Monday, January 21, 2013

" क्या आपको ...मीडिया-मनेजर चाहिए.".!! हायर कीजिये मात्र 20,000/-प्रति माह पर !!

 प्रिय  मित्रो,नमस्कार!! भारत में चुनाव नज़दीक आ रहे हैं । सोशल-मीडिया में लाखों लोगों तक अपनी बात और राजनितिक-सामाजिक गतिविधियों को " सलीके से चित्रों और विडिओ क्लिप " द्वारा रोज़ाना पंहुचाने हेतु " हेल्प-लाईन-बिग-बाज़ार ", सूरतगढ़ पर संपर्क करें !! ताकि आपकी सफलता सुनिश्चित हो सके । क्योंकि 21वीं सदी में इंटरनेट द्वारा सस्ता और असरदार प्रचार कम समय में ही किया जा सकता है !!
 हमारी टीम के सदस्य अपने आप आपकी गतिविधियों को " वाच " कर प्रभावशाली तरीके से आपको और आपकी बात को जनता और " हाई-कमांड " के नेताओं तक पंहुचायेंगे !! जिनमे संपादक,केमरा-मैनऔर साउंड-रिकार्डर शामिल रहेंगे !! अगर आपको ज़रुरत हो तो हमारे आदमी आपके लिए " इवेन्ट-मेनेजमेंट " और सर्वे  भी करवा देंगे !!
                                हम सोशल-मीडिया की कई वेबसाईटों,ब्लॉग,पेज,ग्रुप,गूगल+,फेसबुक                                    और ट्विटर से जुड़े हुए हैं !! टिकेट लेने के इच्छुक नेता अपने वीडियो-प्रोफाईल तैयार करवाने हेतु आज ही मिलें :- पीताम्बर दत्त शर्मा, मोबाईल नंबर-9414657511,सूरतगढ़ !! हमारा स्टाफ राजस्थान,हरियांना,पंजाब और दिल्ली में सक्रीय है !!
                           प्रिय मित्रो, सादर नमस्कार !! कृपया आप मेरा ये ब्लाग " 5th pillar corrouption killer " रोजाना पढ़ें , इसे अपने अपने मित्रों संग बाँटें , इसे ज्वाइन करें तथा इसपर अपने अनमोल कोमेन्ट भी लिख्खें !! ताकि हमें होसला मिलता रहे ! इसका लिंक है ये :- www.pitamberduttsharma.blogspot.com.

आपका अपना.....पीताम्बर दत्त शर्मा, हेल्प-लाईन-बिग-बाज़ार , आर.सी.पी.रोड , सूरतगढ़ । फोन नंबर - 01509-222768,मोबाईल: 9414657511

Friday, January 18, 2013

" समरथ को नहीं - दोष गोसाईं."... !!

