...
आज के दिन में उससे बड़ा दलित शोषित मजबूर और मज़लूम भी कोई है??
लेकिन कभी सुना है गाँवों शहरों में जीने की जद्दोजहद में फँसे,हर तरह के टैक्स देते इस वर्ग ने कभी नक्सलियों जिहादी आतंकवादियों की तरह बन्दूकें उठा ली हो और निकल चला हो रक्त से धरा को रंजित करते समानांतर सरकार बनाने और चलाने के अभियानों में।
कभी आज़माते इस वर्ग/समूह को आप क्रान्ति की जरूरत अच्छी तरह समझाते, अत्याधुनिक हथियार खरीदने को धन दीजिये और यह छूट भी दीजिये कि उस धन का उपयोग वह अपने विवेक से करे।
भाई साहब, दावा है हमारा,उस पैसे का उपयोग वह अपने बच्चों के शिक्षा,उनके लिए छत और भोजन के लिए कर देगा(वैसे मुझे पक्का यक़ीन है कि अगर आदिवासी/नक्सलियों आदि को भी धन देकर विवेक का यह अधिकार आप दीजियेगा तो वह भी यही करेगा,वह नहीं जो आज मजबूरी में वह कर रहा है)। यही नहीं, यदि आप इस भय से कि कहीं वह आपके दिए अस्त्र ख़रीद के पैसे का उपयोग उक्त प्रयोजन में न करेगा,आप सीधे उसे अस्त्र ही दे दें,तो भी बड़ी संभावना है कि वह उस अस्त्र को बेच अपने लिए वही करने का प्रयास करेगा जिसमें उसके परिवार के शान्तिमय उज्ज्वल भविष्य की संभावना है।
खूब समझा लिया आपने कि स्कूल कॉलेज सड़क थाने उड़ाते, सेना पुलिस को मारते(जो कि इन्हीं की तरह वेतनभोगी अतिसाधारण/विपन्न परिवारों के सदस्य होते हैं), ये भूखे नंगे पीड़ित प्रताड़ित बेचारे आदिवासी हैं,जिन्होंने त्रस्त होकर प्रतिकार को अस्त्र धारण किया है।
हे वामी वामिनियों,,,आपको क्या लगता है,कबतक आप यह झूठ लोगों के भेजे में ठूँसे अटकाए रखने में सफल रहिएगा? आपको नहीं लगता कि आपकी काठ की हाँडी जल कर लगभग कोयला हो ही चली है,बस अब वह राख होनी और हवा संग उड़ जाना बाकी है,जिसमें सदियों नहीं लगने हैं।जैसे जैसे राष्ट्र जगेगा,आप राख बन उड़ेंगे।
...
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निर्भया के बहाने मानसिकता का विश्लेषण
कल बहुचर्चित और हम सबको आक्रोशित कर देने वाले निर्भया कांड का निर्णय आया. स्वाभाविक है स्वागत ही हुआ होगा! इस निर्णय के आने से हम सभी की आत्मा में ठंडक मिली होगी. निर्भया क्यों? और इस जघन्य काण्ड के लिए अपराधी कौन? कल जब से अपराधियों के वकीलों की दलीलें सुनी हैं, या उससे पहले भी वकीलों की दलीलें सुनी, कि मृत्युदंड रेयरेस्ट ऑफ द रेयर केस में दिया जाना चाहिए, तो क्या किसी भी लड़की के साथ बलात्कार रेयर केस में आता है या रेयरेस्ट ऑफ द रेयर में पता नहीं? मुझे नहीं पता यह कौन सी मानसिकता है जों लड़कों को किसी भी लड़की का बलात्कार कर देने के लिए प्रेरित या उत्प्रेरित करती है? बलात्कार ह्त्या से भी घिनौना कार्य है, बलात्कार के बाद लड़की यदि जिंदा रह जाए तो पूरी ज़िन्दगी या तो वह गुमनामी में जिएगी या फिर वह जिंदा भी रहेगी तो एक अपराधबोध के चलते. किसी भी लड़की की पूरी ज़िन्दगी नष्ट करने के बाद न जाने किस मुंह से लोग इन लोगों के मानवाधिकार की बात करते हैं? क्या इन लड़कियों का कोई अधिकार नहीं? जब मैं