Thursday, October 11, 2012

" छलिया मेरा नाम - छल्ना मेरा काम, हिन्दू ,मुस्लिम, सिख, ईसाई सबको मेरा सलाम !! ??

        

                                       ‎...........इस बार धोखा मत खाना आप ......
एक सज्जन बनारस पहुँचे। स्टेशन पर उतरे ही थे कि एक
लड़का दौड़ता आया
‘‘मामाजी ! मामाजी !’’—लड़के ने लपक कर चरण छूए।
वे पहचाने नहीं। बोले—‘‘तुम कौन ?’’
‘‘मैं मुन्ना। आप पहचाने नहीं मुझे ?’’ ‘
‘मुन्ना ?’’ वे सोचने लगे।
‘‘हाँ, मुन्ना। भूल गये आप मामाजी ! खैर, कोई बात नहीं, इतने
साल भी तो हो गये।’’
‘मैं आजकल यहीं हूँ।’’
‘‘अच्छा।’’
‘‘हां।’’
मामाजी अपने भानजे के साथ बनारस घूमने लगे। चलो, कोई साथ
तो मिला। कभी इस मंदिर, कभी उस मंदिर। फिर पहुँचे
गंगाघाट।
बोले कि सोचा रहा हूँ , नहा लूँ
‘‘जरूर नहाइए मामाजी ! बनारस आये हैं और नहाएंगे नहीं, यह कैसे
हो सकता है ?’’
मामाजी ने गंगा में डुबकी लगाई। हर-हर गंगे। बाहर निकले तो सामान गायब, कपड़े गायब !
लड़का...मुन्ना भी गायब !
‘‘मुन्ना...ए मुन्ना !’’
मगर मुन्ना वहां हो तो मिले। वे तौलिया लपेट कर खड़े हैं।
‘‘क्यों भाई साहब, आपने मुन्ना को देखा है ?’’ ‘‘कौन मुन्ना ?’’
‘‘वही जिसके हम मामा हैं।’’
लोग बोले ‘‘मैं समझा नहीं।’’
‘‘अरे, हम जिसके मामा हैं वो मुन्ना।’’
वे तौलिया लपेटे यहां से वहां दौड़ते रहे। मुन्ना नहीं मिला।
......... भारतीय नागरिक और भारतीय वोटर के नाते हमारी यही स्थिति है मित्रो ! चुनाव के मौसम में कोई आता है और हमारे चरणों में गिर जाता है। मुझे नहीं पहचाना मैं
चुनाव का उम्मीदवार। होनेवाला एम.पी.। मुझे नहीं पहचाना ?........आप प्रजातंत्र की गंगा में डुबकी लगाते हैं। बाहर निकलने पर आप देखते हैं कि वह शख्स जो कल आपके चरण छूता था, आपका वोट लेकर गायब हो गया। वोटों की पूरी पेटी लेकर भाग गया। समस्याओं के घाट पर हम तौलिया लपेटे खड़े हैं। सबसे पूछ रहे हैं —क्यों साहब, वह कहीं आपको नज़र आया ? अरे वही, जिसके
हम वोटर हैं। वही, जिसके हम मामा हैं। पांच साल इसी तरह तौलिया लपेटे, घाट पर खड़े बीत जाते हैं।.......२०१४ में फिर चनावी स्टेशन पर कांग्रेसी भांजे आपका इंतज़ार करेंगे...........इस बार धोखा मत खाना आप
via ... पूर्णिमा सेठ


                                      


                                              
प्यारे दोस्तो,सादर नमस्कार !!
आप जो मुझे इतना प्यार दे रहे हैं, उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद-शुक्रिया करम और मेहरबानी ! आपकी दोस्ती और प्यार को हमेशां मैं अपने दिल में संजो कर रखूँगा !! आपके प्रिय ब्लॉग और ग्रुप " 5th pillar corrouption killer " में मेरे इलावा देश के मशहूर लेखकों के विचार भी प्रकाशित होते है !! आप चाहें तो आपके विचार भी इसमें प्रकाशित हो सकते हैं !! इसे खोलने हेतु लाग आन आज ही करें :-www.pitamberduttsharma.blogspot.com. और ज्यादा जानकारी हेतु संपर्क करें :- पीताम्बर दत शर्मा , हेल्प-लाईन-बिग-बाज़ार, पंचायत समिति भवन के सामने, सूरतगढ़ ! ( जिला ; श्री गंगानगर, राजस्थान, भारत ) मो.न. 09414657511.फेक्स ; 01509-222768. कृपया आप सब ये ब्लॉग पढ़ें, इसे अपने मित्रों संग बांटें और अपने अनमोल कमेंट्स ब्लाग पर जाकर अवश्य लिखें !! आप ये ब्लॉग ज्वाईन भी कर सकते हैं !! धन्यवाद !! जयहिंद - जय - भारत !! आप सदा प्रसन्न रहें !! ऐसी मेरी मनोकामना है !!

