Sunday, November 27, 2011

" नेता " - किधर - ले - कर - जा रहे हैं , देश को ......? ? ?

प्रिय मित्रो , नमस्कार स्वीकार हो !! भारत में  लोक तंत्र है ! ये लोक तंत्र भी बड़ी कमाल की चीज़ है ! इसमें सब समझते हैं की " पावर " अपने हाथ में है ! लेकिन वास्तव में होती किसी के हाथ में नहीं ?? जैसे , जनता समझती है की हम नेताओं को अपने देश को चलाने के लिए उन्हें संसद में भेजते हैं , और वो हमारे सेवक हैं , जबकि वास्तव में ऐसा है नहीं , कभी किसी ने किसी नेता को ऐसी जगह बतियाते सुना हो जन्हा सारे उस जैसे ही बैठे हों , तब उनकी असली भाषा और मनःस्थिति का पता चलता है ???? सार्वजानिक जगह पर नेता जिसे माई - बाप कहता है , पीठ के पीछे उसे क्या बोलता है अगर मैं यंहा पर बता दूं तो सच बाहर आ जायेगा .....???नेता न्यायालय के आगे बेबस है , न्यायालय अफसरों के आगे बेबस है , अफसर जनता और नेता के आगे बेबस हैं || इनके बीच में धक्के से घुसे मीडिया ने अपनी जगह अब पक्की कर ली है ?? पहले सिर्फ अखबार छपते थे तो इसे लोक तंत्र का " चोथा " खम्भा कहा गया ? अब तो टी .वि . मिडिया , और इन्टरनेट मिडिया ,पांचवां और छठा खम्बा लोक तंत्र का बन गए है ?? न सिर्फ बन गए हैं बल्कि ये भी बड़ी भारी ग़लतफ़हमी का शिकार हैं की इनके कारन ही देश में जो कुछ हो रहा है वही होगा ?? इसी लिए मनमर्जी की विडिओ क्लिप तैयार करते हैं , पहले समझा कर नेताओं के बयान लेते हैं , उकसा कर जनता से प्रदर्शन करवाते हैं और न जाने क्या - क्या ....?भारत के पुराने नेता , महात्मा गांधी , पंडित जवाहर लाल नेहरु , पंडित राजिंदर प्रसाद , सरदार पटेल श्रीमती इंदिरा गांधी जी का पहला शासन काल तक तो सब कुछ सही था , आपसी स्नेह था , जीवन - मूल्यों पर चल रहा था , लेकिन उसके बाद जो गिरावट आई है , हर क्षेत्र में की पूछो मत ....? माननीय कृषि मंत्री जी को चांटा जड़ दिया गया , सारे नेता एक ही भाषा बोलने लगे , साथ चमचागिरी करने वाले लोग और मिडिया देने लगा , तनख्वाह बढवाने और मुसीबत में ये नेता एक हो जाते हैं ?? असली स्थिति की कोई व्याख्या नहीं करता ?? प्रणब जी कहते हैं की " पता नहीं देश किधर जा रहा है " मैं कहता हूँ की वन्ही तो जा रहा है , जिधर आप ले जा रहे हैं ????  ये कान्ग्रेस्सी लोग जब केंद्र में सरकार बनानी होती है तो छोटी पार्टियों के नेताओं की लीला - पोची कर्ट है " साम्प्रदायिकता के नाम पर ?? और जब प्रदेशों में चुनाव होते हैं तो राहुल बाबा जाकर कहते हैं की मुझे बहुत गुस्सा आता है क्या आपको नहीं आता , " लो गुस्सा आ गया " अब वही राहुल बोलते हैं की मैं तो उत्तर प्रदेश हेतु कह रहा था ?? गुस्सा दिल्ली में कैसे आ गया ?? कभी  कहते हैं की यू .पी . के लोग दुसरे प्रदेशों में जाकर भीख मांगते हैं ?? पता नहीं कौन आजकल उनका और भारत सरकार का सलाहकार है ?? जो सब को उग्र भाषा बोलने हेतु उकसा रहा है ?? जनता कहती है मंहगाई बढ़ रही है तो मंत्री बोलते हैं ये तो और बढ़ेगी ? तो जनता क्या करे गी ?? प्रधानमंत्री जी तक ये कहते हैं की जनता की खर्च करनेकी क्षमता बढ़ गयी है , इस लिए मंहगाई बढ़ रही है आदि आदि , ये सब जनता को उकसाने वाले ब्यान हैं जो पता नहीं किसके निर्देशन में दिए जा रहे हैं , और फिर जनता को ही दोषी बताया जा रहा है ??? ये तो वो बात हुई की "थप्पड़ भी मार दिया , और पूछते हैं की रो क्यों रहे हो ???? बोलो --जय --श्री -- राम -- !! 

1 comment:

  1. BHAI JI AAPAKE VICHAR BAHUT HI SATIK HAI LEKIN IN VICHARO KE SAATH VYAVSTHA KE SAATH LADAI LADANE WALE AAB NAHIN RAHE

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