ये बात लिख रही हूँ, तब मैं शायद यह नहीं जान पाती कि स्त्री को मानव ही नहीं माना जाता तो उसके मानवाधिकार क्या होंगे? वह यातो देवी है या दासी, और दोनों ही स्थितियों में वह मानवपन से कोसों दूर? उसके मानवाधिकार क्या? और क्यों? यह बहस का मुद्दा है! निर्भया कांड के बाद, जैसी मेरी आदत है लोगों से बात करने की, मैं कई लोगों से बाते करती थी, जानबूझ कर इस बात को उठाती थी. कई बातें निकल कर आईं थी मेरे सामने
“बहुत गलत हुआ! बहुत ही, मगर जरूरत क्या थी, इतनी रात को जाने की?”
“बहुत गलत हुआ, मगर आप देखिये, इस बस में बैठने की क्या जरूरत? और वो भी बैक सीट पर? सुनते हैं, वो लोग कुछ कर रहे थे! लड़के थे बाकी, उत्तेजित हो गए, लड़के को फ़ेंक दिया और लड़की को यूज़ कर लिया! अब क्या बुरा किया?”
“बहुत गलत हुआ, फांसी देनी चाहिए, मगर लड़कियों को सोचना चाहिए न कि घर से बाहर न निकलें, रात में? अरे रात में तो देव भी सो जाते, तो लड़की जात की क्या बिसात”
“बहुत गलत हुआ, अब लड़कियों को तो घर पर बैठाने का ही समय है!”
लब्बोलुआब ये कि समय गलत है, लड़कियां घर पर बैठें, लडकियां रात में बाहर न निकलें! जितने लोगों से बात करती गयी, समाज की मानसिकता की ऐसी सडांध बाहर आती गयी कि पूछिए न! सबसे ज्यादा लोगों का सवाल आखिर वह रात में निकली क्यों? रात में बाहर निकलने का अधिकार छीनने वाले कुछ लोग क्यों? क्यों हर बलात्कार के बाद लड़कियों के ये न करो, वो न करो के नियम बनाए जाने लगते हैं? क्यों बलात्कार के लिए प्रेरित करने वाली मानसिकता पर वार नहीं होता? लड़की को वस्तु या रात को बाहर निकलने वाली, या छोटे कपडे वाली लड़की को सुलभ समझने वाली मानसिकता से बाहर हम नहीं निकल पाते? सुलभता के सिद्धांत को अपने अनुसार विश्लेषित करने की जो सुविधा है, उसे आपको मारना होगा? लड़की सुलभ नहीं है, लड़की की न ही है! मगर जहां परिवारों में बच्चा पैदा होने के बाद जब स्त्री प्रसव पीड़ा से पूरी तरह उभर न पाए और फिर से सेक्स मशीन बन जाए, वहां पर स्वस्थ स्त्री की न का सम्मान करने की कल्पना? भूल ही जाएं! जहां पर स्त्री के साथ अभी भी यह कहकर शाब्दिक बलात्कार होता है “वो तो शुक्र मनाओ, हम जैसे मिले हैं, मिला होता कोई जूते मारने वाला या नंगा रखकर पोंछा लगवाने वाला, तो पता चलता, तब तुम्हारा मुंह खुलता!” उसमें निर्भया के अपराधियों के प्रति लगाव कोई असहज नहीं है, और मैं बस यही गुनगुनाती हूँ, जब स्त्री की न को सम्मान मिलेगा, वह सुबह कभी तो आएगी, मैं उस सुबह के इंतजार में हूँ, मैं उस सुबह के इंतजार में हूँ!
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                           आप सबसे अनुरोध है कि आप मुझे अपने अनमोल सुझाव देते रहा करें !
                               सधन्यवाद !
                                                  आपका अपना ,
                                                   पीताम्बर दत्त शर्मा,
                                                     सूरतगढ़ !

