Friday, November 4, 2011

" पार्टियों " के - " वर्कर.".... या -- " बंधुआ -- मजदूर "......???

राजनितिक दलों हेतु, जिंदाबाद - मुर्दाबाद करने वाले प्रिय मित्रो , प्रदर्शनी नमस्कार !! आज समाचार आया कि  राजस्थान प्रदेश कोंग्रेस अध्यक्ष श्री चंद्रभान जी के समक्ष पार्टी कार्यकर्ताओं ने अपना " दुखड़ा " सुनाया कि किस तरीके से कार्यकर्त्ता " अपनी " जान - पहचान ,मेहनत और  लगन "से नेताओं को चुनाव जिताकर  विधान- सभा व लोक - सभा में भेजता है ??  वो  ये नहीं देखता कि प्रत्याशी किस धर्म,जाती और इलाके का है ?? कार्यकर्त्ता ये भी नहीं देखता कि पार्टी ने इस प्रत्याशी को टिकट उसके गुंणों को देखते हुए दी है या प्रत्याशी ने पार्टी से " मोल " खरीदी है ????  "निष्ठा" से बंधा कार्यकर्त्ता यो  अपना फ़र्ज़ निभाता है और उसे जिताने का प्रयास करता है || लेकिन सत्ता में आने के बाद "  मेहनती और निष्ठावान " कार्यकर्त्ता  जब जनहित कार्यों की बात भी करते हैं तो न सत्ता और न  ही संगठन उनकी बातों पर ध्यान देते हैं  ||  कार्यकर्ताओं की राजनितिक नियुक्तियों में भी " देर - अंधेर " दोनों जानबूझ कर की जाती है || " चमचे,चाटुकार, ठग , चोर और वाक्चातुर्य के धनि लोग इस तरह से उस नेता के आस-पास मंडराने लगते हैं की जैसे उनसे बढ़िया कोई पार्टी वर्कर ही नहीं है ??? एम्.पी.और एम्.एल.ऐ. को दिखना  सुनना बंद हो जाता है ??? इसका दूरगामी असर जनता के विरोध के रूप में सामने आता है ??? " चोर,व्यापारी,नेता और अफसर " का आजकल देश में ऐसा गिरोह बना है की हर पार्टी इस रोग से पीड़ित है ??? चाहे वो बी.जे.पी. हो या समाजवादी , कामरेड हो या कोई और सब पार्टियों में गुंडे नेता शरीफ नेताओं से धमकाकर अपनी बात मनवा लेते हैं ...??? और ये रोजाना हो रहा है ...??? ये प्रथा पहले देश में " मुस्लिम शासकों फिर फ्रिन्गियों और बाद में कांग्रेस ने चलाई || अब तो सभी दलों में ऐसे लोगों की ही भरमार है ??? कार्य कर्ताओं को न्याय मिले भी तो कैसे और कंहा से ???? ग्रुप बाज़ी भी एक लाइलाज बीमारी है ??? आज जो कार्यकर्त्ता किसी भी राजनितिक दल से उसकी " रीतियों -  नीतियों के कारन से जुडा है वो ज्यादा परेशान और चिंतित है ??? सभी राजनितिक दलों को इस विषय पर गहन चिंतन करना चाहिए और जो विचार माननीय चंद्रभान  जी ने दिया है वो  भी विचारनीय है की" सिटिजन चार्टर " की तरह राजनितिक दलों का चार्टर भी बनना चाहिए !!!! सारे नेता "चोर " हैं ये भावना गलत है और इसके अंत के लिए सभी दलों को गहनता से सोचना ही होगा ....क्योंकि सभी नेता चोर नहीं हैं....... जय श्री राम बोलना पड़ेगा ...!! बोलो जय ....श्री .....राम.....!! 

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