" सेकुलरों की चालबाजियां " - बंटता - " हिन्दू " !!???


                                   

                                         कैसे हिंदुओं को जाति में बांटा गया?
पाइंट 1. बौद्ध और शंकराचार्य के काल में स्मृति और पुराण ग्रंथों में हेरफेर किया गया। इस हेरफेर के चलते ही शास्त्र में उल्लेखित क्षूद्र शब्द के अर्थ को समझे बगैर ही आधुनिक काल में निचले तबके के लोगों को यह समझाया गया कि शस्त्रों में उल्लेखित क्षूद्र शब्द आप ही के लिए इस्तेमाल किया गया है। जबकि वेद कहते हैं कि जन्म से सभी क्षूद्र होते हैं और वह अपनी मेहनत तथा ज्ञा
न के बल पर श्रेष्ठ अर्थात आर्य बन जाते हैं।

क्षूद्र एक ऐसा शब्द था जिसने देश को तोड़ दिया। दरअसल यह किसी दलित के लिए इस्तेमाल नहीं किया गया था। लेकिन इस शब्द के अर्थ का अनर्थ किया गया और इस अनर्थ को हमारे आधुनिक साहित्यकारों और राजनीतिज्ञों ने बखूबी अपने भाषण और लेखों में भुनाया।

पाइंट- 2 मध्यकाल में जबकि मुस्लिम और ईसाई धर्म को भारत में अपनी जड़े जमाना थी ‍तो उन्होंने इस जातिवादी धारणा का हथियार के रूप में इस्तेमाल किया और इसे और हवा देकर समाज के नीचले तबके के लोगों को यह समझाया गया कि आपके ही लोग आपसे छुआछूत करते हैं। मध्यकाल में हिन्दू धर्म में बुराईयों का विस्तार हुआ। कुछ प्रथाएं तो इस्लाम के जोरजबर के कारण पनपी, जैसे सतिप्रथा, घर में ही पूजा घर बनाना, स्त्रीयों को घुंघट में रखना आदि।

पाइंट 3- अंग्रेजों की 'फूट डालो और राज करो की नीति' तो 1774 से ही चल रही थी जिसके तहत हिंदुओं में उच-नीच और प्रांतवाद की भावनाओं का क्रमश: विकास किया गया अंतत: लॉर्ड इर्विन के दौर से ही भारत विभाजन के स्पष्ट बीज बोए गए। माउंटबैटन तक इस नीति का पालन किया गया। बाद में 1857 की असफल क्रांति के बाद से अंग्रेजों ने भारत को तोड़ने की प्रक्रिया के तहत हिंदू और मुसलमानों को अलग-अलग दर्जा देना प्रारंभ किया।

हिंदुओ को विभाजित रखने के उद्देश्य से ब्रिटिश राज में हिंदुओ को तकरीबन 2,378 जातियों में विभाजित किया गया। ग्रंथ खंगाले गए और हिंदुओं को ब्रिटिशों ने नए-नए नए उपनाप देकर उन्हों स्पष्टतौर पर जातियों में बांट दिया गया। इतना ही नहीं 1891 की जनगणना में केवल चमार की ही लगभग 1156 उपजातियों को रिकॉर्ड किया गया। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि आज तक कितनी जातियां-उपजातियां बनाई जा चुकी होगी।

पाइंट 4- आजादी के बाद में यही काम हमारे राजीतिज्ञ करते रहे। उन्होंने भी अंग्रेजों की नीति का पालन किया और आज तक हिन्दू ही नहीं मुसलमानों को भी अब हजारों जातियों में बांट दिया। बांटो और राज करो की नीति के तहत आरक्षण, फिर जातिगत जनगणना, हर तरह के फार्म में जाति का उल्लेख करना और फिर चुनावों में इसे मुद्दा बनाकर सत्ता में आना आज भी जारी है।

गरीब दलित यह नहीं जानता की हमारी जनसंख्या का फायदा हमें बांटकर उठाया जा रहा है। आजादी के 65 साल में आज भी गरीब गरीब ही है तो क्यों। नेहरुजी कहते थे हम भारत से जातिवाद और गरीबी को मिटा देगें और आज सोनिया भी यही कहती है कि हमें भारत से गरीबी मिटाना है। क्या 65 साल से ज्यादा लगते हैं गरीबी मिटाने के लिए !! 