Friday, May 5, 2017

"वो एक तालियों वाला फैसला"!! - पीताम्बर दत्त शर्मा (स्वतंत्र-टिप्पणीकार)

आज वो फैसला आ गया ,जिसे सब सुनना चाहते थे !बड़ी दुःखदायी और अप्रत्याशित घटना थी वो "निर्भया-काण्ड"!ऐसा नहीं था कि कोई पहली बार बलात्कार की शिकार लड़की की मृत्यू हुयी थी वो !ऐसा भी नहीं था कि भारत में कोई पहला "घृणित गैंग-रेप"हुआ था !लेकिन वो वहशियाना कार्य था !जिसकी जितनी निंदा की जाए उतनी कम ,और ऐसे घृणित कार्य की जितनी सज़ा दी जाए उतनी कम है !तो क्या "फांसी" से बड़ी कोई सज़ा नहीं होती इस विश्व में?अगर होती हैं तो वो सजाएँ हमारे संविधान में क्यों नहीं हैं ?तालिबानियों ने अनेक प्रकार की सज़ाएं विश्व को दे के दिखायीं हैं जिन्हें देखकर ही तो विश्व के मुस्लिम नौजवान ऐसे संगठनों के साथ जुड़ते जा रहे हैं !उनको "मौत"अच्छी लगने लगी है !और आजकल हम भारतियों को भी देखा-देखि मौतें देखना अच्छा लगने लगा है !ये मैं सब किसी ब्राह्मण अपराधी को छुड़वाने हेतु नहीं लिख रहा हूँ !जबकि एक मुस्लिम लड़के को "नाबालिग"बताकर छोड़ दिया गया है !
                                क्या ये फांसी केवल उन्हीं लड़कों को ही लगेगी ?निस्संदेह ,उन बदमाशों के परिवार वालों को भी सज़ा मिलेगी !क्योंकि उन्होंने अपने लड़कों को वो "संस्कार"नहीं सिखाये जो सिखाये जाने चाहिए थे !लेकिन क्या इस फैसले पर तालियां बजनी चाहिए थीं ? क्या टीवी एंकरों को निर्भया की माता जी से ऐसे सवाल पूछने चाहिए थे जैसे वो पूछ रहे थे !एक विशेष तरह का "इवेंट"दिखाया जा रहा था !जैसे ही फांसी की सज़ा का फैसला आया ,वैसे ही महिला एंकर इतनी खुश नज़र आयी जैसे कोई "खुशखबरी"आयी हो ?ऐसा लगने लगा शाम के 5 बजे तलक जैसे आज ही निर्भया की माता किसी प्रदेश की मुख्यमंत्री बन जाएंगी !और देश के सारे पुरुष अब घरों के अंदर रहेंगे और महिलाएं बाहर !
                         ऐसे हालातों में तो मेरे मन मस्तिष्क में एक साथ कई प्रश्न दौड़ गए ! क्या होगा इस देश का भविष्य सेक्स के मामले में ?क्या हमारा संविधान "प्राकृतिक-संविधान"में अपनी टांग अड़ा रहा है आजकल ?क्या पुरषों को अब सेक्स करना छोड़ देना चाहिए !क्योंकि हमारे संविधान के मुताबिक पत्नी भी सुबह जाकर अदालत में ब्यान देदे कि मेरे पति ने "जबरदस्ती-सेक्स"किया है और घृणित तरीके से किया है तो अगला तो टांग दिया जाएगा ना !जैसा पहले कहते थे ना कि "आदमी को अपने लंगोट का अवश्य पक्का होना चाहिए "!लेकिन हमारे देश के "पढ़े-लिखे बुद्धिजीवियों"ने अंग्रेज़ों की नक़ल करना सिखाया ,फिर जब छोरे अँगरेज़ बनकर खुले में और दिनरात सेक्स का ही सोचने लगे तो"नॉन-एजुकेटिड"लडकियां बीवियां ऐसे पवित्र कार्य करने हेतु तैयार ही नहीं होतीं !तो पुरुष क्या करे ?हम ऊपर से तो अँगरेज़ बन गए , लेकिन अंदर से हिंदुत्व की जीवन शैली से ही जीना चाहते हैं !कांग्रेस और वामपंथियों ने पिछले 60 साल जो शासन किया, उसमें भारतियों को सेक्सी बनाने का काम भी बहुतायत में किया था !लेकिन ये आरएसएस वाले समझते ही नहीं !
                               मैं तो कहता हूँ कि अब पुरषों को अपनी पत्नियों के साथ भी सेक्स तभी करना चाहिए जब वो तहसील जाकर पहले स्टाम्प पेपर पर सहमति हेतु हस्ताक्षर ना करदे !अन्यथा फांसी तैयार है !तभी तो मुलायम जी ने कहा था कि "लड़के हैं ,गलती हो जाती है ,तो क्या फांसी पर टाँगोगे"?लो जी मुलायम जी !सर्वोच्च-न्यायालय ने टांग दिए पांच लड़के छठे को छोड़ दिया !जिन्होंने मन्नतें मांग कर भगवान से लड़के लिए थे ,वो भी जीतेजी लटक जाएंगे !बजाओ तालियां !सेक्स के बारे में पूरा पढ़ाया जाना चाहिए !इसे सरदर्द नहीं मनोरंजन का एक तरीका समझना चाहिए जिसे हम कई तरीकों से कर सकते हैं !और खुश रह सकते हैं !जिसे जानवर खुश रहते हैं !अगर अंग्रेज़ ही बनना है ,फैशन ही करना है तो युवा कन्याओ "सरप्राईज़-सेक्स" का आनद लेना भी सीखो !चाचा नेहरू,महात्मा गांधी,सहित कई नेताओं ने यही तो सिखाया है देश को !
         जय हिन्द ! जय भारत !