      सभी समर्थ मित्रों को मेरा " साष्टांग-प्रणाम !!                                      गोस्वामी तुलसीदास जी ने सच ही कहा था , जोआज भी सटीक बैठता है !! कल हमारी गली में एक चोर पकड़ा गया , मोहल्ले के " खाप-पंचायत " टाईप के लोगों ने उसे एक पेड़ के साथ बाँध दिया और क्या बच्चा -क्या जवान लगे सब उसे पीटने । संयोगवश मैं भी अपनी दुकान से घर लोटते वक्त वंहा पंहुचा तो मैंने ये मंज़र देखा !! माजरा समझते हुए जब मैंने उस चोर की शक्ल देखि तो मुझे वो जाना-पहचाना सा लगा , गौर से देखने पर मैं बोला कि ये तो नगर-पिता श्रीमान...............जी का बेटा है !! मेरा इतना कहना था कि सब एकदम दूर हटकर खड़े हो गए !!
                            जो व्यक्ति अबतक उसे 3-4 चांटे रसीद कर चुका था, बोला मैंने भी सबको कहा था भाई साहिब लेकिन किसी ने सुना ही नहीं ...! दूसरा बोला हमें तो अँधेरे में पता ही नहीं चला , पहचाना ही नहीं गया , हांजी ये तो हमारे सेठ जी का ही बेटा है !! तीसरा बोला - मैंने तो कहा था की मारो मत लेकिन पता नहीं कौन लोग दूसरी गलियों के लोग आये थे जो इसकी पिटाई कर गए जी भाई साहिब हमने इन्हें कुछ नहीं कहा..!!जी.....!!
                                                                                                                                     बंधे हुए चोर ने मेरी तरफ अजीब नज़रों से देखा और मैं मुस्कुराया...!! मैंने सबसे कहा कि इसे खोलकर मेरे घर लाओ वंहा बैठकर मामला सुनते हैं !! इतना कहते हुए मैं अपने घर की तरफ चल दिया , पत्नी जी से बोला , पत्नी जी ज़रा 5-7 कप चाय तो बनाना......!! वो बोली ;- हो गए घर आते ही तुम्हारे आर्डर चालू....!! किसकी बरात साथ लाये हो !!                  मैं बोला, पत्नी जी आपके मधुर वचनों से मैं धन्य हो गया......चलो अब चाय भी पिलादो तुम्हारी वाणी जैसी गरमागरम...! तभी सब मोहल्ले वाले घर के अन्दर आ गए तो हमारा प्रेमालाप बंद हुआ , पत्नी जी चाय बनाने में जुट गयी लेकिन कान हमारी ओर ही लगाये हुए थी ! मैं सभी आगुन्तकों से बोला - आइये बैठिये सबलोग ! तब मैंने पूछा..किसके घर में हुई चोरी , शर्मा जी बोले अपने पूनिया जी के घर ये " बबुआ " घुस गया था पड़ोस के वर्मा जी के बच्चों ने इसे देख लिया , पूनिया जी अपनी भतीजी की शादी में जयपुर गए हुए हैं परिवार सहित !! तब ये भाग रहा था तो सबने इसे पकड़ कर बाँध दिया..!! मैं बोला पहले पूछताछ तो करनी थी सीधे मारना शुरू करदिये .....तो रामखिलावन जी बोले हमने तो मारा ही नहीं,कायथ जी बोले काहे झूठ बोल रहे हो वर्मा जी के साथ आपने ही तो सबको शोर मचाकर बुलाया की पकड़ो-पकड़ो चोर -चोर और फिर आपने ही रस्सी से इस प्यारे से मुन्ने को बांधा फिर मारा, हम तो आये ही बाद में थे !!
                           मैं   बोला कि  शोर   मत करिए  ,कुछ  चोरी  तो  नहीं  हुआ न , चाय पीजिये और जाइये , मैं इसे पुलिस स्टेशन छोड़ आउंगा !! जब सब चाय पीकर चले गए तो वो लड़का बोला ..थेंक्यू अंकल !! मैं तो अपनी क्लासमेट से मिलने आया था ! कई दफा वो घर के पीछे बैठे होते हैं ..तो मैं घर के अन्दर चला गया , और पड़ोसियों ने मुझे चोर समझ शोर मचा दिया और सब पीटने लगे !! मैंने उसे समझाया कि बेटा इस तरह चोरी से किसी के घर नहीं घुसते !! उसे गरम-गरम दूध पिलाकर मैंने अपने घर से विदा कर दिया !!
                           बाद  में मैं सोचने लगा कि छोटे - मोटे अपराधियों को तो जनता स्वयं जज बनकर दंड देने लगती है लेकिन बड़े अपराधियों, चोरों के आगे नतमस्तक होने लगती है !!!
                        पाकिस्तान  की विदेश मंत्री श्रीमती हिना जी ने हिंदुस्तान के बड़े चोरों की और " ऊँगली " की है ....!! मैं उनके जज्बे की कद्र करता हूँ और कहता हूँ कि हमें भी पता है मैडम !! लेकिन हमें गोस्वामी तुलसीदास जी गलत पाठ पढ़ा गए हैं...!! इसलिए हम मजबूर हैं !!
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Wednesday, January 16, 2013

" दुनिया में रहना है तो, काम करो प्यारे "..." चिंतन नहीं "...!!??

 " काम  " करने वाले सभी मित्रों को मेरा हार्दिक  नमस्कार !!
                      जब सरकार हमारी " जनहित " के कार्य कर-कर थक गयी ......तब उसे चिंतन करने का ध्यान आया है !! और अगर वो अब अगले चुनावों में अपनी जीत पक्की मानकर आगामी 5 वर्षों में कराये जाने वाले जनहित कार्यों हेतु " चिंतन " शिविर लगाये बैठी है, तो वो ज्यादा उतावलापन दिखा रही है !! क्योंकि पिछले 9 साल की मनमोहन सरकार के " कार्य " ही उसका " बेडा " आर- या - पार लगायेंगे , ये शिविर अब किसी काम नहीं आने वाला !! 
                       दरअसल में ये चिंतन शिविर कांग्रेस को आनेवाली मुश्किलों से कैसे बचाया जाए इसलिए है,नाकि जनहित हेतु...!! पिछले दो सालों से कांग्रेस " सोशल-मीडिया " से बड़ी परेशान है !! ये सारा " डिरामा " इसीलिए हो रहा है !! क्योंकि इस सरकार के सभी पवित्र कार्यों [ भ्रष्टाचार,घोटाले और सौदेबाज़ियाँ ] में यही सोशल-मिडिया ही बाधक बनता आया है !! कितने ही समाचार ऐसे हैं जिन्हें " प्रिंट और इलेक्ट्रोनिक " मिडिया छुपा रहा था , जिनसे कई मिडिया-ग्रुप नेताओं को बादमे ब्लैकमेल भी करते थे , वो सारे भेद इसी सोशल मिडिया ने ही खोले !! जिससे जनता जागी और जनता ने इन तीनों  " राक्षसों " को नंगा करदिया  है !
                       चिंतनअकेली कांग्रेस ही नहीं कर रही,बल्कि प्रिंट व इलेक्ट्रोनिक मिडिया भी कर रहा है क्योंकि उसके भी हित आहत हो रहे हैं इस सोशल मिडिया की बढती हुई लोकप्रियता से, तभी तो पिछले दिनों जब सरकार इसको दबाने-कुचलने का प्रयास कर रही थी तब इन दोनों माध्यमों का " मूक-समर्थन " सरकार को हासिल था..!!?? अब चेनलों पर ये बहस करायी जा रही है कि सोशल मिडिया कांग्रेस विरोधी ही क्यों है ????
        क्यों मित्रो, आपका क्या कहना है ;इस बारे में..
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Tuesday, January 15, 2013

" हथियार-ड्रग-शराब और भू माफिया था, अब आया राजनितिक दल माफिया "....!!!!???