                                   



प्यारे दोस्तो,सादर नमस्कार !!
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Posted by PD SHARMA, 09414657511 (EX. . VICE PRESIDENT OF B. J. P. CHUNAV VISHLESHAN and SANKHYKI PRKOSHTH (RAJASTHAN )SOCIAL WORKER,Distt. Organiser of PUNJABI WELFARE SOCIETY,Suratgarh (RAJ.)

Wednesday, October 10, 2012

" खाओ, नोच के - - वोट दो , सोच के " !!??

   " खाओ, नोच के - -  वोट दो , सोच के " !!??
                         ‎'थाली के लुढ़कते बैगन' इस मुहावरे को जब जब सुनता हु रालोद के अजित सिंह का चेहरा याद आता है।कभी इधर चला मैं कभी उधर चला.... 

अभी हाल के दिनो में विधायक का चुनाव था युपी में चमचो और भुखक्कड़ो की दो हफ्तो तक मौज थी।
छक के खाते थे,जम के पिते थे।
जो कम पिते थे घर जाते थे,
ज्यादा पिने वाले सड़को पे ही ठहर जाते थे।

अपने सेक्टर में एक आदमी को थाली के लुढ़कते बैगन के नक्शे कदम पे देखा।
शाम को हाथी वालो के कार्यालय में चिकन खाता था,
रात को कमल वालो से पी के जाता था।
सुबह साईकिल वाले का पुलाव बिरयानि।

एक दिन जब मुझसे सहा ना गया,
उसकी कारस्तानियो पे चुप रहा ना गया।
हम तपाक से उसके पास पहुँचे।
अभी गुलाब जामुन ही उ मुँह में धरे थे।
मेरे सवाल भी एक बाद एक तड़ातड़ पड़े थे।

हर जगह उनके मुँह मारने का हमने प्रायोजन पुछा।हमारा सवाल तो उनके सर पे लगा ठ्ठ्ठ््ठाक,
पर उनके मेन्टॉस दीमाग पे मैं रह गया आवाक।

सवाल जो पड़े चटाक से,
जवाब भी दिये तपाक से-
धुर्र बुड़बक

खुब खाओ नोच के,
वोट दो सोच के,
पाँच साल ये खायेंगे,
दो हफ्ते ही तो जेब नोचवायेंगे।
फिर पाँच साल तो हमें रोना है,
फिर ये धाँसु मौका काहे खोना है।
खुब खाओ नोच के
वोट....

तक्षण
ँँँँँअविनाश ँँँँँ


                                                      
प्यारे दोस्तो,सादर नमस्कार !!
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KOSHTH (RAJASTHAN )SOCIAL WORKER,Distt. Organiser of PUNJABI WELFARE SOCIETY,Suratgarh (RAJ.) at 12:57 AM
माँ बनाती थी रोटी
पहली गाय की
आखरी कुत्ते की...

...
हर सुबह
गाय का बछड़ा आ जाता
दरवाज़े पर
गुड की डली के लिए

कबूतर का चुग्गा
चीटियों का आटा
गौरैया के लिए अनाज के दाने
ग्यारस,अमावस,पूनम का सीधा...

सब कुछ निकल आता था
उस घर से
जिस में विलासिता के नाम पर
एक टेबल पंखा था...

आज सामान से भरे घर से
कुछ भी नहीं निकलता
सिवाय कर्कश आवाजों के...


                                                                         
Dictionary is the only Place where
Death comes before Life

End comes before Start
Child comes before Parents

Divorce comes before Marriage
Evening comes before Morning

Result comes before Test
Destination comes before Struggle

Dinner comes before Lunch
Doctor comes before Fever

However, the THING I consider right in Dictionary is that
Friend comes before Relative........
 " दोस्तों  की   रचनाएँ !!

Tuesday, October 9, 2012

" शरीफों का जमाने में, अजी - बस हाल वो देखा कि -- शराफत छोड़ दी मैंने "....???