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                               सधन्यवाद !
                                                  आपका अपना ,
                                                   पीताम्बर दत्त शर्मा,
                                                     सूरतगढ़ !

"5th पिल्लर करप्शन किल्लर", "लेखक-विश्लेषक एवं स्वतंत्र टिप्प्न्नीकार", पीताम्बर दत्त शर्मा ! 
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Thursday, May 4, 2017

सवाल जन-विश्वास का है ना कि केजरीवाल-कुमार विश्वास का !

आप की राजनीति चुक गई लेकिन आंदोलन की जमीन जस की तस है- साभार - श्री पुण्य प्रसुन्न वाजपेयीजी !

तो क्या केजरीवाल-विश्वास के बीच दरार की वजह सिर्फ अमानतुल्ला थे । और अब अमानतुल्ला को पार्टी से सस्पेंड कर दिया गया तो क्या केजरीवाल का विश्वास कुमार पर लौट आया । या फिर कुमार के भीतर केजरीवाल को लेकर विश्वास जाग गया । क्योंकि केजरीवाल से लंबी बैठक के बाद मनीष सिसोदिया के साथ खड़े होकर कुमार ने अपना विश्वास आप में लौटते हुये दिखाया जरुर । लेकिन आप के भीतर का संकट ना तो अमानतुल्ला है ना ही कुमार विश्वास का गु्स्सा। और ना ही केजरीवाल की लीडरशिप। और ना ही आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला । आप के संकट तीन हैं। पहला , आप नेताओ को लगता है वही आंदोलन है । दूसरा, आंदोलन की तर्ज पर गवर्नेंस चलाने की इच्छा है । तीसरा , चुनावी जीत के लिये पार्टी संगठन का ताना-बाना बुनना है। यानी करप्शन और आंदोलन की बात कहते कहते कुमार विश्वास राजस्थान के प्रभारी बनकर महत्व पा गये।
यानी पारंपरिक राजनीतिक दल के पारपंरिक प्रभावी नेता का तमगा आप और कुमार विश्वास के साथ भी जुड़ गया । तो क्या आने वाले वक्त में कुमार की अगुवाई में आप राजस्थान जीत लेगी । यकीनन इस सवाल को दिल्ली के बाद ना तो पंजाब में मथा गया। ना गोवा में मथा गया । ना ही राजस्थान समेत किसी भी दूसरे राज्य में मथा जा रहा है। चूंकि आप के नेताओं को लगता है कि वही आंदोलन है । तो चुनाव को भी आप आंदोलन की तरह ना मान कर पारंपरिक लीक को ही अपना रही है। तो बड़ा सवाल है, जनता डुप्लीकेट को क्यों जितायेगी। और दिल्ली चुनाव के वक्त को याद किजिये। 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी का परचम देश भर में कांग्रेस की सत्ता के खिलाफ लहराया। लेकिन दिल्ली में आप इसलिये जीत गई क्योंकि चुनाव आप नहीं आम जनता लड़ रही थी। आम जनता के भीतर पारंपरिक बीजेपी-काग्रेस को लेकर सवाल थे । यानी आप में ठहराव आ गया । चुनावी जीत की रणनीति को ही जन-नीति मान लिया गया । सिस्टम से लड़ते हुये दिखना ही सिस्टम बदलने की कवायद मान लिया गया । तो याद कीजिये आंदोलन की इस तस्वीर को। आप के नेता जनता को रामलीला मैदान में बुला नहीं रहे थे। जनता खुद ब खुद रामलीला मैदान में आ रही थी । यानी