 माफिया और काफिया प्रेमी मित्रो, सादर नमस्कार !
 भारतमें यदि रहना होगा,इनका प्रेमी बनना होगा...!! क्योंकि ये भाई लोग अब सब जगह पहुँच चुके हैं । मशहूर खलनायकों का प्रिय डायलाग होता था कि " अपने चारों ओर नज़रें घुमा कर देख लो .......मेरे आदमियों ने तुम्हे चारों और से घेर रख्खा है...!! अपने हथियार फैंक दो ....!!! उसी तरह से आजकल राजनितिक दलों में भी " माफिया " ने                                                               निष्ठावान कार्यकर्ताओं को चारों ओर से घेर रख्खा है !! आजकल राजनितिक दलों के पद , जनप्रतिनिधियों की टिकटें भी बोली लगाकर बेचीं जातीं हैं । सच्चा और निष्ठावान कार्यकर्त्ता " भ्रम " में ही रहता है की अगलीबार मेरा नंबर आएगा लेकिन कभी नहीं आता उसका नंबर क्योंकि चालबाज़-नम्बरी लोग उस ख़ास समयपर ऐसा जाल बिछाते हैं कि " प्रभारी " लोग बगलें झाँकने लगते हैं और इसी दरम्याँ " माफिया " अपना काम कर जाता है!!
                     आज    राजस्थान-पत्रिका के मशहूर व्यंगकार " राही " जी ने बड़ा ही सुन्दर व्यंग लिखा है जो हम जैसे छोटे-मोटे लेखकों पर बिलकुल फिट बैठता है......!! आप भी पढियेगा...!! 
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Sunday, January 13, 2013

" A - B - C - D - छोड़ो...., दुश्मन का मुँह तोड़ो "..!!?

   वीर देशवासियों, जय-हिन्द !! दिमाग का " भरता बना हुआ है आजकल ! रोजाना कोई न कोई ऐसा समाचार पढने - देखने को मिल जाता है की पूछो मत ...!! उसके ऊपर हमारे बलशाली - बुद्धिमान नेताओं की कारस्तानियाँ.........क्या कहने...!!??                                                            जनता को बहकाना - बरगलाना इनको भली-भाँती आ गया है !! बस बहुत हो चुका ...., अब तो भारत की सेना " सत्ता "  मुझे संभला दे......तो मैं इन्ही नेताओं, वकीलों , समाजसेवियों और पत्रकारों को दिल्ली के नेहरु स्टेडियम में बंद करके तब तक बाहर ना निकलने दूं , जब तक सारी समस्या का हल न ये निकाल दें !! फिर मैं इस देश में सही व्यवस्था बनाकर चुनाव करादूं !!.....क्या मेरा सपना पूरा होगा...????
                        

Tuesday, January 8, 2013

" चुन-चुन के कांग्रेस के दुश्मनों को बनाओ निशाना " .....?????


मित्रों,
जैसा की मैने रविवार को बताया था ठीक वैसा ही हो रहा है.. आप देख ही रहे होंगे की कैसे कुछ खास मीडिया चैनल चुन चुन कर उन लोगों को निशाना बना रहे हैं जो "पवित्र परिवार" और "सोनिया गांधी" के प्रत्यक्ष विरोधी हैं..

1/1:30 घंटों के भाषणों को बारीकी से खंगाला जा रहा है और एसे वक्तव्य निकाले जा रहे हैं जिन्हें विवादित बनाया जा सके..

सर्वप्रथम आपनें मध्यप्रदेश के उद्यौग मंत्री श्री कैलाश विजयवर्गिय जी का वक्तव्य इन खबरिया चैनलों नें देखा - जिन्हें अन्यथा शायद ही कभी इन चैनलों नें किसी और कार्य के लिये दिखाया हो वही चैनल मध्यप्रदेश के इन्दौर शहर में किसी बंद कमरों की सभा का विडियो ढूंड लिया, फि दिखाया भी उतना ही जितना उनके लिये लाभप्रद था..?

फिर हमनें देखा की कैसे परम पूज्य सरसंघचालक मोहमभागवत जी के भाषणों में से कांट छांट कर विडियों दिखाये गये... भारत और इन्डिया (जिसकी पूरी व्याख्या संघ की किसी भी वेबसाईट में मिल जायेगी ) किन्तु उसे शहरों और गांवों से जोड़कर दिखाया गया और क्रूर्तम शब्दों में संघ को कोसा गया - ध्यान दीजियेगा की इन्हीं चैनलों नें कभी भी संघ के किसी भी समाजिक कार को नहीं दिखाया है और अभी हाल में इन्दौर में अभूतपूर्व अनुशासन और संयम का परिचय देते 1,200,000 स्वयं सेवकों के एकत्रिकरण को भी नहीं दिखाया..