  " शराफत छोड़ने का मन बना चुके" मेरे सभी मित्रों को मेरा यानी " मेंगो- मैन " का सादर नमस्कार !!
 कृपया स्वीकार करें !! नहीं करेंगे तो भी मुझे क्या ?
 मैंने तो शराफत छोड़ने की घोषणा जो करदी है !!??


                    बड़े आदमियों की सार्वजनिक घोषणा ही काफी होती है जी, फिर किसी जांच की कोई आवश्यकता ही नहीं पड़ती !!!!!!??????
 पूछ लोचाहे श्री राशिद अल्वी से या बाबा रामदेव से !  
 " मैंगो- मैन " चीख- चीख कर रो-रो कर निढाल हो जाता है कहते- कहते कि मैं " बेक़सूर" हूँ , लेकिन सब बोलते हैं " जांच हो जाने दो , सब --- दूध का दूध पानी का पानी " हो जायेगा ...???? और फिर पुलिस स्टेशन में " ऐसी " जांच होती है कि बस पूछो.....मत, हाय !!! पुरखे भी " हाँ " बोलते हैं कि हाँजी मैं ही दोषी हूँ, महाराज !!
                          अब  आप ही बताइए मित्रो, की   " मैंगो-मैन" सलमान- खुर्शीद जैसे जान देने वाले मंत्री कंहा से लाये...???? प्रेस-कान्फ्रेंस कैसे बुलाये और चेनलों पर डिबेट कैसे करवाए ???? हमें तो टीवी वाले बहस करने हेतु बुलाते ही नहीं जी !!
                           " लोक - तंत्र" में हमेशां बहुमत की ही चलती है " इसलिए मैंने निर्णय कर लिया है कि मैं अपना एक दल बनाऊंगा जिसका मुखिया " गब्बर सिंह " होगा " साम्भा " रक्षा- मंत्री" और " कालिया" " गृहमंत्री " बनेगा !!! जो बे- इमानी करेगा उसके साथ " इन्साफ " होगा !! जनता से  इसके बदले सिर्फ " ढाई-मन" अनाज लिया जाएगा !! 
           फिर मैं उस चोर से पूछुंगा की " तेरा क्या होगा " वाड्रा " ??????
                            प्यारे  दोस्तो,सादर नमस्कार !!
  आप जो  मुझे  इतना  प्यार  दे  रहे  हैं, उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद-शुक्रिया करम और  मेहरबानी !                                                                     आपकी दोस्ती और प्यार को हमेशां मैं अपने दिल में संजो कर रखूँगा !! आपके प्रिय ब्लॉग और ग्रुप " 5th pillar corrouption killer "  में मेरे इलावा देश के मशहूर लेखकों के विचार भी प्रकाशित होते है !! आप चाहें तो आपके विचार भी इसमें प्रकाशित हो सकते हैं !! इसे खोलने हेतु लाग आन आज ही करें :- www.pitamberduttsharma.blogspot.com. और ज्यादा जानकारी हेतु संपर्क करें :- पीताम्बर दत शर्मा , हेल्प-लाईन-बिग-बाज़ार, पंचायत समिति भवन के सामने, सूरतगढ़ ! ( जिला ; श्री गंगानगर, राजस्थान, भारत ) मो.न. 09414657511.फेक्स ; 01509-222768. कृपया आप सब ये ब्लॉग पढ़ें, इसे अपने मित्रों संग बांटें और अपने अनमोल कमेंट्स ब्लाग पर जाकर अवश्य लिखें !! आप ये ब्लॉग ज्वाईन भी कर सकते हैं !! धन्यवाद !! जयहिंद - जय - भारत !! आप सदा प्रसन्न रहें !! ऐसी मेरी मनोकामना  है !!

Wednesday, October 3, 2012

" देश कैसे - - - तरक्की करे "...???