आंदोलन से विकल्प पैदा हो सकता है ये जनता ने सोचा । और विकल्प चुनाव लड़कर, जीत कर किया जा सकता है ये उम्मीद आप पार्टी बनाकर केजरीवाल ने जगायी। लेकिन चुनावी जीत के बाद के तौर तरीके उसी गवर्नेंस में खो गये, जिस गवर्नैंस में पद पर बैठकर खुद को सेवक मानना था । वीआईपी लाल बत्ती कल्चर को छोडना था । जन सरकार में खुद को तब्दील करना था । तो बदला कौन । जनता तो जस की तस है । आंदोलन के लिये जमीन भी बदली नही है । सिर्फ आंदोलन की पीठ पर सवार होने की सोच ने सत्ता की लड़ाई में हर किसी को फंसा दिया है । इसलिये चुनाव आप हार रही है । हार की खिस आंदोलन को परफ्यूम मान रही है । और केजरीवाल हो या कुमार विश्वास बार बार सत्ता की जमी पर खडे होकर आंदोलन का रोना रो रहे है ।

तो फिर याद किजिये 2011 में हो क्या रहा था । कोयला घोटाला ,राडिया टेप , आदर्श घोटाला , 2 जी घोटाला ,कामनवेल्थ घोटाला ,कैश फार वोट, सत्यम घोटाला ,एंथेक्स देवास घोटाला । यानी कांग्रेस के दौर के घोटालो ने रामलीला मैदान को रेडिमेड आंदोलन की जमीन दे दी थी । यानी लोगों में गुस्सा था । जनता विकल्प चाहती थी । तब बीजेपी लड़खड़ा रही थी और चुनावी राजनीति से इतर रामलीला मैदान बिना किसी नेता के आंदोलन में इसलिये बदल रहा था क्योंकि करप्शन चरम पर था। और तब की मनमोहन सरकार ही कटघरे में थी और मांग उच्च पदों पर बैठे विशेषाधिकार प्राप्त लोगों के खिलाफ जनलोकपाल की नियुक्ति का सवाल था । तब रामलीला मैदान की भीड़ को नकारने वाली संसद भी झुकी। और लोकपाल प्रस्ताव पास किया गया। तो हालात ने रामलीला मैदान के मंच पर बैठे लोगो को लीडर बना दिया और यही लीडरई आप बनाकर चुनाव जीत गई । लेकिन मौजूदा सच यही है लोकपाल की नियुक्ति अभी तक हुई नहीं है। रोजगार का सवाल लगातार बड़ा हो रहा है । महंगाई जस की तस है/ । कालाधन का सवाल वैसा ही है । किसी का नाम सामने आया नही । कश्मीर के हालत बिगडे हुये है । किसानो की खुदकुशी कम हुई नहीं है । पाकिस्तान की नापाक हरकत लगातार जारी है । यानी मुद्दे अपने अपने दायरे में सुलझे नहीं है । लेकिन आप चुनाव जीतने के तरीकों को मथ रही है । और मुद्दों के आसरे चुनाव जीतने की सोच में बीजेपी से आगे आज कौन हो सकता है । जिसके अध्यक्ष अमित शाह बूथ लेवल पर संगठन बना रहे हैं । अभी से 2019 की तैयारी में लग चुके हैं । अगले 90 दिनो में 225 लोकसभा सीट को कवर करेंगे। तो चुनाव जीतने की ही होड़ में जब आप भी जा घुसी है तो वह टिकेगी कहां और जनता -डुप्लीकेट को जितायेगी क्यों। यानी आप के भीतर का झगडा सिर्फ चुनावी हार का झगड़ा भर नहीं है । बल्कि आंदोलन की राजनीतिक जमीन को गंवाना भी है । जिसके भरोसे आप को राजनीतिक साख मिली। वह खत्म हो चली है । लेकिन समझना ये भी होगा कि देश में आंदोलन की जमीन जस की तस है । नया सवाल ये हो सकता
है कि गैर चुनावी राजनीति से इतर किस मुद्दे पर नया आंदोलन कब कहां खड़ा होगा ।


