" माया और काम "प्रेमियों राम - राम !! भक्त जनों ! जब सारी दुनिया मोह,माया,काम,क्रोध,और लोभ में फंसी हुई है तो भारत के नेता,अफसर,व्यपारी,कर्मचारी और ठेकेदार इन बन्धनों में फंसे हैं तो कोई क्यों जल - भुन रहा है ? अब सतयुग तो कोई है नहीं जो राम राज्य आ जाए ? बी.जे.पी. वाले तो ऐसे ही शोर मचा रहे हैं !आज श्री मति मृणाल पण्डे जी ने बहुत खुबसूरत लिखा है की " जब मिडिया स्वयं एक व्यपारिक संसथान बन कर रह गया है तो दुसरे से कोई ये आशा क्यों लगाये बैठा है की वो धन के पीछे नहीं भागे , सिर्फ अपना फ़र्ज़ निभाए ?? मंहगाई इतनी हो गयी है की २४ घंटों में १८ घंटे काम करना पड़ता है आदमी को खून पसीने की कमाई से अपना परिवार पालने हेतु ? बिना भ्रष्टाचार या बैमानी से अमीर नहीं बना जा सकता ? ऐसा लगभग सब का मानना है ? इसी लिए चारो और सिर्फ माया ,माया ,माया और माया को पाने हेतु काम , काम और "वो" वाला "काम" !? कभी किसी की सी.डी. और कभी किसीकी , कभी एक ही जाती मैं शादी का रोना तो कभी साधू ४ बच्चों की माता को भगा ले गया ?? रोज़ नए - नए घटना क्रम देखने और सुनने को मिल जाते हैं|ये प्रसंग ही ऐसे हैं की "मियाँ - बीवी राज़ी तो क्या करेगा क़ाज़ी ???? 80%से ज्यादा बलात्कार के केस फर्जी होते हैं | अब प्यार हो गया तो हो गया चाहे वो एक रात का हो या ७ जन्मो का ?? उस से किसी को क्या फर्क पड़ता है ?? जब भारत मैं " गे " कानून बन सकता है , भारत के इतिहास को बिगाड़ा जा सकता है , भारत के रीती रिवाजों को खराब किया जा सकता है , देश भक्तों को भुलाया जा सकता है , जब भारत के कानून को तोडा - मरोड़ा जा सकता है और राजनितिक दल अपने अनुसार देश के फिर से टुकड़े कर सकते हैं तो इस " काम " वाले कानून को व्यस्क स्त्री - पुरषों के स्वयं के विवेक पर क्यों नहीं छोड़ा जा सकता ???चाहे वो स्त्री हो या पुरुष सारे दिन की भाग दोढ के बाद अगर वो चाय और ठन्डे की तरह शारीरिक प्यास मिटानेहेतु किसी के साथ रजामंदी से हम बिस्तर हो चाहता या चाहती है तो किसी को क्यों ऐतराज़ होना चाहिए ?? बदल दो ये कानून वो कानून और सारे कानून ?? और करो सब अपनी मन - मर्ज़ी फैलने दो अराजकता ? आने दो प्रलय को " ससुरी ये दुनिया जितनी जल्दी समाप्त हो जाये उतना ही बढ़िया है " नयी शुरुआत हो,दोबारा से सतयुग आये ,तभी राम आयेंगे और तभी राम राज्य आएगा !!नहीं तो ये आधुनिक नेता , समाजसेवी ,पत्रकार और tv. फिल्म वाले, भारत को ऐसी गर्त में धकेल कर छोड़ेंगे की मानव जाती अपने आदर्शों को न केवल भूल जाएगी ,बल्कि ऐसे उटपटांग कानून बनाने का समर्थन भी करने लगेगी , जिस तरह से मैंने ऊपर लिखा है | मेरी बात पर मत जाना मैंने तो उधारण दिया है .....??? बोलो जय श्री राम !! जैसे कोई ग्रहण लग गया हो इस देश को ..????????
FIGHT ANY TYPE OF CORRUPTION, WITH "PEN"!
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