कल से आशाराम बापू जी को लेकर सभी चैनल विलाप कर रहे हैं और दलील यह की उनके अनुसरणकर्ता 5 करोड़ से ज्यादा हैं... अब इस बात को पूरे देश में बताया जा रहा हैं की वो 5/6 करोड़ जनता जो बापू को ईश्वर तुल्य मानती है उनकी आस्था अंधी है और उनकी श्रद्धा झूठी है किन्तु ये जो 50/100 कर्मचारियों के तथाकथित मीडिया चैनल हैं पूरे समाज की ठेकेदारी इन्होंनें ही ले रखी है और जो ये कहेंगे, जैसा ये कहेंगे यदी किसी नें नहीं माना तो वह भारत का मुजरिम बन जायेगा...

कोर्ट कचहरी कानूंन पुलिस संविधान - सब शून्य है इनके लिये..!!

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मित्रों,
जिन्हें यह कहना है की 16 दिसंबर की बर्बर घटना को मीडीया ही सामनें लाया है उन्हें याद रखना चाहिये की उस घटना के बाद अबतक 64 मामले सामनें आ चुके हैं जिनमें महिलाओं के साथ ज्यादती हुयी है और एक साधारण खबर के सिवा वो सभी मामले कुछ और नहीं हैं इसी मीडिया के लिये ..

जनता का आक्रोश मात्र 16 दिसं. की घटना का नतीजा कदापि नहीं है - यह आक्रोश पिछले कई वर्षों की घुटन का नतीजा है...

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मीडिया कैसे अपनें अनुसार खबरों से खेलता है यह भी समझिये की भाजपा सांसद वरुण गांधी के बयान को लगभग सभी चैनलों नें दिनभर बार बार चलाया था और उन्हें भारत का और खास तौर से मुसलमानों का शत्रु घोशित किया था किन्तु औवेसी के मामले में एसा कुछ होते नहीं दिखा है..

मैं सन 2009 से लगातार आपके बीच इन तथ्यों को रखता आ रहा हूं और आगे भी आता रहूंगा...

आज यह कहनें में मुझे कोई हिचक नहीं है की यडी भारत को किसी से खतरा है तो वह भारत का यह मीडिया ही है जिसपर बहुत ही सावधानीं से और पैनीं नजर रखनीं होगी..

वन्दे मातरम..
प्यारे दोस्तो,सादर नमस्कार !! ( join this grup " 5th PILLAR CORROUPTION KILLER " )
आप जो मुझे इतना प्यार दे रहे हैं, उसके ल िए बहुत बहुत धन्यवाद-शुक्रिया करम और मेहरबानी ! आप की दोस्ती और प्यार को हमेशां मैं अपने दिल में संजो कर रखूँगा !! आपके प्रिय ब्लॉग और ग्रुप " 5th pillar corrouption killer " में मेरे इलावा देश के मशहूर लेखकों के विचार भी प्रकाशित होते है !! आप चाहें तो आपके विचार भी इसमें प्रकाशित हो सकते हैं !! इसे खोलने हेतु लाग आन आज ही करें :-www.pitamberduttsharma.blogspot.com. और ज्यादा जानकारी हेतु संपर्क करें :- पीताम्बर दत शर्मा , हेल्प-लाईन-बिग-बाज़ार, पंचायत समिति भवन के सामने, सूरतगढ़ ! ( जिला ; श्री गंगानगर, राजस्थान, भारत ) मो.न. 09414657511.फेक्स ; 01509-222768. कृपया आप सब ये ब्लॉग पढ़ें, इसे अपने मित्रों संग बांटें और अपने अनमोल कमेंट्स ब्लाग पर जाकर अवश्य लिखें !! आप ये ब्लॉग ज्वाईन भी कर सकते हैं !! धन्यवाद !! जयहिंद - जय - भारत !! आप सदा प्रसन्न रहें !! ऐसी मेरी मनोकामना है !! मेरे कुछ मित्रों ने मेरी लेखन सामग्री को अपने समाचार-पत्रों में प्रकाशित करने की आज्ञा चाही है ! जिसकी मैं सहर्ष आज्ञा देता हूँ !! सभी मित्र इसे फेसबुक पर शेयर भी कर सकते है तथा अपने अनमोल विचार भी मेरे ब्लाग पर जाकर लिख सकते हैं !! मेरे ब्लाग को ज्वाईन भी कर सकते है !!

आपका अपना
पीताम्बर दत्त शर्मा
हेल्प-लाईन- बिग- बाज़ार
आर. सी.पी. रोड, पंचायत समिति भवन के सामने, सूरतगढ़ ! ( श्री गंगानगर )( राजस्थान ) मोबाईल नंबर :- 9414657511. फेक्स :- 1509 - 222768.