Monday, May 1, 2017

"जंग"कर दो,नहीं तो "जँग"लग जायेगा ! - पीताम्बर दत्त शर्मा (स्वतंत्र टिप्पणीकार)

माननीय मोदी जी ! सादर प्रणाम !निवेदन यह है कि आपको जनता ने देश का प्रधानमंत्री बनाया है ,ये सोच कर कि "आप तुरंत फैसले लेंगे"! कठोर निर्णय देश हित हेतु अगर लेने पड़ेंगे तो भी आप हिचकेंगे नहीं !आप ज्यादा मेहनत करेंगे !आप एकमुश्त निर्णय लेकर बदलाव ला देंगे !देश के अंदर "बस"रहे दुश्मनों और "बाहर के दुश्मनों को कड़ा सबक सिखाएंगे !देश से बेरोजगारी,भ्रष्टाचार और अनाचार मिटाकर क़ानून का राज्य स्थापित करेंगे !आदि आदि !!
                         आप ये सब कर रहे हैं ,ये देश की जनता और पूरा विश्व भलीभांति जानता भी है और समझता भी है जी !तभी आपको हर और से सफलता भी मिल रही है !सफलता मिलने का सिलसिला आगे भी चलता रहेगा ,चाहे भाजपा के अन्य नेता 40%तक अच्छे"ना हों !आपके बनाये मुख्यमंत्री तलक अच्छे काम कर रहे हैं !सभी मंत्रियों की रिपोर्ट भी "पास मार्क्स" जितनी आ रही है !देश के बेईमान लोगों के मनों में भय का वातावरण साफ़ दिखाई पड़ रहा है !मुझे ये मानने में कतई कोई संकोच नहीं है कि पूर्व के सभी प्रधानमंत्रियों से ज्यादा " असरकारक "प्रधानमंत्री आप हो !
                     लेकिन मान्यवर मोदी जी ! देश पिछले 67 वर्षों में इतने नुक्सान झेल चुका है कि अब ज्यादा समय तक रुका नहीं जा सकता !देश के दुश्मनों ने बहुत ताक़त इकठ्ठी कर ली है ! इसलिए देश की जनता आपके श्रीमुख से वैसे ही निर्णय प्रति सप्ताह सुनना चाहती है ,जो आपने देश को सर्जिकल स्ट्राइक और नोटबंदी करते वक़्त सुनाये थे !जनता आपको और भाजपा को पूर्ण समर्थन देते हुए पूरी छूट देती है कि "बंद कर दो कुछ समय हेतु ये चुनाव प्रक्रिया"!बदल दो एक मुश्त संविधान को ! व्यवस्थित करदो फिर से इस देश की "तंत्र-व्यवस्था"को !! ले लीजिये जितना धन जनता से आपको चाहिए उतना !सब देशवासी भारत हेतु झोलियाँ भर भर देंगे ! 
                          बरसों बाद देश को एक "विश्वास पात्र "प्रधानमंत्री मिला है !जिसकी सेना (पार्टी सदस्य)भी सबसे कम बेईमान है !उसे क़ानून का डर है ! वो बदल सकती है बहुत अच्छी बन सकती है !देश भी सुधरना चाहता है !बस निवेदन इतना ही है कि हमारे देश के जवानों की एक बूँद रक्त की अब बहनी नहीं चाहिए !जयदा कहना मेरा काम नहीं ! समझदार को इशारा ही काफी होता है ! इंदिरा जी अगर अपने हित के लिए देश  आपातकाल लगा सकती हैं तो क्या आप देश हित में एकबार फिर आपातकाल नहीं लगा सकते ?करिये आह्वान ! 15 अगस्त 2017 तक का समय है आपके पास इस पवित्र कार्य हेतु !बाद में लोग "वहमों"में पड़ जाएंगे !
 "जय जवान - जय किसान "जय हिन्द - जय भारत "



