जीत के जशन में डूबे भारतीयों,नमस्कार !! कौन हैं ये काले अंग्रेज? ये वो लोग हैं जो देश के आज़ाद होने के बावजूद अंग्रेजों जैसी पढाई,कानून,पुलिस,रहन-सहन,और न्यायिक प्रकिर्या के समर्थक हैं | सन १९४७ में बंटवारे के बाद देश में पढ़े-लिखे ,भारतीय सभ्यता वाले नेता चाहते थे कि हमारी सभ्यता अनुसार कानून बने, भारतीयता से भरी शिक्षा पद्धति हो,भारत में केवल वोही लोग रहें जो भारत की धरती को अपनी माँ मानते हो आदि आदि| लेकिन देश में, विदेशों में पढ़े हुए नेता अंग्रेजों के अधिक नज़दीक थे | अंग्रेज चाहते भी यही थे कि हमारे जाने के बाद हमारे ही पिठू भारत में शासन करें ताकि भविष्य में भी अंग्रेजों का कंट्रोल रहे | तब से नेताओं की भारत में दो जातियां बन गयीं ,एक सेक्युलर और एक साम्प्रदायिक | वि.पी.सिंह जी ने देवी लाल जी से डरते हुए जब मंडल कमीशन लागू किया तो नेताओं की एक और जाती पैदा हो गयी जो केवल जातिगत वोटों पर आधारित राजनीती करने लगे |और कारणों के साथ साथ ये उपरोक्त कारन भी रहे देश के गर्त में जाने के | बाबा रामदेव जी पिछले कई वर्षों से भ्रमण कर जनता को जागृत कर रहे थे | लोहा गरम था ,कई देशों में क्रांतियाँ हो रहीं थी ,सर्वोच्च न्यायालय सरकार की हर बात पर पिटाई कर रहा था |विपक्ष संसद में सरकार को लानत भेज रहा था |मीडिया चीख रहा था | रामदेव जी का महूरत नहीं NIKLA | और श्री अन्ना हजारे विश्व कप के पीछे से अचानक प्रगट हुए ,अनशन पर बैठ गए,सरकार मात्र चार दिनों में मान गयी इसी लिए मुझे दाल में कुछ काला लगा | जनता तो १०० सालों में एकबार जगती है |कहीं ये सरकार का प्रायोजित कार्यक्रम तो नहीं था ? भगवान करे ये झूठ हो !! बाबा रामदेव जी के लिए अब कम विकल्प बचे हैं | आगे आगे देखिये होता है क्या ??
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