Monday, January 7, 2013

" सारे नियम तोड़ दो - नियम पे चलना छोड़ दो "..!!???

         प्रिय मित्रो , सादर नमस्कार !! " रेखा" दीदी  " ने एक  फिल्म में ये गीत गाया था की " सारे नियम तोड़ दो - नियम पे  चलना छोड़ दो "..!!??? कल " हम-लोग " नामक कार्यक्रम में ऐसा ही कहा जा रहा था !! पिछले दिनों हुए एक बलात्कार काण्ड के   बाद इस देश में अजीब - अजीब बातें हो रहीं हैं ! जैसे :- 
                  

बलात्कार का बलात्कार


बलात्कार शब्द जह इंसानियत पर एक धब्बा ही नहीं बल्कि गढ्ढा है वहीँ बालात्कार का बालात्कार करना एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया और सम्मान जनक कृत्य है.  ये क्रिया कुछ खास  किस्म के बुध्दजीवियों द्वारा की जाती है. 
बाल्तकार का बालात्कार करने से बालात्कारी का कुछ बिगड़े या न बिगड़े लेकिन इन ख़ास प्रकार के बुध्ध्जिवियों की दिमागी वर्जिश तो हो ही जाती है, मानो बालात्कार या इस प्रकार की कोई दुर्घटना होना इनके लिए एक सुनहरा अवसर लाता है, दिमाग की बत्ती जलाता है,  यदि बालात्कार न हुआ होता तो हम बता नहीं पाते की हमारा धर्म कितना महान है, इसमें सजाये बहुत ही बेहतरीन,स्वादिस्ट, लाजवाब  और उम्दा किस्म है , आज के "आई एस आई" मार्क के गारंटी से भी बेहतर. मानो यदि ये धर्म होता तो बालात्कारी के अंग मे चिर काल तक की शिथिलता होती,  हद है भाई  किसी बात की, ये सज्जन लोग पीड़ित से सहानुभूति और संवेदना दिखाने की जगह, इसको सीढ़ी बना अपने "होली" प्रोडक्ट का प्रचार करते हैं, कौन जाने कहीं कुछ बिक जाए. मानो कोई दुर्घटना न हो होके, मेला या "फेस्ट" का आयोजन हुआ हो, बेच लो जितना बेचना हो, कर लो मार्केटिंग, नहीं टार्गेट पूरा नहीं होगा.  माल भले ही रेपर में लिपटा हुआ कचड़ा हो.  

एक भाई साहब ने तो  "इस्लाम में बालात्कार" पे  "दो बाई पांच"  का पूरा लेख ही लिख डाला जैसे यहाँ हमेशा बालात्कार ही होते हो. खाना - पीना सोने  की तरह ही बालात्कार भी एक जीवन का एक अभिन्न अंग हो. क्योकि जहाँ धुप हो   छाते वहीँ लगाये जाते हैं.  मेरे समझ नहीं आया की ये बड़प्पन बता रहे हैं,  दिनचर्या. 

 मैंने एक मित्र "जेब अख्तर" जी  के लेख में पढ़ा था की बंगला देश में यदि एक किसान की बीवी और मवेशी बीमार पड़ते हैं, तो किसान मवेशी के बचने की दुआ पहले मांगता है। वजह। वहां के बाजारों में एक सेहतमंद मवेशी (गाय, बैल वगैरह) की कीमत १५ से २० हजार रुपए तक होती है। जबकि इसी बाजार में आपको एक औरत महज ५ से १० हजार में मिल जाएगी। इसलिए फायदे का सौदा मवेशी को बचाना ही है। दूसरे अगर किसान की बीवी मर जाती है, तो दोबारा विवाह में उसे दान-दहेज भी मिलता है। जो कि मवेशी के मरने के बाद मुमकिन नहीं है। वही कर्गिस्तान में औरतों का अपहरण कर बलात्कार करना एक सामाजिक रश्म से जादा कुछ नहीं वहां की सरकार भी इस अपराध को मूक रहकर सहमती देती है, यदि कोई कहीं पकड़ा भी गया, तो मामूली जुरमाना भर ही लगता है. इसी तरह एक जगह रूस के पास है चेचेनया, जहाँ विवाह के लिए औरतो का अपहरण या बलात्कार हो जाना बहुत ही आम बात है, कुछ देशों में तो औरतो का बकयादा बाजार लगता है.  और इसी तरह के हालत और भी मुल्को में हैं. ध्यान देने योग्य बात ये है की इन सभी देशो शरियत है. मैंने पहले भी कहा था हम बेहतर है कहने की बजाय कुछ बेहतर करने की कोशिश कीजिये फिर "रिलिजन मार्केटिंग" की जरूरत ही नहीं पड़ेगी. 

