Monday, July 16, 2012

" ऊँ - हूँ ...!! ये आज कल के बच्चे .." ..!! ??

" बाल बच्चेदार " मेरे सभी मित्रों को मेरा प्रणाम !!
                           पिछले कुछ दिनों से बड़ी अजीब - अजीब सी ख़बरें विभिन्न माध्यमों से प्राप्त हो रहीं हैं , जो मेरे मन को बहुत ही विचिलित कर रहीं थी ! राजनीति से सम्बंधित सारे समाचार उनके आगे बौने साबित हो रहे थे ! अब अगर मैं यंहा एक - एक समाचार का ज़िक्र करने लगूंगा तो बात बहुत ज्यादा लम्बी खिंच जाएगी,समाचार तो आप पढ़ - सुन ही चुके होंगे  इसलिए सभी समाचारों को अपने ज़हन में रखते हुए अपनी ये आवश्यक चर्चा शुरू करते हैं !!
                              पाश्चात्य सभ्यता हमारे ज़हनों में इस कदर घर कर चुकी है की क्या बूढ़े , क्या जवान और क्या बच्चे सब सेक्स देखने , सुनने और करने के इलावा कुछ सोच ही नहीं पा रहे हैं !! जिंदगी के हर मोड़ पर हमारे  दुश्मन अपनी - अपनी तरह की विशेषता प्राप्त " संगीनें " लिए खड़े हैं ! और उनकी जड़ें हमारे बीच में इस तरह से रच बस गयीं हैं की हमारे ही भाई, बहन, नेता , अभिनेता , अध्यापक , गुरु , और पत्रकार आदि सब तरह के लोगों में वो व्याप्त हो चुके हैं ! वो धड़ल्ले से उनका बचाव      हैं और हम उनका कुछ भी नहीं बिगाड़ पाते !! 
                        कौन दोषी है इस सबके लिए ??? क्या कोई एक या हम सब दोषी हैं ????? हमें गहनता से विचार करना पड़ेगा इस विषय पर क्योंकि अगर हमने अभी इस पर विचार करके उन दुश्मनों पर कोई कार्यवाही नहीं की तो निश्चित रूप से हम अपनी आगे आने वाली पीढी के दोषी होंगे !!अब हमें निर्णय लेना ही होगा की हम आज के सेक्सी युग में जीना चाहते हैं या फिर आध्यात्मिकता से जुड़े हुए हमारे ऋषि - मुनियों द्वारा रिसर्च किये हुए निय्मोनुसार जीना चाहेंगे , जिनका वर्णन हमारे ग्रंथों में है !!???? जिस में समय और आवश्यकता अनुसार सब चीज़ों का पर्योग करने की विधियां बतायी गयी हैं , जिसमे भोजन भी है और सेक्स भी !!?? 
                            कभी - कभी तो लगता है की हम सब इतने भ्रष्ट हो गए हैं की हमें सिर्फ " तालिबानी क़ानून " ही सुधार सकता है !! क्योंकि मौजूदा क़ानून में तो हम बड़ी आसानी से बच निकलते हैं अगर हम धनि या नेता हैं तो !!?? चाहे कोई कितना भी ढिंढोरा पीटे की हमारे नेता ने बहुत ही बढ़िया संविधान बनाया है , लेकिन असलियत यही है की केवल मात्र जिल्द बदली गयी है और हमारे देवी देवताओं की फोटो लगाई गयी या फिर सिर्फ भूमिका ही हमारे नेताओं ने लिखी , कानून बदलने का अधिकार तो हमें आज तक मिला ही नहीं है ???? हम सिर्फ संशोधन पास कर सकते हैं !! हम आज भी ब्रिटिश साम्राज्य के अधीनता वाले देश माने जाते हैं !  
                              क्या हमारा सब कुछ बदलने वाला हो गया है ??? क़ानून , शिक्षा व्यवस्था , कार्यपालिका , न्यायपालिका , विधायिका और हमारे सामाजिक नियम भी सब बदलने वाले हैं ??? क्यों हम आज हर काम हेतु किसी और पर निर्भर रहते हैं ? क्यों हम किसी का कहना नहीं मानते हैं , ? क्यों हम हमारे ही क़ानून की पालना नहीं करते हैं ???? क्यों हम क़ानून तोड़ने को अपनी शान समझते हैं ?क्यों हम अपने ही समाज के नियमों को नहीं मानते हैं ??धार्मिक नियमों की अनदेखी हम क्यों करते हैं ???????????????
                                       क्या इसी लिए हमारी संताने भी हमें " ठेंगा " दिखा रही हैं ??? क्या इसी लिए हमारे देश के दुश्मन हमारे ही घरों तक घुस गए हैं ??? हालत ये हो गयी है की जब तक हमारी गृहणी " दो पतियों ये तीन पत्नियों वाला नाटक ना देखले , तब तक उसे नींद ही नहीं आती क्यों ?क्या हम सेक्स के नशेडी बन गए हैं ???? 
                           आप ही बताओ मित्रो !! आपके क्या विचार हैं ?? जल्दी से हमारा ब्लॉग खोलिए जिसका नाम है " 5th pillar corrouption killer " log on :- www.pitamberduttsharma.blogspot.com.
                  उस पर लिखिए अपने अनमोल विचार ताकि हमें भी तो पता चले की आप क्या सोच रहे हैं जो रोज़ - रोज़ बलात्कार हो रहे हैं , लडकियां मारी जा रही हैं , एम . एम .एस . बनाये जा रहे हैं , क़त्ल किये जा रहे हैं और हर तरफ लूट मची है वो अलग !! अब अगर हम ये कान्हें की सिर्फ लड़के दोषी हैं तो सही नहीं होगा कई घटनाओं में तो लड़कियां बराबर की भागीदार होती हैं !! वो भी नशे करती हैं आदि आदि !! हम तो बस यही कह सकते हैं की ..............
      धर्म की .............जय हो !! 
           अधर्म का .......... नाश हो !!
               प्राणियों में ............सद्भावना हो !!!
                   विश्व का ..............कल्याण हो !!!!
                  हर -- हर -- हर ------- महादेव !!!!!
                                    आपका अपना 

                                   पीताम्बर दत्त शर्मा         

No comments:

Post a Comment

"निराशा से आशा की ओर चल अब मन " ! पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक)

प्रिय पाठक मित्रो !                               सादर प्यार भरा नमस्कार !! ये 2020 का साल हमारे लिए बड़ा ही निराशाजनक और कष्टदायक साबित ह...