Tuesday, July 5, 2011

ACHCHA , BURA, KALA , SAFED , DHARMIK OR GADDARI KA - -" DHAN" "

धनवान दोस्तों को नमस्कार !आजकल जहाँ देखो वन्ही धन की बातें हो रही हैं | कोई विदेशों में पड़े काले धन की बात करता है तो कोई रिश्वत के बुरे धन की ,कोई मंदिरों में पड़े अच्छे धन की बात करता है तो कोई जासूसी से मिले गद्दारी के धन की |हर तरफ धन यानि पैसे की बात हो रही है |यहाँ तक की हीरे मोतियों की बात भी हो रही है | ऐसा लग रहा है कि जैसे देश में कोई " गरीब " है ही नहीं  | बस हर तरफ पैसा ही पैसा है | मैं भी यह मानता हूँ कि देश में हमेशां से धन कि कोई कमी कभी भी नहीं रही | लेकिन कब कितना  धन किसके यंहां पड़ा है उससे फरक पड़ता है |दुश्मन देश असली धन हमारे देश से बाहर चोरी से भिजवा देवें और नकली नोट चाप कर हमारे देश में चला दें तो हमारा देश आर्थिक रूप से कमज़ोर हो जायेगा , बल्कि हो गया है | देश में बैठे गद्दार भारत माता को नोच - नोच कर खा रहे हैं | " नेता - अफसर -माफिया "का " त्रिफला " चूरन सा बन गया है |हजारों के लाखों , लाखों से करोड़ दिनों में बन रहे हैं |कर्मचारियों की पगार भी हजारों से लाखों में हो गयी है | खाने - पीने और सब्जियां दालें ५०\- से १००\- रूपये किलो हो गयी हैं | उपरोक्त लोगों को तो ये भी सस्ती लगती हैं | परन्तु निचले - और मध्यम श्रेणी का "आम आदमी " कंहा जाये | उसे तो आज भी ५०\- से ५००\- रूपये कमाने में उतना ही समय लगता है ,जितना आज से ४० साल पहले लगता था ???????? जन्हा तक देश में जगह जगह पड़े धन के भंडार की बात है , तो ये तो सब जानते हैं कि हिन्दू मंदिरों में ही नहीं बल्कि सभी धर्मो ,गुरुओं , चर्चों ,गुरुद्वारों और मस्जिदों में धन का भण्डार सुरक्षित है | भगवन न करे कभी कोई देश पर संकट आया तो यही धन देश को वापिस उठाएगा | परन्तु आजकल ऐसा क्या हो गया कि केवल मंदिरों में पड़े धन की हीबात हो रही है | कंही इसके पीछे भी बाबा रामदेव के आन्दोलन का सरकार को लग रहा डर तो नहीं | बाबा रामदेव की तो जीत हो ही गयी है | सुप्रीम कोर्ट ने सरकार पर एस.आई.टी. बना ही दी है | मैं तो कहता हूँ कि सरकार अगर रिश्वत खोरों , भ्रष्ट नेताओं और अफसरों के साथ - साथ माफियाओं के लोकर खोल ले तथा छापे मारे तो भी देश में इतना धन हो जायेगा कि किसी की ओर देखने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी | बाकि रही देश के गद्दारों और उग्रवादियों की बात तो पहले देश में बैठे इन हरामजादों को तो मार लो , इनके संपर्क तो ख़तम कर लो बाद में पडोसी देशों में बैठे अपराधी मांग लेना ?अमेरिका के "चमचो " इस काम के लिए तो अमेरिका से कोई इज़ाज़त नहीं लेनी पड़ेगी ????? इससे बड़ी शर्म की बात और क्या होगी कि अफ्ज़ल्गुरु कि फाइल अभी तक राष्ट्रपति के पास नहीं पंहुची |

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