कुछ मुसलमान भाई बहनों ने कहा की बालात्कारियो की सजा शरियत के हिसाब से हो, कड़ी से कड़ी, इसमें कोई बुराई भी नहीं, अपराधियों को कड़ी सजा मिलनी ही चाहिए, लेकिन क्या शरियत ये गारंटी भी लेता है की अपराधी को १०० प्रतिशत शुद्ध जहन्नम ही मिलेगा? जैसे "लक्जरी जन्नत" दिलाने और "सौ प्रतिशत शुध्द इश्वर" दिलाने का लेता है.शरियत का नियम है जैसे को  तैसा या पीड़ित के परिवार के मर्जी के मुताबिक, पीड़ित या उसका परिवार चाहे तो उसे कम कर सकता है.  जो हर तरह से जायज है होना भी चाहिए ताकि अपराधियों में खौफ  हो की जो उसने पीड़ित के साथ किया है कौन जाने पीड़ित उससे भी बुरी सजा मुकर्रर करे, लेकिन यही जैसे को तैसा या पीड़ित के मर्जी के हिसाब से महाभारत में भी उल्लेख है जब द्रोपदी ने अपनी इक्षा से दुशाशन को दंड देने का संकल्प लिया था. खैर ये तो रहा एक "रिलिजन मार्केटिंग" की पालिसी. 

एक तरफ तो युवावों का एक हुजूम संवेदना, दुःख और विरोध प्रकट करने कही पर लाठिया और पानी की बौक्षारे खा रहा हैं. और ये युवा किसी संगठन से नहीं,किसी धर्म विशेष से नहीं, किसी  सवर्ण या दलित जात से नहीं, न ही किसी राजनितिक प्रेरणा से, वरन ये सिर्फ युवा हैं जो अपना आक्रोश प्रकट रहे है, वहां कोई किसी से नहीं पूछ रहा तुम किस जात से हो? किस धर्म से हो?  जिसको दबाने के लिए सरकार की तमाम धाराएं भी नाकाफी है, ये वही युवा है जिनको हम "माल्स" "मल्टीप्लेक्स" में आनंद  मानाने वाला या पार्को में आमोद प्रमोद करने वाला "कूल द्युड्स" कहते हैं.आज इन युवावो ने ये बता दिया है की"कूल द्युड्स" आनंद मानाने के लिए ही नहीं बना, बल्कि सामाजिक जेम्मेदारी लेना भी जानता है. यदि ये सडको पे आ जाए तो सरकार के "धारा" को "पसेरी" बना सरकार, के मुह पर मार सकता है. लेकिन जब सरकार बेशर्म हो जाए तो उसपर कुछ भी असर नहीं होता, आज के हालत देखने के बाद तो यही लगा कीइंडियागेट "लीबिया" है और सरकार "गद्दाफी".इस स्थिति में आक्रोश प्रकट करने तक तो ठीक है लेकिन लाठी या बौछार खाना  नहीं क्योकि इनके दिल का दर्द मर चूका है वो आपका दर्द क्या जानेगा? कुछ दिन बाद सब  चुप हो जायेंगे ... बाद में फिर वही सिनेमा वही माल्स . चुनाव के समय फिर इसी सरकार को वोट दे देंगे जो लाठी चार्ज करवा रही है.  क्या फायदा  इन पर  चोट करनी हो तो इस सिस्टम और सरकार के खिलाफ वोट करो, यदि किसी चीज का हल पानी में भीगना है तो, मछलियान और मगमछ्छ दोनों ही देश के सिरमौर होते, हलाकि की आज देश में मगरमच्छ तो है, लेकिन मच्छलियों को खाने के लिए.  


 नेताओं का ये मिथक टूटना जरुरी है की भीड़ बहुत मासूम होती है,  इनको कुछ पता नहीं होता, इनके मासूमियत को ये कभी भी वोट का शक्ल दे सकतें हैं. इनको ये बताना होगा की हमारी चोट तुम्हारे लिए भगवान् के लाठी की  तरह ही होगी जिसमे कोई आवाज नहीं होती, लाठी के जगह मुहर से काम लो.  चीखने चिल्लाने या हुजूम  जुटाने से सरकार सहम तो सकती है वो भी थोड़ी देर के लिए, लेकिन न्याय नहीं मिल सकता. यदि इन सब से  कुछ होता तो भेड का भी राज  भारतीय जनता के दिल में होता,  बजाय की संसद और देश के.  इन पर चोट करो, इनके खिलाफ वोट करो. सरकार द्वारा फेके गए पानी में भीगने से अच्छा है सरकार पर ही पानी फेक के इनकी गर्मी शांत करो. पानी पिने से बेहतर है "पानी पिलाना".

जहाँ एक तरफ धर्म जाती और जात भूल युवा चीख रहा है वहीँ कुछ लोग अटकले लगा रहे हैं, की लड़की दलित थी या सवर्ण, यदि दलित होती तो  शायद इतना चीख  पुकार न मचता. भाई पीड़ित बस पीड़ित होता  है ,क्या  किसी ने उससे  पूछा था क्या ? बहन तुम सवर्ण हो या दलित?  या किसी ने सिक्का उछाल के पता किया था "हेड" आया तो सवर्ण, "तेल" आया दलित ? क्योकि उस  समय तो वह बोलने की स्थिति में ही नहीं थी. यह तो एक प्रकार जन आक्रोश  है, जो बाल्तकार के हद से ऊपर अत्याचारियों के हैवानियत से उपजा है, क्या  वो जो दरिन्दे थे उस  समय उसकी जात  पूछी होगी ? क्या उनमे से आधे से जादा दलित थे इसीलिए सवर्ण जान लड़की के साथ  बालात्कार के बाद है हैवानियत की हद कर दी, या एक दलित यदि दलित लड़की का बाल्तकार करे तो तो कुछ डिस्काउंट देगा?  

