स्तीफा चाहने वाले दोस्तों - नमस्कार ! आज कल स्तीफा मांगने वाले लोगों का पेट ही नहीं भर रहा जी |" चव्हान , कलमाड़ी , राजा आदि आदि आज से पहले न जाने कितने लोग , मीडिया के द्वारा नेतिकता और जनता का डर दिखाए जाने से डर कर अपना अनमोल पद त्याग चुके हैं | जो बड़े ही प्रयासों से जीवन में एक - दो बार ही मिल पाता है , पद मिलते ही लोग जलने लग जाते हैं | पेट में बल पड़ जाते हैं दोस्तों - रिश्ते दारों के भी , मीडिया को तो और कोई काम है ही नहीं , जंहा हमने दस बीस करोड़ कमाए , बस इनके कान खड़े हो जाते हैं |हमारी मजबूरी तो कोई देखता ही नहीं |कितने साल बाद , पैसों और टाइम की बर्बादी से एम्.एल.ऐ. के दावेदार पार्टी में बन पाते हैं | हाई - कमांड की मेहरबानी और पार्टी को भारी चंदा देकर हम टिकट ले पाते हैं | २५ दिनों तक चुनाव क्षेत्र में गधों की तरह घुमते हैं |छोटे से लेकर बड़ों तक की जी हजूरी करते हैं |करोड़ों रूपये खर्च करते हैं ,दारु , पेट्रोल , झंडे , बैंनर और न जाने कैसे - कैसे खर्चे करने पड़ते हैं | तब तो मीडिया - और जनता बोलती ही नहीं , उल्टा मिडिया तो तब भी हमें ही दोषी ठहराता है, और जनता ये कहती है की एम्. एल.ऐ. या एम्.पी. बनना है तो ये खर्चा तो करना ही पड़ेगा | तो आप ही बताइये की हमारी इसमें कान्हा गलती है जी ???? न्यायालय भी हमारा दुश्मन हो गया है , वो भी टी.वी. देखने लगा है वंहा कुछ खाली टाइप के लोग बैठे रहते है ,और बस बोलते रहते हैं , बोलते रहते हैं ,इस चैनल से उस चैनल , उस चैनल से दुसरे चैनल तक |हमारे भी तो बाल - बच्चे हैं जो हमें देश से ज्यादा " प्यारे " हैं | अभी कल बी.जे.पी. के अध्यक्ष श्री नितिन जी ने कहा कि " येदी. जी ने कहा है कि अगर " रिपोर्ट " में नाम होगा और केंद्रीय नेत्रित्व चाहेगा तो "उनका" त्याग पात्र हो जायेगा | परन्तु " येदी. जी"आज मिडिया को कह रहे हैं कि न मेरा दिल्ली जाने का प्रोग्राम है और न ही त्यागपत्र देने का " मूड " है | शायद " कर्नाटका का पानी " ही ऐसा है | अपने पूर्व पी.एम्. पता नहीं क्या - क्या देवेगोड़ा जी , जितने देर देश के प्रधानमंत्री रहे ऐसे जिद्दी व्यवहार दिखाते ही रहे | आज भी उनके सुपुत्र कर्नाटक में येदी जी का मुकाबला कर रहे हैं , दोनों एक जैसे स्वभाव के हैं | मेरी भविष्य वाणी ये है कि अगले ३६ घंटों में या तो येदी जी का स्तीफा हो जायेगा नहीं तो नितिन जी को स्तीफा देना पड़ेगा ???? नहीं तो मज़ा नहीं आएगा जी | भारत कि जनता भी सिर्फ मजे ही लेती है , करती कुछ नहीं है | अब हमारे विदेश मंत्री श्री कृष्ण जी को ही देख लीजिये , पहले श्री मति हिलेरी जी से हाथ मिला रहे थे , और आज श्रीमती खार जी से हाथ मिला रहे हैं | आप कन्हेगे कि इसमें क्या बुरी बात है ?? देखने वाले कि नियत साफ़ होनी चाहिए तो उत्तर में में ये कन्हुगा कि हाथ मिलाने में कोई बुराई नहीं है , लेकिन कोई बात करने का मुद्दा ही भूल जाये , या असरदार तरीके से नहीं कह पाए , तो यही कहा जायेगा कि " बुढ्ढा " मज़े ले रहा है | मुझे तो यही कहना है कि पकिस्तान १९८० से पहले पंजाब में और फिर पुरे देश में आतंक वाद फैला रहा है | नकली नोट छापकर हमारी अर्थव्यवस्था खराब कर रहा है , और हम कहते हैं कि " बात से बनेगी बात " शेम - शेम ??? क्या हम वास्तव में " बातचीत " के समर्थक हैं या " डरपोक " हैं ??????? आप ही फैसला करें जी | में तो जा रहा हूँ पंजाब , शादी में ...........!!!!
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