Sunday, November 20, 2011

अडवानी जी की " चेतना - यात्रा " से " चेतना " .." जागी -- या --भागी "......? ?

चेतन मित्रो , चेतनता भरा नमस्कार स्वीकार हो !! हमारे आधुनिक " सरदार पटेल ", बुज़ुर्ग होते हुए भी जवान नेता , बेदाग़ छवि वाले , और सच्चे "राष्ट्र भक्त "श्री लाल कृष्ण अडवानी जी वैसे तो अपने राजनितिक जीवन में कई बार यात्राएँ निकाल चुके हैं जिनके फलस्वरूप स्वयं और पार्टी को सत्ता सुख दिला चुके हैं | इसमें कोई शक नहीं है | परन्तु उनकी यात्रा में जगह - जगह जिस प्रकार से खाली कुर्सियों और अजीब से सुने पण का आभास हुआ है वो पहले की यात्राओं में नहीं था ?? इस से कई प्रश्न खाए हो जाते हैं जिनका जवाब ढूंढना बहुत आवश्यक है ??क्यूँ जनता और कर्यकर्ताओं ने सक्रियता नहीं दिखाई ?? कौन ऐसे व्यक्ति या संगठन हैं जो नहीं चाहते थे की ये यात्रा ऐतिहासिक बने ?? विश्व हिन्दू परिषद् जिसने अडवानी जी की पहलेवाली यात्रा से करोड़ों रूपये इकठ्ठे कर लिए जिनका हिसाब कभी नहीं दिया गया , वो इस बार की यात्रा में कंही नज़र नहीं आई ?? आर .एस .एस . के स्वयं सेवक भी खाना - पूर्ती करते नज़र आ रहे थे ?? क्या इस यात्रा को नाकामयाब बनाने में उन्होंने भूमिका निभाई जो श्री नरेंदर मोदी जी को अगला पी . एम् . बनाना चाहते थे ?? कोई तो बड़ा तत्व है जो बी .जे .पी . को अपने बूते आगे नहीं बढ़ने देना चाहता ?? ये वो ही तत्व है जिसने ,श्री कल्याण सिंह , मदन लाल खुराना , साहिब सिंह , जसवंत सिंह और श्री मति वसुंधरा राजे को आगे बढ़ने से रोका ??? और भी बहुत से ऐसे नाम हैं जिन्होंने अपना जीवन पार्टी के लिए लगा दिया , लेकिन उन्हें अचानक " पीठ " में वर करके मार दिया गया ?इनमे डा . महेश शर्मा , सु श्री उमा भारती और माननीय गोविन्दाचार्य जी मुख्य हैं ???बड़े कार्यकर्ताओं का जब ये हाल है तो छोटे कार्यकर्त्ता तो बेचारे किस खेत की मूली हैं ....? छोटे कार्य करता का आधा जीवन तो एम् .एल .ऐ .,एम् पी . , पार्षद और डायरेक्टर जिताने में ही निकल जाता है बाकी का जीवन आरक्षण के तहत नंबर आने की प्रतीक्षा करने में बीत जाता है ?? क्या बी .जे .पी . क्या कांग्रेस कोई भी दल अब मोका परस्तों , दलालों , ठेकेदारों , वकीलों ,और चमचा गिरी करने वालों जैसे लोगों से भरा पड़ा है ??? पार्टी की रीती -- नीतियों से प्रभावित और निष्ठावान कार्यकर्ताओं की कंही भी इज्ज़त नहीं है ?? सिर्फ भाषणों में ही इनका महत्व नज़र आता है ???? या फिर चंदा इकठ्ठा करने , दरियां बिछाने और चुनाव के दिनों में या प्रदर्शन में भीड़ का हिस्सा बनाने हेतु याद किया जाता है ??? कोई बड़ा नेता आ रहा हो या किसी बड़े अफसर को मिलने जाना हो तो अलग क्वालिटी के " नेता "  जाते हैं ??? इसी क्वालिटी के नेताओं से हर पार्टी का कार्यकर्त्ता और भारत की जनता परेशान है ??? जिसकी वजह से ज्यादातर ऐसे कार्यक्रम , प्रदर्शन और रैलियां फेल हो जाती हैं ?? पर वो नेता ही क्या जो असलियत को कबूल करले ....?? बड़ी ही " हरामजदगी " से वो नेता स्टेज पर खड़े हो कर दांत निकालता  है और " बेशर्मी "से अपनी और अपनी पार्टी की असफलता का कोई झूठा बहाना बना देता है ??? इसी लिए मैंने अपने पाठकों से ये पूछा है की " आडवानी जी की चेतना यात्रा से चेतना " .....जागी ......या ...... भागी ...??? बोलो जय श्री राम !! 

1 comment:

  1. there is no doubt that sri adwani ji is an honest person.in my opinion his last two rallies had been a failure because at this age his ambitions are dangerous for the party. he in last election also bjp did not win because adwani's ambitions to become the prime minister of india. if really wanted to make his rallies effective he could have declared that he is not a prime ministerial candidate. his policies had been focused on a few people ignoring so many cpmpetent youths in the party. this created disinterest among the potential candidates. in short the leaders are not fair(like in congress party in which absence of gandhi nehru family all are netas, they want to be ruled by foreigners ignoring the real potential netas)

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