हद है किसी चीज की क्या सवर्ण जाती में पैदा होने से ही व्यक्ति "इनबिल्ट" "ऑटोमेटिक" और "बाई डीफाल्ट" 'दलित विरोधी' हो जाता है ?  आजकल  मई खुद बड़ी शंका में हूँ , दलित  मेरे कई दोस्त हैं जो मुझसे किसी भी मामले में कम नहीं है, और न ही  उनको मई अपने से कम मनाता हूँ , लेकिन पता नहीं क्यों लगता है की यदि उनके  किसी भी गलत बात का विरोध कर दूँ तो मई " दलित विरोधी" हो जाता हूँ. मई आजकल शंका में हूँ इन "तथाकथित" दलित भाईयों  की गलत बातो का विरोध करू या न करू ? इसको सही या गलत के पैमाने से देखा जायेगा या सवर्ण दलित के ? वैसे मेरी तरह ये भी "कन्फ्यूज" है,  या ये कहिये इनमे जो जितना जादा पढ़ा लिखा है वो उतना ही कन्फ्यूज होता जा रहा है. कभी ये बुध्द को सिरमौर बनाते हैं तो कभी "हरिनाकश्यप" को अपना पूरखा, यानि बुध्द और हरिनाकश्यप में कोई सम्बन्ध है, क्योकि एक इनमे  पुरखा है और एक अग्रज.  यदि आज के दलित भाईयों का मध्य माना जाय तो स्वर्ग में जरुर बुध्द जी हरिनाकश्यप के पाँव छुते होंगे, बुजुर्ग  जो ठहरे.

ये सब देख, एक खास  मानव जाती को एक ख़ास मानव जाती से मुक्त  कराने वाले अम्बेडकर  जी अपना सर धुनते होंगे की जिस सवर्णों से इनकी मुक्ति दिलाई थी ये उन्ही अनुयायी बन गए, और जिस राक्षस जिंदगी से मुक्ति दिलाने का प्रयत्न किया था उसी को पुरखा बता रहें हैं. 

देखने वाली बात ये है की आज का दलित किसी भी मामले में पुराने  शोषण करने वाल ब्राह्मणों से कम नहीं है .पहले ब्राहमण होने मात्र से दलितों का शोषण करते थे, और आज सवर्ण जाती में पैदा होने मात्र से वह  "शोषक"  हो जाता है,  हक छीनने  वाला लुटेरा, और जुल्म करने वाला आततायी हो जाता है, और अपने आप को  खुलेआम दुर्वचन कहने का लाईसेंस भी दिलवाता है. तो दलित किस तरह से अलग हुए उस  जमाने के ब्राहमणों से ??  कुछ तो खुले आम कहते हैं की हम पुराना बदला ले रहें है,  यानि यदि हम मानते है की जो हुआ वो गलत था, लेकिन ये नहीं, शायद ये यही मानते हैं की जो शोषण हुआ वो सही हुआ, तबभी हमें  मौका मिला, या शोषक होने की राह पर कोई भी अँधा हो जाता है. ?? मुझे कभी कभी ये शंका होती है कही ये जानबूझकर  तो  शोषित नहीं हुए फिक्स डिपोजिट की तरह की बाद  भविष्य में वसूल के साथ बदला लेंगे. क्योकि इने से अधिकतर  की बातों से  बराबर के अधिकार और हक़ की बाते कम, और  इतिहास को  इंगित कर बदला लेने की बाते जादा कही जाती है. इस प्रकार के दलित (?) बुध्दजीवी  किसी भी प्रकार से पुराने जमाने के ब्राह्मणों से कमतर नहीं मान सकते है, क्योकि विद्वेष ये भी फैलाते हैं . 

एक बात और गौर करने लायक है, जिन ब्राह्मणों  को मंदिरों का ठेकेदार बता कर एक सूत्रीय "कोसो कार्यक्रम" आयोजन होता है वही दूसरी तरफ उसी मंदिर से सम्बन्धित अन्य व्यवसायियों को बाईज्जत बरी बस इसलिए कर दिया जाता हैं क्योकि वो ब्राहमण नहीं है, शायद वहां भी दलित एक्ट काम करता हो . देश में  किसी भी मंदिर में चले जाओ,  ब्राह्मण १०० , या २०० मांगे तो उसको आधा दो तो जादा बकझक नहीं करता क्योकि और भी ग्राहक सम्हाल्नाने है, भीड़ जादा होती है. वही दूसरी तरफ मुंडन करने वाले नाई  को आप एक रुपया कम दें तो  वो गुस्से से आग बबूला हो जाताहै मानो बाल के बाद आपकी गर्दन तक कलम कर देगा.   उसी मंदिर में नाई होता है, उसी मंदिर में कहार भी होता है, एवं अन्य  गैर ब्राहमण लोग भी होते हैं जो मलाई बराबर खाते हैं लेकिन गाली तो सिर्फ ब्राहमण ही सुनेगा. कई गैर ब्राह्मणों को तो मैंने ब्रह्मणों के लिए एजेंटी तक करते देखा है, ख़ुशी ख़ुशी, बाद में आधा आधा. और ये मई हवाई  बाते नहीं बल्कि इसको दलित और सवर्ण दोनों ने महसूस किया होगा, यदि नहीं किया है तो अब से जब भी जाएँ गौर करें. 