  
         जब विदेशी Status Symbol हो और स्वदेशी Cheap लगे तो देश आगे कैसे बढे...
जब नहाने के बाद Deo लगाना जरुरी और भगवान के सामने सर झुकना Boring लगे तो देश आगे कैसे बढे...
जब Dirty Picture को नेशनल अवार्ड मिले और पान सिंह तोमर फ्लॉप रहे तो देश आगे कैसे बढे...
जब राजेश खन्ना के मृत्यु पर मीडिया विधवा अलाप करे और क्रांतिकारियों के शहादत दिवस पर एक दीपक भी न जले तो देश आगे कैसे बढे...
जब देश का युवा Malls में जेब कटवाए और बाहर ठेले पर मोलभाव करे तो देश आगे कैसे बढे...
जब युवाओं को हिंदी बोलने में घीन और देश का प्रधानमन्त्री अंग्रेजी को सर्वश्रेष्ठ भाषा कहे तो देश आगे कैसे बढे...
गर्लफ्रेंड के लिए कविताएं लिखने वाला युवा अगर देश की स्थिति पर मौन रहे तो देश आगे कैसे बढे...
अनगिनत ग्रंथो के बाद भी अगर हिंदू चरित्र पतन करे
तो देश आगे कैसे बढे...
धर्म निरपेक्षता के नाम पर किसी को ठगा जाए और हम शांत रहे तो देश आगे कैसे बढे...
इन लाइनों को पढकर कुछ एहसास हो और फिर भी युवा कुछ न करे तो देश आगे कैसे बढे...
सोचिए जरा !


                                           


                                                
एक युवा राजनेता मेरे मित्र हैं। खूब प्रतिभाशाली हैं और जबर्दस्त वक्ता हैं। वे बिहार-झारखंड की जमीनी समस्या को बखूबी समझते हैं। उनकी प्रतिभा मुझे आकर्षित करती है, लेकिन प्रतिभा की मंजिल के बारे में सोचकर वितृष्णा होती है। वे जब कभी भविष्य की बात करते हैं तो कहते हैं, "अपना राज-पाट आयेगा तो देखियेगा, हम लोगों के पास भी गाड़ी, बंगला, रूतवा सब कुछ होगा।'' (उनके "हम लोग' में जनता कहीं नहीं है) , तो यह है हमारे 65 साल के स्वतंत्र राजनीतिक सफर का फलाफल, लेकिन इस राजनीतिक संस्कृति को किसने लगाया ? इसका जवाब कोई नहीं देना चाहता। 
 
                                                        priya mitrwar , saadar namaskaar !! rozana padhen , share karen or apne anmol comments bhi deven !! hmara apna blog , jiska naam hai :- " 5TH PILLAR CORROUPTION KILLER " iska link ye hai ...:-www.pitamberduttsharma.blogspot.com. sampark number :- 09414657511

                अंततः नरेन्द्र मोदी जी ने "शुरुआत" कर ही दी… जिस बात को आज तक भाजपा के नेता बोलने में झिझक रहे थे… जिस "पवित्र परिवार" के खिलाफ़ बोलने में अन्य पार्टियों के नेताओं की घिग्घी बँध जाती थी… आखिरकार "शेरदिल" मोदी जी ने उसे सार्वजनिक मंच पर ला ही दिया…!!
अब बात निकली है तो दूर तलक जाएगी… अभी तक जो बात सिर्फ़ सोशल मीडिया पर थी, अब गली-चौराहे पहुँचेगी…।

- पवित्र परिवार के खर्चों से सम्बन्धित RTI का जवाब
आने में 3 साल क्यों लग जाते हैं?
- संसद की वेबसाईट पर राजमाता और भोंदू के नाम के आगे
"धर्म" का कॉलम खाली क्यों है?
- राजमाता वायु सेना के विमान में किस हैसियत से
घूमती हैं?
- सरकारी योजनाओं के विज्ञापन में इनकी तस्वीरें किस
संवैधानिक प्रावधान से लगाई जाती हैं?
- इनके "दामाद-श्री" के क्या-क्या बिजनेस हैं?
=============== =========
अब जबकि "बिल" में हाथ दे ही दिया है… तो बहुत कुछ
बाहर निकलेगा…। कांग्रेस की भलाई इसी में है कि, बात
को यहीं रफ़ा-दफ़ा कर दे…!


 

Tuesday, October 2, 2012

" लगा दो R.T.I.- नहीं बताते जाओ -क्या कर लोगे " ???

    लो,    कर लो ------ बात !!!
         क्या नकली गाँधी परिवार आरटीआई के दायरे में नहीं है ?