प्रिय "5TH पिल्लर करप्शन किल्लर"नामक ब्लॉग के पाठक मित्रो !सादर प्यारभरा %!आप मेरा साथ पिछले 7 वर्षों से दे रहे हैं !मैं आपका हृदय से आभारी हूँ !आपने ना केवल मेरे और मेरे मित्रों के लेखों को पढ़ा,बल्कि उसे अपने मित्रों संग शेयर भी किया ,पसंद किया और उस पर जाकर कॉमेंट भी लिखे ! जो मेरे लिए ना केवल अनमोल थे , साथ ही साथ मेरे लिए वो प्रेरणादायी भी थे !कई मित्रों ने तो मेरा ब्लॉग ज्वाइन भी किया है !कई समाचार पत्रों-पत्रिकाओं ने मेरे लेख प्रकाशित भी किये ! उनका भी मैं आभारी हूँ !आप सबकी इस अनुकम्पा से ही आज मेरे पाठकों की संख्या अगर मैं सभी माध्यमों की जोड़ दूँ तो तक़रीबन दस लाख(१०,०००००. )बनती है !क्योंकि ब्लॉग पर लिखी सामग्री गूगल+,ट्वीटर,फेसबुक और उसके कई ग्रुपों के साथ साथ मेरे पेज पर भी डाली जाती है !
                         मैं बड़े ही गर्व के साथ कह सकता हूँ की मेरे ब्लॉग को माननीय प्रधानमंत्री श्री मान नरेंद्र मोदी जी और माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष भाजपा श्री मान अमित शाह जी भी पढ़ते हैं !उन्होंने मुझे ट्वीट भी किये हैं ! कई बड़े लेखक और लेखिकाएं,कवी-कवित्रियाँ और स्वतंत्र टिप्पणीकार आदि भी जुड़े हैं जिससे मैं अपने आपको गौरवान्वित समझता हूँ !आशा करता हूँ की आप सबका मुझे और ज्यादा साथ मिलेगा ! फिर मैं बारी बारी से आप सबके शहरों में आकर मिलूंगा !आपसे और ज्यादा सीखूंगा !
                           आप सबसे अनुरोध है कि आप मुझे अपने अनमोल सुझाव देते रहा करें !
                               सधन्यवाद !
                                                  आपका अपना ,
                                                   पीताम्बर दत्त शर्मा,
                                                     सूरतगढ़ !

"5th पिल्लर करप्शन किल्लर", "लेखक-विश्लेषक एवं स्वतंत्र टिप्प्न्नीकार", पीताम्बर दत्त शर्मा ! 
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"निराशा से आशा की ओर चल अब मन " ! पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक)

प्रिय पाठक मित्रो !                               सादर प्यार भरा नमस्कार !! ये 2020 का साल हमारे लिए बड़ा ही निराशाजनक और कष्टदायक साबित ह...