वास्तव में जाती पाती का स्थान ब्राह्मणों ने क्यों बनाया कैसे बनाया पता नहीं, न ही मई इसमें जाने की जरूरत समझाता हौं , लेंकिन इसका बस एक ही पहलू है, एसा भी नहीं  है . पुराने जमाने में चमड़े के व्यवसायी को उसके  जाती की संज्ञा दी गयी, यहाँ वह विशेष वर्ग फेल हो गया, दलित हो गया,  जाती के आधार पर नहीं बल्कि "मैनेजमेंट " में, आज वही जब  सवर्ण  १००रुपये का चमडा उतार उसकी ब्रांडिग कर  १००० से १० हजार में बेचता है तो  जूते का उद्योगपति कहलाता है. अब किसने कहा था की आप एसा न करो. अब सोचिये जिस बाल्मीकि जयंती को दलित भाई मानते हैं उसी की किताब को ये मैनेज नहीं कर सके और यदि ब्राह्मणों ने इसे मैनेज  कर  व्यवसाय बना लिया ? वो जमाना आज की तरह आधुनिक तो नहीं था, लेकिन जहाँ चाह वहां राह. आज आपको कौन  रोकता है ? न उस समय कोई रोकता था, तो आपने सहा और यहि है आपका सबसे बड़ा गुनाह. मतला ये है, की इंसान किसी भी जाती में पूज्य हो सकता है, जाती कोई बहुत बड़ी चीज नहीं है, भीम राव अम्बेडकर का जिसने भी उनका विरोध किया उसने मुह की खाई. वो  किसी जाती के मोहताज नहीं थे.  न तो द्रोणाचार्य ठीक था जिसने जाती पाती के आधार पर एकलव्य का अंगूठा काट डाला न ही, न ही दलित के  आड़ में हत्याए करने वाला आज  के बीसियों  गिरोह.

 जब भी कोई किसी दुर्घटना में पीड़ित होता है  तो दर्द सबको होता है,  न की सवर्ण,  दलित, हिन्दू मुसलमान धर्म या मजहब देख के .   

सादर 
कमल कुमार सिंह 
                                        बात समझने वाली है मेरे एक मित्र की है....ना.. !!
 प्यारे दोस्तो,सादर नमस्कार !! ( join this grup " 5th PILLAR CORROUPTION KILLER " )
आप जो मुझे इतना प्यार दे रहे हैं, उसके ल िए बहुत बहुत धन्यवाद-शुक्रिया करम और मेहरबानी ! आप की दोस्ती और प्यार को हमेशां मैं अपने दिल में संजो कर रखूँगा !! आपके प्रिय ब्लॉग और ग्रुप " 5th pillar corrouption killer " में मेरे इलावा देश के मशहूर लेखकों के विचार भी प्रकाशित होते है !! आप चाहें तो आपके विचार भी इसमें प्रकाशित हो सकते हैं !! इसे खोलने हेतु लाग आन आज ही करें :-www.pitamberduttsharma.blogspot.com. और ज्यादा जानकारी हेतु संपर्क करें :- पीताम्बर दत शर्मा , हेल्प-लाईन-बिग-बाज़ार, पंचायत समिति भवन के सामने, सूरतगढ़ ! ( जिला ; श्री गंगानगर, राजस्थान, भारत ) मो.न. 09414657511.फेक्स ; 01509-222768. कृपया आप सब ये ब्लॉग पढ़ें, इसे अपने मित्रों संग बांटें और अपने अनमोल कमेंट्स ब्लाग पर जाकर अवश्य लिखें !! आप ये ब्लॉग ज्वाईन भी कर सकते हैं !! धन्यवाद !! जयहिंद - जय - भारत !! आप सदा प्रसन्न रहें !! ऐसी मेरी मनोकामना है !! मेरे कुछ मित्रों ने मेरी लेखन सामग्री को अपने समाचार-पत्रों में प्रकाशित करने की आज्ञा चाही है ! जिसकी मैं सहर्ष आज्ञा देता हूँ !! सभी मित्र इसे फेसबुक पर शेयर भी कर सकते है तथा अपने अनमोल विचार भी मेरे ब्लाग पर जाकर लिख सकते हैं !! मेरे ब्लाग को ज्वाईन भी कर सकते है !!

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