देश भर के चुनावी सभाओं में हल्ला किया जाता है कि कांग्रेस ने इस देश को आरटीआई जैसा कानून दिया | लेकिन कांग्रेस के शासन में पारित इस कानून का मखौल खुद सरकार ही उड़ा रही है | इसका ताजा उदाहरण है कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी के बारे में दायर दर्जनों आरटीआई का अब तक जवाब ना मिलना | इस प्रकरण से सुब्रमण्यम स्वामी के आरोपों को ना केवल मजबूती मिल रही है बल्कि सोनिया गाँधी सहित नेहरु परिवार के अन्य सदस्यों की विश्वसनीयता भी सवालों के घेरे में आ रही है | अब तक करीब सोनिया गाँधी के विषय मे विभिन्न लोगों द्वारा आरटीआई के कुछ खास सवालों की फेहरिस्त नीचे दी गयी है :

सोनिया गाँधी पिछले १० सालो कहाँ –कहाँ गयी ?
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राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के कैलाश कंवर ने आरटीआई आवेदन कर पिछले दो साल में की गई यूपीए और राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की अध्यक्ष सोनिया गांधी की यात्राओं और उन पर हुए खर्च का ब्यौरा मांगा हैं। इस आरटीआई में हाल ही में अमेरिका में हुए सोनिया गांधी के इलाज के संबंध में भी जानकारी मांगी गई है। मंत्रालयों के चक्कर काटने के बाद कंवर ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया तब सरकार ने कहा कि सरकार को इस बारे मे कोई जानकरी नहीं है |
जबकि कोई भी विदेश जाता है तो पासपोर्ट पर हवाई अड्डे पर इम्मीग्रेशन का मुहर लगता है और उसके पासपोर्ट मे पूरी जानकारी दर्ज की जाती है और सबको मालूम है कि पासपोर्ट किसी भी व्यक्ति का निजी सम्पति नहीं होता बल्कि सरकार की संपत्ति है और ये सरकार के लिए एक मिनट का काम है की वो सोनिया गाँधी के पूरे विदेश यात्रा का ब्यौरा दे | अभी भी केस सुप्रीम कोर्ट मे चल रहा है

सोनिया गाँधी के ईलाज का खर्च क्या भारत सरकार ने उठाया था ? यदि हां, तो कितना भुगतान हुआ?
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कई महीनों तक कई मंत्रालयों मे ये अर्जी गुजरी .किसी ने जबाब नहीं दिया ..जब अरजदार ने सुचना आयोग मे केस किया तब इसे सांसदों का विशेषाधिकार का मामला बताकर इस अर्जी पर कोई जबाब देने से सरकार ने मना कर दिया .

सोनिया और राहुल गाँधी सरकारी फाइलों मे अपना अधिकारिक धर्म क्या लिखते है और हकीकत मे वो किस धर्म का पालन करते है ?
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सालो तक विभिन्न मंत्रालयों मे ये फाइल भटकती रही .. बाद मे सुप्रीम कोर्ट मे जाने पर सरकार का जबाब आया कि चूँकि सरकार जनगणना के समय लोगो के निजी जानकारी इकट्ठा करती है इसलिए कानून के मुताबिक सरकार इस जानकारी को सार्वजनिक नहीं कर सकती ..

आरटीआई कार्यकर्ता मनोरंजन रॉय ने 12 दिसंबर 2011 को चुनाव आयोग से सूचना अधिकार कानून के जरिए जानकारी मांगी थी कि सोनिया गाँधी को वोटर कार्ड जारी करने के समय सोनिया गाँधी ने कौन कौन से दस्तावेज निर्वाचन आयोग को दिए ?

यह सुचना सीधे सीधे निर्वाचन आयोग के अधिकार मे आता है फिर भी निर्वाचन आयोग ने नौ विभागों मे इस फाइल को सालो तक घुमाया .. और आज भी कोई जबाब नही दिया है |

सोनिया गाँधी का जन्म प्रमाण पत्र
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आज तक सरकार ने अरजदार को नहीं दिया .. ईसाई समाज मे जन्म प्रमाण पत्र देने का अधिकार केवल चर्च के पादरी को है .. और सोनिया गाँधी के पास भी इटली के तुरिन कस्बे के पादरी का जन्म प्रमाण पत्र होना चाहिए , लेकिन सोनिया गाँधी भारत मे एफिडेविद करके बनाया हुआ दूसरा जन्म प्रमाण पत्र सरकारी विभागों मे दी है ..

