वन्दे मातरम , !उद्घोष होना चाहिए लोक तंत्र के समर्थको की और से |युद्ध का |भूल जाओ सारे मतभेद |अब अंतर करना होगा शरीफ और बदमाश राजनीतिज्ञों में |" अगर कोई शरीफ बचा है तो ?सभी समाज्सेविओं को और राष्ट्रीय ताकतों को एक मंच पर आना होगा |जैसे १९७५ में हुआ था |वो गठबंधन ढाई साल बाद टूट भी गया था सत्ता मिलने के बाद ,वो अब न टूटे ,ये भी ध्यान देने लायक बात है |सभी बुद्धिजीवी विचार करें |चार मंत्री चर्चा कर रहे थे ,तो मक्कार कपिल सिब्बल और द्विगविजय प्रहार करते रहे ?भोले भाले दवाई बताने वाले से गुमराह करके सहमती पत्र लिखवा लिया,और कहा अभी बताना नहीं ,बाद में वही पत्र दिखा कर बाबा को धोखेबाज़ साबित करने की कोशिश की गयी | आज प्रधान मंत्री और सोनिया गाँधी जहां पुलिस कार्यवाही के लिए जनता से माफ़ी मांग रहे हैं , तो वही दो कमीने और मक्कार कंग्रेस्सी सारीकार्यवाही को जायज़ ठहरा रहे हैं |ढूध का ढूध और पानी का पानी हो चुका है |" क्रांति -- होनी -- चाहिए "|अगर शरीफ राजनीतिज्ञ हैं तो वो बदमाश राजनीतिज्ञों के साथ बैठ कर क्या कर रहे हैं ? जनता फैसला करे | "संत को सिपाही बनना होगा "
FIGHT ANY TYPE OF CORRUPTION, WITH "PEN"!
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"निराशा से आशा की ओर चल अब मन " ! पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक)
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