प्यारे देश वासियों, प्यार भरा नमस्कार स्वीकारें !! गीत याद आ रहा है "भोली सी सूरत आँखों में मस्ती ,आय हाय | कौन न मर जाये मनमोहन सिंह जी की सादगी पर |वार भी करते हैं ,हाथ में तलवार भी नहीं |कोई अच्छा कार्य होता है तो सभी ये कहते नहीं थकते कि सब सोनिया जी व मनमोहन जी के कारन ही हुआ है और जब कुछ बुरा हुआ है तो सब कहते हैं कि पी.एम्.दोषी नहीं पी. एम्.ओ. दोषी है ? राजा को मंत्री किसने बनाया ?कलमाड़ी को पद किसने दिया ? कैसे बच सकते हैं ये लोग जिमेदारी से | पूर्व शिव सेना सांसद और अब कंग्रेस्सी सांसद ने तो एन.डी.टी.वी. कि उदघोषिका को ही डांट दिया कि आप और जनता बहुत जल्दबाजी कर रहे हो |श्रीमती शीला दीक्षित ने भी रिपोर्टर को डांट दिया कि आप को कुछ पता होता नहीं [जो कभी कभी सच भी होता है ] ऐसे ही प्रशन पूछते रहते हो |३० दिनों में सोच समझ कर जवाब दे देंगे जल्दी क्या है ?संजय निरुपम से कोई ये पूछे कि भेया तुम क्यों बिना कहे गवाह बन रहे हो |तुम्हारे सामने बंटवारा थोड़े ही किया होगा ? ये बड़ा खेल है , खिलाडी भी बड़े होंगे ,भले मानुष | सच बोलते आये हो ,सच ही बोलो |ताज़ा मुस्लमान मत बनो | मीडिया वालो आप भी पूरी तैयारी से लग जाओ |पाताल से भी सबूत निकाल लाओ ,कसम खालो ,छोड़ना नहीं सालों को |
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"निराशा से आशा की ओर चल अब मन " ! पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक)
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