राबर्ट वढेरा का पिछले पन्द्रह सालो का आईटी रिटर्न
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सुचना कार्यकर्त्ता को इतनी साधारण सी जानकारी आयकर विभाग नहीं दे रहा है |

राबर्ट वढेरा को किस कानून के तहत हवाई अड्डों पर जाँच से छूट मिली है ?
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ये फाइल कई विभागों के चक्कर काट रही है ..और आज तक सरकार ने नहीं बताया की आखिर राबर्ट वढेरा को हवाई अड्डे पर सुरछा जाँच से छूट क्यों मिली है ?

राहुल गाँधी के नाम और डिग्री से जुडी आर टी आई भी डाली गयी है |
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राहुल गाँधी ने अपनी एमफिल की डिग्री नाम बदल कर ली है और वो मैकेंजी मे भी नाम बदलकर एक साल तक नौकरी किये | राहुल गाँधी के पासपोर्ट पर अलग नाम है और उनके संसंद मे दिये फार्म और निर्वाचन मे अलग है ? आज तक इसका जबाब नहीं आया फिर जब राहुल गाँधी के आफिस मे अरजदार ने पूछा तो राहुल गाँधी का सिर्फ एक लाईन का जबाब आया की लिट्टे से मेरे जान को खतरा था |

साभार : श्री जितेन्द्र प्रताप सिंह    !!  priya mitrwar , saadar namaskaar !! rozana padhen , share karen or apne anmol comments bhi deven !! hmara apna blog , jiska naam hai :- " 5TH PILLAR CORROUPTION KILLER " iska link ye hai ...:- www.pitamberduttsharma.blogspot.com. sampark number :- 09414657511

                                                             

Monday, October 1, 2012

नमस्कार को टाटा खाया, नूडल को आंटा !!


  " अज़ब - गज़ब "

                  नमस्कार को टाटा खाया, नूडल को आंटा !!
अंग्रेजी के चक्कर में हुआ बडा ही घाटा !!
बोलो धत्त तेरे की !!
माताजी को मम्मी खा गयी, पिता को खाया डैड !!
और दादाजी को ग्रैंडपा खा गये, सोचो कितना बैड !!
बोलो धत्त तेरे की !!
गुरुकुल को स्कूल खा गया, गुरु को खाया चेला !!
और सरस्वती की प्रतिमा पर उल्लू मारे ढेला !!
बोलो धत्त तेरे की !!
चौपालों को बियर बार खा गया,
रिश्तों को खाया टी.वी. !!
और देख सीरियल लगा लिपिस्टिक बक-बक
करती बीबी !!
बोलो धत्त तेरे की !!
रस्गुल्ले को केक खा गया और दूध पी गया अंडा !!
और दातून को टूथपेस्ट खा गया, छाछ पी गया ठंढा !!
बोलो धत्त तेरे की !!
परंपरा को कल्चर खा गया, हिंदी को अंग्रेजी !!
और दूध-दही के बदले चाय पी कर बने हम लेजी !!
बोलो धत्त तेरे की !!


                                                                
एक युवा राजनेता मेरे मित्र हैं। खूब प्रतिभाशाली हैं और जबर्दस्त वक्ता हैं। वे बिहार-झारखंड की जमीनी समस्या को बखूबी समझते हैं। उनकी प्रतिभा मुझे आकर्षित करती है, लेकिन प्रतिभा की मंजिल के बारे में सोचकर वितृष्णा होती है। वे जब कभी भविष्य की बात करते हैं तो कहते हैं, "अपना राज-पाट आयेगा तो देखियेगा, हम लोगों के पास भी गाड़ी, बंगला, रूतवा सब कुछ होगा।'' (उनके "हम लोग' में जनता कहीं नहीं है) , तो यह है हमारे 65 साल के स्वतंत्र राजनीतिक सफर का फलाफल, लेकिन इस राजनीतिक संस्कृति को किसने लगाया ? इसका जवाब कोई नहीं देना चाहता। 
priya mitrwar , saadar namaskaar !! rozana padhen , share karen or apne anmol comments bhi deven !! hmara apna blog , jiska naam hai :- " 5TH PILLAR CORROUPTION KILLER " iska link ye hai ...:-www.pitamberduttsharma.blogspot.com. sampark number :- 09414657511

"निराशा से आशा की ओर चल अब मन " ! पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक)

प्रिय पाठक मित्रो !                               सादर प्यार भरा नमस्कार !! ये 2020 का साल हमारे लिए बड़ा ही निराशाजनक और कष्टदायक साबित ह...